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अब नेटवर्क न होने पर भी कर सकेंगे बात

आज मोबाइल फोन के बिना जिंदगी अधूरी-सी लगती है और बिना सिग्नल के महंगे से महंगा फोन भी बेकार ही लगता है. बहुत बार ऐसा होता है कि आप ऐसी जगह पर होते है, जहां आपके फोन में नेटवर्क नहीं आता और ऐसे में अगर आपको किसी को जरूरी फोन करना हो, तो आपके लिए मुश्किल पैदा हो सकती है. ऐसे हालात में गुस्सा आना लाजमी है. जब फोन में नेटवर्क नहीं आते तो आपको अपना फोन साइड में रखना पड़ता है, क्योंकि आप अपने मोबाइल फोन को चाहकर भी इस्तेमाल नहीं कर पाते. क्या ऐसी बेबसी की हालत में भी कुछ किया जा सकता है?

आपको यह जानकार हैरानी होगी जब आपके फोन में नेटवर्क नजर नहीं आ रहा हो, तो ऐसी स्थिति में भी आप लोगों को कॉल कर सकते हैं. साथ ही आप अपने दोस्तों की कॉल को उठा भी सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. तो आज हम आपको जो कुछ बताने जा रहे हैं, उसके जरिए आप इस असंभव काम को भी आसानी से संभव बना सकते हैं: –

– इसके लिए सबसे पहले आपको अपने फोन में LIBON APP डाउनलोड करना होगा. इस एप का एक नया फीचर 'Reach Me' से आप बिना मोबाइल नेटवर्क के भी फोन पर बात कर सकते हैं.

– इस फीचर के लिए आपको वाई-फाई ऑन करना होगा. वाई-फाई की मदद से आप बिना नेटवर्क के फोन पर बात कर सकते हैं.

– इस फीचर की मदद से यदि आप किसी कॉल को नहीं उठाना चाहते तो आप वॉयस मेल भेज सकते हैं.

– 'Reach Me' फीचर की एक खास बात यह है कि सारी कॉल आपके मोबाइल नंबर से ही रिसीव होंगी.

– यदि आप LIBON APP का इस्तेमाल करते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि सामने वाले के फोन में भी यह एप हो.

टाटा मोटर्स देगा इलेक्ट्रिक वाहन के साथ दस्तक

टाटा मोटर्स जैगुआर लैंडरोवर के साथ​ मिलकर जल्द ही भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन के साथ दस्तक दे सकता है. यह जानकारी कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर गोपीचंद कट्रागडा ने मीडिया को दी.

ग्रुप के एग्जिक्यूटिव काउंसिल मेंबर मुकुंद राजन ने कहा कि टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक कार का कॉन्सेप्ट तैयार किया है और इसको अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों की मदद सें अंतिम रूप दिया जा सकता है.

टाटा मोटर्स की अप्रैल 2016 में 9.9 फीसदी ग्रोथ हुई है. कंपनी को कॅमर्शियल और पैसेंजर वाहनों के सेगमेंट में भी फायदा हुआ है. इन सेगमेंट में अप्रैल 2015 के मुकाबले 11 फीसदी की ग्रोथ दर्ज हुई है.

टाटा इस इलेक्ट्रिक व्हीकल को पैसेंजर और कॅमर्शियल व्हीकल सेगमेंट दोनों के लिए ला सकती है.

इस व्हीकल के लॉन्च होने के साथ ही भारत में इसका मुख्य मुकाबला होगा महिंद्रा ई20 से. महिंद्रा भी चार दरवाजों वाली इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही है, जो कि जल्द ही भारतीय बाजार में दस्तक दे सकती है.

लॉन्च हुआ ‘मेड फॉर इंडिया’ स्मार्टफोन

चीनी इंटरनेट टेक्नोलॉजी कंपनी लीईको (LeEco) ने अपना पहला 'मेड फॉर इंडिया' स्मार्टफोन भारत में लॉन्च कर दिया है. कंपनी लीईको ली 1एस (Le 1s Eco) स्मार्टफोन के साथ अपनी सुपरटेनमेंट सर्विस भी लॉन्च की है. यह फोन 10 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है. इसकी पहली फ्लैश सेल फ्लिपकार्ट पर 12 मई को दोपहर 2 बजे होगी. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आइए जानते हैं क्‍या है इसमें खास-

ले 1एस (ईको) की कीमत 10899 रुपये तय की गई है, लेकिन शुरुआती 1 लाख ग्राहक इसको 9,999 रुपये में पा सकते हैं. यह 5.5 इंच फुल-एचडी (1080×1920 पिक्सल) डिस्प्ले के साथ है. ऑपरेटिंग सिस्टम की बात करें तो यह एंड्रॉयड 5.0 लॉलीपॉप पर आधारित है.

