दुनिया की “वैश्विक भूख सूचकांक” (जीएचआई) की नवीनतम रिपोर्ट आई है. इस में स्वाभाविक रूप से भारत को 127 देशों में 105 वां स्थान मिला है, जो देश को एक ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है. यह आंकड़ा देश के सामने खड़ी एक बड़ी चुनौती को उजागर कर रहा है. देश में कुपोषण की भीषण समस्या है अगर आप ग्रामीण अंचल की और मुख करें तो इसे महसूस कर सकते हैं.

दरअसल, यह देश के करोड़ों नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित कर रही है, यह हमारे देश के विकास और भविष्य के लिए भी एक संकट के बादल की तरह है.

दरअसल, आंकड़े बताते हैं देश में 13.7 फीसद जनसंख्या कुपोषित है, 35.5 फीसद बच्चे अविकसित हैं, और 2.9 फीसद बच्चे पैदाइश के 5 साल के अंदर मर जाते हैं. ये आंकड़े हमें बताते हैं कि सरकार नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में असफल है. ऐसे में कहां जा सकता है कि जो राजनीतिक खेल है वह हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता चला जा रहा है. इस का उदाहरण यह है कि हमारे बाद आजाद हुए देश हम से ज्यादा विकसित हैं.

हम अपने किसानों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. सब से पहले हमें अपने कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में भोजन प्रदान कर सकें. दूसरा, हमें अपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुधारने की आवश्यकता है, ताकि गरीब और वंचित वर्गों तक भोजन पहुंच सकें. तीसरा, हमें अपने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता है, ताकि हम कुपोषण और भूख से संबंधित बीमारियों का इलाज कर सकें.

आज नरेंद्र मोदी सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा. मोदी सरकार को नीतियों और कार्यक्रमों को इस तरह से बनाने की आवश्यकता है कि भूख और कुपोषण खत्म हो. इस के अलावा, हमें अपने समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. नागरिकों को यह समझाने की आवश्यकता है कि भूख और कुपोषण एक विकट समस्या है और इस का समाधान करने के लिए सभी को एकजुट हो कर के एक दिशा में काम करना होगा. समयबद्ध तरीके से काम करना होगा तभी हम कुपोषण और भूख से जीत सकते हैं.

हमारे देश की शिक्षा पद्धति की दुनिया भर में आलोचना होती है इस दिशा में सरकार उदासीन रहती आई है. हमें अपने शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने नौनिहालों को पोषण और स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित कर सकें. सरकार को महिलाओं को सशक्त बनाने की दरकार है, ताकि वे अपने परिवार के लिए बेहतर निर्णय ले सकें.

वैश्विक भूख सूचकांक की रिपोर्ट हमें यह याद दिलाती है कि हमारे देश के सामने खड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमें एक साथ जुटने की आवश्यकता है. सरकार को नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम करने की आवश्यकता है, ताकि हम एक समृद्ध और स्वस्थ समाज बना सकें.

भूख और कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए हमें अपने समाज में, लोकतांत्रिक व्यवस्था में बदलाव लाने की आवश्यकता है. हमें देश में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग इस समस्या के प्रति जागरूक हो सके और इस का समाधान करने में मदद कर सके.

सरकार को भी इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. सरकार को अपने नीतियों और कार्यक्रमों को इस तरह से बनाने की आवश्यकता है कि वे भूख और कुपोषण को खत्म करने में मदद करे. जनोन्मुखी बन जाए.

हमें अपने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बुनियादी काम करने की आवश्यकता है, इस में हम फिसड्डी साबित होते हैं. हम एक समृद्ध और स्वस्थ राष्ट्र बना सकें. इस के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है आज देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और ईमानदारी की कमी के कारण भूख और कुपोषण भयावह साबित हो रहे हैं.

राज्य सरकारों, सामाजिक संस्थाएं और कुपोषण

देश में भूख और कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो देश के विकास और भविष्य के लिए एक बड़ा चुनौती है जो एक ‘गंभीर’ श्रेणी में आती है. इस समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकारों और सामाजिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है.

कृषि विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं.

सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने से गरीब परिवारों को सस्ता अनाज मिल सकता है. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने से कुपोषण से संबंधित बीमारियों का इलाज हो सकता है.

शिक्षा प्रणाली में पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने से लोगों को जागरूक किया जा सकता है.

महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से परिवारों में पोषण के फैसले लेने में महिलाओं की भूमिका बढ़ सकती है.

जागरूकता अभियान चला कर लोगों को पोषण के महत्व के बारे में बताया जा सकता है. गरीब परिवारों को पोषण युक्त भोजन प्रदान करने के लिए भोजन बैंक स्थापित किए जा सकते हैं. सामुदायिक किचन की स्थापना से गरीबों को सस्ता और पोषण युक्त भोजन मिल सकता है. पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है, गरीब परिवारों के बच्चों को पोषण युक्त आहार प्रदान करने के लिए छात्रावास कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं.

भूख और कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकारों और सामाजिक संस्थाओं को मिल कर काम करने की आवश्यकता है. इन कदमों से हम भूख और कुपोषण की समस्या को कम कर सकते हैं और देश के विकास में योगदान कर सकते हैं.

दरअसल सरकार की दाएंबाएं देखने की फितरत के कारण इस बुनियादी समस्या की ओर न तो ध्यान दिया जा रहा है और न ही इसे खत्म करने का गंभीर प्रयास दिखाई देते हैं जिस की बड़ी आवश्यकता है.

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