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व्हाट्सऐप ने ग्रुप एडमिन को दी ये खास पावर

व्हाट्सऐप पर लोग ग्रुप बनाकर अपने दोस्तों और परिवारों के सदस्यों के साथ बात चीत करते हैं या यूं कहे कि सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं. अगर आप भी व्हाट्सऐप ग्रुप का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए इस ऐप के बारे में यह खास बात जानना बेहद जरूरी है. फेसबुक के स्वामित्व वाला व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन को और ज्यादा ताकतवर बनाने जा रहा है. इससे अगर एडमिन चाहे तो वह ग्रुप के सदस्यों को ग्रुप में संदेश, फोटो, वीडियो, जीआईएफ, दस्तावेज और वायस मैसेजेज पोस्ट करने से रोक सकता है.

कई बार ऐसा होता है कि व्हाट्सऐप ग्रुप के सदस्य उल्टे-सीधे या फालतू के मैसेजेस या वीडियो भेजकर पूरे ग्रुप को परेशान करते हैं. इन सब से बचने के लिए ही व्हाट्सऐप ये नयी फिचर लेकर आ रहा है.

डब्ल्यूएबीटाइंफो के मुताबिक, वाट्स एप ने गूगल प्ले बीटा प्रोग्राम पर वर्जन 2.17.430 में ‘प्रतिबंधित समूह’ फीचर्स दिया है.

‘प्रतिबंधित समूह’ की सेटिंग केवल ग्रुप एडमिन ही सक्रिय कर सकता है. इसके बाद एडमिन तो ग्रुप में सामान्य तरीके से फोटो, वीडियो, चैट व अन्य चीजें भेज सकते हैं, लेकिन वह उस ग्रुप के अन्य सदस्यों को ऐसा करने से रोक सकते हैं. आपको बता दें कि इसके लिए आपको ‘प्रतिबंधित समूह’ की सेटिंग लागू करना होगा. ऐसा करते ही अन्य सदस्य ग्रुप में मैसेज को पढ़ तो सकेंगे, लेकिन कुछ भी भेज नहीं सकेंगे. उन्हें ‘मैसेज एडमिन’ का बटन दिया जाएगा, जिससे वे अपने संदेश को ग्रुप एडमिन को भेज सकते हैं, ताकि ग्रुप एडमिन उसके संदेश को पूरे ग्रुप के साथ साझा कर सकें.

इसका मतलब ये हुआ कि ग्रुप एडमिन द्वारा संदेश को स्वीकृति मिलने के बाद ही बाद ही उसे ग्रुप में साझा किया जा सकेगा. इसके अलावा व्हाट्सऐप ने आनेवाले अपडेट्स में उन्नत फीचर्स, बग फिक्स और सामान्य सुधार जारी करने की घोषणा की है.

जब जडेजा ने परिवार की हालत देख क्रिकेट छोड़ने का बना लिया था मन

कभी साधारण जीवन जीने वाले भारतीय टीम के स्टार स्पिनर रविन्द्र जडेजा आज क्रिकेट सेलिब्रिटी बन गएं हैं. उनके पास दो लग्जरी औडी कार हैं. 2016 में उन्हें 97 लाख रुपए की औडी Q 7 गिफ्ट में मिली थी. ये गिफ्ट उन्हें उनके ससुर ने शादी से पहले दिया था. जडेजा साधारण परिवार से आते हैं और उनका बचपन भी मुश्किलों में बीता, रविन्द्र जडेजा के पिता एक सिक्युरिटी गार्ड का काम किया करते थे जिसकी वजह से घर खर्च चलाना काफी मुश्किल था क्योंकि उनके पिता की तनख्वाह इतनी नही थी के वो अपने सपनो को पुरा कर पाएं.

रवींद्र जडेजा का जन्म गुजरात की एक छोटी सी जगह नवागाम में हुआ. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में सिक्युरिटी गार्ड थे, जबकि मां नर्स थीं. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण जडेजा और उनकी फैमिली के लिए क्रिकेटर बनने तक का सफर आसान नहीं रहा.

जडेजा की मां चाहती थीं कि बेटा क्रिकेटर बने. जबिक, पिता उन्हें डिफेंस में भेजना चाहते थे. जडेजा भी मां का सपना पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे, तभी अचानक 2005 में एक एक्सीडेंट में उनकी मां का निधन हो गया. इससे जडेजा इतने टूट गए थे कि क्रिकेट छोड़ने तक का मन बना लिया था.

हालांकि, बहनों के कहने पर वो खेल में लौटे और आज टीम इंडिया के स्टार औलराउंडर हैं. जडेजा की 2 बहने हैं. एक उनका रेस्टोरेंट का बिजनेस संभालती हैं.

रखते हैं दो ऑडी कार

जडेजा के कार कलेक्शन में दो औडी कार शामिल हैं, 2016 में उन्हें उनके ससुर ने औडी Q 7 गिफ्ट की थी. इसकी कीमत करीब 97 लाख रुपए है. इससे पहले से जडेजा के पास औडी Q 3 कार थी. कार के अलावा उन्हें घोड़ों का भी शौक है. जडेजा के फौर्म हाउस में कई शानदार घोड़े हैं.

ऐसा शुरू हुआ क्रिकेट करियर

जडेजा को 2002 में पहली बार सौराष्ट्र की अंडर-14 टीम में खेलने का मौका मिला. महाराष्ट्र के खिलाफ पहले ही मैच में उन्होंने 87 रन बनाए और 4 विकेट भी झटक लिए. 15 साल की उम्र में ही वो सौराष्ट्र की अंडर-19 टीम में आ गए थे. इसी फौर्मेट में उन्होंने अपने करियर की पहली सेन्चुरी भी लगाई थी.

विराट के साथ खेला वर्ल्ड कप

दिसंबर, 2005 में उन्होंने कई अच्छी परफौर्मेंस के बाद वर्ल्ड कप अंडर-19 टीम में जगह बना ली. यहां जडेजा ने पहले औस्ट्रेलिया (चार विकेट) और फिर पाकिस्तान (तीन विकेट) के खिलाफ जबरदस्त परफौर्मेंस दी.

