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सार्क सम्मेलन का इस तरह रद्द होना

सार्क देशों के शासनाध्यक्षों का 19वां सम्मेलन रद्द कर दिया गया है. यह बैठक अब कब होगी, इसकी अब तक कोई घोषणा नहीं की गई है. इससे समझा जा सकता है कि 31 वर्षों के सफर में सार्क की 18 बैठकें ही क्यों हुईं? जाहिर है, सदस्य मुल्कों के शासनाध्यक्ष किसी न किसी वजह से सार्क चार्टर के मुताबिक सालाना बैठक से बचते रहे हैं. इस बार इसकी बैठक इसलिए रद्द की गई है, क्योंकि भारत, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने इसमें न शामिल होने का फैसला किया है.

भारत का गुस्सा उरी हमले को लेकर है, तो बांग्लादेश अपने अंदरूनी मामलों में, खासतौर से युद्ध अपराधियों के मुकदमों और सजा के मामले में पाकिस्तान की दखलंदाजी से नाराज है. अफगानिस्तान ने भी अपने यहां पाकिस्तान की कथित भूमिका की वजह से सार्क सम्मेलन से किनारा करने का फैसला किया है. बेशक, इससे ऐतराज नहीं कि कई मसलों पर पाकिस्तान के रुख से इस क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता बढ़ी है, और संभवत: इस्लामाबाद इससे भी बड़ी चोट का हकदार है. मगर पाकिस्तान को घेरने के लिए सार्क सम्मेलन एक बेहतर मंच हो सकता है.

यह दलील दी जा सकती है कि जिन मसलों के कारण इन तीन मुल्कों ने इस सम्मेलन में न जाने का फैसला किया, वह उनका पाकिस्तान के साथ आपसी मसला है. यह कहने में भी कोई दिक्कत नहीं कि जिस अतिवाद और दहशतगर्दी फैलाने की वजह से पाकिस्तान पर अंगुली उठाई गई है, उसे ये मुल्क द्विपक्षीय बातचीत में ज्यादा तवज्जो नहीं देते, लिहाजा इस मसले को सार्क सम्मेलन का एजेंडा बना दिया जाना चाहिए.

बहरहाल, दहशतगर्दी का समाधान एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करके नहीं, बल्कि एक-दूसरे से बातचीत करके ही निकल सकता है, और इसके लिए सार्क सम्मेलन का होना निहायत जरूरी है. इतना ही नहीं, अगर यूं ही बहिष्कार जारी रहा, तो आने वाले दिनों में मौजूदा परिस्थिति का उदाहरण देते हुए किसी गैर-वाजिब मसले पर भी यही रुख अपनाया जा सकता है. हमें कमजोर नहीं, बल्कि एक मजबूत सार्क चाहिए. तमाम कमियों के बावजूद हम इसे खत्म होने नहीं दे सकते.

अपने भाव और ज्ञान हिंदी भाषा में

भाषा अभिव्यक्ति का सरल और सुदृढ़ माध्यम है, जिस भाषा को हम अच्छी तरह जानते और समझते हैं अगर उस में अपने भाव अभिव्यक्त करें तो न केवल दूसरों तक सही बात पहुंचा पाएंगे बल्कि अपनी बात रखने में भी आसानी होगी बजाय अन्य किसी भाषा के. इसी तरह अगर हम किसी भी प्रकार की जानकारी या ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो उस के बारे में यदि हमें अपनी भाषा में किताबें, नोट्स और अन्य स्रोत से प्राप्त सामग्री मिले तो हम उस ज्ञान को ज्यादा बेहतर ढंग से ग्रहण कर उस का सही इस्तेमाल कर पाएंगे. हिंदी से सरल अन्य भाषा किसी भारतीय के लिए हो ही नहीं सकती, जिसे पूरे देश में हर कोई आसानी से समझ लेता है.

क्या हैं फायदे

दूसरों को समझाने में आसानी

कहा जाता है कि व्यक्ति जिस भाषा का ज्ञाता होता है उस भाषा में वह अपने विचारों का आदानप्रदान आसानी से कर सकता है और सामने वाले पर अपना अच्छा प्रभाव जमा सकता है. ऐसा ही कुछ स्नेहा के साथ हुआ. वह हर क्षेत्र में बहुत तेज थी सिवा अंगरेजी बोलने के, जिस कारण उसे खुद पर बहुत झुंझलाहट होती. एक बार उस के स्कूल में डिबेट कंपीटिशन था. सभी छात्र इंगलिश में स्पीच दे रहे थे. स्नेहा ने भी हिम्मत नहीं हारी. स्टेज पर चढ़ने से पहले ही उस ने दृढ़ निश्चय कर लिया कि आज वह हिंदी में ही अपना भाषण देगी. भले ही वह जीते या न जीते. उस ने शब्दों और भाषा पर अपनी मजबूत पकड़ की वजह से ऐसा भाषण दिया कि सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए. वहां उपस्थित छात्रों के साथसाथ जूरी मैंबर्स भी खड़े हो कर तालियां बजाने पर मजबूर हो गए.

भले ही वहां का माहौल अंगरेजी का बना हुआ था, लेकिन सिवा स्नेहा के किसी ने भी कौंसैप्ट की गहराई को समझ उसे आज के संदर्भ से जोड़ने की कोशिश नहीं की थी और इसी का नतीजा था कि वह अव्वल आई.

अपनी भाषा में बेहतर रिजल्ट

आजकल अधिकांशतया देखने में आता है कि छात्र देखादेखी सब्जैक्ट्स व भाषा का चयन कर लेते हैं, लेकिन आगे चल कर उस में असफल हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि अगर वे अपने फ्रैंड्स या रिलेटिव्स को यह बताएंगे कि वे हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं तो सब के मन में यही सोच पैदा होगी कि शायद अंगरेजी भाषा पर पकड़ न होने के कारण हम ने हिंदी माध्यम से पढ़ने का फैसला लिया.

सोच कर देखिए तब क्या होगा जब देखादेखी लिया गया निर्णय आप को फेल कर देगा और वही दोस्त आप को यह बोलने में भी पीछे नहीं रहेंगे कि जब बस का नहीं था तो किस ने कहा था अंगरेज बनने को. ऐसे में अगर आप अपना बेहतर कैरियर बनाना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि अंगरेजी माध्यम से ही पढ़ाई करें, आप हिंदी माध्यम से भी सफलता हासिल कर सकते हैं.

फेस ऐक्सप्रैशन भी बेहतर

अपनी लैंग्वेज में बात करने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि शब्दों के साथसाथ हमारा फेस भी बोलता है जिस से हमें अपनी काबिलीयत साबित करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि अपनी भाषा में बात करते समय चेहरे पर नैचुरल भाव आते हैं और हम किसी की भी बात का सहज हो कर उत्तर दे पाते हैं.

जबकि दूसरी भाषा में प्रभाव जमाने के लिए हम उसे दिल से नहीं बल्कि बोझ समझ कर ग्रहण करते हैं और कई बार इतना अधिक रटने के बावजूद ठीक से ऐक्सप्रैस नहीं कर पाते इसलिए बेहतर यही है कि न तो हिंदी को अपनाने में झिझकें और न ही उस में अपने विचार प्रकट करने में शर्म महसूस करें.

