बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज जिस उम्र की दहलीज पर हैं उन के द्वारा महिलाओं के संदर्भ में सैक्स को ले कर के जिस तरह का वक्तव्य बिहार विधानसभा में आया और फिर थोड़े ही समय में नीतीश कुमार ने जिस विनम्रता के साथ क्षमा याचना की तो फिर नैतिकता का ताकाजा यह है कि मामला खत्म हो जाता है. मगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने जैसे नीतीश कुमार के वक्तव्य को लपक लिया और बांहे खींच रहे हैं वह यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी और उस का नेतृत्व आज कैसी राजनीति कर रहा है और देश को पतन की ओर ले जाने में भूमिका निभा रहा है.
दरअसल,बिहार विधानसभा में मंगलवार को जनसंख्या वृद्धि पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं की शिक्षा और उनके सैक्स के प्रति रवैये को लेकर बयान दिया था. वे सैक्स एजुकेशन में समझाए जाने वाले पुलआउट मेथड के बारे में बता रहे थे. जिस तरह की उन की शब्दावली थी वह जरुर समस्या वाली थी, जिस ले कर आखिरकार नीतीश को अपने माफी मांगनी पड़ी.
पर, आप कल्पना कीजिए कि देश में अगर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री होते तो क्या इस मामले को नरेंद्र मोदी की तरह तूल देते, आज देश में अगर पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री होते या फिर डाक्टर मनमोहन सिंह होते तो क्या इस तरह मामले को तुल दिया जाता शायद कभी नहीं.
प्रधानमंत्री का दोहरा रवैया
दरअसल,नरेंद्र मोदी का यह नेचर है कि वह अपने लोगों को तो हर अपराध के लिए माफ कर देते हैं मगर गैरों को माफ नहीं करते, उनके पास व्यवहार करने के दूसरे तरीके हैं. जो कम से कम प्रधानमंत्री पद पर होते हुए उन्हें शोभा नहीं देता. देश का आम आदमी भी जानता है कि किसी भी विधानसभा में दिया गया वक्तव्य रिकौर्ड से हटाया भी जाता है और उसे पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. मगर भाजपा जिस तरह नीतीश कुमार पर हमलावर है वह बताती है कि न तो संविधान से सरोकार है और न ही किसी नैतिकता से. किसी की छवि को खराब करना और किसी भी तरह सत्ता प्राप्त करना ही आज नरेंद्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का लक्ष्य बनाकर रह गया है.
संभवत यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 8 नवंबर, 2023 को बिहार विधानसभा में महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर बिना नाम लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की और कहा, “महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए वह जो भी कर सकेंगे, करेंगे. महिलाओं का इतना अपमान होने के बावजूद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने एक शब्द भी नहीं बोला है.”
मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर नरेंद्र मोदी ने कहा, कल ‘इंडी’ गठबंधन के बड़े नेताओं में से एक, जो ब्लौक का झंडा ऊंचा रख रहे हैं और वर्तमान सरकार (केंद्र में) को हटाने के लिए तरहतरह के खेल खेल रहे हैं, उन्होंने माताओं बहनों की उपस्थिति में राज्य विधानसभा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. उन्हें इसके लिए शर्म तक महसूस नहीं हुई. ऐसी दृष्टि रखने वाले आपका मानसम्मान कैसे रखेंगे? वे कितना नीचे गिरेंगे? देश के लिए कितनी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.”
जबकि यह कानून है कि विधानसभा में दिए गए वक्तव्य पर कोई कानूनी संज्ञान नहीं दिया जा सकता. इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व में वह सब किया जा रहा है जो कानून के विरुद्ध है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है महिला आयोग द्वारा नीतीश कुमार के वक्तव्य पर संज्ञान लिया जाना.
राष्ट्रीय महिला आयोग की फटकार
राष्ट्रीय महिला आयोग ने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह सदन के भीतर की गई अपमानजनक टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. पत्र में आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा ऐसे बयानों की कड़ी निंदा करती हैं.”
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जब यह कहते हैं कि महिलाओं के सम्मान कोसुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा. तो हंसी आती है क्योंकि देश ने देखा है कि किस तरह देश की बेटियों ने जंतर मंतर पर भाजपा के एक सांसद और महत्वपूर्ण पदाधिकारी के खिलाफ अनशन किया था मगर आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है.