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कम हाइट की लड़कियों को दिखना है अट्रैक्टिव तो कभी न करें ये गलतियां

आज फैशन के इस दौर में कोई भी खुद को पीछे नहीं रखना चाहता,हर किसी कि तमन्ना होती है कि हम हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बने. लेकिन कभी कभी हम अट्रैक्टिव दिखने के लिए अपनी हाइट से मात खा जाते हैं और खुद के लिए हमारे मन में ग्लानि महसूस होने लगती है. लेकिन ऐसा मानना गलत है क्योंकि यदि आप अपने ड्रेसिंग के तरीकों पर ध्यान दे तो खुद को स्टाइलिश लुक के साथ अट्रैक्टिव बना सकती हैं. अगर आपकी हाइट कम है और आप लंबी दिखने की ख्वाहिश रखती हैं तो सिर्फ हिल्स के इंच बढ़ाने पर फोकस न करें बल्कि अपने कपड़ों का चयन करते समय इन गलतियों को करने से बचे जिससे की आपकी हाइट बढ़ी हुई नजर आए.

लोवर जींस को करें न –यदि आप जींस पहनने की शौकीन हैं तो ध्यान रखें की लोवर वेस्ट जीन्स पहनने से आपके पैरों की लम्बाई कम लगती है इसलिए हाई वेस्ट, लाॅन्ग लेग्ड जींस, स्ट्रेट जींस और स्किनी जींस पहनने का ऑप्शन आपके लिए बेस्ट है.हॉरीजौन्टल स्ट्रीप ड्रेस से बनाएं दुरी – हॉरीजौन्टल स्ट्रिप की ड्रेस पहनने से आप मोटी व छोटी लग सकती हैं इसलिए वर्टिकल स्ट्रिप की ड्रेस पहने।लॉन्ग ड्रेस , कुर्ती या शर्ट के चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें.

स्लीव्स पर दे ध्यान – पफ या छोटी स्लीव्स पहनने से परहेज करें क्योंकि ऐसी स्लीव्स से उनके हाथों की लम्बाई कम लगती है जिस कारण उनकी हाइट और भी कम लगती है.इसलिए फुल या हाफ स्लीव्स आपके लिए बेहतर हैं. एथेनिक ड्रेस में स्लीव्स पर खास ध्यान दें.एथनिक वियर पहनने में न झिझकें – छोटे कद की लड़कियों पर वेस्टर्न ड्रेस खूब फबती हैं लेकिन एथनिक वियर में छोटे कद वाली लड़कियों की हाइट और भी कम लगने लगती है.

इसलिए अगर आप साड़ी पहनना चाहती हैं तो शिफॉन, जॉर्जेट सिल्क, कांजीवरम या कॉटन की बाॅर्डर और छोटे प्रिंट्स की साड़ी आपके लिए बेस्ट है। कपड़ों के रंग की बात करें तो डार्क कलर आपको परफेक्ट टाल लुक देंगें.पटियाला या फूली हुई सलवार पहनने से बचे क्योंकि इनमे हाइट और भी ज्यादा कम लगती है.इसलिए लुक को परफेक्ट बनाने के लिए चूड़ीदार सलवार, पेंसिल ट्राउजर और पैंट्स पहन सकती हैं.
वेस्टर्न वियर –अगर मैक्सी ड्रेस पहनना चाहती हैं तो ऐसी ड्रेस का चयन करें जो नीचे से अधिक घेरदार न हो क्योंकि मैक्सी ड्रेस में हाइट कम लगती है। साथ ही ज्यादा शार्ट ड्रेस भी आपकी हाइट को कम दर्शाती है .

फुटवियर – यदि आप एंकिल तक की पट्टियों वाले फुटवियर पसंद करती है तो फ्लैट फुटवियर बिल्कुल नहीं पहने क्योंकि उनसे हाइट बहुत कम लगती है इसलिए हील जरुर लें, साथ ही कोशिश करें कि ड्रेस से मैचिंग या ब्लैक ,ब्राउन फुटवियर पहने.

Holi Special: सोने का पिंजरा-भाग 4

दीपेश का बारबार यह जताना कि जितना वह कमाती है उतना तो वह अपने ड्राइवर को तनख्वाह देता है, इतने पैसे वाले घर में शादी कर के कहीं न कहीं वह अपनेआप को इन सब से कमतर समझने लगी थी. उस के कानों में दीपेश की बातें गूंजतीं कि जितनी उस की एक महीने की सैलरी है, उस से ज्यादा तो उस के घर के नौकर और ड्राइवर तनख्वाह पाते हैं. उस की अल्टो गाड़ी की यहां कोई पूछ नहीं थी क्योंकि यहां तो लाखों-करोड़ों रुपयों की गाड़ियों की लाइन लगी थी.

शादी के पहले दीप्ति खुद अपनी अल्टो ड्राइव कर औफिस जाती थी. लेकिन यहां तो एक आवाज में ड्राइवर नजरें नीचे किए हाजिर हो जाता था. तीजत्योहार पर जब उस के मायके से तोहफे आते तो, यह कह कर उस तोहफे को एकतरफ रख दिया जाता कि बाद में देख लेंगे. लेकिन पता था दीप्ति को कि उस के मायके से आए तोहफों को घर के नौकरों में बांट दिया जाएगा.

पति दीपेश चाहता था कि दीप्ति अपना जौब छोड़ दे. उस का कहना था कि उसे जौब करने की जरूरत ही क्या है, अब? कौन सा उस के न कमाने से घर में भुखमरी छा जाएगी. लेकिन दीप्ति का कहना था कि उस ने इसलिए इतनी पढ़ाई नहीं की कि घर संभाले और सब का ध्यान रखे. इसी बात पर आएदिन दोनों के बीच लड़ाइयां होने लगी थीं.

सास से जब वह इस बात की शिकायत करती तो सास भी उसे ही समझाती हुई कहतीं कि दीपेश सही ही कह रहा है. इतने बड़े अधिकारी की बीवी और इतने बड़े नेता की बहू, कोई छोटीमोटी नौकरी करे शोभा देता है क्या? और घर में कौन सी पैसों की कमी है जो उस का नौकरी करना जरूरी है. छोड़ दे न, आराम से ज़िंदगी जी. जब दीप्ति ने यह बात अपने मां, भाई से बताई तो उन्होंने भी उसे यही सलाह दी कि सही तो कह रहे हैं वे लोग. यहां कोई भी उसे नहीं समझ पा रहा था.

“हां, माना कि मुझे बहुत पैसे वाला पति और ससुराल चाहिए था. कहा था मैं ने एक रोज तुम से कि कितना अच्छा होता अगर मेरा पति कमाता और मैं मजे करती. लेकिन इस का यह मतलब नहीं था कि मैं अपनी जौब छोड़ कर घर में बैठ जाऊंगी. नहीं कनक, मैं यों अपनी आजादी को घर की चारदीवारी में कैद नहीं कर सकती, समझ न तू,” अपनी दोस्त का हाथ पकड़ कर दीप्ति सिसक पड़ी कि उस की सोच कितनी गलत थी और आज उसे आयुषी का दर्द समझ में आ रहा है.

“मैं तो कहती हूं, तू दीपेश को समझा कि तू यह जौब पैसे के लिए नहीं कर रही है. जरूर समझेगा वह तुम्हारी बात,” कनक ने उसे समझाया.

लेकिन दीप्ति कहने लगी, “नहीं, तू नहीं समझ रही है, कनक. मेरा जौब करना उन्हें अपनी इज्जत और रुतबे पर गाली नजर आता है कि इतने बड़े घर की बहू एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करेगी, क्या कहेंगे लोग. तो क्या लोगों के लिए मैं अपनी आजादी को कैद कर दूं, चूल्हे में झोंक दूं अपनी सारी डिग्रियां, बोल?”

