Download App

2 स्टेट्स

‘2 स्टेट्स’, जो चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित फिल्म है, में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय परिवार के विचारों, रहनसहन और संस्कृति के टकराव को दिखाया गया है. इसी तरह की एक फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ कई दशक पहले आई थी, जिस में उत्तर भारतीय व दक्षिण भारतीय नायकनायिका एकदूसरे से प्यार करते हैं परंतु सांस्कृतिक टकराव के कारण इस प्रेमी जोड़े को मौत को गले लगाना पड़ जाता है.

हमारे समाज में आज भी शादीब्याह के मामलों में जाति, धर्म और क्षेत्र के बंधनों को मांबाप प्राथमिकता देते हैं. मांबाप का अपना नजरिया होता है और युवा पीढ़ी का अपना. युवा पीढ़ी तो सिर्फ प्रेम की भाषा समझती है. आज युवकयुवतियां खूब पढ़लिख कर बड़ीबड़ी नौकरियां कर रहे हैं तो जाहिर है वे अपना जीवनसाथी भी अपनी पसंद का चुन रहे हैं. इस फिल्म में इस सचाई की झलक देखने को मिलती है.

फिल्म की कहानी रियल लाइफ की लगती है. यह एक ऐसी कहानी है जो हर छोटेबड़े शहर में देखने को मिल सकती है. ऐसी कहानी कुछ टीवी धारावाहिकों में भी देखने को मिल जाती है, जैसे ‘ये हैं मोहब्बतें’. फिल्म की कहानी भले ही धीमी गति से चलती है परंतु दर्शकों को कुछ हद तक बांधे रखती है. 

फिल्म की कहानी अहमदाबाद के आईआईएम से शुरू होती है, जहां दिल्ली का एक पंजाबी मुंडा कृष (अर्जुन कपूर) आईआईटी दिल्ली से बीटेक कर के एमबीए करने पहुंचा है. उस की मुलाकात वहां एमबीए करने चेन्नई से आई युवती अनन्या (आलिया भट्ट) से होती है. दोनों में प्यार हो जाता है पर दिक्कत है शादी की. कृष का परिवार पंजाबी है तो अनन्या का तमिल. दोनों की शादी में समाज और परिवार अड़ंगा डाल सकता है, इसलिए दोनों फैसला करते हैं कि वे अपनेअपने परिवारों को एकदूसरे से मिलवाएंगे और उन्हें शादी की इजाजत देने के लिए राजी कर लेंगे, मगर भाग कर शादी नहीं करेंगे.

दोनों के परिवार आपस में मिलते हैं. कृष की मां कविता (अमृता सिंह) को तमिल फूटी आंख नहीं सुहाते. उसे लगता है कि इस तमिल लड़की ने उन के भोलेभाले लड़के को फांस लिया है. यही हाल अनन्या के परिवार का भी है. पर कृष व अनन्या अपने परिवार वालों को राजी कर लेते हैं.

कहानी में कृष और उस के पिता (रोनित राय) के आपसी संबंधों की कहानी भी है. कृष का पिता एकदम कड़क है और जबतब वह कृष के सामने ही अपनी पत्नी पर हाथ उठाता रहता है. कृष अपने पिता से नफरत करता है.

फिल्म में कृष के पिता को अपने किए पर शर्मिंदगी होती है और वह खुद अनन्या के परिवार में जा कर कृष के लिए अनन्या का हाथ मांगता है. अनन्या और कृष की शादी हो जाती है.

जिन दर्शकों ने अर्जुन कपूर की पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘गुंडे’ देखी होगी वे इस फिल्म में उस का नया रूप देख कर चौंक जाएंगे. वह एकदम कूल लगा है. एक तरफ प्यारा पर थोड़ा सुस्त और बेहद बोर, दोनों को एकसाथ बनाए रखने की जद्दोजहद को उस ने बखूबी निभाया है. रोनित राय का अभिनय काफी अच्छा है. कई सीनों में वह अर्जुन कपूर पर भारी पड़ा है. अर्जुन कपूर रोमांटिक दृश्यों में नर्वस नजर आया है. आलिया बच्ची लगती है. उस ने लिपटुलिप किस सीन जम कर दिए हैं. अमृता सिंह लाजवाब है.

