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अब एटीएम से पैसे की जगह मिलेगा पानी

अभी तक आपने सिर्फ एटीएम से रुपये निकलते ही देखे होंगे, लेकिन अब आपको एटीएम से पानी की सुविधा मिलेगी. समाजवादी पेयजल योजना के तहत उत्तर प्रदेश में सार्वजानिक स्थानों पर पानी के एटीएम लगेंगे. इनसे 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से आम जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.

मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सार्वजानिक स्थानों जैसे ब्लाक, तहसील एवं कलेक्ट्रेट कार्यालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों  पर पर एटीएम लगाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने यह भी  निर्देश दिये कि समाजवादी पेयजल योजना के तहत आरओ का शुद्ध पानी न्यूनतम 2 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की जाए, ताकि निचले स्तर के लोगों को भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके.

अब नींबू से करें अपना स्मार्टफोन चार्ज

आज तक आप ने नींबू को केवल खाने, दाग छुड़ाने और ब्यूटी ट्रीटमैंट के लिए इस्तेमाल किया होगा, लेकिन आप को यह जानकर कर हैरानी होगी कि अब आप नींबू से अपना स्मार्टफोन भी चार्ज कर सकते हैं. जी हां, आजकल सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिस में स्मार्टफोन को नींबू से चार्ज करने का दावा किया गया है. यानी अब स्मार्टफोन चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत नहीं है, बल्कि नींबू का इस्तेमाल कर फोन को चार्ज किया जा सकता है.

क्या है वीडियो में

इस वीडियो के अनुसार अब बिजली नहीं रहने पर आप को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है कि आप का फोन कैसे चार्ज होगा, बस अपने पास नींबू रखिए और स्मार्टफोन चार्ज कीजिए. वीडियो में नींबू से स्मार्टफोन को चार्ज करने के तरीके के बारे में बताया गया है. जिसमें सबसे पहले नींबू को दो हिस्सों में काटना होता है, फिर चार्जर के पौइंट को नींबू के दोनों हिस्सों के अंदर लगाना होता है. इस के बाद चार्जर के तार को अपने स्मार्टफोन से कनेक्ट करना है. आप देखेंगे कि आप का फोन चार्ज हो रहा है.

इस्तेमाल करने से पहले सोचें जरूर

यह वीडियो देख का आप के दिमाग में एक बार यह विचार जरूर आएगा कि ऐसा कैसे हो सकता है, क्या यह सच में संभव है ? आप भी इसे एक बार  ट्राई करना जरूर चाहेंगे, पर इसे ट्राई करने से पहले जरूर सोचें, कहीं ऐसा न हो कि आप को लेने के देने पड़ जाए, क्योंकि इस से पहले भी केले और आलू से स्मार्टफोन को चार्ज करने की बात कही जा चुकी है.

ये लोग कौमेडी से कर रहे हैं समाज सुधार

कौमेडी का मुकाबला कौमेडी से कर लोगों के बीच हीरो बन गए हैं मैक्सिको के अर्थरो हेरनांदेज और एक निजी कंपनी में सिटी मैनेजर अमेरिकी युवती अर्ने अस डेन रूदेन. जब लोग ऊटपटांग हरकतें करने से बाज नहीं आते, तो ये भी अपनी कौमेडी से न सिर्फ लोगों को गुदगुदाते हैं, बल्कि इस के माध्यम से सही रास्ते पर भी ले आने में कामयाब होते हैं. शहर के जिन स्थानों पर अकसर लोग जाम लगा देते हैं, वहां पर हेरनांदेज उन्हें सबक सिखाने के लिए पहले से ही अपनी गाड़ी लगा कर खड़ी कर देते हैं. उन की इस हरकत को देख कर तो लगता है जैसे वे कह रहे हो कि दम है तो लगा कर दिखाओ जाम. उन की गाड़ी को देख हर किसी की सिट्टीपिटटी गुम हो जाती है.