दीप्ति की सास अब उस पर मां बनने का दबाव डालने लगी थी. लेकिन वह उसे कैसे समझाए कि जब पति पत्नी के बीच कोई रिश्ता ही नहीं बन रहा है, तो मां बनने का सवाल कहां पैदा होता है. हनीमून से लौटने के बाद शायद ही दोनों के बीच शारीरिक संबंध बना होगा. और अब तो वह भी नहीं.

एक रोज दीपेश के औफिस के बैग में उसे कुछ ऐसा मिला कि वह दंग रह गई. “बर्थ कंट्रोल पिल, दीपेश के बैग में? लेकिन यह दवाई तो मैं नहीं खाती, फिर किस के लिए है यह?’ दीप्ति का माथा घूम गया. तभी दीपेश का फोन घनघना उठा. वह बाथरूम में था, इसलिए दीप्ति ने उस का फोन उठा लिया और अभी वह हैलो, बोलती ही कि सामने से किसी महिला का स्वर सुन कर वह चौंक गई.

“हैलो, दिपु, मैं निलिशा. सुनो, लगता है बर्थ कंट्रोल पिल तुम्हारे ही बैग में रह गई, शायद. प्लीज लेते आना, वरना आज रात तुम्हें भूखे ही सोना पड़ेगा,” बोल कर वह महिला जिस तरह से हंसी, दीप्ति को सारा माजरा समझ में आ गया. अपना फोन दीप्ति के हाथ में देख कर दीपेश ने झट से उस के हाथ से फोन छीन लिया और झिड़क कर बोला कि उस की हिम्मत भी कैसे हुई उस का फोन उठाने की.

“मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हारा फोन उठाने की. लेकिन एक बात सचसच बताओ, तुम्हारे बैग में यह बर्थ कंट्रोल पिल क्या कर रही है?” दीप्ति की बात पर दीपेश का चेहरा स्याह हो गया. “और यह निलिशा कौन है? क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच, बताओगे मुझे?”

“क्यों बताऊं? होती कौन हो तुम मेरी पर्सनल लाइफ में दखल देने वाली? मैं ने कहा था न तुम से, मुझ से ज्यादा सवालजवाब मत किया करो, अपने काम से काम रखा करो. तो क्यों नहीं समझतीं तुम यह बात?”

“पर्सनल लाइफ! तो क्या मेरा तुम्हारी ज़िंदगी पर कोई अधिकार नहीं है?” दीप्ति ने तमतमाते हुए कहा.

“ज्यादा गरमाने की जरूरत नहीं, समझीं. और वैसे भी, तुम्हें ज़िंदगी में जो कुछ चाहिए था, मिल गया न? तो चुप रहो,” शर्ट का बटन लगाते हुए दीपेश बोला.

लेकिन आज दीप्ति को अपने सावल का जवाब चाहिए था और वह ले कर रहेगी, सोच लिया उस ने. क्योंकि, इस से पहले भी उसे कई ऐसे सुबूत मिले थे दीपेश के खिलाफ, पर उसे लगा था कि सब उस की खुशियों से जलते हैं, इसलिए उसे भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. पर वे सब सही थे. उस के औफिस के ही एक दोस्त ने दीप्ति को बताया था कि दीपेश का अपने ही औफिस की एक महिला के साथ सालों से नाजायज संबंध हैं. उस महिला का अपने पति के स्थान पर जौब मिला है और इस के लिए दीपेश ने ही भागदौड़ की थी. यह बात उस की पहली पत्नी भी जानती थी, इसलिए दोनों के बीच झगड़े होते रहते थे. वह तो उसे पुलिस में ले जाने की भी धमकी देती थी. दीपेश के मांबाप को भी पता है दोनों के नाजायज संबंध के बारे में. इसलिए उन्होंने दीपेश को उस से शादी करने से रोक दिया ताकि राजनीति में उन की छवि न खराब न हो.

“ठीक है, तो सुनो, मैं निलिशा से प्यार करता हूं और उस से ही शादी करना चाहता था. लेकिन मेरे परिवार वाले ऐसा नहीं चाहते थे क्योंकि वह दूसरे धर्म से है. अगर मैं उस से शादी कर लेता तो मेरे पापा की रजीनीति में छवि खराब हो जाती. इस बार वे एमएलए के लिए खड़े हो रहे हैं. उन्हें जनता का पूरा सपोर्ट चाहिए. इसलिए तुम अपना मुंह बंद ही रखना, वरना मुझ से बुरा कोई न होगा,” दीप्ति को धमकाते हुए दीपेश बोला, “मेरी पहली पत्नी को भी मेरे बारे में सबकुछ पता चल गया था, इसलिए…”

 

“इसलिए तुम ने उस का ऐक्सिडैंट करवा दिया ताकि तुम्हारा राज राज रहे?” उस की बात को बीच में ही काटती हुई दीप्ति चिल्ला पड़ी.

“ज्यादा चिल्लाओ मत, समझीं,” दीपेश भी उसी रफ्तार से गरजा, “तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारी सुंदरता पर रीझ कर मैं ने तुम से शादी की. या तुम्हारी वह दो पैसे की नौकरी से मेरा पेट पलता, इसलिए मैं ने शादी के लिए हामी भरी? नहीं, बल्कि, समाज को दिखाने के लिए मुझे तुम से शादी करनी पड़ी.”

दीपेश की बात पर उसे भरोसा नहीं हुआ और जब वह यही बात अपनी सास को बताने गई तो उन के कमरे के बाहर ही दीप्ति के पांव ठिठक कर रुक गए. ससुर कह रहे थे कि कैसे भी कर के दीप्ति का नौकरी करना बंद करवाना पड़ेगा, क्योंकि इस से उन की राजनीति पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. उस पर सास बोली कि बस, कैसे भी कर के दीप्ति मां बन जाए, फिर खुदबखुद उस के पांवों में बेड़ियां लग जाएंगी और उस के सिर से नौकरी का भूत उतर जाएगा. लेकिन यह बात दीपेश को कैसे समझाएं. वह उस निलिशा के फेर में ऐसा पड़ा है कि कुछ सुनता ही नहीं है. कहता है, बहू चाहिए थी न आप को? अब बच्चे की जिद मत करो मुझ से.

“ओहो, तो इन लोगों को भी पता है अपने बेटे के बारे में?” दीप्ति का तो माथा ही घूम गया कि की कहां फंस गई वह. ऐशोआराम की ज़िंदगी जीने के लालच में वह सोने के पिंजरे में बंद हो कर रह जाएगी, नहीं सोचा था उस ने. रिजाइन लैटर तो नहीं दिया दीप्ति ने लेकिन इन लोगों के दबाव में आ कर कह दिया कि उस ने जौब छोड़ दी. लेकिन अब उस का इस महल जैसे घर में दम घुटने सा लगा था. छटपटा रही थी वह इस सोने के पिंजरे से बाहर निकलने के लिए. लेकिन कैसे, यह समझ नहीं आ रहा था उसे. मां, भाई भी उस का साथ नहीं दे रहे थे कि क्यों अच्छीख़ासी चल रही अपनी ज़िंदगी को वह तबाह करना चाहती है? यह सब बात जब उस ने कनक को बताई तो वह सिर थाम कर बैठ गई कि इतनी पढ़ीलिखी, स्मार्ट दीप्ति कैसे इन धोखेबाजों के चंगुल में फंस गई!

