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उत्तराखंड में हाशिये पर ‘राजनीतिक शुचिता’

उत्तराखंड में सरकार को बचाने और बनाने की लडाई केवल 2 दलों तक ही सीमित नहीं रह गई है. राजनीतिक दलों के समर्थकों ने सोशल मीडिया से लेकर दूसरे माध्यमों के जरीये ऐसा माहौल बना दिया जिससे लग रहा है कि छोटी और बडी अदालतें भी आमने सामने खडी हो गई हैं. नैनीताल उच्च न्यायलय के फैसले को कांग्रेस के पक्ष में माना जा रहा था और उस फैसले पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भाजपा के पक्ष में प्रचारित किया जा रहा है. सच्चाई यह है कि दोनो ही अदालतों में फैसला संविधान की मंशा के अनुरूप होगा. अगर अदालत को कहीं कोई शंका लगेगी, तो पूरा मामला संविधन पीठ के हवाले भी हो सकता है.

उत्तराखंड की लडाई को केन्द्र सरकार ने अपनी नाक का सवाल बना लिया है. यह उसका अदूरदर्शी कदम है. हालात ऐसे बन गये हैं कि हरीश रावत सरकार के रहने या जाने का लाभ भाजपा को नहीं मिलने वाला. उल्टे अब उत्तराखंड की लडाई भाजपा के लिये कठिन हो जायेगी. आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा को ‘विलेन’ की तरह पेश करने में सफल हो जायेगी.

दल बदल की सरकार बनाने के मसले में भारतीय जनता पार्टी कई बार सामने आ चुकी है. उत्तर प्रदेश में दल बदल का पूरा एपीसोड लोगों को याद है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी को तोडने की घटना और भाजपा का अपना मुख्यमंत्री बनाना सबको याद है. दल बदल के ऐपीसोड के बाद 2004 में भाजपा उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई थी. उसके 12 साल बाद भी सत्ता में वापसी संभव नहीं हो पाई. दरअसल भाजपा जब सत्ता से बाहर होती है तो तमाम तरह की ‘राजनीतिक शुचिता’ की बात करती है. सत्ता में आते ही वह कांग्रेस की कार्बन कापी की तरह वह सारे काम करने लगती है जिनका वह विरोध करती थी. भाजपा की इमेज को इससे नुकसान होता है.

उत्तराखंड विवाद में भाजपा के अति उत्साही महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की राजनीतिक समझदारी उजागर हो गई. वह उत्तराखंड विवाद में पार्टी को सही राह दिखाने में असफल रहे. उत्तराखंड विवाद को हल करने में भाजपा के लोकल नेताओं से अधिक कांग्रेस के बागी विधायकों पर ज्यादा भरोसा किया. जिससे भाजपा को किसी तरह का लाभ होने के बजाय नुकसान होने का अंदेशा बन गया है. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस के साथ ही साथ नैनीताल हाईकोर्ट की मंशा पर सवाल उठाने के लिये राष्ट्रपति के खिलापफ मुद्दा बना बैठे, जिससे यह संदेश गया जैसे नैनीताल हाईकोर्ट कांग्रेस के पक्ष में फैसला जानबूझ कर दिया. कैलाश विजयवर्गीय के इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर नैनीताल हाईकोर्ट के खिलाफ मुहिम सी शुरू हो गई. उत्तराखंड की लडाई में जीत हार का ऊंट चाहे जिस करवट बैठे, पर इससे भाजपा की ‘राजनीतिक शुचिता’ सवालों के घेरे में आ गई है.

रेल मंत्री सुरेश प्रभु से बचाओ

सरकारों के लिये जरूरी नहीं है कि वह जनता की जेब पर सीधे हमला करें. कई बार छिपे रास्तों से भी जनता की जेब से पैसा निकाल लिया जाता है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु कुछ ऐसे ही टिप्स तलाश कर लगातार ला रहे है. जिससे जनता को पहली जैसी सुविधाओं के लिये ज्यादा पैसे ढीले करने पड रहे हैं. टिकट कैंसिल कराने के नये नियमों के तहत यात्रियों की परेशानियां बढ गई है. अब ट्रेन जाने के पहले ही टिकट कैंसिल कराना होगा. अगर आप ने पहले टिकट कैंसिल नही कराया तों आपको टिकट राशि का बडा हिस्सा कट जायेगा.