2008 में भी जडेजा अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम के मेंबर थे, जिसके कप्तान विराट कोहली थे. ये टीम वर्ल्ड कप चैम्पियन रही थी, टूर्नामेंट में जडेजा ने 10 विकेट लिए थे. फरवरी, 2009 में उन्हें टीम इंडिया के लिए वनडे और फिर टी20 खेलने का मौका मिला. जडेजा ने 2012 में टेस्ट डेब्यू किया था.

ट्विटर से नहीं जनता की भावनाओं से सिद्ध होती है लोकप्रियता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर सब से ज्यादा लोग भारत में फोलो करते हैं और सब से अधिक 10 में से बाकी 9 एक्टर और खिलाड़ी हैं. यह संयोग ही नहीं है ट्विटर जो खाली बैठे लोगों का खेल है वहां नरेंद्र मोदी एक्टरों और क्रिकेटरों की गिनती में आते हैं. ट्विटर पर फोलो करने वाले आमतौर पर वे लोग हैं जिन्हें सुबह से शाम काम की फिक्र कम और मोबाइल पर बटन दबाने की चिंता ज्यादा होती है. वे सितारों और खिलाड़ियों के साथ जुड़ कर समय बर्बाद कर फालतू में ही खुश होते हैं.

देश का प्रधानमंत्री अपनी लोकप्रियता ट्विटर से नहीं जनता की भावनाओं से सिद्ध करता है. जिस प्रधानमंत्री के फैसलों से जनता खुश होती है वहां खुदबखुद पता चल जाता है. वहां विपक्ष में बैठे लोग भी आदर व सम्मान करते हैं. शाहरूख खान और अक्षय कुमार किसी की जिंदगी पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ते, प्रधानमंत्री का हर कदम, हर फैसला, हर वक्त कभी कुछ की तो कभी पूरे देश की जिंदगी बदल देता है.

ट्विटर अगर सफलता का पैमाना होता तो 10 में से बाकी 9 के भी कुछ करने का असर पूरे देश पर पड़ता, पर सच यह है कि विराट कोहली हो या दीपिका पादुकोण, इन के कुछ भी करने से देश का एक पत्ता नहीं हिलता. ये स्क्रीन या स्टेडियम पर कुछ भी कर लें, देश में उन के कहने करने से न सड़कें बनती हैं, न न्याय मिलता है, न विकास होता है. क्या जनता 10 वें को भी ऐसा ही समझती है?

फिल्म ‘कालाकांडी’ का ट्रेलर लौंच, अजीबोगरीब लुक में हैं सैफ अली खान

सैफ अली खान की फिल्म ‘कालाकांडी’ का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. फिल्म की कहानी मुंबई में रहने वाले 6 किरदारों की है जोकि आपको शहर के डार्क, उपेक्षित समाज से रुबरु करवाएंगे. अक्षत वर्मा के निर्देशन में बनी यह फिल्म 12 जनवरी को रिलीज होगी.

अक्षत इससे पहले डेल्ही बेली लिख चुके हैं. फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत में दिखाया जाता हैं कि सैफ एक डौक्टर के साथ बैठे हैं और वो उन्हें बताता है कि उन्हें पेट का कैंसर हो गया है. इसके बाद डौक्टर सलाह देता है कि अब अपनी जिंदगी खुलकर जियो.

सैफ को खुश करती है डौक्टर की यह बात की जो कुछ आपको खुश करता है उसे करो. इसके बाद कहानी में दीपक डोबरियाल और विजय राज की एंट्री होती है जिन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने का लालच होता है.

इसके बाद शोभिता धुलिपाला और कुणाल रौय कपूर का प्यार और अक्षय ओबरौय का लस्ट देखने को मिलता है. ट्रेलर आपको कहीं-कही पर डेल्ही बेली की याद दिलाएगा. शुरुआत के 20 सेकेंड से ही ट्रेलर आपको इसे आखिरी तक देखने के लिए बांधे रखेगा.

सेक्स वर्कर के साथ बातचीत से लेकर इमरान हाशमी की किस को लेकर बातचीत तक ट्रेलर एक एडवेंचर ट्रिप पर आपको ले जाएगा. सैफ का अजीब हेयरस्टाइल और पीले फर वाला लुक आपके मन में फिल्म के प्रति जिज्ञासा पैदा करता है. इससे पहले फिल्म को लेकर रंगून स्टार ने कहा था- मैं सच में इसे अपनी बेस्ट फिल्मों में से एक मानता हूं और मैं इसकी रिलीज का इंतजार कर रहा हूं.

सैफ अली खान की फिल्म ‘कालाकांडी’ का ट्रेलर बुधवार को रिलीज किया गया. फिल्म में सैफ का लुक बिल्कुल अलग नजर आ रहा है. सैफ के बालों में कई रबड बैंड लगे हैं और कई चोटियां भी बंधी हैं.

इस डार्क थ्रिलिंग कौमिडी फिल्म के बारे में सैफ ने कहा है कि यह काफी मजेदार फिल्म है और वह इसका हिस्सा बनकर काफी खुश हैं. वहीं, उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर अक्षत वर्मा के बारे में कहा कि अक्षत ने फिल्म को बेहतरीन तरीके से बनाया है. मुंबई बेहद खूबसूरत शहर है और उन्होंने इसे उतनी ही खूबसूरती से दिखाया है.

इससे पहले सर्टिफिकेट के लिए फिल्म को सेंसर बोर्ड के पास भेजा गया था जिसने इसपर 70 से ज्यादा कट्स लगाने का निर्देश दिया था.

सरकार की तानाशाही : अब बैंक में जमा खुद का पैसा नही निकाल पाएंगे आप

केंद्र सरकार एक ऐसा बिल लेकर आ रही है जो यदि पास हो गया तो आपके बैंक में जमा पैसे पर आपका हक खत्म हो सकता है. बिल के मुताबिक, बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में उस बैंक में जमा आपकी लाखों की रकम आप खुद ही नहीं निकाल सकेंगे.