यह पावरवीआर ग्राफिक्स के साथ ऑक्टा-कोर मीडियाटेक प्रोसेसर, 3 जीबी रैम और 32 जीबी इंटरनल स्टोरेज पर काम करता है. हालांकि फोन की मैमोरी को बढ़ाया नहीं जा सकता है. ले 1एस (ईको) पूरी तरह मैटल बॉडी पर तैयार किया गया है.

फोटोग्राफी के लिए फ्लैश के साथ 13 मेगापिक्सल रियर कैमरा और सेल्फी के ल‌िए 5 मेगापिक्सल फ्रंट मौजूद है. फोन फिंगरप्रिंट सेंसर भी सपोर्ट करता है. Leeco ने अपने मनोरंजन सेवाओं के ‌लिए हंगामा, इरोज और YuppTV के साथ टाई-अप किया है. साथ ही कंपनी ने एक Levidi नाम से एप भी पेश की है, जिसके जर‌िए इंटरनेट पर मौजूद वीडियो देखे जा सकते हैं.

कनेक्टिविटी के ‌लिए 4जी, वाई-फाई, ब्लूटूथ, जीपीएस और टाइप-सी चर्जिंग सपोर्ट मौजूद है. फोन की बैटरी 3000mAh की है.

ऐसा क्या मांग बैठीं दलबीर कि रो पड़े ‘सरबजीत’

पाकिस्तान की जेल में आतंकवाद और जासूसी के आरोप में 22 साल कैद रहे भारतीय किसान सरबजीत सिंह की जिंदगी पर बन रही फिल्म 'सरबजीत' के एक कार्यक्रम में फिल्म की हीरोइन ऐश्वर्या और हीरो रणदीप हुड्डा के साथ सरबजीत की बहन दलबीर कौर भी पहुंचीं.

मौका था सरबजीत की तीसरी पुण्य तिथि का जब इसी बीच दलबीर कौर ने रणदीप हुड्डा के सामने ऐसी मांग रख दी जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं रही होगी. दलबीर ने अपनी एक ख्वाहिश जाहिर की जिसे सुनते ही रणदीप भी भावुक हो उठे.

फिल्म में सरबजीत का रोल निभा रहे रणदीप से दलबीर कौर ने कहा'' मैं रणदीप को कहना चाहूंगी कि मैंने उसमें सच में सरबजीत देखा है. मेरी इच्छा है और मैं उससे एक वादा लेना चाहती हूं कि जब मैं मरूं तो वो मेरी अर्थी को जरूर कंधा दे. मेरी आत्मा को शांति मिलेगी कि सरबजीत ने मुझे कंधा दिया.''

उन्होंने ये भी कहा,''मेरे लिए ये खुशी की बात थी कि मुझे रणदीप जैसा भाई मिला. इस फिल्म में वो सिर्फ हीरो नहीं है, मेरा भाई भी है. जब मैं पहले दिन आई थी तो उसने छोटे से कमरे में शॉट दिया था. मुझे ऐसा ही लगा था जैसे मेरा 'शेर' बैठा है. मैंने उन्हें मेसेज भेजा कि वे हजारो साल जिएं और किसी की बुरी नजर न पड़ने पाए.''

इस समारोह में फिल्म के निर्देशक ओमंग कुमार भी मौजूद थे. ओमंग कहते हैं कि इस फिल्म को बनाने से पहले हमने सरबजीत की बहन दलबीर कौर से बात की. उनसे सरबजीत के रोल के लिए हीरो के बारे में पूछा तो उन्होंने रणदीप हुड्डा का नाम सजेस्ट किया. तभी हमने रणदीप को फाइनल कर लिया.

फिल्म में ऐश्वर्या राय ने सरबजीत की बहन दलबीर का रोल निभाया है. रिचा चढ्ढा भी मुख्य भूमिका में है. ये फिल्म 20 मई को रिलीज होगी.

