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online hindi story : बुढ़ापे का इश्‍क

online hindi story : सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी ने लवलीन मुनरों को बांहों में भरा और एक जोरदार चुंबन उस के गाल पर जड़ा, फिर अपने होंठ उस के होंठों की तरफ बढ़ाए, तभी एक फ्लैशलाइट चमकी. दोनों ने सकपका कर सामने देखा, तभी दूसरी फ्लैशलाइट चमकी. फिर एक मोटरसाइकिल के स्टार्ट होने और तेजी से जाने की आवाज.

‘‘क्या हुआ है यह?’’ अपनेआप को सरदार साहब की बांहों से छुड़ाती लवलीन ने पूछा.

‘‘कोई शरारती फोटोग्राफर हमारी फोटो खींच कर भाग गया.’’

‘‘वह क्यों?’’ लवलीन मुनरों, जो स्थानीय विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षा में पढ़ाती थी और जिस की उम्र मात्र 22 साल थी, ने पूछा.

‘‘ब्लैकमेल करने के लिए. हमारे पास नमूने के तौर पर इन तसवीरों का एक सैट आएगा. फिर हमारे पास फोन आएगा, हम से पैसा मांगा जाएगा. पैसा नहीं देने पर इन तसवीरों को अखबारों में छपवाने व इंटरनैट पर जारी करने की धमकी दी जाएगी,’’ सरदार साहब ने विस्तार से समझाया.

‘‘इस से तो मैं बदनाम हो जाऊंगी,’’ चिंतातुर स्वर में लवलीन ने कहा.

‘‘हौसला रखो, ऐसे शरारती फोटोग्राफर, जिन को पपाराजी कहा जाता है, हर बड़े नगर में होते हैं. मुझे इन से निबटना आता है.’’

दोनों की शाम का मजा खराब हो गया था. दोनों समुद्र तट से सड़क के किनारे खड़ी गाड़ी में बैठे. कार न्यूयार्क की तरफ चल पड़ी.

सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी 60 बरस का था लेकिन तंदुरुस्ती के लिहाज से 40 साल का लगता था. वह न्यूयार्क में एक रैस्टोरेंट की शृंखला का मालिक था. वह कभी न्यूयार्क में टैक्सी चलाता था. फिर एक छोटा सा रैस्तरां खोला और धीरेधीरे तरक्की करता अब अनेक रैस्तराओं का मालिक था.

कारोबार अब दोनों बेटे देखने लगे थे. सरदार साहब के पास पैसा और समय काफी था. उस की पत्नी भी उसी की तरह 60 बरस की थी लेकिन वह एक बुढि़या नजर आती थी. वह अपना समय पोतेपोतियों को खिलाने में और घर की अन्य गतिविधियों में शिरकत कर बिताती थी. सरदारनी में यौन इच्छा नहीं रही थी लेकिन सरदार अब भी घोड़े के समान था. अपनी इच्छापूर्ति के लिए  वह कभी किसी कौलगर्ल, कभी किसी अन्य को बुलाता था. एक एजेंट के मारफत उस का संपर्क विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली अनेक श्वेतअश्वेत अमेरिकी छात्राओं से बन गया था. ऐसी बालाएं तफरीह और मौजमस्ती के लिए ऐसे जवां और ठरकी बूढ़ों के मनबहलाव के लिए आ जाती थीं. सरदार साहब शाम को ऐसी किसी लड़की को अपनी कार में ले कर किसी सुनसान समुद्र तट पर पहुंच जाता. समुद्र तट पर छितरे पाम के पेड़ों के पीछे, चट्टानों के पीछे, इधरउधर उन्हीं के समान चूमाचाटी, मौजमस्ती में लीन पड़े जोड़े होते थे.

अधिकांश जोड़े बेमेल होते थे. मर्द 60 साल का होता था जबकि लड़की  20-22 साल की. औरत 60 साल की होती थी, दिल बहलाने वाला छैला 25-30 का. अधिक उम्र वाला धनी होता था. कम उम्र वाला गरीब या मामूली हैसियत का. लवलीन मुनरों को उस के होस्टल के बाहर उतार कर ओंकार सिंह अपने घर, जो एक महल के समान बड़ी कोठी थी, में पहुंचा. वह चिंतातुर था. निकट भविष्य में स्टेट काउंसिल का चुनाव लड़ रहा था. कई साल स्थानीय निकाय का सदस्य चुना जाता रहा था. अब वह राज्य स्तर पर उभरना  चाहता था. बाद में सीनेटर बन अमेरिका की लोकसभा में जाना चाहता था.

कोई भी स्कैंडल अमेरिका में राजनीति के क्षेत्र में किसी का भविष्य एकदम बिगाड़ देता था. पपाराजी या शरारती फोटोग्राफर द्वारा खींची तसवीरें सार्वजनिक हो जाने पर सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी का राजनीतिक कैरियर एकदम तबाह कर सकती थीं.

डेनियल एक शरारती फोटोग्राफर या पपाराजी था. वह एक श्वेत अमेरिकी और नीग्रो मां की दोगली संतान था. उस का रंगरूप एक भारतीय जैसा था. पहले वह एक फोटोग्राफर के यहां असिस्टैंट था. बाद में उस ने अपना फोटोग्राफी का स्वतंत्र व्यवसाय आरंभ किया था. एक दफा एक कंपनी ने उस को विरोधी कंपनी की जासूसी के लिए कुछ तसवीरें खींचने को नियुक्त किया. तसवीरें कंपनी के डायरैक्टर की उस की प्रेमिका के साथ मौजमेले की थीं.

इस काम के बदले उस को मोटी धनराशि मिली थी. इस के बाद वह अपने साफसुथरे फोटोग्राफी के धंधे की आड़ में एक पपाराजी बन गया था. सुब्बा लक्ष्मी दक्षिण भारत से अमेरिका एक हाउस मेड के तौर पर आई थी. एक ही इलाके में रहते हुए उस की जानपहचान डेनियल से हो गई थी. दोनों में आंखें चार हो गई थीं. वह भी फोटोग्राफी सीख अब डेनियल के साथ फोटोग्राफी करती थी.

दोनों हर शाम कभी मोटरसाइकिल से, कभी कार द्वारा समुद्र तट पर व अन्य प्रेमालाप के लिए उपयुक्त दूसरे एकांत स्थलों पर पहुंच जाते थे. इन स्थलों पर अनेक बेमेल जोड़े प्रेमालाप में लीन होते थे. वे पहले उन की निगाहबानी करते थे. फिर अपना शिकार छांट कर उस जोड़े की अंतरंग तसवीरें इन्फ्रारैड कैमरे, जिन में फ्लैशलाइट की जरूरत नहीं पड़ती थी, से खींचते थे. फिर पार्टी को चौंकाने के लिए फ्लैशलाइट की चमक इधरउधर मारते और भाग जाते थे.

बाद में तसवीरें साधारण डाक से भेज कर फोन करते और ब्लैकमेल के तौर पर छोटीबड़ी रकम मांगते. पार्टी, जो आमतौर पर बूढ़ा धनपति या अमीर बुढि़या होती थी, बदनामी से बचने के लिए उन को चुपचाप पैसा दे देती थी.

‘‘यह सरदार सुना है काफी अमीर है,’’ आज डिजिटल कैमरे से खींची तसवीरों के पिं्रट देखते हैं,’’ सुब्बा लक्ष्मी ने कहा.

‘‘हां, यह एक रैस्तरां की एक बड़ी शृंखला का मालिक है.’’

‘‘लड़की कौन है?’’

‘‘पता नहीं, मेरा अंदाजा है, कोई स्टूडैंट है. पैसा और मौजमस्ती के लिए लड़कियों का ऐसे बूढ़े या अधेड़ों के साथ मस्ती करना आम बात है.’’

‘‘तसवीरें तो सरदार को ही भेजनी हैं.’’

सरदार ओंकार सिंह ने गहरी नजरों से तसवीरों के सैट को देखा. वह कभी फोटोग्राफी का शौकीन था. टैक्सी चालक रहा था. कई साल अविवाहित रहते इच्छापूर्ति के लिए कौलगर्ल्स या अन्य औरतों से समागम करता रहा था.

लेकिन अब एक सम्मानित शहरी बन जाने पर, खासकर नगरपालिका का मेयर होते हुए और स्टेट काउंसिल का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के लिए ऐसी तसवीरों का सार्वजनिक होना शर्मनाक था.

‘‘सरदार साहब, तसवीरें मिलीं आप को?’’ लैंडलाइन फोन पर डेनियल ने फोन कर के पूछा.

‘‘हां, क्या चाहते हो?’’

‘‘10 लाख डौलर.’’

‘‘दिमाग खराब हुआ है. ज्यादा से ज्यादा 500 डौलर.’’

‘‘सरदार साहब, आप की जो हैसियत है उस के लिहाज से 10 लाख डौलर ज्यादा नहीं हैं, ऊपर से आप स्टेट काउंसिल का चुनाव लड़ रहे हैं,’’ डेनियल के शब्दों में कुटिलता थी.

सरदार तिलमिलाया. यह पपाराजी सामने होता तो वह उस को कच्चा चबा डालता. उस ने फोन के कौलर आइडैंटिटी पर नजर डाली. फोन सार्वजनिक टैलीफोन बूथ से किया जा रहा था. ब्लैकमेलर चालाक था.

‘‘देखो, तुम ज्यादा हवा मत लो. अमेरिका में पपाराजी अपराध है. पुलिस में रिपोर्ट करते ही तुम अंदर हो जाओगे.’’

‘‘यह सब होतेहोते होगा. लेकिन आप की तसवीरें सार्वजनिक होते ही आप का राजनीतिक कैरियर खत्म हो जाएगा. साथ ही, बदनामी भी होगी.’’

‘तेरी ऐसी की तैसी, फोटोग्राफर,’’ सरदार फुफकारा.

‘‘ज्यादा गुस्सा सेहत के लिए खतरनाक होता है, खासकर 60 साल की उम्र में.’’ सरदार खामोश रहा.

‘‘सरदार साहब, कल शाम तक आप 1 लाख डौलर दे देना. नहीं तो तसवीरें पहले अखबार वालों को, फिर इंटरनैट पर जारी हो जाएंगी.’’

‘‘इस बात की क्या गारंटी है, तुम भविष्य में तसवीरें सार्वजनिक नहीं करोगे और दोबारा ब्लैकमेल नहीं करोगे?’’

‘‘सरदार साहब, ऐसी सूरत में आप पुलिस को रिपोर्ट कर सकते हैं.’’

‘‘पैसा कहां देना है?’’

‘‘आप फटाफट मुझे अपना मोबाइल फोन नंबर बताओ.’’

सरदार साहब ने नंबर बताया.

‘‘ओके. कल शाम आप जैसे रोज सैरसपाटे के लिए निकलते हैं, निकलेंगे. तब मैं रास्ते में आप को फोन कर के कहीं भी पेमैंट ले लूंगा.’’

अगली शाम सरदार अपनी कार पर समुद्र तट को निकला. डेनियल हैल्मेट पहनेपहने बाइक पर सवार हो पीछेपीछे चला. एक सुनसान स्थान पर फोन आते ही सरदार ने कार रोकी. डेनियल हैल्मेट पहने सामने आया. सरदार ने खिड़की खोल एक लिफाफा उस को थमा दिया.

पहली बार एक लाख डौलर मिले थे. अब से पहले ज्यादा से ज्यादा 5 या 10 हजार डौलर ही मिले थे. डेनियल का हौसला और लालच बढ़ गया.

अभी तक वह समुद्र तट पर चट्टानों के पीछे, यहांवहां पाम के नीचे प्रेमालाप में लीन प्रेमी जोड़ों की तसवीरें खींचता था. अब उस की निगाह समुद्र के बीच खड़े छोटेछोटे समुद्री जहाज, जिन्हें आम भाषा में याट कहा जाता था, पर पड़ी.

ये याट अमीर लोगों के थे जो इन पर समुद्र विहार करते थे. कई याटों पर सुरक्षाकर्मी थे.

‘‘क्यों न आज किसी याट पर चलें?’’ मोटरसाइकिल को एक तरफ खड़ी करते डेनियल ने कहा.

‘‘पागल हुए हो, पकड़े गए तो?’’

‘‘देखेंगे, अमीर लोग छिपछिप कर इन में कैसी रंगरेलियां मनाते हैं.’’

समुद्र तट पर अनेक जगह कटाफटा स्थान था. रेतीले सपाट समुद्र तट के बजाय ऐसा कटाफटा तट किश्तियों को बांधने के लिए उपयुक्त था. इस तट पर कई अमीर लोगों ने निजी पायर यानी सीमेंट के चबूतरे बना कर अपनीअपनी मोटरबोटें या चप्पुओं से चलने वाली नौकाएं बांध रखी थीं.

शाम का अंधेरा गहरा रहा था. एक किश्ती की रस्सी खोल, दोनों उस पर सवार हो, बीच समुद्र में बढ़ चले. कई याटों पर सुरक्षाकर्मी डैक पर टहल रहे थे. एक बड़े लग्जरी याट के डैक पर कोई नहीं था.

एक प्लेटफौर्म समुद्र के पानी से थोड़ा ऊपर था. यह एक खुली लिफ्ट थी. इस पर 4 व्यक्ति एकसाथ ऊपर आजा सकते थे. रस्सियों वाली एक सीढ़ी साथ ही लटक रही थी. दोनों किश्ती को एक हुक से बांध सीढि़यां चढ़ते हुए ऊपर पहुंच गए. डैक सुनसान था. चालक कक्ष भी सुनसान था. डैक से सीढि़यां नीचे जा रही थीं. सारा याट सुनसान जान पड़ता था.

डैक से नीचे के तल पर एक बड़ा हाल था. उस में एक तरफ बार बना था. खुली दराजों में तरहतरह की शराब की बोतलें सजी थीं. कई छोटेछोटे केबिन एक कतार में बने थे. एक केबिन में रोशनी थी.

दरवाजे के ऊपर वाले हिस्से में एक गोलाकार शीशा फिट था. दबेपांव चलते दोनों ने दरवाजे के करीब पहुंच कर शीशे से अंदर झांका. दोनों के मतलब का दृश्य था.

अधेड़ अवस्था का एक पुरुष एक नवयौवना सुंदरी के साथ सर्वथा… अवस्था में मैथुनरत था. डेनियल ने सुब्बा लक्ष्मी की तरफ देखा, वह निर्लिप्त भाव से मुसकराई.

डेनियल ने अपना कैमरा निकाला और दक्षता से तसवीरें खींचने लगा. अभिसारग्रस्त जोड़ा उन्माद उतर जाने के बाद अलगअलग हो, गहरी सांसें भरने लगा.

थोड़ी देर बाद दोनों ने कपड़े पहने और बाहर को लपके. डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी तुरंत बार काउंटर के पीछे जा छिपे. प्रेमी जोड़ा सीढि़यां चढ़ता ऊपर को गया. डेनियल ने शराब की 2 बोतलें उठा कर अपनी जैकेट की जेब में डाल लीं. दोनों दबे पांव चलते सीढि़यां चढ़ते डैक पर पहुंचे.

प्रेमी जोड़ा लिफ्ट पर सवार हो रहा था. डेनियल ने उन की इस मौके की तसवीर भी ले ली. प्रेमी जोड़ा मोटरबोट पर सवार हो तट की तरफ चला. दोनों भी उतर कर किश्ती पर सवार हुए.

‘‘एक चक्कर इस याट के इर्दगिर्द लगाते हैं?’’

‘‘क्यों?’’ सुब्बा लक्ष्मी ने पूछा.

‘‘याट किस का है? यह पता लगाना जरूरी है.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘हर किश्ती या छोटेबड़े जहाज पर उस का नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. बिना पंजीकृत हुए कोई मोटरबोट, छोटाबड़ा समुद्री जहाज, स्टीमर कहीं भी समुद्र या नदी में नहीं चल सकता. पंजीकरण दफ्तर से इस याट के मालिक का नाम पता चल जाएगा,’’ डेनियल ने समझाया.

पंजीकरण रिकौर्ड में याट जैक स्मिथ नाम के बड़े व्यापारी के नाम दर्ज था. वह कई फैक्टरियों का मालिक था.

उस की निगहबानी करने से उस को उस की प्रेमिका का नाम भी पता चल गया. वह एक अन्य व्यापारी एंड्र्यू डैक की पत्नी मारलीन डैक थी.

‘‘तसवीरों का सैट किस को भेजना है?’’

‘‘इस मामले में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही अमीर हैं. मेरे विचार में एकएक सैट दोनों को भेज देते हैं,’’ डेनियल ने कहा.

‘‘लेकिन पैसा एक ही पार्टी से मिलेगा. 2 किश्तियों की सवारी से नुकसान होता है.’’

‘‘इस में दोनों पक्ष ही पैसे वाले हैं.’’

‘‘ज्यादा लालच अच्छा नहीं होता. आप इन से कितना पैसा मांगेंगे?’’

‘‘देखते हैं.’’

एंड्र्यू डैक अपनी फैक्टरी के दफ्तर जाने के लिए कार पर सवार हो रहा था कि उस को डाकिया एक लिफाफा थमा गया. लिफाफा उस की पत्नी के नाम था. लिफाफा एक पत्र के बजाय किसी और मैटर से भरा था.

उत्सुकतावश उस ने लिफाफा खोल डाला. मैटर देखते ही वह गंभीर हो उठा और चुपचाप कार में बैठ गया. उस के इशारे पर शोफर ने कार आगे बढ़ा दी.

एंड्र्यू डैक अपनी पत्नी की चरित्रहीनता से वाकिफ था. वह उस को तलाक देना चाहता था लेकिन उस को एकतरफा तलाक देने की कार्यवाही करने पर हरजाने के तौर पर काफी मोटी रकम देनी पड़ती.

बिना हरजाना दिए तलाक लेने के लिए या तो उस की पत्नी भी स्वेच्छा से तलाक लेती या फिर उस को चरित्रहीन साबित करने के लिए उस के खिलाफ कोई सुबूत होता.

उस ने कई महीनों तक एक प्राइवेट जासूसी फर्म से अपनी पत्नी की जासूसी करवाई थी लेकिन मारलीन डैक काफी चालाक थी. वह किसी पकड़ में नहीं आई.

अब संयोग से चरित्रहीनता को साबित करते फोटो उस के पास आ गए थे. एंड्र्यू डैक समझ गया कि यह किसी शरारती फोटोग्राफर यानी पपाराजी का काम था.

अभिसार करने वाले मर्द जैक स्मिथ को पहचानता था. जैक स्मिथ के खिलाफ एक बात यह थी कि वह अपने बूते पर अमीर नहीं बना था. वह घरजमाई था. उस की पत्नी धनी बाप की इकलौती संतान थी. उस ने जैक स्मिथ से प्रेमविवाह किया था.