“अब मैं क्या करूं, कनक, समझ में नहीं आ रहा है मुझे. दीपेश है कि उस का किसी और औरत से संबंध है. वह मेरी तरफ देखता भी नहीं है. और मेरी सास चाहती है कि मैं उसे रिझाऊं. दीपेश के कदमों में बिच्छ जाऊं ताकि उन्हें अपने घर के लिए एक वारिस मिल सके. क्या मेरी अपनी कोई इज्जत नहीं है? क्या इतनी गईगुजरी हूं मैं, बोल?” अपने सिर पर हाथ मारती हुई दीप्ति सिसक पड़ी, फिर बोली, “नहीं पता था मुझे कि मेरी अच्छीख़ासी ज़िंदगी ‘हेल’ हो जाएगी. मुझे तो लगा था दीपेश बहुत ही सुलझा हुआ इंसान है, वह मुझे बहुत प्यार देगा और उस के साथ मेरी ज़िंदगी आराम से गुजर जाएगी. लेकिन मैं गलत थी, कनक. मैं गलत थी. शादी से पहले उस ने मेरी हर बात पर हां कहा था. लेकिन सिर्फ अपने मतलब के लिए. राजनीति में अच्छी छवि बनाए रखने के लिए उन लोगों ने मुझे मोहरा बनाया. वे चाहते हैं शो पीस में रखी गुड़िया की तरह मैं, बस, मौन रहूं.”

“चाहते हैं जैसा वे लोग कहें, मैं वही करूं. लेकिन मैं मोम की गुड़िया नहीं हूं कि जैसे चाहे, मोड़ दें और मैं उफ़्फ़ भी न करूं. नहीं चाहिए मुझे पैसा, ऐशोआराम, नौकरचाकर और करोड़ों की गाडियां. मुझे मेरी पहली वाली ज़िंदगी वापस चाहिए, कनक. प्लीज, कुछ कर,” कनक के कंधे पर सिर रख दीप्ति फूटफूट कर रोने लगी.

“रोने से कुछ नहीं होगा, समझीं. अगर तुझे लगता है, तू दीपेश के साथ खुश नहीं है तो तलाक क्यों नहीं ले लेती उस से?” कनक बोली.

“वही तो, वह मुझे तलाक भी नहीं देना चाहता और अगर वह देना भी चाहे तो उस के परिवार वाले उसे ऐसा करने नहीं देंगे. जानती है क्यों, क्योंकि चुनाव जो सिर पर हैं.”

उस की इस बात पर कनक कुछ देर चुप रही, फिर बोली, “तो यही तो समय है. अभी वे लोग अपनी इज्जत बचाने के लिए कुछ भी करेंगे. नहीं समझीं? अरे, तेरे ससुर एमएलए के चुनाव के लिए खड़े हो रहे हैं न? तो तू कह कि अगर दीपेश ने तुम्हें तलाक नहीं दिया तो तुम उन की सारी काली करतूतें जनता के सामने खोल कर रख दोगी. उन के किसी भी झूठे आश्वासन में फिर मत आना. उन की धमकी से भी मत डरना. अपनी बात पर अडिग रहना. वैसे, तू कहे तो एक अच्छे वकील का नंबर दे सकती हूं तुम्हें. उन से बात कर ले.”

कनक की बातों से दीप्ति को बहुत बल मिला और हिम्मत भी कि वह उन से नहीं डरेगी, अब.

दीप्ति ने जब दीपेश और उस के परिवार के सामने अपनी बात रखी और कहा कि वे लोग अगर उसे एक खरोंच भी पहुंचाने की कोशिश करेंगे, तो उन के लिए अच्छा नहीं होगा. उन की भलाई इसी में हैं कि दीपेश उसे तलाक दे दे. वकील के सामने तय हुआ कि दीपेश दीप्ति को तलाक दे देगा, लेकिन चुनाव के बाद.

दीप्ति अब उस सोने के पिंजरे से आजाद हो चुकी थी. वह पहले की तरह अपनी ज़िंदगी में वापस आ चुकी थी. औफिस से निकलते हुए जब उस की नजर जिगर से टकराई तो उस ने अपनी नजर दूसरी तरह फेर ली. “जिगर, क्या मैं तुम्हारे बाइक के पीछे बैठ सकती हूं, घर छोड़ दोगे मुझे?” यह बोल कर दीप्ति मुसकराई.

जिगर ने आशाभरी नजरों से उसे देखा और फिर बाइक स्टार्ट कर मुसकरा पड़ा.

Holi Special: सोने का पिंजरा- भाग 1

“अरे, दीप्ति, तू यहां?” मार्केट में अपनी दोस्त को देख कनक चहक उठी. फिर शिकायती लहजे में बोली, “रहती कहां हो आजकल, मैडम? कुछ फोनवोन भी नहीं. लगता है बहुत बिजी हो गई हो?”

“नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं. बस, टाइम ही नहीं मिलता. अच्छा वह सब छोड़, यह बता, आंटी, अंकल और चिंटू, सब कैसे हैं?”

“सब टनाटन,” कनक हंसी और हाथ के इशारे से बोली कि चल उस कौफी शौप में बैठ कर आराम से बातें करते हैं. 2 कप कौफी और्डर कर कनक दीप्ति की तरफ देखते हुए बोली, “काफी स्ट्रैस लग रही है. क्या हुआ, सब ठीक है?”

“कुछ नहीं, यार. थक गई हूं ज़िंदगी से. लगता है ये जौबवौब छोड़छाड़ कर आराम से घर बैठ जाऊं. तू ही बता, अब संडे को भी औफिस जाना पड़े, तो चिढ़ तो होगी ही न. आज बड़ी मुश्किल से छुट्टी मिली तो घर का सामान लेने निकली हूं. सच कहूं, तो प्राइवेट जौब वालों की और भी दिक्कत है. निचोड़ कर काम लेते हैं और छुट्टी भी नहीं देते,” सिर पर बल देती हुई दीप्ति बोली.

“सो तो है,” कौफी का घूंट भरती हुई कनक बोली, “वैसे, क्या सरकारी और क्या प्राइवेट जौब, सब जगह यही हाल है, यार. मुझे ही देख न, सुबह 10 बजे की निकली, शाम को 7-8 बजे घर पहुंचती हूं, यानी कि 9 से 10 घंटे की ड्यूटी. थक कर ऐसी चूर हो जाती हूं कि घर पहुंच कर कुछ काम करने का मन ही नहीं होता. एक संडे की छुट्टी मिलती है तो थोड़ा आराम मिल जाता है. लेकिन उस में भी क्या आराम…चिप्स के पैकेट की तरह आधा संडे तो हवा की तरह वैसे ही निकल जाता है और बाकी बचा आधा दिन घर के पैंडिंग कामों में निकल जाता है,” अपना दुखड़ा सुनाती कनक बोली.

“सही कह रही है तू,” कनक की बात पर मुहर लगाती दीप्ति बोली, “मैं भी औफिस से आतेआते इतनी थक जाती हूं कि फिर कोई काम करने का मन ही नहीं होता. वैसे, तुझे कम से कम घर का पकापकाया खाना तो मिल जाता है. मेरा तो वह भी नहीं. जानती तो है, मम्मीपापा बड़े भैया के पास हैदराबाद गए हुए हैं, भाभी मां जो बनने वाली हैं.” यह सुन कर कनक कहने लगी कि क्यों न हमतुम कुछ दिनों की छुट्टी ले कर कहीं घूमने चलें.

“छुट्टी! पागल है क्या?” दीप्ति ने आंखें चमकाईं, “वो बुड्ढा, खूसट मेरा बौस, छुट्टी मांगने पर ऐसा सड़ा सा मुंह बना लेता है जैसे मैं ने उस की जायदाद मांग ली हो. कुछ सुनता ही नहीं है. बस, अपनी ही हांकता है. ये करो वो करो, आज ये काम पूरा होना ही चाहिए वगैरहवगैरह.”

दीप्ति की बात पर कनक जोर से हंस पड़ी.

“वैसे, सच कहूं, कहीं घूमने जाने का मन तो मेरा भी हो रहा है. लेकिन छुट्टी की ही समस्या है.”

