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हंसराज ने जैविक खेती में कमाया नाम

राजस्थान के सिरोही जिले के आबू क्षेत्र के गांव खड़ात के 66 साल के किसान हंसराज खेती में नवाचारों से 4 बीघे क्षेत्र में करीब 4 लाख रुपए की कमाई  कर रहे हैं. हंसराज पिछले 30 सालों से खेती कर रहे हैं. उन के पास कुल 8 बीघे जमीन है. आबू की तलहटी में पहाड़ों के बीच की जमीन सूख गई है. बारिश का पानी बह कर चला जाता था, इसलिए उन्होंने सब से पहले तालाब बनाया व कुआं खुदवाया. तालाब में बरसात का पानी इकट्ठा किया और कुएं में पानी कम था, तो यह पानी कुएं में डाला. लोगों ने कहा कि कुआं ढह जाएगा, पानी दूसरी जगह चला जाएगा. लेकिन उन्होंने सही सोच रखी व हिम्मत से काम लिया और 120 फुट गहरा पानी भरवाया. हंसराज ने पानी इकट्ठा करने के बाद अपनी खेती में उस पानी को इस्तेमाल किया व पड़ोसी 30 से 40 वनवासी को भी पानी मुहैया करवाया. उन के भी गेहूं राज 1482 की अच्छी खेती हुई. हंसराज की खेती को देख कर पड़ोसी भी ऐसा करने लगे. उन्हें भी अच्छी कमाई होने लगी.

हंसराज ने जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान दिया, क्योंकि वे सब्जियों की खेती ज्यादा करते हैं. उन्होंने रसायनों से ज्यादा नुकसान देख कर जैविक खेती अपनाई. सब से पहले केंचुआ खाद का वर्मी बेड बनवाया और उस में उदयपुर से ला कर केंचुए डाले. वे घर पर गायभैंस रखते हैं, उन से गोबर मिल जाता है. उस का इस्तेमाल किया. वे 1 बीघे में जैविक खाद से फूलगोभी किस्म सलेक्शन 22 की बोआई करते हैं. देशी खाद देते हैं. कीटरोग लग जाते हैं, तो गौमूत्र व नीम से घर पर बनाई दवा का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रकार जैविक खाद और जैविक दवा के इस्तेमाल से गोभी का भरपूर उत्पादन मिलता है. 1 बीघे में करीब डेढ़ लाख रुपए तक की फूलगोभी का उत्पादन होता है. जैविक गोभी को खड़ात गांव व आबूरोड के लोग खरीद कर ले जाते हैं. गोभी की कटाई के बाद वे गेहूं राज 1482 की बोआई करते हैं. यह किस्म खाने में स्वादिष्ठ होती है व जैविक खाद डालने पर यह बहुत अच्छी फसल देती है. करीब 16 से 17 बोरी प्रति बीघा गेहूं पैदा हो जाता है. पड़ोसी किसान भी उन से बीज ले कर गेहूं की यही किस्म बोते हैं.

वे गेहूं की कटाई के बाद गरमी में लौकी और चवलाफली की बोआई करते हैं. बूंदबूंद सिंचाई खेत में लगाई है, उस से पानी की बचत होती है व जैविक खेती से सब्जियों का ज्यादा उत्पादन होता है व वे स्वादिष्ठ होती हैं. वे चवलाफली का बीज पहले गुजरात से लाए थे, फिर धीरेधीरे उस में से छांट कर घर के बीज बना दिए. 15 मार्च के आसपास बोआई करते हैं. 1 महीने बाद फूल आते हैं. फिर फलियां आने लगती हैं. गोबर की खाद व बूंदबूंद सिंचाई से की गई खेती अच्छी होती है, जिस से 50,000 रुपए प्रति बीघा मिल जाता है. खेत भी दलहन से ताकतवर बना रहता है. इन फसलों के अलावा आबू की सौंफ की खेती भी हंसराज नवाचारों से करते हैं. 1 बीघे में 14 बोरी तक उत्पादन लेते हैं.

सौंफ का रंग हरा रखने के लिए उसे झोंपड़ी में तारों पर सुखाते हैं. इस से उस की गुणवत्ता भी बनी रहती है. इन फसलों के अलावा वे भिंडी की फसल गरमियों में जगह खाली होने पर लगाते हैं व बैगन भी सब्जियों के लिए लगाते हैं. वे सिंचाई बूंदबूंद तरीके से करते हैं. सब्जियों की जड़ों में गांठों की शिकायत होने पर या रोग से बचाने के लिए हजारा (मेरी गोल्ड) लगाते हैं, जिस से सूत्रकृमि से बचाव हो जाता है. इन फसलों के अलावा आम के पेड़ भी खेत में हैं. इन से स्वादिष्ठ आम मिलते हैं. पशुओं के लिए चारा घर पर ही लगा देते हैं. इस प्रकार जैविक खेती में खाद और दवाएं घर पर ही खेत में मिल जाती हैं. बाजार से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है. जैविक खेती टिकाऊ खेती होती जा रही है, इस में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होने लगा है. हंसराज माली के नवाचारों को देख कर सिरोही जिले के आबूरोड पंचायत समिति स्तर पर उन्हें आत्मा परियोजना कृषि विभाग द्वारा 10,000 रुपए दे कर सम्मानित किया गया है. हाल ही में जिला स्तरीय कृषि मेले में सिरोही में हंसराज को प्रशस्तिपत्र और इनाम दे कर सम्मानित किया गया है.

