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प्यासा सावन : पारो और अमर के बीच उस रात क्या हुआ

रात के 2 बजे थे. अमर अपने कमरे में बेसुध सोया हुआ था कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुई. ठकठक की आवाज से अमर की नींद खुल गई. लेकिन उस ने सोचा कि शायद यह आवाज उस के मन का भरम है, इसलिए वह करवट बदल कर फिर सो गया.

लेकिन कुछ देर बाद फिर ठकठक की आवाज आई. ‘लगता है कोई है,’ उस ने मन ही मन सोचा, फिर उठ कर लाइट जलाई और दरवाजा खोलने लगा. तभी उस के मन में खयाल आया कि कहीं बाहर कोई चोर तो नहीं है. यह खयाल आते ही वह थोड़ा सहम सा गया. फिर उस ने धीरे से पूछा, ‘‘कौन है?’’

‘‘मैं हूं,’’ बाहर से किसी लड़की की मीठी सी आवाज आई.

अमर ने दरवाजा खोल दिया. सामने पारो को खड़ा देख कर वह हैरान हो कर बोला, ‘‘अरे तुम?’’

‘‘क्यों, कोई अनहोनी हो गई क्या?’’ पारो मुसकराते हुए बोली.

अमर ने देखा कि पारो नारंगी रंग का सलवारसूट पहने हुए थी. दुपट्टा न होने से उस के उभरे अंग दिख रहे थे. पारो की आंखों में एक अनोखी मस्ती थी. उसे देख कर अमर को ऐसा लगा, जैसे उस के आगे कोई जन्नत की हूर खड़ी हो.

तभी पारो कमरे के अंदर आ गई और अमर को अपनी बांहों में भर कर उस के होंठों पर अपने होंठ टिका दिए. पारो की गरमगरम सांसों के साथ उस के उभरे अंगों की छुअन से अमर को एक अजीब तरह की मस्ती का एहसास होने लगा. वह पारो के आगे बेबस सा हो गया.

इस से पहले कि अमर कुछ और करता, उस के मन के किसी कोने से आवाज आई कि यह तू क्या कर रहा है. जिस थाली में खाया, उसी में छेद कर अपने मालिक के एहसानों का यह बदला दे रहा है.

‘लेकिन मैं ने तो पहल नहीं की है. पारो खुद ही ऐसा चाहती है, तभी तो इतनी रात गए मेरे पास आई है,’ उस ने सोचा और खुद को पारो से अलग करते हुए बोला, ‘‘पारो, अब तुम चली जाओ और फिर कभी मेरे करीब न आना.’’

‘‘क्या ऐसे ही चली जाऊं,’’ पारो ने प्यासी नजरों से अमर को देखा. अमर के दिमाग में एकएक कर के पिछली बातें घूमने लगीं.

अमर बीए पास हो कर भी बेरोजगार था. उस ने कई इंटरव्यू दिए, पर कहीं भी कामयाब नहीं हुआ. आखिर में निराश हो कर उस ने एक दोस्त के कहने पर गाड़ी चलाना सीखा और बतौर ड्राइवर डाक्टर भुवनेश की कार चलाने लगा. अमर की मेहनत और ईमानदारी से खुश हो कर भुवनेश उसे बेटे की तरह मानने लगे और उस की हर जरूरत को फौरन पूरा कर देते.

पारो डाक्टर भुवनेश की एकलौती बेटी थी. वह बहुत शोख, चंचल और खूबसूरत थी. वह हमेशा अपनी अदाओं से अमर को रिझाती, पर अमर मन से उसे अपनी बहन मानता था और पिछले रक्षाबंधन पर पारो ने उस को राखी भी बांधी थी.

डाक्टर भुवनेश ने अपने घर के पिछवाड़े वाला कमरा अमर को रहने के लिए दिया था. वह वहीं अपनी रात बिताता और दिन में डाक्टर साहब की कार चलाता था.

इधर कुछ दिनों से अमर महसूस कर रहा था कि पारो की नीयत ठीक नहीं है. वह तरहतरह से उसे अपने जाल में फांसने की कोशिश कर रही थी. उस की हरकतें देख कर कई बार अमर की वासना भड़कने लगती थी, पर बदनामी और नौकरी जाने के डर से वह मन मसोस कर रह जाता था.

पिछले हफ्ते की बात है. डाक्टर भुवनेश अमर से बोले, ‘अमर, पारो अपनी कुछ सहेलियों के साथ पिकनिक पर जा रही है. तुम सब को कार से ले जाओ. ध्यान रखना, किसी को कोई तकलीफ न हो.’

‘जी,’ अमर ने बस इतना ही कहा.

अमर ने कार निकाली, तो पारो कार पर सवार हो गई. कार चल पड़ी.

‘कहां जाना है?’ तभी अमर ने पारो से पूछा.

पारो बोली, ‘होटल मयूरी.’

‘क्या तुम होटल में पिकनिक मनाओगी? तुम्हारी सहेलियां कहां रह गईं?’ अमर ने पूछा.

‘पिकनिक वाली बात मनगढ़ंत थी. मैं ने पापा से झूठ बोला था,’ पारो हंसते हुए बोली, ‘पहले तुम एक कमरा तो बुक कराओ.’

अमर ने हैरानी से पारो की ओर देखा और कमरा बुक कराने होटल की ओर चला गया. जब दोनों कमरे में आए, तो पारो ने कहा, ‘अमर, कुछ नाश्ता मंगाओ.’

थोड़ी देर बाद दोनों नाश्ता कर चुके, तो पारो रूमाल से हाथ पोंछती हुई अमर के और करीब खिसक आई और बोली, ‘कुछ बात नहीं करोगे?’

‘कौन सी बात?’

‘वही, जो आधी रात के समय पतिपत्नी के बीच होती है,’ इतना कह कर पारो ने अमर को चूम लिया, फिर बोली, ‘अमर, तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो.’

अमर गुस्से में बोला, ‘पारो, होश में आओ. एक भले घर की लड़की का इस तरह बहकना ठीक नहीं है.’

चढ़ती जवानी के नशे में चूर पारो अमर की बात को अनसुना करते हुए बोली, ‘मैं एक अरसे से इस मौके की तलाश में थी. क्या मेरे कपड़े नहीं उतारोगे?’ कह कर पारो ने अमर को अपनी बांहों में भींच लिया.

अमर खुद पर काबू रखते हुए बोला, ‘पारो, इतना भी मत बहको. मैं तो तुम्हें अपनी बहन मानता हूं. याद है, पिछले साल तुम ने मुझे राखी बांधी थी और फिर तुम्हारे पिता मुझ पर कितना भरोसा करते हैं. क्या मैं उन के भरोसे को तोड़ दूं?’

‘तुम मेरे सगे भाई तो हो नहीं,’ कह कर पारो ने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए.

अमर की हालत सांपछछूंदर की सी थी. वह पारो से छिटक कर दूर जा खड़ा हुआ, फिर गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘पारो, तुम इस तरह की हरकतें कर के मुझे मत भड़काओ, वरना कुछ गलत कर बैठूंगा.’ इतना कह कर अमर ने पारो को कपड़े पहन कर आने को कहा और वह कार में जा कर बैठ गया.

‘‘कहां खो गए अमर?’’ तभी पारो ने अमर को टोका, तो वह चौंक कर उसे देखने लगा.

‘‘पारो, मुझ पर रहम करो. तुम जल्दी यहां से चली जाओ. मैं कमजोर हो रहा हूं,’’ अमर गिड़गिड़ाते हुए बोला. तभी दूसरे कमरे से खांसने की आवाज आई और पारो अपने कमरे की ओर भाग गई. अमर ने अब चैन की सांस ली. अगले दिन अमर का कुछ अतापता नहीं था. डाक्टर भुवनेश ने कमरे की तलाशी ली, तो एक चिट्ठी मिली. उस चिट्ठी में लिखा था:

‘मैं आप की नौकरी छोड़ कर जा रहा हूं. कृपया परेशान न होइएगा और न ही मुझे खोजने की कोशिश कीजिएगा.

‘आप का, अमर.’

चिट्ठी पढ़ कर डाक्टर भुवनेश हैरान रह गए. अमर का इस तरह बिना कुछ बताए जाना उन की समझ में नहीं आ रहा था. पारो को जब यह बात मालूम हुई, तो वह भी हक्कीबक्की रह गई.

रंग दे चुनरिया : श्याम ने गौरी के साथ आखिर ऐसा क्या किया

वह बड़ा सा मकान किसी दुलहन की तरह सजा हुआ था. ऐसा लग रहा था, जैसे वहां बरात आई है. दूर से देखने पर ऐसा जान पड़ता था, जैसे हजारों तारे आकाश में एकसाथ टिमटिमा रहे हों. छोटेछोटे बल्ब जुगनुओं की तरह चमक रहे थे. लेकिन श्याम की नजर उस लड़की पर थी, जो उस के दिल की गहराइयों में उतरती चली गई थी. वह कोई और नहीं, बल्कि उस की भाभी की बहन गौरी थी. खूबसूरत चेहरा, प्यारी आंखें, नाक में चमकता हीरा और गोरेगोरे हाथों में मेहंदी का रंग उस की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था.

श्याम उसे अपना दिल दे बैठा था. उस ने महसूस किया कि गौरी के बिना उस की जिंदगी अधूरी है. गौरी कभीकभार तिरछी नजरों से उसे देख लेती. एक बार दोनों की नजरें आपस में मिलीं, तो वह मुसकरा दी.

तभी भाभी ने उसे पुकारा, ‘‘श्याम?’’

‘‘जी हां, भाभी…’’ उसे लगा कि भाभी ने उस की चोरी पकड़ ली है.

