अब लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी चाहने लगी हैं कि जातिगत आरक्षण पर दोबारा सोचविचार हो. इस संवेदनशील मुद्दे पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले थे तो बिहार में भाजपा की दुर्गति हुई. उसे देख भागवत ने इस मुद्दे को प्रणाम करते कह दिया था कि आरक्षण खत्म नहीं होगा.
फिर सुमित्रा महाजन क्यों बोलीं, वह भी उस सूरत में जब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के चुनाव सिर पर हैं, हालांकि उन्होंने आड़ जातिगत भेदभाव की ली है कि यह क्यों अब तक कायम है. अब इस मासूमियत पर कौन फिदा न हो जाए, सच हर कोई जानता है कि जातिवाद कौन, कैसे और कितनी तादाद में फैलाता है. ऐसे में फिर बहस या पुनर्विचार की गुंजाइश ही कहां बचती है.
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