ऐसी तसवीरें जैक स्मिथ की पत्नी और उस के ससुर के सामने आने पर उस का फौरन तलाक होना निश्चित था. इस तरह एंड्र्यू डैक के हाथ पत्नी और उस के प्रेमी दोनों को अर्श से फर्श पर लाने का सुबूत लग गया था.

वह अनुभवी था. उस को पता था कि बिना फोटो के नैगेटिव और उन को खींचने वाले फोटोग्राफर की गवाही के इन को अदालत में पक्का सुबूत साबित नहीं किया जा सकता था. अदालत में विरोधी पक्ष उन को ट्रिक फोटोग्राफी कह कर खारिज करवा सकता था.

‘‘कौन था यह पपाराजी?’’

जैक स्मिथ अपनी स्टेनो द्वारा लाई डाक देख रहा था. साधारण डाक अब कम आती थी.

‘‘सर, यह लिफाफा साधारण डाक से आया है.’’

किसी व्यावसायिक फोटोग्राफर द्वारा इस्तेमाल करने वाला लिफाफा था. तसवीरें देखते ही वह उछल पड़ा. उस के निजी याट पर इतनी सफाई से तसवीरें खींची गई थीं. उस को और मारलीन डैक को आभास तक न हुआ था.

तसवीरों के सार्वजनिक हो जाने के परिणाम के विचार से चिंतित हो उठा. उस की पत्नी और ससुर उस को बाहर निकाल एकदम सड़क पर खड़ा कर देंगे.

घबरा कर उस ने तुरंत मारलीन डैक को फोन किया.

‘‘क्या कह रहे हो? मैं ने तो हमेशा सावधानी बरती है. किसी जासूस को भी भनक तक नहीं हुई.’’

‘‘यह किसी जासूस का काम नहीं है. यह किसी प्रोफैशनल फोटोग्राफर का काम है, जिस का मकसद ऐसी तसवीरें खींच कर ब्लैकमेल करना होता है. मेरा अंदाजा है कि ऐसा लिफाफा तुम्हारे पास भी आया होगा,’’ जैक स्मिथ ने कहा.

‘‘मुझे तो नहीं मिला या पता नहीं, मेरे हसबैंड को डाकिया थमा गया हो,’’ मारलीन डैक ने चिंतित स्वर में कहा. पति को ऐसी तसवीरों का मिलना, मतलब बिना हरजाना दिए एकदम से तलाक.

‘‘यह शरारती फोटोग्राफर कौन है?’’ उस ने पूछा.

‘‘हौसला रखो, जल्द ही पैसे की मांग के लिए उस का फोन आएगा,’’ जैक स्मिथ ने धैर्य बंधाते हुए कहा जबकि वह खुद घबराया हुआ था.

उधर, सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी ने जल्दबाजी में ब्लैकमेलर को एक लाख डौलर दे तो दिए थे मगर बाद में उस को खुद पर गुस्सा आ रहा था. वह पाईपाई जोड़ कर अमीर बना था. पैसे की कीमत जानता था.

उस को उम्मीद थी कि पैसा लेने के लिए ब्लैकमेलर सामने आएगा. सारे न्यूयार्क के चप्पेचप्पे से वाकिफ होने के कारण वह हर व्यवसाय के प्रमुख व्यक्तियों को जानता था. शहर में फोटोग्राफर थे कितने? एक दफा ब्लैकमेलर का चेहरा सामने आ जाता, फिर वह पंजीकरण विभाग से उस की फोटो निकलवा उस को काबू कर लेता.

लेकिन डेनियल भी पूरा घाघ था. वह उस के सामने हैल्मेट पहने आया था और पैसे का पैकेट थामते ही ये जा, वो जा.

ओंकार सिंह अपने घनिष्ठ मित्र सरदार वरनाम सिंह, जो कभी उसी के समान टैक्सी चालक था और अब टैक्सियों का भारी बेड़ा रखता था और खुद टैक्सी न चला किराए पर देता था, के पास पहुंचा.

‘‘ओए, खोते दे पुत्तर, इस उम्र में लड़की जवानी दा चक्कर. कुछ तो शर्म कर,’’ सारा मामला जानने के बाद वरनाम सिंह ने उस को झिड़कते हुए कहा.

‘‘यार, तेरी भाभी सहयोग नहीं करती.’’

‘‘इस उम्र में परजाई क्या कर सकती है? तुझे चुम्माचाटी ही करनी थी तो बंद कमरे में करता, खुले समुद्र तट पर क्यों गया था? अब बता क्या चाहता है?’’

‘‘इस फोटोग्राफर को काबू करना है.’’

‘‘वह काबू आ भी जाए तब क्या करेगा. 1 लाख डौलर थमा दिए, अब चुपचाप गम खा ले. मामला सार्वजनिक हो गया तो तेरी बदनामी ही होगी.’’

लेकिन ओंकार सिंह पर इस नेक सलाह का कोई असर नहीं हुआ, वह यह नहीं भूल पा रहा था कि एक शरारती फोटोग्राफर ने इस तरह बदनामी करने की धमकी दे कर उस से 1 लाख डौलर झटक लिए हैं.

वह पुराना खिलाड़ी होते हुए भी मात खा गया था. अब वह हर हालत में उस को काबू करना चाहता था.

इधर, अब जैक स्मिथ के लैंडलाइन पर फोन आया.

‘‘क्या चाहते हो?’’‘‘10 लाख डौलर.’’

‘‘दिमाग खराब हुआ है.’’

‘‘जनाब, आप की माली हैसियत और सामाजिक हैसियत काफी ऊंची है, उस को देखते यह मामूली रकम है.’’

‘‘यों बदमाशी करते किसी की तसवीरें खींचना जुर्म है, पुलिस में रिपोर्ट कर दूं तो सीधे 10 साल के लिए नप जाओगे.’’

‘‘जनाब, ऐसी बातों में कुछ नहीं रखा. आप बताइए, रकम दे रहे हो या नहीं?’’

‘‘इतनी बड़ी रकम, ज्यादा से ज्यादा 10 हजार डौलर.’’

‘‘नहीं जनाब, पूरे 10 लाख डौलर. मैं कल फिर फोन करूंगा,’’ फोन कट गया.

जैक स्मिथ ने कौलर आइडैंटिटी की स्क्रीन पर नजर डाली. फोन किसी सार्वजनिक बूथ से किया गया था. उस ने टैलीफोन डायरैक्ट्री से नंबर खोजा. फोन जिस एरिया से आया था, उस को नोट कर लिया.

जैक स्मिथ के बाद डेनियल ने एंड्र्यू डैक को फोन किया. एंड्र्यू डैक जैसे उस के फोन का इंतजार कर रहा था. मरदाना आवाज सुनते डेनियल चौंका. उसे तो मारलीन डैक से बात करनी थी.

‘‘मुझे मैडम मारलीन डैक से बात करनी है.’’

‘‘मैं उस का पति बोल रहा हूं. तसवीरों का लिफाफा तुम ने ही भेजा था?’’

अब डेनियल उलझन में था. लिफाफा पत्नी के बजाय पति को मिल गया था. अब ब्लैकमेल कैसे करे. तसवीरें पति के सामने आ चुकी थीं. पत्नी अब पैसा किस बात का देगी?

‘‘हैलो, तुम ने ब्लैकमेल करने के इरादे से तसवीरें खींचीं. तुम कितना पैसा चाहते हो?’’ एंड्र्यू डेक के इस सीधे सवाल पर डेनियल सकपका गया. ऐसा सवाल मारलीन डैक करती तो समझ भी आता.

वह खामोश रहा.

‘‘देखो, अगर तुम इन तसवीरों के नैगेटिव और अदालत में गवाही देने को तैयार हो जाओ तो जो पैसा तुम मेरी पत्नी से चाहते हो वह मैं दूंगा.’’

‘‘गवाही, किस बात की गवाही?’’ उलझनभरे स्वर में डेनियल ने पूछा.

‘‘मुझे अपनी पत्नी को तलाक देना है. उस को चरित्रहीन साबित करने के लिए ऐसे फोटोग्राफ खींचने वाली गवाही चाहिए.’’

अब डेनियल को मामला समझ आ गया था. एंड्र्यू डैक काफी अधीर था. साधारण तरीके से तलाक का मुकदमा डालने पर उस को मोटा हरजाना देना पड़ता. लेकिन पत्नी के चरित्रहीन साबित हो जाने पर उस को बिना हरजाना दिए उस से तलाक मिल जाना था.

‘‘10 लाख डौलर.’’

‘‘पागल हुए हो. शरारती फोटोग्राफर को 500 डौलर, ज्यादा से ज्यादा 1 हजार मिल जाते हैं. यह एक अपराध है. मैं तुम्हें ज्यादा से ज्यादा 1 लाख डौलर दे सकता हूं.’’

‘‘ओके. मैं सोच कर तुम्हें दोबारा फोन करूंगा.’’

‘‘अब आप क्या करेंगे?’’ मारलीन डैक ने अपने प्रेमी जैक स्मिथ से पूछा.

‘‘इस पपाराजी का पता लगाऊंगा.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘अपने तरीके से. एक बार वह काबू में आ जाए.’’

अभी तक डेनियल ने जिन जोड़ों के अश्लील फोटो खींचे थे, वे किसी विशेष स्थिति में थे और खानदानी अमीर नहीं थे..

सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी टैक्सी चालक से तरक्की करता अमीर बना था और अब मेयर होते हुए स्टेट काउंसिल का उम्मीदवार था. इसलिए बदनामी से बचना चाहता था. दूसरा जैक स्मिथ मामूली हैसियत का था. वह प्रेमविवाह होने से पत्नी के मायके से मिले धन से बना अमीर था. उस की ऐसी तसवीरें सामने आने से उस का सब चौपट हो सकता था.

डेनियल एक ब्लैकमेलर था. उस का लालच भविष्य में क्या गुल खिला दे, इसलिए सरदार के लिए और जैक स्मिथ के लिए उस को काबू करना जरूरी था. सरदार ओंकार सिंह अपने दोस्त वरनाम सिंह के पास पहुंचा.

‘‘वरनाम सिंह, मुझे एक टैक्सी और चालक की वरदी दे दे.’’

‘‘क्यों, क्या दोबारा टैक्सी चालक का धंधा करना चाहता है?’’

‘‘नहीं, उस शरारती फोटोग्राफर को काबू करना है. वह एक ब्लैकमेलर है, भविष्य में लालच में पड़ कर दोबारा पंगा कर सकता है.’’ वरनाम सिंह ने हरी झंडी दी. टैक्सी चलाता ओंकार सिंह अपने घर पहुंचा.

‘‘अरे, आप ने दोबारा टैक्सी चालक का धंधा शुरू कर दिया?’’ उस की पत्नी ने उस को टैक्सी चालक की वरदी में और टैक्सी को देख कर हैरानी से पूछा.

‘‘नहीं, थोड़ा मनबहलाव के लिए कुछ दिन अपना पुराना धंधा करना चाहता हूं. अमीरी भोगतेभोगते बोर हो चला हूं.’’ पत्नी और बेटीबहुओं ने बुढ़ापे में चढ़ आई सनक समझ कर उस को नजरअंदाज कर दिया. उस शाम ओंकार सिंह अपनी लग्जरी कार में सैर करने नहीं निकला. वह टैक्सी चालक बन टैक्सी चलाता समुद्र तट पर पहुंचा.

वह जानता था ब्लैकमेलर यानी शरारती फोटोग्राफर अपना धंधा करने ‘बीच’ पर जरूर आएगा. उस ने सैकड़ों बार ऐसे फोटोग्राफरों को प्रेमालाप में लीन जोड़ों की गुप्त तसवीरें खींचते देखा था. मगर जब तक उस पर यही शरारत न आ पड़ी, उस ने उन का कोई नोटिस नहीं लिया था. अब ऐसा पंगा पड़ जाने से उस का दिमाग चौकन्ना हो गया था.

जैक स्मिथ मामूली हैसियत का था. मारलीन डेक से प्रेम शुरू होने से पहले वह अपनी पत्नी की तरफ पूरा ध्यान देता था. मगर मारलीन डेक उस की पत्नी की तुलना में युवा थी. दोनों में सिलसिला ठीक चल रहा था कि यह पपाराजी का पंगा पड़ गया. जिस लाइन पर सरदार ओंकार सिंह सोच रहा था उसी पर जैक स्मिथ भी सोच रहा था.

उस ने भी अनेक पपाराजी को इस तरह तसवीरें खींचते देखा था. मगर उस को अंदाजा नहीं था कि कोई उस के याट में घुस कर इस तरह तसवीरें खींचने का दुसाहस कर सकता था. एक बार दुसाहस करने पर ब्लैकमेलिंग का पैसा मिलने पर ब्लैकमेलर दोबारा लालच कर सकता था. इसलिए उस को काबू करना जरूरी था. इस घटना के बाद मारलीन डेक ने उस से मिलनाजुलना बंद कर दिया था.

जैक स्मिथ छोटामोटा धंधा करता था. वह सभी वाहन चलाना जानता था. सामान्य तौर पर अमीर बनने के बाद वह लग्जरी कार में चलता था. काफी समय बाद उस ने साधारण कपड़े पहने. सिर पर नौजवान लड़कों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी और धूप का बड़ा चश्मा पहनने से उस का हुलिया बदल गया था. हैल्मेट पहने वह बाइक पर सवार हुआ और समुद्र तट पर जा पहुंचा.

सरदार ओंकार सिंह टैक्सी एक तरफ खड़ी कर टैक्सी चालक बना एक चट्टान पर बैठा था. उस की मुद्रा ऐसी थी मानो वह समुद्र तट पर सैरसपाटा करने आई अपनी सवारी के लौटने का इंतजार कर रहा हो. जैक स्मिथ ने बाइक एक पाम के पेड़ के समीप खड़ी कर दी. लौक कर के यों समुद्र तट पर टहलने लगा जैसे वह तनहाईपसंद हो और उस को अकेला घूमना पसंद हो.

पपाराजी की शरारत का शिकार हुए दोनों की लाइन एक ही थी. किसी पपाराजी, जो हमेशा अपने शिकार की खोज में रहता था और कभी यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वह कभी किसी की खोजी निगाहों का शिकार हो सकता है, को शिकार बनाने को ये दोनों तत्पर थे. सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी ने सतर्क निगाहों से अपने चारों तरफ देखा. विशाल समुद्र तट पर दिखने वालों को अनदेखा किए कई मेल और बेमेल प्रेमी जोड़े खुद में लीन थे और उन की निगहबानी करते दर्जनों शरारती फोटोग्राफर अपना काम बिना फ्लैशलाइट जलाए फोटो खींचने वाले कैमरों से कर रहे थे.

जैक स्मिथ भी अपनी सतर्क निगाहों से यह सब क्रियाकलाप देख रहा था. तभी उस को बीच समुद्र में खड़ी अपनी याट का ध्यान आया. जिस तरह से शरारती फोटोग्राफर चुपचाप अपना काम कर गया था, उसी तरह अगर वह भी एक चोर की तरह अपनी याट पर जाए तो? शाम का अंधेरा गहरे अंधेरे में बदल गया था. समुद्र का नीला पानी अब काले हीरे के समान चमक रहा था. उभरता चांद पानी की चमक को बढ़ा रहा था.

पायर पर बंधी चप्पुओं वाली एक नौका खोल कर उस पर बैठ चप्पू चलाता जैक स्मिथ बीच समुद्र में खड़ी अपनी याट की तरफ बढ़ता गया.

कोई उन की निगहबानी या जासूसी कर सकता था. इस से बेखबर डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी मोटरसाइकिल खड़ी कर समुद्र तट पर टहलने लगे. उन के हावभाव ऐसे थे मानो शाम बिताने आए 2 प्रेमी हों. गले या कंधे पर कैमरा लटकाए घूमने आना आम था. इसलिए यह पता चलना आसान नहीं था कि कौन शौकिया तसवीर खींचने वाला था और कौन शरारती फोटोग्राफर.

एक बारगी सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी को लगा कि उस का इस तरह जासूसी करने आना बेकार है. मगर वह धैर्य रखे था. चुपचाप प्रेमी जोड़ों की तसवीरें खींच रहे पपाराजी में उस की तसवीरें खींचने वाला कौन सा था.

‘‘एक चक्कर बीच समुद्र का लगाएं,’’ डेनियल ने कहा.

‘‘उसी याट का?’’

‘‘उस में अब क्या मिलेगा? वह प्रेमी जोड़ा सावधान हो चुका है. वैसे भी एक जगह चोरी करने के बाद चोर दोबारा वहां चोरी करने नहीं जाता.’’

डेनियल की इस मजाकिया टिप्पणी पर सुब्बा लक्ष्मी खिलखिला कर हंस पड़ी. आज पायर पर कोई चप्पुओं वाली नौका नहीं थी. मोटरबोटों पर ताला लगी जंजीरें लगी थीं. डेनियल आखिर एक चोर ही था. उस ने अपनी जेब से एक ‘मास्टर की’ निकाली. ताला खोला.

मोटरबोट समुद्र में दौड़ पड़ी. जहांतहां छोटेबड़े याट, लग्जरी बोट लंगर डाले खड़े थे. इन में क्याक्या हो रहा था यह इन में प्रवेश करने पर ही पता चल सकता था.

चप्पुओं वाली किश्ती चलाता जैक स्मिथ अपनी याट के समीप पहुंचा. याट पर भ्रमण के दौरान 8-10 आदमियों का स्टाफ होता था. खड़ी अवस्था में 1 या 2 व्यक्ति ही होते थे. आमतौर पर याट एक लवनैस्ट ही था.

अमीर बनने के बाद, जैक स्मिथ को अमीरों की तरह पर-स्त्री से संबंध रखने व कैप्ट या रखैल रखने का शौक लग गया था. थोड़ेथोड़े अंतराल पर वह किसी नई प्रेमिका को यहां ले आता था. यह सिलसिला ठीक चल रहा था. मगर अब एक पपाराजी द्वारा यों लवनैस्ट में प्रवेश कर तसवीरें खींच लेने से यह सिलसिला थम गया था.

उस के याट के समान अन्य याट भी या तो लवनैस्ट थे या फिर अन्य अवैध कामों के लिए मिलनेजुलने के स्थल. शहर में अवैध कामों, खासकर नशीले पदार्थों को बेचने और सप्लाई करने वालों को पुलिस या नशीले पदार्थों को नियंत्रण करने वालों की निगाहों में आने से बचने के लिए बीच समुद्र में खड़े छोटेबड़े याट या लग्जरी याट काफी सुविधाजनक थे.