“अच्छा, उदास मत हो,” कनक ने उस का कंधा थपथापाते हुए कहा, “हम दोनों सखी लंबी छुट्टी ले कर सोलो ट्रिप पर लद्दाख घूमने चलेंगे.”

“वह तो ठीक है, यार. लेकिन सोचती हूं इस नौकरी के चक्कर में मैं ने क्याकुछ खो दिया.”

“मतलब,” कनक चौंक कर बोली.

“मतलब यह कि मांपापा की बात मान कर अगर मैं ने शादी कर ली होती, तो शायद ज्यादा अच्छा होता. पति कमाता और मैं आराम से मजे करती,” दीप्ति की बात पर कनक की हंसी छूट गई. “हंस क्यों रही है, क्या गलत कहा मैं ने?”

“नहीं, हंस इसलिए रही हूं कि कौन सा तू बुड्ढी हो गई है, या तेरी शादी की उम्र निकल गई जो ऐसी बातें कर रही है. 27-28 की तो है, कर ले शादी और ऐश कर पति की कमाई पर.” कनक को आश्चर्य भी हुआ कि जो दीप्ति हमेशा आत्मनिर्भर होने का ढोल पीटती थी और जिस ने नौकरी को हमेशा अपनी ज़िंदगी में पहला स्थान दिया, आज वही ऐसी बातें कर रही है.

मां के जानें के बाद फूट फूटकर रोई राखी सावंत, कहा किसे कहूंगी मन की बात

राखी सावंत इन दिनों टूट चुकी हैं, मां की मौत के बाद से राखी हर वक्त रोती हुई नजर आ रही हैं, राखी सावंत कि मां लंबे समय से बीमार थी. वह पिछले कई दिनों से अस्पताल में इलाज चल रहा था. जिसका खर्चा मुकेश अंबानी उठा रहे थें.

राखी सावंत की मां जया ने 28 जनवरी की रात को अंतिम सांस ली.मां की मौत से राखी को गहरा सदमा लगा है. वह अपनी मां की मौत का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कि हैं. राखी अपनी मां के पास बैठकर सिसक सिसककर रो रही है.

 

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वह ईश्वर से अपनी मां के पास बैठकर प्रार्थना कर रही हैं, राखी का कहना है कि तमाम दुआओं के बावदूज भी भगवान ने उनकी मां को छीन लिया .

राखी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि आज मेरी मां का हाथ सर से उठ गया है, और मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. आज का दिन मेरे जिंदगी का सबसे बेकार दिन है. अब मेरी पुकार कौन सुनेगा कौन मुझे गले लगाएगा.  अब मैं क्या करूं मां कहां जाऊं.

राखी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, लोग राखी सावंत को सांत्वना दे रहे हैं. राखी अपनी मां के शव को लेकर जाते हुए काफी फूटफूटकर रो रही हैं. राखी हिमम्त से हौसला रखने की बात कह रहे हैं फैंस.

कॉमेडी किंग कपिल शर्मा इस फिल्म में आएंगे नजर, फैंस कर रहे इंतजार

कपिल शर्मा इन दिनों लगातार छाएं हुए  है, खबर है कि कपिल जल्द ही एक फिल्म में नजर आने वाले हैं.  वह जल्द ही डॉयरेक्टर राज शॉडिल्य की फिल्म में नजर आएंगे. यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा  कि कपिल शर्मा की पांचों अंगुलियां घी में हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कपिल कि इस फिल्म को भूषण कुमार प्रॉड्यूस करेंगे, फिल्म की शूटिंग हो चुकी है लेकिन अभी फिल्म को भारत में नहीं दिखाया गया है, लेकिन कपिल को पसंद करने वाले लोग अभी से उनकी एक्टिंग की तारीफ करते नजर आ रहे हैं.

 

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कपिल कि इस फिल्म को नंदिता दास ने डॉयरेक्ट किया है, ऐसे में राज शॉडिल्य चाहते हैं कि वह एक नई स्टोरी दर्शकों के सामने लेकर आएं, वह कपिल शर्मा के साथ कॉमेडि सर्कस में भी काम कर चुके हैं, कपिल के फैंस इस खुश खबरी से काफी ज्यादा खुश हो रहे हैं. कपिल अपने टीम के साथ लगातार मेहनत करते नजर आ रहे हैं.

कपिल शर्मा अपनी आने वाली इस फिल्म को लेकर काफी ज्यादा उत्साहित भी हैं, उन्हें इंतजार है कि यह फिल्म कब भारत में आएगी. कपिल शर्मा इसके अलावा अपने कॉमेडि शो पर भी लगातार काम करते नजर आ रहे हैं.

जैसे ही कपिल को टाइम मिलता है वह अपनी फैमली के साथ क्लालिटी टाइम स्पेंड करना नहीं भूलते हैं.

मेरी उम्र 29 साल है, मेरी एक महीने की बेटी है मेरा पीरियड्स जल्दी आ गया, मैं क्या करूं ऐसे में?

सवाल 

मेरी उम्र 29 साल है. मेरी एक माह की बच्ची है. मैं उसे स्तनपान कराती हूं. मैं बच्ची को नियमित रूप से स्तनपान करा रही हूं, फिर भी मेरे पीरियड्स शुरू हो गए हैं, ऐसा क्यों?

जवाब

शिशु के जन्म के बाद आप के पीरिड्स दोबारा कब शुरू होंगे और कब से ओब्यूलेट करना शुरू करेंगे, इस का कोई तय समय नहीं होता. यह हर महिला के लिए अलगअलग होता है. इस के अलावा यह आप के शरीर में मौजूद प्रोजेस्टेरौन हार्मोन के स्तर पर भी निर्भर करता है. अगर आप के शरीर में प्रोजेस्टेरौन का स्तर कम है तो आप की माहवारी जल्दी शुरू होगी. जबकि प्रोजेस्टेरौन के उच्च स्तर वाली मांओं में पीरिड्स दोबारा शुरू होने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए यह संभव है कि दिनरात स्तनपान करवाने के बावजूद आप जननक्षम हो जाएं और पीरिड्स फिर से शुरू हो जाएं.

मीडिया: न्यूज चैनलों की थूक कर चाटने की कला

न्यूज चैनल्स की खबरें अब विश्वसनीय नहीं रह गई हैं क्योंकि ये प्रायोजित व पूर्वाग्रह से ग्रस्त होती हैं. इस के अलावा टीआरपी के लिए चैनल्स किसी भी हद तक गिरने को तैयार रहते हैं, वहीं सनसनी मचाने के लिए तिल का ताड़ बनाने से नहीं चूकते. बताओ बच्चो, ‘थूक कर चाटना’ मुहावरे का अर्थ क्या होता है तो जवाब में 30-40 साल पहले के एक या दोतीन नहीं, बल्कि प्राइमरी कक्षाओं के पूरे बच्चे खड़े हो कर इस मुहावरे का मतलब उदाहरण सहित सम झा देते थे, ‘मोहन ने जंगल में शेर को पछाड़ा लेकिन जिरह करने पर उसे साबित नहीं कर पाया, और तो और, उस ने यह भी माना कि वह कभी जंगल ही नहीं गया.

इसे कहते हैं थूक कर…….’ तब मास्टरजी बड़े प्रसन्न होते थे कि बड़े हो कर ये होनहार बच्चे देशभर में फैल कर उन का, स्कूल का और देश का नाम रोशन करेंगे और वाकई ऐसा हो रहा है. ये बच्चे अब न केवल बड़े हो गए हैं बल्कि बड़े हो कर खूब थूकथूक कर चाट भी रहे हैं. इन में से अधिकतर न्यूज चैनल्स के एंकर बन गए हैं क्योंकि वहां अपनी ही कही बात से पलटने की ही नौकरी उन्हें मिली हुई है. थूक कर चाटने की जैसी सहूलियत इलैक्ट्रौनिक मीडिया में है वैसी सहूलियत और छूट वकालत तो दूर की बात है नेतागीरी या दूसरे किसी कारोबार में भी नहीं है, ऐसा शायद इसलिए कि, थोड़ी ही सही, जवाबदेही का रिवाज या मजबूरी वहां है. यहां थूकने पर भी तालियां बजती हैं और फिर उसे चाटने पर भी तालियां बजती हैं और शाबाशी मिलती है. थूक कर चाटना अब खरबों का ग्लैमराइज्ड बिजनैस है.

