उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों का यौनशोषण करने के आरोपों ने दुनिया के सामने भारत को शर्मसार किया है. कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहते बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप है कि उन्होंने महिला पहलवानों का यौनशोषण किया. जिन ऐथलीट्स ने यौन संबंध बनाने के प्रस्ताव को ठुकराया उन्हें कायदों का गलत इस्तेमाल कर कई तरीके से परेशान किया. पाप का घड़ा जब भर कर फूटा तो कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए दिल्ली के जंतरमंतर पर महिला खिलाड़ियों का जबरदस्त आंदोलन चला. लेकिन बृजभूषण का दबदबा देखिए कि उस के दबाव में दिल्ली पुलिस ने दुनियाभर में भारत रोशन करने वाली महिला ऐथलीट्स को दिल्ली की सड़कों पर घसीटघसीट कर मारा.

हालांकि बाद में बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और यौनउत्पीड़न से जुड़ी धाराओं 354, 354ए, 354डी के अलावा पोक्सो कानून की धारा (10) ‘एग्रावेटेड सैक्सुअल असौल्ट’ यानी ‘गंभीर यौन हिंसा’ भी उस पर लगाई गई. मामला फिलहाल अदालत में है.

जब लोकसभा चुनाव की दुदुम्भी बजी तो बृजभूषण ने टिकट पाने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगाया. धमकाया. शक्तिप्रदर्शन कर अपना प्रभाव दिखाया. भाजपा को भी डर था कि बृजभूषण को टिकट न दिया तो कैसरगंज सीट हाथ से निकल जाएगी. मानमनौवल हुई और महिलाओं के सशक्तीकरण का ढोल पीटने वाली मोदी सरकार कैसरगंज सीट बचाने के लालच में बृजभूषण के तलवे चाटने के लिए मजबूर नजर आई. यौनशोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह के दबाव से भाजपा निकल नहीं पाई और कैसरगंज सीट पर भाजपा को बृजभूषण शरण सिंह को न सही उस के बेटे करण भूषण सिंह को टिकट देना पड़ा.

अन्य दलों में परिवारवाद देखने और कोसने वाली मोदी सरकार के चेहरे पर अपने परिवार के होनहार बिरवानों की करतूतों से कालिख पुत चुकी है. लोकसभा का टिकट पा कर बौराए घूम रहे बृजभूषण के बेटे करण भूषण सिंह की तेज रफ्तार गाड़ियों के काफिले ने 29 मई की सुबह एक बाइक पर सवार 2 युवाओं को बुरी तरह रौंद दिया. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. साथ ही, एक 60 वर्षीय ग्रामीण महिला पर भी गाड़ी चढ़ा दी जिसे फिलहाल गंभीर हालत में गोंडा के मैडिकल कालेज में भरती किया गया है.

करण भूषण सिंह की हवा में बातें करती गाड़ियों का काफिला करनैलगंज-हुजूरपुर मार्ग पर छतईपुरवा स्थित बैकुंठ डिग्री कालेज के सामने पहुंचा जहां काफिले की फौर्चूनर गाड़ी ने सामने से बाइक पर आ रहे 2 भाइयों निंदूरा निवासी रेहान खान (21) और शहजाद खान (20) को सीधी टक्कर में मौत की नींद सुला दिया और सड़क के किनारे जा रही छतईपुरवा निवासी सीता देवी (60) को भी टक्कर मार कर रौंद दिया. टक्कर इतनी भीषण थी कि गाड़ी के भीतर सभी एयरबैग खुल गए.

इस घटना को अंजाम देने के बाद करण भूषण के स्कोर्ट में चल रही फौर्च्यूनर गाड़ी यूपी-32 एचडब्ल्यू-1800 छोड़ कर हत्यारे भाग खड़े हुए. मौके पर गांव वालों की भीड़ जमा हो गई. आक्रोशित भीड़ ने गाड़ी फूंकने की कोशिश की मगर कटराबाजार, परसपुर, कौड़िया व करनैलगंज थाने की पुलिस फोर्स ने मोरचा संभाल लिया.

पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी, चक्काजाम और युवकों के शव को पोस्टमार्टम के लिए न ले जाने की जिद पर अड़े लोगों से पुलिस की तीखी नोकझोंक हुई. काफी जद्दोजेहद और मानमनौवल के बीच पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. करनैलगंज-हुजूरपुर मार्ग पर करीब एक घंटे तक जाम लगा रहा. एसडीएम, अपर पुलिस अधीक्षक, सीओ करनैलगंज व सीओ सिटी के सामूहिक प्रयास व मुकदमे के आश्वासन के बाद आक्रोशितों ने जाम हटाया.