आते हैं ज्यादा क्रिएटिव विचार

जिस भाषा पर हमारी अच्छी कमांड होती है हमें उस में काम करने में भी बहुत मजा आता है, जिस से हमारा दिमाग ज्यादा क्रिएटिव सोचता है. इस से हमें कई तरह की योजनाएं बना कर बेहतर रिजल्ट मिल पाते हैं वरना दूसरी भाषा में काम करते हुए हमें उसे समझने में काफी समय लग जाता है ऐसे में उस भाषा में क्रिएटिव सोचने का तो सवाल ही नहीं उठता.

किसी से छिपने की जरूरत नहीं

हो सकता है कि आप हिंदी के मास्टर हों और दूसरा अंगरेजी का, लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि आज अंगरेजी का वर्चस्व होने के कारण आप अपनी भाषा की वजह से लोगों से कटेकटे रहें. इस से तो आप जानबूझ कर अपनी कमियां दूसरों के सामने उजागर करेंगे.

आप को चाहिए कि पूरे कौन्फिडैंस के साथ आप लोगों के सामने आएं, उन से बात करें. अगर इस दौरान कोई अंगरेजी में बोल कर इंप्रैशन झाड़े तो आप भागें नहीं बल्कि अपनी भाषा में ही अपने ज्ञान से उसे ऐसा धोएं कि वह दोबारा आप के सामने आने के बारे में दस बार सोचे. लेकिन ऐसा आप तभी कर पाएंगे जब आप अपने ज्ञान को मजबूत बनाएंगे.

चीजों को ग्रहण करने में आसानी

रोहन के घर एक हिंदी और एक अंगरेजी का अखबार आता था, क्योंकि उसे हिंदी का और उस की बहन को अंगरेजी का अखबार पढ़ना पसंद था.

एक दिन दोनों ही अखबारों में स्टार्टअप क्या है और कैसे इसे शुरू करें इस विषय को ले कर स्टोरी पब्लिश हुई. दोनों ने ही उसे अपनेअपने ढंग से समझने की कोशिश की, लेकिन जब उन के मम्मीपापा ने इस विषय पर शाम को चर्चा करते हुए पूछा तो बहन विषय को समझने में अटकने लगी, जबकि रोहन ने उस के हर बिंदु को अच्छी तरह समझाया. इस के लिए रोहन की खूब तारीफ हुई. बहन को भी लगा कि काश उस ने अंगरेजी मोह के बजाय अगर हिंदी में समझा होता तो आसानी से समझ आता.

लगन+उत्साह+जनून=सक्सैस

अटल बिहारी वाजपेयी, कपिल देव, मुलायम सिंह यादव, राबड़ी देवी आदि बहुत से सैलिब्रिटीज और नेता ऐसे हैं जिन्होंने हिंदी के दम पर ही देश में नाम रोशन किया है.

इन्होंने अपनी कामयाबी से उन लोगों को झूठा साबित कर दिया जो यह कहते फिरते हैं कि वे इंगलिश न आने के कारण असफल हो गए.

पेटीएम के संस्थापक की प्रेरणादायक कहानी

अकसर लोग जीवन की मुश्किलों से हार मान लेते हैं और अपने भाग्य को कोसने लगते हैं. लेकिन पेटीएम के संस्थापक ने दिखा दिया कि अगर सच्ची लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं.

पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छोटे से गांव में हुआ और वहीं से उन की स्कूली शिक्षा भी हुई. हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण वे अंगरेजी भाषा के ज्ञान से कोसों दूर थे. लेकिन इंजीनियर बनने की चाह के कारण उन्होंने दिल्ली के कालेज औफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया. यहां सभी स्टूडैंट्स और टीचर्स अंगरेजी में बात करते थे, जिस कारण वे किसी भी बात का उत्तर नहीं दे पाते थे और शर्म महसूस करते थे.

इसी कारण वे लोगों से कटने लगे. लेकिन एक दिन उन्हें एहसास हुआ कि ऐसा कर के तो वे खुद का ही नुकसान कर रहे हैं इसलिए उन्होंने अपनी कमी को दूर करने के लिए लाइब्रेरी में समय बिताना शुरू किया वहां उन्होंने हिंदी के साथसाथ अंगरेजी की किताबें, नौवल्स आदि खूब पढ़े. इस से उन्हें खुद में काफी सुधार महसूस हुआ, लेकिन उन की सोच बदली सौफ्टवेयर स्टार्स, इनोवेटर्स की सक्सैस स्टोरी पढ़ने से.

उन के दिमाग में खुद की कंपनी स्थापित करने का विचार आया जिस में वे असफल हुए. जेब में पैसे भी नहीं थे, लेकिन फिर भी हारे नहीं. आज इसी का परिणाम है कि वे पेटीएम जैसी कंपनी जिस का कारोबार करोड़ों में होने के साथसाथ अंगरेजी में बिजनैस होता है, के मालिक हैं. इस उदाहरण से यही साबित होता है कि जिस के इरादे पक्के हों वह कभी हारता नहीं.  

कैसे बनाएं भाषा पर पकड़

–       प्रतिदिन हिंदीअंगरेजी के अखबारों का अध्ययन करें.

–       लाइब्रेरी में पढ़ने की हैबिट बढ़ाएं.

–       लेखन व डिबेट कंपीटिशन में भाग लें.

–       भाषा उच्चारण ठीक करने के लिए न्यूज चैनल्स देखें.

–       ऐसे मित्र बनाएं जिन की भाषा पर अच्छी पकड़ हो.

–       विभिन्न पत्रपत्रिकाओं के लिए लिखें. इस से भी लेखन में सुधार आएगा.

–       डरें नहीं बल्कि कमियों पर जीत हासिल करने

सैक्स रहित प्रेम अच्छा है पर होता नहीं

युवावस्था उम्र की वह दहलीज है जिस में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना लाजिमी है. यह आकर्षण कब प्यार में बदल जाता है, पता ही नहीं चलता. कालेजगोइंग युवकयुवतियों में तो प्रेम सिर चढ़ कर बोल रहा है. वैसे प्रेम करने में कोई बुराई नहीं है. अगर प्रेम में सीरियसनैस हो, लेकिन ऐसा होता नहीं है. आज की पीढ़ी ने तो प्रेम को मात्र ऐंजौय का जरिया बना रखा है. वे शारीरिक आकर्षण को ही प्रेम सम झ बैठे हैं.

प्रेम का नशा महानगरों के युवकयुवतियों पर ही नहीं चढ़ा है बल्कि छोटे शहरों यहां तक कि गांवदेहातों तक के युवा प्रेम का लुत्फ उठाते हुए देखे जा सकते हैं. महानगरों में तो पार्कों, मैट्रो, मौल्स और खंडहरों में युवा एकदूसरे से आलिंगनबद्ध होते नजर आ जाते हैं. उन्हें देख कर ऐसा लगता है जैसे ये स्थल खासतौर पर प्रेमी युगलों के लिए ही बनाए गए हों.

सच तो यह है कि सैक्स की पूर्ति के लिए ही युवक प्रेम का ढोंग रचते हैं. वे अपनी गर्लफ्रैंड को प्रेम का  झांसा दे कर उस से सैक्स संबंध बनाते हैं और जब उन का उस से जी भर जाता है तो उसे छोड़ कर नई गर्लफ्रैंड बना लेते हैं. फिर उस को कौन्फिडैंस में ले कर उस के साथ भी सैक्स संबंध बनाते हैं. अगर गर्लफ्रैंड उसे इस के लिए मना करती है तो वह अभिनय करते हुए कहते हैं, ‘‘ट्रस्ट मी यार, मैं ताउम्र तेरा साथ निभाऊंगा.’’ भोलीभाली युवतियां ऐसे फरेबी बौयफ्रैंड के जाल में फंस कर अपना सर्वस्व लुटा देती हैं और फिर समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहतीं.

