27 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इलाहाबाद में कुंभ मेले की तैयारी की समीक्षा करने और शहर के साधुओं से भेंट करने पहुंचे थे. एयरपोर्ट से लौटते वक्त अमित शाह के काफिले को तीन विद्यार्थियों ने रोका. नेहा यादव, रमा यादव और किशन मौर्य काफिले के सामने आ गए और पुलिस की गाड़ी के सामने काला झंडा लहराते हुए ‘अमित शाह वापस जाओ’ के नारे लगाने लगे. इस घटना के थोड़ी ही देर बाद सोशल मीडिया में जारी एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस छात्राओं को खींच कर हटा रही है और एक छात्रा को डंडे से मार रही है. इन विद्यार्थियों को गिरफ्तार कर लिया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. तीन दिन बाद इन सभी को जमानत मिल गई. तीनों विद्यार्थी समाजवादी पार्टी के छात्र संगठन से जुड़े हैं.

दिल्ली में द कैरेवन के स्टाफ राइटर सागर ने नेहा यादव से उनके विरोध प्रदर्शन पर बातचीत की और जानना चाहा कि विरोध के बाद उनको किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. नेहा के ऊपर राष्ट्र विरोधी नारे लगाने का आरोप है. 24 वर्षीय नेहा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आहार विज्ञान विषय में पीएचडी कर रही हैं. वह बताती हैं, ‘‘पुलिस चाहती थी कि वह हमें बुरी तरह से पीटे ताकि हम सरकार के खिलाफ बोलने से डर जाएं.’’ नेहा का दावा है कि, ‘‘हमें अमित शाह के कहने पर पीटा गया.”

सागरः हमें अपने बारे में बताएं?

नेहाः मेरा घर बरेली में है. मेरी मां उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव ऊंचा की प्रधान हैं. मेरे पिता आवकाश प्राप्त सरकारी कर्मचारी हैं. 2016 में मैंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से खाद्य एवं पोषण विज्ञान में ग्रैजुएशन किया और एक साल विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग में शोध फेलो रही हूं. मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पीएडी की प्रवेश परिक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था. 2017 से मैंने अपनी पीएचडी की पढ़ाई शुरू की है.

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