सरकार ने फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल 2017 का मसौदा तैयार कर लिया है. इसे इसी शीत सत्र में संसद में रखा जा सकता है और अगर ये बिल पास हो गया तो बैंकिंग व्यवस्था के साथ-साथ आपके लिए कई चीजें बदल जाएंगी.

क्या है एफआरडीआई बिल?

फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस बिल (एफआरडीआई बिल) वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिए बनाया गया है. जब भी कोई बैंक अपना कारोबार करने में सक्षम नहीं होगा और वह अपने पास जमा आम लोगों के पैसे लौटा नहीं पाएगा, तो एफआरडीआई बिल बैंक को इस संकट से उभारने में मदद करेगा. किसी भी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और अन्य वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने की स्थिकति में उसे इस संकट से उभारने के लिए यह कानून लाया जा रहा है.

क्या है बिल को लेकर सबसे बड़ा सवाल?

फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल 2017 को लेकर सबसे बड़ा सवाल बैंकों में रखे आपके पैसे को लेकर है. यह बिल बैंक को अधिकार देता है कि वह अपनी वित्तीय स्थ‍िति बिगड़ने पर आपका जमा पैसा लौटाने से इनकार कर दे और इसके बदले आपको बौन्ड, सिक्योरिटीज और शेयर दे दे.

आम आदमी के लिए क्यों है चिंता?

एफआरडीआई कानून में ‘बेल इन’ का एक प्रस्ताव दिया गया है. अगर इस प्रस्ताव को इसी लिहाज से लागू किया जाता है, तो बैंक में रखे आपके पैसों पर आपसे ज्यादा बैंक का अधिकार होगा. बैंकों को एक खास अधिकार मिलेगा, जिसमें बैंक अगर चाहे तो खराब वित्तीय स्थ‍िति का हवाला देकर आपके पैसे लौटाने से इनकार कर सकते हैं.

क्या होता है बेल-इन?

बेल-इन का साधारण शब्दों में मतलब है कि अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं की जेब से करना. इस बिल में यह प्रस्ताव आने से बैंकों को भी यह अधिकार मिल जाएगा. जब उन्हें लगेगा कि वे संकट में हैं और उन्हें इसकी भरपाई करने की जरूरत है, तो वह आम आदमी के जमा पैसों का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे. इस मामले में सबसे डरावनी बात यह है कि बैंक आपको ये पैसे देने से इनकार भी कर सकते हैं.

सरकार की सफाई

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह परिभाषित करने के लिए कहा है, जो फिलहाल तैयार मसौदे में नहीं है. उन्होंने कहा कि अभी इसमें काफी बदलाव किए जा सकते हैं. इसको लेकर आम लोगों से सुझाव भी मांगे जाएंगे. जेटली ने इस खबर के फैलने पर सफाई देते हुए ट्वीट किया कि विधेयक स्थायी समिति के समक्ष लंबित है. वित्तीय संस्थानों तथा जमाकर्ताओं के हितों का पूर्ण संरक्षण करना ही सरकार का उद्देश्य है और सरकार इसको लेकर प्रतिबद्ध है.

अभी क्या है व्यवस्था?

मौजूदा समय में जो नियम-कानून हैं, उसके मुताबिक अगर कोई बैंक या वित्तीय संस्थान दिवालिया होता है तो जनता को एक लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है. 1960 से ही इसके लिए रिजर्व बैंक औफ इंडिया के अधीन ‘डिपौजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कौरपोरेशन’ काम कर रहा है. एफआरडीआई बिल 2017 आने से सारे अधिकार वित्त पुनर्संरचना निगम को मिल जाएंगे. बैंक या वित्तीय संस्थान के दिवालिए होने की सूरत में निगम ही ये फैसला करेगा कि जमाकर्ता को मुआवजा दिया जाए या नहीं और अगर दिया जाए तो कितना?

ऐसे समझिए क्या है नियम

अगर किसी बैंक में आप ने 5 लाख रुपए रखे हैं. किसी वजह से वह बैंक दिवालिया हो जाता है. वह जमाकर्ताओं के पैसे चुकाने की स्थ‍िति में नहीं रहता है, तो ऐसी स्थिति में भी उसे कम से कम 1 लाख रुपए आपको देने ही होंगे. हालांकि, 1 लाख से ज्यादा जितनी भी रकम होगी, उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.

फिलहाल नए बिल में नहीं है नियम

एफआरडीआई अगर कानून बनता है, तो डिपौजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कौरपोरेशन का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. इसकी जगह रेजोल्यूशन कौरपोरेशन ले लेगी. यह समिति वित्त मंत्रालय के अधीन काम करेगी. यह समिति ही तय करेगी कि बैंकों के दिवालिया होने की स्थ‍िति में बैंक में रखी आपकी कितनी रकम सुरक्ष‍ित रहेगी.

क्या आपका इंटरनल स्टोरेज फुल हो गया है, ऐसे करें स्टोरेज फ्री

अपने स्मार्टफोन में जब आप कुछ इंस्टौल करने की कोशिश कर रहे होते हैं और उस समय आपको पता चले कि फोन की इंटरनल मैमोरी फुल हो गई है. उस वक्त आपको समझ नहीं आता कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं. आप मैमोरी खाली करने की सोचते हैं, लेकिन कुछ ऐसी ऐप होती हैं जिन्हें रखना आपके लिए बहुत जरूरी होता है और इंटरनल मैमोरी खाली नहीं कर पाते हैं. आइए जानते हैं कैसे आप अपने फोन में स्पेस बना सकते हैं.

कैशे को करें क्लियर

स्पेस बनाने के लिए आपको कैशे क्लियर करना होगा. कैशे क्लियर करना एक सुरक्षित और आसान तरीका है, जिसकी मदद से आप फोन में जगह बना सकते हैं. इसके लिए आपको सेटिंग्स में जाकर ऐप और फिर ऐप में जाकर उसमें दिए क्लियर कैशे पर क्लिक करना होगा. इससे आपके फोन में काफी स्पेस खाली हो जाएगा.

