पिछले दिनों डैमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने इलिनौइस में शिकागो के यूनाइटेड सेंटर में डैमोक्रेटिक नैशनल कन्वेन्शन में भाग लिया और राष्ट्रपति पद का नामांकन स्वीकार किया. अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में डैमोक्रेटिक पार्टी की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कड़ी टक्कर है. इस दौरान उन्होंने ट्रम्प पर निशाना साधा और कहा कि वे वह धीर गम्भीर व्यक्ति नहीं हैं और उन का फिर से एक बार राष्ट्रपति बनने के परिणाम गंभीर होंगे.
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रास्ता नहीं आसान
कमला हैरिस के जबरदस्त भाषण ने बता दिया है कि रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रम्प का दोबारा राष्ट्रपति बनने का सपना इतना आसान नहीं होगा, जितना उन्होंने सोचा था, क्योंकि कमला हैरिस चुनावी दौड़ में अब उन से आगे निकल गई हैं. उन्होंने अपने भाषण में अमेरिका की नेतृत्व, सुरक्षा और महिलाओं के अधिकारों पर अधिक जोर दिया है. फलस्वरूप कमला हैरिस की ये रणनीति अमेरिका की जनता को काफी रास आ रही है जिस की वजह से ट्रम्प की दावेदारी कमजोर पड़ती हुई दिखाई पड़ रही है और वे ट्रम्प को छोड़ कर कमला हैरिस को अपना राष्ट्रपति बनाने में बेहतर महसूस कर रहे हैं.
जो बाइडेन के उम्मीदवारी वापस लेने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रम्प की जीत शक के दायरे में आ गई थी इसलिए अब वे घबरा कर कमला हैरिस के चरित्र को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो परवान नहीं चढ़ पा रही है. 18 अगस्त को हैरिस पर नस्लीय कमेंट करने के बाद 28 अगस्त को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफौर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हैरिस ने शारीरिक संबंधों का इस्तेमाल कर राजनीति में अपने कैरियर को आगे बढ़ाया है. दरअसल में अब से कोई 23 साल पहले कमला हैरिस सैन फ्रांसिस्को के पूर्व मेयर विली ब्राउन के साथ रिलेशनशिप में थीं तब ब्राउन कैलिफोर्निया स्टेट असैम्बली के स्पीकर थे. गौरतलब यह भी है कि ब्राउन उम्र में कमला हैरिस से 30 साल बड़े हैं.
हैरानी तो इस बात कि है कि खुद सैक्स स्कैंडल में फंस चुके ट्रम्प सच्चरित्रता का पाठ पढ़ा रहे हैं. इस बयान से साबित यह भी होता है कि औरत कहीं की भी हो किसी भी देश या धर्म की हो उसे बदनाम करने में मर्द कोई कसर नहीं छोड़ते. सभी धर्मों ने इस बात की इजाजत और सहूलियत उन्हें दे रखी हैं कि मर्द के पांव चरण होते हैं और औरत के पांवपांव ही होते हैं.
वैसे भी अमेरिकी चुनाव में लड़ाई इस बार खुले तौर पर पूरी तरह कट्टरवाद और उदारता के बीच है. 29 जुलाई को अपनी ट्रम्प चाल चलते ट्रम्प ने फ्लोरिडा में बहुत स्पष्ट कहा था कि अगर इसाई नवंबर में उन्हें वोट देंगे तो उन्हें दोबारा कभी वोट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस बयान की तुलना भारत से इन मानो में की जा सकती है कि अगर सभी हिंदू एकजुट हो कर भाजपा को वोट दें तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता.
इसी तर्ज पर अमेरिका को ईसाई राष्ट्र बनाने का वादा कर रहे ट्रम्प ने ईसाईयों से अपील की थी कि वे घरों से निकल कर वोट डालें. उन्होंने कहा, “इस के बाद अगले 4 साल में मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा. मैं खुद भी ईसाई हूं और सभी ईसाईयों से प्यार करता हूं.”