फिल्म का गीतसंगीत औसत है. एक पंजाबी गाना शादी के माहौल पर है. फिल्म का छायांकन अच्छा है. दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद की लोकेशनों पर शूटिंग की गई.

 

बिकिनी, अंतरंग दृश्य गलत नहीं

बेहद कम समय में हिंदी फिल्म जगत का लोकप्रिय सितारा बन चुकी अभिनेत्री सोनम कपूर अपने सामाजिक दायित्व भी समझती हैं. महिलाओं के हित में कुछ करने का जज्बा लिए सोनम कपूर से सोमा घोष ने फिल्मों समेत तमाम पहलुओं पर बातचीत की.
 
फिल्म ‘रांझणा’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ में सादगीपूर्ण अभिनय कर चर्चित हुई अभिनेत्री सोनम कपूर पिछले दिनों फिल्म ‘बेवकूफियां’ में सैक्सी भूमिका में नजर आईं. अपने 5 साल के कैरियर में सोनम पहली बार परदे पर बिकिनी में दिखाई दीं. जिस के कारण वे लोगों के बीच में चर्चा का विषय बनी रहीं.
किसी भी फिल्म का चयन करते समय सोनम अपनी उन्नति के ग्राफ को अधिक देखती हैं. उन का कहना है कि हर दिन कुछ ग्रोथ होनी आवश्यक है ताकि काम में रुचि बनी रहे. वे कहती हैं, बिना ग्रोथ के किरदार निभाने में मजा नहीं आता.
फिल्म को साइन करते वक्त वे पिता की राय अवश्य लेती हैं. उन के पिता अनिल कपूर 30 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में हैं. वे बताती हैं कि मेहनत, टाइम पर पहुंचना और सब के साथ अच्छा व्यवहार रखना आदि बातों का हमेशा ध्यान रखती हूं. सोनम कहती हैं, ‘‘मम्मी के बिना मैं कोई काम नहीं कर सकती. बहन रिया कपूर मेरी पार्टनर है. हम जो भी करते हैं साथसाथ करते हैं. भाई हर्षवर्धन कपूर छोटा है पर उस की राय बहुत ‘स्ट्रौंग’ है. मैं उस का आइडिया भी अपनाती हूं.’’
सैलिब्रिटी चाइल्ड होने के सोनम को कई फायदे नजर आते हैं. वे कहती हैं कि मैं इंडस्ट्री में पलीबढ़ी हूं, इसलिए हमारे लिए काम करना आसान है क्योंकि लोग हमें जानते हैं. पर मेहनत और प्रतिभा के बिना आप सफल नहीं हो सकते.
सोनम कपूर इन दिनों फिल्म में बिकिनी और अंतरंग दृश्य को ले कर चर्चा में हैं पर वे इसे गलत नहीं मानतीं. कहती हैं, ‘‘अगर कहानी की मांग है तो उसे करना ही पड़ता है. अभिनय के क्षेत्र में हर तरह की ऐक्ंिटग करनी पड़ती है,’’ आगे वे कहती हैं, ‘‘मेरे पिता एक कलाकार हैं और खुले विचारों के हैं. उन्होंने मुझे अभिनेत्री बनने के लिए प्रोत्साहित किया.’’
सोनम को हर लड़की की तरह फैशन करना पसंद है. उन्हें कपड़े, ज्वैलरी और जूते खरीदना बहुत अच्छा लगता है. वे फूडी हैं, पंजाबी डिशेज पसंद हैं. इसलिए शरीर को बैलेंस रखने के लिए वे दिन में 2 घंटे वर्कआउट करती हैं जिस में वेट टे्रनिंग और योगा शामिल होता है.
सोनम की 2 फिल्में आने वाली हैं. एक फिल्म ‘खूबसूरत’ उन की बहन रिया कपूर बना रही हैं. यह फिल्म 80 के दशक की ‘खूबसूरत’ की रीमेक है. इस के अलावा वे अरबाज खान के प्रोडक्शन तले बन रही फिल्म ‘डौली की डोली’ में भी अभिनय कर रही हैं.
एक मशहूर प्रसाधन कंपनी की ब्रैंड ऐंबैसेडर सोनम महिला अधिकारों को ले कर सजग हैं. वे कहती हैं कि उन सभी महिलाओं को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिन्होंने कठिन हालात में काम किया है. जब मैं 15 साल की थी तो अपने अलावा किसी और के बारे में सोच नहीं सकती थी. पर बंगाल की 15 वर्षीय देवाद्रिता मंडल ने एक पेय बना कर, उन बच्चों का ध्यान रखा जो कुपोषण के शिकार हैं. इस पेय से उन्हें थोड़ा पोषण मिलेगा.
वहीं सोनम ने मांओं से आग्रह किया कि वे बेटों को समझाएं कि वे अपनी पत्नी, गर्लफ्रैंड या बहन के साथ किस तरह का व्यवहार करें. अगर मां ही बेटेबेटी में फर्क करेगी तो दुनिया उसे अच्छी नजरों से नहीं देख सकती. उन्होंने बताया कि वे पिछले 7 सालों से महिलाओं में कैंसर 
के प्रति जागरूकता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही हैं.
तनाव के समय सोनम अपने परिवार और दोस्तों के बीच रहती हैं. उन्हें अकेले रहना पसंद नहीं.

