एक बार फिर नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष पद पर भारतीय जनता पार्टी का चेहरा स्थापित करना चाहते हैं. सारा देश जानता है कि 17वीं लोकसभा के दरमियान नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष बने मगर उन्होंने स्पीकर पद की गरिमा को जिस तरह गिराया, रसातल में पहुंचाया वह लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में स्मरण किया जाएगा.

ओम बिरला ने स्वाधीन स्पीकर के रूप में कभी काम ही नहीं किया ऐसा प्रतीत होता था मानो वे भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर काम कर रहे हैं और एक कठपुतली हैं. उन के हावभाव कार्य व्यवहार से देश का लोकतंत्र कमजोर होता चला गया. वे जिस तरह भाजपा के इशारे पर काम कर रहे थे जैसे मानो वह लोकसभा के अध्यक्ष नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी और भाजपा के पैरोकार बन कर रह गए.

अपने तीसरे टर्म में नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री बन कर सामने आए हैं, आगे चुनौती है लोकसभा अध्यक्ष की. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा का स्पीकर एक ऐसा पद है जो नरेंद्र मोदी के लिए ब्रह्मास्त्र भी बन सकता है और भस्मासुर भी.

एक तरफ विपक्ष की निगाह है कि लोकसभा अध्यक्ष का पद उस के हथेली पर हो तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी समीकरण बैठाने में लग गए हैं कि लोकसभा अध्यक्ष तो भाजपा का ही होना चाहिए.

अब नई सरकार के 26 जून से शुरू होने वाले संसद सत्र को ले कर भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस में लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नए सांसदों का शपथ ग्रहण होगा. सत्र की तैयारियों को ले कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर राजग की एक बैठक हुई. बैठक में लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव को ले कर शतरंज की गोटियां बैठाई गईं.

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