अधिक जानकारी के लिए हांसराज खासाजी माली, गांव खड़ात आबूरोड के मोबाइल नं. 9460764134 या लेखक के मोबाइल नं. 9414921262 पर संपर्क कर सकते हैं.

अरहर की खेती में होगी कमाई

सचाई यह?है कि कुछ सालों से किसानों ने अरहर की खेती करना कम कर दिया है. इस बात को जानते हुए सरकार ने अरहर के समर्थन मूल्य को बढ़ाने का फैसला किया है, जिस से अरहर की खेती से किसानों को अब पहले से ज्यादा फायदा होगा. अरहर को ज्वार, बाजरा, उड़द व कपास वगैरह फसलों के साथ बोया जाता है. इस की फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाले खेत सब से अच्छे होते हैं. इस के अलावा अरहर की खेती के लिए ढलान वाले खेत सब से सही होते हैं. ढलान वाले खेतों में पानी रुकता नहीं है. अरहर बोने के लिए खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद 2 से 3 बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई करनी चाहिए. अरहर बोने का समय : अगेती अरहर (टा 21) बोने का समय अप्रैल से मई के बीच में होता?है. जहां सिंचाई के अच्छे साधन हैं, वहां पर जून में और देर से पकने वाली अरहर की बोआई 15 जुलाई तक जरूर कर देनी चाहिए. बीजों का उपचार?: 1 किलोग्राम बीजों को 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करना चाहिए. बीज बोने से पहले अरहर का उपचार राइजोबियम से करना चाहिए. 1 पैकेट राइजोबियम कल्चर 10 किलोग्राम बीज के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. जिस खेत में अरहर पहली बार बोई जा रही?हो, वहां पर कल्चर का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.

बीज की मात्रा : अरहर के 1 हेक्टेयर खेत के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. अगर पानी का प्रभाव खेत में?है तो बहार किस्म वाली अरहर सितंबर महीने तक 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोनी चाहिए. अरहर की किस्म और मौसम के हिसाब से बीजों की मात्रा और पौधे से पौधे के बीच की दूरी रखनी चाहिए. अरहर की बोआई करने के लिए देशी हल का इस्तेमाल सही रहता है. अरहर की एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 20 से 90 सेंटीमीटर के बीच रखी जाती है. दूरी बीज के हिसाब से रखते हैं. आईसीपीएल 151 की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर, टा 17 की दूरी 120 सेंटीमीटर, टा 21 की दूरी 75 सेंटीमीटर, टा 7 और आजाद की दूरी 90 सेंटीमीटर लाइन से लाइन के बीच रखनी चाहिए. अरहर की सभी किस्मों के लिए पौधे से पौधे के बीच की दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.

खाद का प्रयोग : अरहर की अच्छी पैदावार के लिए 10 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 से 45 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम सल्फर का इस्तेमाल 1 हेक्टेयर खेत में करना चाहिए. अरहर के लिए सिंगल सुपर फास्फेट व डाई अमोनिया फास्फेट का इस्तेमाल फायदेमंद होता है. अरहर की फसल में सिंचाई का भी खास खयाल रखना चाहिए. टा-21, यूपीएएस 120, आईसीपीएल 151 को पलेवा कर के बोना चाहिए. दूसरे किस्म की अरहर को बोने के लिए बारिश में नमी होने पर बोना चाहिए. खेत में कम नमी हो तो फलियां बनते समय अक्तूबर के महीने में सिंचाई करनी पड़ती है. देर से पकने वाली किस्मों में अरहर को पाले से बचाने के लिए दिसंबर और जनवरी महीने में सिंचाई करना फायदेमंद होता है.

निराई व गुड़ाई : अरहर के खेत में पहली निराई बोआई के 1 महीने के अंदर होनी चाहिए. दूसरी निराई पहली निराई के 20 दिनों के बाद करनी चाहिए. घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए पेंडीमेथलीन 30 ईसी 3 लीटर और एलाक्लोर 50 ईसी 4 लीटर को 700 से 800 लीटर पानी में घोल कर बोआई के बाद पाटा लगा कर अरहर जमने से पहले छिड़काव करें.

कीट व बीमारियां : अरहर  फसल में उकठा और बांझा किस्म के रोग होते हैं. इस के अलावा फली बेधक कीट व पत्ती लपेटक कीट, फलों की मक्खी भी अरहर के पौधों को नुकसान पहुंचाती हैं.

उकठा रोग में अरहर की पत्तियां पीली पड़ कर सूख जाती हैं और पौधा सूख जाता है. जड़ें सड़ कर गहरे रंग की हो जाती?हैं. छाल हटा कर देखने पर जड़ से तने तक की ऊंचाई में काले रंग की धारियां पाई जाती हैं. इस से बचाव के लिए इस रोग लगे खेत में 3 से 4 सालों तक अरहर की खेती नहीं करनी चाहिए. थीरम और कार्बेंडाजिम को 2:1 के अनुपात में मिला कर 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित कर के बोना चाहिए. अगर अरहर को ज्वार के साथ बोते हैं, तो यह रोग काफी कम हो जाता है. अरहर को बांझा रोग बहुत नुकसान पहुंचाता है. इस रोग में अरहर की पत्तियां छोटी हो जाती हैं. फूल नहीं आते?हैं. जिस से दाने नहीं बनते. यह रोग माइट द्वारा फैलता है. इस का कोई असरदार उपचार नहीं होता है. बहार, नरेंद्र और अमर किस्म की खेती कर के अरहर को इस रोग से बचाया जा सकता है.