गूगल ड्राइव का इस्तेमाल करें

गूगल ड्राइव आपको अनलिमिटेड फोटो सेव करने में मदद करता है. जिसका मतलब यह है कि आप अपने एंड्रौयड फोन से लिए गए सब फोटो को गूगल ड्राइव में सेव कर सकते है. आप जब भी इन फोटो का बैकअप ले लेते है, तब आप अपने फोन से फोटो को डिलीट कर स्पेस फ्री कर सकते है.

औनलाइन म्यूजिक सुने

किसी भी स्मार्टफोन यूजर के मोबाइल में सबसे ज्यादा कोई चीज स्पेस लेती है, तो वो है म्यूजिक और वीडियो. इस समस्या से निपटने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपने स्मार्टफोन में म्यूजिक और वीडियो डाउनलोड करने के बजाय उन्हें औनलाइन सुन या देख सकते हैं. वहीं, आज कल सावन, गाना और हंगामा जैसे कई ऐप्लिकेशन हैं जो आपके लिए औफलाइन म्यूजिक स्टोर करती हैं और यह म्यूजिक फोन की मैमोरी में स्टोर नहीं होते और इससे मैमोरी खाली रहती है.

ऐप्लिकेशन अनइंस्टौल करें

आपके फोन में कई ऐसे ऐप्लिकेशन होते हैं जिनका आप इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन फोन में पड़े होते हैं. ऐसे में आप उन एप्लिकेशन को अनइंस्टौल कर सकते हैं. यदि अनइंस्टौल नहीं हो रहा है तो आप उसे डिसेबल भी कर सकते हैं.

माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल करें

सबसे आखिरी और अच्छा तरीका माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल करना है. स्मार्टफोन यूजर्स मैमोरी की समस्या से निपटने के लिए एक माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आपके फोन में माइक्रोएसडी कार्ड लगाने के लिए स्लौट दिया गया है, तो आप बड़ी ही आसानी से ऐप्स को इसमें मूव कर सकते हैं. ऐप्स को मूव करने के लिए आपको सेटिंग्स में जाना होगा, फिर ऐप सेक्शन में ऐप को सिलेक्ट करना है. इसके बाद आपको अगर ऐप मूव का औप्शन मिल रहा है, तो इस पर क्लिक करें.

प्रियंका चोपड़ा संग इस अदाकारा ने जीता ‘एशिया की सबसे सेक्सी महिला’ का खिताब

इस साल बौलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा को ‘एशिया की सबसे सेक्सी महिला’ का खिताब दिया गया है. उन्होंने एक नया रिकार्ड बनाते हुए पांचवी बार ‘एशिया की सबसे सेक्सी महिला’ के टाइटल को हासिल किया है.

दरअसल, क्वांटिको फेम एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को ब्रिटेन में एक सालाना चुनाव में एशिया की सबसे सेक्सी महिला माना गया है. यह चुनाव लंदन के साप्ताहिक समाचारपत्र ईस्टर्न आई द्वारा कराया गया. यह चुनाव आनलाइन सर्वे के द्वारा किया गया था.

’50 सेक्सिएस्ट एशियन वुमन’ चुनाव में प्रियंका चोपड़ा ने दीपिका पादुकोण और कैटरीना को पछाड़ कर शीर्ष स्थान को हासिल कर लिया है. जबकि साल 2016 में दीपिका पादुकोण को यह टाइटल मिला था. बता दे कि प्रियंका ने रिकार्ड बनाते हुए पांचवी बार इस टाइटल को अपने नाम किया है.

प्रियंका चोपड़ा ने इस आनलाइन सर्वे में उनके लिए वोट करने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘ मैं इसका क्रेडिट नहीं ले सकती हूं. इसका क्रेडिट मेरे जेनेटिक्स और आपकी नजर को जाता है.’ आगे उन्होंने कहा, ‘ मैं इसके लिए आप सभी की आभारी हूं और मेरे लिए आगे भी इस खिताब को बनाए रखना महत्वपूर्ण है.’

‘ईस्टर्न आई’ के एंटरटेनमेंट एडिटर और ’50 सेक्सिएस्ट एशियन वुमन’ के संस्थापक असजाद नजीर ने चोपड़ा को ‘ सुंदर, दिमाग वाली, बहादुर और अच्छी दिल’ वाली महिला का मिश्रण बताया है.

प्रियंका चोपड़ा के अलावा इस सर्वे में भारत की छोटे पर्दे की स्टार निया शर्मा ने भी बाजी मार ली है जी हां, टीवी सीरियल ‘जमाई राजा’ की ‘रोशनी’ यानि निया शर्मा बौलीवुड की कई हसीनाओं को पछाड़ कर एशिया की सबसे सेक्सी औरतों में दूसरे स्थान पर रहीं. ब्रिटेन के अखबार ने 25 साल की इस अभिनेत्री को बौलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना, कैफ आलिया भट्ट और सोनम कपूर से भी ज्यादा सेक्सी करार दिया है.

ये खिताब पाने के बाद निया शर्मा ने कहा, ”मैं सेक्सी और खूबसूरत पैदा नहीं हुई थी. पिछले पांच सालों में मैंने अपने लुक के ऊपर काफी ध्यान दिया है. मैंने अपने आपको काफी बदला है और अपने लुक पर इतना ध्यान देना कोई बुरी बात नहीं है.’ निया ने कहा है कि अब वह प्रियंका चोपड़ा जैसी ऊंचाई तक पहुंचने का साहस कर सकती हैं.

इस सूची में दीपिका पादुकोण तीसरे स्थान, आलिया भट्ट चौथे स्थान और पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान पांचवें स्थान पर हैं. वहीं, इस सूची में कैटरीना कैफ का स्थान सातवां और श्रद्धा कपूर का स्थान आठवां है.

इजरायल की राजधानी बदलने का क्या होगा असर

दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक येरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की मंशा जाहिर करके अमेरिका ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है. इसे लेकर दुनिया भर से जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वे काफी तीखी हैं. कुछ देर के लिए अगर पश्चिम एशिया के देशों को छोड़ भी दें, तो फ्रांस जैसे नाटो में उसके सहयोगी देश ने भी इस मंशा का खुला विरोध किया है. बाकी दुनिया भी इसे लेकर काफी असहज दिख रही है.