यही नहीं अगर सडक़ पर हुए गड्ढे की प्रशासन ने समय रहते सुध नहीं ली, तो फिर तो उन का कारनामा देखने लायक होता है. वे खुद ही गड्ढे में पानी भर कर उस में नहाना शुरू कर देते हैं ताकि प्रशासन शर्म से पानी पानी हो जाए. वे भद्दे कपड़े पहनने में भी नहीं हिचकते. जब लोग ऐसे कपड़ों पर कमैंट्स करते हैं तब उन की जबान पर यही डायलौग होता है, ‘जब तुम्हें गंदी हरकतें करने में शर्म नहीं आती तो फिर मुझे काहे की. देखो आंखें फाडफ़ाड़ कर मेरे ऐसे कपड़ों को. जब आए खुद की हरकतों पर शर्र्म तब ठान लेना सुधरने की.’ उन की बात सुन कर लोग खुद को बदलने पर मजबूर हो जाते हैं.

ठीक इसी तरह रूदेन को भी यहांवहां गाड़ी पार्क करने वालों और गंदगी फैलाने वालों से चिढ़ है. अपने मिशन में कामयाब होने के लिए वे पेरिस्कोप ऐप का प्रयोग करती हैं. इस के माध्यम से जैसे ही उन्हें पता चलता है कि सडक़ पर कोई गंदगी फैला रहा है या गलत ढंग से कार पार्क कर रहा है तो वे झट से उस का वीडियों बना कर सोशल साइट पर वायरल कर के उस की वौट लगा देती हैं. इस के लिए उन की कई बार धुनार्ई भी हो चुकी है. लेकिन कहते हैं न कि जिस में कुछ करने का जज्बा हो उस के हौसले को कोई नहीं हिला सकता.

‘मोदी पिचकारी, जो तूने मुझे मारी…’

लंदन, सिंगापुर, हांगकांग और बैंकाक के मैडम तुसाद म्यूजियम में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की मोम की मूर्ति लगाई जायेगी. यहां पर पहले से महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय, सलमान खान, रितिक रोशन, करीना कपूर , माधुरी दीक्षित और कैटरीना कैफ की मोम की मूर्तियां लगी है. मैडम तुसाद म्यूजियम में देश और दुनिया के बडे बडे लोगों की मूर्तियां लगी है. मूर्तियां सम्मान और प्रचार का हिस्सा है. अपने देश में होली में बिकने वाली पिचकारी और दीवाली में बिकने वाले पटाको में तमाम लोगों के फोटो लगाकर खरीदने वालों को लुभाया जाता है. जिस पटाखा या फुलझडी का प्रचार कैटरीना और करीना ने नहीं किया होता है उनपर भी उनकी फोटो लगा दी जाती है. इनको तैयार करने वाले यह देखते है कि लोगों के बीच कौन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है वह उसी के नाम का प्रयोग करते है. 

होली के त्योहार का रंग बाजार पर चढने लगा है. बाजार में तरह तरह की पिचकारी दुकाने पर आने लगी है, जो रंग खेलने वालों को आकर्षित करने लगी हैं. प्लास्टिक की बनी यह तरह तरह की पिचकारी 150 रूपये से शुरू होकर 2 से 3 हजार तक की कीमत की आ रही हैं. मौल्स से लेकर सडक तक इस तरह की पिचकारी मिलती है. मजेदार बात यह है कि बच्चे रंग खेलने के बाद पिचकारियों को खिलौने के रूप में प्रयोग भी करते है. इन पिचकारियों को बनाने में अलग अलग डिजाइनों का प्रयोग किया जाता है. कोशिश यह होती है कि डिजाइन ऐसे हों, जो बच्चों को आकर्षित कर सकें. कार्टून कैरेक्टर और बन्दूक रायफल आकार वाली पिचकारी बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आते हैं. इस बार बाजार में जो नई किस्म की पिचकारी देखने को मिली, वह मोदी पिचकारी है. इसमें प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर चिपकाई गई है. दुकानदारों का कहना है कि आजकल मोदी जी का जिस तरह से प्रचार हो रहा है, अब बच्चें भी उनकी तस्वीर के प्रति आकर्षित हो रहे है.