पिछले काफी समय से बौयफ्रैंड व उस के दोस्तों द्वारा गैंगरेप की घटनाएं आम हो गई हैं. ऐसे युवा प्रेम का नाटक कर के अपनी गर्लफ्रैंड को किसी एकांत स्थान पर ले जाते हैं और अपने दोस्तों को भी बुला लेते हैं. फिर गर्लफ्रैंड को इन वहशियों की हवस का शिकार होना पड़ता है.

बहुत कम युवतियां ही अपने साथ हुए इस दुराचार को अपने पेरैंट्स को बताने की हिम्मत जुटा पाती हैं वरना अधिकतर तो घुटघुट कर ही जीती हैं या बदनामी के भय से आत्महत्या जैसे कृत्य को अंजाम दे बैठती हैं.

दिल्ली की रहने वाली श्वेता शुरू से ही ब्यूटी व फैशन कौंशस युवती थी. ग्रैजुएशन के बाद उस ने मौडलिंग को अपना कैरियर बना लिया. मौडलिंग के दौरान ही उस की मुलाकात सुहेल से हो गई. दोनों के बीच प्रेम के बीज कब अंकुरित हुए, पता ही नहीं चला. धीरेधीरे उन का प्रेम परवान चढ़ने लगा. दोनों मौडलिंग ट्रिप पर साथ जाते और घंटों साथसाथ बिताते. श्वेता उस के प्रेम में पूरी तरह पागल थी. उसे वह दिलोजान से चाहने लगी थी. एक अच्छे जीवनसाथी की जो तसवीर उस ने अपने दिल में संजो रखी थी, वे सभी गुण सुहेल में थे.

दोनों पढ़ेलिखे थे, इसलिए जातिबंधन की समस्या भी उन के बीच नहीं थी. सुहेल ने भी श्वेता से शादी करने का वादा कर रखा था, लेकिन एक दिन सुहेल ने अचानक श्वेता के सामने सैक्स करने की अपनी इच्छा उजागर कर दी.

श्वेता ने पहले तो नानुकर की पर सुहेल ने वादा किया कि वह उसे धोखा नहीं देगा इसलिए वह मान गई. दोनों के बीच सैक्स संबंध कायम हो गए. अब अकसर सुहेल उस से सैक्स की फरमाइश करता. यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा.

इस बीच जब श्वेता प्रैग्नैंट हो गई तो उस ने सुहेल से शादी करने को कहा ताकि वह बदनामी से अपने को बचा सके. सुहेल को श्वेता की यह बात नागवार गुजरी. उस ने शादी करने से इनकार कर दिया. यह सुन कर श्वेता के पैरों तले जमीन खिसक गई. आखिर उसे अपने मातापिता को सबकुछ साफसाफ बताना पड़ा. श्वेता के पेरैंट्स ने सुहेल के मातापिता से बात की. खैर उन्होंने किसी तरह सुहेल को शादी के लिए रजामंद कर लिया पर हर मातापिता ऐसे नहीं होते जो शादी से पहले ही प्रैग्नैंट हो गई युवती को अपना लें.

श्वेता तो महज एक उदाहरण है, अकसर हजारों युवतियां युवकों के प्रेमजाल में फंस कर शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती हैं, जिन में से अनेक खुदकुशी जैसे कृत्य को अंजाम दे बैठती हैं. कहीं आप भी ऐसे प्रेमी के चक्कर में न फंस जाएं इसलिए यहां कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जिन को अपना कर आप प्रेमी का चयन कर सकती हैं :

प्रेमी के चयन में जल्दबाजी न करें

अकसर युवतियां किसी भी युवक की मीठीमीठी बातों में आ कर बिना सोचेसम झे उसे दिल दे बैठती हैं और साथ मरनेजीने की कसमें खाती हैं. ऐसा करना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है. प्यार करने से पहले सोचिए कि प्यार एक बार होता है बारबार नहीं. न ही प्रेमी जींस की तरह होता है कि कुछ दिन पहनी और जब मन भर गया तो फिर नई खरीद ली. प्रेम एक पवित्र रिश्ता होता है, जिस की बुनियाद एकदूसरे के प्रति विश्वास और समर्पण पर टिकी होती है.

इसलिए प्रेम करते समय कतई जल्दबाजी न करें. प्रेमी को अच्छी तरह जांच परख लें फिर प्यार की पींगें बढ़ाएं. ‘लव एट फर्स्ट साइट’ के फार्मूले पर चलना भविष्य में परेशानी का सबब बन सकता है पर ऐसा होता बहुत कम है. ज्यादातर युवतियां हर उस युवक की ओर आकर्षित होती हैं, जो डैशिंग हो, स्मार्ट हो. यह जरूरी नहीं है कि हर डैशिंग पर्सनैलिटी वाला युवक सिंसीयर प्रेमी साबित हो बल्कि देखने में आया है कि ऐसे युवक ज्यादा फरेबी होते हैं. इसलिए सोचसम झ कर ही प्रेमी का चयन करें.

युवक के बारे में पहले पता कर लें

प्रेम करने से पहले युवती को चाहिए कि पहले पता कर ले कि जो युवक उसे पसंद आ रहा है, उस का बैकग्राउंड क्या है, क्या उस में एक अच्छे प्रेमी होने के सभी गुण मौजूद हैं?

अकसर युवक किसी युवती को पटाने के चक्कर में बड़ीबड़ी बातें करते हैं लेकिन असलियत में ऐसा कुछ भी नहीं होता. युवतियां ऐसे युवकों की बातों में फंस कर उन्हें दिल दे बैठती हैं.

युवकों का तो काम ही है प्रेम का नाटक करो और फिर सैक्स संबंध बनाओ. युवतियां चूंकि ऐसे युवकों के जाल में फंस चुकी होती हैं, इसलिए वे लाचार हो जाती हैं अपना सर्वस्व लुटाने के लिए. ऐसे युवक अपना उल्लू सीधा करते ही भाग खड़े होते हैं. इसलिए युवतियों को प्रेमी का चयन करते समय उस के बारे में अवश्य पता कर लेना चाहिए कि वह कितने पानी में है.

प्रेमी के साथ सुनसान जगह पर न जाएं

आज के युवकयुवतियां बिंदास किस्म के होते हैं. वे कहीं पर भी चल पड़ते हैं. वीरान जगहों पर प्रेमी के साथ जाने पर सीमाओं का अतिक्रमण होगा ही होगा. इसे कोई रोक नहीं सकता, क्योंकि अब लैलामजनूं, शीरींफरहाद जैसे समर्पित प्रेमी तो रहे नहीं. आज के प्रेमियों का सैक्स पर कंट्रोल नहीं होता. वे सैक्स को ही प्रेम सम झते हैं. युवकों में तो सैक्स के प्रति क्रेज होता ही है, युवतियां भी इस में पीछे नहीं रहतीं. वे खुद अपने प्रेमी के साथ सैक्स संबंध बनाने की इच्छुक रहती हैं. दूसरा, आजकल ऐसी भड़काऊ ड्रैसेस आ गई हैं जिन्हें जब प्रेमिका पहन कर प्रेमी के साथ एकांत स्थान पर जाती है तो सब्र का बांध टूटने लगता है और सैक्स संबंध स्थापित हो जाते हैं.