यह लगभग तय माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है, तो पश्चिम एशिया एक बार फिर बड़ी अशांति की ओर बढ़ने लगेगा. बेशक इससे इजरायल और यहूदी विश्व को किसी तरह की मानसिक संतुष्टि मिले, लेकिन इससे इजरायल की मुश्किलें भी बढ़ेंगी ही. फलस्तीनी उग्रवाद का तेवर और तीखा होना तो तय ही है, कई क्षेत्रीय समीकरण भी बदल जाएंगे.

तुर्की ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर ऐसा होता है, तो वह इजरायल से रिश्ते तोड़ लेगा, पूरी संभावना है कि जल्द ही मिस्र भी शायद यही करे. पश्चिम एशिया में यही दो देश हैं, जिनके इजरायल से कहने लायक कुछ रिश्ते हैं, बाकी से तो बाकायदा उसकी दुश्मनी ही है.

येरुशलम ऐसा शहर है, जो यहूदी, ईसाई और मुस्लिम, तीनों धर्मो का पवित्र स्थान माना जाता है. यह शहर तीनों धर्मो की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है और तीनों के ही बड़े तीर्थस्थल यहां पर हैं. यही वजह है कि 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र ने फलस्तीन को दो हिस्सों में बांटकर इजरायल बनाने का प्रस्ताव पास किया, तो येरुशलम को इससे अलग स्वतंत्र दर्जा दिया गया. लेकिन एक साल बाद ही हुए अरब युद्ध में इजरायल ने इस शहर के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया. यह शहर ऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से इजरायल के लिए महत्वपूर्ण था, इसलिए इस हिस्से को उसने राजधानी के रूप में न केवल विकसित किया, बल्कि अपना ज्यादातर सरकारी कामकाज यहीं से शुरू कर दिया. हालांकि दुनिया के ज्यादातर मुल्कों ने कभी इसको मान्यता नहीं दी और इजरायल की राजधानी के रूप में तेल अवीव को ही अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलती रही.

दूसरी ओर, फलस्तीनी लोग यह मानते हैं कि जब उन्हें उनका अलग देश मिलेगा, तो वे येरुशलम के पूर्वी हिस्से को ही अपनी राजधानी बनाएंगे. इस बीच 1995 में अमेरिकी संसद ने एक प्रस्ताव पास कर दिया कि अमेरिका को अपना दूतावास तेल अवीव से हटाकर येरुशलम में बनाना चाहिए. हालांकि इसके सवा दो दशक बाद भी अमेरिकी विदेश नीति यही कहती रही कि येरुशलम पर अंतिम फैसला दोनों पक्षों की आपसी सहमति से ही निकाला जाएगा. इसलिए येरुशलम का मसला जहां का तहां ही रहा. अब अमेरिका राय बदलता है, तो यह यथास्थिति फिर बुरी तरह से डांवाडोल हो जाएगी.

बहुत से देश ऐसे हैं, जिन्हें इस पर कड़ी आपत्ति होगी कि येरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाया जाए. ऐसे भी कई देश हैं, जिनकी आपत्ति इस पर है कि इससे ठंडी होती दिख रही आग फिर से भड़क उठेगी. भारत समेत इन देशों का सैद्धांतिक रुख यह है कि इस तरह के विवाद आपसी बातचीत और सहयोग से निपटाए जाने चाहिए. लेकिन अमेरिका इसका रुख अपनी राजनयिक ताकत से बदल रहा है.

इजरायल ही नहीं, यह पूरी दुनिया जानती है कि अगर अमेरिका का दूतावास तेल अवीव से येरुशलम में स्थानांतरित हो जाता है, तो उसे ही इजरायल की औपचारिक राजधानी का दर्जा मिल जाएगा. अमेरिका के मान्यता देते ही पश्चिम के कुछ देश भी इसी रास्ते को अपनाएंगे और तेल अवीव में बाकी बचे दूतावास मुख्यधारा से कटे हुए दिखाई देंगे. पर असल समस्या इससे भड़कने वाली आग की है.

यूपीए की अध्यक्ष बनी रह सकती हैं सोनिया गांधी..!

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद भी मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी मार्गदर्शन करती रहेंगी. अगले सप्ताह औपचारिक रूप से राहुल के अध्यक्ष बनने के बावजूद सोनिया कांग्रेस संसदीय दल और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष बनी रह सकती हैं.

पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए राहुल गांधी के नामांकन के बाद सोनिया की अगली भूमिका को लेकर कयास लगने लगे हैं. पार्टी का एक बड़ा तबका मानता है कि मौजूदा राजनीति परिस्थितियों में सोनिया की भूमिका काफी अहम है. क्योंकि, वह लंबे वक्त से यूपीए की अगुवाई करती रही हैं. सभी पार्टियों के नेता उनका सम्मान करते हैं.

सबसे लंबे वक्त तक कांग्रेस की अध्यक्ष रही सोनिया के कांग्रेस कार्यसमिति में संरक्षक का पद इजाद करने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि शायद सोनिया सीधे तौर पर पार्टी के अंदर कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाएंगी. लेकिन कांग्रेस संसदीय दल और यूपीए के अध्यक्ष के तौर हो सकता है, वह अपनी जिम्मेदारियों को अंजाम देती रहे.

इस बीच, राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया की भूमिका क्या होगी, इस पर सीधे तौर पर कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम समझते हैं कि उनका मार्गदर्शन हमेशा हमें मिलता रहेगा. कुछ दिन पहले पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता एम. वीरप्पा मोइली ने कहा था कि राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद भी सोनिया गांधी की भूमिका रहेगी. पार्टी को हमेशा उनका मार्गदर्शन मिलता रहेगा.

लोकसभा चुनाव से पहले यानी अगले डेढ साल में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और ओडिशा सहित 12 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. इसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटी हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा कि सोनिया के सभी विपक्षी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम होगी.