इतना कहना था कि सोशल मीडिया पर ट्रम्प का घिरना शुरू हो गया था. अधिकांश अमेरिकी यूजर्स की प्रतिक्रिया यह थी कि ट्रम्प खुद को तानाशाह घोषित कर देंगे और अमेरिका में फिर कभी राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं होने देंगे, यानी खुद इस पद पर आजीवन जबरिया काबिज रहेंगे जो कि अमेरिका के लिए बेहद खतरनाक बात होगी क्योंकि इस से वो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा जिस के चलते अमेरिका दुनिया का सिरमोर बना हुआ है. इस के पहले पिछले साल दिसम्बर में ट्रम्प ने अवैध प्रवासियों को एलियन कहते उन पर रोक लगाने की बात कही थी.
लेकिन इन दकियानूसी बातों का कोई निर्णायक असर पड़ता नहीं दिख रहा है, जाहिर है वहां के लोग भी लोकतंत्र चाहते हैं. हर देश में मुट्ठी भर लोग ही हैं जो लोकतंत्र विहीन यानी धर्म का शासन चाहते हैं. दूसरी तरफ कमला हैरिस सधे खिलाड़ी की तरह मुद्दों की बात करती नजर आ रही हैं. मसलन ग्रीन एनर्जी को बढ़ाबा, गन सेफ्टी रेगुलेशन का समर्थन, महंगाई पर काबू, एबौर्शन का समर्थन, पेड़ फैमिली लीव और सस्ते घर सहित वे एक ऐसी अर्थव्यवश्ता का नक्शा जनता के सामने पेश कर चुकी हैं जिस में सभी के लिए प्रतिस्पर्धा करने और आगे बढ़ने के मौके हों. हालांकि प्रवासी संकट पर वे अपनी राय बदलती रही हैं जो अमेरिका के अहम चुनावी मुद्दों में से एक हमेशा ही रहा है.
10 सितम्बर को फोक्स न्यूज द्वारा आयोजित हैरिस और ट्रम्प के बीच बहस यानी प्रेसिडेंसियल डिबेट होना है. उस में मुमकिन है हैरिस को इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय देनी पड़े. इस दिन तय है वे रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का पक्ष लेंगी.
वोटर्स की राय
विस्कोन्सिन की रहने वाली दिशा को आज कमला हैरिस पर भरोसा है और वह उन्हें ही वोट देना चाहती हैं, ट्रम्प को नहीं. हालांकि पहले वह इस बात से दुखी थीं कि उन के पास ट्रम्प को वोट देने के अलावा कोई औप्शन नहीं है, लेकिन अब वह खुश हैं कि कमला हैरिस ने अपनी दावेदारी एक लीडर के रूप में अच्छी तरह से पेश की है, जिस से अमेरिका में नस्लवादी और गन शूट की समस्या को काबू में किया जा सकेगा.
ओरेगन के रहने वाले और फूड ट्रक चलाने वाले जौन स्मिथ को भी कमला हैरिस पर काफी भरोसा है और उन्हें ही अपना राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते हैं. उन्हें ट्रम्प की बातों पर विश्वास नहीं होता है, क्योंकि वे कहते कुछ हैं, लेकिन करते कुछ और हैं.
प्रभावी विषयों पर जोर
असल में कमला हैरिस ने भाषण में अपनी ताकत और आत्मविश्वास का प्रदर्शन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए एक अभियोजक की तरह अपनी बात रखी, जो प्रभावी, संक्षिप्त और मध्यम वर्ग को ध्यान में रख कर बढ़ाया गया कदम था, जिन की संख्या अधिकतर सभी देशों में होती है और उन्हें उद्देश्य बनाते हुए कोई भी रणनीति सब से अधिक सफल होती है.
यहां हम आप को बता दें कि हैरिस डैमोक्रेट्स द्वारा सब से ऊंचे पद के लिए नामांकित होने वाली दूसरी महिला हैं. इस से पहले हिलेरी क्लिंटन वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार काफी समझदारी से हैरिस ने अपने महिला होने या फिर अपनी मूल विरासत को मुद्दा नहीं बनाया, बल्कि दोनों का उपयोग अमेरिका की संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए किया. यह क्लिंटन के नजरिये से अलग है. हिलेरी क्लिंटन जेंडर के मुद्दों में उलझ गई थीं, जिस से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा.
