लोकसभा चुनाव के सातवे द्वार पर पहुंचने के बाद भी नेताओं ने मुद्दो की जगह एक दूसरे के चरित्र पर हमला करना जारी रखा है. ताजा मामले में बसपा नेता मायावती ने पीएम नरेन्द्र मोदी की पत्नी के बहाने भाजपा नेताओं की पत्नियों की चिंता पर अपनी राय दी है. मायावती के इस बयान की भाजपा में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. भाजपा नेता इसे मायावती की हताशा, हार से डर और जेल जाने के खतरे तक को कारण बता रहे है.

बसपा नेता मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पत्नी के बहाने वार किया है. मायावती ने कहा कि ‘भाजपा की महिला नेता उनके पतियों के पीएम मोदी से करीबी से घबडाती है. उन महिलाओं को डर है कि कहीं पीएम मोदी उन्हे भी अपनी पत्नी की तरह अपने पतियों से अलग ना करवा दे’ मायावती ने कहा कि ‘मुझे तो मालुम चला है कि भाजपा में खासकर विवाहित महिलाये अपने आदमियों को पीएम मोदी के नजदीक जाते देखकर यह सोच कर काफी घबराती है कि कही मोदी अपनी औरत की तरह हमें भी अपने पतियों से अलग ना कर दे.’

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बसपा नेता मायावती के बयान पर प्रतिक्रिया के पहले भाजपा समर्थको को अपने नेताओं के बयानों पर गौर करना चाहिये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का मजाक बनाते हुए ‘विधवा’ कहा था. राहुल गांधी को मंदबुद्वि कहा था. प्रियंका गांधी के बौडी फीगर को लेकर ही ओछी टिप्पणी की थी. भाजपा के प्रमुख नेताओं की बात छोड़ दे तो छोटे स्तर पर बहुत स्तरहीन हमले किये गये.

सोशल मीडिया आने के बाद किसी भी व्यक्ति पर सोशल हमले करना कठिन काम नहीं रहा. मोदी सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को हमेशा निशाने पर रखा गया. रवीश कुमार इसकी मिसाल ही बन गये. भाजपा और हिन्दुत्व का समर्थन करने वाले लोग ने पत्रकारों के लेखन के बजाय उनके घर, परिवार, बीबी, बच्चों और जाति विरादरी तक को निशाने पर लेकर गालियां दी. एक तरह से समाज में अलोचना करने वाले को गाली देने का चलन शुरू हो गया. अब यही चलन चुनावी मुद्दा बन जा रहा है.

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लोकसभा चुनाव में बात बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, विकास की होनी चाहिये थी. पर बातें तू चोर तू चोर की हो रही है. इसमें नेताओं को ही नहीं जनता को भी मजा आता है. जनता को इसमें उलझाकर नेता अपनी आलोचना से बच जाते है. यह उनके लिये सुविधाजनक होता है. सोशल मीडिया में गाली को बड़ी संख्या में देकर ट्रोल किया जाता है. जिससे यह बातें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके. नेताओं ने जनता को इस तरह की चीजों में उलझाकर अपनी कमियों को छिपा लिया है. एक तरह से पूरा चुनाव खत्म हो गया पर ऐसे बयान आने जारी है. इससे राजनीति और समाज दोनो के स्तर का पता चलता है.

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