शाम ढलने के बाद, रात के अंधेरे में छोटेबड़े स्मगलर अपनेअपने ठिकानों पर आ जाते. अधिकांश याट प्रभावशाली अमीरों के थे. इन पर एकदम छापा मारना मुश्किल था. शक की बिना पर किसी प्रभावशाली अमीर के याट पर छापा मारना उलटा पड़ जाता था. लेकिन खुफिया पुलिस और मादक पदार्थ नियंत्रण करने वाला विभाग अपनी निगरानी चुपचाप जारी रखता था. सादे और छद्म वेश में जहांतहां भूमि, समुद्र और समुद्र तट पर तैनात जासूस अपना काम चुपचाप करते थे. वे प्रेमालाप में लीन मेल या बेमेल जोड़ों को और उन की तसवीरें खींच कर भाग जाने का शरारती फोटोग्राफरों को कोई आभास तक न होने देते और उन की निगरानी करने के साथ उन की तसवीरें भी चुपचाप नई तकनीक से कैमरों से खींच लेते थे.

डेनियल समेत अन्य सभी शरारती फोटोग्राफरों का पुराना रिकौर्ड खुफिया विभाग के पास था. और साथ ही बीच पर आने वाले बेमेल प्रेमी जोड़ों का भी लेकिन इस विभाग को नशीले पदार्थों की रोकथाम से काम था. इसलिए न प्रेमी जोड़ों के काम में दखल देता और न ही पपाराजियों के. हां, उन की रोजाना रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय में जरूर पहुंचती थी.

इन दिनों, जैक मारटीनो, जो एक अश्वेत अमेरिकी पुलिस अधिकारी था, इस विभाग का इंचार्ज था. जैक मारटीनो चुस्त अधिकारी था. वह अपनी कुरसी पर बैठा कौफी पी रहा था और साथ ही समुद्र तट पर छद्म वेश में तैनात व समुद्र में गश्त लगा रहे गश्ती दल की रिपोर्ट भी अपने कान पर लगे इयर फोन से सुन रहा था.

‘‘सर, आज समुद्र तट पर स्थानीय निकाय का मेयर सरदार ओंकार सिंह लायलपुरी टैक्सी चलाता टैक्सी चालक की वरदी पहने आया है. वह एक चट्टान पर बैठा जैसे जासूसी कर रहा है,’’ जासूस ने रिपोर्ट दी.

‘‘वह पहले टैक्सी चालक था. कोई पंगा पड़ गया होगा, इसलिए यह छद्म रूप धारण किए है. आज उस के साथ कोई दिल बहलाने वाली नहीं आई?’’ जैक मारटीनो ने पूछा.

‘‘नहीं सर, कुछ दिन पहले एक पपाराजी इस की तसवीर खींच कर भागा था. उस के बाद इस का प्रेमालाप बंद है.’’

‘‘यह शायद उसी पपाराजी की फिराक में है. यह स्टेट काउंसिल का चुनाव लड़ रहा है. हो सकता है ब्लैकमेलिंग का चक्कर हो.’’

‘‘सर, वह पपाराजी जोड़ा भी समुद्र तट पर टहल रहा है.’’

‘‘उस पर भी नजर रखो.’’

‘‘सर, इन शरारती फोटोग्राफरों को काबू करने का और्डर क्यों नहीं करवाते.’’

‘‘अरे भाई, इन से ज्यादा कुसूरवार तो ये प्रेमी जोड़े हैं. इन में अधिकांश बूढ़े हैं और शहर की सम्मानित हस्तियां हैं. पपाराजी को पकड़ते ये सब भी उजागर होंगे तब बड़ा स्कैंडल बन जाएगा. हमारा काम तो नशीले पदार्थों की रोकथाम करना है.’’

‘‘ओके, सर.’’

चप्पुओं वाली किश्ती को अपनी याट के समीप रोक जैक स्मिथ ने पहले इधरउधर फिर याट के ऊपर देखा. जब भी वह आता था, मोबाइल फोन से स्टाफ को सूचना देता था. याट पर तैनात सुरक्षाकर्मी या केयरटेकर याट पर लगी लिफ्ट के प्लेटफौर्म को समुद्र के पानी के समतल कर देता था.

मगर आज जैक स्मिथ का इरादा चुपचाप आने का था. वह अपनी और मारलीन डेक की तसवीरें खींची जाने से क्षुब्ध था. किश्ती को एक हुक से बांधा. वह रस्सी वाली सीढ़ी की सीढि़यां चढ़ता ऊपर चला गया.

डेक सुनसान था. चालककक्ष में अंधेरा था. केयरटेकर और सुरक्षाकर्मी शायद नीचे थे. वह दबेपांव चलता नीचे जाने वाली सीढि़यों की तरफ बढ़ा. उस के कानों में अनेक लोगों के हंसनेखिलखिलाने की आवाज आई.

इतने सारे लोग, उस को क्रोध आने लगा. फिर अपने पर नियंत्रण रखता, वह दबेपांव सीढि़यां उतरता प्रथम तल पर पहुंचा. सीढि़यों की तरफ कूड़ाकरकट फेंकने का बड़ा ड्रम रखा था.

दबेपांव चलता वह उस ड्रम के पीछे बैठ गया और चोरनजरों से प्रथम तल के बड़े हाल में झांका. बार के लंबे काउंटर के सामने पड़ी ऊंची कुरसियों पर उस के दोनों मुलाजिम बैठे शराब के घूंट भर रहे थे. अन्य कुरसियों पर 6-7 हब्शी दिखने वाले आदमी बैठे थे. उन के हाथों में भी शराब के गिलास थे.

हाल के केंद्र में रखी मेज पर सफेद पदार्थ से भरी पौलिथीन की थैलियों का ढेर लगा था. वह उन का वार्त्तालाप सुनने लगा :

‘‘इस माल की पेमैंट कब मिलेगी?’’ एक नीग्रो ने पूछा.

‘‘अगली डिलीवरी के साथ,’’ दूसरे ने कहा.

‘‘अगली सप्लाई कब चाहते हो?’’

‘‘4 दिन बाद.’’

‘‘कहां?’’

‘‘इसी याट पर.’’

‘‘नो, नैवर, मैं एक ही जगह दोबारा नहीं आता,’’ सप्लाई करने वाले नीग्रो ने दृढ़ स्वर में कहा.

‘‘ठीक है, इस याट को समुद्र में कहीं और ले आएंगे. कहां लाएं?’’

‘‘मैं फोन कर के बता दूंगा.’’

‘‘ओके,’’ फिर अपना गिलास खाली कर सब खड़े हुए. जैक स्मिथ दबेपांव सीढि़यां चढ़ता डेक पर पहुंचा. वह चालक केबिन में घुस कर एक तरफ खड़ा हो गया.

सभी ऊपर आए. लिफ्ट से बारीबारी से सब नीचे गए. सुरक्षाकर्मी और केयरटेकर डेक पर खड़े हो कर बातें करने लगे :

‘‘आज का माल क्या है?’’

‘‘शायद कोकीन है.’’

‘‘कितनी कीमत का है?’’

‘‘पता नहीं. हमें तो हर फेरे के 10 हजार डौलर मिलने हैं.’’

‘‘एक हफ्ते से सेठ नहीं आया?’’

‘‘उस की और उस की ‘वो’ की किसी ने यहां तसवीरें खींच ली थीं. वह सेठ को ब्लैकमेल कर रहा है.’’

‘‘तुम को किस ने बताया?’’

‘‘परसों मैं सेठ के दफ्तर गया था. तभी फोन आया, मैं दरवाजे पर ही था. उस की बात सुन ली थी.’’

‘‘तसवीरें कैसे खींची गईं?’’

‘‘क्या पता? इसे छोड़, बता, अंदर रखा माल कब जाएगा?’’

‘‘सुबह से पहले कभी भी.’’

‘‘अब क्या करें?’’

‘‘बीच पर चलते हैं. यहां किसे आना है.’’

दोनों नीचे उतर कर मोटरबोट में सवार हुए. उन के जाते ही जैक स्मिथ केबिन से बाहर निकला और गंभीर हो, सोचने लगा.

कितनी अजीब स्थिति थी कि अपने ही याट में उस को एक चोर की तरह प्रवेश करना पड़ा था. उस के लवनैस्ट को उस के हरामखोर नौकर नशीले पदार्थों के सौदागरों को एक वितरण स्थल का ट्रांजिट माउंट के रूप में इस्तेमाल करवा धन कमा रहे हैं. अमेरिका में अन्य देशों की भांति नशीले पदार्थों का धंधा एक गंभीर अपराध था. ऐसा करने वालों को 40 साल तक की सजा हो सकती थी. याट में नशीला पदार्थ पकड़े जाने पर जैक स्मिथ कितनी भी सफाई देता, पुलिस उस का कतई ऐतबार न करती कि वह इस धंधे में शामिल नहीं था.

अभी तक वह पपाराजी द्वारा खींची गई तसवीरों से घबराया था. अब यह पंगा, जिस की उसे कल्पना भी नहीं, सामने आ गया था. वह धीमेधीमे सीढि़यां उतरता नीचे हाल में पहुंचा. इधरउधर तलाशी लेने पर उस को एक बैग कोने में मिल गया. बैग ठसाठस सफेद पाउडर जैसे नशीले पदार्थ, जो शायद कोकीन था, से भरा था. तभी उस के दिमाग में कौंधा कि अगर यह माल यहां से गायब हो जाए तब क्या होगा?

उस के हरामखोर नौकरों की अपनेआप शामत आ जाएगी. उस ने सारा हाल भी तलाशा. सारे कमरे तलाशे. याट दोमंजिला था. प्रथम तल के बाद ग्राउंड फ्लोर भी तलाशा. इंजनरूम भी. कहीं कोई और नशीला पदार्थ नहीं था उस ने एअरबैग उठाया और जैसे सीढि़यां चढ़ते आया था वैसे ही उतरता नीचे किश्ती में पहुंच गया. चप्पू चलाता वह पायर पर पहुंचा. उस की किस्मत अच्छी थी. उस पर न किसी मौजमेला करने वाले की नजर पड़ी न खुफिया पुलिस की.

पायर से काफी आगे घनी झाडि़यों का झुरमुट था. उस ने एअर बैग एक झाड़ी में छिपा दिया. फिर सधे कदमों से चलता अपनी मोटरसाइकिल पर सवार हुआ और शहर की तरफ बढ़ चला. मोटरबोट से काफी देर विचरण करने के बाद डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी समुद्र में जहांतहां खड़े याटों की तरफ देखने लगे.

‘‘हर सुनसान दिखते याट में प्रेमी जोड़ा प्रेमालाप कर रहा हो, यह जरूरी तो नहीं है,’’ मोटरबोट का इंजन बंद कर के उस को समुद्र के पानी पर स्थिर करते सुब्बा लक्ष्मी ने कहा.

‘‘तुम्हारी बात ठीक है. पिछली बार ऐडवैंचर से हमें नया नजारा देखने को मिला था. इस बार देखते हैं क्या होता है.’’

‘‘अगर यह ऐडवैंचर हमें उलटा पड़ गया तो?’’

‘‘देखेंगे,’’ फिर उस ने एक बड़े लग्जरी याट की तरफ इशारा किया.

‘‘मोटरबोट का इंजन शोर करता है, इस को किश्ती के समान चलाते हैं,’’ सुब्बा लक्ष्मी ने एयरजैटसी के लिए रखे चप्पुओं को मोटरबोट के हुक से फिट कर दिया. किश्ती के समान चप्पू खेते वे दोनों सुनसान दिखते याट के समीप पहुंचे.

इस याट पर भी एक लिफ्ट लगी थी. साथ ही रस्सियों वाली सीढ़ी. दोनों डेक पर पहुंचे. डेक सुनसान था. चालक कक्ष में अंधेरा था. दोनों नीचे जाने वाली सीढि़यों की तरफ बढ़े. तभी ऊपर आते भारी कदमों की आवाज सुनाई पड़ी. दोनों लपक कर चालक केबिन के पीछे जा छिपे.

चुस्त वरदी पहने हाथ में छोटीछोटी बंदूकें लिए 2 अश्वेत सुरक्षाकर्मी ऊपर आ गए और डेक के केबिन की रेलिंग के साथ लग कर गपशप मारने लगे.

डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी ने एकदूसरे की तरफ देखा. कहां आ फंसे.

‘‘तुम सो जाओ, मैं 2 घंटे पहरा दूंगा. फिर तुम्हारी बारी,’’ एक ने दूसरे से कहा.

‘‘तुम भी सो जाओ. यहां कौन आता है.’’

दोनों, डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी, डेक पर बिछी लकड़ी की बैंचों पर लेट कर सोने की तैयारी करने लगे.

‘‘नीचे उतर कर वापस चलो,’’ सुब्बा लक्ष्मी ने कहा.

‘‘एक नजर नीचे मार आते हैं,’’ डेनियल ने कहा.

‘‘पंगा मत लो, मेरा कहना मानो,’’ सुब्बा लक्ष्मी ने समझाया.

लेकिन डेनियल नहीं माना. विवश हो सुब्बा लक्ष्मी भी उस के पीछेपीछे सीढि़यां उतरती गई.

एक बड़े हाल में कुछ लोग, जिन में श्वेतअश्वेत दोनों थे, मेजों के गिर्द कुरसियों पर बैठे जुआ खेल रहे थे. एक बारबेक्यू एक तरफ बना था. उस पर मांस की बोटियां ग्रिल की जा रही थीं.

दोनों उस फ्लोर से उतर कर नीचे वाले फ्लोर पर पहुंचे. एक बड़े कमरे में कुछ लोग सफेद पाउडर को छोटेछोटे पाउचों में भर रहे थे. यहां नशीले पदार्थों का धंधा हो रहा था.

डेनियल ने सधे हाथों से उन के फोटो लिए. तभी ऊपर कुछ हल्लागुल्ला हुआ. डेक पर लेटे सुरक्षाकर्मी नीचे दौड़े आए. जुआ खेल रहे आपस में लड़ पड़े थे.

‘‘यहां हमारे मतलब का क्या है?’’ सुब्बा लक्ष्मी ने कहा. दोनों सीढि़यां चढ़ डेक पर आ गए. तभी सुरक्षाकर्मी भी ऊपर चढ़ आए. दोनों फिर चालक केबिन के पीछे चले गए.

जैक स्मिथ समुद्र तट से शहर को जाते एक सार्वजनिक टैलीफोन बूथ पर रुका. 10 सेंट का एक सिक्का कौइन बौक्स में डाला. डायरैक्टरी देख कर नशीले पदार्थों की रोकथाम करने वाले विभाग का नंबर डायल किया. झाड़ी में छिपाए बैग के बारे में बताया. गुमनाम रहते याटों पर चल रहे नशीले पदार्थों के धंधे के बारे में बताया.

जैक मारटीन ने तुरंत गश्ती दल को फोन किया. बैग बरामद हो गया. एक के बाद एक याट पर धावा बोला गया. अनेक पर यौनाचार हो रहा था. नशीले पदार्थ पकड़े गए. डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी को बच निकलने का मौका नहीं मिला. उन का धंधा

भी सामने आ गया. सरदार ओंकार सिंह ने पुलिस को पैसा खिला कर अपनी तसवीरें दबा दीं. ऐसा ही जैक स्मिथ ने किया. साथ ही दोनों ने इस तरह के मौजमेलों से तौबा की. एंड्र्यू डेक ने भारी हरजाना दे पत्नी को तलाक दे दिया. थोड़े दिन डेनियल और सुब्बा लक्ष्मी को हिरासत में रहना पड़ा. लेकिन चूंकि उन की वजह से नशीले पदार्थों का धंधा सामने आया था, इसलिए पुलिस ने उन को चेतावनी दे कर छोड़ दिया.

दोनों थोड़े दिन शांत रहे, फिर इस निश्चय के साथ कि बड़ी मछली के चक्कर में न पड़ छोटामोटा शिकार ही पकड़ेंगे, दोनों का पपाराजी का धंधा फिर से चल पड़ा. बूढ़े, अधेड़ अपने मनबहलाव के लिए आते रहे, उन की तसवीरें खिंचती रहीं, ब्लैकमेलिंग का पैसा अदा होता रहा.

Sad Hindi Story : चीरहरण

Sad Hindi Story : रात का दूसरा पहर. दरवाजे पर आहट सुनाई पड़ी. कोई दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था. आहट सुन कर नीतू की नींद उचट गई. वह सोचने लगी कि कहीं कोई जानवर तो नहीं, जो रात को अपने शिकार की तलाश में भटकता हुआ यहां तक आ पहुंचा हो?

तभी उसे दरवाजे के बाहर आदमी की छाया सी मालूम हुई. उस के हाथ दरवाजे पर चढ़ी सांकल को खोलने की कोशिश कर रहे थे. यह देख नीतू डर कर सहम गई. उस के पास लेटी उस की छोटी बहन लच्छो अभी भी गहरी नींद में सो रही थी. उस ने उसे जगाया नहीं और खुद ही हिम्मत बटोर कर दरवाजे तक जा पहुंची.

सांकल खोलने के साथ ही वह चीख पड़ी, ‘‘मलखान तुम… इतनी रात को तुम मेरे दरवाजे पर क्या कर रहे हो?’’ नीतू को समझते देर नहीं लगी कि इतनी रात को मलखान के आने की क्या वजह हो सकती है. वह कुछ और कहती, इस से पहले मलखान ने अपने हाथों से उस का मुंह दबोच लिया.

‘‘आवाज मत निकालना, वरना यहीं ढेर कर दूंगा,’’ कह कर मलखान पूरी ताकत लगा कर नीतू को बाहर तक घसीट लाया. आंगन के बाहर अनाज की एक छोटी सी कोठरी थी, जिस में भूसा भरा हुआ था. मलखान ने जबरदस्ती नीतू को भूसे के ढेर में पटक दिया. उस की चौड़ी छाती के बीच दुबलीपतली नीतू दब कर रह गई. मलखान उस पर सवार था.

‘‘पहले ही मान जाती, तो इतनी जबरदस्ती नहीं करनी पड़ती,’’ मलखान ने अपना कच्छा और लुंगी पहनते हुए कहा. लच्छो, जो नीतू से 2 साल छोटी थी, उस ने करवट ली, तो नीतू को अपनी जगह न पा कर उठ बैठी. दरवाजा भी खुला पड़ा था. उसे कुछ अनजाना डर सा लगा. मलखान पहले लच्छो के बदन से खेलने के चक्कर में था. 2 दिन पहले लच्छो ने उस के मुंह पर थूक दिया था, जब उस ने जामुन के पेड़ के नीचे उसे दबोचने की कोशिश की थी.

वह नीतू से ज्यादा ताकतवर और निडर थी. पर उस ने घुमा कर एक ऐसी लात मलखान की टांगों के बीच मारी कि वह ‘मर गया’ कह कर चीख पड़ा था. अचानक हुए इस हमले से मलखान बौखला गया था. वह सोच भी नहीं पाया था कि लच्छो इस तरह का हमला अचानक कर देगी. उस की मर्दानगी तब धरी की धरी रह गई थी. एक तरह से लच्छो ने उसे चुनौती दे डाली थी.

लच्छो उठी और दालान में पड़े एक डंडे को उठा लिया. वह धीरेधीरे आगे बढ़ने लगी. उस का शक सही निकला कि दीदी किसी मुसीबत में फंस गई हैं. मलखान उस समय अंधेरे में भागने की कोशिश कर रहा था कि अचानक लच्छो ने घुमा कर डंडा उस के सिर पर जड़ दिया.