यदि युवतियों को अपने को सैक्स संबंधों से बचाना है तो कभी भी किसी सुनसान जगह पर प्रेमी के साथ न जाएं और न ही भड़काऊ ड्रैस पहनें.

प्रेमी को अपने माता पिता से मिलवाएं

चोरीछिपे प्रेम करना ठीक नहीं है. अगर आप दिल से किसी को प्रेम करती हैं तो उसे अपने पेरैंट्स से जरूर मिलवाएं. इस से यह फायदा होगा कि आप के मातापिता आप को बता पाएंगे कि आप का चुनाव सही है या गलत, क्योंकि उन्हें काफी अनुभव होता है. दूसरा फायदा यह होगा कि आप के पेरैंट्स का आप के प्रति विश्वास बढ़ जाएगा कि उन की बेटी ने सबकुछ सचसच बता दिया. हर स्तर पर वे आप के मददगार साबित होंगे. इसी तरह आप भी अपने प्रेमी से कहें कि वह आप को अपने पेरैंट्स से मिलवाए. अगर वह आप को उन से मिलवाने में टालमटोल करता है तो सम झ लें कि उस का प्रेम महज एक धोखा है और वह एक नंबर का चीट है. ऐसी स्थिति में जितनी जल्दी हो सके उस से किनारा कर लेना ही ठीक होगा.

प्रेमी के साथ नशा न करें

आजकल प्रेमीप्रेमिकाओं में नशाखोरी का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. डिस्कोथिक व बार में युवतियों को भी शराब पीते देखा जा सकता है. वर्किंग गर्ल्स खासतौर से एमएनसी में काम करने वाले युवा खूब शराब पीते हैं. आजकल ‘टकीला’  नामक एक लेडीज ड्रिंक भी बाजार में आ गया है जो युवतियों का फेवरिट ड्रिंक है, इस से एकदम से नशा चढ़ता है. प्रेमी शराब की शौकीन ऐसी युवतियों का जम कर शारीरिक शोषण करते हैं. जब शराब का नशा उतरता है तब युवतियों को एहसास होता है कि वे गलती कर बैठी हैं. इसलिए कभी भी प्रेमी के साथ शराब पीने की भूल न करें.

लेटनाइट पार्टियों से दूर रहें

आजकल ज्यादातर पार्टियां लेटनाइट तक चलती हैं इसलिए प्रेमी जितना भी जोर डाले आप उसे साफसाफ कह दें कि आप लेटनाइट पार्टी में नहीं जा सकतीं. इन पार्टियों में मौजमस्ती और फन के चक्कर में प्रेमी अपनी प्रेमिका का जम कर दैहिक शोषण करते हैं. उस समय वे भूल जाते हैं कि वे तो प्रेमीप्रेमिका हैं. अत: लेटनाइट पार्टी में जाने से बचें.                   

बड़े काम की हैं ये 12 Function Keys

क्या आपने कभी अपने कंप्यूटर की-बोर्ड की सबसे ऊपरी लाइन गौर से देखी है? अगर हां, तो ऊपर की कतार में 12 Function Keys भी देखे होंगे जो वाकई बड़े काम के हैं. इनकी मदद से आप कंप्यूटर पर तेजी से काम कर सकते हैं.

कंप्यूटर की-बोर्ड पर सबसे ऊपर मौजूद F1 से लेकर F12 कुंजियों को 'फंक्शन की' कहते हैं. ये ऐसी कुंजियां हैं जिनसे कोई अक्षर टाइप नहीं होता. असल में इन्हें की-बोर्ड के जरिए कंप्यूटर या उसके ऑपरेटिंग सिस्टम को खास तरह के निर्देश देने के लिए बनाया गया है.

आइए, देखते हैं कि आप इनका इस्तेमाल करके कैसे अपने कामकाज को ज्यादा तेज और स्मार्ट बना सकते हैं.

F1

– अगर कंप्यूटर को स्विच ऑन करते ही यह कुंजी दबा देंगे तो कंप्यूटर का सेटअप (CMOS) खुल जाएगा, जिसमें सेन्सिटिव कंप्यूटर सेटिंग्स को देखा या बदला जा सकता है.

– अगर आपने विंडोज खोल लिया है, तो इस कुंजी को दबाने पर विंडोज हेल्प एंड सपोर्ट डायलॉग खुलेगा, जिसमें सामान्य समस्याओं के समाधान दिखाए गए हैं.

– अगर आप इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर में काम कर रहे हैं, तो यह कुंजी दबाने पर इस ब्राउजर का हेल्प पेज खुलेगा.

– क्रोम ब्राउजर में यही कुंजी दबाने पर गूगल क्रोम का हेल्प सेंटर खुल जाएगा.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में कंट्रोल+F1 दबाने पर सॉफ्टवेयर फुल स्क्रीन मोड में चला जाएगा. फिर से दबाने पर दोबारा सामान्य हो जाएगा.

F2

– विंडोज में किसी फाइल, आइकन या फोल्डर पर क्लिक करने के बाद F2 दबाने पर उसे फौरन रीनेम किया जा सकता है.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में कंट्रोल+F2 दबाने से प्रिंट प्रिव्यू पेज खुलेगा, जो दिखाता है कि आपका डॉक्युमेंट प्रिंट होने पर कैसा दिखेगा.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में Alt+Control+F2 को दबाने पर फाइल ओपन डायलॉग बॉक्स खुल जाता है.

F3

– विंडोज में F3 दबाने से सर्च बॉक्स खुल जाता है, जिसका इस्तेमाल फाइलों या फोल्डरों को खोजने के लिए कर सकते हैं.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में Shift+F3 दबाने पर अंग्रेजी का सलेक्ट किया हुआ मैटर अपर केस या लोअर केस में बदला जा सकता है.

– माइक्रोसॉफ्ट डॉस या कमांड प्रॉम्प्ट विंडो में F3 दबाने पर पहले टाइप की गई कमांड दोबारा टाइप हो जाती है.

F4

– विंडोज एक्सप्लोरर (कंप्यूटर, माइ कंप्यूटर वगैरह) में इसे दबाने पर अड्रेस बार खुल जाती है. इंटरनेट एक्सप्लोरर में भी वेबसाइट का पता डालने के लिए अड्रेस बार खुलती है.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में यह कुंजी दबाने पर वही काम रिपीट हो जाएगा, जो आपने अभी-अभी किया था. अगर आपने कोई शब्द टाइप किया है, तो वह दोबारा टाइप हो जाएगा. टेबल बनाई है, तो एक और टेबल बन जाएगी. अगर कोई टेक्स्ट बोल्ड किया है तो वह फिर से सामान्य और फिर से बोल्ड हो जाएगा.

– Alt+F4 को दबाने पर वह सॉफ्टवेयर बंद हो जाएगा जो अभी खुला हुआ है.

– Control+F4 दबाने पर किसी सॉफ्टवेयर के भीतर खुली कई विंडोज में से मौजूदा विंडो बंद हो जाएगी. जैसे इंटरनेट एक्सप्लोरर में खुले कई टैब में से एक टैब बंद हो जाएगा या फिर वर्ड में खुले कई दस्तावेजों में से एक बंद हो जाएगा.