पिता का हत्यारा पुत्र : ये कहानी पढ़ना हम सब के लिए जरूरी है

15 जून, 2017 की रात 10 बजे रिटायर्ड एएसआई मदनलाल   अपने घर वालों से यह कह कर मोटरसाइकिल ले निकले थे कि दरवाजा बंद कर लें, वह थोड़ी देर में वापस आ रहे हैं. लेकिन वह गए तो लौट कर नहीं आए. उन के वापस न आने से घर वालों को चिंता हुई. 65 वर्षीय मदनलाल पंजाब के जिला होशियारपुर राज्यमार्ग पर शामचौरासी-पंडोरी लिंक रोड पर स्थित थाना बुल्लेवाल के गांव लंबेकाने के रहने वाले थे.

मदनलाल सीआईएसएफ से लगभग 5 साल पहले रिटायर हुए थे. उन्हें पेंशन के रूप में एक मोटी रकम तो मिलती ही थी, इस के अलावा उन के 3 बेटे विदेश में रह कर कमा रहे थे. इसलिए उन की गिनती गांव के संपन्न लोगों में होती थी. उन के पास खेती की भी 8 किल्ला जमीन थी.

मदनलाल के परिवार में पत्नी निर्मल कौर के अलावा 3 बेटे दीपक सिंह उर्फ राजू, प्रिंसपाल सिंह, संदीप सिंह और एक बेटी थी, जो बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. दीपक और प्रिंसपाल कुवैत में रहते थे, जबकि संदीप ग्रीस में रहता था. उन के चारों बच्चों में से अभी एक की भी शादी नहीं हुई थी. बेटे कमा ही रहे थे, इसलिए मदनलाल को अब जरा भी चिंता नहीं थी.

मदनलाल सुबह जल्दी और रात में अपने खेतों का चक्कर जरूर लगाते थे. उस दिन भी 10 बजे वह अपने खेतों का चक्कर लगाने गए थे, लेकिन लौट कर नहीं आए थे. उन का बेटा दीपक एक सप्ताह पहले ही 8 जून को एक महीने की छुट्टी ले कर घर आया था.

सुबह जब दीपक को पिता के रात को घर न लौटने की जानकारी हुई तो वह मां निर्मल कौर के साथ उन की तलाश में खेतों पर पहुंचा. दरअसल उन्हें चिंता इस बात की थी कि रात में पिता कहीं मोटरसाइकिल से गिर न गए हों और उठ न पाने की वजह से वहीं पड़े हों.

खेतों पर काम करने वाले मजदूरों ने जब बताया कि वह रात को खेतों पर आए ही नहीं थे तो मांबेटे परेशान हो गए. वे सोचने लगे कि अगर मदनलाल खेतों पर नहीं गए तो फिर गए कहां? निर्मल कौर कुछ ज्यादा ही परेशान थीं. दीपक ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘मां, तुम बेकार ही परेशान हो रही हो. तुम्हें तो पता ही है कि वह अपनी मरजी के मालिक हैं. हो सकता है, किसी दोस्त के यहां या फिर बगल वाले गांव में चाचाजी के यहां चले गए हों?’’

जबकि सच्चाई यह थी कि दीपक खुद भी पिता के लिए परेशान था. जब खेतों पर मदनलाल के बारे में कुछ पता नहीं चला तो वह मां के साथ घर की ओर चल पड़ा. रास्ते में उसे बगल के गांव में रहने वाले चाचा ओंकार सिंह और हरदीप मिल गए. उन के मिलने से पता चला कि मदनलाल उन के यहां भी नहीं गए थे. सभी मदनलाल के बारे में पता करते हुए शामचौरासी-पंडोरी फांगुडि़या लिंक रोड के पास पहुंचे तो वहां उन्होंने एक जगह भीड़ लगी देखी. सभी सोच रहे थे कि आखिर वहां क्यों लगी है, तभी किसी ने आ कर बताया कि वहां सड़क पर मदनलाल की लाश पड़ी है. यह पता चलते ही सभी भाग कर वहां पहुंचे. सचमुच वहां खून से लथपथ मदनलाल की लाश पड़ी थी. लाश देख कर सभी सन्न रह गए. मदनलाल के सिर, गरदन, दोनों टांगों और बाजू पर तेजधार हथियार के गहरे घाव थे.

इस घटना की सूचना तुरंत थाना बुल्लेवाल पुलिस को दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुखविंदर सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. भीड़ को किनारे कर के उन्होंने लाश का मुआयना किया. इस के बाद अधिकारियों को घटना की सूचना दे कर क्राइम टीम और एंबुलेंस बुलवा ली. उन्हीं की सूचना पर डीएसपी स्पैशल ब्रांच हरजिंदर सिंह भी घटनास्थल पर आ पहुंचे.

मामला एक रिटायर एएसआई की हत्या का था, इसलिए एसपी अमरीक सिंह भी आ पहुंचे थे. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण कर दिशानिर्देश दे कर पुलिस अधिकारी चले गए. मृतक मदनलाल का परिवार मौके पर मौजूद था, इसलिए सुखविंदर सिंह ने उन की पत्नी निर्मल कौर और बेटे दीपक से पूछताछ की. इस के बाद निर्मल कौर के बयान के आधार पर मदनलाल की हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 80/2017 पर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

मृतक मदनलाल की पत्नी और बेटे दीपक ने शुरुआती पूछताछ में जो बताया था, उस से हत्यारों तक बिलकुल नहीं पहुंचा जा सकता था. पूछताछ में पता चला था कि मदनलाल की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. गांव वाले उन का काफी सम्मान करते थे. इस की वजह यह थी कि वह हर किसी की परेशानी में खड़े रहते थे. अब तक मिली जानकारी में पुलिस को कोई ऐसी वजह नजर नहीं आ रही थी कि कोई उन की हत्या करता.

इस मामले में लूट की भी कोई संभावना नहीं थी. वह घर में पहनने वाले कपड़ों में थे और मोटरसाइकिल भी लाश के पास ही पड़ी मिली थी. गांव वालों से भी पूछताछ में सुखविंदर सिंह के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. घर वालों ने जो बता दिया था, उस से अधिक कुछ बताने को तैयार नहीं थे.

