जबजब आवाज उठाई जाएगी, तबतब उसे कानूनी पेचीदगियों में उलझा दिया जाएगा, यह बात अब हर राजनीतिक पार्टी को समझ लेनी चाहिए. फिर भी जाने क्यों सब अपनी ही फजीहत कराने पर आमादा हो जाते हैं. आज की हकीकत यही है कि जो भी सत्ता पक्ष से सवाल करेगा, वह खुद घिर जाएगा. जहां प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री दिखाने का मुद्दा उठा, वहीं विपक्ष का ध्यान भटकाने के लिए अस्पताल निर्माण घोटाले में छापेमारी शुरू कर दी गई और असली मुद्दा दब गया. अकसर जब भी ईडी छापेमारी के मूड में आती है, तो समझ लेना चाहिए कि देश में कहीं न कहीं सत्ता पक्ष से विपक्ष ने सवालजवाब करने की हिम्मत की होगी, जिस की कीमत विपक्ष को ही चुकानी पड़ती है. लेकिन अब सवाल उठाने पर छापेमारी या जेल भेजना, जनता की नजर में धीरेधीरे बचकाना लगने लगा है.

अस्पताल निर्माण घोटाले में छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज सहित 13 ठिकानों पर छापेमारी की. आरोप है कि 2018-19 में 5,590 करोड़ रुपए की 24 अस्पताल निर्माण परियोजनाओं में भारी अनियमितताएं हुईं. कई ठेकेदारों और अधिकारियों के यहां भी जांच की गई.

ध्यान भटकाने की साजिश

आम आदमी पार्टी ने इसे फर्जी मामला बताया और आरोप लगाया कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री विवाद से जनता का ध्यान हटाने के लिए की गई. पार्टी नेताओं का कहना है कि अस्पताल घोटाले का आरोप निराधार है. उन का तर्क है कि पहले भी सत्येंद्र जैन को 3 साल जेल में रखने के बाद आखिरकार सीबीआई/ईडी को क्लोज़र रिपोर्ट देनी पड़ी थी.

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