जेंडर का कोई काम नहीं
हैरिस ने कहा है कि उन्हें राष्ट्रपति बनने का अधिकार है और इस में जेंडर आड़े नहीं आना चाहिए. यही सोच उन के राष्ट्रपति बनने में अहम रणनीति साबित हो सकती है. इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाषण में अपनी मां श्यामला गोपालन को एक शानदार, 5 फुट लंबी, ब्राउन महिला के रूप में श्रद्धांजलि दी, जो मजबूत और साहसी थीं, जिस की वजह से आज वह यहां तक पहुंची हैं.
हैरिस ने अपनी मां की कहानी को संक्षेप में बताने के लिए पर्याप्त विवरण दिया, जिस में माइग्रेशन, भेदभाव, संकल्प और सफलता की कहानी छिपी थी, जिस से जनता का प्रेरित होना स्वाभाविक था.
मिली है बढ़त
हैरिस को इस सम्मेलन के बाद सर्वेक्षणों में उल्लेखनीय बढ़त मिली है. सिर्फ एक महीने में उन्होंने न केवल ट्रंप के साथ मुकाबला बराबर का कर लिया है बल्कि राष्ट्रीय और कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में थोड़ी बढ़त भी हासिल कर ली है. न्यूयौर्क टाइम्स ने बताया है कि कमला हैरिस को डैमोक्रेटिक मतदाताओं का 70 प्रतिशत संमर्थन प्राप्त है और करीब 46 प्रतिशत लोगों ने हैरिस को अपना लोकप्रिय उम्मीदवार बताया है. अब तक की चुनावी प्रक्रिया में इसे सब से बेहतर माना गया है. इतना ही नहीं हैरिस को गर्भपात संबंधी मामले में निपटने और लोगों की देखभाल करने में भी सब से अच्छा बताया गया है.
चिंतित है ट्रम्प
एक पोल ट्रैकर FiveThirtyEight ने दिखाया है कि हैरिस 47 प्रतिशत के साथ आगे है. जबकि ट्रंप 43.7 प्रतिशत पर हैं. हैरिस की लोकप्रियता की रेटिंग नीचे से चढ़ कर एक सम्मानजनक 45 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि ट्रंप की पहले के मुकाबले घट गई है. इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प भी अब अपनी रणनीति को ले कर असमंजस में हैं कि कमला हैरिस पर व्यक्तिगत हमले करें या नीतिगत मुद्दों ध्यान केंद्रित करें, जिस में उन्होंने वेटरों और सेवा कर्मचारियों द्वारा दिए जाने वाले टिप पर टैक्स को समाप्त करने की योजना पर बात की.
इतना ही नहीं ट्रम्प नेवादा में हिस्पैनिक और लैटिन मतदाताओं को लुभाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि पिछले राष्ट्रपति चुनावों में इन की भागीदारी उम्मीदवार को जिताने में अधिक रही है.
पहले ट्रम्प, कमल हैरिस की शक्ल, अश्वेत, बुद्धिमता आदि पर लगातार प्रहार करते रहे थे, लेकिन अब उन के सलाहकार आर्थिक एजेंडे को भुनाने का दबाव बना रहे हैं. सलाहकारों का मानना है कि कमला हैरिस पर व्यक्तिगत हमले करने से उदारवादी वोटर उन से दूर हो सकते हैं, जिस से उन की जीत में समस्या आ सकती है. इधर ट्रम्प भी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कमला हैरिस से मीडिया का ध्यान हटे, क्योंकि मीडिया की लगातार कवरेज उन्हें डरा रही है. लेकिन पूर्वाग्रहों के चलते वे कमला हैरिस पर व्यक्तिगत और चारित्रिक हमलों पर जोर दे रहे हैं जिन से उन के समर्थक ही सहमत नहीं.
इस प्रकार इस सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि एक हतोत्साहित पार्टी को प्रेरित किया जा सकता है. थके हुए में फिर से जोश भरा जा सकता है, अगर आप की राजनीतिक सोच और परिपक्वता देश के हित लिए हो.