इस के अलावा फलीबेधक कीट फलियों के अंदर घुस कर नुकसान पहुंचाते हैं. इस से बचाव के लिए फूल आने पर मोनोक्रोटोपास 36 ईसी 800 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोसल्फान 35 ईसी डेढ़ लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में मिला कर छिड़काव करना चाहिए. अगर जरूरत हो तो 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करना चाहिए.

पत्ती को लपेट कर खाने वाला एक कीड़ा पीले रंग का होता है. इस से बचाव के लिए मोनोक्रोटोपास 36 ईसी 800 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोसल्फान 35 ईसी सवा लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से जरूरत के मुताबिक पानी में डाल कर छिड़काव करना चाहिए.

आरबीआई ब्याज दरों में दे सकता है राहत

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले कुछ महीने में ब्याज दरों में आधा फीसदी की और कटौती कर सकता है. बोफा-एमएल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी और अप्रैल में केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में 0.25फीसदी की कटौती कर सकता है.

रिपोर्ट में क्या कहा गया है

बोफा-एमएल के इस रिसर्च नोट में बताया गया है कि आरबीआई आगामी 7 दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में दरों पर यथास्थिति कायम रखेगा. वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के पिछले सप्ताह आए मिनट्स से केंद्रीय बैंक के आगामी महीनों में नरम रुख अपनाने का संकेत मिलता है. इस नोट में बताया गया है कि आरबीआई अप्रैल महीने में नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. उससे पहले वह 7 फरवरी की मौद्रिक बैठक में भी ब्याज दरों में चौथाई फीसद की कटौती कर सकता है.

कटौती की वजह

साथ ही इस नोट में नीतिगत दरों में आधा फीसदी की कटौती के लिए पांच वजहें भी बताई गई हैं. इसके मुताबिक, मुद्रास्फीति नीचे आने की संभावना है. साल 2017 की शुरुआत में आधा प्रतिशत की कटौती से बैंकों को यह संकेत जाएगा कि उन्हें अपना कर्ज सस्ता करना है, इससे रुपए को समर्थन मिलेगा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का प्रवाह बढ़ेगा. दिवाला संहिता तथा जीएसटी कानून से एमपीसी को यह भरोसा होगा कि सरकार सुधारों को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध है.

किसान मिल कर उत्पादक संघ बनाएं, उपज की बिक्री से ज्यादा कमाएं

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में दौराला के पास एक कसबा है लावड़. यहां के किसान ज्यादातर सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन उन में से ज्यादातर को उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलती. इसलिए सब परेशान रहते थे. ऐसा देखा जाता है कि फसल चाहे कोई भी हो, ज्यादा पैदावार होते ही मंडी में उस की कीमतें गिर जाती हैं. लावड़ के सब्जी उत्पादकों ने हिम्मत नहीं हारी और आपस में मिल कर एक रास्ता खोज लिया. वहां के किसानों ने जनकल्याण संस्था की मदद से आपस में मिल कर एक सब्जी प्रोड्यूसर कंपनी बना ली. राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत बैंक से उन्हें आसानी से कर्ज भी मिल गया.

पहले सब किसान अपनीअपनी उपज ले कर अलगअलग मंडियों में जाते थे, बिचौलियों के हाथों लुटते थे व धक्के खाते थे. अब आपस में मिल जाने से उन की सब्जियां लोकल मंडी में न बिक कर ट्रकों में?भर कर दिल्ली की आजादपुर मंडी में बिकने जाती हैं. इसलिए पहले के मुकाबले उन्हें उन की उपज की कीमत ज्यादा मिलती है. खेती से ज्यादा कमाई करने के लिए यह लाजिम है कि किसान फसलें उगाने के साथसाथ थोड़ा आगे बढ़ें. उपज की बिक्री, एग्री बिजनेस व प्रोसेसिंग आदि पर भी खास ध्यान दें. खासकर छोटे किसान खुद इंटरनेट पर मंडियों के भाव नहीं देख सकते, लेकिन यदि वे आपस में मिल कर स्वयं सहायता समूह, कोआपरेटिव सोसायटी या कंपनी बना लें तो एग्री बिजनेस के बड़े काम भी आसानी से कर सकते?हैं.

अभी तक किसान आढ़तियों व दलालों के आसरे रहते थे. अब बदलाव के दौर में सरकार ने मौका दिया है, तो उस का फायदा उठाना चाहिए. यह सच है कि खेती से जुड़े कामधंधे करने, नईनई तकनीकें हासिल करने, एग्री बिजनेस करने व फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सब से पहले पूरी जानकारी, जगह व पूंजी की जरूरत होती है. एक साथ सभी साधन ज्यादातर किसानों के पास नहीं होते. मोटे ब्याज पर सेठसाहूकारों से कर्ज ले कर खेती करने की बात सोचना अकलमंदी नहीं है. ज्यादातर बैंकों के अफसर भी कर्ज वापस न होने के डर से छोटे किसानों को कर्ज देने से हिचकते?हैं. इसलिए किसानों को खुद आपस में एकदूसरे की मदद करना जरूरी है.

