6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के अजमेर में आयोजित एक बड़ी रैली संबोधित कर प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी के प्रचार का बिगुल बजाया. संयोग से यह रैली उस दिन हुई जिस दिन निर्वाचन आयोग ने आगामी विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की. इस दिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की 40 दिन की राज्यव्यापी गौरव यात्रा का समापन भी हुआ. लक्जरी बस पर सवार होकर मुख्यमंत्री ने राज्य के अलग अलग जगाहों की यात्रा की और लोगों से संपर्क साधा.

इससे एक दिन पहले राजस्थान के सूचना और जनसंपर्क विभाग (डीआईपीआर) के कर्मचारियों ने उस आदेश के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराई जिसमें विभाग को मोदी की अजमेर रैली के लिए मीडिया मैनेजमेंट करने को कहा गया था. इस पत्र में पब्लिक रिलेशन्स एंड एलाइड सर्विसेज एसोसिएशन औफ राजस्थान (प्रसार) के अध्यक्ष सीताराम मीणा के हस्ताक्षर थे. यह शिकायत राजस्थान के मुख्य सचिव के नाम थी जिसमें कहा गया था कि सरकारी तंत्र को बीजेपी की अजमेरी रैली में लगाया जा रहा है जो राजस्थान हाई कोर्ट के हाल के आदेश का उल्लंघन है.

मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा 4 अगस्त को शुरू हुई. साथ ही यात्रा की मुसीबतें भी. हाई कोर्ट में आरोप लगा कि सरकारी तंत्र और धन का इस्तेमाल रैली के लिए किया जा रहा है. कर्मचारियों को मीडिया प्रबंधन करने के राज्य के लोक निर्माण विभाग और डीआईपीआर के आदेशों को अदालत में चुनौती मिली. 5 तारीख को अदालत ने यात्रा के दौरान किसी भी राज्य प्रयोजित कार्यक्रम, प्रदर्शनी या उद्घाटन पर रोक लगा दी.

अदालत ने डीआईपीआर के 2 अगस्त के उस आदेश पर भी विचार किया जिसमें गौरव यात्रा के उदयपुर पहुंचने और ‘‘राज्य द्वारा आयोजित कार्यक्रमों’’ के प्रचार के मीडिया प्रबंधन के लिए अधिकारियों को नियुक्त किया गया था. अदालत ने साफ तौर पर सरकारी आदेश को गैर कानूनी नहीं कहा और इस बात को नोट किया कि यात्रा के क्रम में डीआईआरपी न केवल राजनीतिक यात्रा (मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा) के लिए मीडिया सहयोग देगा बल्कि सरकार के समाज कल्याण योजनाओं का प्रचार करेगा.’’ इसके बावजूद अदालत ने अपने फैसले के अंत में लिखा हैः

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...