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फुकरे रिटर्न : पिछली फिल्म की तरह आकर्षित नहीं करती फिल्म

2013 में प्रदर्शित फिल्मकार मृगदीप सिंह लांबा की फिल्म ‘‘फुकरे’’ लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाने में कामयाब हुई थी. अब मृगदीप सिंह अपनी उसी फिल्म का चार वर्ष बाद सिक्वअल ‘‘फुकरे रिटर्न’’ लेकर आए हैं, मगर यह फिल्म पहले की तरह आकर्षित नहीं करती.

फिल्म ‘फुकरे रिटर्न’ की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां ‘फुकरे’ की कहानी खत्म हुई थी. भोली पंजाबन (रिचा चड्ढा) एक वर्ष से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है और अब वह बाहर निकलने के लिए आतुर है. जेल की यातना से वह तंग आ चुकी है, इसलिए वह मंत्री बृजमोहन की हर तरह की शर्त मानने को तैयार हो जाती है. मंत्री की शर्त के अनुसार जेल से बाहर आते ही वह दस करोड़ रूपए उन्हे देगी. मंत्री के आश्वासन के चलते 24 घंटे के अंदर भोली पंजाबन जेल से बाहर आ जाती है. तो उसे पता चलता है कि उसका पूरा साम्राज्य खत्म हो चुका है. उसके साथ जुड़े रहे चारों फुकरे किस्म के युवक चूचा (वरुण शर्मा), लाली (मनजोत सिंह), जफर (अली फजल), हनी (पुलकित सम्राट) अब अपनी अपनी जिंदगी में मस्त हो चुके हैं.

चूचा अक्सर चिड़ियाघर में जाकर शेर के बच्चे के साथ खेलता रहता है. इस वजह से शेर से उसकी दोस्ती हो गयी है. लाली कालेज जाने लगा है. हनी को प्रिया शर्मा (प्रिया आनंद) से प्यार हो गया है. जफर फिर से संगीत की दुनिया में रम गया है और उसे नीतू (विशाखा सिंह) से प्यार हो गया है. भोली पंजाबन इन चारों को एक बार फिर डरा धमकाकर अपने लिए काम करने के लिए मजबूर कर देती है.

इतना ही नही वह पंडित जी (पंकज त्रिपाठी) को भी अगुवा कर अपने साथ कर लेती है. चूचा एक बार फिर सपने देखने लगा है. चूचा के सपने का गुणा भाग लगाकर हनी लाटरी का नंबर निकालने लगा है. भोली पंजाबन के कहने पर हनी अपने नाम पर एक लाटरी की कंपनी शुरू करता है. इसके तहत वह घोषणा करता है कि जिस इंसान का नंबर लाटरी में लगेगा, उसे उसकी रकम को दोगुना मिलेगा. इसके लिए एक लाख लगाने पर सौ रूपए के स्टैंप पेपर पर अग्रीमेंट लिखकर देते हैं. इसकी भनक मंत्री जी को लगती है, तो वह नंबर बदलवा देता है. क्योंकि मंत्री जी का अपना लाटरी का बहुत बडा धंधा है.

यदि हनी का नंबर सही हो जाता तो मंत्री जी की कंपनी को भी नुकसान होता. मंत्री की चालाकी के चलते यह चारों दिल्ली की जनता के दोषी हो जाते है और भागते हुए जमुना नदी में गिर जाते हैं. सभी मान लेते हैं कि यह सभी मर गए. पर यह बच जाते हैं. अब चूचा एक बार फिर सपना देखता है. यह सपना है एक खजाने का. खजाने को हथियाने के लिए भोली पंजाबन उनके साथ हो जाती है, पर मंत्री जी अपनी चालाकी में है. भोली पंजाबन जब मंत्री से मदद मांगती है, तो मंत्री बृजमोहन चारों लड़कों को अपने पास भेजने का आदेश देते हैं.

बृजमोहन की आवभगत और शर्त सुनने के बाद हनी का दिमाग चलता है, वह भोली पंजाबन को एक संदेश देता है. फिर भोली पंजाबन मुख्यमंत्री से मिलती है और बृजमोहन के अड्डों पर छापा पड़ता है. अब खजाने की तलाश में यह सभी जहां पहुंचते हैं, वह बृजमोहन का छिपा हुआ गोदाम है, जहां कामनवेल्थ खेलों के समय के घोटाले का सामान छिपाकर रख गया है. इसका लाइव टेलीकास्ट होता है. पुलिस व मुख्यमंत्री पहुंचते हैं. मंत्री की गिरफ्तारी सबूतों के साथ हो जाती है.

