उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भाजपा की किरकिरी कर देने वाले अखिलेश यादव ने एक तरफ साबित किया है कि पिताजी आउटडेटेड हो गए थे, वे चापलूसों से छुटकारा पाने में खुद को असमर्थ पा रहे थे. दूसरी ओर यही बात बिहार की अररिया सीट से साबित की तेजस्वी यादव ने कि जेल में अपनी वृद्धावस्था काट रहे पिता लालू यादव की बादशाहत संभालने के लिए वे पूरी तरह फिट हैं. उत्तर प्रदेश में बूआभतीजे की जोड़ी ने भगवा रथ थामा तो बिहार में भतीजे ने चाचा नीतीश के कान कुतर डाले.
मुलायम और लालू इस बात पर गर्व भी कर सकते हैं कि बेटे नालायक नहीं निकले और भाजपा के पौराणिक मानस पुत्रों से बेहतर हैं जिन्होंने पूर्वजों को अज्ञातवास काटने के लिए ढकेल दिया था. पांडवों की याद कर लें कि युद्ध जीतने के बाद उन्हें कहां कहां भटकना पड़ा.
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