छोटे किसान आपस में मिल कर यदि एकजुट हो जाएं तो वे अपने हुनर व तकनीकी जानकारियों को बढ़ा सकते?हैं. बड़े पैमाने पर निर्यात आदि का फायदा उठा सकते?हैं. इसलिए किसानों को इस बारे में सोचना चाहिए. छोटे किसानों को आपस में एकजुट कर के उन की कंपनियां बनवाने व उन्हें पैसे से मदद मुहैया कराने के मकसद से भारत सरकार के किसान कल्याण मंत्रालय की एक स्कीम चल रही है, जिस के तहत 1994 में लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, एसएफएसी के नाम से नई दिल्ली में एक संस्था बनाई गई थी. सफाक नाम का यह संगठन किसानों, उन के समूहों, सहकारी समितियों, साझेदारी फर्मों, एग्री एक्सपोर्ट जोन की इकाइयों व किसानों की कंपनियों को पूंजी मुहैया कराने में मदद करता है. इसलिए ध्यान रहे कि बड़े पैमाने पर कामधंधा करने के लिए अपनी कंपनी सिर्फ बड़े धन्नासेठ या कारखानेदार ही नहीं किसान भी बना सकते?हैं. यह बात अलग?है कि प्रचारप्रसार कम होने की वजह से ज्यादातर किसानों को इस सरकारी स्कीम की जानकारी नहीं है.

बेहतर रास्ता

खेती से जुड़े बहुत से कारोबार, किसानों को पैसे से मजबूत करने के साथसाथ उन को खुशहाल भी बनाते हैं. यदि सरकारी स्कीम में छोटे किसानों को पूंजी जुटाने का मौका मिल जाए तो वह सोने में सुहागा होगा. लघु कृषक कृषि व्यापार संघ खेती के कारोबार में निजी पूंजी निवेश और गांवों में रोजगार व आमदनी बढ़ाने के लिए बैंकों और वित्तीय निगमों आदि के जरीए पूंजी दिलाने व प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाने आदि कामों में मदद करता है. किसान इस का फायदा उठा सकते हैं. केंद्र सरकार के खेती मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक लघु कृषक कृषि व्यापार संघ ने 2013-14 के दौरान देश भर में खेती से जुड़े कारोबार की 213 परियोजनाओं के लिए उद्यम पूंजी दिलाने व उन की रिपोर्ट तैयार कराने में मदद की है. साथ ही साथ अप्रैल 1994 से मार्च 2014 के बीते 20 सालों में इस संस्था ने कुल 850 परियोजनाओं को मदद दी, 3065 करोड़ रुपए का निजी निवेश कराया व 264 करोड़ रुपए की पूंजी दी.

रिपोर्ट के मुताबिक इस माली मदद से 1 लाख 20 हजार किसानों को उपज बिक्री के लिए मंडी व 53 हजार लोगों को रोजगार मिला. हालांकि देश भर में छोटे किसानों की गिनती करोड़ों में देखते हुए यह मदद की रकम बहुत कम है, लेकिन उन किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण जरूर है, जो खेती के साथ अपना कारोबार करना चाहते हैं. किसानों को जागरूक होने व खुद आगे आ कर पहल करने की जरूरत है. इस स्कीम के दायरे में कीमती फसलें, पोल्ट्री, एग्रो सर्विस व डेरी आदि खेती से जुड़े सभी धंधे आते हैं.

बदलाव

साल 2013-14 के बजट में 2 ऐलान छोटे किसानों के लिए किए गए थे. पहले खेती के कारोबार में 50 लाख रुपए की लागत वाली परियोजनाएं इस स्कीम का फायदा उठाती थीं. अब इसे घटा कर 15 लाख रुपए और पिछड़े व पूर्वोत्तर के इलाकों में 10 लाख रुपए कर दिया गया है. लिहाजा किसान, उन के समूह व सहकारी समितियां अब ज्यादा फायदा उठा सकती हैं. जरूरत पहल करने की है. साल 2014 से लघु कृषक कृषि व्यापार संघ ने किसान उत्पाद कंपनियों के लिए छूट व कर्ज पर 100 करोड़ रुपए से गारंटी फंड की एक नई स्कीम लागू की है. इस के तहत सदस्यों की हिस्सा पूंजी पर 10 लाख रुपए तक सब्सिडी व 1 करोड़ रुपए तक कर्ज देने वाले बैंकों को गारंटी मुहैया कराई जाती है.

छोटे किसान ज्यादा

पढ़ेलिखे नहीं होते. उन्हें जानकारी कम होती है. इसलिए वे एकजुट भी नहीं होते. उन के संगठनों को बढ़ावा देने के लिए 2011 से खास जोर दिया जा रहा?है. इस में राज्यों, तकनीकी सामाजिक संगठनों व निजी कंपनियों ने भी मदद की है. इसलिए मार्च 2015 तक 29 राज्यों में 459680 किसानों ने मिल कर 570 संगठन यानी एफपीओ बनाए व 225267 किसानों के 429 संगठन बनने वाले हैं. इस के अलावा हमारे देश में तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात में 1-1 यानी कुल मिला कर 8 राज्य स्तर की उत्पादक कंपनियां काम कर रही?हैं.

