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ग्रीन लेडी जया देवी

कुछ खास कर के ही खास मुकाम हासिल किया जा सकता है. पानी के इंतजाम के बल पर बिहार का नक्सल प्रभावित इलाका धरहरा तरक्की की नई कहानी लिख रहा है. यह तब्दीली आई है 500 हेक्टेयर जमीन पर वाटरशेड बनने के बाद. इस वाटरशेड से खेती सरल हुई और भूगर्भ पानी का लेवल भी बेहतर हुआ. इस से करीब 50000 किसानों को फायदा पहुंचा. मगर यह काम दोचार दिनों में नहीं हुआ. इस मुहिम में जया देवी और उन की टीम के साथियों की 10 सालों से ज्यादा की मेहनत शामिल है. ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर सामाजिक वर्कर सराधी की जया देवी ने विलेज वाटरशेड के सर्वे का काम साल 2002 में शुरू किया था. उन्होंने साल 2005 में इस की बुनियाद रखी और साल 2012 में काम मुकम्मल किया.जया देवी ने नाबार्ड द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं के जरीए करेली, कोयलो, अमरासनी, सखौल, गौरैया, लकड़कोला व बरमसिया विलोखर में वाटरशेड बनवाए हैं. पानी बचाने के लिहाज से इन इलाकों में तालाब, चेक डैम व पत्थरमिट्टी के अवरोध बांध  वगैरह बनाए गए हैं.

ईमार्केटिंग से जुड़ेंगी देश की मंडियां

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पटना में कहा कि केंद्र सरकार ईमार्केटिंग के जरीए देश की 585 मंडियों को जोड़ने जा रही है. यह कार्यक्रम 14 अप्रैल से शुरू हो जाएगा. इस के लिए राज्य सरकारों से प्रस्ताव मांगे गए हैं. उन्होंने आगे बताया कि 14 राज्यों ने सौ से ज्यादा शहरों का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन बिहार, केरल और पंजाब से एक भी शहर का प्रस्ताव नहीं भेजा गया है. कृषि मंडी विकसित करने के लिए हर शहर को 30 लाख रुपए दिए जाएंगे. लाइसेंसी दुकानदार ही किसानों से उत्पाद खरीद पाएंगे, साथ ही किसानों को देश की विभिन्न मंडियों में अपने उत्पादों की कीमत देखने की सुविधा होगी. राज्य में पशुधन के विकास के लिए मोतिहारी में पशु मेला सह वैज्ञानिक सत्र का आयोजन किया जा रहा है, जिस में पशुओं के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और वैज्ञानिक पशुपालन के बारे में जानकारी दी जाएगी. कृषि मंत्री की बात से सूबे के तमाम किसानों व पशुपालकों के चेहरे खिल गए.

किसानों को 5 रुपए में भरपेट भोजन

राजस्थान सरकार किसानों के लिए अनेक फायदेमंद योजनाओं में जुटी है, जिस से किसानों में खुशी का माहौल है. अपनी खेत की उपज को ले कर मंडी आने वाले किसानों के लिए दोपहर के भोजन की योजना शुरू की गई है. इस में किसानों को मात्र 5 रुपए में भरपेट भोजन कराया जा रहा है. उदयपुर संभाग मुख्यालय स्थित कृषि उपज मंडी में किसानों को घर जैसा माहौल महसूस हो रहा है. यहां आने वाले किसान ज्यादातर दूरदराज के गांवकसबों से आते हैं. हालांकि किसानों को खाने की जो थाली परोसी जा रही है, उस की कीमत 40 रुपए है, लेकिन किसानों से मात्र 5 रुपए ही लिए जा रहे हैं. शेष 35 रुपए का भुगतान मंडी समिति द्वारा अनुदान के रूप में किया जाता है. यह सुविधा किसानों के साथसाथ पंजीकृत पल्लेदारों को भी प्राप्त है. भोजन की थाली में 8 रोटियां, दाल और सब्जी के साथ सर्दियों के दिनों में 50 ग्राम गुड़ और गरमियों में 200 मिलीलीटर छाछ मिलती है. उदयपुर मंडी में आने वाले किसानों के लिए यह योजना बहुत ही लोकप्रिय साबित हो रही है. इस योजना के तहत अब तक तकरीबन 30 हजार किसान लाभान्वित हो चुके हैं. यह तादाद लगातार बढ़ रही है.