मृगदीप सिंह लांबा ने ‘‘फुकरे’’ की सफलता को भुनाने के लिए सिक्वल बनाने का निर्णय तो ले लिया, मगर वह इस बात को नजरंदाज कर गए कि‘फुकरे’ की सफलता की वजहें क्या थी. ‘फुकरे’ में दिल्ली वाली भाषा, बात करने का तरीका और चार लड़कों द्वारा छोटी छोटी चोरियां करना आदि सब कुछ बहुत वास्तविक लगता था, मगर ‘फुकरे रिर्टन’ में सब कुछ अति बनावटी नजर आता है. एक भी दृश्य ऐसा नही है, जिसके संग दर्शक रिलेट कर सकें.

इतना ही नहीं ‘फुकरे’ में दर्शक चारों लड़कों के साथ इस तरह रिलेट कर पाया था कि जब यह चारों भोली पंजाबन के चंगुल में फंसते हैं, तो इनसे दर्शक को सहानुभूति होती है, पर ‘‘फुकरे रिटर्न’’ यहां भी निराश करती है. फिल्म की लचर पटकथा के ही चलते फिल्म में तीन प्रेम कहानियां हैं,मगर सभी बहुत ही सतही स्तर पर हैं. फिल्म में जिस घोटाले का जिक्र किया गया है, उसे देखकर लोगों को पूर्व नेता सुरेश कलमाड़ी की याद आ सकती है. मगर इस घोटाले के मुद्दे को जिस तरह से फिल्म में पेश किया गया, उससे इसकी तरफ किसी का ध्यान नही जाता.

इंटरवल से पहले फिल्म घिसटती हुई आगे बढ़ती है. इंटरवल के बाद घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं, मगर वह दर्शक को अपनी तरफ खींच पाने में असमर्थ रहते हैं. दर्शक सोचना शुरू करता है कि फिल्म कब खत्म होगी. फिल्म का क्लायमेक्स भी दमदार नहीं है. फिल्मकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही कि उसने इस बार सारा ध्यान भोली पंजाबन, मंत्री ब्रजमोहन व चूजा पर ही लगाया, पर घटनाक्रम व हालात ठीक से गढ़े नहीं गए.

लाली व जफर के किरदारों को तवज्जो ही नहीं दी, जिसके चलते फिल्म काफी कमजोर हो जाती है. निर्देशक व पटकथा लेखक की अपनी कमजोरियों के चलते रिचा चड्ढा व पंकज त्रिपाठी जैसे बेहतरीन कलाकार भी फिल्म को संभाल नहीं पाते. फिल्म के कुछ दृश्य तो बहुत ही गलत है. आखिर चूचा वगैरह किस वजह से बार बार चिड़ियाघर में शेर के पिंजड़े के पास जाता रहता है, यह समझ से परे है. पूरी फिल्म देखने के बाद दर्शक को मनोरंजन की बजाय सिरदर्द ही मिलता है. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता. संवाद भी कुछ खास नही है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो रिचा चड्ढा, पंकज त्रिपाठी व अली फजल ने अच्छी परफार्मेंस दी है. बाकी कलाकार बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करते.

दो घंटे बीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘फुकरे’’ का निर्माण फरहान अख्तर व रितेया सिद्धवानी की कंपनी ‘एक्सेल इंटरटेनमेंट’ ने किया है. निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा, लेखक विपुल विग और मृगदीप सिंह लांबा, संगीतकार समीर उदीन, राम संपत, प्रेम हरदीप व सुमीत बेल्लारी,कैमरामैन अंद्रे मेंनेजीस तथा कलाकार हैं – रिचा चड्ढा, पंकज त्रिपाठी, अली फजल, वरूण शर्मा, पुलकित सम्राट, मंजोत सिंह, प्रिया आनंद,विशाखा सिंह, मकरंद देशपांडे व अन्य.

क्या सच में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा इटली में करने वाले हैं शादी

क्रिकेटर विराट कोहली और बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की शादी की अफवाहों की बाजार जहां गर्म है. वहीं गुरुवार रात को मीडिया ने अनुष्का को मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पर स्पौट किया.

एयरपोर्ट पर अनुष्का खुद पहले निकलीं, इसके बाद उनके परिवार के लोग एयरपोर्ट से एंटर करते दिखें. इस दौरान जब अनुष्का से मीडिया ने शादी की खबरों पर बात करना चाही तो अनुष्का सिर्फ थैंक्स करती हुईं चली गईं.