डंडा पड़ते ही वह भागने लगा और भागतेभागते बोला, ‘‘सुबह देख लूंगा.’’ ‘‘क्या हुआ दीदी, तुम ने मुझे उठाया क्यों नहीं? कम से कम तुम मुझे आवाज ही लगा देतीं,’’ लच्छो रोते हुए बोली.

‘‘2 रोज पहले ही मैं ने इस की हजामत बना डाली थी, जब इस ने मुझ से छेड़छाड़ की थी.’’ ‘‘क्या…?’’ यह सुन कर नीतू तो चौंक गई.

‘‘हां दीदी, कई दिनों से वह मेरे पीछे पड़ा हुआ था. उस दिन भी वह मुझ से छेड़छाड़ करने लगा. उस दिन तो मैं ने उसे छोड़ दिया था, वरना उसी दिन उसे सबक सिखा देती,’’ लच्छो ने नीतू को सहारा दे कर उठाया और कमरे में ले गई.

दोनों बहनें एकसाथ रह कर प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाया करती थीं. कुछ साल पहले उन के पिता की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी. वह बैंक में मुलाजिम थे. पिता की मौत के बाद उन की मां श्यामरथी देवी को वह नौकरी मिल गई थी. चूंकि बैंक गांव से काफी दूर शहर में था, इसलिए दोनों बेटियों को गांव में अकेले ही रहना पड़ रहा था. मां कभीकभार छुट्टी के दिनों में गांव आ जाया करती थीं. मलखान की नाक कट गई थी. एक को तो वह अपनी हवस का शिकार बना ही चुका था, पर दूसरी से बदला लेने के लिए तड़प रहा था.

एक दिन शाम के 7 बज रहे थे. दोनों बहनें खाना बनाने की तैयारी में थीं. मलखान ने अपने कुछ दोस्तों को जमा किया और लच्छो के घर पर धावा बोल दिया.

‘‘बाहर निकल, अब देख मेरा रुतबा. गांव में तेरी कैसी बेइज्जती करता हूं,’’ मलखान अपने साथियों के साथ लच्छो के घर में घुसता हुआ बोला. घर के अंदर मौजूद दोनों बहनें कुछ समझ पातीं, इस से पहले ही मलखान के साथियों ने लच्छो को पकड़ लिया और घसीटते हुए बाहर तक ले आए.

गांव की इज्जत गांव वालों के सामने नंगी होने लगी. मलखान गांव वालों के बीच चिल्लाचिल्ला कर कह रहा था, ‘‘ये दोनों बहनें जिस्मफरोशी करती हैं. इन की वजह से ही गांव की इज्जत मिट्टी में मिल गई है. हम लच्छो का मुंह काला कर के, इस का सिर मुंड़ा कर इसे गांव में घुमाएंगे.’’ दोनों बहनों का बचपन गांव वालों के बीच बीता था. गांव वालों के बीच पलबढ़ कर वे बड़ी हुई थीं. उन्हीं लोगों ने उन का तमाशा बना दिया था.

योजना के मुताबिक, गांव का हज्जाम भी समय पर हाजिर हो गया. नीतू को अपनी छोटी बहन के बचाव का तरीका समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे इन जालिमों के चंगुल से उसे बचाया जाए? वह सोच रही थी कि किसी तरह लच्छो की इज्जत बचानी है, यह सोच कर नीतू घर से निकल पड़ी. नीतू भीड़ को चीरते हुए अपनी बहन के पास जा कर खड़ी हो गई.

भीड़ में से आवाज उठी, ‘‘इस का भी सिर मुंड़वा दो.’’ नीतू पहले तो गांव वालों के बीच खूब रोईगिड़गिड़ाई. उस ने अपनेआप को बेकुसूर साबित करने के दावे पेश किए, पर किसी ने उस की एक न सुनी. बड़ेबूढ़े भी चुप्पी साध गए.

नीतू अपने घर से एक तेज खंजर उठा लाई थी. बात बिगड़ती देख उस ने वह खंजर तेजी से अपने पेट में घुसेड़ लिया. देखते ही देखते खून का फव्वारा फूट पड़ा. वह चीख कर कहे जा रही थी, ‘‘हम दोनों बहनें बेकुसूर हैं. मलखान ने ही एक दिन मेरी इज्जत लूट ली थी.’’

इसी बीच पुलिस की जीप वहां से गुजरी और वहां हो रहे तमाशे को देख कर रुक गई. नीतू ने मरने से पहले सारी बातें इंस्पैक्टर को बता दीं. कुसूरवार लोग पकड़े गए. पर नामर्द गांव वालों ने गांव की इज्जत को अपने ही सामने लुटते देखा. यह कलियुग का चीरहरण था

Online Scam : मेरे साथ औनलाइन डेटिंग स्कैम हुआ है. क्या करूं मैं?

Online Scam : कहीं एक दिन औनलाइनलाइन डेटि‍ंंगस्‍कैम आपकी समस्‍या भी न बन जाएं इसलिए सरिता में पूछे गए सवाल “मेरे साथ औनलाइन डेटिंग स्कैम हुआ है. क्या करूं मैं?”  के जबाव को समझें और सावधान रहें.  

जवाब : मैं 26 साल का हूं और एक डेटिंग ऐप पर कुछ दिनों पहले एक लड़की से मेरी चैट हुई. उस ने मुझे मिलने के लिए एक रैस्तरां सजैस्ट किया. मैं वहां उस से मिला और हम ने सिर्फ दो बर्गर, दो कोल्ड कौफी और फ्रैंच फ्राइज का और्डर दिया जिस का हमारी मीटिंग खत्म होने के बाद मुझे वेटर ने 18,000 रुपए का बिल पकड़ा दिया. इस में पता नहीं कितने तो टैक्स जोड़े हुए थे और सब चीजों की बढ़ाचढ़ा कर वैल्यू लिखी थी. मैं ने आनाकानी की तो मेरा कौलर पकड़ लिया गया. 10-12 बौक्सर टाइप लोग आ गए. डर कर मैं ने पैसे दे दिए. वह लड़की तो वहां से नौदोग्यारह हो गई. मैं समझ गया मेरे साथ स्कैम हुआ है.

मैं ने पुलिस थाने में जा कर वहां के अधिकारी को सारी बात बताई. उन्होंने कहा, ‘देखते हैं.’ लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. मुझे कोई फोन पुलिस ने नहीं किया. मैं क्या करूं?

हम इसलिए अपनी पत्रिका सरिता, मुक्ता में डेटिंग ऐप्स पर होने वाली धोखाधड़ी से सावधान रहने के बारे में जानकारी देते रहते हैं. खैर, अगर स्थानीय पुलिस आप की शिकायत पर कार्यवाही नहीं कर रही है तो आप उच्च अधिकारियों जैसे कि डीसीपी या एसपी से सपंर्क करें.

औनलाइन पुलिस शिकायत पोर्टल या हैल्पलाइन नंबर का भी उपयोग कर सकते हैं. घटना का पूरा विवरण, रैस्टोरैंट का नाम, पता और लड़की के बारे में जानकारी पुलिस को दें. उस के साथ मिलने की जो चैट है उस का स्क्रीनशौट प्रूफ में शामिल करें, ताकि पुलिस कन्फर्म हो सके कि उसी ने उस रैस्टोरैंट का सजेशन दिया.

यदि रैस्तरां में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं तो पुलिस से वहां की फुटेज जांचने की मांग करें. यदि पुलिस से कोई मदद नहीं मिल रही है तो एक वकील से संपर्क करें. वकील आप की मदद एफआईआर दर्ज करवाने, मामले को अदालत में ले जाने में कर सकता है.

सोशल मीडिया पर पूरी घटना को सावधानीपूर्वक साझा करें. अपने परिवार और दोस्तों को इस घटना के बारे में बताएं ताकि वे आप की मदद कर सकें.

भविष्य में सतर्क रहें. डेटिंग ऐप्स का उपयोग करते समय किसी पर जल्दी भरोसा न करें. किसी जगह पर जाने से पहले उस की साख की जांच करें. अगर कोई परिस्थिति संदिग्ध लगे तो तुरंत वहां से हट जाएं.

Islamic Nations : ब्रापैंटी में घूम कर विरोध जता रही है इस्‍लामिक मुल्‍क की महिला

Islamic Nations : अमेरिका की सत्ता में हुए उलटफेर का असर भारत सहित पूरी दुनिया के देशों पर होगा खासकर उन मुसलिम देशों में अब कट्टरवाद बढ़ेगा जहां के शासक रूढि़वादी मानसिकता से ग्रस्त हैं और औरत को सिर्फ इस्तेमाल की वस्तु सम झते हैं.

शीरीन एबादी अपने देश ईरान से निर्वासित हो कर 2009 से ब्रिटेन में रह रही हैं. वे एक वकील, पूर्व न्यायाधीश और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. उन्होंने ईरान में कई मानवाधिकार केंद्रों की स्थापना की और ईरानी औरतों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. 2003 में शीरीन एबादी को लोकतंत्र और मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों, के लिए किए गए कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वे नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली ईरानी और पहली मुसलिम महिला हैं. एबादी की जिंदगी सीधी और आसान कभी नहीं रही. उन की निर्वासित जिंदगी ईरान में धार्मिक कट्टरवाद का ऐसा खूंखार चेहरा सामने लाती है जो मानवता को शर्मसार करता है.

बिलकुल वैसे ही कट्टरवाद की आग में आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तुर्किस्तान, कजाखिस्तान, यूक्रेन, रूस, भारत और अमेरिका जैसे तमाम देश धधक रहे हैं. इस आग में महिलाएं ज्यादा झुलस रही हैं क्योंकि वे पुरुषों के अधीन हैं. शीरीन एबादी ने अपनी कई किताबों में इस बात का खुलासा किया है कि धार्मिक कट्टरता और रूढि़वादिता से ग्रस्त सरकारें अपनी जिद को पूरा करने के लिए लोगों को किसकिस तरह से प्रताडि़त करती हैं, खासकर औरतों को.

Islamic Nations : कई सालों तक अधिकारियों ने एबादी के पति, उन की बेटियों और बहन को निशाना बनाया. एबादी के पति को एक दिन अचानक गायब कर दिया गया. उस के बाद पुलिस ने उन्हें शराब, सैक्स और व्यभिचार के मामले में फंसा कर अदालत में पेश किया. इसलामी कानून में विवाह के बाहर सैक्स निषिद्ध है, लिहाजा अधिकारियों को उसे जेल ले जाने की खुली छूट मिल गई जहां उन्हें कोड़े मारे गए, व्यभिचार का दोषी ठहराया गया और फिर कोर्ट द्वारा उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. लेकिन वे अधिकारियों के साथ एक सौदा कर के फांसी से बच गए.

अपनी स्वतंत्रता के बदले में एबादी के पति को एबादी की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी पड़ी. उन को कहना पड़ा, ‘शीरीन एबादी नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने की हकदार नहीं थी. उसे पुरस्कार इसलिए दिया गया ताकि वह इसलामी गणराज्य को गिराने में मदद कर सके. वह पश्चिम, विशेष रूप से अमेरिका, की समर्थक है.’ एबादी लिखती हैं, ‘‘मैं ने अपनी कहानी इतनी खुल कर इसलिए बताई क्योंकि मैं दिखाना चाहती थी कि ईरान की सरकार क्या करने में सक्षम है. एक ऐसी सरकार जो मेरे बाल दिखने पर मु झे सड़कों पर कोड़े मार सकती है और इसलाम के नाम पर राजनीति के लिए एक सैक्सवर्कर को काम पर रखती है?’’

ईरान की शीरीन एबादी की कहानी हो या नरगिस मोहम्मदी की, पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई की या बंगलादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन की, ये तमाम नाम धार्मिक कट्टरवाद, महिला विरोधी और रूढि़वादी मानसिकता को उजागर करने वाली औरतों के हैं. लेकिन ये नाम अभी इतने कम हैं कि इन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है, जबकि धार्मिक कट्टरता पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिस का पहला निशाना औरत है. धर्म औरत का सब से बड़ा शत्रु किसी ऐसे व्यक्ति के सत्ता के शीर्ष पर स्थापित होने, जो मानसिक रूप से रूढि़वादी और कट्टरपंथी हो, का सब से बुरा प्रभाव औरतों पर पड़ता है.

औरत चाहे भारत की, अमेरिका की हो, अफगानिस्तान, पाकिस्तान या ईरान जैसे देश की हो, सत्ता में धर्म के उभार ने उस की जिंदगी मुश्किल की है. एक औरत क्या पहने, क्या खाए, कैसे जिए, किस से मिले, किस से न मिले, किस से प्रेम करे, किस से विवाह करे, किस में आस्था रखे, किस में आस्था न रखे आदि तमाम बातें पुरुष तय करते हैं और उसे धर्मसम्मत बता कर स्त्री को अपने बनाए नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करते हैं. जब किसी देश में सत्ताशीर्ष पर कोई ऐसा चालाक, रूढि़वादी, कट्टर और स्त्री को दोयम दर्जे पर रखने वाला व्यक्ति बैठता है तो उस देश के पुरुषों को स्त्री के प्रति बर्बरता करने का जैसे लाइसैंस मिल जाता है.

अगर कोई ऐसा देश है जिस में होने वाले परिवर्तनों का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ता है तो अन्य देशों की स्त्रियां भी उसी प्रताड़ना से गुजरती हैं. हाल ही में अमेरिका में चुनाव संपन्न हुए हैं और डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति मनोनीत हुए हैं. ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने से करोड़ों अमेरिकी महिलाओं को निराशा हुई है. दरअसल ट्रंप महिलाओं की बराबरी के व शारीरिक अधिकारों के पक्ष में नहीं हैं, जिन में एबौर्शन का अधिकार मुख्य रूप से शामिल है. ट्रंप का मानना है कि एबौर्शन पेट में पल रहे बच्चे की हत्या करना है. जबकि, आज की उदार व तार्किक महिलाएं इसे एक मूल अधिकार के रूप में देखती हैं और मानती हैं कि यह उन के अपने शरीर के स्वास्थ्य से जुड़ा एक अधिकार है और अपने शरीर के बारे में फैसला लेने का हक सिर्फ उन्हें ही होना चाहिए.

पिछले कार्यकाल में ट्रंप की पार्टी के कई सीनेटर्स ने देशभर में एबौर्शन पर बैन लगाने की इच्छा जाहिर की थी और कुछ राज्यों, जहां रिपब्लिकन पार्टी का राज है, में तो यह बैन है भी. ऐसे में महिलाओं ने ‘माय बौडी, माय चौइस’ स्लोगन के जरिए यह साफ कर दिया था कि उन के शरीर से जुड़े फैसले लेने का हक सिर्फ उन्हें ही होना चाहिए. लेकिन अब ट्रंप के सत्ता में लौटने पर इस स्लोगन पर महिलाओं के खिलाफ हेट स्पीच बढ़ रही है. ट्रंप की जीत के बाद सोशल मीडिया पर निक फुएंटेस नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘योर बौडी, माय चौइस. फौरएवर.’ यानी कि ‘तुम्हारा शरीर, मेरी मरजी, हमेशा.’ ]ऐसा कहते हुए इस यूजर ने ‘माय बौडी, माय चौइस’ स्लोगन पर निशाना साधा.

इस के बाद सोशल मीडिया पर ट्रंप समर्थकों ने महिलाओं के खिलाफ जम कर हेट स्पीच उगली. दरअसल डोनाल्ड ट्रंप उस रूढि़वादी मानसिकता से ग्रस्त हैं जो चर्चों से निकल कर ईसाई धर्म की शुरुआत से समाज पर छाई रही है. महिला आजादी और महिला अधिकारों के खिलाफ उन्होंने कई ऐसे फैसले पिछले कार्यकाल में किए जिन्होंने अमेरिकी महिलाओं को सड़क पर आने के लिए मजबूर किया.

ट्रंप नस्लवादी मानसिकता से भी ग्रस्त हैं. अमेरिका में जबरन लाए गए गुलाम अफ्रीकियों की काली चमड़ी के प्रति उन के दिल में नफरत है, बिलकुल वैसे ही जैसे भारत में थोड़ी गोरी चमड़ी वाले सवर्णों के दिल में थोड़े काले दलितों के प्रति नफरत का गहरा भाव है. सत्ता में बैठा व्यक्ति दलितों को पांव की जूती सम झता है और अपने फायदे के लिए उस का इस्तेमाल करता है. अमेरिका में भी नस्लवादी नफरत सत्ता की देन है, जिसे यूरोप से गए श्वेत, व्हाइट्स, कट्टर और रूढि़वादी मानसिकता के शासक द्वारा बढ़ावा दिया जाता रहा है.

अमेरिका की सत्ता में हुए हालिया उलटफेर का असर भारत सहित पूरी दुनिया के देशों पर (कहीं कम कहीं ज्यादा) पड़ेगा, खासकर उन मुसलिम देशों पर जहां के शासक कट्टरता और रूढि़वादिता से ग्रस्त हैं और औरत को सिर्फ इस्तेमाल की वस्तु सम झते हैं. डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने से निसंदेह धर्म की सत्ता को बल मिलेगा क्योंकि उस के समर्थक, जिन्हें अब मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) कहा जाने लगा है, धार्मिक कट्टरता से भरेपूरे हैं.

धर्म वह है जिस ने औरत के साथ कभी न्याय नहीं किया और उस को हथियार बना कर पुरुषों ने सदा नारी का शोषण किया. धर्म की सत्ता कायम होने पर पुरुष ने स्त्री को धार्मिक कर्मकांडों में उल झा कर, उसे घर की चारदीवारी में कैद कर उस की प्रगति को रोका है. वह दिनभर धार्मिक कार्य करे, पुरुष की सैक्स कामना शांत करे, उस के बच्चे पैदा करे, उन बच्चों की और परिवार की देखभाल करे, इस से ज्यादा स्त्री को कुछ हासिल न हो, धर्म की सत्ता का पूरा जोर इसी बात पर रहता है.

धर्म का फैलाव पैदा करता है मानसिक संकीर्णता भारत में भी मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में तो न के बराबर काम हुए मगर देशभर में पूजापाठ, आरती, धार्मिक यात्राएं, व्रतत्योहारों की जैसे बाढ़ आ गई. अयोध्या में राम मंदिर बनने और उस का महिमामंडन करने व तीर्थयात्राओं के इर्दगिर्द ही पूरी शासनप्रशासन व्यवस्था सिमट कर रह गई है. होलीदीवाली जैसे त्योहार जो मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले तक मेलमिलाप और आपसी सौहार्द बढ़ाने वाले हुआ करते थे और जिन्हें हिंदूमुसलिम बिना विवाद के मनाते थे, वे अब एक धर्म द्वारा दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने वाले बना डाले गए हैं.