‘‘क्या बात है, आज तुम उदास क्यों हो? कहीं किसी ने हमारे देवरजी का दिल तो नहीं चुरा लिया?’’

‘‘नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ वह अपनी घबराहट को छिपाने के लिए रूमाल निकाल कर पसीना पोंछने लगा. श्याम अपनी भाभी के जन्मदिन पर उन के साथ उन के मायके गया था, लेकिन उसे क्या पता था कि यहां आते ही उसे प्रेम रोग लग जाएगा.

गौरी सुंदर थी, इसलिए उस के मन को भा गई और वह उस पर दिलोजान से फिदा हो गया. अपने प्यार का इजहार करने के बारे में वह सोच रहा था कि क्या भाभी उसे अपनी देवरानी बनाने के लिए तैयार होंगी. भाभी अगर तैयार भी हो जाएं, तो क्या भैया होंगे? देर रात तक वह यही सोचता रहा.

अगले दिन श्याम चुपके से गौरी के कमरे में पहुंचा. वहां वह खिड़की खोल कर बाहर का नजारा देख रही थी. वह उस की आंख बंद कर उभारों से हरकत करते हुए बोला, ‘‘कैसा लगा गौरी?’’ गौरी खड़ी होती हुई बोली, ‘‘श्याम, ऐसी हरकतों से मुझे सख्त नफरत है.’’

‘‘ओह गौरी, मैं कोई पराया थोड़े ही हूं.’’

‘‘मैं दीदी और जीजाजी से शिकायत करूंगी.’’

‘‘गौरी, मुझे साफ कर दो. आइंदा, मैं कभी ऐसी हरकत नहीं करूंगा.’’

‘‘मैं अभी दीदी को बुला कर लाती हूं,’’ कह कर गौरी फीकी मुसकान के साथ वहां से चली गई.

श्याम का मोह भंग हुआ. उसे लगा कि गौरी को उस से प्यार नहीं है. वह अब तक उस से एकतरफा प्यार कर रहा था. लेकिन अब क्या होगा? कुछ देर बाद भाभी यहां पहुंच जाएंगी, फिर सारी पोल खुल जाएगी. खैर, बाद में जो होगा देख लेंगे… सोच कर उस ने गौरी के नाम एक खत लिख कर तकिए के नीचे रख दिया और अपने गांव चल दिया.

गौरी आधे घंटे बाद चाय ले कर जब कमरे में पहुंची, तो उस का दिल धकधक करने लगा. एक अनजान ताकत उस के मन को बेचैन कर रही थी कि आखिर श्याम कहां चला गया. लेकिन तभी उस की नजर तकिए के नीचे दबे कागज पर गई. वह उसे उठा कर पढ़ने लगी:

‘प्रिय गौरी, खुश रहो.

‘मैं अपने किए पर बहुत पछताया, लेकिन तुम भी पता नहीं किस पत्थर की बनी हो, जो मेरे लाख माफी मांगने के बावजूद भैया और भाभी से कहने के लिए चली गईं. पता नहीं, क्यों मैं तुम्हारे साथ गलत हरकत कर बैठा? मैं गांव जा रहा हूं. जब भैया वापस आएंगे, तो मेरी खैर नहीं.

‘गौरी, मैं ने अपनी जिंदगी में सिर्फ तुम्हीं को चाहा, लेकिन मुझे मालूम न था कि मेरा प्यार एकतरफा है. काश, यह बात पहले मेरी समझ में आ जाती.

‘अच्छा गौरी, हो सके तो मुझे माफ कर देना. मैं रो कर सब्र कर लूंगा कि अपनी जिंदगी में पहली बार किसी को चाहा था.

‘तुम्हारा श्याम.’

गौरी की आंखों से पछतावे के आंसू बहने लगे. चाय का प्याला जैसे ही उठाया, वैसे ही गिर कर टुकड़ेटुकड़े हो गया. उसे ऐसा लगा कि किसी ने उस के दिल के हजार टुकड़े कर दिए. उस ने कभी सोचा भी न होगा कि श्याम अपने भैया और भाभी की इतनी इज्जत करता है.

तभी उस की दीदी कमरे में आई, ‘‘क्या बात है गौरी, यह प्याला कैसे टूट गया. श्याम कहां है?’’ आते ही दीदी ने सवालों की झड़ी लगा दी. अचानक उस की निगाह गौरी के हाथ में बंद कागज पर चली गई, जिसे वह छिपाने की कोशिश कर रही थी. वह खत ले कर पढ़ने लगी.

‘‘तो यह बात है…’’

‘‘नहीं दीदी, वह तो श्याम,’’ गौरी अपनी बात पूरी नहीं कर सकी.

‘‘अरे, तेरी आवाज में कंपन क्यों पैदा हो गया. प्यार करना कोई बुरी बात नहीं है. एक बात बताओ गौरी, क्या तुम भी उस से प्यार करती हो?’’

गौरी ने नजरें झुका लीं, जो इस बात की गवाह थीं कि उसे भी श्याम से प्यार है. ‘‘लेकिन गौरी, श्याम कहां चला गया?’’

गौरी ने रोते हुए सारी बातें बता दीं. यह सब सुन कर गौरी की बहन खूब हंसी और बोली, ‘‘गौरी, अगर मैं तुम्हें अपनी देवरानी बना लूंगी, तो तुम मेरा हुक्म माना करोगी या नहीं?’’

‘‘दीदी, मैं नहीं जानती थी कि मेरी झूठी धमकी को श्याम इतनी गंभीरता से लेगा. मैं जिंदगीभर तुम्हारी दासी बन कर रहूंगी, लेकिन श्याम के रूप में मुझे मेरी खुशियां लौटा दो. वह मुझे बेवफा समझ रहा होगा.’’

इस के बाद दोनों बहनें काफी देर तक बातें करती रहीं. श्याम की भाभी जब अपनी ससुराल लौटीं, तो गौरी को भी साथ ले आईं. श्याम घर में नहीं था. जैसे ही उस ने शाम को घर में कदम रखा, तो सामने गौरी को देखा, तो मायूस हो कर बोला, ‘‘गौरी, क्या भाभी और भैया अंदर हैं?’’

‘‘हां, अंदर ही हैं.’’

यह सुन कर जैसे ही श्याम लौटने लगा, तो गौरी ने उस की कलाई पकड़ ली और बोली, ‘‘प्यार करने वाले इतने कायर नहीं हुआ करते श्याम. मैं सच में तुम से प्यार करती हूं.’’ ‘‘गौरी मेरा हाथ छोड़ दो, वरना भैया देख लेंगे.’’

‘‘मैं ने सब सुन लिया है बरखुरदार, तुम दोनों अंदर आ जाओ.’’ आवाज सुन कर दोनों ने नजरें उठा कर देखा, तो सामने श्याम का बड़ा भाई खड़ा था.

‘‘मेरे डरपोक देवरजी, अंदर आ जाइए,’’ अंदर से श्याम की भाभी ने आवाज दी. इस तरह श्याम और गौरी की शादी धूमधाम से हो गई.

इस साल होली का त्योहार दोनों के लिए खुशियां ले कर आया. होली के दिन गौरी ने श्याम के कपड़ों पर जगहजगह मन भर कर रंग लगाया.

‘‘गौरी, आज तेरी चुनरी की जगह गालों को लाल करूंगा,’’ कह कर श्याम भी गौरी की तरफ बढ़ा. तब ‘डरपोक पिया, रंग दे चुनरिया’ कह कर गौरी ने शर्म से अपना चेहरा हाथों से ढक लिया.

हाईकोर्ट ने सैक्स को दी है एक नई व सही परिभाषा

हिंदी फिल्म ‘पीपली लाइव’ के निर्देशक महमूद फारूकी को अंतत: डेढ़ साल की जेल के बाद अपनी एक महिला मित्र के ही बलात्कार के आरोप से मुक्ति मिल गई. 35 वर्षीय अमेरिकी महिला, जो महमूद और उस की पत्नी अनुजा रिजवी की मित्र थी और उन के घर पर खाना भी खाती थी तथा देर रात तक रुकती भी थी, ने आरोप लगाया था कि उस दिन महमूद ने उस के साथ जबरदस्ती की थी. उस के कपड़े उतार कर उस से ओरल सैक्स किया था.

लोअर अदालत ने महमूद को 7 साल की सजा दी थी पर उच्च न्यायालय ने फैसला बदलते हुए कहा है कि यह सहमति का मामला है और अगर औरत ने धीमे से ‘न’ कहा भी था तो यह पक्का करना असंभव है कि यह आमंत्रण था या इनकार. इस संदेह पर महमूद को रिहा कर दिया गया है.

परिचितों में सैक्स को बलात्कार कहने का जो नया तौरतरीका महिलाओं ने अपनाया है यह सैक्स स्वतंत्रता को कुचल देगा. यदि किसी आदमी या औरत में इतना आकर्षण नहीं है कि वह मौका मिलने पर चाहत न पैदा कर सके और दूसरे के प्रति उदासीन रहे, तो यह प्रकृति के विरुद्ध कहा जाएगा.

बलात्कार बुरा है पर सैक्स उस में चाहे एक तरफ से थोड़ी जबरदस्ती भी हो वास्तव में एकदूसरे के प्रति स्वाभाविक आकर्षण का रूप है और मित्रता को सीमेंट करती है चाहे मित्रता पतिपत्नी के बीच हो या फिर गैर के साथ.

बिना सैक्स के स्त्रीपुरुष मित्रता असल में 2 स्त्रियों और 2 पुरुषों की मित्रता से भी कमजोर होती है. स्त्रीपुरुष मित्रता में एकदूसरे पर न धौंस जमा सकते हैं न मजाक कर सकते हैं. जिन्हें सैक्स रहित मित्रता चाहिए उन्हें दूसरे पुरुष या दूसरी स्त्री से मिलना ही नहीं चाहिए और केवल व्यावहारिक संबंध रखने चाहिए.

