जबसे तुम बेवफ़ा हो गये
आदमी से ख़ुदा हो गये
तुम मिले दोस्त बन के मगर
दोस्ती की सज़ा हो गये
अब कभी आके मिलते नहीं
मुफ़लिसों की दुआ हो गये
इक ज़रा हाथ छूटा तेरा
रास्ते ही जुदा हो गये
नींद आंखों में आती नहीं
सारे सपने खफा हो गये
अब ये आंसू ये तन्हाइयां
मेरे ग़म की दवा हो गये
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और