राजनैतिक दलों सहित सभी संवैधानिक इकाइयों द्वारा नकद लेन-देन की सीमा 10000 से अधिक न हो, 10000 से अधिक मूल्य के वाहन, आभूषण एवं अचल सम्पत्ति की नकद खरीद व बिक्री प्रतिबंधित हो और राजनैतिक दलों, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, कार्पोरेट घरानों आदि को अनिवार्य रूप से सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाय इन मांगों को लेकर अब जनता मुखर हो रही है. वह सरकार पर दबाव डाल रही है.
देश से वास्तविक रूप से भ्रष्टाचार के सफाए के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाने जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए आज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मुख्य द्वार से सूचना का अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में एक हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया गया. इस अवसर पर अभियान का उद्देश्य बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि आये दिन नई नोटों का जखीरा अवैध तरीके से मिलने से स्पष्ट है कि 1000 और 500 की नोट बदलने और तमाम अन्य बंदिशें लगाये जाने मात्र से भ्रष्टाचार का पूर्णरुपेण खात्मा होना संभव नही है.
8 नवंबर से लागू नोटबंदी के कदम के बाद से आज तक अधिसंख्य सामान्य जनता रोजमर्रा की जरूरतों के लिए तमाम तरीके की परेशानियां झेल रही हैं और उन्हें अपनी मेहनत से जमा किये हुए पैसों की निकासी के लिए सारे दिन बैंको की कतार में लगे रहना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ गोलमाल करने वाले अपना काला धन येन केन प्रकारेण सफेद बना लेने में काफी हद तक सफल हैं. पेट्रोल पंपों, सरकारी देयों के भुगतान काउन्टर और बैंको से कमीशन पर बड़ी नोट बदलने की खुले आम चर्चा सामने आयी है.
वक्ताओं ने कहा कि वास्तविकता यह है कि नकदी से अधिक अवैध धन सम्पत्ति के रूप में अर्जित किया गया है, उस पर अंकुश लगाये बिना विमुद्रीकरण से कोई सार्थक परिणाम नही निकल पायेगा. राजनैतिक दलों सहित आयकर में छूट पाने वाली विभिन्न संवैधानिक इकाइयों द्वारा नकद लेन-देन पर कोई प्रतिबन्ध नही है, अतः उनके द्वारा चतुराई से काले धन की हेरा फेरी की जाती है और उनकी कोई जवाबदेही नही है.
हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सरकार से मांग की जा रही है कि सभी राजनैतिक दलों, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, कार्पोरेट घरानों आदि को अनिवार्य रूप से सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाय क्योंकि उन्हें आयकर की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कर से छूट प्रदान होती है साथ ही अन्य सरकारी सुविधाएं भी मिलती है, अतः जनता के समक्ष उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही तय होनी चाहिए. ऐसी सभी सस्थाओं द्वारा नकद आय और व्यय की अधिकतम सीमा रूपये 10000 निर्धारित की जानी चाहिए जिससे दान देने वालों और लाभ लेने वालों पर निगरानी हो सके.
सम्पत्ति के रूप में काला धन जमा करने की प्रवृत्ति पर प्रभावी नियंत्रण के लिए रूपये 10000 से अधिक मूल्य के किसी भी प्रकार के वाहन, आभूषण एवं भूमि-भवन आदि अचल सम्पत्ति के नकद क्रय विक्रय पर रोक लगाना चाहिए. हस्ताक्षर अभियान में प्रमुख रूप से प्रदीप सिंह, धनञ्जय त्रिपाठी, सूरज पाण्डेय, विनय सिंह, रवि शेखर, सुनील यादव, चिंतामणि सेठ, प्रेम सोनकर, अजय पटेल, दिवाकर सिंह, मनीष गुप्ता, डा. अनूप श्रमिक, विनोद, रोशन, दीपक सिंह , राकेश सरोज, सौरभ यादव, सुमन आदि शामिल रहे.