बिलकुल ऐसी ही घटना को मोदी परिवार के होनहार बिरवान गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष टेनी ने भी अंजाम दिया था. लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया शहर के पास आंदोलनकारी किसानों पर आशीष ने गाड़ी चढ़ा दी थी. 4 किसानों की वहीं मौत हो गई थी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. आशीष और उस के लोगों ने किसानों को अपनी एसयूवी गाड़ियों से बेरहमी से रौंदा था. पीछे से इस अचानक हुए हमले से गुस्साए किसानों ने आशीष की उन 2 गाड़ियों में आग लगा दी थी जिन से किसानों को रौंदा गया था. इस घटना से गुस्साए किसानों ने काफिले में शामिल भाजपा के 3 कार्यकर्ता और एक वाहन के चालक को वहीं पीटपीट कर मार डाला. यह घटना 3 अक्टूबर, 2021 की है. टेनी के बेटे आशीष ने इस हिंसा का नेतृत्व किया था.

टेनी खीरी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे. कुछ दिनों पहले जिले के पलिया शहर में हुए एक कार्यक्रम में किसानों ने काले झंडे दिखा कर उन से अपना विरोध प्रकट किया था जिस के बाद टेनी ने एक धमकीभरा भाषण दिया था : “सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा, बस.”

और दो ही मिनट लगे किसानों को रौंदने में. अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष टेनी ने एक भयानक घटना को अंजाम दिया. इस में कोई दो राय नहीं कि एक सुनियोजित तरीके से उस की कारों ने उन आंदोलनकारियों को रौंद दिया जो सिर्फ काला झंडा दिखा कर शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे.

कर्नाटक की हासन से सांसद और देश के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के 300 से अधिक महिलाओं के यौनशोषण करने वाले 2,000 से ज्यादा अश्लील वीडियो वायरल हो चुके हैं. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार द्वारा इस मामले विशेष जांच के आदेश के बाद प्रज्वल रेवन्ना भारत छोड़ कर जरमनी भाग गया.

यह मामला राज्य सरकार के संज्ञान में तब आया जब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने प्रज्वल पर लगे आरोपों के संबंध में सीएम और राज्य पुलिस प्रमुख को पत्र लिखा. जिन महिलाओं का प्रज्वल रेवन्ना ने यौनशोषण किया उन में से जनता दल की 12 महिलाएं, भाजपा परिवार की 2 सदस्य, 1 जीएसटी कमिश्नर की पत्नी, 2 महिला पुलिस इंस्पैक्टर और 304 अन्य महिलाएं हैं जो ज्यादातर वोक्कालिगा समाज से आती हैं.

महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराने वाली कर्नाटक महिला डौर्जन्या विरोधी वेदिके के अनुसार, सांसद प्रज्वल रेवन्ना सहित अन्य प्रभावशाली राजनेताओं द्वारा महिलाओं का यौनशोषण करने और उन्हें यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने वाले बहुत सारे वीडियो पूरे हासन जिले में पेनड्राइव के माध्यम से प्रसारित किए गए और सोशल मीडिया पर भी डाले गए. वीडियो में प्रज्वल रेवन्ना को कई महिलाओं के साथ आपत्तिजनक मुद्रा में देखा गया.

वेदिके ने महिला आयोग से अपनी शिकायत में कहा, “इस घटना ने कई महिलाओं के जीवन को खतरे में डाल दिया है और उन की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है.”

बता दें कि, 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में कर्नाटक की 28 में से 14 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ था जिस में हासन लोकसभा सीट भी शामिल थी. इस बार लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में भाजपा और देवगौड़ा की जनता दल सैक्युलर के बीच गठबंधन हुआ था.

राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से भाजपा इस बार 25 और जेडीएस 3 (मंड्या, कोलार और हासन) सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एनडीए की तरफ से प्रज्वल रेवन्ना हासन लोकसभा सीट से प्रत्याशी था जो फिलहाल भागा हुआ है.

यूपी के अधिकांश ऐसे लोग हैं जिन का सिक्का हर दल में चलता रहा है. जिन्हें आगे बढ़ाने में हर पार्टी का मुखिया सहयोग करता रहा है. भले ही वो दिनरात अपनी राजनीतिक शुचिता की दुहाई क्यों न देता हो. उन्नाव रेप कांड का आरोपी कुलदीप सेंगर कांग्रेस, बसपा और होते हुए भाजपा में आया था. किसी भी पार्टी को यह कहने का हक नहीं है कि वो साफसुथरी है.

ज्यादातर बाहुबली नेताओं को उन की जाति के लोगों का समर्थन मिलता रहा है. उन की जाति उन्हें आदर्श मानती रही है. जनता में उन की पकड़ की वजह से राजनीतिक दल उन्हें अपनाते रहे हैं. पार्टियां समझती थीं कि इस से जाति विशेष का वोट मिल जाएगा. चाहे वो वीरेंद्र शाही रहे हों या ओम प्रकाश पासवान. हरिशंकर तिवारी हों या डी पी और रमाकांत यादव. बाहुबलियों को अपना हित साधने के लिए पार्टियों को अपने साथ लेने से कभी परहेज नहीं रहा. इसलिए कोई भी पार्टी दूसरी पार्टी पर आरोप लगाने से पहले अपनी तरफ भी देखे.

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