पुरुष को सैक्स चाहिए पर वह उसे आनंद तब ही देता है जब मित्रता की चाशनी में डूबा हो. बाजारू औरतों से खरीदे सैक्स में कभी किसी को आनंद नहीं आया है और इसीलिए सभी वेश्यालयों में नाच अवश्य होता है, क्योंकि तभी ग्राहकों को रोका जा सकता है.

उच्च न्यायालय ने सैक्स को एक सही व नई परिभाषा दी है. स्त्रीपुरुष संबंधों को हर समय नैतिकता या जोरजबरदस्ती की निगाहों से नहीं देखा जाना चाहिए. विवाहपूर्व या विवाह बाद दोस्तों में सैक्स के बहुत जोखिम हैं पर जो जोखिम में आनंद पाते हैं उन्हें सहमति होने पर रोकने का अधिकार किसी को नहीं है. आकर्षण पैदा होने पर, 4 कदम चल जाने के बाद कई बार संबंध बन जाने के बाद बलात्कार का आरोप लगाने का जो हथियार दुनिया भर में महिलाएं अपना रही हैं यह उन की कार्यक्षेत्र में ऐंट्री धीमे होने का एक कारण है.

अब पुरुष महिलाओं को हमराज बनाने से कतरा रहे हैं और उन्हें दूरदूर रख रहे हैं. पुरुषों की आपसी मित्रता ज्यादा पकने लगी है जैसे ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ या ‘थ्री ईडियट्स’ में दिखाया गया है.

निराश होने की बजाय एक नजर खुद पर डाल कर तो देखें

ललिता पार्टी आदि में जाने के लिए पूरे उत्साह से तैयार होती है. कई दिनों पहले से उस की शौपिंग शुरू हो जाती है. मगर पार्टी से लौटने पर उस का कई दिनों तक मूड औफ रहता है. कारण किसी दूसरी महिला का उस से ज्यादा सजासंवरा होना. तब वह कभी अपने पति नीलेश को कम पैसे देने के लिए उलाहने देती है, तो कभी किसी और को दोष देती है. उस के इस रवैए से उस का पति नीलेश क्या पूरा घर परेशान होता है.

किसी को अपने से बेहतर सजासंवरा देख हीनभावना या जलन से ग्रस्त हो उस की तारीफ करनी तो दूर वह उस से कुछ सीखना भी नहीं चाहती.

जिस के पास जो गुण है, हुनर है उसे सीखने की कोशिश करने में कोई शर्म या संकोच नहीं करना चाहिए. यदि मन में हीनभाव आते दिखें, तो ऐसे में अपने भीतर की उमंग, उत्साह को कम न होने दें. मन में उदासी को बिलकुल जगह न दें, क्योंकि आप के पास भी बहुत कुछ अच्छा है. बस जरूरत है खुद पर नजर डालने की. मसलन:

आप में आत्मविश्वास है: आप ने अपनेआप को पार्टी के लिए तैयार किया है तो अपनी बुद्घि से सही ही किया है. फिर उदासी किस बात की? अपनाअपना अंदाज है अपना प्रस्तुतिकरण है. किसी से तुलना कैसी? अपने व्यक्तित्व पर जो जंचता है उसी के अनुरूप तैयारी की है आप ने.

आप के पास कौमनसैंस है: आप अवसर के अनुसार तैयार हैं. मौका, माहौल सब देख कर तैयार हुई हैं, क्योंकि कौमनसैंस है आप में. अवसर के अनुसार कपड़े, कपड़ों के अनुसार जेवर, मेकअप, घड़ी, सैंडल, नीचे से ऊपर तक आप एक लय में तैयार हुई हैं. इस बात से खुश हों.

आप ने तैयारी में ज्यादा समय, पैसा बरबाद नहीं किया: आप को खुश होना चाहिए कि आप ने वक्त और पैसे दोनों की फुजूलखर्ची से खुद को बचा लिया. खुशनुमा चेहरे की कीमती अंदरूनी मुसकान बनाए रखें. यकीन मानिए उस से बड़ी सजावट और कोई नहीं. उस की चमक के आगे सब फीका है.

आप के होस्ट और अन्य गैस्ट से मधुर संबंध: इस बात पर गौर करें कि आप जिन के यहां खुशी में शामिल होने आई हैं, उन से आप के कितने अच्छे संबंध हैं. वे सिर्फ आप के हैं. खुश रह कर उत्साहपूर्वक उन की खुशी में शामिल होना ही आप का प्रथम कर्तव्य है. ऐसे विचार मन में लाते ही हीनभावना अगर होती भी हो तो वह झट से जाती रहेगी.

बेहतर की तारीफ करें उस से कुछ सीखें: दिल से प्रशंसा तथा नजरों से टिप्स लेने का प्रयास दोनों आप के बेहतर बनने में उपयोगी सिद्ध होंगे. अवसर मिले तो एक बार बोल कर भी तारीफ करें. दूसरों से ज्ञान लेने से गुरेज न करें. गुण सीखने से कोई छोटा नहीं होता अपितु बड़ा ही होगा.

आप में कई खूबियां है: किसी ने आप की आंखों को, बालों को, चेहरे को, चाल को, प्रतिभा को, हुनर को, दिमाग को, संस्कारों को, भाषा को या अंदाज को यों ही नहीं सराहा होगा. इस सराहना को याद रखें. खुद पर विश्वास रखें.

यह मान कर चलें कि सब का अपना आकर्षण है. मुसकराते हुए सलमान खान की फिल्म ‘सुलतान’ का यह गाना अपने पर बिलकुल फिट जानें ‘जग घूमया थारे जैसा न कोई…’

देखिए अभी खिलीखिली मुसकान आप के चेहरे पर आ गई, जो सब पर भारी है.

स्टाइलिश लुक पाना है, तो अपनाएं मेकअप का यह तरीका

फैशन की दुनिया में मेकअप के अलग ही अंदाज होते हैं. मैगजींस, फैशन रनवेज से ले कर फैशन इंडस्ट्री के लिए वीडियो प्रमोशंस तक हर जगह फैशन मेकअप आर्टिस्ट अपने जलवे बिखेरते हैं.

गृहशोभा के फेब सेमिनार में हेयर ऐंड मेकअप आर्टिस्ट शगुन गोयल ने फैशन मेकअप के बारे में विस्तार से बताया:

ऐसे करें शुरुआत

फैशन मेकअप करने के लिए सब से पहले त्वचा को वैट टिशू से साफ करें. फिर आंखों पर अंडरआई क्रीम लगाएं. इस के बाद स्किन से मैच करते फाउंडेशन की हलकी लेयर लगाएं ताकि आईबौल्स स्किनटोन में आ जाएं और मनपसंद कलर अच्छी तरह निखर कर आए. आईशैडो ज्यादा देर तक टिके इस के लिए फाउंडेशन के ऊपर ट्रांसल्यूशन पाउडर का इस्तेमाल करें.

आंखों को मनपसंद शेप देने के लिए कपड़ों से मैच करते रंग ले कर एक आईशेप तैयार करें. आईशेप तैयार करने के बाद आईलैशेज, आईलाइनर और मसकारा लगाएं.

पूरे चेहरे व गरदन पर विटामिन ई क्रीम लगा कर त्वचा को अच्छी तरह मौइश्चराइज करें. स्किन से मैच करता फाउंडेशन लगाएं और ऊपर से कौंपैक्ट लगा कर स्किन तैयार कर लें.

डार्क ब्राउन कलर का प्रयोग करते हुए फेस कंटूरिंग करें. इस तरह चेहरे को ओवल शेप देने के बाद गालों पर सौफ्ट पीच कलर का ब्लशर लगा कर खूबसूरती उभारें. आकर्षण बढ़ाने के लिए हाईलाइटर का प्रयोग करें.

हाई डैफिनेशन फैशन मेकअप 

हाई डैफिनेशन मेकअप ब्राइडल और पार्टीज में काफी प्रचलित है. इस मेकअप में थोड़े सौफ्ट कलर यूज करते हुए हेयरस्टाइल बोल्ड रखा जाता है.

सब से पहले स्किन को वैट टिशू से साफ करें फिर आंखों पर अंडरआई क्रीम लगाएं. इस के ऊपर स्किन से मैच करते फाउंडेशन का इस्तेमाल करें. फाउंडेशन लगाते समय लाफिंग लाइन्स, आई कौर्नर्स और लिप कौर्नर्स पर खास ध्यान रखें. ओपन पोर्स को अच्छी तरह फिल करें. अब ट्रांसल्यूशन पाउडर लगा कर स्किन को एकसार कर लें.

लिप मेकअप

2 रंगों जैसे ब्लू और फीरोजी का इस्तेमाल करते हुए लिप शेप तैयार करें. फैशन मेकअप में डार्क कलर की लिपस्टिक अच्छी लगती है. मेकअप लंबे समय तक टिके इस के लिए मेकअप फिक्सर का इस्तेमाल करें. मौडल लुक के हिसाब से हेयरस्टाइल बना कर मेकअप कंप्लीट करें.

आई मेकअप

आंखों को मनपसंद शेप देने के लिए कपड़ों से मैच करते कलर्स का प्रयोग करें. फिर लाइनर और काजल से इन्हें और आकर्षक लुक दें. चेहरे पर फेस प्राइमर लगा कर सिलिकोन फाउंडेशन का इस्तेमाल करें ताकि मेकअप अधिक समय तक टिके.

हाई डैफिनेशन ब्राइडल मेकअप में चेहरे के दागधब्बे, डार्क सर्कल्स वगैरह अच्छी तरह छिपा दिए जाते हैं ताकि ओवर मेकअप लुक न लगे. साधारण मेकअप से ही चेहरा आकर्षक व चमकदार दिखाई दे.