खेल खिलाड़ी

साई की परेशानी 
भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई इन दिनों खासा परेशान है. वजह, आम चुनाव के कारण सरकार की तरफ से उसे तुरंत आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है. इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेल 23 जुलाई से 8 अगस्त तक स्कौटलैंड के ग्लासगो शहर में और एशियाई खेल 19 सितंबर से 4 अक्तूबर तक साउथ कोरिया के इंचियोन शहर में होने हैं.
साई की परेशानी यह है कि उसे अंतरिम बजट के लिए काफी कम पैसा मिला है. साई के महानिदेशक जिजि थौमसन का मानना है कि खिलाडि़यों की तैयारी के लिए हमारे पास पैसा पर्याप्त होना चाहिए. सभी राष्ट्रीय खेल महासंघ अपने खिलाडि़यों को अभ्यास के लिए विदेश भेजना चाहते हैं पर पर्याप्त पैसा नहीं है जिस से हम अपने सभी खिलाडि़यों को विदेश नहीं भेज सकते. ऐसे हालात में राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में बेहतर कर पाना मुश्किल है. उम्मीद यही है कि चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार खिलाडि़यों की बेहतरी के लिए हमें पर्याप्त धन मुहैया कराएगी. वर्ष 2010 में भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में 101 और एशियाड में 65 पदक जीते थे जबकि इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में 75 पदकों का लक्ष्य रखा गया है. इस बार टैनिस और तीरंदाजी खेल नहीं हैं. ऐसे में लक्ष्य को पूरा कर पाना मुश्किलों भरा है.
खेलों के स्तर को सुधारने के लिए न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही खेल संघों के पदाधिकारियों को इस से कोई लेनादेना है. सभी जानते हैं कि खेल संघ अब राजनीति का अखाड़ा बन चुके हैं जो खेलों का सत्यानाश करने पर तुले हैं.
राष्ट्रीय खेलों में खिलाडि़यों के स्तर को सुधारने के लिए विदेशों में विशेष ध्यान दिया जाता है जबकि भारत में इस की उपेक्षा की जाती है. अंतरिम बजट में 1,219 करोड़ रुपए खेलों के हिस्से में आए थे जिस में से 165 करोड़ रुपए राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए रखे गए हैं. जाहिर है ऐसे में इतने कम पैसों में सभी खिलाडि़यों को अभ्यास के लिए विदेश नहीं भेजा जा सकता.
बहरहाल, राष्ट्रीय खेलों के लिए जितना पैसा रखा गया है उस से कहीं ज्यादा पैसा चुनावों के दौरान यहां बड़े नेता हवाई यात्रा में फूंक देते हैं. इस पर कोई होहल्ला नहीं मचाता. हल्ला तो खेलों के लिए भी नहीं मचता, अगर मचता तो शायद खिलाडि़यों की खेल क्षमता काफी बेहतर होती.
 
