भले ही अंगूठा छाप हो लेकिन राज्यपाल खामखां राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों का चांसलर हुआ करता है. करने के नाम पर उसे सरकारी आदेश वाले कागजों पर दस्तखत भर करने होते हैं. कभीकभी वह वाइस चांसलरों को चायनाश्ते पर बुला लेता है. जनता के पैसे से ड्राईफ्रूट और स्वीट्स का भक्षण राजभवनों में होता है और इस संक्षिप्त समारोह का समापन तथाकथित बौद्धिक हंसीठट्ठे से हो जाता है.

इस रिवाज पर लगाम कसने में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री कामयाब होती दिख रही हैं जो यह कानून पास करवाने जा रही हैं कि राज्य सरकार की ओर से संचालित विश्वविद्यालयों की चांसलर मुख्यमंत्री यानी वे खुद होंगी. अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ न तो मनमानी कर पाएंगे और न ही सरकारी फाइलें अटका पाएंगे. भगवा मंसूबों पर लगातार पानी फेर रहीं ममता के इस कदम से भाजपा सकते में है कि ये तो पातपात साबित हो रही हैं जिन्होंने राज्य को भाजपामुक्त सा कर दिया है.

‘नकवी’ टू

संसद में भाजपा मुसलिममुक्त हो गई है. उस ने हालिया राज्यसभा चुनाव में अपने तीनों मुसलिम सदस्यों- मुख्तार अब्बास नकबी, मी टू वाले एम जे अकबर और जफर इसलाम को खुदाहाफिज कह दिया है. भाजपा अभी तक सिकंदर बख्त, आरिफ बेग और नजमा हेपतुल्ला से ले कर इन तीनों को शो पीस की तरह लटकाए हुए थी. अब उस ने यह जता दिया है कि आगे उसे मुसलिमों की जरूरत नहीं.

इस त्रिमूर्ति में सब से ज्यादा दुखी मुख्तार अब्बास नकवी हैं जिन्हें दोबारा लिए जाने की उम्मीद थी क्योंकि वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी हुआ करते थे. अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस यूज एंड थ्रो के पीछे भगवा गैंग की मंशा कांग्रेस निर्मित इस मंत्रालय को खत्म करने की है जिस से न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी. देश में मुसलिमों की दुर्दशा किसी सुबूत की मुहताज नहीं रह गई है. नकवी की विदाई इस बात का नया सुबूत है.

मोहंती का कटु अनुभव

इस बार बात किसी आम आदमी की नहीं, बल्कि बीजू जनता दल के सांसद और अभिनेता अनुभव मोहंती की है जिन की उम्र महज 40 साल है. उन की बेइंतहा खुबसूरत पत्नी वर्षा प्रियदर्शिनी उडि़या फिल्मों की जानीमानी ऐक्ट्रैस हैं. इन दोनों का विवाद कटक की एक अदालत में पहुंचा जहां अनुभव ने कई गंभीर आरोप वर्षा पर लगाए जिन में सब से दिलचस्प यह कि उन की कई कोशिशों के बाद भी उस ने उन्हें शादी के बाद से ही शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत नहीं दी.

ऐसी स्थिति में पति कितना बेचारा हो जाता है, यह तो अनुभव सरीखा कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है जो कुएं के पास प्यासा बैठा रह जाता है. पतिपत्नी में से किसी का भी पार्टनर को यौन सुख से वंचित रखना व्यक्तिगत अत्याचार और कानूनी व सामाजिक ज्यादती है जिसे ले कर लोगों की राय अलगअलग हो सकती है. अनुभव की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो वे इस समस्या को सार्वजनिक करने से हिचकिचाए नहीं.

योगीजी मुक्ति दो या नियुक्ति

योगी आदित्यनाथ बेचारे बुलडोजर कल्चर और पूजापाठ में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन के पास इतनी फुरसत ही नहीं रहती कि मुद्दत से मुक्ति या नियुक्ति की मांग कर रहे 6,800 दलित युवाओं को उन के पद पर नियुक्ति दिला पाएं. इन युवाओं का नाम चयनित शिक्षकों की लिस्ट में आ चुका है लेकिन ज्ञानवापी वगैरह में उलझे योगीजी के पास इन एकलव्यों की पीड़ा सुनने का वक्त नहीं कि उन्हें पोस्ंिटग क्यों नहीं दी जा रही.

सड़कों पर आ गए इन आक्रोशित दलित युवाओं का सरकार पर खुला आरोप है कि दलित होने के कारण उन के साथ भेदभाव किया जा रहा है. ये लोग नादान हैं जिन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि उन के सीएम देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम में जुटे हुए हैं, जब बन जाएगा तब देखा जाएगा कि किस को कहां ‘नियुक्त’ करना है.   -भारत भूषण श्रीवास्तव द्य

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