इस मेकअप में कौंपैक्ट की जगह ट्रांसल्यूशन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं. आंखों को ऐक्स्ट्रा शाइन देने के लिए ग्लिटर का इस्तेमाल करें. इस मेकअप में लिपस्टिक के शेड्स पिंक, रैड, पीच, निओन जैसे कलर्स में होने चाहिए.

ओपन हेयरस्टाइल

इस फेब सेमिनार में ऐक्सपर्ट शगुन ने एक खास तरह के हेयरस्टाइल के बारे में भी बताया. इस ओपन हेयरस्टाइल के जरीए आप चेहरे की शेप चेंज किए बिना मेकअप कर भी आकर्षक लग सकती हैं.

सब से पहले बालों को थोड़ा सौफ्ट व शाइनी लुक दें. फिर इयर टु इयर शेप में कौंब व स्प्रे की मदद से बैककौंबिंग कर के पफ तैयार करें. बैक से बचे बालों की 2 पोनी बनाएं. अब आगे के जो 2 इंच बाल बचे हुए थे उन में से बारीक लेयर ले कर ऊपर की तरफ स्प्रे की सहायता से एक फायर लुक दें और फिनिशिंग के लिए शाइन स्पे्र का इस्तेमाल कर फिनिशिंग टच दें.

फैशन मेकअप एक कलरफुल मेकअप स्टाइल है. इसे अधिक आकर्षक लुक देने के लिए मनपसंद टैटूज भी बनवाए जा सकते हैं.

बालों को सेहतमंद बनाने के ये टिप्स आजमाएं, घने मुलायम बाल पाएं

खूबसूरत चमकते बालों की चाह हर महिला की होती है. ज्यादातर महिलाएं इस बात को ले कर परेशान रहती हैं कि बालों की खूबसूरती कैसे बरकरार रखी जाए. वैसे भी आज के समय में फैशन, प्रदूषण, तनाव और अस्वास्थ्यकर खानपान ने बालों के झड़ने, टूटने, सफेद होने जैसी समस्याएं बढ़ा दी हैं. ऐसे में जरूरी है कुछ बातों का खयाल रखा जाए ताकि आप के बाल किसी भी मौसम और उम्र में सेहमतंद व आकर्षक बने रहें.

अगर आप कभी बारिश में भीग जाती हैं तो घर पहुंचते ही बालों को धो लें. इस से सिर की त्वचा में संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है.

सिर की त्वचा गीली रहने से फंगल संक्रमण, रूसी और जूंए होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए बालों को साफ और सूखा रखने का प्रयास करें. गीले बालों के टूटनेझड़ने की समस्या भी बढ़ जाती है. अत: बालों को धोने के तुरंत बाद कंघी का इस्तेमाल न करें. वे पूरी तरह सूख जाएं तभी कंघी करें.

घर से बाहर निकलते समय धूलमिट्टी, धूप या बारिश के पानी से बचने के लिए बालों को कवर कर के रखें. स्कार्फ, स्टोल या दुपट्टे से बालों को ढकें.

बाल को धोने से 1-2 घंटे पहले उन में हर्बल तेल लगाएं. इस से उन की कंडीशनिंग होगी. कुनकुने तेल से 15 मिनट मसाज करें. आप को रिलैक्स महसूस होगा और सिर की त्वचा में रक्तसंचार भी बढ़ेगा. बालों में भी नई चमक आएगी.

मौसम में बदलाव के दौरान सिर की त्वचा से प्राकृतिक नमी खो जाती है. इस से त्वचा पर मृत कोशिकाएं जमा होने लगती हैं जिस से रूसी और संक्रमण की स्थिति पैदा होती है और बाल झड़ने लगते हैं. इस स्थिति से बचने के लिए बालों को सूखा और साफ रखें.

ओजोन और्गेनिक एडवांटेज की मैडिकल कंसलटैंट डा. उमा सिंह कहती हैं कि हमेशा अपनी कंघी, हेयरब्रश और हेयर क्लिप्स साफ रखें. ब्लो ड्रायर या स्टाइलिंग का इस्तेमाल ज्यादा न करें. स्ट्रेटनिंग या कर्लिंग मशीन के ज्यादा प्रयोग से बचें, क्योंकि इस से बाल कमजोर हाते हैं.

बालों को निरंतर पोषण की जरूरत होती है. सही खनिज व विटामिन इन्हें लंबा और मजबूत बनाते हैं. इसलिए संतुलित आहार का सेवन करें, जिस में प्रोटीन, खनिजलवण व कैल्सियम की पर्याप्त मात्रा हो. विटामिन और आयरन भी बालों को स्वस्थ बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फल और सलाद का सेवन करें. संतुलित भोजन, व्यायाम, कम तनाव, पर्याप्त नींद आप के बालों को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं.

त्वचा की तरह बालों को भी पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. उदाहरण के लिए बादाम न सिर्फ दिमाग को तंदुरुस्त रखते हैं बल्कि बालों को भी पोषण देते हैं. इन में विटामिन ई पाया जाता है, जिस से बालों को मजबूती मिलती है. अत: हफ्ते में 1 दिन बादाम तेल से बालों की मालिश जरूर करें. बालों का झड़ना रुक जाएगा. इसी तरह शहद, आंवला वगैरह भी बालों के पोषण के लिए आवश्यक हैं. आंवले में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो बालों के विकास के लिए अच्छा होता है.

बालों को हर्बल शैंपू से धोने की आदत डालें. शैंपू करते वक्त निम्न बातों का खयाल रखें-

यदि बाल औयली हैं तो एक दिन छोड़ कर शैंपू करें.

नौर्मल बालों में सप्ताह में 2-3 बार शैंपू किया जा सकता है.

कर्ली बालों के लिए ड्राई हेयर शैंपू यूज करें.

स्कैल्प पर पोरों से शैंपू लगाएं. इस से बालों की गंदगी अच्छी तरह साफ होती है.

हसीन होती सैकेंड इनिंग, इसे पढ़कर आपको यकीन हो जाएगा

फैशन, मौडलिंग और ऐक्टिंग के लिए पहले महिलाओं की उम्र 20 से 30 साल तक ही परफैक्ट मानी जाती थी. लेकिन अब 35 साल के बाद की उम्र में भी महिलाएं खुद को किसी मौडल या ऐक्ट्रैस से कम नहीं समझतीं. मौका मिलने पर रुपहले परदे से ले कर रैंप शो, कैटवाक और मौडलिंग तक में वे सैकेंड इनिंग का खूब लुत्फ उठा रही हैं. बदलाव का असर बौलीवुड तक ही सीमित नहीं है, छोटे और बड़े शहरों की घरेलू महिलाएं भी इस चमक में पीछे नहीं हैं. इस कारण देश में ब्यूटी, फैशनेबल ड्रैस और वैलनैस का बिजनैस सब से आगे बढ़ रहा है.

बात केवल श्रीदेवी, हेमामालिनी, माधुरी दीक्षित, मलाइका अरोड़ा, काजोल, जूही चावला की ही नहीं है. छोटेबड़े शहरों में रहने वाली महिलाएं भी अब उम्र की दूसरी पारी में पहले से अधिक अच्छा काम कर रही हैं. फिटनैस और खूबसूरती के हिसाब से भी वे पहले से अधिक खूबसूरत और ग्लैमरस नजर आने लगी हैं. यही वजह है कि आज के दौर में छोटेबड़े सभी तरह के शहरों में ‘मिसेज’ को ले कर तमाम तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन होने लगा है. शादी के बाद महिलाओं की सक्रियता पहले दूसरे सामाजिक कार्यों में होती थी पर अब फैशन, ब्यूटी, रैंप शो और मौडलिंग में भी वे अपनी ब्यूटी और फिटनैस का कमाल दिखा रही हैं.

इस बारे में मिली जानकारी से पता चलता है कि शादी के बाद कैरियर, घरपरिवार, बच्चों का तनाव बहुत सारी आजादी में रुकावट बनता था. 35 की उम्र के बाद जब सारी चीजें करीबकरीब अपने हिसाब से चलने लगती हैं, तो मानसिक रूप से फ्रीनैस का अनुभव होता है. यही वजह है कि आज के समय में महिलाएं अपनी पहली पारी से ज्यादा सक्रिय दूसरी पारी में दिखने लगी हैं.

बात रैंप और ब्यूटी शो तक ही सीमित नहीं है. आज होटलों में होने वाली पार्टियों को देखें तो पता चलता है कि सब से अधिक पार्टियां इस तरह की महिलाओं के द्वारा ही की जाती हैं. ये ही आयोजक होती हैं और ये ही उन में हिस्सा भी लेती हैं. पहले किट्टी पार्टी केवल तंबोला खेलने तक सीमित होती थी. अब किट्टी पार्टी ग्लैमरस हो चुकी है. इस में थीम पार्टी का आयोजन होने लगा है. पार्टी का थीम कुछ इस तरह से रखा जा सकता है जहां महिलाएं अपनी फिटनैस और ब्यूटी को दिखा सकें. थीम पार्टी में पूल पार्टी भी होती है जहां महिलाओं को स्विमवियर पहन कर आना होता है. कभी स्कर्ट पहन कर आने की अलग थीम भी बनती है. थीम पार्टी में जब विजेताओं का चुनाव होता है तो यह देखा जाता है कि किस की स्कर्ट कितनी ऊपर थी, किस ने कैसा स्विमवियर पहना था.