रोजगार के लिहाज से किसान अपने पढ़ेलिखे बच्चों को इस में लगा कर और ज्यादा फायदा उठा सकते?हैं. लघु कृषक कृषि व्यापार संघ ने अपनी स्कीम की सचाई दिखाने व दूसरे किसानों को यकीन दिलाने के लिए कृषि सूत्र 1 व 2 के नाम से 2 किताबें हिंदी में छापी हैं. इन किताबों में छोटे किसानों के 200 संगठनों के सच्चे किस्से फोटो सहित दिए गए हैं, जिन्होंने इस रास्ते पर चल कर अपने संगठन बनाए और खुद खेती की शुरुआत कर के कामयाबी की मिसाल कायम की.

योजनाएं और भी है

भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग ने नाबार्ड व राष्ट्रीय कृषि विस्तार व प्रबंध संस्थान मैनेज के साथ मिल कर साल 2002 से किसानों के लिए एक और स्कीम चला रखी है. इस स्कीम में एग्री क्लीनिक व एग्री बिजनेस सेंटर खोल कर खेती को फायदेमंद व किसानों को कारोबारी बनाया जाता है. इस में पहले खेती में ग्रेजुएट लिए जाते थे, लेकिन अब खेती की तालीम में कम से कम 12वीं पास किसानों को कारोबार की ट्रेनिंग दे कर बैंकों से कर्ज (44 फीसदी तक छूट) दिला कर कामधंधे शुरू कराए जाते हैं. साल 2013-14 में 2320 व बीते 13 सालों में अब तक खेती से जुड़े 15313 कारोबार चालू कराए गए.

इतने बड़े देश में यह संख्या बहुत कम है. उस पर ज्यादातर किसान कम पढ़ेलिखे हैं, वे खेती नहीं करना चाहते. इसलिए इस स्कीम में फेरबदल कर के इसे आसान बनाया गया है व दायरे को बढ़ाया गया है. इच्छुक युवा इस के लिए अपने जिले के मुख्य बैंक से जानकारी ले सकते हैं या औनलाइन फार्म भर सकते?हैं.  इच्छुक किसान अपना संगठन बना कर आलू चिप्स बनाने, पैक्ड आरगैनिक गुड़ बनाने या कोल्ड ड्रिंक की तरह गन्ने के रस की बोतलबंदी करने आदि की अपनी इकाई लगा कर खेती से ज्यादा कमाई कर सकते हैं. खेती से जुड़े कामधंधे करने वाली कंपनी बना कर चलाने के लिए कारोबारी पूंजी व प्रोजेक्ट रिपोर्ट यानी पूरा खाका बनवाने में मदद हासिल करने के लिए लघु कृषक कृषि व्यापार संघ से पैसे से मदद ले सकते हैं. इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए इस पते पर संपर्क कर सकते हैं:

प्रबंध निदेशक, लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, 5वां तल, एनएसयूआई आडीटोरियम भवन, अगस्त क्रांति मार्ग, हौज खास, नई दिल्ली :110016

फोन : 01126862365, वेबसाइट : 222.ह्यद्घड्डष्द्बठ्ठस्रद्बड्ड.ष्शद्व

“छक्का 60 मीटर का हो या 90, रन 6 ही मिलते हैं”

टीम इंडिया के जगमगाते सितारे विराट कोहली का खेल मैच दर मैच निखरता जा रहा है. मोहाली वनडे में कोहली ने अपने करियर का 26वां शतक जड़ा है. कोहली ने अपने खेल से आज केवल इंडिया को ही नहीं बल्कि इंडिया के बाहर भी लोगों को अपना मुरीद बना लिया है. इसी कारण लोग आज कोहली के बारे में हर बात जानना चाहते हैं.

कोहली ने कहा था कि साल 2009 के बाद उनके अंदर काफी बदलाव आया है, उनकी सोच बदली है और वो अब कड़े फैसले लेने में भी पीछे नहीं हटते है. मेरे आलोचकों ने मुझे सिखाया कि आक्रामक स्वभाव से नहीं बल्कि खेल से बनो जिससे लोग सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे खेल के बारे में बात करें ना कि दूसरी चीजों के बारे में. और मुझे लगता है कि मेरी ये कोशिश अब रंग ला रही है क्योंकि मैं अब जहां जाता हूं तो लोग मुझसे मेरे खेल के ही बारे में बातें करते हैं.

इतने दिनों में मैंने सिर्फ ये ही चीजें सीखी हैं कि आपको धैर्यपूर्वक खेलना है क्योंकि जब आप देश के लिए खेल रहे होते हैं तो आपके साथ वतन का नाम जुड़ा होता है इसलिए मैं अब पहले जैसा बड़े शॉट्स नहीं लगाता हूं. क्योंकि मुझे ये समझ आ गया है कि आप छक्‍का 60 मीटर का मारे या 90 मीटर का, रन 6 ही मिलते हैं. इसलिए हमारे लिए जीतना जरूरी है, क्योंकि मैच के बाद सभी बोलते हैं कि इंडिया जीती या इंडिया हारी, ना कि कोहली जीता या हारा.

जीमेल ट्रिक्‍स जो आसान कर देंगी आपका काम

जीमेल में कई ऐसे फीचर छिपे हुए हैं जिनकी मदद से हम अपने काम को आसान बना सकते हैं, जैसे आपकी मेल कब किसने पढ़ी इसके बारे में जान सकते हैं, मेल ब्‍लॉक कर सकते हैं साथ में और भी कई फीचर है जीमेल में.

