पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों भाजपा क्रिकेट की बोली में 5-0 से मैच की सीरीज हार गई. इसका सबसे बडा कारण हिन्दुत्व का प्रचार करना था. विरोधी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में कहीं भी हिन्दुत्व की बात नहीं की.

हिन्दुत्व का मतलब केवल पंडित्व है जो धर्म के नाम पर आम आदमी की जेब ढीली कराता है. एक तरफ भाजपा राहुल गांधी की जाति, धर्म, जनेऊ और गोत्र पर सवाल कर उनको घेरती रही. सबसे पहले गांधी को विधर्मी साबित करने का प्रयास किया गया. यह साबित करने का प्रयास किया गया कि राहुल गांधी फर्जी हिन्दू है.

राहुल गांधी ने जब अपने गोत्र का खुलासा कर बताया कि वह कौल गोत्र के कश्मीरी ब्राहमण हैं. इस पर भाजपा के लोगों ने यह कहना शुरू किया कि यह कौल गोत्र होता ही नहीं है. जाति ही नहीं परिवार के नाम पर भी राहुल गांधी की मां के नाम पर हमले किये गये. प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी को ‘कांग्रेस की विधवा कहा.

‘मोदी-शाह’ नागपुर के कहने पर देश में हिन्दू राज्य स्थापित करने में लगे हैं. जिसमें वर्ण व्यवस्था सबसे ऊपर है. यही वजह है कि हनुमान तक को दलित वनवासी और आदिवासी कहा गया. हिन्दू राज में राजाओं ने हमेशा ही जनहित के काम न करके पूजापाठ किया है. हिन्दू राजाओं के ऐसे कामों से पौराणिक कथायें भरी पडी हैं.

इन्ही में भोसलें, गायकवाड़ और सिंधिया वंश की कहानियां भी हैं जिनको हिन्दू राजा के नाम से जाना जाता था. हिन्दू राजाओं की तरह राज करने की प्रवृत्ति के चलते उनको सड़क, नहर, पानी और बिजली से मतलब नहीं है. यह सुविधाएं जनता अपने से जुटा लेती है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी तरह से सरकार चला रहे हैं. शासन से अधिक वह अपने पूजापाठ और शहरों के नाम बदलने के कारण याद किये जाते हैं.

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