पंजाब की बाहुबली बनी जोरावर

पंजाबी सिनेमा के इतिहास में सबसे बड़ी फिल्म जोरावर जबरदस्त रिलीज हुई

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पीटीसी मोशन पिचर्स , रजी एम शिंदे और रवींद्र नारायण निर्मित तथा विनील मारकन निर्देशित म्यूजिक सेंसेशन हनी सिंह अभिनीत फिल्म "ज़ोरावर" बड़े पैमाने पर प्रदर्शित हुई है। 

​फिल्म एक्शन और एंटरटेनमेंट मसाले से भरपूर है , फिल्म की जब घोषणा हुई

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 तब से फिल्म के बारे में चर्चा हर जगह 

​रही

 चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी रही

​ थी

 ।  ​जोरावर पहली ऐसी पंजाबी फिल्म है

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 की वर्ल्ड वाइड ६ जगह ​प्रदर्शित हुई है यानी की, यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में। 

 कल रात फिल्म जोरावर का प्रीमियर चंडीगढ़ में हुआ इस दौरान ​फिल्म की स्टारकास्ट पवन मल्होत्रा, मुकुल देव, बानी गुरबाणी और पारुल गुलाटी मौजूद रहे । फिल्म की कास्ट के अलाव स्क्रीनिंग में अम्मी विर्क, प्रीत हरपाल, बब्बल राय, हार्डी संधू, रंजीत बावा, मनकीरत औलख,  सिप्पी गिल इन्होने खास उपस्थिति दर्ज कराई। ​स्क्रीनिंग के बाद मौजूदा गेस्ट ने फिल्म का स्केल देखते हुए यह प्रतिक्रिया दी की " जोरावर पंजाबी की अगली बाहुबली है"  पीटीसी मोशन पिक्चर्स, रजी एम शिंदे और रवींद्र नारायण द्वारा निर्मित और विनील मारकन निर्देशित तथा हनी सिंह, पारुल गुलाटी, गुरबानी न्यायाधीश, पवन मल्होत्रा , अंचित कौर अभिनीत फिल्म जोरावर ६ मई २०१६ को सभी सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है। 

 

आतंक की जड़ धर्म

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का भय गहराता जा रहा है. बैल्जियम की राजधानी बू्रसैल्स में कई स्थानों पर एकसाथ हमले कर के 31 लोगों की जान ले कर इसलामिक स्टेट संगठन के आतंकवादियों ने एक बार फिर संदेश दे दिया है कि उन के आत्मघाती दस्तों को रोकना दुनिया की बड़ी ताकतों के वश में नहीं है और दुनिया के देशों की सरकारों को हर समय डर कर रहना होगा कि न जाने कब, कहां, कैसे हमला हो जाए.

प्रकृति की अप्रत्याशित मार के भय के चलते धर्म की उत्पत्ति की गई थी. सयाने लोगों ने आम व्यक्तियों को मूर्ख बना डाला था कि प्राकृतिक कहर, किसी अदृश्य हस्ती की नाराजगी के कारण होते हैं और उस का मुकाबला करना है तो इस या उस धर्म की शरण में जाओ. बाद में ये धर्म आपस में ही लड़ने लगे क्योंकि हर धर्म जनता को बहकाने का एकाधिकार चाहता था. मानव ने, सभ्य होने के बाद, अपनी बुद्धि से प्रकृति पर काफी विजय पाई है. आज भी प्रकृति की अचानक टेढ़ी हुई निगाहें उसे नुकसान पहुंचाती हैं, पर उतना नहीं. भूकंप और सुनामी के अलावा बहुत सी आपदाओं पर विजय पा ली गई है. यह विजय धर्मों को स्वीकार नहीं है. पश्चिमी देशों के धर्म व नेताओं ने तो इस स्थिति को स्वीकार कर लिया है पर इसलाम व हिंदू इस बदलाव को सहन नहीं कर पा रहे. कट्टर मुसलिम और कट्टर हिंदू अपना धंधा बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ प्रपंच रचते रहते हैं.