होली के त्योहार में बुरा न मानने का रिवाज है. ऐसे में नेताओं के नाम की पिचकारी का प्रयोग भी धडल्ले से होने लगा है. फिलहाल बाजार में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम वाली पिचकार बिकने आ गई है. हो सकता है इसके पीछ सोनिया गांधी, ममता बनर्जी या राहुल गांधी के नाम वाली पिचकारी भी तैयार हो रही हो. ऐसे में लोग एक दूसरे के उपर अलग अलग नाम वाली पिचकारी से रंग डालते नजर आये. कहीं मोदी पिचकारी से राहुल पिचकारी का मुकाबला हो रहा हो, तो कहीं सोनिया के नाम वाली पिचकारी से ममता के नाम वाली पिचकारी में रंग चल रहा हो. कुछ भी हो जनता तो बुरा न मानो होली है का नारा लगाते हुये बस एक दूसरे पर रंग डालने का मजा लेगी. रंग खेलते समय इस बात का ख्याल जरूर रहे कि कहीं रंग में भंग न पडे. ऐसे में नेताओं के नाम वाली पिचकारी का प्रयोग सोच समझ कर ही करे.

तो क्या पाकिस्तान के हाथों होगी टीम इंडिया की हार…!

भारत और पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा लोगों की दिलों की धड़कन बढ़ा देता है. एक बार फिर दर्शकों को ये रोमांचक मैच देखने को मिलेगा. फिर से टीम इंडिया और पाकिस्तान कोलकाता के ऐतिहासिक मैदान ईडन गार्डन में भिडऩे को तैयार है.

टी 20 वर्ल्ड कप के मुकाबले में जहां टीम इंडिया के धुंरधरों ने अपनी कमर कस ली है, तो वहीं पाकिस्तानी खिलाड़ी भी इस मैच में अपना ऐड़ी-चोटी का जोर लगाने को तैयार हैं.  लेकिन इस बार पलड़ा पाकिस्तान का भारी होगा.

दरअसल, ये हम नहीं बल्कि क्रिकेट के रिकार्ड बता रहे हैं. भारत-पाकिस्तान के इस मुकाबले में पाकिस्तान की टीम भारत से बहुत आगे है. आंकड़ों पर नजर डाले तो अब तक भारत और पाकिस्तान क्रिकेट टी-20 से लेकर वनडे इंटरनेशनल  वर्ल्ड कप में कुल 10 बार आपस में भिड़े हैं. इन 10 मुकाबलों में टीम इंडिया का पलड़ा भारी रहा है. टीम इंडिया ने इनमें से सभी मैच में जीत हासिल की है. लेकिन जब बात वर्ल्ड कप के अलावा भारत और पाकिस्तान के मकाबले की हो, खासकर ईडन गार्डन की, तो यहां रिकार्ड्स  पाकिस्तान के पक्ष में हैं.

अब तक कोलकाता के ईडन गार्डन में भारत और पाकिस्तान आपस में चार बार भिड़े हैं. चारों बार पाकिस्तानी टीम की ही जीत हुई है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस बार भी  मैदान में पाकिस्तान की टीम भारत पर भारी पड़ सकती है. अब देखना यह होगा कि भारत पाकिस्तान का यह रिकार्ड तोड़ पाता है या नहीं?

ईडन में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत का ये रहा आंकड़ा-

18 फरवरी 1987: 2 विकेट से पाकिस्तान की जीत.

28 अक्टूबर 1989: 77 रनों से पाक से भारत को हराया.

13 नवंबर 2004: 6 विकेट से पाक ने टीम इंडिया को हराया.

3 जनवरी 2013: 85 रनों से भारत को हार मिली.

