पूर्वोत्तर राज्यों खासतौर से त्रिपुरा में भाजपा की अप्रत्याशित जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछकुछ ऋषिमुनियों के अंदाज में कहा था कि डूबते सूरज का रंग लाल और उगते का भगवा होता है. प्रतीकात्मक रूप में कसे गए इस ताने पर कम्युनिस्टों के पास खामोश रहने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था. यह उगता सूर्य धूप दे पाता, इस के पहले ही उत्तर प्रदेश और बिहार में उस पर ग्रहण लग गया.
राजनीति में हारजीत यों आम बात है. अच्छा यह है कि नरेंद्र मोदी को 2014 और 2018 में फर्क समझ आने लगा है और खुद मोदीमोदी चिल्लाने वाली जनता उन्हें हार की आदत डाल रही है. इस के बाद भी दिलचस्प बात यह है कि गोरखपुर और फूलपुर के नतीजों पर किसी ने मोदी को सारा दोष नहीं दिया.
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