इसके अनुष्का तो मीडिया की भीड़ से तुरंत निकल गईं लेकिन उनके परिवार को एयरपोर्ट पर एंटर करने में थोड़ी इंतजार करना पड़ा,  इतने में मीडिया के कैमरों ने उन्हें घेर लिया. लेकिन अनुष्का के परिवार ने कैमरे पर कुछ नहीं कहा.

आपको बता दें कि मीडिया में लगातार यह खबर बनी हुई है कि अनुष्का शर्मा अपने ब्वौयफ्रैंड क्रिकेटर विराट कोहली से इटली में शादी करने जा रही हैं. खबरों की मानें तो अनुष्का-विराट की शादी 12 दिसंबर को होने वाली है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस शादी में इन दोनों के बेहद करीबी लोग ही शामिल होंगे. जहां इन दोनों की शादी 12 दिसंबर को होगी तो वहीं इस शादी की रस्‍में 9 दिसंबर से ही शुरू हो जाएंगी. हालांकि इस खबर का अनुष्का शर्मा के प्रवक्ता ने खंडन किया है.

अनुष्का के प्रवक्ता ने एक बातचीत में कहा, ‘शादी की अफवाहों में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है.’ हाल ही में यह दोनों जहीर और सागरिका की शादी में साथ में थिरकते नजर आए थे लेकिन पिछले कई समय से यह दोनों शादी की किसी भी तरह की अफवाहों से मना कर चुके हैं.

गौरतलब है कि पहले दोनों ही अपने रिलेशन को छिपाते थे, लेकिन अब शायद दोनों का नजरिया बदल गया है. हालांकि, अनुष्का आज भी अपनी पर्सनल लाइफ और विराट के साथ अपने रिश्ते को लेकर बात नहीं करती, लेकिन विराट अब खुल कर अनुष्का के साथ अपने रिश्ते की बात करने लगे हैं. यहां तक कि हाल ही में जी टीवी पर आमिर खान के साथ एक खास कार्यक्रम में नजर आए विराट ने अनुष्का को लेकर खुल कर बात की.

बता दें कि इन दोनों की शादी की खबरें पहले भी आई थीं लेकिन उस समय इन दोनों ने ही ऐसा कुछ करने से मना कर दिया था. लेकिन अब शादी के दिन से लेकर डेस्टिनेशन तक सामने आ गई. हाल ही में यह जोड़ी एक विज्ञापन में साथ में अपने बनाए शादी के वचन लेते नजर आई थी. लेकिन लगता है कि अब अनुष्‍का और विराट सच में एक दूसरे के साथ शादी के यह वचन लेने वाले हैं.

दीपिका के बाद अब ‘पद्मावती’ में अपने रोल को लेकर बोले शाहिद कपूर

डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म को लेकर आएं दिन कोई न कोई बयान आते रहते हैं. कुछ लोगों ने तो फिल्म के साथ इससे जुड़े किरदारों को भी अपने निशाने पर ले लिया है. ‘पद्मावती’ में रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर मुख्य किरदार निभा रहे हैं. ऐसे में निर्माता के सिर से लेकर अभिनेत्री को नाक काटने तक की धमकियां दी जा चुकी हैं. लोगों के इसतरह से विरोध प्रदर्शन किये जाने के बाद मुख्य भूमिका निभा रहे कलाकारों ने फिल्म में अपने किरदारों को लेकर अपनी बाते रखी हैं.

जहां हाल ही में दीपिका ने तमाम आलोचनाओं के बीच फिल्म और इसमें अपने किरदार को लेकर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी थीं, वहीं अब फिल्म में रावल रतन सिंह की भूमिका में नजर आ रहे शाहिद कपूर ने भी अपने किरदार को लेकर अपनी बातें रखीं.

शाहिद ने ‘पद्मावती’ में रानी पद्मावती के पति और योद्धा राजा रावल रतन सिंह के रूप में अपनी भूमिका पर चर्चा करते हुए प्रेरणादायक किरदारों की आवश्यकता पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि दर्शक रावल रतन सिंह के रूप में उनके किरदार को समझेंगे. उनका मानना है कि यह एक ऐसा किरदार है जो आजकल के लोगों को ‘बेहतर’ बनने के लिए प्रेरित करेगा.