झूठ बोलना यानी थूकना इन एंकर्स का फुलटाइम जौब है. इस के लिए उन्हें लाखोंकरोड़ों रुपए की सालाना पगार मिलती है. इसलिए ये पूरे आत्मविश्वास से झूठ बोलते हैं और तरहतरह के लटकों झटकों से इतनी बार बोलते हैं कि एक कहावत के मुताबिक वही सच लगने लगता है. अकसर इन के झूठों पर कोई एतराज नहीं जताता तो इन का थूक वहीं स्टूडियो में कहीं पड़ा रह कर सूख जाता है और ये कौलर ऊंचा कर कहते हैं, ‘देखा गुरु, चल गया एक और झूठ जिसे कल प्राइमटाइम की टीआरपी में पहली रैंक मिली. एक करोड़ से भी ज्यादा औडियंस चैनल पर थे.’ थूक कर चाटा टाइम्स नाउ ने 22 जून को फिल्मकारों की एक अहम संस्था प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ इंडिया ने जारी अपने बयान में वैष्णव संतों सी आवाज में कहा कि उस ने फिल्म उद्योग के खिलाफ गैरजिम्मेदाराना, अपमानजनक और मानहानि करने वाली टिप्पणी से संबंधित अपने दीवानी मुकदमे को इंग्लिश समाचार चैनल टाइम्स नाउ से सुल झा लिया है.

दोनों पक्षों के बीच तय यह भी हुआ कि यह चैनल अब केवल टैलीविजन नैटवर्क्स रूल्स के तहत कार्यक्रम संहिता के प्रावधानों का अनुपालन करने के लिए सहमत हो गया है. यह एक तरह से कन्फैशन था कि अब तक वह ऐसा नहीं कर रहा था. यह झूठ न लगे, इस के लिए आगे दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘टाइम्स नाउ केबल टैलीविजन नैटवर्क (नियमन) अधिनियम 1995 और केबल टैलीविजन नैटवर्क रूल्स 1994 के तहत कार्यक्रम संहिता का अनुपालन करने का वादा करता है. साथ ही, यह शपथ लेता है कि टाइम्स नाउ चैनल ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा जो वादियों यानी फिल्म इंडस्ट्री के लिए अपमानजनक हो.’

पिछले साल 12 अक्तूबर को मुद्दत बाद फिल्म इंडस्ट्री एक हो कर अदालत गई थी. इस में उस के प्रमुख संगठन प्रोड्यूसर गिल्ड औफ इंडिया के अलावा 4 और एसोसिएशन और 34 बड़े फिल्मकार थे जिन में करण जौहर, सलमान खान, अनिल कपूर, शाहरुख खान, अजय देवगन, रोहित शेट्टी जैसे दिग्गज शामिल थे. इन सभी ने एंकर अर्नब गोस्वामी, प्रदीप भंडारी, उन के चैनल रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ के राहुल रविशंकर और नविका कुमार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करते इन्हें बौलीवुड के खिलाफ गैरजिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने की मांग की थी. फिल्मकारों की निजता में दखलंदाजी की बात भी जोर दे कर कही गई थी. इस फसाद की जड़ अभिनेता सुशांत सिंह की संदिग्ध मौत थी जिस पर न्यूज चैनल्स के एंकर्स ने खूब झूठ थूका था और चाट नहीं रहे थे.

बात अदालत तक गई तो टाइम्स नाउ तो अपना थूक चाट कर नियमों में बंधने का वादा कर रहा है लेकिन यह वादा बेवफा प्रेमिका या प्रेमी जैसा भी साबित हो सकता है या फिर इस की तुलना उस तवायफ से की जा सकती है जो करवाचौथ का व्रत करने को राजी हो गई है लेकिन मुजरा करना छोड़ेगी या नहीं, यह कोई गारंटी से नहीं कह सकता. जानना जरूरी और दिलचस्प है कि इस महाभक्त चैनल पर ब्रिटिश मीडिया की निगरानी करने वाली एजेंसी औफकाम ने 20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. वजह यह थी कि एक कार्यक्रम में इस के फूहड़ और बदनाम एंकर, जो बोलता कम चिल्लाता ज्यादा है,

ने एक यह मैसेज दिया था कि सभी पाकिस्तानी आतंकवादी हैं. इस चैनल के एक जूनियर चिल्लाऊ पत्रकार ने तो यह तक कह डाला था कि पाकिस्तान के डाक्टर, वैज्ञानिक, नेता, खिलाड़ी सभी आतंकवादी हैं. न जाने क्यों पाकिस्तानी पशुपक्षियों को बख्श दिया गया था. यह पूरा देश ही आतंकवादी है. जुर्माने से बचने के लिए अर्नब गोस्वामी ने औफकाम से एकदो बार नहीं, बल्कि रिकौर्ड 280 बार माफी मांगी थी लेकिन फिर भी औफकाम का दिल नहीं पसीजा था. थूकने चाटने के ताजे मामले में दोनों में पैसा और व्यावसायिक हित दोनों ही पक्षों के हैं, मुकदमा जितना लंबा खिंचता उतना ही दोनों का नुकसान होता. फिल्मकारों को पब्लिसिटी में गिरावट की चिंता थी तो चैनल्स को फिल्मकारों से दक्षिणा न मिलने की. कहा जाता है कि चैनल्स विवाद और फसाद टीआरपी के अलावा पैसा कमाने के मकसद से पैदा करते हैं और इन की अधिकांश खबरें पेड होती हैं.

अब तो दस साल का बच्चा भी खबर देख कर अंदाजा लगा लेता है कि वह बिकाऊ है दिखाऊ है. वैसे भी, मुकदमा लड़ना कारोबारियों को भी महंगा ही पड़ता है. टाइम्स नाउ ने झुकना इसलिए पसंद नहीं किया कि उस में कोई गिल्ट या अपराधबोध अपने किए को ले कर आ गया था बल्कि इसलिए किया कि उसे देखने वालों की तादाद लगातार घट रही थी. ऐसे में अगर फिल्मकार जीत जाते, जिस की संभावना ज्यादा थी तो उसे भारीभरकम जुर्माना अदा करना पड़ सकता था. यह गरीबी में आटा गीला होने जैसी बात होती जिस के चलते रोटियां सेंकना मुश्किल हो जाता. गौरतलब है कि इस चैनल पर ही 18 जून को एनबीएसए यानी न्यूज ब्रौडकास्ंिटग स्टैंडर्ड अथौरटी ने तबलीगी जमात के खिलाफ गलत रिपोर्टिंग करने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते माफी मांगने का भी हुक्म दिया था. यहां गौरतलब यह भी है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान कई बल्कि लगभग सभी न्यूज चैनल्स ने कोरोना फैलाने का जिम्मेदार तबलीगी जमात में शामिल मुसलमानों को मानव बम करार देते ठहरा दिया था, जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जताई थी.