क्यों हुए शाहरुख़ सलमान के कायल

सलमान खान के फैंस में एक नाम और जुड़ गया है और वो नाम है शाहरुख़ खान का. सुल्तान का टीज़र देखने के बाद शाहरुख़ खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपनी ख़ुशी ट्विटर पर कुछ इस तरह जाहिर की.

शाहरुख़ ने लिखा है ,'क्या बात है, हरियाणा का शेर आ गया, सुल्तान भाईजान.'

मेरे बच्चे के दूध के दांतों के बीच काफी स्पेस है. कहीं यह चिंता की बात तो नहीं.

सवाल

मेरे बच्चे के दूध के दांतों के बीच काफी स्पेस है. कहीं यह चिंता की बात तो नहीं?

जवाब

आगे के दूध के दांतों के बीच स्पेस होना सामान्य प्रकृति है और यह अच्छी बात है. स्पेस होने से बड़े और स्थाई दांतों के लिए हड्डी को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी और जब ये दांत निकलेंगे तब वे इस हड्डी पर अच्छी तरह फिट होंगे. स्थाई दांत निकलने के बाद यह जगह खुदबखुद भर जाएगी और जबड़े का आकार बढ़ जाएगा.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

मेरे बच्चे का पहला दांत कब निकलेगा.

सवाल

मेरे बच्चे का पहला दांत कब निकलेगा?

जवाब

दूध के पहले दांत निकलने की औसत आयु 6 से 9 माह है. इस में अंतर भी हो सकता है यानी इस समय से पहले या बाद में भी दांत निकल सकते हैं, पर उसे सामान्य ही माना जाता है. आमतौर पर सब से पहले आगे नीचे की ओर दांत निकलते हैं. लड़कियों के दांत आमतौर पर लड़कों से पहले निकलते हैं.

 

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बेन रेखी मनाली में फिल्मा रहे हैं फिल्म ‘आश्रम’

वैश्वीकरण के चलते बौलीवुड की फिल्में धीरे धीरे पूरे विश्व में अपनी धाक बनाती जा रही हैं. तो दूसरी तरफ हौलीवुड की फिल्में भारत में हिंदी, तमिल, तेलगू व मलयालम भाषाओं में डब होकर रिलीज हो रही हैं. यानी कि हालीवुड फिल्मों के लिए भारतीय दर्शक बहुत बड़ा बाजार बनता जा रहा है. इतना ही नहीं अब हौलीवुड के फिल्मकारों को भारतीय सभ्यता व संस्कृति मोहने लगी है. जिसके चलते कई हौलीवुड निर्देशक भारतीय पृष्ठभूमि की कहानी गढ़कर अपने हौलीवुड कलाकारों के संग भारत में अपनी फिल्म की शूटिंग करने के लिए विवष हो रहे हैं. ऐसे ही फिल्मकारों में से एक हैं बेन रेखी. बेन रेखी लंबे समय से अपनी फिल्म ‘‘आश्रम’’ को भारत में फिल्माना चाह रहे थे, पर जब उन्हे भारतीय फिल्मकार गुनीत मोंगा का साथ मिला, तो उनका यह सपना पूरा हो रहा है. बेन रेखी इन दिनों अमेरिकन कलाकारों के संग मनाली में अपनी अंग्रेजी भाषा की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘‘आश्रम’’ की शूटिंग कर रहे हैं. इस फिल्म में कल पेन, मेलिसा लियो, हेरा हिलमर जैसे अमरीकन कलाकारों के साथ भारतीय अदाकारा राधिका आप्टे भी अभिनय कर रही हैं. यह अंग्रेजी भाषा की स्प्रिच्युल फैंटसी थ्रिलर फिल्म है. फिल्म की कहानी हिमालय में बसे योगियों के इर्द गिर्द घूमती है.

