Parental Neglect : नशे का व्यापार सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक नरसंहार है. वह नरसंहार जो धीरेधीरे, चुपचाप, बिना गोली या बम के आज हमारे बच्चों की नसों में उतारा जा रहा है. यह चुपचाप, धीरेधीरे हमारे घरों, गलियों और स्कूलों में फैलता हुआ बच्चों की नसों में उतर रहा है. इस की भयावहता इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस में मरने वाला शरीर नहीं, पूरा समाज होता है.
मयंक का बस्ता साफ करते समय उस की एक किताब से जब गुटके की खाली पन्नी निकल कर जमीन पर गिरी तो सोनाली का दिल धक्क से रह गया. अभी मयंक सिर्फ 11 साल का है और पांचवी कक्षा में पढ़ रहा है, उस के बस्ते में गुटका कैसे आया? सोचसोच कर सोनाली का सिर दुखने लगा.
मयंक उस वक्त अपने दोस्तों के साथ पार्क में क्रिकेट खेल रहा था. सोनाली का मन हुआ कि अभी बुला कर पूछे. फिर रुक गई. सोचा, इस के पापा को बताएगी. मगर शाम के बाद रात भी बीत गई, वो उन को बता नहीं पाई. क्योंकि जानती थी कि पति भी सारी की सारी तोहमत उस पर ही मढ़ देंगे. बच्चे के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझेंगे. ''तुम बच्चे की परवरिश ठीक से नहीं कर पा रही हो. तुम सारा दिन घर में करती क्या रहती हो? बच्चे की हरकतों पर नजर क्यों नहीं रख पाती? तुम ने इस को सिर पर चढ़ा रखा है. तुम देखती ही नहीं कि यह किन बच्चों के साथ खेलता है?'' आदिआदि जहरबुझी बातों से वे परेशानी के समाधान की जगह नई परेशानी खड़ी कर देंगे.
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