स्टीवी की क्लास
फीफा वर्ल्ड कप 2014 में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं और धीरेधीरे फुटबाल प्रेमियों के बीच हलचल भी शुरू हो गई है. फीफा वर्ल्ड कप से भारत के उभरते युवा खिलाडि़यों को सीखने का अच्छा मौका है. अर्जेंटीना, जरमनी, ब्राजील, क्रोएशिया, स्पेन, पुर्तगाल, मैक्सिको, चिली, आस्ट्रेलिया, ग्रीस आदि टीमों के आगे भारत कहीं नहीं है. इस की खास वजह है कि भारतीय खिलाडि़यों को उस स्तर की ट्रेनिंग नहीं दी जाती. पिछले दिनों स्कौटलैंड के फुटबाल कोच स्टीवी ग्रीन 2 दिवसीय कोचिंग कैंप के लिए चंडीगढ़ पहुंचे. वहां उन्होंने युवा खिलाडि़यों को फुटबाल खेलने के गुर बताए और कहा कि भारत में अगर फुटबाल को बुलंदियों तक पहुंचाना है तो जमीनी स्तर से तैयारी करनी होगी. यहां टैलेंट की कमी नहीं है. बस, जरूरत है सही दिशा दिखाने की. स्कूली लेवल से ही खिलाडि़यों को जागरूक करना होगा तभी वे धीरेधीरे रुचि लेंगे और फुटबाल के प्रति उन का रुझान बढ़ेगा.
जहां तक फिटनैस की बात है तो फुटबाल में फिटनैस बहुत जरूरी है और इस के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना होगा. कहने का तात्पर्य यह है कि आप को फिट रहना होगा. इस के लिए कोच का मार्गदर्शन बहुत ही जरूरी है. कोच को भी आधुनिक तकनीक के बारे में समयसमय पर जानकारी रखनी चाहिए ताकि इस का भरपूर फायदा आप को मिल सके.
स्टीवी ने युवा खिलाडि़यों के लिए जितनी बातें बताईं वे सराहनीय हैं. अब तो आईपीएल की तर्ज पर आईसीएल से भी फुटबाल खिलाडि़यों के दिन फिरने वाले हैं. खिलाडि़यों को इस से न सिर्फ आर्थिक लाभ होगा बल्कि अब उन्हें विदेशी खिलाडि़यों के साथ खेलने पर बहुतकुछ सीखने का भी मौका मिलेगा. उन के द्वारा अपनाई गई नईनई तकनीकों को भी जानने व समझने का उभरते खिलाडि़यों को मौका मिलेगा.

पाठकों की समस्याएं

मैं 17 वर्षीया 12वीं कक्षा की छात्रा हूं. 4 वर्ष पहले मेरा विवाह हुआ था पर आजकल मैं अपने पति से अलग मातापिता के साथ रहती हूं. यहां मुझे एक लड़के से प्यार हो गया है और मुझे विश्वास है कि वह भी मुझे प्यार करता है. मैं उस से विवाह करना चाहती हूं पर वह यह नहीं जानता कि मैं विवाहित हूं. क्या मैं उसे अपने विवाहित होने के बारे में बता दूं? कहीं वह यह जानने के बाद मुझ से विवाह के लिए इनकार तो नहीं कर देगा? मैं ने अपने पति से तलाक के लिए कहा तो उन्होंने तलाक देने से मना कर दिया. इस स्थिति में मैं क्या करूं?
सब से पहले तो आप यह जान लें कि 13 वर्ष की आयु में हुआ आप का विवाह कानूनन मान्य नहीं है. इसलिए आप को किसी और से विवाह करने के लिए तलाक की भी आवश्यकता नहीं है. जहां तक दूसरे लड़के से विवाह की बात है, पहले यह जान लें कि क्या वह भी आप से प्यार करता है और साथ ही उसे अपने पूर्व गैरमान्य विवाह के बारे में भी बता दें. उस से कुछ भी न छिपाएं. इस के बाद अगर वह लड़का और आप दोनों के परिवार वाले इस विवाह के लिए राजी हों तो आप दोनों विवाह कर सकते हैं.
 