इसलाम पर पिछले दशकों में बड़ा हमला नहीं हुआ. इसराईल बना लेकिन वह उस इलाके के लोगों का सैकड़ों सालों का आपसी मामला था, वह भी जमीन का, धर्म का नहीं. तेल के फलफूल रहे इलाके में धर्म के हाथों से लोग निकल न जाएं, क्योंकि वे पश्चिम की तकनीकी प्रगति खरीद सकते थे, धर्म के सौदागरों ने उन्हें धर्म के नाम पर बहकाना शुरू किया और अधपढ़ी जनता ने उसे अंतिम सत्य मान कर अपनाना शुरू कर दिया. इसलाम के साथ यह परेशानी खड़ी हो गई कि मुसलिम देशों में बेकारी बहुत है. वहां तेल का पैसा तो है पर हरेक के लिए काम नहीं. तेल का पैसा सरकार, शासकों, तेल कंपनियों के मालिकों और नौकरशाही के हाथों से निकल कर आम व्यक्ति के हाथ में कैसे पहुंचे, इस का कोई फार्मूला नहीं. वहां के युवा, खासतौर पर गरीब घर के युवा जो कई भाईबहनों के बीच पले, कट्टरपंथी समाज में घुटे और जिन्हें मां का प्यार नहीं मिला, कुंठित हो गए. और वे ही धर्म के सौदागरों की सौगात बन गए.

धर्म ने इसलाम के नाम पर उन्हें बरगला लिया. बिना वजह दुनिया को इसलाम का दुश्मन कह डाला. अमेरिका, यूरोप, एशिया इसलामी जनता को परेशान नहीं कर रहे थे. बस, धर्म के दुकानदारों ने हौआ पैदा कर दिया. आज ईसाई गोरे देशों पर पश्चिमी एशिया के गुस्सैल युवा इसलाम के सहारे अपनी कुंठा निकाल रहे हैं. उन्हें न अपनी जान की चिंता है न दूसरों की जान की. जीवन उन के लिए खेल है क्योंकि जिंदगी उन्हें कुछ नहीं दे रही. उन्हें निर्दोषों की जिंदगी लेने में कोई हिचक नहीं हो रही. अमेरिका में खासतौर पर और यूरोप में यदाकदा ऐसे युवा हैं जो निहत्थे निर्दोर्षों को बिना धर्म के नाम पर भी मार रहे हैं.

30 मार्च को मिस्र में हुए विमान अपहरण की कहानी भी ऐसी ही है जिस में अपनी रूठी पत्नी को पाने के लिए एक आदमी ने हवाई जहाज का अपहरण कर सब की जान को घंटों तक कच्चे धागे से लटकाए रखा. ब्रूसैल्स का आतंकवादी हमला बिना मतलब का था. न जमीन जीतनी है, न कोई मांग मनवानी है. बस, अपना गुस्सा आम जनता पर उतारना है. इस बीमारी का कोई हल नहीं दिख रहा. जब तक धर्म जिंदा है, यह फलेगीफूलेगी क्योंकि धर्म निठल्लों, घर सेभागे लोगों की पनाहगाह है.

‘मदर्स डे‘ पर करें कुछ स्पैशल

आज के युवा ‘मदर्स डे‘ पर अपनी मम्मी के लिए कुछ स्पैशल करें चाहें ना करें लेकिन फेसबुक पर फोटो टैग करना और व्हाट्सऐप पर प्रोफाइल फोटो व स्टेटस अपलोड करना नहीं भूलते। वैसे तो मां के प्यार को किसी एक दिन में परिभाषित नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी ‘मदर्स डे‘ पर छोटीछोटी चीजों से उन्हें स्पैशल फील जरूर करवाया जा सकता है।
इस ‘मदर्स डे‘ आप भी करें अपनी मम्मी के लिए ये चीजें –

