यह आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया है कि अमेरिका द्वारा भारत सरकार के एक पूर्व अधिकारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय यात्रा के आसपास देश में सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगा दिया है.
संघीय अभियोजकों ने न्यूयार्क स्थित अमेरिक के न्यायालय में प्रस्तुत एक अभियोग में 18 अक्तूबर 2024 को दावा किया, विकास यादव उम्र 39 कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत थे, जहां भारत की विदेशी खुफिया सेवा ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रा) का मुख्यालय भी है.
अमेरिकी जांच एजंसी एफबीआई ने आश्चर्य जनक ढंग से विकास यादव को वांछित घोषित कर दिया है. और 10 अक्तूबर को विकास यादव की फोटो प्रसारित की है. सीधी सी बात है अमेरिका जिस तरीके से व्यवहार कर रहा है समय में अमेरिका बनाम भारत बने की दिशा में है.
इधर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, आरोपी अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.
इस के क्या मतलब निकलते हैं, यह आसानी से समझा जा सकता है, ऐसा लगता है कि भारत बचाव पक्ष की भूमिका में है.
अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने अपने अभियोग में कहा, विकास यादव फरार है. पहले अभियोग पत्र में यादव को ‘सीसी 1’.
(सह-साजिशकर्ता) के रूप में चिह्नित किया गया है. दूसरी तरफ इस कथित साजिश में शामिल सह आरोपी निखिल गुप्ता को गत वर्ष चेक गणराज्य से हिरासत में लिया गया था तथा प्रत्यर्पण के बाद वह अमेरिकी जेल में बंद है. अमेरिकी अटार्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड के मुताबिक, ‘आज के आरोप दर्शाते हैं कि न्याय विभाग अमेरिकियों को निशाना बनाने, उन्हें खतरे में डालने तथा किसी अमेरिकी नागरिक के अधिकारों को कमजोर करने के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा.’
एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा है, ‘आरोपी एक भारतीय सरकारी कर्मचारी है. उस ने एक आपराधिक सहयोगी के साथ मिल कर कथित तौर पर साजिश रची और अमेरिकी धरती पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या का प्रयास किया.’ अब अब सोचने वाली बात यह है कि अगर यह हालत आज दुनिया के सामने है तो भारत को अपना पक्ष बहुत ही मजबूती के साथ रखना चाहिए और यह बताना चाहिए कि सच क्या है और भारत सरकार कुछ भी छुपा नहीं रही है क्योंकि सब से बड़ी चुनौती है आप के विश्वसनीयता का.
हालांकि भारत सरकार ने अमेरिकी धरती पर किसी अमेरिकी नागरिक की हत्या की ऐसी किसी भी साजिश में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है. अमेरिका के आरोपों के बाद भारत सरकार ने मामले की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की थी. अमेरिका ने इस मामले में भारत के सहयोग पर संतोष जताया था. अदालत में दूसरा अभियोग पत्र इस मुद्दे पर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआइ), न्याय मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की एक इंटर एजेंसी टीम के साथ बैठक के लिए यहां भारतीय जांच समिति के आने के 48 घंटे के भीतर दायर किया गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मीडिया से कहा, “हम सहयोग से संतुष्ट हैं. यह एक सतत प्रक्रिया है. हम उन के साथ इस पर काम करना जारी रखेंगे. हम सहयोग की सराहना करते हैं और अपनी जांच के बारे में हमें जानकारी देते रहने की सराहना करते हैं. हम उन्हें अपनी जांच से अवगत कराते रहते हैं.’
मिलर ने कहा, “बैठक में हम ने जांच समिति के सदस्यों को अमेरिका द्वारा की जा रही जांच के बारे में बताया. हमें उन से उन के द्वारा की जा रही जांच के बारे में जानकारी मिली है. यह एक सार्थक बैठक थी.” उन्होंने कहा, “उन्होंने हमें बताया कि जिस व्यक्ति का नाम न्याय विभाग के अभियोग पत्र में है, अब वह भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.’
इधर जारी 18 पन्नों के अभियोग पत्र में यादव की सैन्य वर्दी में एक तस्वीर है. न्यूयार्क में एक कार में दो व्यक्तियों द्वारा डालर का आदानप्रदान करने की तस्वीर भी है, जिस के बारे में संघीय अभियोजकों कहना है कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति गुप्ता और यादव की ओर से न्यूयार्क में सिख अलगाववादी नेता की हत्या के लिए कथित हत्यारे को धनराशि दे रहा था.
तस्वीर 9 जून, 2023 की है. अभियोग पत्र में अमेरिकी नागरिक एवं सिख अलगाववादी का नाम नहीं लिखा गया है. न्याय मंत्रालय द्वारा अभियोग जारी किए जाने के बाद अलगाववादी गुट ‘सिख फौर जस्टिस’ के ‘जनरल काउंसल’ पन्नू ने एक बयान में कहा, “रा अधिकारी विकास यादव पर अमेरिकी सरकार ने ‘भाड़े पर हत्या’ की साजिश का आरोप लगा कर देश और विदेश में अमेरिकी नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के मौलिक संवैधानिक कर्तव्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है.”
अभियोग में आरोप लगाया गया है कि विकास यादव ने निखिल गुप्ता के साथ मिल कर 2023 की गर्मियों में सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साजिश रची थी. गुप्ता ने भाड़े पर एक व्यक्ति को इस हत्या को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा था. यह अज्ञात व्यक्ति एफबीआई का मुखबिर था, जिस ने इस काम के लिए 1,00,000 अमेरिकी डौलर मांगे थे और 9 जून, 2023 को अग्रिम भुगतान के रूप में उसे 15,000 अमेरिकी डौलर मिले थे.
यह कथित घटनाक्रम तब का है जब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी को 22 जून को ऐतिहासिक राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किया था. आरोप के मुताबिक, यादव ने गुप्ता और भाड़े पर लिए गए हत्यारे को राजकीय यात्रा से ठीक पहले या उस दौरान काम नहीं करने के लिए कहा था.
अभियोग के अनुसार, अमेरिकी सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश और उसी अवधि के दौरान कनाडा में एक अन्य सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की घटना के बीच संबंध है. संघीय अभियोजकों ने दोनों घटनाओं पर यादव, गुप्ता और कथित हत्यारे के बीच हुए संचार को साझा किया है.
संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया, ‘इस के कुछ मिनट बाद यादव ने गुप्ता को संदेश भेजा, जिस में निर्देश दिया गया ‘उन्हें भी अपने स्तर पर इस का सत्यापन करने दीजिए. अगर वे इस बात का कोई सबूत जुटा पाते हैं कि वह अंदर है. तो हमारी ओर से इस के लिए मंजूरी होगी.”
यह सब एक जासूसी उपन्यास या थ्रिलर सिनेमा जैसा घटनाक्रम है, मगर इस घटनाक्रम से भारत सरकार की विश्वसनीयता पर जो सवाल आने वाले समय पर खड़े होंगे उस के जवाब के लिए सरकार को अभी से तैयार होना पड़ेगा.