एनबीएसए के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस ए के सीकरी ने सभी न्यूज चैनल्स की खिंचाई करते कहा था कि तबलीगी जमात पर समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित किए गए कार्यक्रमों की भाषा अभद्र, भड़काऊ और सामाजिक दरार पैदा करने वाली थी. इन प्रसारणों के बाद तो मुसलमानों का देशभर में निकलना दूभर हो गया था. इसे कुछ चैनल्स ने कोरोना जिहाद भी कहा था. दरअसल, ये चैनल सरकारी भोंपू बन उस के हिंदूवादी एजेंडे को फैलाने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं और झूठ थूक सकते हैं, यह अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद भी अफसोसजनक तरीके से देखने में आया था. तिल का ताड़ सुशांत की मौत का थूक कर चाटने के अलावा एक और मुहावरा बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाता है- ‘तिल का ताड़ बनाना.’ 34 वर्षीय अभिनेता सुशांत सिंह की 14 जून, 2020 को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर पर हुई मौत पर यह मुहावरा उम्मीद से ज्यादा लागू हुआ था. ‘

तिल का ताड़’ करने वाले न्यूज चैनल्स ही थे. एडिटर्स गिल्ड ने अदालत में एतराज इस बात पर भी प्रमुखता से जताया था कि कुछ चैनल्स ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए निम्नस्तरीय भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया, मसलन स्कम (मैला), डर्ट (गंदा), ड्रगीज (नशीला) वगैरहवगैरह. उस वक्त सुशांत की मौत को रामायण और महाभारत की तरह चैनल्स ने भुनाया था और उन के लैटबाथ को छोड़ कर हर जगह कैमरे फिट कर दिए थे. शुरू में इस हादसे को रहस्यरोमांच की तरह परोसा गया. पत्रकार और एंकर 70-80 के दशक के जासूसी उपन्यासों के नायक की तरह पेश आने लगे थे. लेकिन वे मजाक का पात्र बन कर रह गए थे. कोई सुशांत के घर के बाहर लगे पेड़ों और स्ट्रीट लाइट की गिनती कर रहा था तो कोई घर का भूगोल नाप रहा था. कोई उस की कार की नंबरप्लेट सहला रहा था तो कोई फंदे का आकार बता रहा था. कुछ उस की जायदाद का ब्यौरा भी पेश कर रहे थे.

लौकडाउन के चलते फुरसत में बैठे लोगों ने टाइम पास करने के लिए नए दौर की इस चंद्रकांता संतति का पूरा लुत्फ यह जानते हुए भी उठाया कि यह शुद्ध बकवास है. देखते ही देखते स्टूडियो अदालत के कमरे में तबदील हो गए थे जहां अर्दली, गवाह, वादी, प्रतिवादी, वकील और जज तक यही होनहार पत्रकार थे. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि बिगड़ी तब जब मीडिया ने इसे दक्षिणपंथ बनाम वामपंथ बना दिया. मीडिया ट्रायल की आड़ में यह साबित करने की कोशिश की गई कि सुशांत की हत्या हुई है जिस के जिम्मेदार वे लोग हैं जो हिंदूवादी नहीं है और यही लोग सुशांत की गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती के हिमायती हैं जिसे बाद में ड्रग्स मामले में जेल की हवा खानी पड़ी थी. सुशांत की एक और गर्लफ्रैंड अंकिता लोखंडे को भी मुजरिमों की तरह पेश किया गया था. अब 2 खेमों में बंटी फिल्म इंडस्ट्री भी इस जंग में कूद पड़ी.

एक तरफ कंगना रनौत जैसी भगवा गैंग की सदस्य थीं तो दूसरी तरफ स्वरा भास्कर और उन के साथियों ने मोरचा संभाल रखा था. यह एपिसोड कोई 100 दिन लगातार चला जिस में सुशांत की मौत तो एक तरफ हो गई लेकिन फिल्म इंडस्ट्री की खेमेबंदी उजागर हो गई. इस के पहले सुशांत के पिता के के सिंह रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना के एक थाने में उन के बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने व धोखाधड़ी के आरोप की एफआईआर दर्ज करा चुके थे. कंगना रनौत सुशांत की मौत को हत्या बताने पर तुली थीं लेकिन जब दिल्ली एम्स के डाक्टर और सीबीआई ने साफ कर दिया कि सुशांत की हत्या नहीं हुई थी बल्कि उन्होंने खुदकुशी की थी तो स्वरा भास्कर ने कंगना पर चढ़ाई यह कहते कर दी कि कुछ लोग सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कार वापस करने की बात कर रहे थे. असल में यह बात कंगना ने कही थी. तिल का ताड़ तो उसी वक्त बनना शुरू हो गया था जब सुशांत की मौत का जिम्मेदार कंगना ने कुछ फिल्मकारों को बताया था.

तब चैनल्स ने बिना कोई छानबीन किए यह प्रसारण शुरू कर दिया था कि ‘सुशांत से कई फिल्में छीनी गईं, उन्हें कई छोटेबड़े स्टार्स ने आगे बढ़ने से रोका और फिल्म इंडस्ट्री में परिवारवाद शबाब पर है जबकि सुशांत बिहार के एक छोटे से शहर के रहने वाले हैं.’ ये आरोप गंभीर थे, इसलिए नामी ऐक्ट्रैस अमिताभ बच्चन की पत्नी व सपा सांसद जया बच्चन और अनुराग कश्यप जैसे दिग्गज स्वरा भास्कर के साथ हो लिए. यानी, जिस की कमी खल रही थी वह राजनीति भी घुस आई क्योंकि संसद में भी यह मामला गूंजा. भाजपा सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने भी न्यूज चैनल्स की तर्ज पर फिल्म इंडस्ट्री पर नशेड़ी होने का आरोप मढ़ डाला और इस का जिम्मेदार पाकिस्तान से होने वाली ड्रग तस्करी को ठहराया. जवाब में जया बच्चन ने कहा, ‘कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर रहे हैं.’

उन का इशारा इस तरफ था कि रवि किशन अभिनेता होते हुए भी फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम कर रहे हैं जिस ने लाखों लोगों को रोजगार दे रखा है.’ अब एक खेमा कंगना वाला भाजपा समर्थित था तो दूसरे को खुलेतौर पर किसी ने समर्थन नहीं दिया. कंगना ने फिल्म इंडस्ट्री का प्रोटोकौल तोड़ते हुए जया बच्चन की प्राइवेसी को निशाने पर यह कहते लिया कि ‘अगर आप का बेटा अभिषेक बच्चन फांसी पर झूला होता या आप की बेटी श्वेता को बाली उमर में पीटा जाता, ड्रग्स दिया जाता या उन का शोषण किया जाता तो क्या तब भी आप यही बात कहतीं.’ इस बचकानी और कुंठित बात से यह तो हर किसी को सम झ आने लगा था कि कंगना के पीछे भाजपा है. इस की पुष्टि उस वक्त भी हुई जब उन्होंने महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार और शिवसेना के नेतृत्व पर ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए.

सुशांत की मौत का कनैक्शन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे से भी जोड़ने की नाकाम कोशिशें खूब हुईं. इन बेतुके बयानों के एवज में बतौर बख्शीश उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई. कहां से चले कहां के लिए अब तक सुशांत और रिया के घर वालों की कई पेशियां न्यूज चैनल्स पर हो चुकी थीं लेकिन मौत का मुद्दा अब विचारधाराओं की लड़ाई की तरफ मुड़ चुका था. यह वैचारिक युद्ध या खेमेबाजी तो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही शुरू हो चुकी थी जब कला के साथसाथ फिल्म से जुड़े दिग्गजों ने भी सरकारी पुरस्कार असहिष्णुता के नाम पर लौटाने शुरू कर दिए थे. साल 2019 में देशभर में बढ़ रही मौब लिंचिंग के विरोध में श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा और अनुराग कश्यप सहित 40 फिल्मकारों ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इस तरह की हत्याओं को रोकने की अपील की थी.