 

तिग्मांशु धुलियाः माफी मांगने का अवसर मिल गया

भारत व पाकिस्तान के बीच राजनैतिक स्तर पर शांति स्थापित करने की कोशिशें रंग नहीं ला रही हैं. आए दिन दोनों देशों के बीच कोई न कोई नया विवाद या नए तरह का तनाव पैदा होता रहता है. ऐसे माहौल के बीच भारत की मीडिया कंपनी ‘‘जी एंटरटेनमेंट इंटरप्रायजेस लिमिटेड’’ ने ‘‘जील फार यूनीटी’’ की घोषणा कर एक नया कदम उठाया है. ‘‘जील फार यूनीटी’’ के तहत भारत व पाकिस्तान की आवाम को एक दूसरे के प्रति सोचने व समझने का मौका देकर एक बदलाव लाने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसी के तहत छह भारतीय और छह पाकिस्तानी फिल्मकार इस मंच पर एक साथ इकट्ठा हुए है. इन लोगों ने दोनों देशों में भाई चारा व अमन चैन स्थापित करने के लिए फिल्में बनायी हैं, जो कि बहुत जल्द दोनो देशों में रिलीज की जाएंगी. इसी मकसद से 15 मार्च को वाघा बार्डर, अमृतसर पर दोनो देशों के सभी छह छह यानी कि कुल बारह फिल्मकार मिले और पारस्परिक रूप से शांति एवं सौहार्द को प्रोत्साहित करने पर बल दिया.

वाघा बार्डर से छह पाकिस्तानी फिल्मकारों खालिद अहमद, महरीन जब्बार, मीनू फरजाद, सबीहा समर, शाहबाज समर व सिराज उल हक का ‘जील’ के पुनीत गोयंका, शैलजा केजरीवाल व सुनील बुच के साथ छह भारतीय निर्देशकों केतन मेहता, अपर्णा सेन, तिग्मांशु धुलिया, बेजाय नांबियार, निखिल अडवाणी ने स्वागत किया. उसके बाद  वाघा बार्डर से एक किलोमीटर दूर अमृतसर के ‘सरहद रेस्टोरेंट’ में मीडिया से इन फिल्मकारों ने लंबी चौड़ी बातें की. इस मौके पर तिग्मांशु धुलिया ने कहा कि उन्हे भारत पाक विभाजन की गलती के लिए माफी मांगने का अवसर मिला है.

हमसे बात करते हुए तिग्मांशु धुलिया ने कहा-‘‘पाकिस्तानी फिल्मकार भारत आकर भारतीय कलाकारों व तकनीशियन के साथ फिल्में बनाएं. भारतीय फिल्मकार पाकिस्तान जाकर पाकिस्तानी कलाकारों व तकनीशियन के साथ फिल्में बनाएंगे, तो अमन चैन व शांति स्थापित करने की दिशा में हम कलाकार अहम भूमिका निभा सकेंगे. हम छह भारतीय व छह पाकिस्तानी फिल्मकारो ने ‘जील फार यूनिटी’ के तहत जो काम कर रहे हैं, उससे हमें भारत  पाकिस्तान यानीकि देष के  विभाजन की गलती पर माफी मांगने का अवसर मिल गया है. मुझे लगता है कि राजनैतिक स्तर पर जो भी गलतियां हुई हैं या हो रही हैं, उसे हम सुधार सकते हैं. हम देश के  विभाजन को बहुत बड़ी गलती मानते हैं. इसलिए हम कहते हैं कि अब हमें ‘जील फार यूनीटी’ की वजह से ने माफी मांगने का अवसर मिला है.’’

– शांतिस्वरुप त्रिपाठी, वाघा बार्डर, अमृतसर से लौटकर

धर्म के चरणों में राजनीति

धर्म वास्तव में उतना मजबूत होता नहीं है जितना कि दिखता है. दरअसल में उद्योग और राजनीति मिलकर उसे मजबूती देते हैं, जिससे वक्त पड़ने पर अपना उल्लू सीधा किया जा सके. दर्शनशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि लेने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तय है इस बात को औरों से बेहतर समझते होंगे, लेकिन उनकी अपनी मजबूरियां और कमजोरियां हैं, जिनके चलते वे अक्सर धर्मगुरुओं के सामने नतमस्तक नजर आते हैं.

ज्येातिष व द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपनांद जब बीते दिनों पांच दिवसीय प्रवास पर भोपाल आए, तो शिवराज सिंह चौहान दौड़े दौड़े उनके पास गए और चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लिया. कभी विदिशा में दुर्गा और गणेश की झांकियों से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले शिवराज सिंह को लगता है कि यह धर्म की शक्ति और धर्मगुरुओं के आशीर्वाद का प्रताप है कि वे आज इस मुकाम पर हैं.