चूंकि यह एक पुलिस वाले की हत्या का मामला था, इसलिए इस मामले पर एसएसपी हरचरण सिंह की भी नजर थी. 24 घंटे बीत जाने के बाद भी जब कोई नतीजा सामने नहीं आया तो उन्होंने डीएसपी हरजिंदर सिंह के नेतृत्व में एक स्पैशल टीम का गठन कर दिया, जिस में थानाप्रभारी सुखविंदर सिंह के अलावा सीआईए स्टाफ इंचार्ज सतनाम सिंह को भी शामिल किया था.

टीम ने नए एंगल से जांच शुरू की. सुखविंदर सिंह ने अपने मुखबिरों को मदनलाल के घरपरिवार के बारे में पता लगाने के लिए लगा दिया था. इस के अलावा मदनलाल के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स भी निकलवाई गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तलवार जैसे किसी हथियार से गले पर लगे घाव की वजह से सांस नली कट गई थी, जिस से उन की मौत हो गई थी. इस के अलावा शरीर पर 8 अन्य गंभीर घाव थे. पोस्टमार्टम के बाद लाश मिलते ही घर वालों ने उस का अंतिम संस्कार कर दिया था.

मुखबिरों से सुखविंदर सिंह को जो खबर मिली, वह चौंकाने वाली थी. मुखबिरों के बताए अनुसार, मृतक के घर में हर समय क्लेश रहता था. घरपरिवार में जैसा माहौल होना चाहिए था, मृतक के घरपरिवार में बिलकुल नहीं था. ऐसा एक भी दिन नहीं होता था, जिस दिन पतिपत्नी में मारपीट न होती रही हो. मदनलाल पत्नी ही नहीं, जवान बेटी को भी लगभग रोज मारतापीटता था.

सुखविंदर सिंह ने सारी बातें एसएसपी और एसपी को बता कर आगे के लिए दिशानिर्देश मांगे. अधिकारियों के ही निर्देश पर सुखविंदर सिंह और सीआईए स्टाफ इंचार्ज सतनाम सिंह ने गांव जा कर मृतक के घर वालों से एक बार फिर अलगअलग पूछताछ की. घर वालों ने इन बातों को झूठा बता कर ऐसेऐसे किस्से सुनाए कि पूछताछ करने गए सुखविंदर सिंह और सतनाम सिंह को यही लगा कि शायद मुखबिर को ही झूठी खबर मिली है.

लेकिन मदनलाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स आई तो निराश हो चुकी पुलिस को आशा की एक किरण दिखाई दी. काल डिटेल्स के अनुसार, 15 जून की रात पौने 10 बजे मदनलाल को उन के बेटे दीपक ने फोन किया था. जबकि दीपक ने पूछताछ में ऐसी कोई बात नहीं बताई थी. इस का मतलब था कि घर वालों ने झूठ बोला था और वे कोई बात छिपाने की कोशिश कर रहे थे.

एसएसपी और एसपी से निर्देश ले कर सुखविंदर सिंह और सतनाम सिंह ने डीएसपी हरजिंदर सिंह की उपस्थिति में मदनलाल के पूरे परिवार को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. तीनों से अलगअलग पूछताछ शुरू हुई. दीपक से जब पिता को फोन करने के बारे में पूछा गया तो उस ने साफ मना करते हुए कहा, ‘‘सर, आप लोगों को गलतफहमी हो रही है. उस रात मैं घर पर ही नहीं था. एक जरूरी काम से मैं होशियारपुर गया हुआ था. अगर मैं गांव में होता तो पापा को खेतों पर जाने ही न देता.’’

‘‘हम वह सब नहीं पूछ रहे हैं, जो तुम हमें बता रहे हो. मैं यह जानना चाहता हूं कि तुम ने उस रात अपने पिता को फोन किया था या नहीं?’’ सुखविंदर सिंह ने पूछा.

‘‘आप भी कमाल करते हैं साहब, मेरे पापा की हत्या हुई है और आप कातिलों को पकड़ने के बजाय हमें ही थाने बुला कर परेशान कर रहे हैं.’’ दीपक ने खड़े होते हुए कहा, ‘‘अब मैं आप के किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझता. मैं अपनी मां और बहन को ले कर घर जा रहा हूं. कल मैं आप लोगों की शिकायत एसपी साहब से करूंगा. आप ने मुझे समझ क्या रखा है. मैं भी एक पुलिस अधिकारी का बेटा और एनआरआई हूं.’’

दीपक की धमकी सुन कर एकबारगी तो पुलिस अधिकारी खामोश रह गए. लेकिन डीएसपी साहब ने इशारा किया तो दीपक को अलग ले जा कर थोड़ी सख्ती से पूछताछ की गई. फिर तो उस ने जो बताया, सुन कर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. पता चला, घर वालों ने ही सुपारी दे कर मदनलाल की हत्या करवाई थी, जिस में मदनलाल की निर्मल कौर ही नहीं, विदेश में रह रहे उस के दोनों बेटे भी शामिल थे. इस तरह 72 घंटे में इस केस का खुलासा हो गया.

पुलिस ने दीपक और उस की मां निर्मल कौर को हिरासत में ले लिया. अगले दिन दोनों को अदालत में पेश कर के विस्तार से पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि के दौरान सब से पहले दीपक की निशानदेही पर इस हत्याकांड में शामिल 2 अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापा मारा गया.

इस छापेमारी में अहिराना कला-मोहितयाना निवासी सतपाल के बेटे सुखदीप को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन दूसरा अभियुक्त सोहनलाल का बेटा रछपाल फरार हो गया. तीनों अभियुक्तों से पूछताछ में मदनलाल की हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

यह बात सही थी कि मदनलाल का परिवार रुपएपैसे से काफी सुखी था, लेकिन यह बात भी सही है कि रुपएपैसे से इंसान को वह सुख नहीं मिलता, जिस के लिए वह जीवन भर भागता रहता है. ऐसा ही कुछ मदनलाल के घर भी था. 5 साल पहले रिटायर हो कर वह अपने घर आए तो 2 साल तो बहुत अच्छे से गुजरे. घर का माहौल भी काफी अच्छा रहा.