अब हर चीज को धर्म के चश्मे से देखा और आंका जा रहा है. देशभर में हिंदू औरतें पूजापाठ, व्रत, त्योहार, आरती, धार्मिक यात्राओं, गंगास्नान आदि में लगा दी गई हैं. ट्रंप के अमेरिका की सत्ता में लौटने से मोदी सरकार की बांछें खिल गई हैं क्योंकि अब धर्म के नाम पर औरतों को दो सदी पीछे धकेलने का काम और आसान होगा. उदाहरण दिया जाएगा कि देखो, अमेरिका में भी ऐसा ही होता है.

अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों में भी ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से धर्म के नाम पर औरतों पर जुल्म ढाने का काम आसान हो जाएगा. पहले अमेरिका दुनिया का नैतिक चौकीदार भी हुआ करता था. अब वह नैतिकता का नहीं बल्कि कट्टरता का सोल्जर हो गया है जो बंदूकों का, धर्म की कट्टरता का इस्तेमाल उसी तरह करेगा जैसा इसलामी देशों में होता है.

तालिबानी शासन में अफगानी औरतों की हालत : पहला दौर सब से बुरी हालत दुनिया में इसलामी देशों में औरतों की है. वहां औरतों की हालत अमेरिका में संभावित हालत और भारत की औरतों से कहीं ज्यादा बुरी है. अफगानिस्तान इस का केंद्र है. अफगानिस्तान पर कब्जा कर रूसी साम्राज्य को एशियाई महासागर तक पहुंचाने का सपना

1919 में कम्यूनिस्ट क्रांति से पहले वहां के सम्राटों का था. उन्हें रोकने के लिए भारत में राज कर रहे ब्रिटिश शासकों ने 3 इंडो-अफगान युद्ध लड़े जिन में वे बुरी तरह हारे. सोवियत रूस ने यह सपना साकार करना चाहा पर अफगानिस्तान ने विरोध किया और इसलामी कट्टरवादी एकता के सहारे शिकस्त दी. इन्होंने खुद को तालिबानी कहा.

तालिबान ऐसा कट्टरपंथी समूह है जो कई वर्षों के संघर्ष के बाद 1994 में उभरा. इस के कई सदस्य पूर्व मुजाहिदीन लड़ाके थे जिन्हें 80 और 90 के दशकों में अफगानिस्तान के गृहयुद्ध और रूसी कब्जे के दौरान पाकिस्तानी सेना ने प्रशिक्षित किया था. वे अफगानिस्तान को एक इसलामिक राज्य बनाने के उद्देश्य से इकट्ठे हुए और 1996 से 2001 तक इस कट्टरपंथी समूह ने अफगानिस्तान पर पूरा शासन किया और अमेरिकियों के अफगानिस्तान छोड़ने पर फिर सत्ता में हैं. तब से यह तालिबानी समूह मानवाधिकारों के हनन के लिए कुख्यात है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के प्रति.

1996 में तालिबान के सत्ता में आने से पहले अफगानिस्तान एक पारंपरिक समाज था, जिस में एक खुलापन था, महिलाओं को अनेक अधिकार प्राप्त थे. 1970 के दशक में अफगान महिलाओं की भूमिका घरसमाज में वैसे तो पुरुष के अधीन ही थी मगर शिक्षण संस्थानों में, व्यवसायों में, मैडिकल व सिविल सेवाओं में उन का छोटा ही सही पर महत्त्वपूर्ण प्रतिशत था. वे शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, अपने मनपसंद कपड़े पहनती थीं. मनपसंद स्थानों पर अकेले घूमने जाने में कोई रुकावट या डर उन्हें नहीं था.

1996 में तालिबान शासकों ने सत्ता में आने के बाद पहले दौर में ही अफगानिस्तान में इसलामिक शरिया कानून के अपने संस्करण को लागू किया और महिलाओं व लड़कियों पर अनेक प्रतिबंध लगाए. तालिबान ने महिलाओं को राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक जीवन में शामिल होने के अवसर से वंचित कर दिया. उन से निजी संपत्ति के अधिकार छीन लिए गए यानी औरतों को मर्दों के ऊपर आश्रित कर आर्थिक गुलाम बना दिया. नियम लागू किए गए कि लड़कियां स्कूल नहीं जा सकतीं.

बड़े क्रूर तरीके से उन पर ड्रैस कोड लागू कर उन्हें सिर से पांव तक बुर्के में रहने के लिए बाध्य किया गया. काबुल में अपने ग्राउंड और पहली मंजिल की खिड़कियों को ढकने का आदेश था ताकि अंदर की महिलाएं सड़क से दिखाई न दें. अगर कोई महिला घर से बाहर निकलती तो वह पूरे शरीर को बुर्के में लपेट कर किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ ही निकल सकती थी. 27 सितंबर, 1996 को तालिबानी लड़ाकों ने काबुल पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिकी और पाकिस्तानी सेनाओं की सहायता से रूसियों को खदेड़ दिया गया था.

अफगानिस्तान की जनता तो रूसियों से मुक्त हो गई पर अफगानिस्तानी महिलाएं मर्दों की गुलाम बन गईं. रूसी शासन के दौरान औरतों को पूरी बराबरी मिली हो, ऐसा तो नहीं था, पर कम्यूनिस्ट रूस मूलतया बराबरी का समर्थक था और उस की कठपुतली काबुल सरकार औरतों के खिलाफ फतवे जारी नहीं करती थी.

अब निम्न कदम उठा लिए गए : 
1996 में पहले दौर में आते ही तालिबानियों ने औरतों को नौकरियों से निकाल दिया. लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गए और विश्वविद्यालयों से औरतों को निकाल बाहर फेंका.

औरतों को बिना नजदीकी पुरुष संबंधी के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. घरों की खिड़कियों को बंद करने के साथ बाहर आने पर औरतों को बुर्के में ही निकलने का आदेश दिया गया.औरतें पुरुष डाक्टरों से इलाज नहीं करा सकती थीं. अस्पतालों में औरतों का इलाज केवल औरत डाक्टर ही कर सकती थीं. औरतों को बुरी तरह पीटना, खुले चौराहों पर कोड़े मारना, उन की हत्या कर देना इसलामी कानून का पालन करना था.

एक लड़की ने घर में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया तो उस के घर वालों के सामने उस की हत्या कर दी गई. द्य एक लड़की जो किसी पुरुष के साथ थी, उस की पत्थर मारमार कर खुले मैदान में हत्या कर दी गई.एक बूढ़ी औरत की हत्या लोहे के तार से मारमार कर कर दी गई क्योंकि उस की एडि़यां दिख रही थीं. ये तालिबानी क्रूरता की चंद बानगियां हैं. अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के तहत अधिकांश महिलाएं पर्याप्त भोजन से वंचित रहीं और आज भी हैं. उन के पास नौकरी या आर्थिक आजीविका नहीं है. स्वास्थ्य देखभाल, विशेष रूप से प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल, सेवाओं तक उन की पहुंच बहुत कम या नहीं के बराबर है.

पुरुष बिना किसी दंड के घरेलू हिंसा कर सकते थे. पुरुषों को परिवार की महिला सदस्यों के साथ हिंसा करने या उसे घायल करने की छूट थी, यहां तक कि वे उन की हत्या भी कर सकते थे और इस के लिए उन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती थी, जैसे महिलाएं इंसान नहीं मुरगी या बकरा थीं, जिन्हें हलाल करना कोई जुर्म नहीं था.

Islamic Nations : इस के अलावा बलात्कार और अन्य प्रकार की हिंसा से पीडि़त महिलाओं पर नैतिक अपराध और व्यभिचार का आरोप लगाया जा सकता था और उन्हें सजा के तौर पर पत्थर मार कर मौत के घाट उतार दिया जाता था. तालिबानी शासन में अफगान महिलाओं के साथ उन के दैनिक जीवन के लगभग हर पहलू में क्रूरता की जाती थी. उदाहरण के लिए, 1996 में काबुल में एक महिला के अंगूठे का सिरा इसलिए काट दिया गया क्योंकि उस ने नेलपौलिश लगाई थी. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले और नियमों का उल्लंघन करने वाले पुरुषों के साथ भी क्रूरता होती थी.

अमेरिकी उदारता का दबाव पहले तालिबानी शासन के बाद ही अमेरिका व यूरोप के अन्य देशों में औरतों ने अफगान औरतों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी. अखबारों में लेख व रिपोर्टें छपने लगीं. अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर शोर हुआ. 2001 में तालिबानी क्रूरता के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हुई तो अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप शुरू हुआ.

11 सितंबर, 2001 के न्यूयौर्क पर तालिबानी मुखिया ओसामा बिन लादेन द्वारा आयोजित आतंकवादी हमलों के तुरंत बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप करते हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य अभियान चलाया. दिसंबर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया और तालिबानी सत्ता को उखाड़ फेंका.

तालिबान के कई सदस्य पड़ोसी देश पाकिस्तान भाग गए. 2001 में अफगानिस्तान की औरतें पहले तालिबान दौर की यातनाओं से आजाद हुईं. स्कूलों ने लड़कियों के लिए अपने दरवाजे खोले और महिलाएं काम पर वापस लौटीं. समानता की दिशा में प्रगति हुई. 2003 में नए संविधान में महिलाओं के अधिकारों को शामिल किया गया और 2009 में अफगानिस्तान ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन कानून को अपनाया. हालांकि इस प्रगति के बावजूद अफगानी समाज में ग्रामीण व कसबाई इलाकों में महिलाओं के प्रति भेदभाव व्याप्त रहा.

2011 में अफगानिस्तान को महिलाओं के लिए ‘सब से खतरनाक देश’ बताया गया. 2001 में इस आजादी के बाद करीब 19 वर्षों तक अफगान महिलाओं ने खुली हवा में सांस ली. अफगान महिलाओं की राजनीतिक और व्यावहारिक दोनों स्थितियों में काफी सुधार हुआ. संयुक्त राज्य अमेरिका के मजबूत प्रोत्साहन के साथ 2 महिलाओं को अफगान अंतरिम प्राधिकरण में नियुक्त किया गया (डा. सिमा समर, एआईए उपाध्यक्ष और महिला मामलों की मंत्री; और डा. सुहैला सिद्दीक, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री).

बाद में 24 जून को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हामिद करजई की संक्रमणकालीन सरकार के मंत्रिमंडल में उन्हें फिर से नियुक्त किया गया, जबकि डा. सिमा समर को नए मानवाधिकार आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया. एक अन्य महिला हबीबा सोराबी ने महिला मामलों के मंत्रालय को संभाला. इस के अलावा आपातकालीन लोया जिरगा का आयोजन करने वाले 21 सदस्यीय आयोग में 3 महिलाओं को नियुक्त किया गया, जिस में उपाध्यक्ष डा. महबूबा होकुकमल भी शामिल थीं.

तालिबान ने सीमा पार पाकिस्तान में फिर एकजुट हो कर अपनी ताकत बढ़ाई और अपने निष्कासन के 10 साल से भी कम समय बाद वापस क्षेत्र पर कब्जा करना शुरू कर दिया. अगस्त 2021 तक, तालिबान फिर से सत्ता में लौट आया और पूरे देश में महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का साम्राज्य फिर स्थापित हो गया.

अफगानिस्तान में तालिबान का दूसरा दौर इस बार तालिबान के कम सख्त होने के दावे के बावजूद एक बार फिर महिलाओं व लड़कियों को सार्वजनिक और सामाजिक जीवन से दूर कर दिया गया है. तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों पर माध्यमिक विद्यालय में जाने, काम करने, टीवी पर आने, यहां तक कि पार्क में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. महिलाओं और धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का सम्मान करने के वादे के बावजूद तालिबान ने इसलामी कानून की कठोर व गलत व्याख्या लागू की. तालिबान के शासनकाल में अफगानिस्तान में प्रैस की स्वतंत्रता प्रतिबंधित है. इस के चलते अब तक 200 से अधिक समाचार संगठन बंद हो चुके हैं.

तालिबानी सरकार अपने खिलाफ किसी भी प्रदर्शन का हिंसक रूप से दमन करती है. प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं पर नजर रखी जाती है और अकसर उन्हें गायब कर दिया जाता है. तालिबान ने एक ऐसे मंत्रालय की स्थापना की है जो उस के सद्गुण का प्रचार और बुराई की रोकथाम करता है.

नवंबर 2022 में तालिबान सरकार ने न्यायाधीशों को शरिया की अपनी व्याख्या को लागू करने का आदेश दिया. इस के कुछ हफ्तों बाद अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से कोड़े मारना और फांसी देना फिर से शुरू कर दिया. तालिबान के उत्पीड़न से डरे और दूसरे देशों में शरण लेने का विकल्प चुनने वाले अफगान भी चिंताजनक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.

पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों से एकत्रित साक्ष्यों से पता चलता है कि उन्हें गिरफ्तारियां, हिरासत और निर्वासन की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अधिकांश के पास पहचान दस्तावेजों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में देरी होने के कारण वीजा की अवधि समाप्त हो गई है. विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि देश ने 2021 और 2022 में अपने वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 26 प्रतिशत खो दिया है. तालिबान की वापसी के बाद पहले महीनों में लाखों लोग गरीबी में चले गए. उन में से कई भुखमरी की ओर बढ़ रहे थे, जिन में 55 प्रतिशत आबादी भूख के गंभीर स्तर से पीडि़त थी.

खाद्य असुरक्षा की सब से खराब श्रेणियों में अफगानों की हिस्सेदारी 2024 तक घट कर 28 प्रतिशत हो गई है. कुपोषण का बो झ सब से ज्यादा गरीब परिवारों की लड़कियों पर पड़ा है. वहां लड़कियों में मृत्युदर लड़कों की तुलना में 90 प्रतिशत अधिक है. ईरान के इसलामिक राज में महिलाएं बदतर ईरान के हालात अफगानिस्तान जैसे तो नहीं हैं पर थोड़े ही कम हैं. इस के जवाब में पिछले कुछ सालों में ईरान में भी महिलाओं द्वारा ड्रैस कोड का विरोध बढ़ा है.

1979 की इसलामिक क्रांति के बाद, जिस में शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन को उखाड़ फेंका गया, आयतुल्ला खोमैनी शासन में आ गए. ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया. ईरान में लड़कियां स्कूलकालेज तो जा सकती हैं मगर उन को हिदायत है कि वे हिजाब में, अपने पूरे शरीर को ढांक कर ही घर से बाहर निकलें.

इस ड्रैस कोड को ले कर ईरानी औरतों में काफी आक्रोश है. ईरान में अनिवार्य ड्रैस कोड को ले कर साल 2022 में भी एक प्रोटैस्ट सामने आया था जहां महसा अमीनी की हिरासत में मौत होने के बाद महिलाओं ने अनिवार्य ड्रैस कोड के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. हाल ही में 2 नवंबर, 2024 को एक ईरानी लड़की अहू दरयाई को यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतारने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया.

तेहरान यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली यह लड़की बिना हिजाब के यूनिवर्सिटी आई थी. वह यूनिवर्सिटी के सामने की सड़क पर जा रही थी. तभी ईरान की मोरल पुलिस कर्मचारियों ने उसे रोका और उस को थप्पड़ मारे. उस ने भी हाथ उठाया तो एक पुलिसकर्मी ने उस की कमीज फाड़ दी. फिर अहू दरयाई ने खुद ही अपनी पैंट उतार दी और ऐसे ही तेहरान की सड़कों पर चहलकदमी करती रही. बाद में पुलिस ने उस की निर्दयता से पिटाई की और उसे गिरफ्तार कर लिया. उस के बाद अहू दरयाई का क्या हुआ, वह कहां गई, इस का कोई खुलासा ईरान के समाचारपत्र नहीं करते.

सोशल मीडिया पर लड़की द्वारा सिर्फ ब्रापैंटी में घूमने की तसवीरें वायरल हुईं. कुछ सोशल मीडिया रिपोर्ट्स और प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि उस लड़की को मोरल पुलिस ने बर्बरता से पीट कर कहा कि उस की इस हरकत पर वह मौत की सजा पा सकती है तो जवाब में अहू दरयाई बोली थी, ‘मैं सोए हुए ईरानी लोगों को जगाने के लिए अपनी कुर्बानी देना चाहती हूं कि तुम लोग उठो और इस निरंकुश शासन को उखाड़ फेंको.’

कहा जा रहा है कि बर्बर पिटाई के बाद अहू दरयाई का रेप कर उसे मौत के घाट उतारा जा चुका है. इस घटना के बाद से पूरे ईरान में जबरदस्त गुस्सा है. लोग अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं और कभी भी बगावत हो सकती है. ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने एक्स पर इस घटना के संबंध में लिखा, ‘ईरान में यूनिवर्सिटी मोरैलिटी पुलिस ने अनुचित हिजाब के कारण एक छात्रा को परेशान किया लेकिन उस ने पीछे हटने से इनकार कर दिया. उस ने अपने शरीर को विरोध में बदल दिया, अपने कपड़े उतार दिए और कैंपस में मार्च किया.

उस ने एक ऐसी व्यवस्था को चुनौती दी जो लगातार महिलाओं के शरीर को नियंत्रित करती है. उस का यह कृत्य ईरानी महिलाओं की आजादी की लड़ाई की एक शक्तिशाली याद होगी.’ ईरानी महिलाओं ने हर जनआंदोलन में मर्दों का पूरा साथ दिया इस उम्मीद में कि उन्हें भी बराबर के लोकतांत्रिक अधिकार मिलेंगे, लेकिन राजनीति और व्यवस्था ने उन्हें हर बार ठगा और उन के दिमाग व शरीर पर बंदिशें लागू कीं.

1891 के तंबाकू विरोध से ले कर 1905-1911 के दरम्यान हुई संवैधानिक क्रांति तक में महिलाओं की महती भूमिका रही. इस संबंध में इब्राहिम तयमोरी की किताब ‘द टोबैको बायकौट’ में विस्तार से जिक्र किया गया है. इस आंदोलन में महिलाओं ने अपनी तमाम ज्वैलरी दे कर आंदोलन को मजबूती प्रदान की. मगर इस के बदले उन्हें कुछ नहीं हासिल हुआ.

जब मोजफ्फर अद-दीन शाह काजर ने नए संविधान पर हस्ताक्षर किए तो उस में महिलाओं की ओर से एजुकेशन को ले कर दिया गया प्रस्ताव शामिल नहीं था. इस के बाद ईरान में महिलाओं की लड़ाई संगठित तौर पर शुरू हुई. उसी दौरान कई महिलावादी संगठनों ने भी जन्म लिया. द एसोसिएशन औफ वुमंस फ्रीडम, सीक्रेट लीग औफ वुमेन, द वुमंस कमेटी जैसी संस्थाओं ने प्रतिरोध की आग को जिंदा रखा. नतीजतन आने वाले बरसों में लड़कियों के कई स्कूल ईरान में खुले. महिलाओं के लिए 20वीं सदी के ईरान में पहलवी शासक का वक्त कई लिहाज से बेहतर रहा.

