14 अप्रेल को अंबेडकर जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर के नजदीक महू मे दलितों की एक सभा को संबोधित करेंगे, जिसे भाजपा ने अनुसूचित महाकुंभ नाम दिया है. इस आयोजन के अपने अलग सियासी माने हैं लेकिन हाल फिलहाल भाजपाइयों को 5 लाख की तयशुदा भीड़ जुटाने में पसीने छूट रहे हैं. 9 अप्रेल को सभी जिलों में हुई कार्यकारिणी की मीटिंग्स में पदाधिकारियों के चेहरों पर मायूसी थी, ठीक यही हाल प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग का था, जिसमे लटके मुंह लिए सभी भाजपाई एक दूसरे से पूछ रहे थे कि 5 लाख दलित कहाँ से और कैसे इकट्ठा कर महू तक ढो कर ले जाएँ, क्योंकि अब कोई आसानी से चलने को तैयार नहीं.

प्रदेश मे फसल कटाई शबाब पर है और किसान मजदूरों के संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में मजदूरों को मुंह मांगा दाम मिल रहा है, अधिकतर कटाई मजदूर दलित तबके के ही हैं, जिन्हे किसी मीटिंग मे आने जाने में 2-3 दिन जाया करने से बेहतर यह लग रहा है कि हम क्यों कमाई का सुनहरा मौका हाथ से जाने दें . पिछले महीने सीहोर के शेरपुर गाँव मे आयोजित किसान कुम्भ में भीड़ जुटाने में भाजपा कार्यकर्ताओं को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ी थी क्योंकि किसान तब फुर्सत में था और तब दलित सवर्ण का भी झंझट नहीं था, अलावा इसके लोग नरेंद्र मोदी को रूबरू देखना भी चाहते थे, इस सफलता से उत्साहित मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलित महाकुंभ के आयोजन का एलान तो कर डाला और नरेंद्र मोदी को जल्द आने मना भी लिया, पर अब छन कर जो रिपोर्ट उन तक पहुँच रहीं हैं उनके मुताबिक अगर एक लाख दलित भी इकट्ठा हो जाएँ तो बहुत हैं.

चूंकि शिवराज भीड़ को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुके हैं इसलिए इन रिपोर्टों से ना खुश हैं. अब भाजपाई कोशिश यह कर रहे हैं कि दलित तैयार न हों तो पिछड़े अगड़ों को ही ले चलो, वहाँ कौन जाति प्रमाण पत्र देखने बैठा है. दूसरे एक नई चर्चा यह शुरू हो गई है कि जो ज्यादा भीड़ लाएगा उसे प्रदेश कार्यकारिणी मे ले लिया जाएगा. यह अफवाह हों या सच बातें हों पर इनसे यह सच भाजपा नहीं छुपा सकती कि मोदी की लोकप्रियता कम हुई है और बहुत कम दिनों के अंतर से प्रधानमंत्री की 2 बड़ी सभाएं रखना बुद्धिमानी का फैसला इतनी भीड़ जुटाने के लिहाज से नहीं है.

इस विषम परिस्थिति से जूझ रहे भोपाल के एक भाजपा कार्यकर्ता का कहना है कि दरअसल मे 14 अप्रैल को बसपा और कांग्रेस ने भी अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम जगह जगह रखे हैं इसलिए भी हमे अप्रेल का यह टारगेट पूरा करने मे परेशानी हो रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा कैसे 14 अप्रेल को 5 लाख दलित इकट्ठा करेगी और जैसे तैसे कर भी लिए तो इस सवाल या बवाल पर क्या कहेगी कि भीड़ वाकई दलितों की थी.

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