मैं 28 वर्षीया महिला हूं. विवाह को 2 महीने हुए हैं. मेरी समस्या यह है कि मैं जब भी शारीरिक संबंध बनाती हूं तो मुझे बहुत दर्द होता है जिस की वजह से मैं सैक्स क्रिया एंजौय नहीं कर पाती. क्या मेरे साथ कोई मैडिकल समस्या है? मुझे क्या करना चाहिए?
शारीरिक संबंध के दौरान दर्द होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, मसलन, पर्याप्त ल्यूब्रिकेशन का अभाव यानी वैजाइनल ड्राइनैस या पैल्विक मसल्स का टाइट होना या आप की प्रजनन अंगों की संरचना में किसी प्रकार की कमी का होना. इस के लिए आप किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें. वह जांच द्वारा समस्या के कारणों का पता लगा कर निदान बताएंगी. 
इस के अतिरिक्त आप फोरप्ले की समयसीमा बढ़ा कर और डाक्टरी सलाह से पैल्विक फ्लोर एक्सरसाइज के द्वारा भी वैजाइनल ड्राइनैस व पैल्विक मसल्स के टाइट होने की समस्या से निजात पा सकती हैं और सैक्स क्रिया को एंजौय कर सकती हैं.
 
विवाह से पूर्व मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती थी और वह भी मुझे बहुत प्यार करता था. अब मेरा विवाह कहीं और हो चुका है और मेरे पति मुझ से बहुत प्यार करते हैं लेकिन मैं उस लड़के को अभी तक भुला नहीं पाई हूं. मैं उस के साथ भी रिश्ता रखना चाहती हूं. लेकिन अब वह मुझ से कोई बात नहीं करना चाहता. मैं क्या करूं?
जब तक आप विवाह से पूर्व के अपने संबंध को पति से छिपा कर रख सकती हैं तब तक आप उस लड़के के साथ संबंध बनाए रख सकती हैं बशर्ते लड़का इस के लिए तैयार हो. लेकिन साथ ही यह भी जान लीजिए कि पतिपत्नी के बीच कोई भी रहस्य लंबे समय तक रहस्य नहीं रह सकता. ऐसे में प्यार करने वाले पति के होते हुए ऐसे लड़के से संबंध रखना, जो अब आप से संबंध नहीं रखना चाहता, आप के लिए बड़ी समस्या का कारण भी बन सकता है. अब निर्णय आप का है कि आप उस लड़के से संबंध रखना चाहती हैं या प्यार करने वाले पति के साथ खुशहाल जिंदगी बिताना चाहती हैं.
 
मैं 21 वर्षीया युवती हूं और मौडलिंग के क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहती हूं. मुझे इस के लिए क्या करना चाहिए? सलाह दीजिए.
मौडलिंग के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए आप का आकर्षक होना, लंबाई 5 फुट 7 इंच होना, फोटोजेनिक चेहरा होना, कैमराफ्रैंडली व आत्मविश्वासी होना जरूरी है. साथ ही, जीवन में हैल्दी डाइट व लाइफस्टाइल का पालन करना जरूरी है. इस के बाद आप किसी प्रोफैशनल फोटोग्राफर से अपना पोर्टफोलियो बनवाएं व ऐड एजेंसी या कोऔर्डिनेटर से संपर्क करें. 
आप मौडलिंग की शुरुआत पत्रपत्रिकाओं, सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने से कर सकती हैं. आप चाहें तो सफल होने के लिए टे्रनिंग प्रोग्राम में भी हिस्सा ले सकती हैं जिस में ब्यूटी केयर, मेकअप, हेयर स्टाइलिंग, डाइट व ऐक्सरसाइज के अलावा कैमरे का सामना करने की तकनीक भी सिखाई जाती है. इन सब बातों का ध्यान रख कर आप मौडलिंग के क्षेत्र में अपने पैर जमा सकती हैं.
 