शाहिद ने कहा, “मुझे याद है जब ‘ग्लैडिएटर’ आई थी और रसल क्रो ने मैक्सिमस की भूमिका निभाई थी. उनका यह किरदार इतना अच्छा लगा था कि इसके वास्तविक होने पर ही संदेह उठ जाए लेकिन इसने मुझे बहुत प्रेरित किया था. यह मेरे लिए बेहद ही मजबूत संदर्भ था क्योंकि मैं हैरान था कि आप ऐसा किरदार किस तरह निभाते हैं. एक ऐसा किरदार जो वाकई इतना अच्छा होता है कि लोगों से जुड़ जाता है.”

उन्होंने कहा कि कभी-कभी सिनेमा में इतनी शक्ति होती है कि वह हमें कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करती है. बिल्कुल, कुछ अच्छे किरदारों को निभाना किसी भी अभिनेता या अभिनेत्री के लिए बेहद मायने रखता है, जो असली हों.

मालूम हो कि राजस्थान से शुरू हुआ यह हंगामा कई राज्यों में अपने पैर पसार चुका है. फिल्म के विरोध की वजह इतिहास से छेड़छाड़ बताई जा रही है. राजस्थान की करणी सेना और राजपूत समाज का मानना है कि तथ्यों को तोड़ मरोड़कर फिल्म में पेश किया जा रहा है. इस फिल्म को 1 दिसम्बर को रिलीज किया जाना था लेकिन लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के कारण फिल्म की रिलीज तक टाल दी गई थी.

GST दर कम फिर भी देने पड़ रहे हैं पहले जितने पैसे, तो ये तरीका अपनाएं

आप होटल में खाना खाते हैं और आपके पास बिल आता है, आप बिल देखते हैं, बिल में पाते हैं की इसमें तो जीएसटी की दरें अभी भी वही हैं जो कि कम करने से पहले थीं. तो आप इसकी औपचारिक एंटी-प्राफिटरिंग शिकायत कर सकते हैं. हालांकि यह प्रक्रिया सरल नहीं है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर एंटी-प्राफिटरिंग आवेदन फौर्म अपलोड किया है ताकि संभावित शिकायतकर्ता इसका उपयोग कर सकें.

केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) द्वारा जारी किए गए फौर्म को देखें तो इसमें शिकायत फौर्म भरते वक्त काफी डिटेल्स देनी होंगी. इसके लिए होटल का जीएसटी नंबर, उसका नामकरण कोड, आपके होटल में दिए गए बिल पर कितना टैक्स लिया गया और पहले कितना था, अब कितना है आदि डालना होगा.

इसके साथ दूसरे डौक्यूमेंट भी देने होंगे जैसे सेल्फ अटेस्टेड आईडी प्रूफ, इनवौइस, रेट लिस्ट आदि. शिकायतकर्ता को इसके साथ घोषित करना होगा कि उसने जो जानकारी दी है वह सही है. इसके साथ लगाए गए सभी डौक्यूमेंट सही हैं. इसे दाखिल करते हुए शिकायतकर्ता को पूरी सावधानी बरतनी होगी.

सीबीईसी के अनुसार, एक प्रभावित उपभोक्ता निर्धारित प्रारूप में एंटी-प्रफिटरिंग की स्थायी समिति के सामने आवेदन कर सकता है. यदि मुनाफाखोरी स्थानीय प्रकृति की है तो इसकी शिकायत स्थायी समित या फिर राज्य स्तरीय जांच समिति से की जा सकती है. यह दोनों संस्थाएं उपभोक्ता द्वारा की गई शिकायत की शुरुआती जांच करती हैं. पहला लेवल पूरा होने पर, शिकायत सही पाए जाने पर और प्रूफ मिलने पर यह कमेटी शिकायत को आगे की जांच के लिए रक्षा उपायों के महानिदेशक (सीबीईसी) के पास भेज देती हैं.

महानिदेशालय आम तौर पर किसी शिकायत की जांच में दो से तीन महीने का समय लगाता है और शिकायत को फिर से मुनाफारोधी प्राधिकरण के पास भेज दिया जाता है. फाइनल निर्णय के लिए महानिदेशक शिकायत की रिपोर्ट नेशनल एंटी-प्राफटिरिंग प्राधिकरण के पास भेज देते हैं. नेशनल एंटी-प्राफटिरिंग अथौरिटी देखेगी कि यह वास्तव में सही है और इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उपभोक्ता को घटी हुई कीमतों पर ही भुगतान करना पड़े.

अपने स्मार्टफोन में भी बनाएं एक रिसायकल बिन

कंप्यूटर में अगर गलती से कुछ डिलीट हो जाए तो उसे रिसायकल बिन में जाकर रीस्टोर किया जा सकता है. लेकिन अगर स्मार्टफोन में कुछ डिलीट हो जाए तो उसे रीस्टोर नहीं किया जा सकता है.

अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. फोन से डिलीट हुए डेटा को भी रीस्टोर किया जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसा तरीका बताते हैं जिससे आप अपने स्मार्टफोन में कंप्यूटर जैसा रीसायकल बिन बना सकते हैं. स्मार्टफोन में रीसायकल बिन बनाने के लिए आपको अपने फोन में Dumpster और ES File Explorer में से कोई भी एक ऐप डाउनलोड करनी होगा. हम आपको Dumpster के काम करने के तरीके को बताएंगे.

– सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाकर Dumpster को डाउनलोड कर इंस्टाल करें. इसके बाद ऐप को खोलें. यहां आपको ऐप का डेमो दिखाया जाएगा. इसे OK करने के बाद फोन में रिसायकल बिन तैयार हो जाएगी. इसमें आपसे स्टोरेज परमीशन भी मांगी जाएगी, इसे OK कर दें.

– अब जब भी आपके मोबाइल से कोई फोटो डिलीट होगी वो यहां सेव हो जाएगी. आप इसे यहां से रीस्टोर कर सकते हैं.

– इस ऐप में टाइम भी सेट किया जा सकता है जिससे ज्यादा दिन होने के बाद भी पुरानी डिलीट हुई फाइल्स को रिकवर किया जा सके. अगर आप चाहें तो इस ऐप में पासवर्ड भी सेट कर सकते हैं, ताकि डिलीट की हुई फाइल आपके अलावा कोई और न देख सके.

अब आधार गुम हो जाने पर ऐसे करें आधार डाटा लौक

आधार आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण डौक्यूमेंट बनता जा रहा है. यह लगभग सभी सरकारी कामों में जरूरी होता है. यह टैक्स रिटर्न फाइल करने, बैंक लेनदेन करने और सरकारी सब्सिडी लेने आदि के लिए एक महत्वपूर्ण डौक्यूमेंट है.

आधार में आपकी सारी जानकारी उपलब्ध है अगर ये जानकारी किसी और के हाथ में लग गई तो सोचे क्या होगा. जिसके पास आपकी आधार डिटेल्स है वह उसका दुरपयोग भी कर सकता है.

इसलिए आधार में मौजूद अपनी जानकारी की सुरक्षा के लिए कदम उठाने जरूरी हैं. इसके लिए आपको केवल यूनिक आइडेंटीफिकेशन औथरिटी औफ इंडिया (UIDAI) द्वारा उपलब्ध कराई गई आधार बायोमीट्रिक लौकिंग सिस्टम की सुविधा का उपयोग करना है, जिसके माध्यम से आप जब भी चाहें अपनी आधार डिटेल्स को लौक और अनलौक कर सकते हैं, जिससे इसके दुरुपयोग को रोका जा सके.

बायोमीट्रिक सूचना

एक बार जब आप अपना बायोमीट्रिक डेटा लौक कर लेते हैं तो न आप और न ही कोई और डेटा का तब तक इस्तेमाल कर सकता है जब तक कि उसे अनलौक न किया जाए. यह सुविधा केवल औनलाइन उपलब्ध है. इसके लिए आधार के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जरूरत होती है. यदि आपका मोबाइल नंबर आधार के साथ रजिस्टर नहीं है, तो आपको एक फौर्म भरकर उसे आधार सेंटर पर जाकर जमा कराना होगा.

ऐसे करें डेटा लौक

  • सबसे पहले आपको आधार कार्ड (UIDAI) की आधिकारिक वेबसाइट https://uidai.gov.in/ पर जाना होगा.
  • यहां आधार औनलाइन सर्विस में तीन विकल्प दिखाई देंगे, इनमें सबसे आखिरी वाले Aadhaar Service में तीसरे नंबर पर Lock/Unlock Biometrics का विकल्प होगा. अब इस पर क्लिक करें.
  • इस विकल्प पर क्लिक करने के बाद नया पेज खुल जाएगा, यहां आपको अपना आधार नंबर और एक सिक्योरिटी कोड डालना होगा. इसे डालने के बाद नीचे सेंड ओटीपी का विकल्प आएगा अब आप सेंड ओटीपी पर क्लिक करें, इस पर क्लिक करते ही आधार नंबर के साथ रजिस्टर मोबाइल नंबर पर ओटीपी आ जाएगा, अब ओटीपी डालकर लौगिन कर लें.
  • अब अपना आधार डेटा लौक करने के लिए फिर से सिक्योरिटी कोड डालकर Enable पर क्लिक करें. यहां क्लिक करते ही “Congratulation! Your Biometrics is Locked” लिखा आ जाएगा.