प्लेटफार्म टिकट 5 रूपये से बढाकर 10 रूपये कर दिया गया. पहले प्लेटफार्म टिकट 4 घंटे तक मान्य रहता था, अब यह घटकर 2 घंटे कर दिया गया है. मतलब की पैसा दोगुना हो गया और सुविध आधी कर दी गई. यही नहीं पहले आरक्षित सीटों के लिये बच्चों का पूरा टिकट नहीं पडता था, अब बच्चों का भी पूरा टिकट लेना पडेगा. इस तरह की तमाम छोटे छोटे टिप्स रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पिटारे से निकाल दिये हें, जिससे यात्रियों की जेब को हल्का किया जा सके.

परेशानी की बात यह है कि सुविधा के नाम पर ट्रेनों में कोई सुधार नहीं हुआ है. आरक्षित डिब्बों में वेंटिग टिकट पर सवारी करने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. जिससे आरक्षित डिब्बों में सफर करना जनरल डिब्बों सा ही हो गया है. ट्रेन में मिलने वाले खाने का दाम बढ गया है. उसकी क्वालिटी में कोई सुधार नहीं हुआ है. ट्रेनों में बाहरी लोग अभी भी खाद्य सामाग्री और गुटका पान मसाला बेचते मिलते हैं. ट्रेन के आने जाने के समय और सुरक्षा साफ सपफाई में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है. मुम्बई जाने वाली ट्रेनों में किन्नरों का आतंक पहले की ही तरह बना हुआ है. पहले यह लोग जनरल डिब्बों में यात्रा करने वालों से वसूली करते थे, अब एसी और स्लीपर क्लास में यात्रा करने वाले भी इनका शिकार होते हैं. ट्रेनों में सामान चोरी की घटनाओं पर कोई रोकथाम के उपाय नहीं किये जा सके है.

रेल मंत्रालय ने तमाम तरह के हेल्पलाइन नम्बर जरूर बना रखे हैं, पर इन पर सम्पर्क करना ही मुश्किल होता है. कई बार जरूरत पडने पर यह नम्बर मिलते नहीं, तो कई बार शिकायत करने पर भी कोई सहायता नहीं मिलती. अगर किसी घटना पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा संज्ञान ले लिया जाता है तो उसका प्रचार प्रसार ऐसे किया जाता है जैसे सभी यात्रियो को सुविधा मिल गई है. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को बिना यात्री टिकट भाडा बढाये रेल को लाभ में लाने का श्रेय दिया जाता है. अब रेल मंत्री सुरेश प्रभु से यात्रियों की जेब हल्की करने की टिप्स लिये जा सकते है.

ऐसे ले सकते हैं छोड़ी हुई LPG सब्सिडी वापस

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए कैंपेन ‘गिव इट अप’ के तहत यदि आपने भी एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है और अब वापस पाना चाहते हैं तो इसके लिए चिंता और परेशानी जैसी कोई बात नहीं है. अब एलपीजी सब्सिडी को दोबारा पाने के लिए एक साल के भीतर ही आप क्लेम कर सकते हैं वह भी बिल्कुल मुफ्त.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए कैंपेन ‘गिव इट अप’ का एक साल पूरा हो गया. उपभोक्ता अगर अपने सब्सिडी छोड़ने वाले निर्णय को बदलना चाहते हैं तो इसके लिए स्वतंत्र हैं. अब सब्सिडी सरेंडर एक वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा, दूसरे साल में ऑटो रिन्यूअल नहीं होगा. इसके लिए आपको दोबारा से सूचित करना होगा कि आप सरेंडर कर रहे या नहीं.

सब्सिडाइज्ड सिलिंडर की कीमत दिल्ली में 419.13 रुपये है जबकि नॉन सब्सिडाइज्ड की 509.50 रुपये. वर्तमान में ग्राहक एक साल में 14.2 किग्रा के 12 सब्सिडाइज्ड सिलिंडर पा सकते हैं.

प्रधान ने 1.13 करोड़ परिवारों को सब्सिडी छोड़ने के लिए शुक्रिया अदा किया. मोदी ने यह कैंपेन 27 मार्च 2015 को लांच किया था. ऊर्जा सम्मेलन ‘ऊर्जा संगम’ का शुभारंभ करते हुए उन्होंने लोगों से सब्सिडी सरेंडर करने की अपील की थी. और गरीबों को फ्री एलपीजी कनेक्शंस देने का वादा किया. 1 मई को मोदी 8,000 करोड़ स्कीम शुरू करने वाले हैं जिसके तहत पांच करोड़ गरीब परिवारों को फ्री एलपीजी कनेक्शंस दिया जाएगा.