जीमेल दुनिया की सबसे बड़ी मेलिंग सर्विस है जिसमें रोज करोड़ों मेले भेजी और रिसीव की जाती है, पिछले 5 सालों में नजर डालें तो जीमेल में कई तरह के बदलाव हुए है, गूगल ने कई ऐसे फीचर अपनी इस सर्विस में जोड़े हैं जो यूजर्स के काम को काफी फास्‍ट कर देंगे.

साधारण तौर पर हम कुछ चुनिंदा फीचरों को ही यूज करते हैं जैसे मेल भेजना, उसे ड्राफ्ट में सेव करना या फिर मेल फारर्वड करना. चलिए कुछ ऐसे जीमेल फीचरों के बारे में बात करते हैं जिनके बारे में शायद आपने न सुना हो और अगर सुना भी होगा तो इन्‍हें यूज कैसे करेंगे ये देखते हैं.

मेल को शिड्यूल कैसे करें

– सबसे पहले अपने क्रोम एक्‍टेंशन में जाकर "Boomerang" एक्‍टेंशन इंस्‍टॉल करें

– अब अपनी मेल लिखें मेल लिखने के बाद "Send Later" ऑप्‍शन पर क्‍लिक करें – दिन और समय सेट करें "Confirm" बटन पर क्‍लिक कर दें अब आपके द्वारा सेट किए गए दिन और टाइम के हिसाब से मेल अपने आप चली जाएगी.

मेल कीबोर्ड शार्टकट

– मेल सेटिंग में जाएं

– "General" में जाएं

– कीबोर्ड शार्टकट "ON" बटन ऑन करें "Save" बटन पर क्‍लिक करें

– Hit SHIFT + ? बटन सारे शॉर्टकट देखने के लिए

– E = Archive selected emails

– R = Reply

– A = Replay all

! = Mark As spam

Escape a reply – All thread

– इसके लिए सबसे पहले Email Thread पर क्‍लिक करें

– अब "More" बटन पर क्‍लिक करें

– इसके लिए कीबोर्ड में दिया गया शार्टकट बटन M दबाएं अब आप thread से हट चुके हैं.

कैसे जानें किसी ने आपकी मेल खोली है

– अपने क्रोम एक्‍टेंशन में जाकर "Sidekick" इंस्‍टॉल करें ये आपके द्वारा भेजी गई सारी मेल को ट्रैक करेगा

– आपके द्वारा भेजी गई मेल जैसे ही कोई पढ़ेगा उसका एक नोटिफिकेशन आपको मिलेगा.

– साइड में दिये गये साइडकिक की मदद से आप ये भी जान सकते हैं कि पढ़ी हुई मेल को कितनी बार दोबारा पढ़ा गया है.

– सेंड मेल को कैसे रोके सेटिंग ऑप्‍शन में जाएं "Settings" "Undo Send" ऑप्‍शन में जांए

– "Enable" ऑप्‍शन में जाएं

– अब "Cancellation Period" में जाकर "Save" पर क्‍लिक करें. 

लोढ़ा कमिटी ने BCCI को दिया एक और झटका

लोढ़ा पैनल से BCCI को एक और झटका लगा है. IPL के ब्रॉडकास्ट संबंधी टेंडर खोलने की प्रक्रिया में अब कुछ और देरी हो सकती है. लोढ़ा कमिटी ने बोर्ड को ईमेल कर यह बताया है कि उसे बोर्ड से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया में शामिल होने से पहले कमिटी को एक ऐफिडेविट सौंपना होगा.

इस ऐफिडेविट में बोर्ड को यह बताना है कि वह 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए ऑर्डर को पूरी तरह से मानने को तैयार है. कमिटी ने यह साफ कर दिया है कि इस ऐफिडेविट को जमा करने के बाद ही यह टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी.

इस ईमेल से पहले बोर्ड ने IPL के प्रसारण संबंधी टेंडर खोलने के लिए मुंबई में बैठक बुलाई थी. लेकिन एक दिन पहले ही लोढ़ा कमिटी ने यह साफ कर दिया कि इस ऐफिडेविट के बाद ही बोर्ड इस टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है.

पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि जब तक बीसीसीआई और स्टेट एसोसिएशंस लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को मंजूर नहीं कर लेती तब तक बोर्ड और स्टेट एसोसिएशंस के वित्तीय अधिकारों को सीमित कर दिया जाए. कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी को बीसीसीआई के खातों की जांच के लिए स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था.

कोर्ट के इस निर्देश के बाद बोर्ड ने लोढ़ा कमिटी से तुरंत संपंर्क किया था, ताकी IPL अधिकारों से जुड़ी निवादाओं संबंधी लोढ़ा कमिटी की शर्तों पर वह स्पष्टीकरण ले सके. इसके बाद लोढ़ा कमिटी ने BCCI को ईमेल कर यह जानकारी दी है किसी भी मुद्दे या प्रक्रिया पर कोई भी फैसला लेने से पहले बोर्ड को हर हाल में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर मानने संबंधी ऐफिडेविट देना होगा.

इस ईमेल में लोढ़ा कमिटी ने बोर्ड के इस कदम पर भी सवाल उठाए हैं कि अभी जब टीवी प्रसारण अधिकार सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (एसपीएनआई) के पास हैं, जिसकी समयसीमा आईपीएल 2017 में पूरी होगी, तो इससे पहले इतनी जल्दी आगे के लिए नए टेंडर जारी करने की जल्दबाजी क्या है?

