उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पवित्र कहे जाने वाले सावन मास का पहला सोमवार ही नहीं फला कांवड़ यात्रा के दौरान मुसलमानों और दलितों से अपनी दुकानों पर नाम और पहचान की तख्ती लटकवाने की उन की मंशा पूरी हुई और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसी आड़ में तंग करने की खवाहिश पूरी हो पाई. सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कह दिया कि ऐसा नहीं होगा यह गलत है.

यह कुछ न कुछ किया कर पजामा फाड़ कर सिया कर वाली कहावत जैसा फरमान था जिस से योगी ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की थी. पहली जगजाहिर है कि खासतौर से मुसलमान दुकानदारों के लिए परेशानी खड़ी कर बचेखुचे सवर्ण वोटों को खुश करना और दूसरी थी नरेंद्र मोदी के लिए धर्म संकट पैदा करना. 4 दिन पहले ही उस वक्त राजनीति गरमा उठी जब उत्तर प्रदेश सरकार ने यह आदेश जारी किया था कि 270 किलोमीटर लम्बे कांवड़ रूट के सभी दुकानदार अपने नाम और पहचान की तख्तियां लगाएं. इस के पीछे छिपा मैसेज यह था कि जानेअनजाने में कांवड़ये मुसलमानों की दुकानों पर खापी लेते हैं जिस से उन का धर्म भ्रष्ट हो जाता है. यह और बात है कि हिंदू धर्म ग्रंथों में शूद्रों को अछूत बताया गया है और उन से दूर रहने की हिदायत दी गई है.

कैसे योगी आदित्यनाथ नरेन्द्र मोदी को धर्म संकट में डालना चाहते थे और कैसे सब से अदालत से मोदी को राहत मिली इसे कोर्ट रूम में हुई बहस से भी समझा जा सकता है जिस में याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट को इस बात पर सहमत करने में सफल हुए कि दरअसल में मामला शुद्धता की आड़ में मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का है जिस के लपेटे में दलित भी आ रहे हैं क्योंकि शाकाहारी होटलों में वे भी काम करते हैं . एक और दिलचस्प बात यह भी रही कि सरकार की तरफ से कोई वकील हाजिर ही नहीं हुआ नहीं तो ऐसे मामलों में सोलिस्टर जनरल तुषार मेहता दौड़ते भागते हुए आते हैं और सरकारी पक्ष कोर्ट में पेश करते हुए मामले को ख़ारिज करवाने की बहस करने लगते हैं . यह शायद पहला मामला है जिस में तुषार मेहता या बांसुरी स्वराज कोर्ट में आए ही नही . अब देखना यह भी दिलचस्प होगा कि अगली सुनवाई 26 जुलाई को भी कोई पेश होगा या नहीं .

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...