 

IPL 9 में चल रही है भारतीय क्रिकेट टीम के कोच की खोज

भारतीय टीम का नया कोच चुनने के लिए पूर्व क्रिकेटरों का पूल बनाया जा रहा है और बाद में इसी पूल से मुख्य कोच चुना जाएगा. मुख्य कोच डंकन फ्लेचर का करार खत्म होने के बाद से पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री टीम निदेशक के तौर पर भारतीय टीम के साथ जुड़े थे.

इसके अलावा संजय बांगर बल्लेबाजी कोच,  भरत अरुण गेंदबाजी कोच और आर श्रीधर क्षेत्ररक्षक कोच की भूमिका निभा रहे थे,  लेकिन टी-20 विश्व कप के बाद शास्त्री सहित सहायक कोचों का करार खत्म हो चुका है. इसके बाद सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली वाली बीसीसीआई की क्रिकेट सलाहकार समिति नया कोचिंग स्टाफ चुनने में जुट गई है.

बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि आइपीएल के बाद होने वाले वेस्टइंडीज दौरे से पहले हम इस काम को कर लेंगे. आइपीएल के दौरान दुनिया के पूर्व शीर्ष क्रिकेटर और कोच इस समय भारत में हैं. हमारी सलाहकार समिति उनसे संपर्क में है. इसमें से कुछ नाम छांटकर एक पूल बनाया जा रहा है. इस पूल से मुख्य कोच और सहयोगी स्टाफ का चयन किया जाएगा.

कांबिनेशन पर नजर:

अभी यह तय नहीं है कि टीम निदेशक का पद बरकरार रखा जाएगा या मुख्य कोच चुना जाएगा, लेकिन दोनों नहीं होंगे. अधिकारी ने बताया कि हम पूरा कांबिनेशन देखेंगे. कोच या टीम निदेशक और सहायक कोच के बीच तालमेल चुना जाएगा. हम एक टीम निदेशक के साथ तीन सहायक कोच का कांबिनेशन भी रख सकते हैं. एक मुख्य कोच के साथ दो सहायक कोच भी रखे जा सकते हैं. इतना जरूर है कि मुख्य कोच और टीम निदेशक में से एक ही को रखा जाएगा. यह सब इस बात पर तय होगा कि हम किसे चुन रहे हैं. अगर हमारे पास ऐसा कोच आता है जो गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों पर पकड़ रखता है तो हम उस तरह से सहायक कोच रखेंगे. अगर कोई बल्लेबाज कोच बनता है तो उसके हिसाब से सहायक कोच रखने होंगे.

शास्त्री और द्रविड़ से प्रभावित बीसीसीआई:

जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या शास्त्री और राहुल द्रविड़ में से कोई मुख्य कोच बन सकता है तो उन्होंने कहा कि बीसीसीआई दोनों से ही प्रभावित है. जहां तक द्रविड़ की बात है तो मुझे पता है कि आइपीएल की तीन टीमें उन्हें मेंटर के तौर पर अपने साथ जोड़ना चाहती थीं,  लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक अंडर-19 विश्व कप नहीं खत्म हो जाता तब तक इस पर बात नहीं करूंगा. जब एक तरफ दुनिया पैसे की तरफ भाग रही है तो एक कोच की इस वचनबद्धता तारीफ के काबिल है और उन्होंने ऐसा ही किया.

वहीं, शास्त्री के बारे में उन्होंने कहा कि 2014 में उनके कमान संभालने के बाद में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है. विराट सहित टीम के कई खिलाड़ी उन्हें पसंद करते हैं. रिटायरमेंट के बाद एसी कमरे में बैठकर कमेंटेटर का जॉब आसान होता है, लेकिन शास्त्री ने बीसीसीआई के कहने पर उसको छोड़कर टीम के साथ पसीना बहाया. ये आसान नहीं है. हालांकि आखिरी फैसला सलाहकार समिति ही करेगी और उस पर अंतिम मुहर बीसीसीआई लगाएगी.

आखिर किस साइट ने दी फेसबुक को कड़ी टक्कर?