F5

– यह रिफ्रेश की के तौर पर काम करता है. विंडोज में कोई फोल्डर कॉपी होने के बाद दिखाई नहीं दे रहा, तो इसे दबाइए, दिखने लगेगा. इंटरनेट ब्राउजरों में दिख रहे वेब पेजों को रिफ्रेश या रिलोड करने के लिए यह बहुत इस्तेमाल होता है.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इसे दबाने पर Find and replace डायलॉग खुल जाता है. – पावरपॉइंट में F5 दबाने पर स्लाइड शो चालू हो जाता है.

– माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल में Shift+F5 दबाने पर Find and Replace सुविधा खुलती है.

– फोटोशॉप में इसे दबाने पर कई तरह के ब्रश सामने आ जाते हैं, जिनमें से अपनी पसंद का ब्रश चुना जा सकता है.

F6

– इसे दबाने पर विंडोज टास्कबार में खुले फोल्डरों की सामग्री दिखने लगती है.

– इंटरनेट ब्राउजर में इसे दबाने पर करसर अड्रेस बार में चला जाता है और आप फौरन वेब अड्रेस टाइप कर सकते हैं.

– अगर माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में कई डॉक्युमेंट खुले हैं, तो उन्हें एक-एक कर देखने के लिए Control+Shift+F6 का प्रयोग कर सकते हैं.

F7

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में कोई दस्तावेज टाइप करने के बाद अगर F7 दबाएंगे, तो उसकी स्पेलिंग चेक होनी शुरू हो जाएगी.

– इंटरनेट एक्सप्लोरर में इसे दबाने पर कैरट ब्राउजिंग सुविधा शुरू हो जाती है, जिसका इस्तेमाल कीबोर्ड के जरिए वेब पेजों पर टेक्स्ट सलेक्ट करने, आगे-पीछे जाने आदि के लिए किया जा सकता है.

F8

– अगर कंप्यूटर को स्टार्ट करते समय इसे दबा देंगे, तो ऑपरेटिंग सिस्टम को खोलने के लिए उपलब्ध कई मोड दिखाई देंगे, जिनमें सेफ मोड और कमांड प्रॉम्प्ट भी शामिल हैं.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में Alt+F8 दबाने पर मैक्रो तैयार करने की सुविधा शुरू हो जाती है, जिसके जरिए बार-बार किए जाने वाले कामों को करने के लिए छोटे-छोटे स्थायी निर्देश रेकॉर्ड किए जा सकते हैं.

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में टेक्स्ट को सिलेक्ट करने के लिए F8 का इस्तेमाल किया जा सकता है.

F9

– माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक में ईमेल पाने-भेजने (सेंड-रिसीव) के लिए इसका इस्तेमाल करें.

– क्वार्क एक्सप्रेस में इसे दबाने पर मेजरमेंट टूलबार खुल जाता है.

– कुछ लैपटॉप में इसे दबाकर स्क्रीन की चमक (ब्राइटनेस) को कंट्रोल किया जा सकता है.

F10

– किसी सॉफ्टवेयर में काम करते हुए इस कुंजी को दबाने पर मेन्यू बार सक्रिय हो जाता है, जैसे आपने वहां क्लिक किया हो.

– Shift+F10 को एक साथ दबाने का ठीक वैसा असर होता है, जैसा माउस के राइट क्लिक का. किसी आइकन, फाइल या इंटरनेट एक्स्प्लोरर में किसी लिंक पर इन कुंजियों को दबाकर देखिए, कॉन्टेक्स्ट मेनू खुल जाएगा.

– Control+F10 का इस्तेमाल माइक्रोसॉफ्ट वर्ड की विंडो का आकार घटाने-बढ़ाने (मिनिमाइज- मैक्सिमाइज) करने के लिए किया जा सकता है.

F11

– इंटरनेट एक्सप्लोरर, क्रोम आदि ब्राउजरों में फुल स्क्रीन को सक्रिय-निष्क्रिय करने के लिए इसे आजमाएं.

– Alt+F11 को दबाने पर माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के सॉफ्टवेयरों में विजुअल बेसिक कोड विंडो खुल जाती है, जिसका इस्तेमाल एक्सपर्ट यूजर करते हैं.

F12

– माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इसे दबाने पर Save As.. डायलॉग बॉक्स खुलता है.

– Shift+F12 से माइक्रोसॉफ्ट वर्ड का डॉक्युमेंट सेव हो जाता है.

– Control+Shift+F12 से माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में खुला डॉक्युमेंट प्रिंट हो जाता है.

हर उम्र में त्वचा की देखभाल कुछ इस तरह

कहते हैं उम्र के हर दौर में त्वचा की जरूरतें अलग अलग होती हैं. इसलिए अपने को उम्र भर जवां बनाएं रखने के लिए आप को अपनी त्वचा के प्रकार को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि आप की ढीली त्वचा ही आप की बढ़ती उम्र का राज खोलती है. आप जितनी जल्दी अपनी त्वचा के प्रकार को जान कर उस पर ध्यान देंगी बढ़ती उम्र में उतना ही अच्छा होगा. अपनी त्वचा किस प्रकार ध्यान दे. इस बारे में बता रही हैं कौस्मोटोलौजिस्ट एंड माइंड थेरेपिस्ट अवलीन खोखर.

हमारी त्वचा के फंक्शन, फिजिकल स्ट्रक्चर और एनाटोमी बहुत जटिल होते हैं. जो हमारे मन व विचारों में होता है. वही बाहर दिखता है और यह हमारे शरीर और दिमाग में भी प्रभाव डालता है. जितना अधिक हम अपनी त्वचा के बारे में जानेंगे उतनी बेहतर तरीके से हम अपनी त्वचा के बारे में जानेंगे उतनी बेहतर तरीके से हम अपनी त्वचा के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स चुन पाएंगे. हमारे शरीर का सब से बड़ा और संवेदनशील आर्गन त्वचा होती है जिस का एरिया 600 स्क्वायर इनचेज होता है और उस का वजन 3-4 किलो होता है. हमारे शरीर में सब से एरिया हमारे हाथों, पैरों के तलवों पर होता है. सब से पहला एरिया हमारे आयलिड्स पर होता है. हमारी त्वचा एक ऐसा आर्गन है जिस से औक्सीजन देने के लिए और कार्बन डाई औक्साइड छोड़ने के लिए सांस लेने की जरूरत होती है और साथ ही यह त्वचा में मौइश्चराइजर की मात्रा भी बनाए रखती है.

त्वचा रूखी और बेजान है तो यह आप के लिए चेतावनी है कि अब आप को इस का खयाल रखना शुरू करना चाहिए अगर आप एक ऐसा रूटीन अपनाते हैं जिस से आप की त्वचा को पोषण मिले और वह सुरक्षित भी रहे तो आप की त्वचा लंबे समय तक जवां और चमकदार रहेगी.

आमतौर पर हमारी त्वचा खुद की रक्षा करने में सक्षम होती है लेकिन यह हमारी त्वचा को धूप के प्रभाव, सिगरेट के धुएं और वातावरण में प्रदूषण से नहीं बचा पाती तो यह बहुत जरूरी होता है कि हम अपनी मिनरल्स और न्यूट्रीएंट्स दें. जिस से हमारी त्वचा को धूप की किरणों के प्रभाव से बचा सकती है.

