मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसेतैसे माहौल अपने पक्ष में कर पाते हैं, वैसे ही कोई और नहीं बल्कि खुद प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी उनकी महीनेभर की हाड़तोड़ मेहनत पर गंगाजल फेर जाते हैं. ऐसा बीते डेढ़ साल से हर कभी हो रहा है. पर पिछले 6 महीने से तो यह मासिक कार्यक्रम जैसा हो गया है क्योंकि मोदी ने इसी साल 1 अप्रैल से लेकर 25 सितंबर तक 7 दौरे मध्यप्रदेश के किए हैं. हर बार की तरह उनके 25 सितंबर के भोपाल दौरे, जिसमें उन्होंने कोई 5  लाख कार्यकर्ताओं के महाकुंभ को संबोधित किया, के बाद भगवा खेमे में ख़ुशी और जोश कम जबकि अवसाद और सवाल ज्यादा हैं.

पहला सवाल तो यह है कि मोदी जी नया क्या बोलेजिसे आम जनता और कार्यकर्ताओं ने पहले कभी न सुना हो. वही कांग्रेस और परिवारवाद की बुराई, वही भाजपा का विकास का एजेंडा, वही मोदी की गारंटियां, वही अर्बन नक्सली का राग,महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने की कोशिश , इंडिया गठबंधन पर धोखा देने का आरोप कि वह सनातन को समाप्त करना चाहता है वगैरहवगैरह. इतनी भागवत बांचने के बाद वे`मैं`पर उतरते बोले मोदी का मिजाज अलग है,मेहनत भी अलग है और मिशन भी अलग है.

इस डायलौग को सुनकर कई सिनेप्रेमियों को अपने दौर के 2 दिग्गज अभिनेताओं राजकुमार व दिलीपकुमार अभिनीत सुभाष घई की फिल्म ‘सौदागर’ की याद हो आई जिसमें राजकुमार का बोला एक डायलौग अभी भी लोगों के जेहन और जबां पर रहता है. इस डायलौग को राजकुमार ने अपने फेमस अंदाज में कुछ यों बोला था- ‘हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे लेकिन तब बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी, वक्त भी हमारा होगा और जगह भी हमारी होगी.’

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