मैं विवाहिता हूं. विवाह को 4 वर्ष हो गए हैं. 2 वर्षीय बेटी भी है. पति सेना में हैं. मेरी समस्या यह है कि जब भी पति नौकरी से छुट्टी ले कर आते हैं तो शारीरिक संबंध बनाने में रुचि नहीं दिखाते. इस के पीछे के कारण को मैं नहीं जानती लेकिन उन के इस रवैए के चलते धीरेधीरे मेरा मन भी सैक्स संबंधों से हटता जा रहा है. स्वस्थ सैक्सुअल संबंधों के लिए मैं क्या करूं? कोई राह दिखाइए.
पति से इस बारे में खुल कर बात करें, शारीरिक संबंधों में उन की अरुचि के कारण को जानने की कोशिश करें. सैक्स द्वारा अपने प्यार व भावनाओं को पति के समक्ष प्रदर्शित करें. सैक्स में आप दोनों एकदूसरे से क्या चाहते हैं, खुल कर एकदूसरे को बताएं. हैल्दी सैक्सुअल लाइफ के लिए सैक्स प्रक्रिया में भी नयापन व वैरायटी लाएं. 
सैक्स को केवल बैडरूम की क्रिया न मानें और उसे समयसीमा में न बांधें. एकदूसरे की इच्छाओं का ध्यान रखें. फोरप्ले में अधिक समय लगाएं. माहौल को रोमांटिक बनाएं. साथ ही, स्वस्थ खानपान व फिटनैस का भी ध्यान रखें. अवश्य ही आप के सैक्स संबंधों में सुधार आएगा.
 

इन्हें भी आजमाइए

? कटफ्लावर लगाने के लिए गुलदान की गहराई ज्यादा है तो पेपर नैपकिन के टुकड़े कर के गुलदान में डाल दें. इस से गहराई भी कम हो जाएगी और पेपर तले की नमी को सोख भी लेगा.
? बातचीत के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसी बात तो नहीं कह रहे जिस से हमारा हलकापन झलकता हो. बातचीत के दौरान गंभीरता रखी जाए तो गरिमा बढ़ती है.
? खाद्य पदार्थ खाने के लिए कांटे का प्रयोग करें या चम्मच का, यदि आप को समझ में नहीं आ रहा तो हमेशा चम्मच का ही प्रयोग करें.
? साफसुथरी मनोरंजन वाली किताबें अपने पास अवश्य रखें. मन में निराशा पैदा होते ही तत्काल चुटकुले की या मनोरंजन वाली किताब पढ़ें.
? टेबलमैट से मेल खाते रंग के नैपकिन का प्रयोग करें. वैसे भूरे, हरे व हलके गुलाबी रंग के नैपकिन आकर्षक लगते हैं.
? बाथरूम के फर्श के धब्बों और मैल को दूर करने के लिए कपड़े के टुकड़े को मिट्टी के तेल में भिगो कर फर्श पर रगड़ें, फर्श साफ हो जाएगा.
? मोबाइल की बैटरी कम हो रही हो, तो फास्ट चार्ज करने के लिए मोबाइल को एअरोप्लेन मोड में रखें.

मेरे पापा

हम 4 बहनें और 1 भाई हैं. 4 लड़कियां होने के कारण अकसर लोग मेरे पापा से कहते थे कि लड़कियों की शादी जल्दी कर दो, इन को पढ़ा कर क्या फायदा?
मेरे पापा ने इन बातों की परवा न कर के हम सभी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और हमारी प्रत्येक इच्छा को पूरी करने की कोशिश की. हमें लड़की होने की वजह से उन्होंने कभी उपेक्षित नहीं किया. हम बचपन से ले कर आज तक अपने पापा के साथ सब बातें शेयर करते आ रहे हैं.
उन के दिए संस्कारों, प्रेरणा, सहयोग व प्यार की वजह से आज हम सभी भाईबहनें शिक्षित व आत्मनिर्भर हैं. मुझे अपने प्यारे पापा पर गर्व है.
मोनिका सक्सेना, अलवर (राज.)
 