फिटनैस का कमाल

महिलाओं में यह बदलाव फिटनैस के कारण आया है. फिटनैस के पैमाने को देखें तो पुरुषों से अधिक महिलाएं अपनी फिटनैस पर ध्यान देने लगी हैं. जिम से ले कर ब्यूटी पार्लर तक और स्किन स्पैशलिस्ट डाक्टरों से ले कर प्लास्टिक सर्जन तक ये महिलाएं चक्कर लगाने लगी हैं. इन की इसी सोच के कारण आज ब्यूटी और फिटनैस को बनाने में मदद करने वाले बिजनैस बढ़ रहे हैं. किसी भी महिला के शरीर में थोड़ा सा भी फैट बढ़ने से उस की परेशानी बढ़ जाती है. वह किसी भी तरह से अपने वजन को कम करने के प्रयास में जुट जाती है. श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मलाइका अरोड़ा, काजोल, जूही चावला जैसी महिलाएं इन की रोल मौडल होती हैं. इन्हें देख कर ये खुद को उन की तरह तैयार करने लगती हैं.

शादी के 20 साल के बाद मिसेज यूनिवर्स तक का सफर तय करने वाली रश्मि सचदेवा पहली नौन बौलीवुड सैलिब्रिटी बनीं जिन्हें कांस फिल्म फैस्टिवल में रैड कारपेट पर वाक करने का मौका मिला.

वे कहती हैं, ‘‘अगर हम खुद को पलट कर देखते हैं तो हमें एहसास होता है कि हम पहले से अधिक खूबसूरत लग रही हैं. यह फर्क हमारे अंदर आए आत्मविश्वास के कारण भी महसूस होता है. आज हम हर तरह की डिजाइनर ड्रैस पहन सकती हैं. हमें कभी नहीं लगता कि हम आज के समय में आई किसी मौडल से फिटनैस में पीछे हैं, जो ड्रैस वह पहन सकती है वही हम भी पहन सकती हैं. हमारे उस के साइज तक में कोई फर्क नहीं महसूस होता.

‘‘मैं पूरे भारत में अलगअलग जगहों पर सैलिब्रिटी बन कर गई हूं. हर जगह मैं ने वहां की महिलाओं के साथ बातचीत की. उन के विचार सुने तो पाया कि बदलाव घरघर पहुंच चुका है. भले ही वह महिला रैंप पर न हो पर वह अपने घर में पहले से अधिक सुंदर और फिट दिखने लगी है. इस की बहुत बड़ी वजह मीडिया खासकर महिलाओं के बीच पढ़ी जाने वाली पत्रिकाएं हैं, जिन के कारण यह बदलाव संभव हो सका है. घरघर फैली जागरूकता ने हर महिला की सैकेंड इनिंग को बहुत खूबसूरत बना दिया है. आज इन के चलते ही गारमैंट के बिजनैस में बदलाव आया है. वहां पर डिजाइनर इन्हें ध्यान में रख कर ड्रैस तैयार करने लगे हैं.’’

लुभा रही सैकेंड इनिंग

शादी के बाद कई सौंदर्य प्रतियोगिताओं को जीतने के बाद रिचा शर्मा ने फिल्मों में काम करना शुरू किया. वे उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की रहने वाली हैं और उन की शादी कोलकाता में हुई है. वहां शादी के कई साल बाद मिसेज इंडिया में हिस्सा लिया और जीतने के बाद मौडलिंग और ऐक्टिंग शुरू की. सनी लियोनी के साथ उन की हिंदी फिल्म ‘तेरा इंतजार’ आने वाली है. वे कहती हैं, ‘‘पहले शादी के बाद वाले कैरियर में मौडलिंग और ऐक्टिंग का औप्शन नहीं होता था. अब ये औप्शन भी खुलने लगे हैं. मैं ने जब मिसेज इंडिया में हिस्सा लिया था तब नहीं सोचा था कि ऐक्टिंग और मौडलिंग के औफर मिलेंगे. पर धीरेधीरे मुझे बहुत सारे औफर मिलने लगे. आज मैं कोलकाता कुछ समय रहती हूं. ज्यादा समय मुंबई रहना होता है. मुझे भी शादी और बच्चों के बाद अपने कैरियर की सैकेंड इनिंग अच्छी लग रही है. इस में परिवार का सहयोग बहुत माने रखता है.’’

मिसेज इंडिया में अपने हुनर का कमाल दिखाने वाली अर्चना प्रसाद कहती हैं, ‘‘आप को सुन कर आश्चर्य होगा कि जब मौडलिंग और ऐक्टिंग में लोगों की लाइफ खत्म होती है तब मेरी शुरू हुई. शादी और 2 बच्चों के बाद मैं ने मौडलिंग का कैरियर शुरू किया. जब मैं ने मिसेज इंडिया में हिस्सा लिया तो मेरा बेटा 15 साल का और बेटी 11 साल की थी. जिस ने भी सुना वह मजाक उड़ाता था. मेरे पति सरकारी अधिकारी थे. मुझे उन की गरिमा का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना था. जब मैं वहां जीत गई तो लोगों ने मजाक उड़ाना बंद कर दिया. यह सच है कि सफल होने के बाद हम अपने संघर्ष को याद नहीं रखते पर आज अच्छा लग रहा है. मुझे बाद में मौडलिंग के बहुत सारे औफर मिलने लगे. कई सीरियलों और ब्यूटी फिल्मों में काम किया.’’

अर्चना प्रसाद इंदौर में अपना ब्यूटी सैलून भी चला रही हैं. वे कहती हैं, ‘‘आज मैं गर्व से कहना चाहती हूं कि जो मैं ने हासिल करना चाहा वह सब किया, जिस की चाह हर लड़की या हाउसवाइफ को होती है. आज के दौर की सैकेंड इनिंग वाली महिलाएं मानती हैं कि सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती. बस सपनों को पूरा करने की हिम्मत होनी चाहिए. अब हर चीज संभव है. बदलाव का असर बहुत अच्छा है. यह आत्मविश्वास से भर देता है. पहले फिल्मों में शादी करते ही ऐक्ट्रैस का कैरियर खत्म हो जाता था अब शादी क्या बच्चा होने के बाद भी वह टीनऐजर सी पसंद की जाती है.’’

फिटनैस से ले कर सर्जरी तक

पहले कई तरह की परेशानियों के कारण महिलाएं फैशन के कैरियर में आने से हिचकती थीं. अब फिटनैस से ले कर सर्जरी तक ऐसे तमाम उपाय हैं, जिन से मनचाहा सौंदर्य हासिल किया जा सकता है. अब शरीर के किसी भी हिस्से में जमा फैट को हटाया जा सकता है जैसे हिप्स, ब्रैस्ट, वेस्ट और हाथ के पास का जमा फैट बौडी को सुडौल नहीं बनाता. इस को दूर किया जा सकता है. अंडर आर्म्स, लिप्स और आईब्रोज से ले कर स्माइल तक में करैक्शन की जाने लगी है. ऐसे में उम्र का असर खुद पर दिखाई ही नहीं देता. ज्यादातर महिलाओं को सैकेंड इनिंग में भी हिप्स, ब्रैस्ट, वेस्ट, अंडर आर्म्स, लिप्स या आईब्रोज जैसी चीजों को सही करने के लिए डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होती. तमाम तरह की ऐक्सरसाइज से ही सब फिट हो जाता है.

सौंदर्य के क्षेत्र में काम करने वाले डाक्टरों का कहना है कि पहले शादी और खासकर मां बनने के बाद शरीर के कुछ अंगों का कसाव खत्म हो जाता था. अब फिटनैस और डाइट ऐक्सपर्ट की मदद से इस से बचा जा सकता है. अब शादी के बाद मां बनने के बाद महिलाएं अपने बच्चों को पूरी तरह से ब्रैस्ट फीडिंग भी कराती हैं और उस का असर भी नहीं दिखता है. यही नहीं शादी के बाद ब्रैस्ट और वेस्ट के हिस्सों में पड़ने वाले स्ट्रैच मार्क्स भी खत्म किए जाने लगे हैं. गर्भावस्था के दौरान भी ऐसे उपाय होने लगे हैं, जिस से स्ट्रैच मार्क्स कम से कम प्रभाव छोड़ सकें. ऐसे उपाय पहले महंगे और हर जगह उपलब्ध नहीं होते थे. अब ऐसा नहीं है. ये उपाय अब सस्ते और हर जगह उपलब्ध हैं.

फिगर का कमाल

बात केवल अधिक फैट की ही नहीं है अगर आप की ब्रैस्ट, हिप्स और वेस्ट सही अनुपात में नहीं है तो उस की बनावट को ठीक किया जा सकता है. छोटी ब्रैस्ट को सुडौल बनाया जा सकता है, जिस से रैंप और मौडलिंग के समय आप हर वह ड्रैस पहन सकती हैं जिसे कोई नई मौडल पहन सकती है. अंडरआर्म्स को ले कर एक हिचक शुरू से रहती है. अब इस को ले कर भी परेशान होने की जरूरत नहीं. अंडरआर्म्स के नीचे जमे फैट को कम किया जा सकता है और वहां की डार्कनैस को भी खत्म करना संभव हो गया है. शौर्ट ड्रैस ही नहीं घरेलू महिलाएं अब स्विमवियर भी पूरे आत्मविश्वास से पहनने लगी हैं. पहले के मुकाबले अब होटलों में ज्यादा स्विमिंगपूल हो गए हैं. यहां आने वालों में महिलाओं की संख्या सब से ज्यादा होती है, जिस से पता चलता है कि महिलाएं अपनी फिगर को ले कर कितनी सजग हैं.

