श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट ने एक ब्रिटिश महिला के साथ अत्याचार के मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए सरकार को उसे भारी मुआवजा देने का आदेश दिया है. इस विदेशी महिला को पुलिस ने बुद्ध का अपमान करने के आरोप में महज इसलिए गिरफ्तार कर लिया था कि उसने अपनी दाहिनी बांह के ऊपरी हिस्से पर बुद्ध का टैटू बनवा रखा था. कोर्ट ने इस महिला की गिरफ्तारी को उसकी स्वतंत्रता, समानता, अभिव्यक्ति की आजादी के साथ ही उसके मौलिक अधिकारों का हनन माना और उसकी प्रताड़ना के एवज में आठ लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.
मुआवजे के पांच लाख रुपये सरकार, जबकि 50-50 हजार रुपये पुलिस के दो अफसरों को देने होंगे. कोर्ट ने सरकार को दो लाख रुपये हर्जाने के रूप में भी देने का आदेश दिया. कोर्ट ने देश छोड़ने का आदेश जारी करने वाले मजिस्ट्रेट को भी अधिकारों का अतिक्रमण करने के लिए फटकार लगाई. सर्वोच्च अदालत का यह फैसला निश्चित तौर पर देश में कानून लागू करने वाले तंत्र के मुंह पर तमाचा है.
अदालत ने माना कि इस मामले में पुलिस और पूरी व्यवस्था ने किसी पश्चिम एशियाई देश की तरह ‘धार्मिक पुलिसिंग’ का काम किया. कोर्ट ने माना कि महिला कर्म से बौद्ध धर्मावलंबी है और नेपाल, थाईलैंड, कंबोडिया और भारत जैसे देशों के ध्यान शिविरों में शामिल होती रही है. कोर्ट इस बात से संतुष्ट थी कि किसी बौद्ध अनुयायी का अपनी बांह पर बुद्ध का टैटू बनवाना किसी भी तौर पर गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता. महिला का आरोप था कि पुलिस ने टैटू के लिए न सिर्फ उसे गिरफ्तार किया, बल्कि उसके साथ अभद्रता की और उससे घूस मांगी गई. एक विदेशी होने के बावजूद न्यूनतम नियमों का ख्याल नहीं रखा गया.
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