हर उम्र में अपनी त्वचा को समझें

अपनी त्वचा का खयाल रखने सब से पहली और जरूरी चीज है आप अपनी त्वचा को हर उम्र में समझें. जवां उम्र में हमारी त्वचा बहुत सुंदर होती है. हमारे सैल्स जो न्यूट्रीएंट्स और फाइबर से भरे होते हैं वे हमारी त्वचा को एकसाथ जोड़ कर उसे इलास्टिक, स्कूथ और यंग दिखाते हैं क्योंकि इस उम्र में केराटिनाइजेशन सही मात्रा में होती है पर जैसेजैसे आप की उम्र बढ़ने लगती है वैसे ही आप की त्वचा अंदरूनी और बाहरी हिस्सों से प्रभावित होने लगती है. कोलेजन फाइबर के सूखने से ये त्वचा में से लचीलेपन को खत्म कर देते हैं. बढ़ती उम्र में ये सभी चीजें हमारी त्वचा को प्राकृतिक रूप से सुरक्षा देती है और वे सभी पदार्थ जो त्वचा में मौइश्चराइजर की मात्रा बनाए रखते हैं उन सभी का उत्पादन कम होने लगता है. इस के परिणामस्वरूप हमारी त्वचा में इरीटेशन होने लगती है और तो और त्वचा रूखी भी होने लगती है. अंत में त्वचा में झुर्रियां और लाइन्स आने लगती हैं.

त्वचा की विषमताएं व प्रकार

त्वचा 5 प्रकार की होती है

सूखी त्वचा

जिन लोगों की त्वचा सूखी होती है उन की त्वचा की सतह बहुत पतली होती है और अंदर की कैपिलरीज बहुत आसानी से नजर आने लगती है, चेहरा धोने के बाद बहुत तना हुआ महसूस होने लगता है और बाहरी तत्त्वों के कारण चेहरा लाल भी पड़ने लगता है चेहरे पर फाइन लाइन और पिगमेंट्स के धब्बे भी नजर आने लगते हैं.

सामान्य त्वचा की समस्या

डिहाइड्रेशन और सर्दियों के मौसम में त्वचा पर से डेड स्किन उतरने लगती है. सूखी त्वचा का उपचार करने के लिए आप को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए और अपने चेहरे को गरम पानी से न धोएं, चेहरे को बहुत जोर से दबा कर न पोंछें और अपनी त्वचा के हिसाब से स्किन फ्रैंडली कौस्मैटिक पदार्थ का इस्तेमाल करें.

औयली स्किन

इस तरह की स्किन में तेल औयल अधिक होने से स्किन अधिक चमकने लगती है. जिस से एक्ने हो सकते हैं एक्ने भी 2 प्रकार के होते हैं.

ट्रू एक्नेः इस प्रकार के एक्ने शरीर के अंदर होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण होते हैं.

इनफ्यूजड एक्नेः इस प्रकार के एक्ने अकसर गरमियों के मौसम में अथवा चेहरे पर गहरे घाव पड़ जाने से होते हैं. इस का उपचार करने के लिए आप को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. जिस से बैक्टीरिया और डस्ट बाहर निकल सके और त्वचा सुरक्षित हो.

कौंबिनेशन स्किन

जिस की त्वचा औयली व ड्राई दोनों होती है उसे कौंबिनेशन स्किन कहते हैं. अकसर टी जोन में स्किन औयली होती है और गालों पर सूखी अगर आप की त्वचा ऐसी है तो आप को औयली जगहों के लिए अलग से प्रोड्क्ट्स खरीदना चाहिए. अपनी त्वचा को समझे बिना प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से समस्या हो सकती है.

सेंसेटिव स्किन

इस तरह की त्वचा स्मूथ होती है लेकिन बाहरी चीजों जैसे परफ्यूम या एल्कोहल से रैशेज हो सकते हैं कुछ लोगों की त्वचा पर पैची स्केल्प आ सकते हैं और यह किसी भी उम्र में हो सकता है. सैंसिटिव स्किन वाले लोगों को अकसर एलर्जिक रिएक्शन हो जाते हैं या आनुवांशिक समस्या.

बेसिक स्किन केयर

महत्त्वपूर्ण हैं बेसिक स्किन केयर टिप्स

आप की त्वचा चाहे किसी भी टाईप की हो. उस की देखभाल के तरीके एक जैसे ही होते हैं. केवल ब्यूटी प्रोडक्ट्स ही त्वचा की टाइप के अनुसार बदलते हैं. अगर आप को बहुत अच्छी और बैलैंस्ड स्किन चाहिए तो आप को कुछ स्टेप्स फालो करने पड़ेंगे.

सी क्लींजिंग

लगभग सभी ब्यूटी उत्पादों में तेल की मात्रा बहुत अधिक होती है. हमें कुछ ऐसे उत्पादों की जरूरत है, जो हमारे चेहरे को साफ करें.

अपनी आंखों और होंठों के पास से आईमेकअप रिमूवर से स्किन को साफ करें. इस रिमूवर में इस्तेमाल होने वाले तत्त्व त्वचा के लिए माइल्ड होते हैं. इसलिए इस का इस्तमाल सही होगा.

अपने फेस मेकअप को क्लींजिंग मिल्क और वर्जिन कोकोनेट औयल से साफ करें जिस से स्किन क्लीन और सौफ्ट हो जाए.

अपने चेहरे को क्लींजिंग जैल और क्लींजिंग फोम से साफ करें. अपनी त्वचा के हिसाब से उत्पाद को चुनें.

हफ्ते में एक बार अपने चेहरे पर स्क्रब करें और मास्क भी लगाएं.

टी-टोनिंग

यह आप की त्वचा में बैलैंस्ड ले कर आएगा और त्वचा में पीएच की मात्रा को भी बैलेंस में रखेगा. अपनी त्वचा के हिसाब से सही उत्पाद चुनें.

एम-मौइश्चराइजिंग

मौइश्चराइजिंग हमारी स्किन के लिए न्यूट्रीएंट्स के समान होता है. यह त्वचा में मौइश्चर की कमी को पूरा करता है और उसे पहले से जवां, स्वस्थ और कोमल बनाता है. आप को अपनी त्वचा को हमेशा धूप, प्रदूषण से बचाए रखना चाहिए और साथ ही ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिन से आप की त्वचा के सैल्स रिपेयर हो सकें. ऐसा करने से आप की त्वचा पर झुर्रियां और फाइनलाइंस उम्र से पहले नहीं आएंगी.

सुबह के समय

सब से पहले किसी ऐसे उत्पाद का इस्तेमाल करें जो आप के चेहरे को मौइश्चराइजर दें और उसे फ्री रेडिकल्स से बचाएं. अपने चेहरे पर कम से कम 20 एस पी एफ या उस से अधिक का सनस्क्रीन जरूर लगा कर रखें. अपनी त्वचा का और भी बेहतर तरीके से खयाल रखने के लिए अगर आप को धूप में बहुत अधिक समय गुजारना होता है तो ऐसा सनस्क्रीन लगाएं जिस में एस पी एफ और पी ए दोनों हो.