मां बनने से कैरियर खत्म नहीं होता

दिन भर अपने क्लीनिक में मरीजों की तकलीफों से दोचार होती डैंटिस्ट डा. मेघना कहती हैं, ‘‘मेरी शादी 30 साल की उम्र में हो गई थी. उसी समय मैं ने अपना कैरियर शुरू किया था. वह समय मेरे लिए चुनौती भरा था, क्योंकि परिवार और कैरियर में तालमेल बना कर चलना मेरे लिए बहुत जरूरी था. इस के बाद जब बेटी हुई तो दिनचर्या थोड़ी डगमगाई. मैं भी आम महिलाओं की तरह फिटनैस के प्रति लापरवाह रहने लगी.

‘‘मगर फिर जल्द ही मैं ने खुद को संभाला और नियमित व्यायाम, मैडिटेशन करने लगी, जिस का फायदा मुझे अपने कैरियर में भी नजर आने लगा. मेरे पास कई मरीज ऐसे आते हैं, जो उम्र में मुझ से 10-12 साल छोटे हैं, लेकिन फिटनैस के चलते मैं उन से काफी छोटी लगती हूं. बेटी के आ जाने के बाद मेरा परिवार पूरा हो गया.

‘‘मां बनने के बाद मैं ने कभी यह महसूस नहीं किया कि मेरी उम्र 40 प्लस हो गई है, क्योंकि आज भी मैं खुद से प्रेम करती हूं. मैं ने बेटी की परवरिश में खुद को खोने नहीं दिया. आज सैकेंड इनिंग में भी मैं वही आत्मविश्वास और जोश महसूस करती हूं, जो शादी के पहले करती थी. शादी हो जाने और मां बन जाने पर किसी का कैरियर और ग्लैमर खत्म नहीं होता.’’

शहरों में तेजी से लेडीज जिम खुलने लगे हैं. यहां महिलाएं वर्कआउट कर के खुद को फिट रखती हैं. यह जरूरी नहीं कि हर महिला को रैंप वाक करना हो या उसे फिल्म, मौडलिंग में जाना हो. यह जरूर है कि आज वह अपने घरपरिवार का साथ देती है, बिजनैस संभालती है. ऐसे में वह भी पहले से अधिक फिट रहना पसंद करती है. आज के दौर में साड़ी और साधारण सलवारसूट रोज के चलन से बाहर हो गए हैं. अब महिलाएं डिजाइनर ड्रैस पसंद करने लगी हैं. सलवारसूट भी डिजाइनर होने लगे हैं.

फिटनैस आज की महिलाओं की सब से बड़ी जरूरत बन गई है. ऐसे में वे अपने जीवन की सैकेंड इनिंग में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं. सोशल मीडिया ने इस चलन को और भी आगे बढ़ाया है, जिस से महिलाएं अपनी फिगर और फिटनैस को ले कर ज्यादा अलर्ट रहने लगी हैं. इस से वे कोई समझौता नहीं करतीं.

बिहार : ताड़ी और नीरा के बीच लटकी ताड़ीबंदी

प्रदेश में ताड़ी पर रोक लगाने का मामला तुगलकी फरमान साबित हो कर रह गया है. पिछले साल अप्रैल महीने में सरकार ने बड़े ही तामझाम के साथ शराब के साथ ही ताड़ीबंदी का भी ऐलान किया था. सरकार ने दावा किया था कि नशीली ताड़ी पर रोक लगेगी और उस की जगह नीरा को बढ़ावा दिया जाएगा. नीरा को बेचने के लिए कई पौइंट भी बनाए गए और लाइसैंस भी बांटे गए.

18 मार्च, 2017 को नीरा नियमावली लागू की गई. नियमावली बनने के इतने महीने गुजरने के बाद भी हालत यह है कि ताड़ और खजूर से पैदा होने वाले कुल रस का एक फीसदी हिस्सा भी इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है.

राज्य के 12 जिलों में ही कुल 74 फीसदी ताड़ और 70 फीसदी खजूर के पेड़ हैं. उन से रोजाना ताड़ और खजूर का 7 करोड़ लिटर रस जमा होना चाहिए था, पर महज 30 हजार लिटर रस ही जमा हो पा रहा है और उसी रस का नीरा बन रहा है. शाही मौसम यानी अप्रैल से अगस्त महीने के बीच ताड़ या खजूर के एक पेड़ से रोजाना 10 लिटर रस मिलता है. इस से साफ हो जाता है कि ताड़ और खजूर का 99 फीसदी रस या तो ताड़ी के रूप में बाजार में बिक रहा है या बरबाद हो रहा है.

उद्योग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी नीरा बनाने और बेचने का काम टैस्टिंग के दौर से गुजर रहा है. फिलहाल तो नालंदा में नीरा की बौटलिंग हो रही है और एक सौ स्टालों पर इसे बेचा जा रहा है. सब से ज्यादा 55 स्टौल नालंदा में ही हैं. वैशाली में भी एक प्लांट लगाया जा रहा है. गया और भागलपुर में भी प्लांट लगाने की योजना को मंजूरी दे दी गई है, पर वहां अभी काम शुरू नहीं हो सका है.

एक प्लांट रोजाना 10 हजार लिटर नीरा को निखारता है. नालंदा के प्लांट पर 5 करोड़, 56 लाख रुपए और हाजीपुर के प्लांट पर 4 करोड़, 20 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.

नीरा को 25 रुपए प्रति लिटर की दर से बेचना है और ताड़खजूर के गुड़ की कीमत 150 रुपए प्रति किलो तय की गई है. नीरा से जैम, पेड़ा, लड्डू, आइसक्रीम, जैली, हलवा बनाने की योजना है. इस के साथ ही ताड़ और खजूर के पत्तों से चटाई, खिलौने और झाड़ू बनाने की भी योजना है.

राज्य में सभी 38 जिलों में ताड़ और खजूर से रस उतारने के लिए 67 हजार, 280 लोगों को ट्रेंड किया गया है. सरकार उन्हीं 12 जिलों पर सब से ज्यादा नजर गड़ाए हुए है, जहां सब से ज्यादा ताड़ और खजूर के पेड़ हैं. ताड़ी की खपत के मामले में समूचे देश में बिहार चौथे नंबर पर है. पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश, दूसरे नंबर पर असम और तीसरे नंबर पर झारखंड आता है.

ताड़ का पेड़

25 साल पुराना होने पर ही नीरा और ताड़ी दे सकता है. इस के बारे में कहा जाता है कि कोई ताड़ के पेड़ को लगाता है, तो उस का बेटा ही ताड़ी पी पाता है. ताड़ के पेड़ आमतौर पर 45 से 50 फुट ऊंचे होते हैं.

ताड़ी पर रोक लगाने से राज्य के 20 लाख पासी और ताड़ी के कारोबार से जुड़े परिवारों पर रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में पासी जाति की आबादी 8 लाख, 80 हजार, 738 है, जबकि साल 1991 की जनगणना में इस जाति की आबादी 5 लाख, 89 हजार, 12 थी.

ताड़ या खजूर के पेड़ से निकलने वाले रस को अगर सूरज उगने से पहले उतार लिया जाता है, तो उसे नीरा कहा जाता है और उस में नशा नहीं होता है, जबकि सूरज निकलने के बाद अगर रस को उतारा जाए, तो वही ताड़ी में बदल जाता है और वह काफी नशीला हो जाता है.

विरोधी दलों के नेताओं का मानना है कि ताड़ी पीने से कई फायदे होते हैं. उन का दावा है कि ताड़ी शराब नहीं, बल्कि जूस है. आंखों की रोशनी कम होने पर डाक्टर ताड़ी पीने की सलाह देते हैं.

गौरतलब है कि बिहार में देशी और विदेशी शराब के साथ ताड़ी पर भी पूरी तरह से पाबंदी है. राज्य में प्रति व्यक्ति प्रति सप्ताह ताड़ी की खपत 266 मिलीलिटर है.

बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि ताड़ी पर राजनीति करने वाले भरम फैला कर केवल अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं. सरकार को ताड़ी को पेड़ से उतारने और उस के कारोबार में लगे लोगों का पूरा खयाल है. सरकार ने ताड़ी पर रोक लगाई है, नीरा पर नहीं.

सुधा ब्रांड के बूथों पर नीरा की खरीदबिक्री हो रही है और इस के अलावा नीरा को बेचने के लिए कई पौइंट बनाए गए हैं. इस से इस धंधे में लगे लोगों का मुनाफा बढ़ जाएगा.  गौरतलब है कि साल 1991 में मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने ताड़ी से टैक्स और लाइसैंस फीस खत्म कर दी थी.

ताड़ी में नशा बढ़ाने के लिए उस में यूरिया और मैनड्रैक्स मिला दिया जाता है. इसे रोकने के लिए ही ताड़ी पर पाबंदी लगाई गई है. ताड़ के फल से जो रस निकलता है, वह हांड़ी (लबनी) में टपने के साथ ही फर्मंटेशन शुरू कर देता है, जिस से अलकोहल की मात्रा बढ़ने लगती है.

अगर हांड़ी में चूना डाल दिया जाए, तो फर्मंटेशन नहीं हो पाता है. फर्मलीन को भी हांड़ी में डाल देने से तकरीबन 40-45 घंटे तक फर्मंटेशन नहीं होता है. ताड़ी को मैडिसिनल भी माना जाता है. कहा जाता है कि इसे पीने से पेट साफ रहता है और पाचन संबंधी बीमारियां ठीक होती हैं. ताड़ी में चीनी की मात्रा ईख से कहीं ज्यादा होती है.

3 तलाक : सामाजिक कुरीतियों पर अदालत का हथौड़ा

हमीदा के 3 बच्चे थे. बड़ी बेटी 18 साल की थी. उस के निकाह की बात चल रही थी. बेटा 16 साल का था और सब से छोटी बेटी 12 साल की. हमीदा पढ़ीलिखी नहीं थी. देखने में खूबसूरत थी. मातापिता गरीब थे, इसलिए प्रिंटिंग प्रैस में काम करने वाले मुस्तफा से उस का निकाह कर दिया गया था.