लेकिन अचानक न जाने क्या हुआ कि मदनलाल डिप्रेशन में रहने लगे. धीरेधीरे उन की यह बीमारी बढ़ती गई. फिर एक समय ऐसा आ गया, जब छोटीछोटी बातों पर वह उत्तेजित हो उठते और आपे से बाहर हो कर घर वालों से मारपीट करने लगते. इस में हैरानी वाली बात यह थी कि मदनलाल का यह व्यवहार केवल घर वालों तक ही सीमित था. बाहर वालों के साथ उन का व्यवहार सामान्य रहता था.

बेटे जब भी छुट्टी पर आते, पिता को समझाते. उन के रहने तक तो वह ठीक रहते, उन के जाते ही वह पहले की ही तरह व्यवहार करने लगते. मदनलाल लगभग रोज ही पत्नी और बेटी के साथ मारपीट तो करते ही थे, इस से भी ज्यादा परेशानी की बात यह थी कि वह उन्हें घर से भी निकाल देते थे. ऐसे में निर्मल कौर अपनी जवान बेटी को ले कर डरीसहमी रात में किसी के घर छिपी रहती थीं.

अपनी परेशानी निर्मल कौर फोन द्वारा बेटों को बताती रहती थीं. पिता के इस व्यवहार से विदेश में रह रहे बेटे भी परेशान रहते थे. कभीकभी की बात होती तो बरदाश्त भी की जा सकती थी, लेकिन लगभग 3 सालों से यही सिलसिला चला रहा था.

पिता सुधर जाएंगे, तीनों बेटे इस बात का इंतजार करते रहे. लेकिन सुधरने के बजाय वह दिनोंदिन बिगड़ते ही जा रहे थे. घर से हजारों मील दूर बैठे बेटे हर समय मां और बहन के लिए परेशान रहते थे. आखिर जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा तो तीनों भाइयों ने मिल कर एक खतरनाक योजना बना डाली. यह योजना थी पिता के वजूद को ही खत्म करने की.

इस योजना में निर्मल कौर भी शामिल थी. हां, बेटी जरूर मना करती रही थी, पर उसे सभी ने यह कह कर चुप करा दिया कि वह पराया धन है, उसे आज नहीं तो कल इस घर से चली जाना है. वे सब कब तक इस तरह घुटघुट कर जीते रहेंगे? कल शादियां होने पर उन की पत्नियां आएंगी, तब वे क्या करेंगे.

भाइयों का भी कहना अपनी जगह ठीक था, इसलिए बहन खामोश रह गई. अब जो करना था, दीपक और निर्मल कौर को करना था. योजना के अनुसार, 9 जून, 2017 को दीपक कुवैत से घर आ गया. घर आते ही वह अपने दोस्तों सुखदीप सिंह और रछपाल से मिला और उन्हें पिता को रास्ते से हटाने की सुपारी 2 लाख रुपए में दे दी, साथ ही यह भी वादा किया कि वह उन्हें कुवैत में सैटल करा देगा.

इस के बाद दीपक के भाई प्रिंसपाल ने कुवैत से दीपक के खाते में डेढ़ लाख रुपए भेज दिए, जिस में से दीपक ने 1 लाख रुपए सुखदीप और रछपाल को दे दिए. बाकी पैसा उस ने काम होने के बाद देने को कहा.

दीपक के दोस्तों में सुखदीप तो सीधासादा युवक था, लेकिन रछपाल पेशेवर अपराधी था. उस पर सन 2011 से दोहरे हत्याकांड का केस चल रहा है. वह इन दिनों पैरोल पर जेल से बाहर आया हुआ था.

योजना के अनुसार, 15 जून की रात 9 बजे दीपक, सुखदीप और रछपाल शामचौरासी-पंडोरी रोड पर इकट्ठा हुए. वहीं से दीपक ने मदनलाल को फोन किया, ‘‘पापाजी, मेरी गाड़ी पंडोरी के पास खराब हो गई है. आप अपनी मोटरसाइकिल ले कर आ जाइए तो मैं आप के साथ आराम से चला चलूं.’’

मदनलाल किसी समस्या की वजह से मानसिक बीमारी से जरूर परेशान थे, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं था या वह अपना भलाबुरा नहीं समझते था. वह सिर्फ निर्मल कौर को ही देख कर उत्तेजित होते थे. वह ऐसा क्यों करते थे, इस बात को जानने की कभी किसी ने कोशिश नहीं की.

बहरहाल, दीपक का फोन आने के बाद मदनलाल ने कहा कि वह चिंता न करे, मोटरसाइकिल ले कर वह पहुंच रहे हैं. जबकि उस दिन उन की तबीयत ठीक नहीं थी और वह खेतों पर भी नहीं जाना चाहते थे. पर बेटे की परेशानी सुन कर उन्होंने मोटरसाइकिल उठाई और दीपक की बताई जगह पर पहुंच गए.

दीपक, रछपाल और सुखदीप तलवारें लिए वहां छिपे बैठे थे. मदनलाल के पहुंचते ही तीनों उन पर इस तरह टूट पड़े कि उन्हें संभलने का मौका ही नहीं मिला. पलभर में ही मदनलाल सड़क पर गिर कर हमेशा के लिए शांत हो गए. इस तरह बेटे के हाथों मानसिक रूप से बीमार पिता का अंत हो गया.

मदनलाल की हत्या कर सभी अपनेअपने घर चले गए. अगले दिन दीपक ने मां के साथ मिल कर पिता को खोजने का नाटक शुरू किया. लेकिन उस का यह नाटक जल्दी ही पुलिस ने पकड़ लिया.

पुलिस ने दीपक और सुखदीप की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तलवारें बरामद कर ली थीं. निर्मल कौर और उस के कुवैत में रहने वाले बेटे प्रिंसपाल सिंह पर भी पुलिस ने धारा 120 लगाई है. रिमांड खत्म होने पर पुलिस ने निर्मल कौर, दीपक तथा सुखदीप को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. तीसरा अभियुक्त रछपाल सिंह अभी पुलिस की पहुंच से दूर है. पुलिस उस की तलाश कर रही है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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