  1. शौपिंग करना भला किसे अच्छा नहीं लगता। बेशक आप और आप की मम्मी शौपिंग के लिए जाते होंगे, लेकिन इस बार कुछ अलग करिए। आप, अपनी मम्मी को शौपिंग पर ले कर जाइए और उन की पसंद की चीजें दिलवाइए, जिन्हें वे काफी समय से खरीदना चाहती हों लेकिन खरीद नहीं पाईं हों।
  2. इस दिन आप मम्मी के साथ बाहर घूमने का प्लान भी बना सकते हैं। घूमने के लिए वैसे स्थान का चुनाव करें जो उन्हें पसंद हों। आप चाहें तो पापामम्मी के लिए मूवी टिकट भी बुक कर सकते हैं, जहां वे मूवी देखने के साथसाथ एकदूसरे के साथ समय भी बिता सकें।
  3. घर के कामों से इतना समय नहीें मिलता कि वे खुद पर ध्यान दें, खुद की केयर करें। इस लिए आप उन्हें ब्यूटी पैकेज भी दे सकते हैं, जिस से वे ब्यूटी ट्रीटमैेंट व स्पा का मजा लें सकें और खुद को रिलैक्स कर सकें।
  4. इस दिन मम्मी से कहें कि आज उन की छुट्टी है, इस लिए किचन की जिम्मेदारी आप संभालेंगे। बेशक आप को किचन के काम नहीं आते हों, लेकिन आप उन से पूछ कर करें। आप को इस तरह से काम करते देख उन्हें यकीनन खुशी होगी।
  5. मम्मी को बिना बताए घर पर एक सरप्राइज पार्टी और्गेनाइज कर सकते हैं जिस में आप अपने रिश्तेदारांे के साथसाथ अपनी मम्मी की खास फैंड्स को बुला सकते हैं, जिन से वे काफी समय से नहीं मिली हों
  6. मार्केट में कई तरह के अलगअलग डिजाइंस व साइज के कार्ड मिल रहे हैं लेकिन अगर आप अपने हाथ से कार्ड बना कर देंगे तो आप की मम्मी ज्यादा खुश होंगी।
  7. पुरानी यादों को याद करने पर हमारे चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है, आप इस दिन के लिए पुरानी फोटोज से एक कोलाज बना कर भी गिफ्ट कर सकते हैं।
  8. आप कोई गिफ्ट खरीदने की प्लानिंग कर रहीं हैं तो वैसी चीजें खरीदें जो उन की जरूरत की हांे, ना कि आप के फायदे की।
  9. अगर मम्मी को गाना सुनना पसंद है तो आप उन की पसंदीदा गानों की एक सीडी तैयार कर के दे सकते हैं।
  10. जरूरी नहीं है कि आप इस दिन के लिए महंगे गिफ्ट ही खरीदें, आप उन के लिए एक प्यारा सा लैटर या फिर कविता भी लिख कर गिफ्ट कर सकते हैं।
  11. आप चाहें तो अपने फैंड्स के साथ मिल कर कौलोनी में एक पार्टी और्गेनाइज कर सकते हैं, जहां कौलोनी के सारे लोग मिल कर इंजौय कर सकें।
  12. अगर आप घर से दूर हौस्टल या पीजी में रहते हैं तो उदास न हो। आप दूर हैं तो क्या हुआ, दूर रह कर भी औनलाइन साइटों की मदद से सरप्राइज गिफ्ट दे सकते हैं। स्काइप के माध्यम से वीडियो कौलिंग कर सकते हैं। आप चाहें तो सरप्राइज विजिट कर के भी मम्मी को खुश कर सकते हैं। मम्मी को बिना बताए जब आप उन से मिलने पहुंचते हैं तो उन के लिए इस से बड़ा सरप्राइज और कुछ नहीं हो सकता

मंत्री और विधायको का पसीना छुडा रही साइकिल यात्रा

साइकिल समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान है. विधानसभा चुनावों करीब आता देख पार्टी ने सभी नेताओं खासकर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियो, विधायकों और सांसदों को अपने अपने क्षेत्र में साइकिल यात्रा निकालने के लिये कहा है. 1 मई से 10 मई के बीच चलने वाली इस यात्रा का उददेश्य है कि प्रदेश सरकार ने 4 सालों में जो काम किये है वह जनता के बीच पहंुचाये जा सके.साइकिल यात्रा के पहले 5 दिनों में वह उत्साह मंत्रियों और विधायको में दिखाई नहीं दिया जिसकी उम्मीद समाजवादी पार्टी के नेता कर रहे थे.साइकिल यात्रा के प्रति मंत्रियों और विधायकों में जोश भरने के लिये पार्टी के प्रभारी और कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने जसवंतनगर के गावों मंे साइकिल चलाई.

लखनऊ में सपा नेता अपर्णा यादव, श्वेता सिंह, रंजना वाजपेई, अमेठी में सपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमरेन्द्र, वाराणसी में हाजी अब्दुल अंसारी जैसे बहुत सारे लोगों ने साइकिल यात्रा की.सबसे परेशान करने वाली बात यह रही कि प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक इस यात्रा में बहुत उत्साह पूर्वक हिस्सा नहीं ले रहे है.

