भाजपा में महाभारत का आजकल शल्यपर्व चल रहा है. रामलीला का दौर खत्म होने के बाद जनता के लिए भाजपा की इस महाभारत में मनोरंजन का भरपूर मसाला है. भीष्म पितामह, शल्य, कर्ण, युधिष्ठिर, दुर्योधन, शकुनि, भीम जैसे पात्रों के बीच वाकयुद्ध और गदायुद्ध जारी है. नजारा दिलचस्प है.

पार्टी के पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा खुद को भीष्म पितामह बता रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें शल्य कह रहे हैं. ये दो पात्र तो सामने हैं पर दुर्योधन, युधिष्ठिर , कर्ण, दुस्साशन और शकुनि कौन हैं इस पर दिलचस्प वाकयुद्ध जारी है.

अटल बिहारी वाजपेयी के समय वित्तमंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने हाल ही में मौजूदा अर्थव्यवस्था को ले कर एक लेख लिखा था. इस में वित्तमंत्री अरुण जेटली और प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया. उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए नोटबंदी, जीएसटी और डिजिटल पेमेंट पर सवाल उठाए थे और कहा था कि मोदी ने गरीबी देखी है, उन के मंत्री भी देश को गरीबी दिखाएंगे.

सिन्हा ने कहा था कि गिरती जीडीपी के बीच नोटबंदी ने आग में घी डालने का काम किया. आज के समय में न तो नोकरी है और न ही विकास तेज हो रहा है. इंवेस्टमेंट और जीडीपी घट रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जीडीपी अभी 5.7 है. सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने के तरीके को बदला था. अगर पुराने हिसाब से देखें तो आज के समय यह जीडीपी 3.7 होती.

सिन्हा के इस लेख से पार्टी और सरकार में महाभारत छिड़ गया. पात्रों के नामकरण शुरू हो गए.  यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं भीष्म पितामह हूं और अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने दूंगा.

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