उल्लेखनीय है कि 2008 में सिंगापुर आधारित वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप ने IPL के प्रसारण अधिकार 10 साल के लिए 218 मिलियन डॉलर में अपने नाम किए थे. इसी प्रक्रिया के तहत सोनी को इसके अधिकारिक प्रसारण के अधिकार मिले थे.

मिस्त्री को ‘टाटा’, नए ‘रतन’ की खोज शुरू

रिटायरमेंट के चार साल बाद रतन टाटा फिर सुर्खियों में हैं क्योंकि टाटा संस के बोर्ड ने चेयरमैन सायरस मिस्त्री को हटाने का हैरान करने वाला फैसला लिया है. इससे टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच कानूनी जंग शुरू हो सकती है. टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने सोमवार शाम को चौंकाने वाले बयान ने बताया कि 'मिस्त्री के परमानेंट रिप्लेसमेंट' के लिए सेलेक्शन कमेटी बनाई गई है, जो 4 महीनों में यह काम पूरा करेगी. इस बीच, मिस्त्री पर खराब परफॉर्मेंस और टाटा ग्रुप के आदर्शों से समझौते के आरोप भी दबी आवाज में लगाए जा रहे हैं.

रतन टाटा ने 20 साल तक बॉस रहने के बाद 2012 में यह जिम्मा मिस्त्री को सौंपा था. उन्हें अब देश के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है. इस बीच, संकेत मिले कि मिस्त्री इस कदम के खिलाफ बोम्बे हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं. सेलेक्शन कमेटी में रतन के अलावा टाटा संस के बोर्ड मेंबर्स वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य को शामिल किया गया है. भट्टाचार्य ब्रिटेन में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के फॉर्मर मेंबर रहे हैं.

नया चेयरमैन चुनने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, इसमें टाटा संस के 9 डायरेक्टर्स में से अजय पिरामल, नितिन नोहरिया और फरीदा खंबाटा सहित 6 शामिल नहीं हैं. बोर्ड के 6 मेंबर्स ने मिस्त्री को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि इशात हुसैन और मिसेज खंबाटा वोटिंग में शामिल नहीं हुए.

मिस्त्री को हटाए जाने के बाद टाटा ग्रुप की शापूरजी पालोनजी ग्रुप के साथ कानूनी जंग शुरू हो सकती है. स्टील और टेलीकॉम बिजनेस में कई साल के लॉस के बाद मिस्त्री को ब्रिटेन में मजबूरन स्टील बिजनेस बेचने का फैसला करना पड़ा था. चीन में सुस्ती की वजह से टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी जेएलआर के मुनाफे पर दबाव बना था. चीन कभी जेएलआर के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार था.

जहरीली गैसें छोड़ती है स्मार्टफोन की बैटरी

एक स्टडी में पता चला है कि स्मार्टफोन और टैब जैसे डिवाइसेज की बैटरियां 100 से ज्यादा जहरीली गैसें पैदा करती हैं. रिसर्चर्स ने ऐसी 100 विषैली गैसों की पहचान की है, जो लीथियम बैटरीज से निकलती हैं. इनमें कार्बन मोनॉक्साइड भी है, जो त्वचा, आंखों और नाक में इरिटेशन पैदा करती है और पर्यावरण के लिए भी खतरनाक होती है.

अमेरिका के इंस्टिट्यूट ऑफ NBC डिफेंस और चीन की सिन्हुआ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा कि लोग ओवरहीटिंग या फिर घटिया चार्जर इस्तेमाल करने के खतरों से वाकिफ नहीं हैं. यह स्टडी लीथियम आयन बैटरीज पर की गई है, जो हर साल 2 बिलियन डिवाइसेज में लगाई जाती हैं.

रिसर्चर जाइ सुन ने कहा, 'आजकल दुनिया भर में कई सरकारें हर चीज के लिए लीथियम आयन बैटरीज को प्रमोट कर रही हैं. मोबाइल डिवाइसेज से लेकर इलेक्ट्रिक वीइकल्स तक में ये यूज हो रही हैं. मगर इनसे जहरीली गैसें निकलती हैं.'

पूरी तरह से चार्ज बैटरी से आधी चार्ज बैटरी की तुलना में ज्यादा गैसें निकालती है. इन गैसों का उत्सर्जन बैटरीज में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स की वजह से होता है. रिसर्चर्स का कहना है कि गैसों की पहचान करने से बैटरियां बनाने वाले यह देख सकते हैं कि वे कैसे पैदा हो रही हैं और इनका उत्सर्जन कैसे रोका जा सकता है.

स्टडी के लिए 20 हजार लीथियम आयन बैटरीज को आग पकड़ने के तापमान तक गर्म किया गया. बहुत सी बैटरीज फट गईं और उन्होंने कई जहरीली गैसें छोड़ीं. बैटरीज कई बार चार्जिंग के दौरान या अन्य तरीकों से ओवरहीट होने पर भी ऐसे फट सकती हैं और नुकसान पहुंचा सकती हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि, 'अगर आप कार में या किसी बंद जगह पर हों और कार्बन मोनॉक्साइड बैटरियों से निकलती रहे तो यह घातक साबित हो सकती है. भले ही यह कम मात्रा में रिलीज हो रही हो.'