हमीदा सोच रही थी कि बड़ी बेटी का निकाह हो जाए, तो वह आराम से दोनों बच्चों के अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद ही उन की शादी करेगी. इस बीच हमीदा की मां की तबीयत खराब रहने लगी. एक दिन वह अपनी मां को देखने गई, तो वहां रात को उसे रुकना पड़ा.

मुस्तफा को यह सब पसंद नहीं आया. यह बात पता चलते ही वह लड़नेझगड़ने लगा. बड़ी बेटी ने फोन कर के कहा, ‘‘अब्बू बहुत गुस्से में हैं. आप जल्दी चली आओ.’’

हमीदा कभी अपनी बीमार मां की तरफ देख रही थी, तो कभी उसे शौहर के गुस्सा होने का डर लग रहा था. इस के बाद भी उस ने मां के पास ही रुकने की सोची.

रात के तकरीबन 11 बज रहे थे. मुस्तफा का फोन आया. हमीदा ने बताया कि मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है. वह कुछ दिन उन की खिदमत करना चाहती है. यह बात सुन कर मुस्तफा को गुस्सा आ गया. उस ने फोन पर ही एकसाथ

3 बार ‘तलाकतलाकतलाक’ बोल कर कहा कि वह उसे तलाक दे रहा है. अब वह आराम से अपनी मां के साथ रहे. ‘तलाक’ के ये 3 शब्द सुन कर हमीदा के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई. एक तरफ मां की खराब तबीयत थी, तो दूसरी ओर परिवार का बोझ. पति ने तलाक दे दिया था. वह अगले दिन सुसराल गई. वहां पति और उस के परिवार वालों ने उसे घर में घुसने नहीं दिया.

मुसलिम औरतों के सामाजिक मुद्दों पर रिसर्च कर रही नाइश हसन कहती हैं, ‘‘तीन तलाक की पीड़ा बहुत सारी औरतों ने झेली है. तलाक केवल अपने पति से अलग होना भर नहीं होता, बल्कि तलाक से समाज में औरत का अपना वजूद ही खतरे में पड़ जाता है. वह घर से बेघर हो जाती है. ‘‘तलाक का डर दिखा कर उन के साथ सदियों से मनमानी हो रही है. उन का दर्द कोई नहीं सुनता. इन में से तमाम औरतों को हलाला जैसी कुरीतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिस में गैरमर्द के साथ निकाह करने से ले कर जिस्मानी संबंध बनाने जैसे काम करने पड़ते हैं.

‘‘तीन तलाक की तरह ही हलाला जैसी कुरीतियों पर भी रोक लगनी चाहिए. यह औरतों की पहचान पर सब से बड़ी चोट करने वाली प्रथा है.’’

रजिया नामक लड़की की शादी तकरीबन 16 साल की उम्र में हो गई थी. उस का पति विदेश में नौकरी करता था. शादी के बाद वह कुछ दिन साथ रहा. रजिया पेट से हुई, तो वह अपनी नौकरी पर वापस चला गया. वहां उसे किसी ने यह बता दिया था कि रजिया अच्छी लड़की नहीं है. नतीजतन, वह उस से लड़नेझगड़ने लगा. एक दिन उस ने फोन पर ही तीन बार तलाक बोल कर रजिया को तलाक दे दिया.

रजिया ने अपने घर पर ही रह कर पढ़ाई पूरी की और एक स्कूल में टीचर की नौकरी करने लगी. उस का बच्चा भी बड़ा होने लगा था. 3 साल बाद पति विदेश से वापस आया. वह अपनी नौकरी छोड़ कर आया था. उस ने रजिया को अपने पैरों पर खड़ा देखा, तो उसे अपनी भूल का अहसास हुआ. वह रजिया के घर गया और उसे वापस ले जाने के लिए कहने लगा.

मौलाना ने उसे समझाया कि अब बिना हलाला के वह रजिया को अपने घर नहीं ले जा सकता. दोनों का तलाक हो चुका है. रजिया को भी यह समझाया गया कि अगर वह बिना हलाला के अपने पति के घर जाएगी, तो मरने के बाद उस को कोई कंधा नहीं देगा.

रजिया की ही रिश्तेदारी में एक लड़का था, जो अभी अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था. रजिया और उस का निकाह हुआ. दोनों साथ रहे, तो अब वह लड़का उसे तलाक देने को तैयार नहीं था. ऐसे में रजिया को दूसरे लड़के के साथ रहना पड़ा. वह लड़का उस के बच्चे को भी अपनाने को तैयार हो गया. पहला पति लड़ाईझगड़ा करने लगा. रजिया न इधर की रही, न उधर की.

धर्म का डर

अपने ही पति से दोबारा निकाह करने से पहले गैरमर्द के साथ निकाह और हलाला जैसे रिवाज धर्म के डर की वजह से लोग मानते हैं.

इसलाम के नाम पर चल रही हलाला प्रथा पूर्व इसलामिक रिवाज है. यह प्रथा औरतों को अपने कब्जे में रखने के लिए शुरू हुई थी. ऐसे में जब मर्द चाहते थे, तो 3 बार तलाक कह कर औरत को घर से बाहर निकाल देते थे और जब मन होता था, फिर से वापस बुला लेते थे.

मोहम्मद साहब ने इस प्रथा का विरोध किया था. वे चाहते थे कि औरतों के साथ ऐसा बरताव न हो. ऐसे में कहा गया कि एक औरत को अगर तलाक दे दिया गया है, तो तलाक देने वाले का मन बदल भी जाए, तो वह ऐसे ही उस औरत को घर नहीं ला सकता. यह तभी हो सकता है, जब उस औरत का किसी दूसरे मर्द से निकाह हो और किसी वजह से उन का तलाक हो जाए.

हलाला प्रथा उस समय मर्दों के साथ सख्ती थी कि वे औरतों को यौन दासी बना कर न रख सकें. आज के समय में हलाला प्रथा एक तरह से कुरीति बन गई. इस का गलत इस्तेमाल होने लगा. लोगों ने जब चाहे अपनी बीवी को तीन बार तलाक बोल कर घर से बाहर कर दिया, फिर वापस रखने के लिए उस को किसी गैरमर्द से निकाह करने और उस से यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया. फिर उस के साथ दोबारा निकाह कर लिया.

सामाजिक सुधार जरूरी

इसलाम धर्म में जहां बहुत सारे लोग इ  तरह से ऐसे मामलों को धर्म से जोड़ कर देखते रहे हैं, वहीं कुछ सुधारवादी लोग इस का हमेशा विरोध भी करते रहे हैं. कट्टरपन ज्यादा होने के चलते सुधारों को मूल समाज का साथ नहीं मिल सका है.

60 के दशक में महाराष्ट्र में सुधारवादी नेता हामिद दलवाई ने इस प्रथा का विरोध किया था. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, तब शाहबानो केस सामने आया था. इस मामले में कोर्ट के फैसले को कानून बना कर प्रभावित किया गया था. शाहबानो को भले ही गुजाराभत्ता न मिल सका हो, पर उस के बाद मुसलिम निकाह में फैली कुरीतियों पर सवाल उठने लगे थे.

तीन तलाक के मसले पर उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने नई लड़ाई लड़ी और एक नया मुकाम हासिल किया. शायरा बानो जैसी लड़ाई लड़ने वाली इशरत जहां, फरह फैज, गुलशन परवीन और आफरीन रहमान ने इस को मजबूत आधार दिया. इन सभी के पीछे मुसलिम समाज की करोड़ों औरतों का समर्थन भी था. समाज के लिए बेहतर तो यही था

कि अदालत को ऐसे फैसले नहीं देने पड़ते. अगर समाज अपनी कुरीतियों और रूढि़वादी सोच को बदले, तो तमाम तरह की परेशानियां खुद से ही खत्म हो सकती हैं. तीन तलाक जैसी कुरीतियों से दुनिया के कई देश आजाद हो चुके हैं. ऐसे में भारत में अगर यह पहले खत्म हो जाता, तो हालात यहां तक नहीं पहुंचते.

भारत में धर्म को राजनीति का हथियार बनाया जाता है. इस वजह से इस का तुष्टीकरण होता है. ऐसे में वोट बैंक के लिए धार्मिक कुरीतियों को राजनीतिक समर्थन दे दिया जाता है. अदालत ने केंद्र सरकार को 6 महीने में कानून बना कर मुसलिम औरतों को तीन तलाक से मुक्त करने को कहा है. तीन तलाक के बाद सात जनमों के रिश्तों पर भी नजर डाल लीजिए

सामाजिक सुधारों की जरूरत केवल मुसलिम धर्म को ही नहीं है, बल्कि दूसरे धर्मों में भी ऐसी तमाम कुरीतियां हैं, जो सभी को प्रभावित करती हैं. जातिभेद और जातिवाद जैसी तमाम बुराइयां हर धर्म और समुदाय में हैं. औरतों के साथ भेदभाव सभी धर्मों में है. तलाक जैसे मसले हिंदू धर्म में भी हैं. हिंदू धर्म में तलाक का कानून सरल नहीं है. ऐसे में दहेज, अपराध और औरतों को सताने की वारदातें होती हैं.

आंकड़ों को देखें, तो भारत में हिंदू धर्म में 6 लाख, 18 हजार, 529 औरतें और 3 लाख, 44 हजार, 281 मर्द तलाकशुदा हैं. मुसलिम धर्म में 2 लाख,12 हजार औरतें और 57 हजार मर्द तलाकशुदा हैं. ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म में भी तलाकशुदा लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में जरूरत है कि तलाक के कानून को सरल बनाया जाए, जिस से तमाम तरह की कुरीतियां खत्म हो सकें.

