Supreme Court : यह कोई ढकीछुपी बात नहीं है कि अलगअलग राज्यों में राज्यपाल यदि विरोधी दल का है तो वह राज्य के कई कामों में रोड़े अटकाता है. इस का माकूल इलाज सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने की जवाबदेही समयसीमा लगा कर तो दिया है मगर इस पर अमल हो पाएगा, यह बड़ा सवाल है?

केजरीवाल सरकार के समय दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के पास बस एक ही काम था कि किसी भी तरह केजरीवाल सरकार के काम में बाधा उत्पन्न करते रहो और जनकल्याण के उन के कार्यों की योजनाओं को मटियामेट करने के लिए किसी फाइल पर अपनी अनुमति की चिड़िया न बिठाओ. मगर जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुई है, एलजी साहब को बड़ी राहत मिली है, काम का एक बड़ा बोझ

सब जानते हैं कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केजरीवाल सरकार को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर सब से ज्यादा काम किया. तमाम सरकारी स्कूलों का नक्शा बदल कर रख दिया.

कहींकहीं तो सरकारी स्कूलों के आगे बड़ेबड़े प्राइवेट स्कूल भी फीके दिखने लगे थे. केजरीवाल सरकार टीचर्स को ट्रेनिंग लेने के लिए फिनलैंड भेजना चाहती थी ताकि बच्चों को और अच्छी शिक्षा मिल सके मगर उपराज्यपाल सक्सेना ने टीचरों को ट्रेनिंग के लिए जाने से रोक दिया.

केजरीवाल और विनय कुमार सक्सेना के बीच आए दिन तूतूमैंमैं होती थी. सरकार विधानसभा में कोई विधेयक पास कर लागू करने की अनुमति के लिए फाइल एलजी के पास भेजती तो एलजी उस फाइल को महीनों दबा कर बैठ जाते. जनकल्याण की कई योजनाएं इसी के चलते लागू नहीं हुई और नुकसान दिल्ली की जनता का हुआ.

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