भरोसा खोते चैनल इस खेमेबाजी की देन सुशांत की मौत के बाद से लगातार देखने में आ रही है जिसे भक्त चैनलों ने जम कर हवा दी और फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन अच्छी बात फिल्मकारों का वक्त रहते सचेत हो जाना रही जिस के चलते टाइम्स नाउ को घुटनों के बल आना पड़ा. अपनी प्रतिष्ठा और पेशे को ले कर ऐसी एकजुटता फिल्मकारों ने पहली बार दिखाई जिस में भगवा खेमे के मानेजाने वाले एक और अभिनेता अक्षय कुमार ने भी अपनी बिरादरी वालों का साथ दिया. मामला चाहे हालिया सम झौते का हो, सुशांत की मौत का हो, तबलीगी जमात का हो, रामदेव द्वारा एलोपैथी की आलोचना का हो या पश्चिम बंगाल के चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में एकतरफा परोसे गए कथित सर्वेक्षणों का हो, न्यूज चैनल्स की विश्वसनीयता और साख दोनों ऐसे कई मामलों से गिरे हैं.

निष्पक्ष रिपोर्टिंग कोई नहीं कर पा रहा. इस की वजह व्यावसायिक स्वार्थ और कट्टर हिंदूवादी मानसिकता भी है, हालांकि यह देशहित की बात नहीं है बल्कि असल राष्ट्रद्रोह यही है. आम लोग अब न्यूज चैनल देखना बंद या कम क्यों कर रहे हैं, इस बारे में एक नामी चैनल के नामी रिटायर्ड पत्रकार ने अपने एक लेख में लिखा है कि, ‘सभी न्यूज चैनल्स का प्राइमटाइम कुल 80 लाख लोग ही देखते हैं जबकि समाचारपत्र-पत्रिकाएं कोई 45 करोड़ लोग पढ़ रहे होते हैं.’

चुनौतियां-भाग 2: गुप्ता परिवार से निकलकर उसने अपने सपनों को कैसे पूरा किया?

‘ आप सभी महिलाओं को भारतीय सेना में स्थाई कमीशन प्राप्त करने के लिए बधाई. आप सेना की कलास वन गजेटेड अफसर हैं, जैसे, सिविल में आईएएस, आईपीएस अफसर हैं. आप महिला हैं, यंग और सुंदर हैं. आप पुरुषप्रधान यूनिटों में जा रही हैं. उन की मानसिकता को समझते हुए ड्यूटी को अंजाम देना है. आप अपनी छठी इंद्रिय हमेशा ऐक्टिव रखें. हर पुरुष के मन और मस्तिष्क में कहीं न कहीं औरत रहती है. औरत के मन में पुरुष रहता है. आप आग और घी से इस की तुलना कर सकती हैं. और भी कई तरह की समस्याएं आएंगी, जिन्हें आप को अपने बुद्धिबल से हल करना है.

‘एक बहुत पुरानी कहावत है- अगर आप का पैसा चला जाता है तो समझें कुछ नहीं गया; सेहत चली जाती है तो समझें कुछ चला गया; अगर आप का चरित्र चला गया तो समझें सबकुछ चला गया. पूरी ट्रेनिंग के दौरान सभी इंस्ट्रक्टरज ने इस बात का ध्यान रखा है कि उन के शरीर का कोई अंग आप को न छुए. अगर वे वैपन ट्रेनिंग दे रहे थे तो उन्होंने अलग वेपन ले कर आप के बराबर लेट कर ट्रेनिंग दी है. यही अनुशासन है. पूरी भारतीय सेना अनुशासनप्रिय है. लेकिन अगर आप खुद मर्यादा तोड़ेंगी तो आप ब्लैकमेल होती रहेंगी. मर्यादा में रहते हुए ड्यूटी करनी है और खुद को प्रूफ करना है कि आप पुरुषों से किसी भी तरह से कम नहीं हैं. बस, मुझे यही कहना है.’

बातें हमेशा याद रखने लायक थीं. सभी अफसर अपनीअपनी फलाइट के अनुसार घर के लिए एयरपोर्ट जा रही थीं. सभी को 20 दिनों की छुट्टी दी गई थी. इस के लिए आईएमए की गाड़ियां समयसमय पर एयरपोर्ट छोड़ रही थीं. मेरी फलाइट 4 बजे की थी, इसलिए मुझे लंच कर के 2 बजे एयरपोर्ट के लिए निकलना था. मेरे साथ लैफ्टिनैंट सुरिंदर कौर की भी फलाइट थी. हम दोनों को अमृतसर की फलाइट लेनी थी. वहां से उसे अपने गांव चले जाना था और मैं अमृतसर की ही थी.

चलने से पूर्व हमें मूवमैंट और्डर, एयर टिकट और बोर्डिंग पास दे दिया गए थे. हमें बताया गया था कि अपना बक्सा और बैडहोल्डल को लगेज काउंटर पर जमा करवा देना है. अगर थोड़ाबहुत सामान बच जाता है तो वह हैंडबैग में रख लेना हैं. सिक्योरिटी चैक में मुश्किल नहीं होगी.हमें बिजनैस कलास का टिकट दिया गया था. सेना के अफसर को बिजनैस कलास का टिकट अथोराइज है. प्लेन में यूनिफौर्म में केवल 2 महिलाएं ही बैठी थीं. बाकी सब पुरुष, औरतें और बच्चे थे. हम दोनों आकर्षण की केंद्र बनी हुई थीं. सुंदर यूनिफौर्म, दोनों कंधों पर चमकते दो-दो स्टार, हमारी सुंदरता को और बढ़ा रहे थे. एयर होस्टेज ने बड़ी मनमोहक मुसकान के साथ हमें पानी दिया और कहा, ‘दोनों महिला अफसरों का हमारी फ्लाइट में स्वागत है. यहां से सेना के पुरुष अफसर तो बहुत जाते हैं परंतु महिला अफसरों को आज पहली बार देख रही हूं.’

लैफ्टिनैंट सुरिंदर कौर ने जवाब दिया, ‘आप ठीक कहती हैं. यह पहला बैच है महिला अफसरों का.’ मैं ने उस का हाथ दबा दिया कि आगे कुछ न कहना है. मिलीटरी मैटर विल नौट बी डिस्कस्ड.
‘मैं आप के लिए गरमागरम चाय लाती हूं.’चाय आई और हम दोनों पीने लगीं. तभी फ्लाई में घोषणा हुई. थोड़ी देर बाद हम हवा में थे. डेढ़ साल बाद घर जा रही थीं. दोनों बहुत खुश थीं. मैं ने लै. सुरिंदर कौर से रात रुक कर जाने के लिए कहा. उस ने कहा, ‘बड़े भाईसाहब एयरपोर्ट पर लेने आ रहे हैं, रुकना नहीं हो पाएगा.’
‘मेरे भी भाईसाहब लेने आ रहे हैं. अब पता नहीं, कब मिलना होगा. आप तो गोहाटी जाएंगी?’
‘हां जी, गोहाटी. वहां से बाई रोड जाना पड़ेगा. हम एक ही विभाग की हैं. कहीं न कहीं मुलाकात हो ही जाएगी. मेरे कमाड़िंग अफसर ने लिखा है कि वे गोहाटी एयरपोर्ट पर गाड़ी भेज देंगे. यूनिट तक आने में असुविधा नहीं होगी.’