सोने से पहले

जिस प्रोडक्ट का इस्तेमाल आप ने सुबह किया था उस के न्यूट्रीएंट्स इनग्रीडिएंट्स और रात के समय इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट्स के न्यूट्रीएंट्स इनग्रीडिएंट्स में फर्क होगा. जो उत्पाद आप रात में इस्तेमाल करेंगे उस में सेरामाइड की मात्रा होती है जो सोल जैसे – रेटिनौल, विटामिन सी ई के रेटिनोल और एंटी औक्सीडेंट की प्रक्रिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.

स्पेफिक स्किन ट्रीटमैंट

यह समस्या असामान्य मेलेनोसाइट्स, धूप या यूवी किरणों की वजह से होती है. इस से बचने के लिए लंबे समय तक धूप में न रहें. अगर आप को बाहर जाना पड़ता है तो अपने शरीर पर सही एसपीएफ और पीएच सनस्क्रीन लगाएं. आप कोई खास नरिशिंग प्रोडक्ट भी चुन सकते हैं.

फ्रेकल्स, मेलास्मस

मेलास्मस शरीर में हार्मोंस के बदलाव और यूवी किरणों की वजह से होते हैं. यह चेहरे पर बड़ेबड़े धब्बे होते हैं. यह अक्सर चेहरे के फैले हुए हिस्सों पर होते हैं.

यूवी किरणों से होने वाले फ्रेकल्स अक्सर गालों और नाक के पास के एरिया में होते हैं. कोई भी हार्मोन का इंजैक्शन लेने से पहले हमेशा अपने डाक्टर से सलाह लें. ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करें. जो मेलेनिन की मात्रा को कम करें.

लाइंस और अनइवन टैक्सचर

यह समस्या बढ़ती उम्र और एक्ने व स्कार्स की वजह से हो सकती है. ऐसे उत्पाद चुनें जो स्किन शेडिंग में आप की मदद करें और स्किन सैल्स रिन्यू करें और साथ ही त्चा अपर लेयर को भी जीवित करें. यह त्वचा के स्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद करता है और त्वचा को कोमल बनाता है.

झुर्रियां

त्वचा में गिरावट और दृढ़ता की कमी यह समस्याएं समय के साथ बढ़ती उम्र और यूवी किरणों की वजह से होती है 80% त्वचा में झुर्रियां यूवी किरणों से होती है जो डर्मिस लेयर के अंदर कोलेजन और इलास्टिन टिश्यू को नष्ट कर देता है जिस से त्वचा गिरने लगती है और दृढ़ता की कमी भी आने लगती है. इस को ठीक करेन के लिए ऐसे उत्पाद चुनें जिस में माइक्रोकोलेजन और इलास्टिन के रूप में प्रोटीन्स हों जिन में आप की डर्मिस लेयर स्वस्थ हो सके.

इमोशनल लाइंस के लिए खास देखभाल

आप के एैक्स एंक्सप्रैशन लाइन्स जैसे गालों की लाइंस, आंखों के नीचे और माथे के आसपास झुर्रियां और डीप लाइंस आने लगती हैं.

त्वचा टाइप के अनुसार शरीर की देखभाल

हमारे शरीर पर त्वचा का काम हमें गरमी, रासायनिक पदार्थ और प्राकृतिक रोगाणुओं से बचाने का होता है, इसी कारण हमारी सब से ऊपर वाली त्वचा थिक होती है और इस में सेबेसियस ग्लांड्स भी कम होते हैं जिस से त्वचा में मौइश्चर और कोमलता कम होने लगती है. हमारी त्वचा पर रासायनिक पदार्थों और तेज धूप का बहुत अधिक प्रभाव होता है जिस से वे गहरी काली और रूखी हो जाती है. डेली बौडी केयर एक ऐसी चीज है जिसे हम नए उत्पादों के कारण नजरअंदाज नहीं कर सकते.

अब रद्द नहीं होगी भारत-न्यूजीलैंड सीरीज

लोढा कमेटी द्वारा भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के बैंक खाते सील कर दिए जाने के बाद भारत और न्यूजीलैंड के बीच जारी सीरीज पर रद्द होने का जो खतरा मंडरा रहा था, वह अब टल गया है. बीसीसीआई सूत्रों से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक लोढा पैनल ने बीसीसीआई के बैंक खातों को अनफ्रीज करने का फैसला किया है, और अब सीरीज जारी रहेगी.

बीसीसीआई में सुधारों के लिए सिफारिशें करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के प्रमुख तथा देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा ने कहा, "क्रिकेट जारी रहना चाहिए…"

बीसीसीआई सूत्रों ने बताया कि लोढा कमेटी ने यस बैंक से बीसीसीआई के खाते को अनफ्रीज करने के लिए कह दिया है, और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को भी खाता अनफ्रीज करने के लिए निर्देश देगी.

इससे पहले, बीसीसीआई सूत्रों ने बताया था कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच जारी सीरीज के बचे हुए टेस्ट मैच और पांच वन-डे मैचों के आयोजन पर रद्द हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. इस मामले की तह में लोढा कमेटी का वह फैसला बताया गया था, जिसमें उसने बीसीसीआई का खाता रखने वाले बैंकों से कहा था कि वे 30 सितंबर को बोर्ड की विशेष आम बैठक में लिए गए वित्तीय फैसलों के संबंध में किसी भी राशि का भुगतान न करें.

बोर्ड के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा था, "अब हमारे पास सीरीज को खत्म करने का फैसला लेने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. अगर हमारे पास पैसे होंगे ही नहीं, तो हम मैच का आयोजन कैसे कर सकते हैं, पैसे कौन चुकाएगा. हमारा भी काफी कुछ दांव पर लगा है."

लोढा पैनल के सेक्रेट्री गोपाल शंकरनारायणन ने बैंकों को भेजे खत में लिखा था, "समिति को पता चला है कि बीसीसीआई की 30 सितंबर, 2016 को हुई आपात कार्यकारी बैठक में कुछ फैसले लिए गए हैं, जिनमें राज्य संघों को काफी बड़ी रकम दी गई है." यह खत बीसीसीआई सचिव अजय शिर्के, मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को भी भेजा गया है.

सीरीज के कार्यक्रम के मुताबिक, भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच 8 अक्टूबर से इंदौर में होना है. इसके बाद दोनों देशों के बीच पांच वन-डे मैचों की सीरीज भी तय है. जबकि सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होने वाली है.

इस बीच, न्यूजीलैंड क्रिकेट ने भी कहा था है कि वे तीसरे टेस्ट की तैयारियों मे लगे रहेंगे, क्योंकि बीसीसीआई ने उनसे कहा कि दौरा अभी तक रद्द नहीं किया गया है, तथा जस्टिस आरएम लोढा ने कहा कि उन्होंने बीसीसीआई से रूटीन खर्च रोकने के लिए नहीं कहा है, और मौजूदा या आगामी सीरीज के लिए खर्च पर कोई पाबंदी नहीं है. उन्होंने साथ ही यह भी कहा था कि अगर किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन है, तो बीसीसीआई को हमसे बात करनी चाहिए.

सुंदरता का दोष

सुंदरता अभिशाप भी है, यह हर युवती ही नहीं, किशोरी भी जान जाती है. सुंदर लड़कियों को सुंदरता के कारण जहां प्यार दुलार मिलता है वहीं उन्हें भयंकर तनाव से गुजरना पड़ता है क्योंकि आसपास का हर कोई उन्हें छेड़ना चाहता है, छूना चाहता है, झपटना चाहता है.  सुंदरता की प्रशंसा के शब्द तब हवा में बह जाते हैं जब आवारा टाइप के लोगों को तो छोडि़ए, चाचा, चचेरे भाइयों टाइप के लोग भी हाथ फेरने से बाज नहीं आते.

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर की रेखा लोधी को तो सुंदरता का बुरा खमियाजा भुगतना पड़ा. खमियाजा जो उस ने स्वयं ही स्वयं को दिया. अति सुंदर रेखा विवाह होते ही आसपास वालों की आंखों का तारा तो बन गई पर पति जलनेभुनने लगा. वह ईर्ष्या की आग पत्नी पर उडे़लने लगा. पति का पिता, जिस ने शुरू में तो सुंदर बहू पर लाड़ जताया, बहू के बढ़ते प्रशंसकों को ले कर उस पर तानाकशी करने लगा.

एक रोज रेखा ने अपने चेहरे पर तेल छिड़क कर आग लगा ली और उस का चेहरा झुलस गया. अस्पताल में भरती कराने के कारण उसे जान का खतरा तो नहीं रहा पर उस की सुंदरता सदा के लिए व्यंग्यबाणों के ढेर में दब गई और जीवनभर अब वह एक अभिशाप ढोएगी जबकि पति और ससुर को वह पश्चात्ताप की आग में जलाएगी.

यह अफसोस की बात है कि समाज सुंदर लड़कियों को आसानी से जीने नहीं देता. खूबसूरत औरतें डाह रखती हैं ही, पुरुष उस सुंदरता को हड़पने के लिए रातदिन भौरों की तरह मंडराते रहते हैं. यह समाज की कमजोरी है कि औरत की सुंदरता के गुण को और उस की मिलनसारता का खुला निमंत्रण मान लेता है.

सुंदरता का अपना लाभ होता है. सुंदर लड़कियों को अच्छा घरवर मिलता है. अगर वे सही तरह से पढ़ती हैं तो उन्हें शिक्षा में सफलता मिल जाती है, अच्छी नौकरी मिल जाती है. पर हर पल उन्हें भय भी खाता है क्योंकि पुरुषवर्ग सौंदर्य को एक औरत की निजी संपत्ति मानने को तैयार नहीं है. बदसूरत को नकारने वाला यह समाज सुंदर लड़की को सब की संपत्ति समझने लगता है और बहुत बार सीमाएं भी पार कर ली जाती हैं.

रेखा लोधी ने जो किया वह गलत था. अपनी प्राकृतिक देन को खुद नष्ट करना गलत है. पर उस ने समाज पर तमाचा मारा है कि पति, ससुर, रिश्तेदार, मित्र असल में एक औरत के विशेष गुणों को ढंग से सहज स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और उन का नाजायज लाभ उठाते हैं. अच्छी गायिकाओं, अभिनेत्रियों, सफल व्यवसायी औरतों को भी इस तरह का व्यवहार झेलना पड़ता है.

मेरी उम्र 24 वर्ष है. अकसर मासिकधर्म से पहले और उस दौरान मेरी पीठ में दर्द होता है. क्या यह कोई समस्या है.

सवाल

मेरी उम्र 24 वर्ष है. अकसर मासिकधर्म से पहले और उस दौरान मेरी पीठ में दर्द होता है. क्या यह कोई समस्या है?

जवाब

हां, यह बिलकुल सामान्य स्थिति है. यह मासिकधर्म से पहले तनाव (पीएमएस) के लक्षण हैं और इस दौर में यह आम बात है. कई महिलाओं को सिर्फ पीठ दर्द ही नहीं होता, बल्कि उन के जोड़ों और सिर में भी दर्द होता है.

पीएमएस के वक्त भावनात्मक बदलाव के अलावा शारीरिक लक्षण भी उभरते हैं. पीरियड के दौरान शरीर में थोड़ा दर्द भी होता है, जिस से हड्डियां और मांसपेशियां भी प्रभावित हो सकती हैं.

कुछ महिलाओं को सिंकाई से आराम मिलता है. आर्थ्राइटिस पीडि़त महिलाओं का पीठ दर्द बढ़ भी सकता है और आार्थ्राइटिस पीडि़त पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है. लिहाजा अपने डाक्टर से मिल कर कैल्सियम और विटामिन डी लैवल की जांच कराना जरूरी है.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

कंप्यूटर पर काम करने के बाद अकसर गरदन का दर्द तेज हो जाता है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई इलाज है.

सवाल

मेरी उम्र 35 वर्ष है. मुझे पूरा सप्ताह कंप्यूटर पर काम करने के बाद अकसर खासकर शुक्रवार की शाम से गरदन का दर्द तेज हो जाता है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई इलाज है?

जवाब

कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करने से पीठ, गरदन और कंधों का दर्द होने लगता है. आप दर्द से 3 तरीकों से निबट सकते हैं- बैठने की मुद्रा सुधार कर, ऐडजस्टेबल फर्नीचर का इस्तेमाल कर और कंप्यूटर के अति इस्तेमाल को कम करने वाली कुछ रोजाना की आदतें अपना कर.

सब से पहले अपनी कुरसी को इस तरह ऐडजस्ट करें कि आप के पांव जमीन से सटे रहें और आप की जांघें जमीन के समांतर रहें.

आप के घुटने और कूल्हे समान लैवल में होने चाहिए या फिर घुटने आप के कूल्हों से थोड़ा ऊपर. जरूरत पड़े तो फुटस्टूल का इस्तेमाल करें या कुरसी की ऊंचाई ऐडजस्ट कर लें. इसी तरह आप की कुहनियां भी 90 डिग्री के कोण पर होनी चाहिए ताकि आप को कंधे न झुकाने पड़ें.

कुहनियों और कलाइयों को टेबल पर सपोर्ट मिलना चाहिए. कीबोर्ड को थोड़ा तिरछा रखने से जोड़ों पर बेवजह दबाव कम होगा.

गरदन झुकाने से बचने के लिए आप की स्क्रीन आप की आंखों के ठीक सामने होनी चाहिए. हर घंटे बाद ब्रेक लेते रहें या आसपास टहलें. कंधों और गरदन को घुमाने वाले कुछ व्यायाम कर लें. यदि फिर भी समस्या बनी रहे तो डाक्टर से संपर्क करें.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

आखिर क्यों गुस्से में हैं कंगना रनौत

लेखक चेतन भगत की बुक ‘वन इंडियन गर्ल’ के विमोचन के अवसर पर अभिनेत्री कंगना रनौत ने बताया कि इस बुक को पढ़कर उन्हें अपने जीवन की कई बाते याद आई. एक जगह तो पढ़ते हुए उनकी आंखों में आंसू तक आ गए. उन्हें कई बार यह ‘फेस’ करना पड़ा कि वह एक लड़की हैं और उन्हें पूरी आजादी नहीं है. यह बुक ‘फेमिनिज्म’ को दर्शाती है और इसे एक लड़की के नजरिये से लिखा गया है.

अपने और ऋतिक रोशन को लेकर कंट्रोवर्सी के बारे में उनका कहना है कि मुझे उन पिता से ख़ास नाराज़गी है जो अपने बेटे को पीछे रख, खुद कुछ न कुछ कहने के लिए आगे आते हैं. उन्हें कब तक छुपाओगे, कब तक उन्हें शरण दिया जायेगा. जो कुछ कहना है वह व्यक्ति सामने आकर कहे, मैं उसका उत्तर देने के लिए तैयार हूं.

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