स्वरूपानंद ऐसा नहीं कि किसी जंगल में बैठे कोई कठोर तपस्या या त्याग करते हों, पक्षियों ने उनके बालों में घोसला बना लिया हो और पलकें जमीन छूने लगी हों या फिर शरीर में दीमक लग गई हो, उलटे उनका वैभव देख जरूर श्रद्धालु हैरत में पड़ जाते हैं. स्वरूपानंद जिस वेन में चलते हैं उसमें ऊपर चढ़ने के लिए लिफ्ट लगी हुई है वे देश के किसी भी कोने में हों, उनके पीने का पानी गोटेगांव (श्रीधाम) स्थित उनके आश्रम से ले जाया जाता है और उनकी भारी भरकम रसोई उनके साथ चलती है.

बहरहाल राजनेता अगर इस तरह धर्मगुरुओं के पांवों में पड़े दिखाई दें तो इससे लोकतंत्र कमजोर होता है. धर्म के अंधे पाखंडी, अंधविश्वासी लोग यह नहीं समझ पाते कि कैसे कोई शराब कारोबरी कितनी सहूलियत से अरबों रुपए डकार कर देश से भाग जाता है और कोई आध्यात्मिक गुरु 5 करोड़ जो उसके लिए बेहद मामूली रकम होती है का जुर्माना भरकर 1000 एकड़ जमीन पर कला के नाम पर पर्यावरण से खिलवाड़ करके स्वर्ग का सा नजारा धरती पर दिखा देता है.

आम जनता की धर्म नाम की कमजोरी इन सबने पकड़ रखी है, इसलिए लोग ऐसी घटनाओं का वांछित विरोध नहीं कर पाते, बस खिसिया कर रह जाते हैं. स्वरूपनानंद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भी गुरु हैं और हिन्दू नहीं बल्कि सनातन धर्म को मानते हैं, जिससे समाज पर ब्राह्मणों का दबदबा बना रहे. शायद इसीलिए शिवराज सिंह उनकी शरण में जाते हैं, जिससे ब्राह्मणों वोटों को लुभाया जा सके और कहीं किसी बात पर यानी स्वागत सत्कार में कमी होने पर शंकराचार्य सिंहस्थ के बहिष्कार का ऐलान न कर दें.

इस औपचारिक मुलाकात को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिग्विजय सिंह पर अपने कार्यकाल के दौरान विधानसभा  में फर्जी भरती मामले पर दायर मुकदमे से जोड़कर भी देखा जा रहा है जिससे दिग्विजय खासे परेशान हैं.

डेअर यूः सेक्स, ड्रग्स, हत्या और गैंगरैप की पराकाष्ठा

गैंगरैप और महिला उत्पीड़न के मुद्दे पर बनायी गयी ‘वयस्क’ यानी कि ‘ए’ प्रमाणपत्र वाली फिल्म ‘‘डेअर यू’’ एक प्रताड़ित लड़की द्वारा बदला लिए जाने की निडर व साहस भरी कथा है. फिल्म के लेखक व निर्देशकक डेनिस सेलर्का व मेहुल सिमरिया ने अपनी फिल्म के संवाद के माध्यम से देश की सीमा पर दुश्मन को मौत के घाट उतारने वाले वीर सैनिक के समकक्ष उस लड़की रानी दीवान को बताया है, जो कि अपने साथ गैंगरेप करने वाले चार युवकों की हत्या करती है. इतना ही नहीं लेखक व निर्देषक अपनी फिल्म की नायिका रानी दीवान को बदलते समय की जरुरत बताते हैं.