साइकिल यात्रा में दिखने वाली भीड उन नेताओं की ज्यादा है जो पहली बार विधानसभा चुनाव लडने की तैयारी कर रहे है. मंत्री और विधायको में से कुछ तो साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाकर अपना काम पूरा समझ ले रहे है.पार्टी प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने बताया ‘अभी यात्रा की शुरूआत है.सभी छोटे बडे नेतामंत्री इसमें हिस्सा लेगे.कई लोगों की जानकारियां मीडिया तक नहीं पहंुच पा रही है.साइकिल यात्रा जब खत्म होगी और इसकी समीक्षा होगी तब इसके बारे में आकलन हो सकता है.’ यह बात सही है कि समाजवादी पार्टी को साइकिल यात्रा से बडी उम्मीद है.वह जनता तक अपने काम को पहंुचाना चाहती है.पार्टी ने गांव, गरीब, किसान सभी को लेकर अच्छे काम किये है.गांव के लेवल पर इसका सही तरह से प्रचार नहीं हो सका है.सरकार के कामों के प्रचार की चमक केवल शहरी इलाको तक सीमित रह गई है.सरकार के प्रचार अभियान में भी केवल शहरी चमकदमक ही दिखाई दे रही है.

पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं से बारबार कह चुके है कि वह सरकारी योजनाओं के प्रचार का काम करे.गांवगांव घरघर सरकार की सफल योजनाओं की चर्चा करे.भंयकर गर्मी और लू की थपेडों के बीच पार्टी ने साइकिल यात्रा का आयोजन कर नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगाने का काम किया. जिससे वह जग जाये और अपनेअपने चुनाव क्षेत्रों में जनता के बीच जाये.बूथ लेवल तक संगठन को गति देने का काम करेे.4 साल सत्ता की आरामगाह में रहे मंत्रियों और विधायको के लिये इस गर्मी में साइकिल यात्रा करना कठिन काम है.मंत्री और विधायको को साइकिल यात्रा के नाम पर ही पसीना छूट रहा है.कई विधायक तो सुबह के समय साइकिल यात्रा शुरू कराकर धूप होने के पहले यात्रा छोडकर चले जाते है.उनके समर्थक यात्रा को पूरा करते रहते है.चुनावी साल होने के कारण विधायको और मंत्रियों को जैसेतैसे करके साइकिल यात्रा में शामिल होना पड रहा है.साइकिल यात्रा ने विधायको और मंत्रियो का पसीना छुडा दिया है.धूप अैर गरमी के कारण कार्यकर्ताओं की भीड भी बहुत देखने को नहीं मिल रही है.

चला गया रीयल लाइफ ओरो

महज 15 साल की उम्र में वास्तविक जीवन का ओरो यानि निहाल वितला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. निहाल का तेलेंगना के एक अस्पताल में प्रोजेरिया का इलाज चल रहा था. अपने आखिरी सांस के दौरान महज पंद्रह साल की उम्र में वह अस्सी साल का नजर आने लगा था. यही है प्रोजेरिया. गौरतलब है कि इसी निहाल वितला के जीवन और उसकी बीमारी को आधार बना कर ‘पा’ फिल्म बनायी गयी थी, जिसमें अमिताभ बच्चन ने प्रोजेरिया के मरीज ओरो की भूमिका निभाया था.

जन्मजात रूप से जिन (लैमिन ए/सी) में गड़बड़ी के होनेवाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता और प्रचार अभियान का भारत में निहाल एक चेहरा बन चुके थे. हालांकि निहाल के पिता का कहना है कि निहाल के चले जाने के बावजूद उनका और उनके परिवार का प्रोजेरिया के लिए प्रचार अभियान जारी रहेगा.

दुनिया में पहली बार इस बीमारी का पहला मामला जौनाथल हचिनसन द्वारा 1886 में खोजा गया था. बाद में 1897 में हेस्टिंग गिलफोर्ड ने इसके लक्ष्ण को दुनिया को बताया. इसीलिए प्रोजेरिया का वैज्ञानिक नाम हचिनसन गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम (संक्षेप में एचजीपीएस) कहलाता है. भारत में कोलकाता इंस्टीट्यूट औफ चाइल्ड हेल्थ, एसबी देवी चैरिटी होम और स्वीट्जरलैंड के युनिवर्सिटी चिल्ड्रेन’स होस्पिटल बासेल सांझे तौर पर रिसर्च करता है. इनके द्वारा किए गए रिसर्च से प्रोजेरिया के जिम्मेदार जिन पता चल चुका है, यह जिन लैमिन ए/सी है. यह जिन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को भी प्रभावित करता है.

