भरपूर जिंदगी का भी कोई अनजान हिस्सा खाली खाली रहता है, कोरा कागज लफ्जों से भर भी जाए हाशिया खाली खाली रहता है.

हसरतें भी खूब निकली मेरी, मुराद भी कोई कहा रही अधूरी, ये तो बेईमान मन है कि फिर भी कोई कोना खाली खाली रहता है.

हर सफे पर आफसाने हजार, स्याही सा फैला संसार क्यों  फिर  जिंदगी की किताब का आखिरी पन्ना खाली खाली रहता है.

कोई पल में पार करे, कोई सफर सौ बार करे, जिसकी जैसी किस्मत जो डूबा ही नहीं बीच समंदर, दामन उस मांझी का खाली खाली रहता है.

चले आए दूर बहुत अब, राहे जिंदगी में कभी मिले खुशी भी,  निगाहें फेर कर तुमने बदली थी राहें, बस वो लम्हा खाली खाली रहता है.

अहसास ए मुहब्बत है तो,  जरूरी है इजहार भी और इकरार भी ए मरूधर, दरिया भीतर बहता है पर तेरा चेहरा खाली खाली रहता है…

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