फिल्म ‘‘डेअर यू’’ की कहानी का केंद्र युवा लड़की रानी दीवान (अलीषा खान) है, जो कि कश्र से मुंबई के चर्चिल कालेज में पढ़ाई करने आती है. वह इस कालेज के सात लड़के व लड़कियों के ग्रुप ‘‘डेअर यू’’ की सदस्य बन जाती है. इस ग्रुप में उसके अलावा रविराज, शार्ट, फौजी, ईवा मेंडिस हैं. इनके बीच आपसी रिश्ते भी हैं. ईवा और रविराज के बीच प्रेम संबंध हैं. लेकिन कालेज में रानी दीवान के आते ही रविराज, ईवा का साथ छोड़कर रानी दीवान के प्रेम में पड़ जाता है. यह बात ईवा को पसंद नहीं. वह अपने दूसरे तीन साथियों की मदद से एक शर्त लगाकर रानी दीवान के खिलाफ साजिश रचती है. पर वह जो चाहती है, वैसा नहीं हो पाता है. फिर जब ईवा को पता चलता है कि रानी दीवान अपने दूसरे प्रेमी आर्यन के साथ ब्लूबीच रिसोर्ट पर समय बिताने जा रही है, तो वह अपने तीन साथियों के साथ साथ एक ड्रग्स डीलर की मदद से ब्लूबीच रिसोर्ट में आर्यन की पिटाई करवाने के अलावा रानी दीवान का गैंगरेप बहुत ही अमानवीय प्रताड़ना के साथ करवा देती है. ब्लू बीच रिसोर्ट के मैनेजर, पुलिस इंस्पेक्टर खान को बुला देते हैं. मगर रानी दीवान, पुलिस इंस्पेक्टर को हकीकत बयान करने के बाद इंस्पेक्टर को उनकी बेटी का वास्ता देते हुए शिकायत दर्ज कराने से इंकार कर देती है.

वह नहीं चाहती कि कालेज में पढ़ने वाले उसके साथी और वह बदनाम हो. पर दूसरे ही दिन से रानी दीवान अपने साथ गैंगरेप करने वाले युवकों को वीभत्स व दिल हदला देने वाले अमानवीय तरीके से मौत के घाट उतारना शुरू करती है. इन हत्याओं की जांच में जुटे पुलिस इंस्पेक्टर अशोक पंडित अपराधी तक नही पहुंच पा रहे हैं. पर जब एक दिन पुलिस इंस्पेक्टर खान, इस्पेक्टर पंडित के सामने ब्लू बीच रिसोर्ट की घटना को रखते हैं, तो इंस्पेक्टर पंडित को रानी दीवान पर शक हो जाता है और वह इसे गिरफ्तार करना चाहता है. मगर तभी रानी दीवान और ईवा ग्रोवर की बातचीत सुनकर पुलिस इंस्पेक्टर रीना  दीवान के पक्ष में हो जाता है. इधर रानी के हाथों ईवा भी मारी जाती है. मगर सच जानते हुए भी पुलिस इंस्पेक्टर अशोक पंडित रानी दीवान की बजाय सारा आरोप ड्रग डीलर व ईवा पर लगाकर मामला रफा दफा कर देता है. पुलिस इंस्पेक्टर पंडित को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. तब पुलिस इंस्पेक्टर पंडित एक चैनल की रिपोर्टर से कहता है-‘‘जिन दरिंदो ने रानी दीवान के साथ वीभत्स और अमानवीय तरीके से गैंगरेप किया, उन्हे उनके कर्मो की सजा तो मिलनी ही चाहिए थी. रानी ने अपने साथ गलत काम करने वाले युवकों को सजा दी है. उसने गुनाह नहीं किया. सरहद पर अपने दुश्मनों का मौत के घाट उतारने वाले सैनिक को हम वीरता के पुरस्कार से सम्मानित करते हैं. उस सैनिक को हम शहीद का दर्जा देते हैं. उसे अपराधी नहीं कहा जाता. इसलिए रानी दीवान भी अपराधी या हत्यारन नही है. यदि इस तरह हर लड़की निर्भीक व निडरता के साथ पेश आएगी, तभी नारी उत्पीड़न व गैंगरैप की घटनाएं खत्म होंगी.