सोशल नेटवर्किंग में अग्रणी फेसबुक की लोकप्रियता धीरे धीरे घट रही है. यकीनन आपको पहली नजर में विश्वास नहीं होगा, पर जनाब! ये बिल्कुल सच है. दरअसल फेसबुक को टक्कर देने वाली साइट कोई और नहीं खुद फेसबुक ही है. जी हां, हम सही कह रहे हैं. फेसबुक ने थोड़े समय पहले अपना एक लाइट वर्जन 'फेसबुक लाइट' लांच किया था, लेकिन कम समय में इस साइट पर इतनी तेजी से लोग जुड़े कि इसने अपनी पेरेंटल साइट फेसबुक को भी पछाड़ दिया. लांच होने के महज 9 महीनों में ही फेसबुक लाइट से 100 मिलियन यूजर्स जुड़ चुके है.

फेसबुक लाइट

फेसबुक लाइट असल में फेसबुक का ही लाइट वर्जन है. इसकी खास बात यह है कि इसमें कम डाटा खत्म करके फेसबुक का इस्तेमाल किया जा सकता है, इतना ही नहीं नेट कनेक्शन स्लो होने या इंटरनेट की स्पीड कम होने पर भी आप आराम से इसमें फेसबुक चला सकते है. फेसबुक लाइट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूरोप के कुछ देशों में, लेटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया समेत 150 देशों के 50 भाषाएं बोलने वाले करोड़ो उपभोक्ता अब फेसबुक लाइट का इस्तेमाल कर रहे है. गौरतलब है कि जून 2015 में फेसबुक लाइट का वर्जन लांच हुआ था.

‘सुल्तान’ बने रियो ओलंपिक 2016 के ‘गुडविल एम्बैसडर’

रियो ओलंपिक में अब कुछ ही महीने का समय बचा है. इस बीच बॉलीवुड स्टार सलमान खान को भारत की तरफ से रियो ओलंपिक 2016 के लिए 'गुडविल एम्बैसडर' चुना गया है.

यह पहली बार है जब इस खेल के लिए बॉलीवुड के किसी सुपरस्टार को गुडविल एंबेस्डर बनाया जा रहा है. इसकी घोषणा भारतीय खेल जगत के कई बड़े सितारों की मौजूदगी में हुआ. जब यह घोषणा की गई तो उस समय ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम, हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह, रितु रानी, तीरंदाज दीपिका कुमारी, अपूर्वी चंदेला और मानिका बत्रा मौजूद थे.

हर 4 साल पर खेला जाने वाला ओलंपिक गेम्स इस बार दक्षिण अमेरिका के देश ब्राजील की राजधानी रियो में 5 अगस्त से 21 अगस्त तक खेला जाएगा. 28 ओलंपिक खेलों में 206 देशों से 10,500 से ज्यादा एथलीट इसमें हिस्सा लेंगे. रियो ओलंपिक में भारत जिम्नास्टिक्स, मेन्स हॉकी, महिला हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, आर्चरी, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, शूटिंग, टेबल टेनिस में अपनी दावेदारी पेश करेगा.

अभी तक भारत के लिए लंदन ओलंपिक (2012) सबसे बेहतर रहा है. भारत ने लंदन ओलंपिक में 6 मेडल जीते थे. 2 सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल भारत के कब्जे में गया था. भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में 1900 में हिस्सा लिया था.

 

 

 

गूगल ने दी सौगात, भारत में उतारे दो नये ऑडियो डिवाइस

गूगल ने भारत में मात्र 3,399 रुपये में दो नई डिवाइसेज Chromecast2 और Chromecast ऑडियो को लांच कर दिया है. इन दोनों डिवाइसेज को डोंगल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसमें आप एक साथ कई स्पीकर कनेक्ट कर सकेंगे. बिक्री के लिए यह डिवाइसेज ई-कॉमर्स वेबसाइट स्नैपडील, अमेजन और फ्लिपकार्ट, क्रोम और रिलायंस स्टोर पर उपलब्ध होंगी.

क्रोमकास्ट 2

क्रोमकास्ट के पिछले वर्जन की तरह क्रोमकास्ट2 भी किसी स्टैंडर्ड टीवी को स्मार्ट टीवी में चेंज कर सकता है. इसके द्वारा बड़े स्क्रीन पर वाई-फाई के द्वारा स्ट्रीमिंग की जा सकती है. इस नए वर्जन में शानदार हार्डवेयर और नई टेक्नोलॉजी दी गई है. नए क्रोमकास्ट की खासियत इसकी इंप्रूव्ड वाई-फाई कनेक्टिविटी है, इतना ही नहीं इसमें कैशिंग टेक्नोलॉजी दी गई है, जिसके कारण इस डिवाइस को ज्यादा फ्लैश स्टोरेज की जरूरत नहीं पड़ेगी. गौरतलब है कि पिछले वर्जन में फ्लैश स्टोरेज 2GB थी लेकिन इस बार केवल 256MB ही दी गई है.