एकसाथ तीन तलाक पर कानूनी पाबंदी से इस बात की उम्मीद जग गई है कि औरतों के हकों पर सरकार और अदालतें गंभीरता से विचार करेंगी.

मुसलिम धर्म की ही तरह हिंदू धर्म में भी बहुत सारे ऐसे मामले हैं, जिन में शादीशुदा जोड़े अलग होना चाहते हैं. हिंदू धर्म में शादी के बाद अलग होना बेहद जटिल है, जिस में लोग सालोंसाल पिसते रहते हैं. कई बार इस तरह की परेशानियों के चलते आपराधिक वारदातें भी घटती हैं, जिन के मुकदमे दहेज को ले कर सताने और दहेज हत्या जैसे हालात तक पहुंच जाते हैं.

हिंदू धर्म में खाप पंचायतों और जातीय पंचायतों में शादी से अलग होने के अजीबोगरीब फैसले होते रहते हैं. जिस तरह से तीन तलाक को ले कर कानून और सरकार सख्त हुए हैं, उसी तरह से हिंदू धर्म में भी शादी के बाद अलगाव होने का रास्ता सरल बनाया जाए.

आज समाज में सिंगल पेरेंट की तादाद बढ़ती जा रही है. इस की मूल वजह यह है कि हिंदू धर्म में शादी के बाद अलगाव होना आसान नहीं है.

अलगाव की शुरुआत दहेज को ले कर सताने जैसे मुकदमों से शुरू होती है. दोनों ही पक्ष एकदूसरे पर अलगअलग तरह के आरोप लगाते हैं. थानों से ले कर कचहरी तक ये मुकदमे चलते हैं.

अगर सहमति से अलगाव नहीं हो रहा, तो अपनी कही बात को साबित करना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में सालोंसाल थाने से ले कर कचहरी तक भटकना पड़ता है.

हर जिले में पारिवारिक अदालतें हैं. वहां लगी भीड़ को देख कर समझा जा सकता है कि सात जन्मों तक साथ देने का वादा इसी जन्म में किस तरह से टूट रहा है.

कई बार ऐसे फैसलों में इतना वक्त लग जाता है कि दोबारा शादी की उम्र ही निकल जाती है. ऐसे में पति या पत्नी अकेले रहना सब से ज्यादा पसंद

करते हैं. सब से बड़ी परेशानी उन पतिपत्नी के सामने आती है, जिन के बच्चे हो चुके होते हैं. ऐसे में बच्चों को साथ ले कर ये लोग सिंगल पेरेंट के रूप में रहते हैं.

आज के दौर में 25 साल की उम्र तक शादी हो जाती है. 4 से 5 साल शादी के बंधन से अलग होने का फैसला लेने तक उम्र 30 साल हो जाती है. 10 से 12 साल अलगाव में लग जाते हैं. अगर 40 की उम्र तक किसी का अलगाव हो भी जाए, तो वह दूसरी शादी कर के घर बसाने के लायक नहीं रह जाता है.

अब पप्पू नहीं रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी

गुजरात में राहुल गांधी को सुनने भारी भीड़ उमड़ रही है, जनता किसी को भी पप्पू बना सकती है, राहुल गांधी अब पप्पू नहीं हैं, राहुल गांधी क्या बोलता है, क्या करता है, किससे मिलता है इसमें देश की जनता दिलचस्पी लेने लगी है, इसका मतलब है कि राहुल गांधी भी देश को लीडरशिप दे सकते हैं, ये उद्गार अगर किसी कांग्रेसी नेता के होते तो उन्हें चाटुकारिता और गांधी नेहरू परिवार की भक्ति कहकर नजरंदाज करने में कोई नहीं हिचकता, लेकिन यह सब बातें या तारीफ शिवसेना में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले नेता संजय राऊत ने कहीं, तो उसके अपने अलग माने इस लिहाज से हैं कि भाजपा शिवसेना गठबंधन टूटने की कगार पर है.

अकेले शिवसेना ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के मुखिया तेजतर्रार नेता राज ठाकरे भी इन दिनों राहुल गांधी की तारीफों में कसीदे गढ़ते कहने से खुद को रोक नहीं पा रहे कि जिस व्यक्ति को भाजपा पप्पू पप्पू कहती रही आज वो झप्पू बन गया है, राहुल गांधी की रैलियों में उमड़ती भीड़ से डरकर प्रधानमंत्री आठ आठ नौ नौ बार गुजरात जा रहे हैं. ऐसा भी पहली दफा हुआ कि राज ठाकरे ने सार्वजनिक मंच से यह कहा कि भाजपा जिस राहुल गांधी को इतने सालों तक अपमानित करती रही, वही गुजरात जा रहा तो आप ( भाजपा ) को डर क्यों लग रहा है. उसी राहुल गांधी के पीछे लाखों लोग खड़े हो रहे हैं, तो भाजपा डर क्यों रही है गुजरात में भाजपा के इतने मुख्यमंत्री क्यों जा रहे हैं.

कभी किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि एक दूसरे से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले हिंदुतत्व के पैरोकार ये ठाकरे ब्रदर्स कभी एक मंच से राहुल गांधी की इतनी तारीफ करेंगे कि भाजपा को गठबंधन के बारे में गुजरात चुनाव से पहले फैसला लेने संजीदगी से सोचना पड़ेगा. ठाकरे बंधु जब तब भाजपा और नरेंद्र मोदी की आलोचना करते रहते हैं, यहां तक तो बात नजरंदाज करने वाली थी, लेकिन अब वे राहुल का गुणगान कांग्रेसियों से ज्यादा कर रहे हैं, यह बात जरूर उसके लिए नाकाबिले बर्दाश्त है.

शिवसेना और मनसे का गुजरात में भले ही कोई निर्णायक जनाधार न हो, लेकिन मोदी के मुकाबले राहुल को बेहतर बताने के पीछे उनकी मंशा यह है कि खुद भाजपा गठबंठन तोड़ने की पहल करे, जिससे महाराष्ट्र के साथ साथ गुजरात में भी वह कमजोर पड़े. कहा यह भी जा रहा है कि दोनों ठाकरे मिलकर महाराष्ट्र की गठबंधन वाली सरकार गिराने पर सहमत हो गए हैं, इसकी अहम वजह यह है कि जिन राज्यों में भाजपा की गठबंधन बाली सरकारें हैं, वहां सहयोगी दलों की पूछ परख कम हो रही है, राज और उद्धव एक सोची समझी रणनीति के तहत सरकार गिराने का ठीकरा खुद के सर नहीं फुड़वाना चाहते, इसलिए अब राहुल को हीरो बनाकर पेश कर रहे हैं, जो भाजपा के लिए हर लिहाज से खासी सरदर्दी बाली बात साबित हो रही है.

गौरतलब है कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के पास 122 सीटें हैं, जबकि शिवसेना के खाते में 63 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 43 और शरद पवार वाली एनसीपी के पास 42 सीटें हैं. बीते एक साल से कम हैरानी की बात नहीं कि सरकार का हिस्सा होते हुये भी शिवसेना एक तरह से विपक्ष की भूमिका भी निभा रही है, राज्य सरकार को हर मुद्दे पर घेरने से वह चूकी नहीं है, फिर चाहे मुद्दा मुंबई की बाढ़ का हो या किसान आंदोलन का. शिवसेना की इन हरकतों से बौखलाए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस कभी तय नहीं कर पाये कि क्या करें और क्या न करें, वजह अमित शाह इस समस्या पर चुप रहते हैं और आलाकमान भाजपा में अब बचा नहीं.

राहुल गांधी की तारीफ के मुद्दे पर तिलमिलाए फड़नवीस ने हालांकि उद्धव ठाकरे को धोंस दी है कि अब शिवसेना का दौहरा रुख छुप नहीं पाएगा, इसलिए उन्हें तय कर लेना चाहिए कि वे भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखना चाहते हैं या नहीं . फड़नवीस आने वाले हालातों के मद्देनजर शरद पवार पर भी डोरे डाल रहे हैं, एक मीटिंग में उन्हें भी पवार की तारीफ करते कहना ही पड़ा कि पवार साहब कभी विकास के विरोधी नहीं रहे.

शरद पवार देवेंद्र फड़नवीस के झांसे में आएंगे, इसकी संभावना कम ही लग रही है, वजह इससे न केवल उनकी साख पर बट्टा लगेगा बल्कि एनसीपी की जमीन भी दरकेगी. गुजरात में भी वे उम्मीद से हैं, अगर कांग्रेस उन्हें वहां सम्मानजनक सीटें देने तैयार होती है, तो साफ दिख रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा अल्पमत में आ जाएगी. सौदेबाजी में माहिर पवार की बेटी सुप्रिया सुले को हालिया केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने की कथित पेशकश को ठुकराने का उनका मकसद यही था. रही बात गुजरात की, तो वहां अगर भाजपा उन्हें साथ लेती है तो और घाटे में रहेगी.

कुल जमा अफसाना दिलचस्प मोड पर है. संजय राऊत और राज ठाकरे ने सियासी बिसात पर शह मात वाली चाल राहुल गांधी की तारीफें कर चल दी है, अब बारी भाजपा की है कि वह इस चाल का क्या तोड़ निकाल पाती है कि राहुल गांधी अब उसके ही एक बड़े साझीदार दल की निगाह में पप्पू न रहकर गुजरात के हीरो बनने जा रहे हैं. कभी इन्दिरा गांधी ने शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे को महाराष्ट्र में खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी, अब उनकी दूसरी पीढ़ी गांधी नेहरू परिवार का कर्ज उतार रही है तो बात कतई हैरानी की नहीं क्योंकि राजनीति में सब जायज होता है.

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