इसका मतलब की आपकी आधार डाटा अब अधिकारिक तौर पर लौक कर दी गई है और यह तब तक लौक रहेगी जब तक आप इसे पुन: अनलौक नहीं करतें.

अब आपको मन में सवाल उठ  रहा होगा की आधार लौक तो कर दिया अब अनलौक कैसे करेंगे तो हम बताते हैं कि आप पुन: आधार डाटा को अनलौक कैसे कर सकते हैं.

ऐसे करें अनलौक

  • डेटा अनलौक करने के लिए पहले की तरह लौगिन कर लें जिस प्रकार आपने आधार डाटा को लौक करने के लिये लौगिन किया था. लौगिन करने के बाद Unable और Disable के दो औप्शन मिलेंगे. अब उसी पेज पर दिखाई दे रहे सिक्योरिटी कोड डालकर Unable पर क्लिक कर दें. क्लिक करते ही डेटा का लौक खुल जाएगा.
  • यदि कोई व्यक्ति आपके बायोमीट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट/आईरिस) को अनलौक करने के लिए प्रमाणीकरण सेवाओं का उपयोग करने की कोशिश करता है, तो एक एरर कोड ‘330’ दिखाया जाएगा. यह कोड यह दर्शाता है कि बायोमीट्रिक्स लौक हैं.
  • एक बार खुलने पर बायोमीट्रिक डेटा केवल 10 मिनट के लिए उपयोगी होगा. 10 मिनट के बाद यह अपने आप लौक हो जाएगा. यदि आप चाहते हैं कि आपका बायोमीट्रिक डेटा अनिश्चित काल तक उपयोगी रहे तो इसका विकल्प भी मौजूद है.
  • यूआईडीएआई का सुझाव है कि हर 10 साल में बायोमीट्रिक डेटा को एक बार अपडेट करना चाहिए. इसके अलावा, यदि कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है या किसी भी बीमारी से पीड़ित है तो उसे भी बायोमीट्रिक डेटा अपडेट कराना चाहिए.

हैप्पी बर्थडे धर्मेंद्र : मां कि एक बात ने जिसे पहुंचाया फर्श से अर्श तक

बौलीवुड के दिग्गज एक्टर, प्रोड्यूसर और राजनेता धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में एक पंजाबी परिवार में हुआ था.

उनके पिता का नाम केवल किशन सिंह देओल और माता का नाम सतवंत कौर था. उनके पुर्खों के गांव का नाम दगांव है जो लुधियाना के नजदीक पखोवल में स्थित है.

धर्मेंद्र ने अपनी जिंदगी के शुरुआती साल सहनेवाल गांव में बिताए थे. उन्होंने लुधियाना के लालटन कलां गांव के सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्दालय से पढ़ाई की थी, जहां उनके पिता हेडमास्टर के तौर पर काम करते थे. इस साल धर्मेंद्र अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं.

धर्मेंद्र इस उम्र में भी पूरी तरह से फिट और जिंदादिल हैं, वे ‘यमला पगला दीवाना-3’ की शूटिंग कर रहे हैं और मौका मिलने पर बौलीवुड की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आते हैं.

धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की लव स्टोरी बौलीवुड के गलियारों में काफी फेमस रही है. हेमा को लेकर उनकी दीवानगी का आलम सातवें आसमान पर था. बौलीवुड के हैंडसम हंक कहे जाने वाले धर्मेंद्र किसी भी कीमत पर उन्हें हासिल करना चाहते थे और शूटिंग के दौरान भी वे उनसे करीबी बढ़ाने के मौके तलाश ही लेते थे. ‘शोले’ की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र अपने रुतबे का इस्तेमाल करके, हेमा मालिनी के साथ बार—बार शौर्ट रिपीट करते थे.

‘शोले’ की शूटिंग चल रही थी, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के बीच रोमांटिक सीन फिल्माया जाना था. धर्मेंद्र ने इसका फायदा उठाने का फैसला लिया और उन्होंने लाइट्सबौय को पटा लिया. ताकि सीन के दौरान वे हेमा मालिनी को बार-बार अपनी बाहों में ले सकें.

धर्मेंद्र ने लाइट्स बौय के साथ एक कोड लैंग्वेज डेवलप कर ली थी. जब वे अपना कान खींचते तो इसका मतलब होता कि लाइट्सबौय को कोई गलती करनी है. या तो वे ट्रौली को अटका देते या फिर रिफ्लेक्टर गिरा देते. अगर वे अपना नाक छूते तो इसका मतलब है कि शौर्ट को ओके कर दिया जाए. धर्मेंद्र हर रीटेक का 100 रु. दिया करते थे. कई-कई दिन तो लाइट्सबौय की लौटरी खुल जाती और वे 2,000 रु. तक बना ले जाते थे. इसे ही तो कहते हैं दीवानगी.

धर्मेंद्र को फिल्मों में उनके किरदार की वजह से एक्शन किंग और ही-मैन जैसा नाम दिया गया. करियर के शुरुआत में उन्होंने फिल्मफेयर मैग्जीन का न्यू टैलैंट अवौर्ड जीता था और उसके बाद काम की तलाश में पंजाब से मुंबई आ गए थे. उन्होंने अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरा के जरिए बौलीवुड में डेब्यू किया था. आज उनके जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं.

  • धर्मेंद्र बचपन से ही एक्टर बनने का सपना देखते थे, मां की एक सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी थी. उनकी मां ने ही उन्हें फिल्मफेयर मैग्जीन को पत्र लिखकर अपनी तस्वीरें भेजने के लिए कहा था.
  • फिल्मों में काम करने से पहले धर्मेंद्र रेलवे में क्लर्क की नौकरी किया करते थे, जहां उन्हें सवा सौ रुपए सैलरी मिला करती थी.
  • केवल 19 साल की उम्र में साल 1954 में धर्मेंद्र की शादी प्रकाश कौर के साथ हुई थी. इसके बाद उन्हें अपनी को-स्टार हेमा मालिनी में प्यार हुआ और दोनों ने 1980 में इस्लाम धर्म अपनाकर शादी कर ली थी.
  • 1991 में आई सनी देओल की फिल्म घायल को धर्मेंद्र ने प्रोड्यूस किया था. इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर अवौर्ड भी मिला था.
  • साल 2012 में सिनेमा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारत सरकार ने धर्मेंद्र को पद्मभूषण से नवाजा था.
  • भारतीय जनता पार्टी की तरफ से धर्मेंद्र ने 14वीं लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते थे. वे राजस्थान की बीकानेर से साल 2005-2009 तक सासंद रहे चुके हैं.

शोएब मलिक नहीं ये खिलाड़ी हैं सानिया के पसंदीदा क्रिकेटर

भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा की क्रिकेट के प्रति दीवानगी किसी से छिपी नहीं है. वह अकसर स्टेडियम में खिलाड़ियों को चीयर करती नजर आती हैं. वह टेनिस तो खेलती ही हैं, लेकिन क्रिकेट को भी खासा पसंद करती हैं.

पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी करने वाली सानिया मिर्जा ने अपने फैन्स के कुछ सवालों के जवाब देते हुए एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उन्हें क्रिकेट कितना पसंद है. ट्विटर के माध्यम से पूछे गए सवालों का जवाब टेनिस स्टार सानिया ने इस अंदाज में दिया है जिसे जानकर आपका दिल खुश हो जाएगा.

दरअसल उनके फैन्स ने ट्विटर पर उनसे क्रिकेट से संबंधित कुछ दिलचस्प सवाल पूछे थे, सानिया ने वक्त निकालकर उन सभी सवालों के जवाब दिए और बहुत ही उम्दा तरीके से दिए. सानिया ने अपने पसंदीदा भारतीय क्रिकेटर्स के नाम तो बताए ही, साथ ही उन्होंने फेवरेट श्रीलंकन क्रिकेटर का नाम भी लोगों को बताया. इसके अलावा फुरसत के पलों में सानिया क्या करती हैं, इसके बारे में भी उन्होंने ट्विटर के माध्यम से बताया.

भारतीय टेनिस स्टार से जब उनके एक फैन ने सवाल किया कि वह खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं. तब सानिया ने मजाकिया जवाब देते हुए कहा, ‘कुछ भी नहीं’. इसके अलावा जब उनसे पसंदीदा इंडियन क्रिकेटर का नाम पूछा गया, तब उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी’.

हालांकि जब दूसरे यूजर ने उनसे पसंदीदा क्रिकेटर का नाम पूछा तो उन्होंने क्रिकेट के भगवान का नाम लिया. उन्होंने लिखा कि सचिन उनके सबसे फेवरेट क्रिकेटर हैं.