क्रोमकास्ट ऑडियो

क्रोमकास्ट ऑडियो को स्पीकर से कनेक्ट करके स्मार्टफोन या लैपटॉप से पेयर कर सकते है. गूगल के स्पीकर ने बताया कि क्रोमकास्ट ऑडियो को किसी भी स्पीकर में लगाकर वाई-फाई के द्वारा रेडियो, म्यूजिक और पॉडकास्ट का आनंद ले सकते है. इस डिवाइस में एक साथ कई स्पीकर कनेक्ट करने के लिए एक मल्टी रूम फीचर उपलब्ध है.

दाऊद इब्राहिम से जुड़ी ये बातें क्या जानते हैं आप

आतंक का पर्याय और 1993 में मुंबई में हुए धमाके का मुख्य आरोपी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भारत के मोस्ट वांटेट आतंकवादियों की सूची में पहले नंबर पर है और विश्व के सबसे खूंखार आतंकवादियों की सूची में तीसरे नंबर पर है. कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ाने में भी दाऊद की सक्रियता मानी जाती है. दाऊद आज भी पाकिस्तान में रहकर भारत में अपने नापाक इरादों को अंजाम दे रहा है.

डॉन दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान के कराची में है. इस बार यह दावा इंडिया टुडे ने डॉन की नई फोटो छापकर अपनी खबर में किया है. 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के बाद यह दाऊद की पहली फुल लैंथ फोटो है. रिपोर्ट की माने तो ये फोटो भारतीय पत्रकार विवेक अग्रवाल ने खींची थी, जो कुछ साल पहले कराची गए थे.

दाऊद वह नाम है जिसे भारत में आतंक के रुप में पहचाना जाता है. आपको बता दें कि दाऊद वहीं शख्‍स है जिसने मुंबई को 90 के दशक की शुरुआत में सीरियल बम धमाकों से हिला दिया था. उस दर्द को आज भी मुंबई के लोग नहीं भूल सके हैं.

फोटो में दाऊद का पूरा चेहरा

जिस फोटो को इंडिया टुडे ने खबर में जगह दी है वह 1985 के बाद दाऊद इब्राहिम की पहली ऐसी तस्वीर है जिसमें वह पूरा दिखाई दे रहा है. इस फोटो में दाऊद बिना मूछ के नजर आ रहा है. उसने अपना चेहरा छुपाने के लिए किसी भी तरह की कोई प्लास्टिक सर्जरी नहीं करवाई है. उसने तस्वीर में काला और सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहन रखा है.

खुली पोल की पाकिस्तान

जिस अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद को भारत की सरकार खोज रही है. जिसकी तलाश में इंटरपोल की पुलिस बेचैन है. वह दाऊद इब्राहिम और कहीं नहीं पाकिस्तान की गोद में बैठा हुआ है. 'जी हां' वह पाकिस्तान में ही है. इंडिया टुडे ने जो दाऊद इब्राहिम की तस्वीर छापी है वह कराची की है, यानी वह कराची में है. इस तस्वीर के जारी होने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है, हालांकि पाकिस्तान हमेशा से यह कहता रहा है कि दाऊद पाकिस्तान में नहीं है.

पिछले साल रॉ को मिली थी एक फोटो

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ को पिछले साल 22 अगस्त को दाऊद की एक फोटो मिली थी. फोटो के साथ ही उसके पाकिस्तानी पासपोर्ट की कॉपी भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने जुटाई थी ये डॉक्युमेंट्स भारत ने दाऊद के खिलाफ पाकिस्तान को अपने डोजियर में सौंपे थे.

दाऊद को दो पासपोर्ट कराची से जारी किए गए थे, जबकि बाकी दो रावलपिंडी से. एक टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कराची के ही क्लिफ्टन इलाके में दाऊद ने एक और बंगला खरीदा है. यह बंगला यहां के मशहूर जियाउद्दीन हॉस्पिटल के पास है.

उस समय रिपोर्ट आई थी कि दाऊद और उसकी पत्नी मेहजबीन, दोनों ही बीमार रहते हैं और इमरजेंसी के लिए यह बंगला लिया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर जल्द हॉस्पिटल पहुंचा जा सके. 59 साल के हो चुके दाऊद की फैमिली से जुड़े ट्रैवल डॉक्युमेंट्स रॉ और दूसरी एजेंसियों ने हासिल किए थे.

