व्लोदोमीर जेलेंस्की ने अद्भुत साहस और क्षमता का प्रदर्शन कर सारे विश्व को संदेश दे दिया है कि एक बहुत छोटा देश भी बड़े देश के सामने सिर झुकाने से इनकार कर सकता है. अमेरिका और यूरोप अभी आर्थिक शिकंजा ही कस रहे हैं पर उन से भी रूस गरीबी के गहरे गड्ढे में दशकों तक के लिए सिर्फ व्लादिमीर पुतिन की हठधर्मिता के कारण गिर जाएगा.
रूस और यूक्रेन के बीच विवाद नया नहीं है. यह विवाद 2014 से जारी है. यह वर्चस्व की एक लंबी लड़ाई है, जिस का पूर्ण समाधान हालफिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है. इस लड़ाई में एक तरफ खुद को महाशक्ति मानने वाला रूस और उस की समर्थक सेनाएं हैं और दूसरी तरफ यूक्रेन व उस के पीछे नाटो की शक्ल में अमेरिका की कूटनीतिक ताकत है.
1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ (यूएसएसआर) का हिस्सा था. यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी हुई है. रूस के विघटन के बाद जो देश अलग हुए थे उन में यूक्रेन भी एक था. क्रीमिया भावनात्मक रूप से रूस के साथ जुड़ा हुआ था, जिस को वर्ष 2014 में रूस ने आजाद कर अपने नियंत्रण में ले लिया था. इस के अलावा यूक्रेन के डोनबास, लुहांस्कन और डोनेस्ततक इलाकों में रूसी समर्थक लोग बहुत ज्यादा संख्या में हैं. यूक्रेन के बाहर बेलारूस और जौर्जिया पूरी तरह से रूस के साथ हैं. यानी एक तरह से यूक्रेन पूरी तरह रूस और उस के समर्थक देशों से घिरा हुआ है.
आइए उन कारणों की बात करते हैं जिन की वजह से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है. कई महीनों तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर हमले की किसी भी योजना से इनकार करते रहे, लेकिन अचानक उन्होंने यूक्रेन में ‘स्पैशल मिलिटरी औपरेशन’ का ऐलान कर दिया.