Islamic Nations : 1936 में हिजाब बैन हुआ और 1963 में औरतों को वोट का अधिकार मिला. फैमिली प्रोटैक्शन कानून ने कई जरूरी सामाजिक समानताएं दिलाईं. लेकिन महिलाएं राजनीति में कदम बढ़ा पातीं, उस से पहले ही शाह का शासन 1979 में चला गया और देश इसलामिक रिपब्लिक बन गया. हालांकि इस की ख्वाहिश महिलाओं को भी थी. उन्हें इसलामिक रिपब्लिक में समान अधिकार मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वे फिर निराश हुईं. इसलामिक रिपब्लिक में उन की आजादी पूरी तरह छीन ली गई.

जिन महिला संगठनों को इतनी मेहनत से खड़ा किया गया था, उन्हें रूढि़वादी और कट्टर सरकार ने बंद करा दिया. तमाम महिला वर्कर्स भूमिगत हो गईं. तब आधी आबादी के अधिकारों का जो दमन शुरू हुआ वह अभी तक जारी है. 20वीं सदी का पूरा इतिहास ईरानी महिलाओं के प्रतिरोध का गवाह रहा है. फरवरी 1994 में होमा दरबी नाम की महिला ने हिजाब उतार कर खुद को आग लगा ली.

2017 में विदा मोवहाद नाम की एक लड़की ने हिजाब को सार्वजनिक तौर पर उछाला और उस तसवीर ने ‘द गर्ल्स औन द रिवोल्यूशन स्ट्रीट’ नाम के आंदोलन की शुरुआत की. सोशल मीडिया के दौर में क्रांति का तरीका भी बदला. लिबरल ढंग से कपड़े पहनना, गीत गाना और डांस करना – ईरान में ये विरोध के नए तौरतरीके बने.

महसा अमीनी के बाद इस प्रतिरोध ने जो विस्तार पाया उसे सरकार तमाम कोशिशों के बाद भी दबा नहीं पाई. अमीनी की मौत के बाद 2022 के विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं ने हैडस्कार्फ उछाले, बाल काटे, सैनिटरी पैड से सीसीटीवी कैमरों को ढक दिया. ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान यूनिवर्सिटी की स्टूडैंट हमीद रेजा को गोली मारी गई थी. इंस्टाग्राम पर उस की आखिरी पोस्ट थी, ‘अगर इंटरनैट हमेशा के लिए बंद हो जाए तो यह मेरी अंतिम पोस्ट होगी. ‘

लौंग लिव वुमन, लौंग लिव फ्रीडम, लौंग लिव ईरान.’ 2022 के प्रदर्शनों के बाद ईरान में सख्ती बढ़ी है तो महिलाओं का विरोध भी तीव्र हुआ है. ईरान में करीब 20 लाख छात्राएं हैं. उन में से बहुतेरी दीवारों पर ग्रैफिटी बना कर और दूसरे कलात्मक तरीकों से अपनी आवाज उठा रही हैं. छात्राओं का कहना है कि यूनिवर्सिटी में हिजाब को ले कर पहले से ज्यादा सख्ती बरती जा रही है, निगरानी बढ़ गई है. हालांकि, समाज भी बदल रहा है.

साल 2020 का एक सर्वे बताता है कि 75 प्रतिशत ईरानियों ने हिजाब को जरूरी बनाए जाने का विरोध किया, जबकि इसलामी क्रांति के वक्त यह संख्या महज एकतिहाई थी. विरोध की दबी चिनगारी तेहरान यूनिवर्सिटी जैसी घटना के रूप में सामने आ जाती है. ईरानी महिलाएं प्रतिरोध करना कभी नहीं भूलीं, बस नाम और चेहरे बदल जाते हैं. मगर यह कब तक चलेगा? पितृसत्ता और धर्म की बेडि़यों से उन्हें कब मुक्ति मिलेगी, कहना मुश्किल है. खासकर अब जब दुनिया का बाप कहलाने वाले देश अमेरिका का शासन एक कट्टर और धार्मिक अंधता में ग्रस्त व्यक्ति के हाथ में आ गया है जो औरतों को मर्दों के लिए खिलौना मानता है, उन्हें पालतू बिल्ली मानता है और मुल्लाओं की तरह के पादरियों के बल पर सत्ता में आ बैठा है.

विश्व के अन्य मुसलिम देश दुनियाभर में 50 से अधिक मुसलिम देश हैं, इन में से अधिकतर देशों में मुसलिम महिलाओं की स्थिति दयनीय है. ईरान, ईराक हो या हो सीरिया, अफगानिस्तान, हर देश में महिलाओं को हिजाब पहनने, मर्दों की शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने और उन के घरपरिवार की देखभाल करने के लिए प्रताडि़त किया जाता है. मुसलिम देशों में महिलाओं के ऊपर कई तरह की बंदिशें थोपी गई हैं.

मध्य अफ्रीकी गणराज्य में 61 फीसदी महिलाओं की स्थिति बहुत ही बुरी है. वहां पर अधिकतर महिलाओं का निकाह 14 साल की उम्र में ही कर दिया जाता है. इसी तरह से दक्षिणी अफ्रीकी देश सोमालिया में भी सिर्फ 2 फीसदी महिलाएं ही आधुनिक सुखसुविधाओं का लाभ उठा पाती हैं. सोमालिया की महिलाओं की मृत्युदर भी काफी उच्च है. हालात ये हैं कि वहां पर अगर एक लाख बच्चों का जन्म होता है तो उन में से 829 महिलाएं मार दी जाती हैं.

ऐसे ही चाड में मात्र 16 वर्ष की आयु में ही लड़कियों का निकाह कर देते हैं. चाड, अफ्रीका में हालात इतने बदतर हैं कि प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर 1,140 महिलाओं की मौत हो जाती है. वहीं सीरिया, पश्चिम एशिया, में भी स्थिति बहुत खराब है. सीरिया में एक लाख महिलाओं की मौत में 75 महिलाओं की मृत्यु हिंसा के कारण होती है. महिलाओं के साथ यौनहिंसा आम बात है. वहां नई क्रांति के बाद कुछ बदलेगा, इस की उम्मीद नहीं है. कांगो भी अफ्रीका महाद्वीप का लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां 51 फीसदी मुसलिम महिलाएं पुरुषों द्वारा प्रताडि़त की जाती हैं. आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कांगो में प्रति 1,000 महिलाओं में से 124 महिलाएं मात्र 18 साल की आयु में ही मां बन जाती हैं.

सूडान में हालात बदतर

सूडान इसलामिक राष्ट्र है. वहां केवल 5 फीसदी महिलाएं ही ऐसी हैं जो खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बना पाती हैं. वहां 100 में से एक गर्भवती महिला की मौत हो जाती है. क्षेत्रफल के आधार पर सूडान अफ्रीका का तीसरा सब से बड़ा देश है. इस की राजधानी खार्तूम है. सूडान की लगभग 91 प्रतिशत आबादी मुसलिम है. पुरुष कट्टरवाद के समर्थक हैं और औरतों पर हावी रहते हैं. गृहयुद्ध से जू झ रहे सूडान के हालात काफी खराब हैं.

खराब हालात का सब से बुरा असर महिलाओं पर पड़ा है. गरीबी, भुखमरी से जू झ रही बहुतेरी महिलाओं को खाने के लिए बलात्कार का शिकार होना पड़ रहा है करीब डेढ़ साल से चल रहे गृहयुद्ध में. हजारों लोगों की मौत के अलावा करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं. विस्थापितों में महिलाओं और बच्चों की हालत दयनीय है. देश की आधी से ज्यादा आबादी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है.

अप्रैल 2023 में संघर्ष शुरू होने के बाद महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर बलात्कार की खबरें आने लगीं. सूडान का समाज इसलामिक कट्टरपंथ का शिकार रहा है. सूडान में महिलाओं की साक्षरता दर दुनिया में सब से कम है. अनुमान है कि दक्षिण सूडान में केवल 8 फीसदी महिलाएं ही साक्षर हैं. जबरन कम उम्र में शादी के जाल में फंसी लड़कियों को स्कूल की पढ़ाई जारी रखने की अनुमति नहीं है. वहां का पारिवारिक कानून बालविवाह को वैध मानता है. पत्नी को अपने पति का आज्ञाकारी होना आवश्यक है.

 

तुर्की में औरतों की हालत बहुत खराब

इस्तांबुल की ब्यूटीशियन एमीन डिरिकन ने एक अच्छी पत्नी बनने की भरपूर कोशिश की, लेकिन उस के पति को यह पसंद नहीं था कि वह काम करे, लोगों से मिलेजुले या उस के बगैर घर से अकेली बाहर जाए. एमीन ने जब भी अपने पति को सम झाने की कोशिश की, वह उस पर बुरी तरह भड़क गया. एमीन ने आखिरकार अपने मांबाप को वह घटना बताई थी जब उस के पति ने उसे जानवरों की तरह पीटा. उस ने बताया, ‘‘उन्होंने मु झे बांध दिया. मेरे हाथ, मेरे पैर पीछे से, जैसे जानवरों को बांधते हैं. फिर उस ने मु झे बैल्ट से पीटा और कहा, ‘तुम मेरी बात सुनोगी, मैं जो भी कहूंगा, तुम उस का पालन करोगी.’’

एमीन पति की हिंसा से परेशान हो कर अपने मातापिता के साथ रहने लगी. एक दिन एमीन का पति उस के मांबाप के घर पहुंचा. वह जोर दे कर बोला कि वह बदल गया है. एमीन ने उस पर भरोसा किया और उस को घर में आने दिया. घर में दाखिल होते ही वह रसोई में घुस गया जहां एमीन की मां काम कर रही थीं. उस ने एमीन की मां के बाल पकड़ कर उन्हें फर्श पर फेंक दिया और बंदूक निकाल कर एमीन पर फायर कर दिया. फिर वह बंदूक लिए उस की मां की तरफ पलटा और ट्रिगर दबाया पर गोली फंस गई. उस ने झुं झला कर बंदूक के पिछले हिस्से से उन के सिर पर वार किया. एमीन के पैर की मुख्य धमनी में गोली लगने से अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उस का देहांत हो गया. आखिरी वक्त वह अपने पिता की बांहों में रोते हुए कह रही थी, ‘मैं मरना नहीं चाहती.’ यह अकेली एमीन की कहानी नहीं है. तुर्की की अधिकांश महिलाएं बलात्कार और औनरकिलिंग की शिकार हैं, खासकर कुर्दिस्तान में.

बुद्धिजीवियों और एजेंसियों द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि तुर्की के लोगों के साथसाथ तुर्की में रह रहे प्रवासी महिलाओं के साथ भी व्यापक घरेलू हिंसा होती है. तुर्की में महिलाओं की हत्या एक पुराना मुद्दा है. वर्ल्ड पौपुलेशन रिव्यू में बिस्कोलरली की रिपोर्ट की मानें तो दुनिया में सब से खूबसूरत महिलाएं तुर्की में पाई जाती हैं. तुर्की की 40 प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक यौनहिंसा का अनुभव किया है. लगभग दोतिहाई तुर्की महिलाओं के पास व्यक्तिगत आय नहीं है. श्रमबल में तुर्की महिलाओं की भागीदारी मात्र 24 प्रतिशत है.

तुर्की में महिलाओं को रोजगार और कुछ क्षेत्रों में शिक्षा में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. तुर्की देश में महिला हत्या पर आधिकारिक आंकड़े नहीं रखता है और महिलाओं की हत्याओं के बारे में कोई नियमित डेटा भी जारी नहीं करता है. अधिकांश आंकड़े गैरसरकारी मानवाधिकार संगठनों से आते हैं. दूसरे इसलामिक देशों में भी यही कहानी दोहराई जा रही है, कहीं कम, कहीं ज्यादा. ज्यादा तेल होने के कारण खाड़ी के मुसलिम देशों में औरतें शान से तो रहती हैं पर उन के अधिकार कम हैं. यह मसला इतना बड़ा है कि इस पर किताबों पर किताबें लिखी गई हैं. यहां तो सिर्फ एक झलकी दिखाई गई कि धार्मिक कट्टरता की शिकार दूसरे धर्मों के लोगों से ज्यादा अपने धर्म को मानने वाली, अपने बिस्तर पर सोने वाली, अपने बच्चों की मां, अपनी बेटी, अपनी खुद की मां सभी औरत होने के कारण शिकार बनती हैं.

Relationship Story : दौड़

Relationship Story : आ फिस जाने से पहले बेमन से निशा ने मोबाइल से अपनी ससुराल का नंबर मिलाया. फोन उस की सास ने उठाया.

‘‘नमस्ते, मम्मीजी. कल रात क्या आप सब लोग कहीं बाहर गए हुए थे?’’ अपनी आवाज में जरा सी मिठास लाते हुए निशा बोली.

‘‘हां, कविता के बेटे मोहित का जन्मदिन था इसलिए हम सब वहां गए थे. लौटने में देर हो गई थी.’’

कविता उस की बड़ी ननद थी. मोहित के जन्मदिन की पार्टी में उसे बुलाया ही नहीं गया, इस विचार ने उस के मूड को और भी ज्यादा खराब कर दिया.

‘‘मम्मी, रवि से बात करा दीजिए,’’ निशा ने जानबूझ कर रूखापन दिखाते हुए पार्टी के बारे में कुछ भी नहीं पूछा और अपने पति रवि से बात करने की इच्छा जाहिर की.

‘‘रवि तो बाजार गया है. उस से कुछ कहना हो तो बता दो.’’

‘‘मुझे आफिस में फोन करने को कहिएगा. अच्छा मम्मी, मैं फोन रखती हूं, नमस्ते.’’

‘‘सुखी रहो, बहू,’’ सुमित्रा का आशीर्वाद सुन कर निशा ने बुरा सा मुंह बनाया और फोन रख दिया.

‘बुढि़या ने यह भी नहीं पूछा कि मैं कैसी हूं…’ गुस्से में बड़बड़ाती निशा अपना पर्स उठाने के लिए बेडरूम की तरफ चल पड़ी.

 

कैरियर के हिसाब से आज का दिन निशा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण व खुशी से भरा था. वह टीम लीडर बन गई है. यह समाचार उसे कल आफिस बंद होने से कुछ ही मिनट पहले मिला था. इसलिए इस खुशी को वह अपने सहकर्मियों के साथ बांट नहीं सकी थी.

आफिस में निशा के कदम रखते ही उसे मुबारकबाद देने वालों की भीड़ लग गई. अपने नए केबिन में टीम लीडर की कुरसी पर बैठते हुए निशा खुशी से फूली नहीं समाई.

रवि का फोन उस के पास 11 बजे के करीब आया. उस समय वह अपने काम में बहुत ज्यादा व्यस्त थी.

‘‘रवि, तुम्हें एक बढि़या खबर सुनाती हूं,’’ निशा ने उत्साही अंदाज में बात शुरू की.

‘‘तुम्हारा प्रमोशन हो गया है न?’’

‘‘तुम्हें कैसे पता चला?’’ निशा हैरान हो उठी.

‘‘तुम्हारी आवाज की खुशी से मैं ने अंदाजा लगाया, निशा.’’

‘‘मैं टीम लीडर बन गई हूं, रवि. अब मेरी तनख्वाह 35 हजार रुपए हो गई है.’’

‘‘गाड़ी भी मिल गई है. अब तो पार्टी हो जाए.’’

‘‘श्योर, पार्टी कहां लोगे?’’

‘‘कहीं बाहर नहीं. तुम शाम को घर आ जाओ. मम्मी और सीमा तुम्हारी मनपसंद चीजें बना कर रखेंगी.’’

रवि का प्रस्ताव सुन कर निशा का उत्साह ठंडा पड़ गया और उस ने नाराज लहजे में कहा, ‘‘घर में पार्टी का माहौल कभी नहीं बन सकता, रवि. तुम मिलो न शाम को मुझ से.’’

‘‘हमारा मिलना तो शनिवारइतवार को ही होता है, निशा.’’

‘‘मेरी खुशी की खातिर क्या तुम आज नहीं आ सकते हो?’’

‘‘नाराज हो कर निशा तुम अपना मूड खराब मत करो. शनिवार को 3 दिन बाद मिल ही रहे हैं. तब बढि़या सी पार्टी ले लूंगा.’’

‘‘तुम भी रवि, कैसे भुलक्कड़ हो, शनिवार को मैं मेरठ जाऊंगी.’’

‘‘तुम्हारे जैसी व्यस्त महिला को अपने भाई की शादी याद है, यह वाकई कमाल की बात है.’’

‘‘मुझे ताना मार रहे हो?’’ निशा चिढ़ कर बोली.

‘‘सौरी, मैं ने तो मजाक किया था.’’

‘‘अच्छा, यह बताओ कि मेरठ रविवार की सुबह तक पहुंच जाओगे न?’’

‘‘आप हुक्म करें, साले साहब के लिए जान भी हाजिर है, मैडम.’’

‘‘घर से और कौनकौन आएगा?’’

‘‘तुम जिसे कहो, ले आएंगे. जिसे कहो, छोड़ आएंगे. वैसे तुम शनिवार की रात को पहुंचोगी, इस बात से नवीन या तुम्हारे मम्मीडैडी नाराज तो नहीं होंगे?’’

‘‘मुझे अपने जूनियर्स को टे्रनिंग देनी है. मैं चाह कर भी पहले नहीं निकल सकती हूं.’’

‘‘सही कह रही हो तुम, भाई की शादी के चक्कर में इनसान को अपनी ड्यूटी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.’’

‘‘तुम कभी मेरी भावनाओं को नहीं समझ सके,’’ निशा फिर चिढ़ उठी, ‘‘मैं अपने कैरियर को बड़ी गंभीरता से लेती हूं, रवि.’’

‘‘निशा, मैं फोन रखता हूं. आज तुम मेरे मजाक को सहन करने के मूड में नहीं हो. ओके, बाय.’’

रवि और निशा ने एम.बी.ए. साथसाथ एक ही कालिज से किया था. दोनों के बीच प्यार का बीज भी उन्हीं दिनों में अंकुरित हुआ.

 

रवि ने बैंक में पी.ओ. की परीक्षा पास कर के नौकरी पा ली और निशा ने बहुराष्ट्रीय कंपनी में. करीब 2 साल पहले दोनों ने घर वालों की रजामंदी से प्रेम विवाह कर लिया.

दुलहन बन कर निशा रवि के परिवार में आ गई. वहां के अनुशासन भरे माहौल में उस का मन शुरू से नहीं लगा. टोकाटाकी के अलावा उसे एक बात और खलती थी. दोनों अच्छा कमाते हुए भी भविष्य के लिए कुछ बचा नहीं पाते थे.