दाऊद कब भारत से भागा था?

दाऊद कानून से बचने के लिए 1986 में ही दुबई चला गया था. वह शारजाह में होने वाले क्रिकेट मैच के दौरान भी स्टेडियम में दिखाई देता था. लेकिन 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद उसकी कोई फोटो सामने नहीं आई. वह पब्लिक फंक्शन्स में भी जाने से बचने लगा. पाकिस्तान ने बाद में उसे अपने मुल्क में रहने की इजाजत दी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उसे आईएसआई से भी सिक्युरिटी मिली. पाकिस्तान 23 साल से इस आतंकी को अपने यहां पनाह देने की बात नकारता रहा है. उसकी पहली पासपोर्ट साइज फोटो पिछले साल अगस्त में और पहली फुल लेंथ फोटो शुक्रवार को सामने आई.

कैसा दिखता है दाऊद?

पिछले साल सामने आई एक फोटो में दाऊद क्लीन शेव्ड नजर आ रहा है. उसके चेहरे पर झुर्रियां हैं. फोटो से यह भी पता चलता है कि दाऊद ने प्लास्टिक सर्जरी नहीं कराई है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि दाऊद ने सर्जरी से अपना चेहरा बदल लिया है. भारत की खुफिया एजेंसियों के पास दाऊद के दुबई जाने की टिकट और फैमिली फोटोज भी हैं.

पुख्ता सबूतों में क्या-क्या मिला था? दाऊद के किस ऐड्रेस का है जिक्र?

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ को दाऊद की 2012 की एक फोटो मिली थी. दाऊद के 3 पाकिस्तानी पासपोर्ट मिले हैं. लेकिन तीनों में दाऊद ने अलग-अलग ऐड्रेस लिखवाया है.

दाऊद की पत्नी मेहजबीन शेख के नाम पर बिजली का बिल मिला है. बिल अप्रैल 2015 का है. इस बिल पर D-13, ब्लॉक-4, कराची डेवलपमेंट अथॉरिटी, सेक्टर- 5, क्लिफ्टन का पता दर्ज है.

दाऊद की फैमिली के ट्रैवल डॉक्युमेंट्स में क्या मिला?

रा के अलावा भारत की बाकी खुफिया एजेंसियों के हाथ जो सबूत लगे हैं, उनके मुताबिक दाऊद का परिवार पाकिस्तान से दुबई के बीच कई बार ट्रैवल कर चुका है. डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, दाऊद की पत्नी मेहजबीन और बेटी माजिया 4 जनवरी 2015 को एमिरेट्स एयरलाइन्स की फ्लाइट से कराची से दुबई गए थे.

वहां से वे दाऊद की दूसरी बेटी माहरुख और दामाद जुनैद मियांदाद (पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद का बेटा) के साथ 11 जनवरी को वापस लौटे. इसके बाद, दाऊद की पत्नी एक बार फिर 19 फरवरी 2015 को दुबई गई और 26 फरवरी 2015 को वापस लौटी.

दाऊद का बेटा मोइन, उसकी बीवी सानिया और उसके बच्चों ने भी मार्च से मई 2015 के बीच कई बार कराची से दुबई के बीच ट्रैवल किया. मोइन पत्नी सानिया और बच्चों के साथ 30 मई 2015 को दुबई से फिर कराची आया. भारतीय एजेंसियों के पास दाऊद की फैमिली के सभी लोगों के पासपोर्ट नंबर और एयर टिकट के डिटेल्स हैं.

कैसे बना अंडरवर्ल्ड डॉन

दाऊद इब्राहिम का जन्‍म 27 दिसंबर 1955, महाराष्‍ट्र में रत्नागिरी जिले के मुमका में एक पुलिस कांस्टेबल के यहां हुआ. दाऊद और पाकिस्‍तानी सरकार दोनों एक-दूसरे के सहयोगी थे. एक तरफ आईएसआई ड्रग्‍स तथा अन्‍य मादक पदार्थों की तस्‍करी का कारोबार करता था, उसके बदले में दाऊद पाकिस्‍तान सरकार की तरफ से उस पाकिस्‍तानी कोर ग्रुप का हिस्‍सा था जो विदेशों में आंतकवाद के खिलाफ जंग करता था.

दाऊद इब्राहिम अंडरवर्ल्ड में 1984 में आया. इससे पहले वो डोंगरी इलाके में चोरी, डकैती, लूटपाट इत्‍यादी करता था. उसी दौरान पठान बासु दादा के गैंग ने उसके बड़े भाई की गोली मारकर हत्‍या कर दी. इसके बाद वह पठान के पीछे पड़ गया और हाज़ी मस्‍तान की गैंग में शामिल हो गया.

