कोरोना की दूसरी लहर बेलगाम हो चुकी है. वायरस ने देश-दुनिया में तबाही मचा रखी है. हर घंटे दुनिया भर में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. भारत में बीते 24 घंटे में 2.60 लाख से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आ चुके हैं. देश के 12 राज्यों की स्थिति बेहद खराब है. महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य है. जहाँ प्रतिदिन कोरोना मामलों की संख्या साठ हज़ार से ऊपर हैं. दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां हर दिन 28 हजार से ऊपर नए मामले आ रहे हैं. दिल्ली में भी हर दिन 20 हज़ार से ज़्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. बिहार और मध्य प्रदेश की स्थिति बदतर है. कई राज्यों में साप्ताहिक और आंशिक लॉकडाउन लगा हुआ है. राजधानी दिल्ली में 20 अप्रैल से दस दिन का लॉकडाउन लगाया गया है. कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए सम्पूर्ण भारत एक बार फिर तालाबंदी की ओर बढ़ रहा है.

गौरतलब है कि बीते एक साल में भारत सरकार देश की चरमरा चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर पायी. महामारी से बचाव और राहत की चीज़ें तक मुहैया नहीं करा सकी. महामारी को लेकर पर्याप्त जागरूकता लोगों के बीच पैदा नहीं कर सकी.

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'कोरोना जल्दी नहीं जाएगा', 'हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी' जैसी तमाम गाथाएं अखबार, टीवी और सोशल मीडिया पर गाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना से देश के नागरिकों को बचाने के लिए पूरे एक साल तक क्या करते रहे? कितने नए अस्पताल बनाये? देश भर के अस्पतालों में खाली पड़े रिक्त स्थानों पर कितने डॉक्टरों की नियुक्तियां हुईं? कितना नर्सिंग और मेडिकल स्टाफ बढ़ाया गया? दवाएं, इंजेक्शन, सुरक्षा किट, ऑक्सीजन का कितना स्टॉक जमा हुआ इस मुसीबत से लड़ने के लिए? कितने वेंटिलेटर बेड देश के अस्पतालों को मुहैया करवाए गए? इन सवालों को पूरे साल ना किसी ने उठाया और ना सरकार ने अपनी तरफ से कुछ बताया.

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