फिल्म ‘‘आश्रम’’ के सह निर्माता गुनीत मोंगा इस फिल्म के साथ जुड़ने की चर्चा चलने पर कहते हैं-‘‘विश्व के दर्शकों को भारतीय परिवेष की कहानियां सुनाना हमेशा उत्साहवर्धक होता है. अंग्रेजी भाषा के सिनेमा में यह मेरा पहला कदम है. जिसमें अमरीकन कलाकार व निर्देशक बेन रेखी के साथ भारतीय अदाकारा राधिका आप्टे भी काम कर रही हैं.’’

अमरीकन अभिनेता कल पेन ने ट्वीट करके कहा है-‘‘अंततः गुनीत मोंगा के सहयोग से हमारी फिल्म ‘आश्रम’ का निर्माण शुरू हुआ. हमने मनाली में शूटिंग करनी शुरू कर दी है और 15 अप्रैल को राधिका आप्टे भी इस फिल्म की शूटिंग करने के लिए मनाली पहुंच जाएंगी.’’

फिल्म ‘‘आश्रम’’ की कहानी भारत में हिमालय पर बसे एक आश्रम के इर्द गिर्द घूमती है, जहां एक नास्तिक अमरीकन जेमी एक गुप्त संदेश पाकर पहुंचा है. वह अपनी गायब प्रेमिका की तलाश में है. अपनी इस यात्रा के दौरान वह किन बातों का अहसास करता है, यही कहानी है.

‘उला’ के रिलीज न हो पाने के लिए मैं दोषी नहीं: राधिका

सिनेमा में कलाकार की ईमेज बहुत मायने रखती है. कहने के लिए कलाकार इस बात से इंकार करता रहता है. पर हर कलाकार किसी न किसी ईमेज के अंदर ही हमेशा कैद रहता है. उसी ईमेज के अनुरूप किरदार निभाते हुए वह अपना करियर आगे बढ़ाता रहता है. मगर राधिका आप्टे ने बार बार अपनी ईमेज बदलती आ रही हैं. उनकी इस ईमेज का खामियाजा तमिल फिल्म ‘‘उला’’ के निर्माता को भुगतना पड़ रहा है. जी हां! अब तक चालीस फिल्मों में अभिनय कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति बटोर चुकी राधिका आप्टे की ईमेज एक ‘नेक्स्ट डोर गर्ल’ की रही है. फिल्म ‘उला’ में भी उन्होने इसी तरह का किरदार निभाया है. लेकिन 2015 में ‘बदलापुर’, हंटर’ जैसी फिल्मों के अलावा लघु फिल्म ‘आहिल्या’ में अति बोल्ड व सेक्सी किरदार निभाने के अलावा सेक्स पर बेबाक बयानबाजी के चलते उनकी ईमेज ऐसी बदली कि फिल्म ‘उला’ के निर्माता परेशान हैं. पर खुद राधिका आप्टे इस बात से सहमत नहीं हैं. वह तो पवन कृपलानी निर्देशित फिल्म ‘‘फोबिया’’ को लेकर ही उत्साहित हैं. जिसमें उन्होने ‘‘अग्रो फोबिया’’ से पीडि़त लड़की का किरदार निभाया है.

हाल ही में जब उनसे हमारी मुलाकात हुई तो हमने उनसे पूछा कि क्या उन्हें नही लगता कि एक कलाकार होने के नाते उनकी इमेज का असर दूसरी फिल्मों पर भी पड़ता है? तो राधिका आप्टे ने बड़ी साफगोई के साथ कहा कि,‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता.’’