दाऊद का असली नाम

दाऊद इब्राहिम का पूरा नाम दाऊद इब्राहिम कासकर है. उसने 1985 में डोंगरी पुलिस के इशारे पर पठान को मारा. उस समय पठान पूरे इलाके में होटलों, व्‍यवसाइयों, पत्रका‍रों के साथ-साथ पुलिस को भी परेशान कर रखा था. पठान के आदमियों ने दाऊद के दोस्‍त एवं पत्रकार मोहम्‍मद इकबाल नातिक को रिपोर्टिंग करते समय धमकाया और मारा था जिससे दाऊद गुस्‍से में था.

दाऊद के पसंदीदा हथियार

1985 में मुंबई में हाज़ी मस्‍तान के बाद दाऊद का प्रभाव बढ़ा और उसने हथियारों को विदेशों से खरीदने का काम शुरू किया. उस समय उसका पसंदीदा हथियार तलवारें, चाकू तथा देशी रिवॉल्‍वर तमंचा शामिल है, जो रामपुर में बनाया जाता था. इसके बाद उसने एके 56ए तथा एके 47 का प्रयोग शुरू कर दिया.

अमेरिकी आतंकवादी रोधी दस्ते का हिस्सा

दाऊद अमेरिका के नेतृत्‍व वाली आंतकवाद रोधी दस्‍ते का पाकिस्‍तान सरकार की तरफ से हिस्‍सा रह चुका है. इसके लिए अमेरिका, पाकिस्‍तान में फंड मुहैया कराती थी. दाऊद इब्राहिम का नाम पाकिस्‍तानी मिसाइल वैज्ञानिक अयूब खान के साथ भी जोड़ा गया था. माना जाता है कि नॉर्थ कोरिया से मिसाइल मंगाने में दाऊद ने अयूब खान का साथ दिया था.

भारत में नेता बनना चाहता है दाऊद

दाऊद इब्राहिम पाकिस्‍तान सेंट्रल बैंक द्वारा दिए गए डॉलर में लोन को नहीं चुका पाया था, जिसके कारण बैंक ने उसका नाम डिफॉल्‍टर की लिस्‍ट में डाल दिया. दाऊद की इच्‍छा है कि वह भारत में आकर राजनीति में अपना भाग्‍य आजमाए तथा अबु सलेम के वकील की पार्टी को अपने साथ शामिल करना चाहता है. दाऊद भारतीय ससंद में हथियारों के दम पर सभी तरह के बिल पास कराना चाहता है.

बॉलीवुड में दाऊद का पैसा

2001 में बनी बॉलीवुड की फिल्‍म 'चोरी-चोरी चुपके-चुपके' में दाऊद ने शकील की मदद से पैसे लगाए थे. जांच के बाद सीबीआई ने फिल्‍म के प्‍वांइट कम कर दिए थे. इस पूरे प्रकरण को 'द भरत शाह केस' के नाम से जाना जाता है.

और दाऊद इब्राहिम को कपिल ने डांटकर भगा दिया

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने चौंकाने वाला खुलासा किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने 1986 में भारतीय टीम के शाहरजाह दौरे पर खिलाड़ियों को मैच फिक्स करने के लिए कार देने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन उस समय टीम के कप्‍तान रहे कपिल देव ने न सिर्फ दाऊद की इस पेशकश को ठुकरा दिया था बल्कि दाऊद को डांट कर भगा भी दिया था.

वेंगसरकर ने कहा कि कपिल देव ने दाऊद से पूछा कि तुम कौन हो? जब कपिल देव ने दाऊद को डांटकर प्रेस कॉन्फ्रेंस से भगा दिया उसके बाद मजबूर होकर दाऊद को अपने उस प्रस्ताव को रद्द करना पड़ा जिसमें उसने टीम इंडिया को कार देने की पेशकश की थी. कपिल ने दाऊद को डांटकर भगाया और कहा- चल निकल बाहर.