रहस्य रोमांच प्रधान फिल्म ‘‘डेअर यू’’ में गैंगरैप और नारी उत्पीड़न का एक समसामायिक व ज्वलंत मुद्दा उठाया गया है. लेकिन फिल्म का प्रस्तुतिकरण इतना घटिया है कि लेखक व निर्देशक का मकसद पूरा नहीं हो पाता. फिल्म में कालेज लड़कों को जिस तरह से ड्रग्स व सेक्स मे लिप्त दिखाया गया है, वह फिल्म को यथार्थ से परे ले जाती है. फिल्म में रानी दीवान के साथ गैंगरेप के सीन को भी बहुत वाहियात तरीके से चित्रित किया गया है. उपर से लेखक व निर्देशक दावा है कि उनकी फिल्म का रेप/बलात्कार सीन बालीवुड का पहला सबसे ज्यादा लंबा ‘बलात्कार सीन’ है. फिल्म में नवोदित कलाकारों की भरमार है, तो शायद निर्माता व निर्देशक ने सेक्स सीन के बल पर दर्शकों को सिनेमा घर में खींचने की मंशा से इस तरह के सीन रखे हैं. फिल्म में हत्या के दृश्यों को बहुत ही घिनौने तरीके से फिल्माया गया है. जहां तक अभिनय का सवाल है, तो एक भी कलाकार अभिनय के मामले में खरा नहीं उतरता है. फिल्म का गीत संगीत भी सराहनीय नहीं है. एक गाने का फिल्मांकन स्तरहीन तो है ही, इस गाने के बोल भी अशोभनीय व सेक्सी शब्दों से युक्त है. फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है,जिसकी वजह से फिल्म देखी जाए.

‘‘ब्लूबेरी फिल्मस प्रा. लिमिटेड’’ और ‘‘रेड बेरी इंटरटेनमेंट’’ के बैनर तले बनी फिल्म ‘‘डेअर यू’’ के निर्माता नरसी वसानी, लेखक व निर्देशक डेनिस सेलर्का और मेहुल सिमरियो, संगीतकार चिरंतन भट्ट, जयेष गांधी और करी अरोड़ा, एडीटर पवन श्रीवास्तव तथा कलाकार हैं-अलीषा सीमा खान, अरविंद राठौड़, विकास श्रीवास्तव, क्षितिज सिंह परमार, हर्ष नागर, मडोना टिक्सेरा, सुमित गड्डी, विजय दसानी, हितेन कपूर, काविया विधाटे, बोस्की सेठ, अविनाश अभिचंदानी व नील मोटवानी.

शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा और फिर…

राजधानी की सड़कों पर खूबसूरत, फर्राटेदार अंगरेजी बोलती लड़की राह चलते टकरा जाए, लिफ्ट मांगे और फिर दोस्ती बढ़ाए, तो जरा सावधान हो जाइएगा. आप किसी गहरी मुसीबत में फंस सकते हैं और मुसीबत में घिरने के बाद वहां 2-4 वरदीधारी को देख कर यह मुगालता तो कतई न पालिएगा कि आप बालबाल बच जाएंगे. एक ऐसी ही सनसनीखेज वारदात राजधानी दिल्ली में घटी, जब रोहिणी में हुस्न का जाल बिछा कर एक बिजनैसमेन को ब्लैकमेल करने के आरोप में दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पैक्टर समेत 4 लोगों को हिरासत में लिया.

हनी ट्रैप

दरअसल, यह एक वरदीधारी गुंडों की फौज थी जो हनी ट्रैप में मोटे आसामी को जाल में फंसाती थी. जो शिकार हो जाता उसे फ्लैट पर ले जाते फिर लड़की के साथ उस की चोरीछिपे वीडियो बनाते और बाद में रुपयों की मांग कर ब्लैकमेल करते. जाहिर है, इन के जाल में भी वही लोग फंसे होंगे जिन्हें बाहर मुंह मारने की आदत होती है और जिन्हें 'घर की मुरगी दाल बराबर' कहने समझने की आदत रहती होगी.

खुद ही फंस गए

हनी ट्रैप में फंसाने वाले इन उस्तादों की कारस्तानी शायद ही रुकती अगर रानी बाग इलाके के एक करोबारी सोलंकी ने पुलिस की मदद न मांगी होती. सोलंकी ने अपने साथ हुए घटना की पूरी आपबीती पुलिस को बताई. पुलिस ने जांच के बाद इन चारों को धर दबोचा. पकड़े गए आरोपियों में दिल्ली पुलिस के सब इंस्पैक्टर सुभाष के साथ साथ अमित, ललित व टिंकू शामिल हैं.