‘सेना का हर काम परफैक्ट है. मैं सर्द इलाके में जा रहीं हूं. चंडीगढ़ में हमारा रीयर है. वह सारा सामान जो मुझे लेह एयरपोर्ट पर पहन कर उतरना है, वहां के इंचार्ज चंडीगढ़ ट्रांजिट कैंप में ही दे देंगे.’
बातों में पता ही नहीं चला कि कब टाइम बीत गया. प्लेन के उतरने की सूचना दी चुकी थी. सब ने अपनी बैल्टें बांध ली थीं. प्लेन एयरपोर्ट पर उतर चुका था. सूचना दी गई कि पहले स्टाफ और चालक दल उतरेगा, फिर यात्री. सामने बाहर गेट तक ले जाने के लिए बस खड़ी थी. हम उस में बैठ गए. बस तेजी से आगे बढ़ गई. मैं और सुरिंदर बहुत रोमांचित थीं. डेढ़ साल का समय बहुत होता है. अपनों से मिलने का जबरदस्त उत्साह था. हमें यूनीफौर्म में देख कर पता नहीं कैसा रिऐक्ट करेंगे. भाई का मोबाइल आ गया था कि वे लगेज मिलने वाली जगह पर मिलेंगे. मैं ने उन को बता दिया था कि सामान में एक बड़ा काला बक्सा है और एक बैडहोल्डल है. दोनों पर मेरा नाम लिखा है.

लै. सुरिंदर कौर ने भी अपने भाई को बता दिया था. जब हम लगेज की जगह पर पहुंचे तो दोनों ट्रौली में सामान ले कर खड़े थे. लै. सुरिंदर के भाई ने तो तुरंत उसे पहचान लिया क्योंकि वे बचपन से अपने पिता को यूनिफौर्म में देखते आए थे. मुझे पहचानने में भाई को देर लगी. जब पहचाना, तो गले लगाने में देर नहीं की. ‘छुटकी, तुम यूनिफौर्म में बहुत स्मार्ट लग रही हो. वाह, क्या बात है.’ वे मुझे सुंदर कहतेकहते रुक गए थे. मैं ने लै. सुरिंदर कौर और उन के भाई का परिचय करवाया और फिर अपनीअपनी कारों की ओर बढ़ गए.घर में सभी ऐसे मिले जैसे युगों के बाद मिले हों. विशेषकर बाऊ जी, जो मेरे सेना में जाने से सब से अधिक नाराज थे. वे भी स्वागत के लिए बैठे थे. बाऊ जी ऐसा स्वागत करेंगे, मुझे उम्मीद नहीं थी. मैं खुश थी, बाऊ जी मेरे स्वागत समारोह में शामिल थे. मां बताती थी, जब मैं अपनी सहेली से मिलने गई हुई थी, वे मेरी यूनिफौर्म पर लगी हर चीज को बड़े ध्यान से देख रहे थे. खुश थे, कह रहे थे, ‘ हमारी नीरू बहुत स्मार्ट हो गई. बनियों की लड़कियों की तरह थुलथुल नहीं है. पेट तो बिलकुल नहीं रहा.’

‘बाऊ जी, वह आईएमए से ट्रेनिंग कर के आई है. वहां भागदौड़ अधिक होती है. किसी का पेट नहीं निकलता. जिस का थोड़ाबहुत होता भी है, वह भी भागदौड़ में ठीक हो जाता है. खाने को खूब अच्छा मिलता है और पचता है. इसलिए सेहत अच्छी हो जाती है.’ मेरे छोटे भाई ने बाऊ जी को बताया था.
‘अच्छा, फौजियों को तो शराब भी मिलती है. सर्दी आ रही है. पूछना कि ब्रांडी की बोतल मिलेगी? ’
बाऊ जी, सर्दी में रात को दूध में 2 चम्मच ब्रांडी डाल कर पीते थे. इस से उन का पेट ठीक रहता था. घर में घुसते ही मैं ने उन की यह बात सुन ली थी.

मैं ने कहा, ‘ बाऊ जी, हम अफसरों को हर महीने 12 बोतल शराब मिलती है. प्लेन में ज्वलनशील चीजें लाने का हुक्म नहीं है, इसलिए हमें आईएमए से हरेक को लैटर मिला है कि वे अपनेअपने शहर या एरिया की स्टेशन कैंटीन से शराब की बोतलें ले लें. मैं छोटे भाई के साथ जा कर कल ला दूंगी. ग्रौसरी का सामान भी 12 हजार रुपए का ले सकती हूं. वहां बाजार से सस्ता होता है, उन इन पर टैक्स नहीं लगता है.’
‘दीदी, आप का कैंटीन कार्ड बना हुआ है?’ छोटे ने पूछा.

‘सब आईएमए में ही बन जाते हैं. तुम मेरे साथ चलना. कल सब दिला दूंगी.’
मैं स्टेशन कैंटीन से बाऊ जी के लिए न केवल ब्रांडी की बोतलें लाई बल्कि ग्रौसरी का भी बहुत सा सामान ले लाई.

YRKKH: अक्षरा से अभिमन्यु मांगेगा मांफी, क्या फिर से एक हो पाएंगे?

वर्षों से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाला सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इ दिनों ट्विस्ट और टर्न खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एपिसोड में आपको देखने को मिला है कि मंजरी रुही से  अक्षरा का गाना सुनकर पुरानी यादों में खो जाती है.

उसके बाद मंजरी रूही को डांट देती है कि वह पुराना गाना न गाए, अपकमिंग एपिसोड में आरोही अपनी बेटी को समझाती नजर आएगी कि वह ये गाना आगे से कभी ना गाए, इस बीच दोनों का एक स्वीट बॉन्ड देखने को मिलेगा.

 

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सीरियल में आगे दिखाया जाएगा कि अक्षरा अभिनव पर नाराज होती नजर आएगी, अभिमन्यु  अभिनव का इलाज करता नजर आएगा, जिसके बाद अभिनव ठीक हो जाएगा और अक्षरा उसे डांटती नजर आएगी. वह उसे ठीक से रोड़ ना क्रॉस किया है जिसके लिए वह उसे डांट रही है.

हालांकि उसके बाद से इस सीरियल में जबरदस्त ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, अक्षरा से  अभिमन्यु मांफी मांगता नजर आ रहा है. एक समय ऐसा था जब अभिमन्यु ने अक्षरा पर सीरत की मौत का इल्जाम लगाया था. जिसके लिए वह मांफी मांगता है.

वह कहता है कि गुस्सा कितना भी हो हमें अपनी हदों को पार नहीं करनी चाहिए. इस बाद को सुनने के बाद से अक्षरा अभिमन्यु के पीछे भागती है.

अनुज और अनुपमा में आएंगी दरार, क्या माया जीत पाएगी छोटी का दिल ?

सीरियल अनुपमा की कहानी इन दिनों छोटी अनु के आस पास घूम रही है, शो में आए दिन ऐसे -ऐसे ट्विस्ट और टर्न देखने को मिल रहे हैं जो शो की टीआरपी को लगातार बढ़ा रहे हैं.

साल 2023 से ही यह सीरियल टॉप पर बना हुआ है, इस सीरियल में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि छोटी अनु माया के साथ जानें के लिए तैयार हो जाती है लेकिन अनुज इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होता है.

अनुज और अनुपमा में इस वजह से दूरियां बननी शुरू हो जाती है, अनुज अनुपमा से कहता है कि कहीं तुम मेरी छोटी की जिम्मेदारी से पल्ला तो नहीं झाड़ रही हो. अनुपमा कहती है कि ऐसा सोचने से पहले मैं मर जाती .जब छोटी मेरी गोद में बैठकर माया -माया करती है तो मेरा दिल छल्ली हो जाता है.

 

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दरअसल, अनुपमा में दिखाया जाता है कि अनुपमा और माया में छोटी अनु को लेकर बहस होती है कि वह उसे 15 दिन का मोहलत देगी अगर छोटी अनु का वह दिल जीत लेगी तो वह छोटी अनु को अपने साथ रखेगी वरना वह वापस अनुपमा और अनुज के पास आ जाएगी.

कान्हा जी के सामने अनुपमा सौगन्ध दिलाती हुई नजर आती है, आने वाले अगले एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अनुपमा छोटी अनु के जाने के बाद से अनुज से छुप-छुपकर रोएगी. लेकिन क्या छोटी अनु माया के पास रह पाएगी जानने के लिए देखें अगला एपिसोड.

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