उन दोनों की ज्यादा कमाई होने के कारण हर जिम्मेदारी निभाने का आर्थिक बोझ उन के ही कंधों पर था. निशा इन बातों को ले कर चिढ़ती तो रवि उसे प्यार से समझाता, ‘हम दोनों बड़े भैया व पिताजी से ज्यादा समर्थ हैं, इसलिए इन जिम्मेदारियों को हमें बोझ नहीं समझना चाहिए. अगर हम सब की खुशियों और घर की समृद्धि को बढ़ा नहीं सकते हैं तो हमारे ज्यादा कमाने का फायदा क्या हुआ? मैडम, पैसा उपयोग करने के लिए होता है, सिर्फ जोड़ने के लिए नहीं. एकसाथ मिलजुल कर हंसीखुशी से रहने में ही फायदा है, निशा. सब से अलगथलग हो कर अमीर बनने में कोई मजा नहीं है.’

निशा कभी भी रवि के इस नजरिये से सहमत नहीं हुई. ससुराल में उसे अपना दम घुटता सा लगता. किसी का व्यवहार उस के प्रति खराब नहीं था पर वह उस घर में असंतोष व शिकायत के भाव से रहती. उस का व रवि का शोषण हो रहा है, यह विचार उसे तनावग्रस्त बनाए रखता.

निशा को जब कंपनी से 2 बेडरूम वाला फ्लैट मिलने की सुविधा मिली तो उस ने ससुराल छोड़ कर वहां जाने को फौरन ‘हां’ कर दी. अपना फैसला लेने से पहले उस ने रवि से विचारविमर्श भी नहीं किया क्योंकि उसे पति के मना कर देने का डर था.

फ्लैट में अलग जा कर रहने के लिए रवि बिलकुल तैयार नहीं हुआ. वह बारबार निशा से यही सवाल पूछता कि घर से अलग होने का हमारे पास कोई खास कारण नहीं है. फिर हम ऐसा क्यों करें?

‘मुझे रोजरोज दिल्ली से गुड़गांव जाने में परेशानी होती है. इस के अलावा सीनियर होने के नाते मुझे आफिस में ज्यादा समय देना चाहिए और ज्यादा समय मैं गुड़गांव में रह कर ही दे सकती हूं.’

निशा की ऐसी दलीलों का रवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था.

अंतत: निशा ने अपनी जिद पूरी की और कंपनी के फ्लैट में रहने चली गई. उस के इस कदम का विरोध मायके और ससुराल दोनों जगह हुआ पर उस ने किसी की बात नहीं सुनी.

रवि की नाराजगी, उदासी को अनदेखा कर निशा गुड़गांव रहने चली गई.

 

रवि सप्ताह में 2 दिन उस के साथ गुजारता. निशा कभीकभार अपनी ससुराल वालों से मिलने आती. सच तो यह था कि अपना कैरियर बेहतर बनाने के चक्कर में उसे कहीं ज्यादा आनेजाने का समय ही नहीं मिलता.

अच्छा कैरियर बनाने के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन की कठिनाइयों को निशा ने कभी ज्यादा महत्त्व नहीं दिया. अपने छोटे भाई नवीन की शादी में वह सिर्फ एक रात पहले पहुंचेगी, इस बात का भी उसे कोई खास अफसोस नहीं था. अपने मातापिता व भाई की शिकायत को उस ने फोन पर ऊंची आवाज में झगड़ कर नजरअंदाज कर दिया.

‘‘शादी में हमारे मेरठ पहुंचने की चिंता मत करो, निशा. आफिस के किसी काम में अटक कर तुम और ज्यादा देर से मत पहुंचना,’’ रवि के मोबाइल पर उस ने जब भी फोन किया, रवि से उसे ऐसा ही जवाब सुनने को मिला.

शनिवार की शाम निशा ने टैक्सी की और 8 बजे तक मेरठ अपने मायके पहुंच गई. अब तक छिपा कर रखी गई प्रमोशन की खबर सब को सुनाने के लिए वह बेताब थी. अपने साथ बढि़या मिठाई का डब्बा वह सब का मुंह मीठा कराने के लिए लाई थी. उस के पर्स में प्रमोशन का पत्र पड़ा था जिसे वह सब को दिखा कर उन की वाहवाही लूटने को उत्सुक थी.

टैक्सी का किराया चुका कर निशा ने अपनी छोटी अटैची खुद उठाई और गेट खोल कर अंदर घुस गई.

घर में बड़े आकार वाले ड्राइंगरूम को खाली कर के संगीत और नृत्य का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. तेज गति के धमाकेदार संगीत के साथ कई लोगों के हंसनेबोलने की आवाजें भी निशा के कानों तक पहुंचीं.

 

निशा ने मुसकराते हुए हाल में कदम रखा और फिर हैरानी के मारे ठिठक गई. वहां का दृश्य देख कर उस का मुंह खुला का खुला रह गया.

निशा ने देखा मां बड़े जोश के साथ ढोलक बजा रही थीं. तबले पर ताल बजाने का काम उस की सास कर रही थीं.

रवि मंजीरे बजा रहा था और भाई नवीन ने चिमटा संभाल रखा था. किसी बात पर दोनों हंसी के मारे ऐसे लोटपोट हुए जा रहे थे कि उन की ताल बिलकुल बिगड़ गई थी.

उस की छोटी ननद सीमा मस्ती से नाच रही थी और महल्ले की औरतें तालियां बजा रही थीं. उन में उस की जेठानी अर्चना भी शामिल थी. अचानक ही रवि की 5 वर्षीय भतीजी नेहा उठ कर अपनी सीमा बूआ के साथ नाचने लगी. एक तरफ अपने ससुर, जेठ व पिता को एकसाथ बैठ कर गपशप करते देखा. अपनी ससुराल के हर एक सदस्य को वहां पहले से उपस्थित देख निशा हैरान रह गई.

उन के पड़ोस में रहने वाली शीला आंटी की नजर निशा पर सब से पहले पड़ी. उन्होंने ऊंची आवाज में सब को उस के पहुंचने की सूचना दी तो कुछ देर के लिए संगीत व नृत्य बंद कर दिया गया.

लगभग हर व्यक्ति से निशा को देर से आने का उलाहना सुनने को मिला.

मौका मिलते ही निशा ने रवि से धीमी आवाज में पूछा, ‘‘आप सब लोग यहां कब पहुंचे?’’

‘‘हम तो परसों सुबह ही यहां आ गए थे,’’ रवि ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

निशा ने माथे पर बल डालते हुए पूछा, ‘‘इतनी जल्दी क्यों आए? मुझे बताया क्यों नहीं?’’

रवि ने सहज भाव से बोलना शुरू किया, ‘‘तुम्हारी मम्मी ने 3 दिन पहले मुझ से फोन पर बात की थी. उन की बातों से मुझे लगा कि वह बहुत उदास हैं. उन्हें बेटे के ब्याह के घर में कोई रौनक नजर नहीं आ रही थी. तुम्हारे जल्दी न आ सकने की शिकायत को दूर करने के लिए ही मैं ने उन से सब के साथ यहां आने का वादा कर लिया और परसों से यहीं जम कर खूब मौजमस्ती कर रहे हैं.’’

‘‘सब को यहां लाना मुझे अजीब सा लग रहा है,’’ निशा की चिढ़ अपनी जगह बनी रही.

‘‘ऐसा करने के लिए तुम्हारे मम्मीपापा व भाई ने बहुत जोर दिया था.’’

 

निशा ने बुरा सा मुंह बनाया और मां से अपनी शिकायत करने रसोई की तरफ चल पड़ी.

मां बेटी की शिकायत सुनते ही उत्तेजित लहजे में बोलीं, ‘‘तेरी ससुराल वालों के कारण ही यह घर शादी का घर लग रहा है. तू तो अपने काम की दीवानी बन कर रह गई है. हमें वह सभी बड़े पसंद हैं और उन्हें यहां बुलाने का तुम्हें भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए.’’

‘‘जो लोग तुम्हारी बेटी को प्यार व मानसम्मान नहीं देते, तुम सब उन से…’’

बेटी की बात को बीच में काट कर मां बोलीं, ‘‘निशा, तुम ने जैसा बोया है वैसा ही तो काटोगी. अब बेकार के मुद्दे उठा कर घर के हंसीखुशी के माहौल को खराब मत करो. तुम से कहीं ज्यादा इस शादी में तुम्हारी ससुराल वाले हमारा हाथ बंटा रहे हैं और इस के लिए हम दिल से उन के आभारी हैं.’’

मां की इन बातों से निशा ने खुद को अपमानित महसूस किया. उस की पलकें गीली होने लगीं तो वह रसोई से निकल कर पीछे के बरामदे में आ गई.

कुछ समय बाद रवि भी वहां आ गया और पत्नी को इस तरह चुपचाप आंसू बहाते देख उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरा तो निशा उस के सीने से लग कर फफक पड़ी.

रवि ने उसे प्यार से समझाया, ‘‘तुम अपने भाई की शादी का पूरा लुत्फ उठाओ, निशा. व्यर्थ की बातों पर ध्यान देने की क्या जरूरत है तुम्हें.’’

‘‘मेरी खुशी की फिक्र न मेरे मायके वालों को है न ससुराल वालों को. सभी मुझ से जलते हैं… मुझे अलगथलग रख कर नीचा दिखाते हैं. मैं ने किसी का क्या बिगाड़ा है,’’ निशा ने सुबकते हुए सवाल किया.

‘‘तुम क्या सचमुच अपने सवाल का जवाब सुनना चाहोगी?’’ रवि गंभीर हो गया.

निशा ने गरदन हिला कर ‘हां’ में जवाब दिया.

‘‘देखो निशा, अपने कैरियर को तुम बहुत महत्त्वपूर्ण मानती हो. तुम्हारे लक्ष्य बहुत ऊंचाइयों को छूने वाले हैं. आपसी रिश्ते तुम्हारे लिए ज्यादा माने नहीं रखते. तुम्हारी सारी ऊर्जा कैरियर की राह पर बहुत तेजी से दौड़ने में लग रही है…तुम इतना तेज दौड़ रही हो… इतनी आगे निकलती जा रही हो कि अकेली हो गई हो… दौड़ में सब से आगे, पर अकेली,’’ रवि की आवाज कुछ उदास हो गई.

‘‘अच्छा कैरियर बनाने का और कोई रास्ता नहीं है, रवि,’’ निशा ने दलील दी.

‘‘निशा, कैरियर जीवन का एक हिस्सा है और उस से मिलने वाली खुशी अन्य क्षेत्रों से मिलने वाली खुशियों के महत्त्व को कम नहीं कर सकती. हमारे जीवन का सर्वांगीण विकास न हो तो अकेलापन, तनाव, निराशा, दुख और अशांति से हम कभी छुटकारा नहीं पा सकते हैं.’’

‘‘मुझे क्या करना चाहिए? अपने अंदर क्या बदलाव लाना होगा?’’ निशा ने बेबस अंदाज में पूछा.

‘‘जो पैर कैरियर बनाने के लिए तेज दौड़ सकते हैं वे सब के साथ मिल कर नाच भी सकते हैं…किसी के हमदर्द भी बन सकते हैं. जरूरत है बस, अपना नजरिया बदलने की…अपने दिमाग के साथसाथ अपने दिल को भी सक्रिय कर लोगों का दिल जीतने की,’’ अपनी सलाह दे कर रवि ने उसे अपनी छाती से लगा लिया.

 

निशा ने पति की बांहों के घेरे में बड़ी शांति महसूस की. रवि का कहा उस के दिल में कहीं बड़ी गहराई तक उतर गया. अपने नजदीकी लोगों से अपने संबंध सुधारने की इच्छा उस के मन में पलपल बलवती होती जा रही थी.

‘‘मैं बहुत दिनों से मस्त हो कर नाची नहीं हूं. आज कर दूं जबरदस्त धूमधड़ाका यहां?’’ निशा की मुसकराहट रवि को बहुत ताजा व आकर्षक लगी.

रवि ने प्यार से उस का माथा चूमा और हाथ पकड़ कर हाल की तरफ चल दिया. उसे साफ लगा कि पिछले चंद मिनटों में निशा के अंदर जो जबरदस्त बदलाव आया है वह उन दोनों के सुखद भविष्य की तरफ इशारा कर रहा था.

Funny Story : क्‍या मस्‍त लाइफ है

Funny Story :  यह अलग ही तरह का शख्स था. पता नहीं कहां कौन सी साधारण बात इसे खास लगने लगे, किस बात से मोहित हो जाए, कुछ कह नहीं सकते थे. जिन बातों से एक आम आदमी को ऊब होती थी, इस आदमी को उस में मजा आता था. एक अजीब सा आनंद आता था उसे. इस की अभिरुचि बिलकुल अलग ही तरह की थी. वैसे यह मेरा दोस्त है, फिर भी मैं कई बार सोचने को मजबूर हो जाता हूं कि आखिर यह आदमी किस मिट्टी का बना है. मिट्टी सी चीज में अकसर यह सोना देखता है और अकसर सोने पर इस की नजर ही नहीं जाती.

मैं इस के साथ मुंबई घूमने गया था. हम टैक्सी में दक्षिण मुंबई के इलाके में घूम रहे थे. हमारी टैक्सी बारबार सड़क पर लगे जाम के कारण रुक रही थी. जब टैक्सी ऐसे ही एक बार रुकी तो इस का ध्यान सड़क के किनारे बनी एक 25 मंजिली बिल्ंिडग की 15वीं मंजिल पर चला गया, जहां एक कमरा खुला दिख रहा था. मानसून का समय था. आसमान में बादल छाए थे. कमरे की लाइट जल रही थी, पंखा घूमता दिख रहा था. वह बोल उठा, ‘यार, इस को कहते हैं ऐश. देखो, अपन यहां ट्रैफिक में फंसे हैं और वो महाशय आराम फरमा रहे हैं, वह भी पंखे की हवा में.’

मैं ने सोचा इस में क्या ऐश की बात है? मैं ने कहा, ‘यार, वह आदमी जो उस कमरे में दिख रहा है, वह क्या कुछ काम नहीं करता होगा? आज कोई कारण होगा कि घर पर है.’

अब वह बोला, ‘यार, अपन यहां ट्रैफिक में फंसे हैं और वह ऐश कर रहा है. यह तो एक बिल्डिंग के एक माले के एक फ्लैट की बात है, यहां तो हर फ्लैट में लोग मजे कर रहे हैं.’

मैं ने झल्ला कर कहा, ‘हां, हर फ्लैट नहीं, हर फ्लैट के हर कमरे में कहो और अपन यहां ट्रैफिक में फंसे हुए हैं.’

यह तो एक घटना मुंबई की रही. एक दिन शाम को घूमते हुए शहर के रेलवे स्टेशन पर मिल गया. मैं शाने भोपाल ट्रेन से दिल्ली जा रहा था. यह तफरीह करने आया था. चूंकि ट्रेन के लिए समय था, सो हम एक बैंच पर बैठ गए. स्टेशन पर आजा रही ट्रेनों को यह टकटकी लगा कर देखता. बोगी में बैठे लोगों को देखता. यदि किसी एसी बोेगी में कोई यात्री दिख जाता आपस में बतियाते या खाना खाते, लेटे पत्रिका पढ़ते तो यह कहता, ‘यार, देखो इन के क्या ऐश हैं. मस्त एसी में यात्रा कर रहे हैं, खापी रहे हैं, गपशप कर रहे हैं और अपन यहां कुरसी पर बैठे हैं?’

मैं ने कहा, ‘यार, इस में क्या खास बात हो गई? अपन लोग भी जाते हैं तो इसी तरह मौज करते हैं यदि तुम्हारे पैमाने से बात तोली जाए.’ मैं ने आगे कहा, ‘वैसे मैं तो रेलयात्रा को एक बोरिंग चीज मानता हूं.’ अब मेरा मित्र बोल पड़ा, ‘अरे यार, तुम नहीं समझोगे क्या आनंद है यात्रा का. मस्ती में पड़े रहो, सोते ही रहो और यदि घर से परांठेसब्जी लाए हो तो उस का भी मजा अलग ही है. काश, अपन भी ऐसे ही इस समय ट्रेन की ऐसी ही किसी बोगी में बैठे होते तो मजा आ जाता.’

मैं ने कहा, ‘तो चल मेरे साथ? असल जिंदगी जीना, मैं तो खैर बोर होऊंगा तो होते रहूंगा.’ लेकिन इस बात पर यह मौन हो गया.

इसे कौन से साधारण दृश्य अपील कर जाएं, कहना मुश्किल था. एक बार मैं और यह कार से शहर से 80 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पौट को जा रहे थे. एक जगह ट्रैफिक कुछ धीमा हो गया था. इस की नजर सड़क के किनारे खड़े ट्रकों व उस के साइड में बैठे ड्राइवरक्लीनरों पर चली गई.

वे अपनी गाडिं़यां खड़ी कर खाना पका रहे थे. ईंटों के बने अस्थायी चूल्हे पर खाना पक रहा था. एक व्यक्ति रोटियां सेंक रहा था, एक सब्जी बना रहा था. बाकी बैठे गपशप कर रहे थे. बस, इतना दृश्य इस के लिए असली जिंदगी वाला इस का जुमला फेंकने और उसे लंबा सेंकने के लिए काफी था.

यह बोल उठा, ‘देखो यार, जिंदगी इस को कहते हैं मस्त, कहीं भी रुक गए, पकायाखाया, फिर सो गए और जब नींद खुली तो फिर चल दिए और अपन, बस चले जा रहे हैं. अभी किसी होटल में ऊटपटांग खाएंगे. ये अपने हाथ का ही बना खाते हैं, इस में  किसी मिलावट व अशुद्धता की गुंजाइश ही नहीं है. ऐसी गरम रोटियां होटल में कहीं मिलती हैं क्या?

मैं ने चिढ़ कर कहा, ‘ऐसा करते हैं अगली बार तुम भी रसोई का सामान ले कर चलना. अपन भी ऐसे ही सड़क के किनारे रुक कर असली जिंदगी का मजा लेंगे. और तुरंत ही मजा लेना है तो चल आगे, किसी शहरकसबे के बाजार से अपना तवा, बेलन और किराने का जरूरी सामान खरीद लेते हैं, इस पर वह मौन हो गया.

मैं एक बार इस के साथ हवाईजहाज से बेंगलुरु से देहरादून गया. फ्लाइट के 2 स्टौप बीच में थे. एयर होस्टैस और दूसरे हौस्पिटैलिटी स्टाफ के काम को यह देखतासुनता रहा. बाद में बोला, ‘यार, असली मजे तो इन्हीं के हैं? 2 घंटे में इधर, तो 2 घंटे में उधर. सुबह उठ कर ड्यूटी पर आए तो दिल्ली में थे, नाश्ता किया था मुंबई में. लंच लिया बेंगलुरु में और डिनर लेने फिर दिल्ली आ गए. करना क्या है, बस, मुसकराहटों को फेंकते चलना है. एक बार हर उड़ान में सैफ्टी निर्देशों का प्रदर्शन करना है, बस, फिर जा कर बैठ जाना है. प्लेन के लैंड करते समय फिर आ जाना है और यात्रियों के जाते समय बायबाय, बायबाय करना है. इसे कहते हैं जिंदगी.’

