महंगाई विगत सात- आठ सालों में बढ़ती ही चली जा रही है. जिस महंगाई को प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने फिल्म शोले के ठाकुर के अंदाज में पैरों से कुचल देने का अंदाज अख्तियार किया था, आज वहीं महंगाई भाजपा के लिए सर दर्द बनती जा रही है.

विगत दिनों जब स्मृति ईरानी से एक फ्लाइट में कांग्रेसी नेत्री ने महंगाई पर गैस सिलेंडर पर सवाल किए तो स्मृति ईरानी अपनी गरिमा भूल कर के क्रुद्ध हो गई और अपना मोबाइल निकाल कर के अपने कथन की रिकॉर्डिंग करने लगीं यह अपने बचाव का एक मनोवैज्ञानिक तरीका है.

हाल ही में बाबा रामदेव ( राम किशन यादव) से भी जब एक पत्रकार ने सवाल किया था तो गुस्सा हो गए थे और वह सब कह डाला था जो एक सन्यासी को शोभा नहीं देता.

दरअसल, हाथ से निकलती महंगाई के जिन्न के मसले पर भाजपा बहुत चिंतित है भाजपा के बड़े-बड़े नेता लाख कोशिश के बाद भी महंगाई को काबू में नहीं कर पा रहे हैं.

परिणाम स्वरूप यह ह्यूमर फैलाया जा रहा है कि महंगाई तो देश हित में है और हम तो चाहे पेट्रोल डीजल दो सौ लीटर हो जाए, लेने के लिए तैयार हैं.

हाल ही में देश की मशहूर व्यंग्य चित्रकार राजेंद्र का एक व्यंग चित्र सोशल मीडिया पर खूब देखा जा रहा है. इसमें बढ़ती महंगाई का धारदार हथियार गला काटने तत्पर है और आम आदमी कहता जा रहा है कि मोदी जी जिंदाबाद!

वस्तुतः महंगाई एक ऐसा हल्ला बोल नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार के खिलाफ बन गया है जो उसके लिए ना उगलते बन रहा है ना निगलते.

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