हमने उनसे कहा कि ,‘‘आपने दक्षिण की फिल्म ‘उला’ में गर्ल नेक्स डोर का किरदार निभाया. उसके बाद आपने एक लघु फिल्म ‘आहिल्या’ में जिस तरह से बोल्ड व सेक्सी किरदार निभाया, उससे ‘उला’ के निर्माता परेशान हैं?’’ इस पर राधिका आप्टे ने कहा- ‘‘उनकी परेशानी मेरी समझ से परे है. दर्शक हर कलाकार को हर फिल्म में अलग अंदाज में देखना पसंद करता है. मैंने ‘उला’ की शूटिंग तीन साल पहले खत्म की थी. उन्होंने पिछले तीन साल से अब तक इस फिल्म को रिलीज नहीं किया. वह रिलीज क्यों नहीं करना चाहते, मुझे पता नहीं. मैने उनसे फिल्म के रिलीज के बारे में कभी कोई सवाल नहीं किया. जबकि मेरी लघु फिल्म ‘आहिल्या’ छह माह पहले आयी थी. ‘आहिल्या’ के बाद प्रदर्शित फिल्म ‘‘मांझी द माउंनटेन मैन’ में दर्शकों ने मुझे काफी पसंद किया. यहां तक कि ‘आहिल्या’ के बाद ही मेरी फिल्म ‘कौन कितने पानी में’ रिलीज हुई. यह फिल्म भले ना चली हो, पर इस फिल्म में भी दर्शकों ने मुझे बहुत पसंद किया. इस फिल्म का किरदार भी काफी हद तक ‘गर्ल नेक्स्ट डोर’ वाला ही था.’’

आईपीएल के जरिये मोटी कमाई कर रहे विदेशी क्रिकेट बोर्ड

श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के क्रिकेट बोर्डों ने नौ अप्रैल से शुरू हुए इंडियन प्रीमियर लीग के नौवें सत्र के लिए अपने खिलाड़ियों को रिलीज करने पर मिलकर 10 लाख डालर से अधिक की कमाई की है. इस लुभावने टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट की विभिन्न फ्रेंचाइजियों के लिए अपने खिलाडि़यों को रिलीज करने पर क्रिकेट श्रीलंका को दो लाख 43 हजार डालर (एक करोड़ 60 लाख रूपये), क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका को छह लाख 31 हजार डालर (चार करोड़ 20 लाख रूपये) और न्यूजीलैंड क्रिकेट को एक लाख 73 हजार डालर (एक करोड़ 10 लाख रूपये) का भुगतान किया गया है.

बीसीसीआई ने खर्चों के अपने मासिक खुलासे में यह जानकारी दी है. आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश के क्रिकेटर भी आईपीएल में खेलते हैं और इन देशों के क्रिकेट बोर्ड को भी खिलाड़ी रिलीज करने के लिए बीसीसीआई भुगतान करेगा. सूची के अनुसार बीसीसीआई ने आईसीसी विश्व टी20 की टीवी कवरेज के दौरान स्पाइडर कैम के इस्तेमाल पर भी दो लाख 53 हजार 770 डालर (एक करोड़ 70 लाख रूपये) खर्च किए थे.

मिशन की तरह होगी फसल बीमा योजना

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का इरादा बताते हुए कहा कि देश को गरीबी से नजात दिलाने और तमाम घरेलू उत्पादों की तरक्की के लिए कृषि क्षेत्र को बेहद तेजी से आगे बढ़ाना होगा.

ये बातें जेटली ने नाबार्ड में प्रधानमंत्री फसलबीमा पर हुई गोष्ठी के दौरान कहीं. प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना अप्रैल से मिशन के तौर पर पेश की जाएगी ताकि इसी साल से ही खरीफ मौसम की फसलों को बीमा सुरक्षा दी जा सके. जेटली ने कहा कि अगर भारत को इजाफा दर्ज करना है और गरीबी से नजात पानी है, तो खेती के क्षेत्र को सब से ज्यादा अहमियत देनी होगी.

उन्होंने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है. लगातार 2 सालों के खराब मानसून के बाद अब अगर इस साल भी कम बरसात होती है, तो यह पूरी प्रणाली का इम्तहान होगा.

जेटली ने कहा कि इस योजना में कृषि क्षेत्र की दिक्कतें दूर करने और मुल्क के किसानों को खुदकुशी से बचाने की कूवत मौजूद है.          

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