संजय दत्त के अभिनय करियर पर लगा विराम

एक बहुत पुरानी कहावत है-‘एक भूल इंसान को हमेशा के लिए बर्बाद कर देती है.’’ यह कहावत पूरी तरह से अभिनेता संजय दत्त पर सटीक बैठती है. दोस्ती के चक्कर में संजय दत्त ने अपने घर में हथियार छिपाकर रखने की ऐसी भूल की है, जिसका खामियाजा वह अब भी चुका रहे हैं. इसी के चलते वह अदालत द्वारा सुनाई गयी जेल की सजा भी काट चुके हैं. फरवरी माह में जब वह जेल से बाहर निकले थे, तो विजेता की तरह मुस्कुरा रहे थे. जेल से बाहर निकलते ही राजकुमार हिरानी, सुभाष घई, विधु विनोद चोपड़ा व सिद्धार्थ आनंद सहित कई फिल्मकारों ने संजय दत्त को लेकर फिल्म बनाने की घोषणा  कर दी थी. संजय दत्त ने संजय गुप्ता के संग भी अपने संबंध सुधार लिए थे. लेकिन अफसोस की बात है कि उनका करियर संवरने की बजाय बर्बादी की ओर ही जा रहा है. उन्हें लगातार अपमानित भी होना पड़ रहा है. सूत्रों का दावा है कि इसी के चलते वह दिन रात शराब के नशे में डूबे रहने लगे हैं. हाल ही मुंबई में एक फिल्मी समारोह में संजय दत्त ने नशे की हालत में कुछ लोगों के साथ बदतमीजी की. बडी मुश्किल से उनकी पत्नी मान्यता दत्त उन्हे वहां से लेकर गयी.

राजकुमार हिरानी, संजय दत्त की जिंदगी पर आधारित बायोपिक फिल्म बनाने वाले थे, पर यह फिल्म शुरू नहीं हो पायी. यह एक अलग बात है कि इसके लिए रणबीर कपूर पर दोष मढ़ा जा रहा है, पर कुछ लोग इसके लिए भी संजय दत्त के सितारों का गर्दिश में होना मान रहे हैं. इसके बाद संजय दत्त ने सिद्धार्थ आनंद की फिल्म ‘‘बदला’’ के लिए काफी मेहनत की. अपने घर के सामने की जगह पर जिम बनाकर दो माह तक खास ट्रेनिंग हासिल की, लेकिन अंततः फिल्म ‘‘बदला’’ को किसी भी स्टूडियो का समर्थन न मिलने के कारण बंद करना पड़ा.

अब सूत्र दावा कर रहे हैं कि सिद्धार्थ आनंद फिल्म ‘‘बदला’’ पुनः शुरू करने जा रहे हैं. मगर इस बार फिल्म ‘बदला’ में संजय दत्त की जगह पर रितिक रोशन आ गए हैं. सुभाष घई ने बड़े जोश में फरवरी माह में घोषणा की थी कि वह संजय दत्त के साथ अपनी सफलतम फिल्म ‘‘खलनायक’’ का सिक्वअल बनाएंगे, पर अफसोस इस फिल्म का भी कुछ नहीं हुआ. सूत्र बता रहे हैं कि सुभाष घई का सारा ध्यान मुंबई के गोरेगांव इलाके के उनके मल्टीप्लैक्स पर है.

संजय दत्त को ही लेकर फिल्म ‘धमाल’ के सिक्वअल की भी बात हुई थी. इसकी पटकथा भी लिखी गयी. जब इसकी लागत का आकलन हुआ, तो निर्माता भाग खड़े हुए. इतना ही नहीं राजकुमार हिरानी ने संजय दत्त की बायोपिक फिल्म के बदले में ‘मुन्ना भाई’ का सिक्वअल बनाने की बात कही थी. पर इसके बनने की कोई उम्मीद नजर नही आ रही है. अब तो राज कुमार हिरानी खुद कह चुके हैं कि उनके पास अगले दो वर्ष तक समय नहीं है.

इधर संजय दत्त को विधु विनोद चोपड़ा की बहन शैली धर की फिल्म ‘मारको भाई’ से काफी उम्मीदे थी. संजय दत्त को उम्मीद थी कि शैली धर ‘मारको भाई’ से फिल्म निर्देशन में कदम रख रही हैं, इसलिए उनके भाई विधु विनोद चोपड़ा इस फिल्म को जरुर बनाएंगे, लेकिन ‘मारको भाई’ की पटकथा पढ़ने के बाद विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म को न बनाने का निर्णय लेते हुए अपनी बहन से साफ साफ कह दिया है कि वह दूसरी पटकथा पर काम करें. सूत्रों का दावा है कि विधु विनोद चोपड़ा के अनुसार ‘मारको भाई’ की पटकथा में दम नहीं है कि वह बाक्स आफिस पर लागत वसूल कर सके. यानी कि सात माह के अंदर संजय दत्त की छह फिल्में बंद हो चुकी हैं. और अब कोई भी निर्माता संजय दत्त के बारे में सोचना भी नहीं चाहता.

फिल्मों के निरंतर बंद होते और अभिनय करियर के आगे न खिसक पाने से संजय दत्त काफी परेशान व दुःखी हैं. अपने इस गम को गलत करने के लिए वह नशे में चूर रहने लगे हैं. बौलीवुड में अब लोग खुलकर कहने लगे हैं कि संजय दत्त को अभिनय की बात भूलकर फिल्म निर्माण अथवा किसी अन्य व्यापार में हाथ आजमाना चाहिए.

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