‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ महात्मा गांधी की गैरमामूली किताब इस लिहाज से भी है कि इसमें उन्होंने वाकई खुद को उद्घाटित कर के रख दिया है. अपनी निजता सार्वजनिक करने पर गांधी कहीं हिचके या लड़खड़ाए नहीं हैं. यहां तक कि पत्नी के साथ अपने यौन व्यवहार, किशोरावस्था में छुपकर धूम्रपान और हस्तमैथुन के साथ साथ मांसाहार करने का जिक्र भी उन्होंने बिना किसी संकोच या पूर्वाग्रह के किया हैं. अपने बारे में इस स्तर तक सच बोलने का दुसाहस हर कोई नहीं कर सकता. लोग बहुत कुछ छिपा जाते हैं इस दोहरेपन से गांधी ने खुद को बचाए रखा शायद इसीलिए उन्हें महात्मा की उपाधि मिली और राष्ट्रपिता के खिताब से भी वें नवाजे गए.
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हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी अन्य की तुलना गांधी से करना उनका अनादर और अपमान करना ही है. लेकिन मोदी द्वारा फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को दिये गए चर्चित अंतरंग साक्षात्कार में कई ऐसी बातें और पहलू गायब थे, जिनके प्रति जिज्ञासा आम लोगों में है. इनमें से अहम बात ये है, नरेंद्र मोदी की संदिग्ध शैक्षणिक योग्यता और उनका अपनी पत्नी जसोदाबेन को बेवजह छोड़ देना जिसकी त्रासदी और मानसिक व सामाजिक यंत्रणा वें आज तक भुगत रहीं हैं.
इस प्रायोजित इंटरव्यू में मोदी खुद को महान ही बताते दिखे जो अहम की पराकाष्ठा ही कही जाएगी. इस देश और परिवेश में खुद को महान और अवतार बताने का पहला पुराना टोटका है कि अपने जीवन वृत को राम और कृष्ण की लीलाओं की तरह प्रस्तुत करो. मोदी के पास आम खाने पैसे नहीं होते थे तो वे आम तोड़कर खाते थे, जैसी बातें उनके प्रति तात्कालिक सहानुभूति तो उत्पन्न करती हैं. लेकिन उनके प्रति आदर या सम्मान का भाव पैदा नहीं करतीं क्योंकि आज भी यानि उनके राज में करोड़ों लोग भूख और अभावों से ग्रस्त और त्रस्त हैं. जिनके बाबत भव्य लान या वातानुकूलित ड्राइंग रूम में बैठकर बतियाने से वे डरते हैं. इनके प्रति उनकी संवेदना शुद्ध राजनैतिक है. जो वोट जुगाड़ने का जरिया मात्र है नहीं तो लाल बहादुर शास्त्री की सादगी और दो धोतियों में प्रधानमंत्रित्व काल गुजार देने का प्रसंग कभी उनके लिए आत्म प्रचार या ब्रांडिंग का हथियार या जरिया नहीं बना.