मेरे पापा शहर के जानेमाने डाक्टर और अत्यंत मेहनती इंसान हैं. उन्होंने हम तीन बहनों और मेरे भाई को दिलोजान से पाला है. मेरी शादी हो चुकी है, उन से मुलाकात कम हो पाती है. वे इन दिनों अपने सब्जैक्ट पर किताब लिखने में व्यस्त हैं. किताब अच्छाखासा उन का समय लेती है. मैं इस बार घर गई हुई थी, वे अपनी किताब में कुछ करैक्शन कर रहे थे. कंप्यूटर को ज्यादा न जानने के कारण उन को देर लग रही थी. मैं ने किताब पीडीएफ से वर्ड में कनवर्ट कर दी और अपने घर लौट आई. कुछ दिन बाद उन का फोन आया कि ऐसा करना बहुत लाभकारी रहा. उन के शब्दों में धन्यवाद झलक रहा था. मेरे अंदर आंसू की लहर दौड़ गई कि जिस इंसान ने अपना सारा जीवन हमारी खुशहाली के लिए लुटा दिया, उन्होंने मेरे छोटे से कृत्य को इतना सराहा.
डा. अपर्णा सिंघल, पश्चिम विहार (न.दि.)
 
जब भी मैं चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी  सहपाठियों को कामयाब देखती हूं, जिन्होंने मेरे सैलेक्शन होने के 3 साल बाद मैडिकल जौइन किया था, तो मैं अवसाद से भर उठती हूं. किसी भी टैक्निकल लाइन में जाने की मेरी आकांक्षा थी. गर्ल्स स्कूल में साइंस की पढ़ाई नहीं होने के बावजूद मैं ने स्पैशल परमिशन से जिला स्कूल से 3 साल का कोर्स मात्र डेढ़ साल में पढ़ा और मेरा सैलेक्शन पटना मैडिकल कालेज में हुआ.
लेकिन मेरे पापा के एक छोटे से शब्द ‘न’ ने मेरी सारी आशाओं व आकांक्षाओं पर तुषारापात कर मेरे भविष्य को दांव पर लगा दिया. फिर भी किसी तरह मनोबल को जुटा आगे की पढ़ाई की. बीएससी औनर्स एवं एमएससी बिहार के सब से नामी कालेज से टौप करते हुए पास करने के बावजूद जाति, आरक्षण एवं सिफारिश के कारण एवं कुछ अपनी परिस्थितियों के कारण ढंग से कहीं कुछ नहीं कर पाई.
मेरे पापा की अस्पताल के प्रति गलत धारणा ने मेरे सारे सपनों को ध्वंस कर के रख दिया.
रेणु श्रीवास्तव, पटना (बिहार) 

झुकी झुकी निगाहें

मुझे डर सता रहा है
वो कहीं बदल न जाए
अभी था करीब मेरे
कहीं दूर चल न जाए
देख चांद भी छिपा है
सितारे भी सो रहे हैं
आ जाओ करीब मेरे
कहीं रात ढल न जाए
जो नज्म लिखूं मैं तो
तेरे प्यार में हो डूबी
कोई और इश्क पे
मेरे लिख गजल न जाए
छलकें न अब कभी भी
आंखों से अश्क मेरे
किस्मत कहीं ये मेरी
मुझ को छल न जाए
झुकीझुकी निगाहें और
लबों पे खामोशियां हैं
ये इश्क का जुनू है
कहीं दम निकल न जाए
देख तेरे नाम का दुपट्टा
आज ‘हीर’ ओढ़ती है
सिहर सी इक रगों में
ये दिल मचल न जाए.
 हरकीरत हीर

बच्चों के मुख से

मेरी बेटी तान्या 4 साल की है. मैं उसे नएनए शब्द बोलना सिखा रहा हूं. कभीकभी वह इन शब्दों का प्रयोग गलत क्रम में कर देती है जिस से अर्थ का अनर्थ हो जाता है.
एक दिन हम सड़क से गुजर रहे थे. वहां एक गाय खड़ी थी. मैं बोला कि 
बेटा, गाय के पास से मत जाना, यह ‘खतरनाक’ गाय है. वैसे तो वह गाय से अच्छी तरह परिचित है पर ‘खतरनाक’ शब्द उस के लिए नया था. उस ने पूछा, ‘‘खतरनाक मतलब?’’ 
मैं ने कहा, ‘‘बेटा, इस के सींग बड़ेबड़े हैं, इसलिए यह खतरनाक गाय है.’’
कुछ दिनों बाद उसी गाय ने हमारे क्वार्टर के बाहर गोबर कर दिया. तान्या ने देखा और चिल्लाई, ‘‘पापा, देखोदेखो, गाय ने खतरनाक पौटी कर दी.’’ उस की बात सुन कर हम सब हंसे बिना न रह सके. दरअसल, वह तो कहना चाह रही थी कि खतरनाक गाय ने पौटी कर दी.
राजेश कुमार गुप्ता, पंचकूला (हरियाणा)
 