एसबी देवी चैरिटी होम के डॉ. शेखर चटर्जी का कहना है कि पूरे देश में अब तक कुल 60 प्रोजेरिया के मरीजों की पहचान हो चुकी है. वहीं पूरी ‍दुनिया में इस बीमारी के कुल 124 मरीज हैं. जाहिर है अपने आपमें यह विरल किस्म की बीमारियों में भी विरलतम है. कहते हैं 80 लाख बच्चों में से एक इसके मरीज पाए जाते हैं. आमतौर पर इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों की औसत उम्र 13-15 साल तक ही होती है. हालांकि कुछ मामलों में 20-22 साल भी हो सकती है.

ज्यादातर मामलों में  ऊपरी लक्ष्णों में पूरे शरीर की तुलना में सिर बड़ा होता है, सिर के बाल लगभग न के बरारबर होते हैं, शुरू में त्वचा झुर्रीदार और खुरदुरापन लिये होती है और बाद में त्वचा सख्त होने लगती है. आंखें बड़ी-बड़ी और बाहर की ओर निकल आती है, पलके और भौंहें तक झर जाते हैं. बहुत छोटी-सी उम्र ये सभी लक्ष्ण दिखाई देने लगते हैं. कुल मिला कर बचपन में ही बूढ़ापे का आगाज होने लगता है. लेकिन अंदरुनी तौर पर जो बदलाव आते हैं, उनमें प्रमुख नसों में चर्बी जमा होने लगती है, जिसके कारण आमतौर पर दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक होने से इनकी मौत होती है. जलपाईगुड़ी के आनंद भक्त भी प्रोजेरिया का मरीज है. जन्म से समय वह सामान्य बच्चा था, लेकिन तीन साल की उम्र में चेचक निकलने के बाद उसमें अस्वाभाविक बदलाव आने शुरू होते गए. उम्र बढ़ने के साथ उसकी लंबाई नहीं बढ़ी, सिर कुछ ज्यादा ही बड़ा होने लगा. फिलहाल इसका इलाज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में चल रहा है. अमेरिका की प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन भारत में पीडि़त बच्चों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बना रही है. यह संस्था भारत में प्रोजेरिया के लिए काम करनेवाली संस्थाओं के साथ मिल कर काम करेगी.

सिंहस्थ हादसा: कलई तो इनकी भी खुली

लग ऐसा रहा है जैसे ये सात  मौतें एक प्राकार्तिक हादसे से नहीं हुईं है बल्कि इनकी हत्या की गई है और एकलौता गुनहगार उज्जैन का प्रशासन है जिसने सिंहस्थ कुम्भ की तैयारियां ढंग से नहीं कीं थीं । 5 मई की शाम कोई 4 बजे आसमान मे बादल छाए तो कुम्भ मे आए श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी से राहत मिली थी थोड़ी देर बाद जब बूँदा बाँदी शुरू हुई तो हर हर महादेव के नारे लगाते इन्हीं श्रद्धालुओं ने कहा की इन्द्र देवता भी कुम्भ का पुण्य लाभ उठाने आ गए पर देखते ही देखते घनघोर वारिश शुरू हो गई तो लोग इन्द्र , शंकर और दूसरे देवी देवताओं को भूल अपनी जान यम देवता से बचाने भागते नजर आए । इधर वायु देवता और प्रसन्न हो उठा तो मेला क्षेत्र के सैकड़ों पंडाल उखड़ कर गिर पड़े जिनके नीचे दबकर 6 लोग मारे गए और सौ के लगभग घायल हुये । घनघोर वारिश और आँधी तूफान का कहर लगभग 45 मिनिट तक रहा और इस दौरान मेले में  भगदड़ मची रही लेकिन तब तक जो होना था वो हो चुका था ।

वारिश इतनी तेज थी कि शिविरों और पांडालों में घुटने घुटने पानी भर गया और बिजली चली गई जिससे आसमानी अंधेरा और स्याह हो गया । यह सब कुम्भ की तैयारियों के लिहाज से नाकाफी और अप्रत्याशित था लिहाजा 7 बजे तक जब इस हादसे की खबर देश भर में पहुंची तो उसके साथ प्रशासन की लापरवाही का प्रमाण पत्र भी संलग्न था । फौरी तौर पर अंदाजा यह लगाया गया कि चूंकि तम्बू मिट्टी मे गड़े थे इसलिए पानी के वहाव में उखड़ गए । इस दुखद हादसे के और भी पहलू और चर्चाए हैं जिन पर प्रशासन को कोस रहे लोग जानबूझ कर गौर नहीं कर रहे मसलन कुम्भ में देश भर के नामी गिरामी बाबा साधू संत महंत ज्योतिषी तांत्रिक मांत्रिक महा मंडलेश्वर शंकरचार्य और अघोरी आदि मौजूद थे जो मोक्ष दिलाने का कारोबार करते हैं और सीधे अपनी पहुँच भगवान तक होना बताते हैं इनमे से किसी को क्यों इस हादसे के बारे में मालूम नहीं हुआ क्या इनकी सिद्धियाँ भी फर्जी हैं और ये सिर्फ पैसा बटोरने कुम्भ आते हैं तो  इस सवाल का जबाब न मे देने बालों को मान लेना चाहिए कि चमत्कार सिद्धियाँ परकाया प्रवेश अद्रश्य हो जाना जैसे दर्जनो दावे तो कपोलकल्पित और दूर की बातें हैं भगवान के इन दलालों में इतनी व्यावहारिक बुद्धि भी नहीं हाती कि वे मौसम का अंदाजा लगा सकें। 

इस हादसे का इन दावों और धर्म के कारोबार से गहरा ताल्लुक है क्योंकि इन्हीं चमत्कारों के नाम पर लोग पैसा चढ़ाते हैं यही वे धर्म दूत हैं जिनहोने यह प्रचार कर पूरी कौम को अकर्मण्य बना रखा है कि जो भी होता है वह ऊपर बाले की मर्जी से होता है तो फिर प्रशासन की भूमिका पर हाय हाय क्यों सिर्फ इसलिए कि अपनी खुद की असलियत पर ये पर्दा डाल सकें । धर्म ने किस तरह सभ्य समाज को अपनी गिरफ्त में ले रखा है यह इस हादसे के बाद हुई कुछ अप्रकाशित और अप्रसारित चर्चाओं से उजागर हुआ जिनमे से पहली यह थी कि चूंकि इसी दिन एक शंकरचार्य स्वरूपानन्द उज्जैन पहुंचे थे जिन्हे वजहे कुछ भी हों मेला क्षेत्र में जाने दो घंटे इंतजार करना पड़ा था इसलिए उनके क्रोध के चलते यह हादसा हुआ । दूसरी चर्चा यह रही कि जब सरकार दलितों को अलग से कुम्भ नहलायेगि तो ऐसा हादसा तो होगा ही । इन बातों के माने सिर्फ इसलिए अहम हैं कि कोई इस मुगालते में ना रहे कि हम किसी सभ्य और आधुनिक युग में रह रहे हैं ये अंदरूनी चर्चाए एक खास मकसद से की जाती हैं जिससे श्रेष्ठी वर्ग को यह प्रचारित करने में सहूलियत रहे कि हम पौराणिक काल मे ही हैं ।

जो दिख और हो रहा है वह कलियुग का प्रभाव है । हादसे के बाद की तमाम रस्मे अदा हो रहीं हैं मुआवजा घोषित कर दिया गया दिल्ली से प्रधान मंत्री ने संवेदना जताई और लगे हाथ ऊपर बाले के सामने दया करो रक्षा करो की गुहार लगाते  झोली भी फैला दी मुख्य मंत्री ने अपना दुख प्रदर्शित कर दिया कांग्रेस ने भी दुख जताया कुछ सुझाव भी भाजपा सरकार को दे दिये । लेकिन यह किसी ने नहीं कहा कि धर्म के नाम पर आयोजित होने बाले ऐसे मेले ठेले बंद किए जाना चाहिए जिनमे भीड़ के चलते जान माल के नुकसान की आशंका बनी रहती है और अरबों रु गरीब जनता का फिजूल खर्च होता है । बिलाशक प्रशासन की कलई इस हादसे से खुली है पर कलई चमत्कारी सिद्ध बाबाओं की ज्यादा खुली है जो लोक परलोक सुधारने के नाम पर दक्षिणा बटोरते शाही ज़िंदगी जीते हैं लेकिन इन्हे भी अगले पल की खबर नहीं रहती तो समारोह पूर्वक ऐसे भव्य ख़र्चीले आयोजनों का औचित्य क्या झूठ ठगी और छल का यह जानलेवा धंधा बंद किया जाना ही बेहतर है ।     

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