वहीं सानिया के एक अन्य फैन ने उनके पसंदीदा श्रीलंकाई क्रिकेटर के बारे में पूछा तो जवाब मिला, ‘कुमार सांगाकारा’. इसके बाद उनसे एक अन्य ट्विटर यूजर ने विराट कोहली के बारे में एक शब्द में कुछ बताने का आग्रह किया, तब सानिया ने ‘चैम्पियन’ लिखकर जवाब दिया.

एक फैन ने तो उनसे बिग बौस को देखने पर भी सवाल पूछ लिया, सानिया ने जवाब ‘कभी-कभी’ में दिया.

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से तकलीफ किसे है

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर आम जनता या कांग्रेसियों को आपत्तियां होती तो बात कुछ गंभीर होती, पर यहां सारी आपत्तियां भारतीय जनता पार्टी को हो रही है जो कुछ अजीब लग रहा है. यह तो ठीक है कि हिंदू धर्म की खराब परंपराओं को निभाने में दक्ष भारतीय जनता पार्टी हर दूसरे के निजी मामले में टांग अड़ाने का मौलिक हक रखती है पर चोरचोर मौसेरे भाई होते हैं और एकदूसरे को तो बख्शते हैं.

भारतीय जनता पार्टी आज देश की बड़ी नहीं बहुत बड़ी पार्टी है और उसे कांग्रेस जैसी छोटी पार्टी से डर नहीं लगना चाहिए और उसे अपने हिसाब से जीने का हक देना चाहिए पर आदत से मजबूर महान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ले कर झुमरीतलैया की कच्ची बस्ती के मंदिर के पुजारी तक राहुल पर कमेंट कर रहे हैं और लोकतंत्र की हत्या का राग अलाप रहे हैं.

कांग्रेस जेबी पार्टी है इस में शक नहीं है, पर यह फिर भी लोगों को उसी तरह मान्य है जैसे 15वीं शताब्दी के मामले सिर पर उठाए चल रही भारतीय जनता पार्टी मान्य है. जब आप के चेहरे पर खुद कालिख पुती हो तो दूसरे के चेहरे पर निशान को दिखाना बड़प्पन नहीं खीज जाहिर करता है.

राहुल गांधी से भारतीय जनता पार्टी भयभीत रही है, यह सच है और 2014 से पहले उन का आक्रमण सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह पर इतना नहीं था जितना राहुल गांधी पर था. शायद उन की रणनीति थी कि यदि राहुल गांधी को लगातार निशाने पर रखा जाएगा तो वह घबरा कर मैदान छोड़ जाएंगे. अफसोस यह है कि हिंदू समाज के सुधारकों की तरह राहुल गांधी भी कट्टरपंथियों का मुकाबला करते रहे.

पार्टियों में लोकतंत्र एक आदर्श व्यवस्था है पर दुनिया भर में इस के नुकसान भी हुए हैं. आज अमेरिका में इस आंतरिक लोकतंत्र के कारण न डैमोक्रेटिक पार्टी में न रिपब्लिकन पार्टी में सही नेतृत्व है. इंग्लैंड की कंजर्वेटिव पार्टी व लेबर पार्टी दोनों नेताओं के अभाव से मस्त हैं. फ्रांस को एक नए नवेले राष्ट्रपति और उस की नई नवेली पार्टी से काम चलाना पड़ रहा है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल की धाक यूरोप व अमेरिका की राजधानियों में है पर वोटरों के दिलों में नहीं.

परिवारवाद आदर्श नहीं पर इस का पर्याय शायद कम है. राजनीतिक माहौल में बड़े हुए युवा सफल नेता बन जाते हैं, क्योंकि उन के सैकड़ों से संबंध होते हैं एवं भारतीय जनता पार्टी में दूसरी तीसरी पीढ़ी के दसियों नेता ऐसे हैं, जिन के पुरखे राजनीति में थे और राजनीति ही उन का मुख्य व्यवसाय है. लोकतंत्र तो परिवारों के सही लोगों को मान्यता देती है और उस पर आपत्ति करना निरर्थक सा है क्योंकि जब भी परिवार नहीं होता  ‘…… फैक्टर यानी ……..इज नो एल्टरनेटिव’ दिखने लगता है.

भारतीय जनता पार्टी की परेशानी यह है कि जैसे उस के पास आज नरेंद्र मोदी का पर्याय नहीं वैसे ही कांग्रेस के पास राहुल गांधी जैसा पर्याय क्यों है.

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