मेरा बेटा वियतनाम के होचीमिन शहर में रहता है. हम लोग उस के पास घूमने गए थे. मेरा 3 साल का पोता अनिकेत बहुत ही नटखट और हाजिरजवाब है. उसे पैदल चलना अच्छा नहीं लगता.
हम वहां का चिडि़याघर देखने गए. गाड़ी करीब आधा किलोमीटर दूर खड़ी करनी पड़ी. उस के पापा ने उसे गोद में घुमाया. रात में वे कहने लगे, ‘‘इसे गोद में उठाने से मेरे हाथ दर्द कर रहे हैं. सुबह औफिस कैसे जाऊंगा?’’ 
अनिकेत सुन रहा था, झट बोला, ‘‘पापा, औफिस तो पैर से जाओगे, हाथ से थोड़े ही जाना है.’’
उस की उस हाजिरजवाबी पर हम सब खिलखिला कर हंस पड़े.
स्नेहलता आगीवाल, उज्जैन (म.प्र.)
 
मेरा छोटा भाई जग्गी लगभग 6 वर्ष का था जब उस ने छोटी साइकिल पर पैडल मारना सीख लिया था. एक दिन वह पिताजी के पास आया और बोला, ‘‘डैडी, मुझे साइकिल चलानी आती है.’’
डैडी ने कहा, ‘‘अच्छा, चलाओ.’’
इस पर जग्गी ने कुछ संदेह से पूछा, ‘‘पर मुझे चढ़ाएगा कौन?’’ 
वहीं पास में खड़े हमारे बूढ़े माली रहीम काका ने कहा, ‘‘मैं चढ़ा दूंगा.’’ 
जग्गी ने फिर पूछा, ‘‘मुझे उतारेगा कौन?’’ रहीम काका ने कहा, ‘‘मैं उतार दूंगा, भैया. तुम चलाओ.’’ 
जग्गी ने फिर पूछा, ‘‘मेरे पीछेपीछे भागेगा कौन?’’ अब तो रहीम काका भी कुछ जवाब नहीं दे सके और हम सब मुंह छिपा कर हंस रहे थे.
मनोरमा दयाल, नोएडा (उ.प्र.)
 

सूक्तियां

घृणा
हम कुछ आदमियों से इसलिए घृणा करते हैं कि हम उन के बारे में पूरी तरह नहीं जानते और कभी जान भी नहीं सकेंगे, क्योंकि उन से हम घृणा करते हैं.
धारणा
पहली मुलाकात में ही किसी व्यक्ति के बारे में कोई निश्चित धारणा न बना ली जाए, क्योंकि बाद में उस पर अडिग नहीं रहा जा सकता.
गणित
अगर किसी का ध्यान इधरउधर बहुत भटकता हो तो उसे गणित पढ़ना चाहिए, जहां भी जरा ध्यान चूकेगा, फिर शुरू से पढ़ना होगा.
दुख
किसी ने ठीक ही कहा है कि उस दुख से बढ़ कर कोई दूसरा दुख नहीं है जो अपने को व्यक्त न कर सके.
चरित्र
दुश्चरित्र आदमी से न दोस्ती करो न जानपहचान. गरम कोयला जलाता है, ठंडा कोयला हाथ काले करता है.
गौरव
हमारा गौरव कभी न गिरने में नहीं है बल्कि गिर कर उठने में है.
रिवाज
रिवाज अकसर गलती के पुरानेपन के सिवा कुछ नहीं होते.
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें