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कालेज फैस्ट की तैयारी

कालेज सत्र आरंभ होने के साथ ही एक आजादी की भावना भी मन में हिलोरे लेने लगती है. स्कूल यूनीफौर्म से छुटकारा मिलता है और हम नितनई पोशाक पहनने को उत्सुक रहते हैं. कालेज में क्या पहनना है, यह तो आप ने सोच ही लिया होगा. लेकिन कालेज की जिंदगी में ‘कालेज फैस्ट’ और ‘रौक कौंसर्ट’ भी होते रहते हैं. वहां अगर हम सादे कपड़े पहन कर जाएं, तो अच्छा नहीं लगेगा, ऐसे मौकों के लिए चाहिए कुछ खास परिधान और खास तैयारी. तो जानिए कुछ टिप्स, जिन के द्वारा आप भीड़ में भी आकर्षक लगेंगे :

लुक पर दें ध्यान

मौसम के अनुसार ही कपड़ों का चुनाव करें. जैसे, सर्दी का मौसम हो तो लैदर की जैगिंग या स्किनी के ऊपर प्रिंट वाली जैकेट और साथ में रेशमी स्कार्फ या चेहरे पर फबती हैट पहनी जा सकती है. यदि गरमी का मौसम हो तो छोटा, बिना बाजू का जंपसूट या फूलों का प्रिंट वाला रोंपर जंचेगा. डैनिम ऐसा कपड़ा है जो हर मौसम में अच्छा लगता है. इस की सब से खास बात यह है कि यह कितना भी गंदा हो जाए, फिर भी फैशनेबल लगता है. जहां गरमियों में आप डैनिम के शौर्ट्स के साथ फूलों के प्रिंट वाली शर्ट या टैंक टौप या बिना कंधों वाला टौप पहन इतरा सकती हैं, वहीं सर्दियों में डैनिम की अच्छी फिटिंग वाली जींस के साथ एक ही रंग या प्रिंट का जिपर या रंगीन प्रिंट वाली जैकेट पहन सकती हैं.

रौक कौंसर्ट में आप ‘बैंड’ की प्रिंट वाली टीशर्ट पहन कर अलग दिख सकती हैं. टीशर्ट पर ऐसा प्रिंट भी होता है जो रात के अंधेरे में चमकता है. तो क्यों न ऐसी कोई टीशर्ट पहन कर महफिल में चमका जाए? लुक पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है. लुक का अर्थ है आप का पूरा व्यक्तित्व. यदि आप स्नीकर जूते पहनती हैं तो उन के साथ अच्छी फिटिंग की डैनिम जींस तथा आरामदेह टीशर्ट फबेगी. यदि आप घुटनों तक के ऊंचे बूट्स पहनती हैं तो उन के साथ स्किनी पैंट या जैगिंग और रंगीन टीशर्ट जंचेगी.

आप के जूते

याद रहे, कालेज फैस्ट जैसे मौकों पर आप को घंटों खड़े रहना है, वहां बज रहे गानों पर थिरकना है, तो ऐसे में आप के जूते इतने आरामदेह होने चाहिए कि आप 5-6 घंटे बिना थके खड़े रह सकें. कालेज फैस्ट में जूतों का स्टाइलिश होना भी अतिआवश्यक है. ऊंची एढ़ी की सैंडिल न पहनें. आगे से खुली सैंडिल भी न पहनें ताकि भीड़ में आप के पैर कुचल न जाएं. फ्लैट सैंडिल पहनें. आप स्नीकर जूते भी पहन सकती हैं. आरामदेह होने के साथ ये फैशनपरस्ती में भी पीछे नहीं हैं.

आप का बैग

कालेज फैस्ट में आप के हाथ जितने खाली रहेंगे, आप उतना ही आनंद उठा सकेंगी. इसलिए ऐसा बैग लें जिसे आप कंधे से तिरछा डाल सकें, जिसे ‘क्रौस स्लिंग बैग’ कहा जाता है, ताकि जब आप नाच रही हों तो भी आप का बैग सहीसलामत रहे. इस के लिए थोड़ा बड़ा बैग अच्छा रहेगा.

आप के गहने

युवतियों को गहने बहुत पसंद होते हैं. कालेज कौंसर्ट जैसे अवसर पर गहने कैसे हों, यह जानना जरूरी है.

– ऐसे समय में कम से कम गहने पहनें. ऐसे गहने तो बिलकुल न पहनें, जिन के उलझने का खतरा हो.

– अपना लुक बढ़ाने के लिए केवल एक स्टाइल स्टेटमैंट रखें यानी एक बड़ी माला और कानों में आप के चेहरे को सूट करते झुमके. बालों में नकली फूल भी लगा सकती हैं.

– यदि आप ने पाश्चात्य कपड़े पहने हैं जैसे जींस तो संग में भारतीय लुक वाला कोई गहना कतई न पहनें. गहने आप के लुक से मेल खाने चाहिए.

– केवल एक हैट या ग्लैडिएटर सनग्लासेज भी आप का लुक सजा सकते हैं.

आप का मेकअप

मेकअप जितना कम करें उतना अच्छा, कालेज फैस्ट में नाचने में आप का पसीने में भीगना स्वाभाविक है. ऐसे में आप के चेहरे पर मेकअप की बहती लकीरें आप को हास्यास्पद बना देंगी, जो भी मेकअप करें वह वाटरप्रूफ हो. अच्छा रहेगा कि काजल और लिपस्टिक पर जोर दें, जो आसानी से ठीक की जा सकती है.

आप की केशसज्जा

आप चाहें तो बालों को खोल कर लहराएं. उन में आप रंगीन हेयर ऐक्सटैंशन लगा सकती हैं या फिर आजकल फैशन में विभिन्न आकार के हेयर स्टिकर भी चल रहे हैं. ऐसे में आप सुंदर तो अवश्य दिखेंगी किंतु भीड़ में बालों के खिंचने का खतरा हो सकता है. चाहें तो जूड़ा भी बना सकती हैं, जिसे आप कोई हेयर ऐक्सैसरीज जैसे नकली फूल या चमकदार जूड़ापिन से सजा सकती हैं. प्रसिद्ध अभिनेत्रियों जैकलीन फर्नांडीस और आलिया भट्ट द्वारा युवतियों हेतु कुछ टिप्स :

जैकलीन फर्नांडीस

– बहुत अधिक गहने पहनने से पूरा लुक अटपटा लगने लगता है. सिर्फ एक स्टेटमैंट ज्वैलरी पहनें, चाहे वह नैकलेस हो या कौकटेल अंगूठी.

– डैनिम की शर्ट के साथ लैदर की कमर तक ऊंची स्कर्ट. स्कर्ट के ऊपर एक पतली बैल्ट और गले में स्टेटमैंट नेकलेस.

– चमकदार टौप के साथ शौर्ट्स और यदि मौसम हो तो शनील का एक कोट भी.

– पूरी लंबाई वाली मैक्सी ड्रैस, घेरदार हो या स्ट्रेटकट.

आलिया भट्ट

आलिया भट्ट ने एक औनलाइन शौपिंग साइट जबौंग के साथ मिल कर कालेज के लिए फैशन कलैक्शन निकाला है जिस में कई लुक हैं :

– युवतियां भड़कीले रंग और प्रिंट पहनें ताकि जहां जाएं वह जगह चमक उठे.

– युवतियों पर औफ शोल्डर टौप या ड्रैस खूब फबेंगी.

– थोड़े थुलथुले बदन की युवतियों के लिए ‘लेयरिंग’ सब से अच्छा है. लेयरिंग का तात्पर्य है एक के ऊपर एक कपड़े पहनना, चाहे कैप हो या किमोनो, श्रग हो या वेस्टकोट, आप का ‘चिक लुक’ पक्का.

– खिलंदड़ लुक के लिए युवतियां फटी जींस और आरामदायक पोलो टीशर्ट पहनें.

सब से खास बात जो याद रखनी चाहिए वह यह है कि कालेज फैस्ट में चूंकि आप को काफी देर खड़ा रहना पड़ेगा इसलिए वही कपड़े और जूते पहनें जो आरामदायक हों.

कमियां निकालने वालों से कैसे निबटें

‘निंदक नियरे राखिए…’ यह तो आप ने सुना ही होगा. इस का सीधा अर्थ है कि आलोचना से कभी घबराना नहीं चाहिए बल्कि आलोचक को अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वह हमेशा आप की गलतियों को गिनवा कर आप को आगाह जो करता रहता है. भले ही सब के सामने उस के द्वारा आप की गलती गिनवाने के कारण आप को बुरा भी लगता होगा, लेकिन इस में फायदा आप का ही है. इसलिए घबराएं नहीं बल्कि उस से सीख लें.

दिल पर न लें

अगर कोई आप की कमियां गिनवाए तो उसे दिल पर न लें बल्कि बोल्ड बन कर सामना करें.

कमियां निकालने वालों से कैसे निबटें

चैलेंजिंग वे में लें

अगर कोई आप की बारबार कमियां गिना कर आप को लैडडाउन करने की कोशिश कर रहा है तो इसे चैलेंजिंग वे में लें. इस से आप खुद में नया चेंज लाने की कोशिश करेंगे.

कमियां निकालना आसान

जब कोई आप के द्वारा किए गए अच्छे काम पर भी आप को लैडडाउन करे तो उसे कहें कि किसी की भी कमियां निकालना बहुत आसान होता है, लेकिन जिस काम में तुम मेरी कमी निकाल रहे हो, एक बार उसे खुद कर के दिखाओ फिर समझ आएगा कि कहना जितना आसान होता है, करना उतना ही मुश्किल.

कटें नहीं

कहते हैं न कि जब कोई आप की ज्यादा निंदा करने लगे तो समझ जाएं कि आप ऊंचाइयों को छूने लगे हैं. इसलिए ऐसे लोगों से कटें नहीं बल्कि उन के बीच रह कर खुद को और इंपू्रव करने की कोशिश करें.

खुला चैलेंज दें

आप ने किसी प्रोजैक्ट पर काम किया है और ऐसे में आप का फ्रैंड ‘कितना बेकार प्रोजैक्ट बनाया है तू ने’ कह कर आप की हिम्मत तोड़ना चाहे तो आप कमजोर न पड़ें बल्कि उसे खुला चैलेंज दें कि अगर तू ने इतने टाइम में मुझ से बेहतर प्रोजैक्ट बना दिया तो मैं मान जाऊंगा कि यू आर बैस्ट. ऐसे में वह आप को कभी नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करेगा.

इस तरह आप कमियां निकालने वालों का मुकाबला कर पाएंगे.

वर्जिन गर्लफ्रैंड

नेहा और सोहन की दोस्ती को अभी 2 महीने ही हुए थे कि सोहन उसे बातबात में टच करने की कोशिश करता. जब उसे यह बात पता चली कि नेहा वर्जिन है, तो वह उसे बहाने से एकांत में, होटल वगैरा में ले जा कर सैक्स करने को उत्तेजित करता. सोहन की यह बात नेहा को पसंद न आई औैर उस ने साफ कह दिया कि मेरे लिए सैक्स शादी के बाद ही उचित है. यह बात सुन सोहन भड़क उठा, क्योंकि उस के दोस्त भी उस का मजाक बनाते थे कि यार तू कैसा लड़का है जो अपनी गर्लफ्रैंड को इतने समय में भी सैक्स के लिए राजी नहीं कर पाया. ऐसे में उस ने बिना सोचेसमझे नेहा से ब्रेकअप कर लिया.

ऐसा सिर्फ नेहा औैर सोहन के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश युवकों के साथ होता है, क्योंकि उन के लिए प्यार के माने गर्लफ्रैंड से सैक्स है. ऐसे में जब आप को पता चले कि आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन है तो उस पर जबरदस्ती वर्जिनिटी तोड़ने का दबाव न डालें औैर न ही खुद किसी दबाव में आएं बल्कि संयम बरतते हुए उसे वक्त दें ताकि वह तैयार हो जाए, आपसी सहमति से रिलेशन बनाने के लिए.  

जब गर्लफ्रैंड हो वर्जिन रखें खुद पर संयम

गर्लफ्रैंड वर्जिन हो और आप का खुद पर कंट्रोल मुश्किल हो रहा हो तो भी आप को संयम बरतना होगा. ऐसा न हो कि मौका मिलते ही चालू हो जाएं. भले ही आप के लिए यह पहला मौका नहीं है लेकिन आप की गर्लफ्रैंड का यह पहला चांस है. ऐसे में उसे चीजों को समझने में वक्त लगेगा और आप को भी उस की फीलिंग्स की कद्र करनी पडे़गी, तभी यह रिश्ता लंबे समय तक चल पाएगा.

बातोंबातों में प्यार दें

अपनी गर्लफ्रैंड को कभी प्यार से हग करें तो कभी उस के गालों पर किस करें, जब वह आप के प्रति करीबी महसूस करने लगे तो उसे समझाएं कि यह भी खूबसूरत एहसास है.

वर्जिन गर्लफ्रैंड से न करें सैक्स

वर्जिन गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने में उसे हर्ट हो सकता है, जिस कारण वह दोबारा कभी सैक्स करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी. अत: गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने की जिद न करें.

वर्जिन गर्लफ्रैंड को न समझें दब्बू

बातबात पर उसे यह कह कर नीचा दिखाने की कोशिश न करें कि यार तेरे तो कुछ बस का ही नहीं है, तभी तो तू आज तक वर्जिन है. हर समय डरती रहती है. तू तो मुझे खुश करने के लिए कुछ भी नहीं करती जबकि रेखा को देख वह अपने बौयफ्रैंड के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है. तू तो हमेशा ऐसे ही ढीलीढाली बनी रहेगी. आप की ऐसी बातें सुन कर जहां वह दुखी होगी वहीं आप से दूरी भी बना लेगी.

ड्रिंक पिला कर न करें जबरदस्ती

आप की गर्लफ्रैंड अभी रिलेशन बनाने के मूड में नहीं है, लेकिन आप उस पर बारबार दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में अपने ऐंजौयमैंट के लिए आप नशीला ड्रिंक पिला कर उस के साथ जबरदस्ती करने लगेंगे तो इस से भले ही आप को कुछ पल का मजा मिल जाए, लेकिन यह मजा आप के लिए हमेशा की सजा भी बन जाएगा. इसलिए भूल कर भी यह गलती न करें.

वर्जिनिटी को न बनाएं इश्यू

आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन नहीं है तो इस का अर्थ यह नहीं कि सैक्स के दौरान ब्रेकअप कर बैठें, जो ठीक नहीं है. वर्जिनिटी की तय दकियानूसी बातें जैसे झिल्ली फटना आज के संदर्भ में महत्त्व नहीं रखतीं. आज युवतियां हर तरह के इवैंट्स में भाग लेती हैं. उन्हें स्वयं ही पता नहीं चलता कि कब उन की झिल्ली फट गई. इसलिए इन बातों को आधार बना कर अपनी प्रेम लाइफ को कष्टकारी न बनाएं.

वर्जिनिटी न पड़ जाए भारी

आप किसी पार्टी में गए हुए हैं और वहां आप की मुलाकात किसी ऐसी युवती से हो जाए जो वर्जिन हो. यह बात आप को उस से बात करने के दौरान पता चले औैर यह सुन कर ही आप उस से इंप्रैस हो कर उसे अपनी गर्लफ्रैंड बनाने का औफर दे डालें तो यह आप की सब से बड़ी भूल होगी. हो सकता है कि वह अपने वर्जिन होने के ढोंग से आप को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही हो, जबकि इस के पीछे मकसद आप को फंसाना हो.

पोर्न वीडियोज देख कर न हों उत्तेजित

भले ही आप को सैक्स के बारे में नौलेज नहीं है, लेकिन बौयफ्रैंड को इंप्रैस करने के चक्कर में यदि आप पोर्न वीडियोज देखने लगें, तो इस का आप पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इस में पार्टनर के साथ दिखाए गए अधिकांश ऐक्शंस वास्तविक नहीं होते, लेकिन अगर आप इन्हें अपनी वास्तविक सैक्स लाइफ में अप्लाई करेंगे तो इन से आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

युवतियां वर्जिनिटी को न बनाएं पार्टनर की कमजोरी

बातबात पर पार्टनर को यह कहना कि तुम्हें मुझ जैसी वर्जिन गर्लफ्रैंड कभी नहीं मिलेगी औैर यह कह कर हर बार फरमाइशों की लिस्ट उस के सामने न रख दें. ऐसे में आप का बौयफ्रैंड भले ही थोड़े समय के लिए आप की मांगों को पूरा कर दे लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा जब वह आप से दूर जाने में ही भलाई समझेगा. इसलिए अगर आप का पार्टनर आप से सच्चे दिल से प्यार करता है तो उस की कद्र करें न कि उसे अपनी वर्जिनिटी से ब्लैकमेल करने की कोशिश करें.

कोमल हाथों में हथियार

‘‘मैं तब फर्स्ट ईयर में पढ़ती थी. जयपुर के महेश नगर इलाके से शाम तकरीबन साढ़े 6 बजे मैं पैदल ही घर से ट्यूशन के लिए निकली. आगे जहां लोगों की कम चहलपहल थी वहां पहुंची, तो मैं ने देखा कि सामने एक आदमी मुझे इशारा कर रहा था. वह साइन लैंग्वेज में कुछ कह रहा था. मैं ने पलट कर पीछे देखा तो एक अन्य आदमी भी मुझे फौलो करता नजर आया. ‘‘जब तक मैं समझ पाती कि दोनों एकदूसरे से मेरे बारे में ही बात कर रहे हैं, तब तक उन दोनों ने आ कर मुझे जकड़ लिया और करीब 20 कदम दूर खड़ी एक कार तक घसीटते हुए ले गए. जब वे मुझे कार में धकेल रहे थे तो मैं ने उसी समय एक व्यक्ति को किक मार कर नीचे गिरा दिया और कार से बाहर निकल गई. ऐसे में कार में बैठे 3 और बदमाश मुझे पकड़ कर वहीं मारपीट करने लगे.

‘‘मारपीट व छीनाझपटी के दौरान मेरा बैग नीचे गिर गया और उस में रखा चाकू बाहर आ गया. उन लोगों की नजर चाकू पर नहीं पड़ी, लेकिन मैं ने बैग के बाहर गिरे चाकू को देख लिया था. ऐसे में उन की मार खा कर मैं ने सड़क पर गिरने का नाटक किया और चाकू उठा कर हिम्मत से उन की तरफ लहरा दिया. मेरे हाथ में चाकू देख कर वे सकपका गए और एकदम पीछे हट गए. मैं मौका देख कर वहां से भाग निकली. ‘‘इस घटनाक्रम को वहां दूर खड़े 8-10 लोग देख रहे थे. मुझे भागता देख उन्हें सारा माजरा समझ आ गया और वे तुरंत कार के पास आ कर बदमाशों से सवालजवाब करने लगे और मामला गड़बड़ देख उन्होंने बदमाशों की धुनाई करनी शुरू कर दी. उन लोगों की मदद से मैं घर पहुंची. घर पहुंच कर मैं ने पेरैंट्स को सारी बातें बताईं और परिजनों के साथ थाने गई, जिस से पुलिस ने आगे की तहकीकात शुरू की.’’

जयपुर के महेश नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली माधवी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए आगे बताया, ‘‘दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद मैं ने अपने बैग में चाकू रखना शुरू कर दिया था. मैं अपनी ओर से सभी युवतियों को यह कहना चाहती हूं कि स्प्रे, मिर्च पाउडर व चाकू जैसी चीजें हर युवती को खुद की हिफाजत के लिए अपने पास जरूर रखनी चाहिए.’’ सभ्य समाज में हथियारों का कोई काम नहीं है. यह जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है कि वह समाज के लोगों में भरोसा और माहौल में शांति बनाए रखे, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. भरोसा इस कदर उठ चुका है कि युवतियां अपने बचाव के लिए हथियार रखने को मजबूर हैं. युवतियां बदमाशों के खिलाफ अपने कोमल हाथों में हथियार थाम रही हैं.दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद लाखों लोगों के विरोध और अपराधियों को सख्त सजा देने की मांग के बाद भी समाज के उन लोगों की सोच पर इन सब का कोई असर नहीं हुआ, जो युवतियों को महज शारीरिक हवस को पूरा करने की नजर से देख ते हैं. आज भी देशभर में रोज दर्जनों ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां युवतियों का अपहरण कर बलात्कार किया जा रहा है. बढ़ते अपराध पर रोक लगाने में नाकामी से भी अब युवतियां हताश हो चुकी हैं. ऐसे में वे खुद की हिफाजत के लिए खुद आगे आने व हथियार उठाने को मजबूर हैं. समाज में तेजी से आ रहे इस बदलाव को देखते हुए क्या अब यह समझ लेना चाहिए कि युवतियों को अपनी हिफाजत के लिए खुद ही हथियार उठाने होंगे? अगर ऐसा है तो देश में पुलिस का क्या काम है? क्या युवतियों के पास हथियार उठाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है? युवतियां हथियार न उठाएं, तो खुद की हिफाजत के लिए क्या करें?

गौरतलब है कि दिल्ली में हुए गैंगरेप हादसे के बाद युवतियों ने हथियार रखने की जरूरत पर जोर दिया है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो जयपुर में 2011 से कमिश्नरेट लागू होने के बाद से अब तक 2,368 महिलाएं आर्म लाइसैंस के लिए अप्लाई कर चुकी हैं, जिन में से 648 को लाइसैंस मिल भी चुका है. वहीं देश के दूसरे शहरों में भी आर्म लाइसैंस के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं की तादाद में पिछले 2-3 साल में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सैल्फ डिफैंस ट्रेनर रिचा गौड़ बताती हैं कि पिछले 2 साल में मार्शल आर्ट व कराटे में युवतियों की भागीदारी 70 फीसदी तक बढ़ी है. मैं राजस्थान पुलिस एकेडमी समेत कई शिक्षण संस्थानों में युवतियों को सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग दे रही हूं. हम कुल 4 युवतियों ने मिल कर सैल्फ डिफैंस ट्रेनिंग की शुरुआत की थी, आज हमारे ग्रुप से 65 युवतियां जुड़ी हुई हैं, जो ट्रेनर के रूप में युवतियों को ट्रेनिंग दे रही हैं.

जयपुर की पुलिस अफसर शिल्पा चौधरी का कहना है, ‘‘खुद की रक्षा के लिए हथियार से ज्यादा आत्मविश्वास की जरूरत होती है. युवतियों को सैल्फ प्रोटैक्शन के लिए खुद को तैयार करना है, तो उन्हें सैल्फ डिफैंस ट्रेनिंग लेनी चाहिए. कराटे और मार्शल आर्ट सीखना चाहिए, ताकि मुसीबत के समय वे खुद की रक्षा कर सकें. पर मालूम रहे कि 4 इंच से बड़ा चाकू या कोई हथियार रखना गैरकानूनी है.’’ पिस्टल शूटर राजश्री चूड़ावत का कहना है, ‘‘शूटर होने के कारण मेरा सैल्फ कौन्फिडैंस हमेशा बेहतर रहता है. हालांकि जिस पिस्टल से हम शूट करते हैं, वह पिस्टल बदमाशों पर फायर करने के काम नहीं आती, लेकिन फिर भी कहीं अकेले जाते हैं तो मन में सुरक्षा की भावना रहती है. कम से कम इस पिस्टल से बदमाशों को डराने का काम तो किया ही जा सकता है. हालांकि अभी तक कोई ऐसा हादसा मेरे साथ नहीं हुआ कि पिस्टल दिखाने की जरूरत पड़ी हो, लेकिन कभी ऐसा मौका पड़ेगा तो मैं चूकूंगी नहीं. कहीं भी रेप जैसे मामले सामने आते हैं, तो मेरा खून खौल उठता है. हालिया हालात को देखते हुए युवतियों के लिए सैल्फ प्रोटैक्शन बहुत जरूरी है.’’

इस मामले में रिटायर जिला और सैशन जज अजय कुमार सिन्हा का कहना है, ‘‘सरकार और पुलिस प्रशासन युवतियों को सुरक्षा देने में नाकामयाब हैं. यही वजह है कि युवतियों को आज कोमल हाथों में हथियार थामने पर मजबूर होना पड़ रहा है. युवतियों का पुलिस प्रशासन से भरोसा उठ रहा है. मेरा मानना है कि हथियार रखने के बजाय युवतियों को सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग लेनी चाहिए.’’ राजस्थान यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफैसर सोहन शर्मा का कहना है कि युवतियों को समाज में हमेशा से ही सभ्य, शालीन और शांत स्वभाव का माना जाता रहा है, लेकिन अब आने वाले समय में यह सोच बदल जाएगी. इस का जिम्मेदार भी समाज खुद ही होगा. घर के बाहर ही नहीं, घर के भीतर भी युवतियां सुरक्षित नहीं हैं. तमाम तरह के रिश्ते भी आज के दौर में तारतार हो रहे हैं. ऐसे में युवतियां खुद की हिफाजत के लिए हथियार उठाने को विवश हो रही हैं.

सैक्सुअल हैरेसमैंट युवकों का भी

राघवन को समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उन के 20 वर्षीय बेटे को क्या हो गया है. फर्स्ट ईयर में उस ने टौप किया था. इस सैमेस्टर में अचानक फेल कैसे हो गया? डरासहमा रहता है सो अलग राघवन समझदार पिता हैं. पहले उन्हें लगा कि शायद बुली का मामला है. कालेज में ऐसा थोड़ाबहुत सब के साथ होता ही है. काउंसलर से कई सैशन काउंसलिंग कराने के बाद मामला खुला तो राघवन भी सकते में आ गए. उन के बेटे रोहित के साथ 2 नाइजीरियन युवकों ने दुष्कर्म किया था. उस के बाद रोहित मन ही मन रोता रहता था. उस ने दोस्तों को भी इस घटना के बारे में नहीं बताया. उस ने गर्लफ्रैंड के फोन उठाने भी बंद कर दिए. पुलिस के पास जाने का तो सवाल ही नहीं था. राघवन का हैरत और गुस्से के मारे बुरा हाल था. उन्होंने रोहित के लाख मना करने पर भी थाने में एफआईआर दर्ज करा दी. वैसे पुलिस का रवैया भी लचर ही था. ‘‘इतने दिन बाद शिकायत दर्ज कराने का क्या तुक है,’’ थाना इंचार्ज ने रोहित से पूछा तो वह काफी परेशान हो गया और काफी समय बाद सामान्य हो पाया, लेकिन अब वह अच्छीभली नौकरी कर रहा है. लव लाइफ भी ठीकठाक है. यह किसी भी युवक के साथ हो सकता है. शारीरिक शोषण कितने ही युवकों का उन के परिचितों, रिश्तेदारों सीनियर या किसी पड़ोसी द्वारा भी किया जा सकता है या यों कहें कि आप के आसपास या मित्रों में कोई भी युवक शोषण का शिकार हो सकता है.

यहां तक कि टीचर या प्रोफैसर भी शोषक हो सकते हैं. यदि आप या आप का कोई परिचित किसी न किसी प्रकार से शोषण का शिकार है तो इसे न सहें. युग 9वीं कक्षा का छात्र है. उस के पीटीआई टीचर ने उस का शारीरिक शोषण करने की कोशिश की, लेकिन बगैर देर किए उस ने इस बारे में अपने दोस्तों को बता दिया. दोस्तों ने आगे अपने सीनियर्स को बताया तथा वहां से फैलते हुए यह बात टीचर्स में फैल गई. परिणाम यह हुआ कि पीटीआई टीचर स्कूल से खुद ही रिजाइन कर के चला गया. ऐसा ही कुछ रियाज अहमद के साथ भी हुआ. उस के एक बेहद करीबी रिश्तेदार ने उस के साथ गलत हरकत की. इस के बारे में किसी को बताने पर उसे धमकी भी दी कि यदि तुम ने इस बारे में किसी को बताया तो तुम्हारे परिवार के साथ मैं कुछ बुरा कर दूंगा. बेचारा रियाज उस की इस धमकी से डर गया और परेशान रहने लगा. कुछ समय बाद रियाज ने इसे अपनी करनी का फल मान लिया.

आखिर क्या कारण है कि युवकों के शारीरिक शोषण के बारे में काफी कम घटनाएं सामने आ पाती हैं जबकि सचाई इस के एकदम विपरीत है. युवक सामाजिक रूप से अधिक रफटफ बने रहना चाहते हैं. उन्हें लगता है वे दोस्तों और समाज में हंसी का पात्र बन जाएंगे. कई बार परिवार भी उन्हें सपोर्ट नहीं करता.

क्या करें

– कड़े और स्पष्ट शब्दों में प्रतिरोध करें.

– यदि इस तरह की हरकत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है जो आप का करीबी है, तो उसे चेतावनी दें.

– अगर आप के प्रतिरोध को धमकी या नुकसान द्वारा दबाया जाता है तो भी न डरें. किसी जिम्मेदार व्यक्ति को पूरी बात बताएं.

– पार्टी में किसी अनजान व्यक्ति द्वारा गलत हरकत करने पर शोर मचाएं और प्रथम प्रयास में ही खुद को सुरक्षित करने पर ध्यान दें.

क्या न करें

– चुपचाप न सहें. याद रखें पहली हार में आप की चुप्पी है.

– खुद को दोषी न ठहराएं.

– हर किसी को इस प्रसंग के बारे में न बताएं.

– अगर आप ने अपने साथ हुए व्यवहार का विरोध किया है और दोस्तों के बीच व परिवार में आप अपनी उपेक्षा महसूस करते हैं, तो खुद पर गर्व करें कि आप ने अपने लिए कदम उठाया.

– ऐसी घटनाएं या तो आप को तोड़ती हैं या फिर मजबूत बनाती हैं.

जरूर करें

– ऐसे समय में अच्छे साहित्यिक व प्रेरणादायक सामग्री का उपयोग अवश्य करें.

– एक सब से आवश्यक बात जो आप को कठिन समय से उबार लेगी, अच्छी तरह से कोई नई स्किल सीखें.

मुखबिर बन पुलिस से ठगी

पुलिस वालों का एक से बढ़ कर एक अपराधियों से पाला पड़ता रहता है, लेकिन उस दिन जौनपुर पुलिस का एक ऐसे शातिर नटरवरलाल (ठग) से पाला पड़ गया, जिस ने कुछ ही पलों में एक पुलिस वाले को अपने झांसे में ले कर न केवल उस की जेब ढीली करा ली, बल्कि 10 दिनों तक खूब छकाया भी.

उस शातिर ठग द्वारा ठगे जाने के बाद जौनपुर पुलिस का ऐसा हाल हो गया था कि उसे घटना के बारे में बताने में भी संकोच हो रहा था. लेकिन जौनपुर के एसपी की सक्रियता और सूझबूझ से पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि ठग खुद ही उस जाल में आ फंसा.

आज पुलिस की जो छवि है, उस के हिसाब से पुलिस के साथ ठगी वगैरह हो जाती है तो किसी को उस से सहानुभूति नहीं होती. जौनपुर की यह घटना ऐसी ही है, जिस में पुलिस ठगी का शिकार हो गई थी. दरअसल 2 जुलाई, 2016 को जौनपुर के एसपी के सरकारी मोबाइल फोन की घंटी बजी तो फोन वहां मौजूद स्वाट प्रभारी क्राइम ब्रांच सबइंसपेक्टर शशिचंद्र चौधरी ने उठाया.

उन्होंने अपना परिचय देते हुए फोन करने वाले से फोन करने की वजह पूछी तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘जी मैं मुखबिर मोहम्मद आलम बोल रहा हूं. मैं आप को अपराध से जुड़ी एक घटना के बारे में बता कर एक बड़ी उपलब्धि दिला सकता हूं. आप हमें कुछ देर बाद फोन कीजिए. तब मैं आप को उस घटना के बारे में सूचना दूंगा.’’

यह कह कर फोन काट दिया गया. फोन कटते ही शशिचंद चौधरी सोच में पड़ गए. लेकिन उपलब्धि मिलने की बात थी, इसलिए उन के मन में जिज्ञासा जाग उठी थी. फोन करने वाले मोहम्मद आलम ने खुद को मुखबिर बताया था, इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें उस की बात पर भरोसा करना पड़ा.

इस की वजह यह थी कि पुलिस को मुखबिरों की जरूरत होती ही है. वे घटनाओं के खुलासे से ले कर तमाम अपराधों को सुलझाने में पुलिस की मदद जो करते रहते हैं. पुलिस के कुछ मुखबिर जानेपहचाने होते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपरिचित होते हैं. उन से ऐसी घटना की जानकारी मिल जाती है, जिस से विभाग को बड़ी उपलब्धि मिल जाती है.

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर शशिचंद चौधरी ने उस नंबर पर फोन किया तो खुद को मुखबिर बताने वाले आलम ने कहा, ‘‘क्राइम संबंधी एक बड़ी सूचना मेरे पास है, लेकिन इस के लिए मुझे किराए का एक वाहन चाहिए, जिस के लिए 7 हजार रुपए खर्च होंगे.’’

उस की बात पर विश्वास करते हुए शशिचंद चौधरी ने सबइंसपेक्टर ओमप्रकाश जायसवाल को 7 हजार रुपए दे कर उस के बताए गए खाते नंबर में जमा करा दिए.

इस के बाद शशिचंद चौधरी ने खुद को मुखबिर बताने वाले आलम को फोन किया तो वह इधरउधर की बातें करते हुए 10 जुलाई की सुबह 8 बजे जौनपुर के जलालपुर रेलवे स्टेशन पर मिलने को कहा. उस की बातों पर भरोसा कर के वह जलालपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वह वहां नहीं मिला.

उन्होंने उसे फोन किया तो उस का नंबर बंद मिला. उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने उस नंबर की लोकेशन निकलवाई. उस की लोकेशन पीलीभीत की पाई गई. इस बात से शशिचंद चौधरी को विश्वास हो गया कि उन के साथ धोखा हुआ है. उन्होंने यह बात एसपी रोहन पी. कनय को बताई तो उन्हें भी हैरानी हुई. उन्होंने तुरंत उस आदमी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर थानाप्रभारी जलालपुर विजय गुप्ता को टीम बना कर इस मामले का खुलासा करने का निर्देश दिया.

एसपी के निर्देश पर विजय गुप्ता ने सब से पहले उस खाता नंबर के धारक का पता किया, जिस खाते में पैसा जमा कराया गया था. वह खाता मोहम्मद आलम पुत्र मोहम्मद अनवर निवासी गांव उदयपुर, थाना अमरिया, जिला पीलीभीत का था. खाता धारक के बारे में पता चलने के बाद विजय गुप्ता ने उसे थाना जलालपुर बुलाया तो 13 जुलाई, 2016 को वह थाने आ पहुंचा.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में उस ने बताया कि वह खाता नंबर तो उसी का है, लेकिन उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उस के खाते में पुलिस से 7 हजार रुपए जमा कराए थे. इस के बाद चौंकाने वाली बात उस ने यह बताई कि उस की पासबुक और एटीएम कार्ड उसी के गांव का रहने वाला मोहम्मद सईद पुत्र हामिद खां ने 3 महीने से जरूरी काम के बहाने ले रखा था.

मोहम्मद आलम ने सईद का मोबाइल नंबर भी बता दिया. इस से पुलिस को पता चला कि जिस मोबाइल नंबर से शशिचंद्र चौधरी को फोन किया गया था, वह सईद का था. इस से साफ हो गया कि उस ने पुलिस को गुमराह करने के लिए अपना नाम सईद की जगह आलम बताया था.

पुलिस को यह भी पता चला कि मोहम्मद सईद गांजा तो पीता ही था, गांजा बेचता भी था. वह आलम के साथ जौनपुर आया था, लेकिन किसी जरूरी काम का बहाना कर के वह गाजीपुर चला गया था. मादक पदार्थ की बिक्री के आरोप में वह 12 सालों तक पंजाब में जेल में बंद रहा था.

मोहम्मद सईद के बारे में सारी जानकारी जुटा कर थानाप्रभारी विजय गुप्ता ने मोहम्मद आलम से फोन करवा कर उस से पुछवाया कि इस समय वह कहां है? पूछने पर पता चला कि उस समय वह गाजीपुर के खानपुर में था और जल्दी ही जौनपुर के चंदवक से वह बस पकड़ कर वाराणसी कैंट बसस्टेशन पर पहुंचने वाला था.

यह जानकारी मिलने के बाद विजय गुप्ता ने थाना चंदवक के थानाप्रभारी अनिल सिंह को तत्काल फोन कर के सारी बात बताई और मोहम्मद सईद को पकड़ने का आग्रह किया.

इसी सूचना पर थाना चंदवक के थानाप्रभारी अनिल सिंह ने खानपुर चौराहे से मोहम्मद सईद को पकड़ लिया. उस की तलाशी ली गई तो उस के पास से 5 किलोग्राम गांजा, 2 एटीएम कार्ड और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिस में 2 सिमकार्ड लगे थे.

सईद को जौनपुर ले जाया गया तो एसपी रोहन पी. कनय ने पुलिस लाइन के सभागार में उसे पत्रकारों के सामने पेश कर के पूछताछ की. इस पूछताछ में उस ने अपने अपराध की कहानी सुनाते हुए कहा कि अब तक उस ने उत्तर प्रदेश के तमाम पुलिस अधिकारियों को उन के सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन कर के क्राइम संबंधित सूचना देने के नाम पर पैसे वसूले हैं.

वह असलहा तस्करों, इनामी अपराधियों, जाली नोटों के कारोबारियों, मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों के बारे में फरजी सूचना देने के नाम पर अपने दोस्त आलम के एकाउंट में पैसे जमा करा लेता था.

खाते में पैसा आते ही वह एटीएम से निकाल लेता था. जब उसे पैसे देने वाला अधिकारी फोन करता था तो वह फोन नहीं उठाता था. उस के बताए अनुसार पंजाब की जेल से रिहा होने के बाद वह रोजीरोटी चलाने के लिए इसी तरह पुलिस अफसरों को ठग रहा था.

पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कहानी लिखे जाने तक उस की जमानत नहीं हुई थी और न ही उस के परिवार के किसी सदस्य ने उस से संपर्क करने की कोशिश की थी.

पीके फार्मूले पर ‘राहुल-अखिलेश’ की जोड़ी

सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में आने से रोकने के लिये कांग्रेस बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन तैयार करने के करीब पहुंच गई है. कांग्रेस-सपा के बीच गंठबधन का यह फार्मूला कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा नेता अखिलेश यादव की सहमति के बाद प्रशांत किशोर ने तैयार किया है. इस फार्मूले को प्रशांत किशोर ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश से एक साथ बैठ कर तैयार किया था. कांग्रेस को सपा में झगड़े के खत्म होने का इंतजार था. सपा की लड़ाई के सुलझते ही कांग्रेस ने फार्मूला लागू करने की हरी झंडी दे दी है.

सपा और कांग्रेस के नेता इस फार्मूले को अमली जामा पहना देंगे. लखनऊ में सपा से मिली जानकारी से पता चलता है कि सपा प्रमुख मुलायम भी इसके पक्ष में हैं. इस वजह से पार्टी के विवाद को खत्म कर दिया गया. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास सपा से बड़ा और भरोसेमंद कोई दूसरा साथी नहीं था. जानकारों का दावा है कि कांग्रेस-सपा गठबंधन से मायावती और भाजपा के बीच चुनावी रणनीति बन सकती है. जिसके चलते मायावती कुछ सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतार सकती हैं, जिससे सपा-कांग्रेस गठबंधन को नुकसान हो जाये. आने वाले दिनों में बसपा प्रत्याशियों को बदलने का काम कर सकती है.

असल में सपा की तरह की कांग्रेस में भी कई नेता प्रंशात किशोर की अगुवाई को सहन नहीं कर पा रहे थे. राहुल गांधी की ‘खाट सभा’ और वाराणसी में सोनिया गांधी की सफल रैली से पीके और कांग्रेस के नेताओं में खींचतान शुरू हो चुकी थी. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने फौरी तौर प्रशांत किशोर को पीछे कर कांग्रेस के लकदक नेताओं को आगे कर दिया. जिससे इनका अहम संतुष्ट होता रहे. अंदरखाने प्रशांत किशोर अपनी योजना पर काम करते रहे. प्रशांत किशोर के लिये सबसे खराब समय वह था जब उनकी मुलायम अखिलेश से एक साथ बात हुई. प्रशांत किशोर की बात का विरोध कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बयान दे कर शुरू कर दिया.

पूरी रणनीति को नुकसान न हो इस कारण प्रशांत किशोर ने खुद को पीछे कर लिया. इससे यह संदेश गया कि सपा-कांग्रेस गठबंधन नहीं होगा. उस घटना के बाद यह भी तय हो चला था कि समाजवादी पार्टी का विवाद भी बढ़ेगा और सपा दो धड़ों में टूट जायेगी. बहुजन समाज पार्टी और भाजपा के लिये यह सबसे मुफीद था. बसपा ने मुसलिम प्रत्याशी को ज्यादा टिकट देकर नया समीकरण बनाने का काम किया. कांग्रेस को लग रहा था कि मायावती का यह कदम भाजपा के पक्ष में वोटो का धुव्रीकरण कर सकता है.

ऐसे में कांग्रेस हर हाल में सपा की एकजुटता के लिये पहल कर रही थी. राहुल अखिलेश के साथ ही साथ अंदर खाने डिपंल यादव और प्रियका गांधी भी सक्रिय हो गई. इसके बाद कांग्रेस और सपा के लोग भी इस गठबंधन के पक्ष में जुटने लगे. सपा में विवाद थमने के साथ ही साथ सब वापस फार्मूले की राह पर चलने लगा है. कांग्रेस-सपा के साथ लोकदल, जदयू और दूसरे छोटे दल भी गठबंधन की राह पर साथ चलने को तैयार हो गये. कांग्रेस किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश की सत्ता को भाजपा से दूर रखना चाहती है. ऐसे में वह हर समझौते को तैयार है. कांग्रेस के जो नेता इसका विरोध कर  रहे थे उनको दरकिनार कर दिया गया है.

फेसबुक पर वीडियो अपलोड कर कमायें पैसे

अब आप यूट्यूब की तरह फेसबुक पर भी वीडियो अपलोड करके पैसा कमा सकते हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक जल्दी एक ऐसा फीचर लॉन्च करने वाला है जिसकी मदद से वीडियो अपलोड करने वालों की कमाई होगी. फेसबुक जल्द  ही ‘मिड रोल’ ऐड फॉर्मेट शुरू करने वाला है. आपके द्वारा अपलोड की गई वीडियो के बीच में ऐड दिखाया जाएगा और इसी से कमाई होगी.   

अगर कोई यूजर वीडियो अपलोड करता है और उसे लोगों द्वारा कम से कम 20 सेकेंड देखा जाता है तो 20 सेकेंड के बाद एक ऐड भी दिखाया जाएगा और उस ऐड पर मिलने वाली धनराशि को अपलोड करने वाले को दे दिया जाएगा.

वीडियो से होने वाली कमाई का 55 प्रतिशत हिस्‍सा, अपलोड करने वाले को दे दिया जाएगा. इस बारे में अभी तक फेसबुक की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया है.

SSC ने एडमिट कार्ड पर लगा दी लड़की की न्यूड फोटो

बिहार में शराबबंदी क्या लागू हुई है, लगता है सभी खुमारी में हैं. कम से कम बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के लिए तो ये बात सटीक बैठती है. लगता है जैसे ये लोग एडमिट कार्ड भी नशे में जारी कर रहे हैं. बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अपने एडमिट कार्ड पर एक लड़की की न्यूड फोटो अपलोड कर दी है. सोशल मीडिया पर इस एडमिट कार्ड की फोटो वायरल हो रही है.

बिहार एसएससी में अप्लाई करने वाले भी अलग परेशान हैं. जिनके नाम और पते वहीं के हैं, उन पर फोटो लगी है हीरो हीरोइनों की. अब परीक्षार्थियों और कमीशन के बीच ठन गई है. छात्र इसे आयोग की गलती बता रहे हैं तो आयोग वाले कह रहे हैं ये देने वालों छात्रों की शरारत है. कमीशन सेक्रेट्री परमेश्वर राम का कहना है कि ऐसे एक नहीं सैकड़ों एप्लीकेशन आए हैं, जिनमें फोटो फिल्मी दुनिया के सितारों की लगी हुई हैं.

आयोग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की एक लड़की को न्यूड फोटो लगाकर एडमिट कार्ड जारी किया है. सोशल मीडिया पर यह एडमिट कार्ड खूब वायरल हो रहा है. इससे उस लड़की की बदनामी भी हो रही है. दरअसल, बिहार कर्मचारी चयन आयोग के विज्ञापन संख्या 06060114 / 2014 के आधार पर आवेदन किया गया था. इंटर स्तरीय यह संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 26 फरवरी को होनी है. आयोग ने इसके लिए ही एडमिट कार्ड जारी किया है. जिस लड़की के नाम से यह एडमिट कार्ड जारी हुआ है वह 8 जनवरी को जारी किया गया है.

छात्रा का नाम एक चर्चित अभिनेत्री के नाम पर है. हालांकि नाम से टाइटल नहीं मिल रहा है. इस परीक्षा के लिए रिकॉर्ड 18 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किये हैं. परीक्षा चार चरणों में 29 जनवरी तथा 5, 19 और 26 फरवरी को होनी है. परीक्षा के लिए पूरे राज्य में 742 केंद्र बनाए गए हैं. जिस आवेदिका को न्यूड फोटो वाला एडमिट कार्ड जारी किया गया है उसका परीक्षा केन्द्र एच के जैन ज्ञानस्थली उच्च विद्यालय आरा बनाया गया है. आवेदिका पिछड़ा वर्ग की है. गोपनीयता भंग न हो इसलिए उसका नाम नहीं छापा जा रहा है. फिलहाल आयोग की तरफ से इस मामले में कोई स्पष्टीकरण अभी तक नहीं आया है.

आप भी देखिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये एडमिट कार्ड

आसान है टैक्स बचाना

आप टैक्स बचाने के लिए न जाने कितने पापड़ बेलते हैं. ज्यादातर लोग निवेश को ही टैक्स बचाने का सबसे आसान तरीका समझते हैं. पर क्या आप इनकम टैक्‍स की धारा 80सी के बारे में जानते हैं? आयकर की धारा 80सी के तहत आप पीपीएफ, ईपीएफ, जीवन बीमा प्रीमियम, बैंक डिपॉजिट, राष्‍ट्रीय बचत पत्र और ऐसे ही अन्‍य उत्‍पादों का चयन करते हैं.

आप इन तरीकों से भी टैक्स बचा सकते हैं:

1. घर के रेंट से

अगर आपको इम्प्लोयर के तरफ से एचआरए नहीं मिलता है, तो आपको 2000 रुपए प्रति महीने के हिसाब से 24,000 रुपए तक आय में से टैक्‍स छूट मिल सकती है. पर अगर आप या आपका जीवनसाथी के नाम पर कोई भी रिहायसी संपत्ति हैं, तो आपको इस छूट का लाभ उसे नहीं मिलेगा.

2. उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन से

अगर आपने उच्च शिक्षा के लिए लोन लिया है तो आप लोन पर दिए जाने वाली पूरी ब्याज राशि पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के लिए ही नहीं, अगर अपने या जीवनसाथी के शिक्षा के लिए लोन लिया है, तो भी आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं.

3. नेशनल पेंशन सिस्टम से

सन् 2004 में एनपीएस सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था. सन् 2009 में इसे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी लागू कर दिया गया. रिटायरमेंट प्‍लानिंग के लिए यह सबसे अच्छा तरीका है. पर एनपीएस में किए निवेश के पैसे निकालते वक्त आपको टैक्स देना होगा.

4.  स्‍वास्‍थ्‍य बीमा से

आयकर कानून के तहत 25,000 रुपए तक का मेडिकल प्रीमियम टैक्‍स डिडक्‍शन के अंतर्गत आता है. माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और मेडिकल खर्च पर एक साल में 30,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स छूट मिलती है. 

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