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

मामला पुलिस से जुड़ा है लिहाजा पुलिस के अधिकारी चुप ही रहेंगे. मगर इस बात का खुलासा जांज रिपोर्ट आने के बाद ही होगा कि इन के जाल में कितने आसामी फंसे होंगे.

आप खुद भी सतर्क रहें और निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें-

* घर से बाहर निकलें तो दिल दिमाग काबू में रखें.

* किसी अनजान को अपना फोन नंबर न दें.

* अनजान बुलावे पर गए तो  फंसेंगे ही.

* मुसीबत में भगवान का नाम न लेकर 100 नंबर पर फोन करें.

व्यवस्था में खामी

छात्र नेता व अवर्ण कन्हैया कुमार के मामले में सख्ती और वकील व भारतीय जनता पार्टी के विधायक ओम प्रकाश शर्मा व भाजपा समर्थक विक्रम सिंह चौहान के मामले में नरमी दिखा कर पुलिस ही नहीं अदालतों ने भी साबित कर दिया है कि यह देश अभी भी पौराणिक सोच पर चल रहा है जिस में एक व्यक्ति की स्वतंत्रताओं के मौलिक अधिकार उस के जन्म पर आधारित होते हैं. दिखावे के लिए पुलिस व अदालतें कभीकभार संपन्न ऊंची जातियों के लोगों पर कार्यवाही भले कर लें पर असल में जब मामला सवर्ण बनाम अन्य का आता है तो स्वाभाविक रुख रामायण के श्लोकों से ही निकलता है, संविधान की प्रस्तावना से नहीं.

कन्हैया कुमार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपने भाषणों में जो कहा था वह वही था जो रोहित वेमुला की तरह की देश की 80-90 प्रतिशत जनता महसूस कर रही है और इस जनता की मांग चाहे व्यावहारिक हो या न हो, चाहे आज की स्थिति में देश उसे पूरी करने की हैसियत में न हो, उसे दबाने का हक किसी को नहीं है.

पिछले दशकों में वोट की राजनीति के चलते इस वर्ग को अपनी कहने का हक मिल रहा है और यह मुखर हो रहा है. पर कांगे्रस हो या भारतीय जनता पार्टी, सभी कभी फुसलाबहला कर तो कभी धमका कर उस का मुंह बंद कराती रही हैं. भारतीय जनता पार्टी अहंकार से कुछ ज्यादा ही पीडि़त है क्योंकि उस का ज्ञान का स्रोत संविधान नहीं, पुराण, स्मृतियां और उन के पढ़ कर अपने अनुसार सुनाने वाले वे हजारों भगवाधारी हैं जो मुफ्त का माल खाते हैं. भाजपा इस मामले को ढंग से हल करने में बिलकुल फिसड्डी साबित हुई है.

भाजपा की सोच सोशल मीडिया में आरक्षण के खिलाफ चल रहे संदेशों से दिख रही है. भाजपा व उस के समर्थक यथास्थिति बनाए ही नहीं रखना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव में मिले वोटों के चलते अहंकार में डूबे भाजपाई व्यवस्था को पौराणिक राजपाट में परिवर्तित किए जाने की मांग करते नजर आ रहे हैं. इस चक्कर में वे कितने ही बंद डब्बे और खोल डालेंगे जिन में सदियों की गंद भरी है, इस बारे में अभी कहा नहीं जा सकता.

भारतीय जनता पार्टी पेशवाई युग को लौटाने की कोशिश कर रही है. वह भूल रही है कि केवल चने और गुड़ खा कर लड़ने वाले मराठे सैनिक अब बहुतकुछ और चाह रहे हैं. जाट, पटेल, कापू, मराठा विद्रोह अभी शुरुआती दौर में है पर हैं ये उसी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संघर्ष के हिस्से जो अब देशभर में फैल रहा है.

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