दिलीप वेंगसरकर के अनुसार यह पूरा मामला 1986 में भारतीय टीम के शारजाह दौरे का है. वेंगसरकर ने कहा, 'प्री-मैच प्रेस कांफ्रेंस के बाद दाऊद ड्रेसिंग रूम में घुसा. उस वक्‍त महमूद भी उसके साथ था. महमूद ने भारतीय टीम के खिलाडि़यों से दाऊद का परिचय एक बिजनेसमैन के तौर पर कराया. दाऊद ने कहा कि अगर टीम इंडिया फाइनल मैच में पाकिस्‍तान को हरा देती है तो कप्‍तान सहित भारतीय टीम के सभी खिलाडि़यों को एक-एक कार दी जाएगी.' वेंगसरकर के अनुसार, इसके बाद कपिल ने दाऊद को डांटकर भगा दिया.

…और फेसबुक को पीछे छोड़ गूगल ने मारी बाजी

देश में अपने प्रभाव के संदर्भ में गगूल तथा फेसबुक जैसी विदेशी ब्रांड टॉप पर हैं जबकि घरेलू कंपनियां निचले पायदान पर हैं. देश में 10 प्रमुख प्रभावशाली ब्रांड की नई सूची में यह कहा गया है.

वैश्विक शोध कंपनी ‘इपसोस’ के अध्ययन के अनुसार गूगल सूची में टॉप पर है. उसके बाद फेसबुक, जीमेल, माइक्रोसॉफ्ट तथा सैमसंग का स्थान है जो टॉप 5 में शामिल हैं. ये सभी विदेशी ब्रांड हैं.

10 प्रभावशाली ब्रांड में अन्य विदेशी ब्रांड व्हाट्सएप 6 स्थान पर है जबकि फ्लिपकार्ट 7वें स्थान पर है और भारतीय ब्रांडों में सबसे ऊपर है. सूची में दो भारतीय ब्रांड SBI और एयरटेल 9वें तथा 10वें स्थान पर हैं. अमेरिका की आमेजन सूची में 8वें स्थान पर हैं.

आईफोन पर भारी हैं एंड्रायड फोन के ये फीचर्स

आपके पास आईफोन नहीं है और आप खुद को किसी से कम आंकते है तो टेंशन न लें क्योंकि आपके एंड्रायड फोन में कुछ ऐसे कमाल के फीचर्स हैं जो आईफोन में भी नहीं मिलेंगे. चलिए बताते है कौन से हैं ये फीचर्स:

1. वायरलेस चार्जिंग की सुविधा एंड्रायड फोन्स में है लेकिन आईफोन में अभी तक ये सुविधा उपलब्ध नहीं.

2. मेमोरी के लिए वरदान है यूएसबी ओटीजी: स्मार्टफोन में मैमोरी को लेकर समस्या बनी रहती है और तब ओटीजी एंड्रायड यूजर्स के लिए कारगर साबित होता है. एंड्रायड यूजर्स किसी भी ओटीजी इनेबल्ड पेनड्राइव को एक्सटर्नल मैमोरी के रूप में इस्तेमाल कर सकते है, लेकिन महंगे आईफोन में यह सुविधा नहीं है.

3. आईफोन में सबसे बड़ा नुकसान यह है कि वह सिर्फ अपने ही चार्जर से चार्ज होते हैं जबकि एंड्रायड में ऐसा नही है. एंड्रायड फोन्स किसी भी चार्जर से चार्ज किए जा सकते है बस पिन फिट होनी चाहिए. हालांकि ये सही नहीं है.

4. डबल सिम सपोर्ट की सुविधा आईफोन में नहीं मिलती लेकिन एंड्रायड में यह फीचर उपलब्ध है.

5. एंड्रायड फोन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें आप कॉल रिकॉर्ड कर सकते हैं, लेकिन आईफोन वाले इस सुविधा से महरूम रह जाते है.

6. एंड्रायड में ब्लूटूथ उपलब्ध है लेकिन आईफोन में नहीं.

7. एंड्रायड डिवाइसेज में आप म्यूजिक का आनंद लेने के लिए एफएम रेडियो का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन आईफोन यूजर्स को सिर्फ डाउनलोड किए हुए गानों पर डिपेंड रहना पड़ता है.

8. लॉक स्क्रीन- एंड्रायड यूजर्स स्क्रीन को पिन, पासवर्ड, पैटर्न, स्वाइप और फेस डिटेक्शन से लॉक कर सकते है लेकिन आईफोन यूजर्स सिर्फ पासवर्ड या फिंगरप्रिंट का ही इस्तेमाल कर सकते है.

9. एक स्क्रीन पर ढेरों एप- नए एंड्रायड स्मार्टफोन्स में आप एक स्क्रीन पर बहुत सारे एप का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन आईफोन में यह सुविधा नहीं मिलती.

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