मैं ने कहा, ‘यार, तुझे हर दूसरे आदमी की जिंदगी अच्छी लगती है, अपनी नहीं.’ मैं ने आगे कहा कि इन की जिंदगी में रिस्क कितना है? अपन तो कभीकभी प्लेन में बैठते हैं तो हर बार सब से पहला खयाल सहीसलामती से गंतव्य पहुंच जाने का ही आता है. अब इस बात पर यह बंदा मौन हो गया, कुछ नहीं बोला. बस, इतना ही दोहरा दिया कि असली ऐश तो ये करते हैं.

एक और दिन की बात है. यह अपने खेल अनुभव के बारे में बता कर दूसरों की जिंदगी में फिर से तमगे पर तमगे लगा रहा था. वनडे क्रिकेट मैच देख आया था नागपुर में, बोला, ‘यार, जिंदगी हो तो खिलाड़ी जैसी. कोई काम नहीं, बस, खेलो, खेलो और जम कर शोहरत व दौलत दोनों हाथों से बटोर लो. जनता भी क्या पगलाती है खिलाडि़यों को देख कर, इतनी भीड़, इतनी भीड़, कि बस, मत पूछो.’

मैं ने कहा, ‘बस कर यार, अभी पिछले सप्ताह प्रसिद्ध गायक सोनू निगम का कार्यक्रम हुआ था, उस में भी तेरा यह कहना था कि अरे बाप रे, क्या भीड़ है. लोग पागलों की तरह दाद दे रहे हैं, झूम रहे हैं. जिंदगी तो ऐसे कलाकारों की होती है’ मैं ने आगे कहा, ‘इस स्तर पर वे क्या ऐसे ही पहुंच गए हैं. न जाने कितने पापड़ बेले हैं, कितना संघर्ष किया है. असली कलाकार तो मैं तुझे मानता हूं जो असली जिंदगी को कहांकहां से निकाल ढूंढ़ता है.’

वह बोला, ‘यार, यह सब ठीक है. पापड़आपड़ तो सब बेलते हैं, लेकिन समय भी कुछ होता है. ये समय के धनी लोग हैं और अपन समय के कंगाल? घिसट कर जी रहे हैं.’ मैं ने कहा, ‘मैं तो तुम्हारी असली जिंदगी जीने की अगली उपमा किस के बारे में होगी, उस का इंतजार कर रहा हूं. तुम्हारा यह चेन स्मोकर की तरह का नशा हो गया है कि हर दूसरे दिन किसी दूसरे की जिंदगी में तुम्हें नूर दिखता है और अपनी जिंदगी कू्रर.’

वह कुछ नहीं बोला. अब उस के मौन हो जाने की बारी थी. उस का मौन देख कर मैं ने भी अब मौन रहना उचित समझा, वरना मैं ने कुछ कहा तो पता नहीं यह फिर किस से तुलना कर के अपने को और मुझे भी नीचा फील करवा दे.

मेरे इस दोस्त का नाम तकी रजा है. महीनेभर बाद पिछले शनिवार को मैं इस से मिलने घर गया था. मैं आजकल इस के ‘असली जिंदगी इन की है’ जुमले से थोड़ा डरने लगा हूं. मुझे लग रहा था कि कहीं यह मेरे पहुंचते ही ‘असली जिंदगी तो इन की है’ कह कर स्वागत न कर दे. मैं इस के घर का गेट खोल कर अंदर दाखिल हुआ. यह लौन में ही बैठा हुआ था.

मेरी ओर इस की नजर गई. लेकिन तकी, जो ऊपर को टकटकी लगाए कुछ देख रहा था, ने तुरंत नजर ऊपर कर ली. मैं उस के सामने पड़ी कुरसी पर जा कर बैठ गया. उस के घुटनों को छू कर मैं ने कहा कि क्या बात है, सब ठीक तो है? वह मेरे यह बोलते ही बोला, ‘क्या ठीक है यार, ऊपर देख? कैसे एक तोता मस्त अमरूद का स्वाद ले रहा है?’

मैं ने ऊपर की तरफ देखा, वाकई एक सुरमी हरे रंग का लेकिन लाल रंग की चोंच, जोकि तोते की होती ही है, वाला तोता अमरूद कुतरकुतर कर खा रहा था और बारीकबारीक अमरूद के कुछ टुकड़े नीचे गिर रहे थे. थोड़ी देर बाद वह फुर्र से टांयटांय करते उड़ गया. फिर एक दूसरा तोता आ गया. उस के पीछे 2-3 तोते और आ गए. वे सब एकएक अमरूद पर बैठ गए.

एक अमरूद पर तो 2 तोते भी बैठ कर उसे 2 छोरों से कुतरने लगे. कौमी एकता का दृश्य था. तकी बोला, ‘यार, असली जिंदगी तो इन की है. जमीन पर आने की जरूरत ही नहीं, हवा में रहते ही नाश्ता, खाना, टौयलेट सब कर लिया.’ और हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि तकी ने जैसे ही यह बोला कि एक तोता, जो उस के सिर के ठीक ऊपर वाली डाल पर था, ने अपना वेस्ट मैटेरियल सीधे तकी के सिर पर ही गिरा दिया.

‘यह भी कोई तरीका है,’ कह कर तकी अंदर की ओर भागा. जब वह वापस आया तो मैं ने कहा, ‘हां यार, वाकई असली जिंदगी ये ही जी रहे हैं.’ तकी ने मुझे खा जाने वाली नजरों से देखा.

मैं ने इस के ‘असली जिंदगी ये जी रहे हैं’ वाले आगामी बेभाव पड़ने वाले डायलौग से बचने के लिए बात को आम भारतीय की तरह महंगाई को कोसने के शाश्वत विषय की ओर मोड़ दिया.

तकी बोला, ‘हां यार, यह महंगाई तो जान ले रही है.’ लेकिन थोड़ी ही देर में असली जिंदगी तो ये जी रहे हैं’ का साजोसामान ले जाती कुछ बैलगाडि़यां सामने से निकल रही थीं. ये गड़रियालुहार थे जोकि खानाबदोश जिंदगी जीते हैं. बैलगाडि़यों पर पलंग, बच्चे और सब सामान लदा दिख रहा था. अब तकी टकटकी लगा कर इन्हें ही देख रहा था. उस की आंखों ने बहुतकुछ देख लिया जो कि उसे बाद में शब्दों में प्रकट कर मेरी ओर शूट करना था. अंतिम बैलगाड़ी जब तक 25 मीटर के लगभग दूर नहीं पहुंच गई, यह उसे टकटकी लगा कर देखता ही रहा. अब वह बोला, ‘यार, जिंदगी तो इन की है?’

मैं ने कहा, ‘खानाबदोश जिंदगी भी कोई जिंदगी है?’

वह बोला, ‘यार, तुम नहीं समझोगे, इसी में जिंदगी का मजा है. एक जगह से दूसरी जगह को ये लोग हमेशा घूमते रहते हैं. कहीं भी रुक लिए और कहीं भी बनाखा लिया, और कहीं भी रात गुजार ली. भविष्य की कोई चिंता नहीं, मस्तमौला, घुमक्कड़ जिंदगी, सब को कहां मिलती है.’

मैं ने सोचा कि इस को भी यह अच्छा कह रहा है. अब तो यहां से रवानगी डालना ही ठीक होगा, वरना ‘असली जिंदगी तो इन की है’ का कोई न कोई नया संस्करण कहीं न कहीं से इस के लिए प्रकट हो जाएगा, जिसे वह मेरे पर शूट करेगा जो कि मुझे आजकल हकीकत की गोली से भी तेज लगने लगा है.

Family Story : यकीन का सफर

Family Story :  फोन पर ‘हैलो’ सुनते ही अंजलि ने अपने पति राजेश की आवाज पहचान ली.

राजेश ने अपनी बेटी शिखा का हालचाल जानने के बाद तनाव भरे स्वर में पूछा, ‘‘तुम यहां कब लौट रही हो?’’

‘‘मेरा जवाब आप को मालूम है,’’ अंजलि की आवाज में दुख, शिकायत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभरे.

‘‘तुम अपनी मूर्खता छोड़ दो.’’

‘‘आप ही मेरी भावनाओं को समझ कर सही कदम क्यों नहीं उठा लेते हो?’’

‘‘तुम्हारे दिमाग में घुसे बेबुनियाद शक का इलाज कर ने को मैं गलत कदम नहीं उठाऊंगा…अपने बिजनेस को चौपट नहीं करूंगा, अंजलि.’’

‘‘मेरा शक बेबुनियाद नहीं है. मैं जो कहती हूं, उसे सारी दुनिया सच मानती है.’’

‘‘तो तुम नहीं लौट रही हो?’’ राजेश चिढ़ कर बोला.

‘‘नहीं, जब तक…’’

‘‘तब मेरी चेतावनी भी ध्यान से सुनो, अंजलि,’’ उसे बीच में टोकते हुए राजेश की आवाज में धमकी के भाव उभरे, ‘‘मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा. अगर तुम फौरन नहीं लौटीं तो…तो मैं कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दूंगा. आखिर, इनसान की सहने की भी एक सीमा…’’

अंजलि ने फोन रख कर संबंधविच्छेद कर दिया. राजेश ने पहली बार तलाक लेने की धमकी दी थी. उस की आंखों में अपनी बेबसी को महसूस करते हुए आंसू आ गए. वह चाहती भी तो आगे राजेश से वार्तालाप न कर पाती क्योंकि उस के रुंधे गले से आवाज नहीं निकलती.

शिखा अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी. अंजलि के मातापिता अपने कमरे में आराम कर रहे थे. अपनी चिंता, दुख और शिकायत भरी नाराजगी से प्रभावित हो कर वह बिना किसी रुकावट के कुछ देर खूब रोई.

रोने से उस का मन उदास और बोझिल हो गया. एक थकी सी गहरी आस छोड़ते हुए वह उठी और फोन के पास पहुंच कर अपनी सहेली वंदना का नंबर मिलाया.

राजेश से मिली तलाक की धमकी के बारे में जान कर वंदना ने उसे आश्वासन दिया, ‘‘तू रोनाधोना बंद कर, अंजलि. मेरे साहब घर पर ही हैं. हम दोनों घंटे भर के अंदर तुझ से मिलने आते हैं. आगे क्या करना है, इस की चर्चा आमने- सामने बैठ कर करेंगे. फिक्र मत कर, सब ठीक हो जाएगा.’’

वंदना उस के बचपन की सब से अच्छी सहेली थी. उस का व उस के पति कमल का अंजलि को बहुत सहारा था. उन दोनों के साथ अपने सुखदुख बांट कर ही पति से दूर वह मायके में रह रही थी. अपना मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए अंजलि जो बात अपने मातापिता से नहीं कह पाती, वह इन दोनों से बेहिचक कह देती.

राजेश से फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा अंजलि से सुन कर वंदना चिंतित हो उठी तो उस के पति कमल की आंखों में गुस्से के भाव उभरे.

‘‘अंजलि, कोई चोर कोतवाल को उलटा नहीं धमका सकता है. राजेश को तलाक की धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वह ऐसा करता है तो समाज उसी के नाम पर थूथू करेगा,’’ कमल ने आवेश भरे लहजे में अपनी राय बताई.

‘‘मेरी समझ से हमें टकराव का रास्ता छोड़ कर राजेश से बात करनी चाहिए,’’ चिंता के मारे अपनी उंगलियां मरोड़ते हुए वंदना ने अपने मन की बात कही.

‘‘राजेश से बातचीत करने को अगर अंजलि उस के पास लौट गई तो वह अपने दोस्त की विधवा के प्रेमजाल से कभी नहीं निकलेगा. उस पर संबंध तोड़ने को दबाव बनाए रखने के लिए अंजलि का यहां रहना जरूरी है.’’

‘‘अगर राजेश ने सचमुच तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी तो क्या करेंगे हम? तब भी तो अंजलि

को मजबूरन वापस लौटना पडे़गा न.’’

‘‘मैं नहीं लौटूंगी,’’ अंजलि ने सख्त लहजे में उन दोनों को अपना फैसला सुनाया, ‘‘मैं 2 महीने अलग रह सकती हूं तो जिंदगी भर को भी अलग रह लूंगी. मैं जब चाहूं तब अध्यापिका की नौकरी पा सकती हूं. शिखा को पालना मेरे लिए समस्या नहीं बनेगा. एक बात मेरे सामने बिलकुल साफ है. अगर राजेश ने उस विधवा सीमा से अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंध बिलकुल समाप्त नहीं किए तो वह मुझे खो देंगे.’’

वंदना व कमल कुछ प्रतिक्रिया दर्शाते, उस से पहले ही बाहर से किसी ने घंटी बजाई. अंजलि ने दरवाजा खोला तो सामने अपनी 16 साल की बेटी शिखा को खड़ा पाया.

‘‘वंदना आंटी और कमल अंकल आए हुए हैं. तुम उन के पास कुछ देर बैठो, तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना लगा लाती हूं,’’ भावुकता की शिकार बनी अंजलि ने प्यार से अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रखा.

‘‘मेरा मूड नहीं है, किसी से खामखां सिर मारने का. जब भूख होगी, मैं खाना खुद ही गरम कर के खा लूंगी,’’ बड़ी रुखाई से जवाब देने के बाद साफ तौर पर चिढ़ी व नाराज सी नजर आ रही शिखा अपने कमरे में जा घुसी.

अंजलि को उस का अचानक बदला व्यवहार बिलकुल समझ में नहीं आया. उस ने परेशान अंदाज में इस की चर्चा वंदना और कमल से की.

‘‘शिखा छोटी बच्ची नहीं है,’’ वंदना की आंखों में चिंता के बादल और ज्यादा गहरा उठे, ‘‘अपने मातापिता के बीच की अनबन जरूर उस के मन की सुखशांति को प्रभावित कर रही है. उस के अच्छे भविष्य की खातिर भी हमें समस्या का समाधान जल्दी करना होगा.’’

‘‘वंदना ठीक कह रही है, अंजलि,’’ कमल ने गंभीर लहजे में कहा, ‘‘तुम शिखा से अपने दिल की बात खुल कर कहो और उस के मन की बातें सहनशीलता से सुनो. मेरी समझ से हमारे जाने के बाद आज ही तुम यह काम करना. कोई समस्या आएगी तो वंदना और मैं भी उस से बात करेंगे. उस की टेंशन दूर करना हम सब की जिम्मेदारी है.’’

उन दोनों के विदा होने तक अपनी समस्या को हल करने का कोई पक्का रास्ता अंजलि के हाथ नहीं आया था. अपनी बेटी से खुल कर बात करने के  इरादे से जब उस ने शिखा के कमरे में कदम रखा, तब वह बेचैनी और चिंता का शिकार बनी हुई थी.

‘‘क्या बात है? क्यों मूड खराब है तेरा?’’ अंजलि ने कई बार ऐसे सवालों को घुमाफिरा कर पूछा, पर शिखा गुमसुम सी बनी रही.

‘‘अगर मुझे तू कुछ बताना नहीं चाहती है तो वंदना आंटी और कमल अंकल से अपने दिल की बात कह दे,’’  अंजलि की इस सलाह का शिखा पर अप्रत्याशित असर हुआ.

‘‘भाड़ में गए कमल अंकल. जिस आदमी की शक्ल से मुझे नफरत है, उस से बात करने की सलाह आज मुझे मत दें,’’  शिखा किसी ज्वालामुखी की तरह अचानक फट पड़ी.

‘‘क्यों है तुझे कमल अंकल से नफरत? अपने मन की बात मुझ से बेहिचक हो कर कह दे गुडि़या,’’ अंजलि का मन एक अनजाने से भय और चिंता का शिकार हो गया.

‘‘पापा के पास आप नहीं लौटो, इस में उस चालाक इनसान का स्वार्थ है और आप भी मूर्ख बन कर उन के जाल में फंसती जा रही हो.’’

‘‘कैसा स्वार्थ? कैसा जाल? शिखा, मेरी समझ में तेरी बात रत्ती भर नहीं आई.’’

‘‘मेरी बात तब आप की समझ में आएगी, जब खूब बदनामी हो चुकी होगी. मैं पूछती हूं कि आप क्यों बुला लेती हो उन्हें रोजरोज? क्यों जाती हो उन के घर जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं? पापा बारबार बुला रहे हैं तो क्यों नहीं लौट चलती हो वापस घर.’’

शिखा के आरोपों को समझने में अंजलि को कुछ पल लगे और तब उस ने गहरे सदमे के शिकार व्यक्ति की तरह कांपते स्वर में पूछा, ‘‘शिखा, क्या तुम ने कमल अंकल और मेरे बीच गलत तरह के संबंध होने की बात अपने मुंह से निकाली है?’’

‘‘हां, निकाली है. अगर दाल में कुछ काला न होता तो वह आप को सदा पापा के खिलाफ क्यों भड़काते? क्यों जाती हो आप उन के घर, जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं?’’

अंजलि ने शिखा के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए उठे अपने हाथ को बड़ी कठिनाई से रोका और गहरीगहरी सांसें ले कर अपने क्रोध को कम करने के प्रयास में लग गई. दूसरी तरफ तनी हुई शिखा आंखें फाड़ कर चुनौती भरे अंदाज में उसे घूरती रहीं.

कुछ सहज हो कर अंजलि ने उस से पूछा, ‘‘वंदना के घर मेरे जाने की खबर तुम्हें उन के घर के सामने रहने वाली रितु से मिलती है न?’’

‘‘हां, रितु मुझ से झूठ नहीं बोलती है,’’ शिखा ने एकएक शब्द पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया.

‘‘यह अंदाजा उस ने या तुम ने किस आधार पर लगाया कि मैं वंदना की गैर- मौजूदगी में कमल से मिलने जाती हूं?’’

‘‘आप कल सुबह उन के घर गई थीं और परसों ही वंदना आंटी ने मेरे सामने कहा था कि वह अपनी बड़ी बहन को डाक्टर के यहां दिखाने जाएंगी, फिर आप उन के घर क्यों गईं?’’

‘‘ऐसा हुआ जरूर है, पर मुझे याद नहीं रहा था,’’ कुछ पल सोचने के बाद अंजलि ने गंभीर स्वर में जवाब दिया.

‘‘मुझे लगता है कि वह गंदा आदमी आप को फोन कर के अपने पास ऐसे मौकों पर बुलाता है और आप चली जाती हो.’’

‘‘शिखा, तुम्हें अपनी मम्मी के चरित्र पर यों कीचड़ उछालते हुए शर्म नहीं आ रही है,’’ अंजलि का अपमान के कारण चेहरा लाल हो उठा, ‘‘वंदना मेरी बहुत भरोसे की सहेली है. उस के साथ मैं कैसे विश्वासघात करूंगी? मेरे दिल में सिर्फ तुम्हारे पापा बसते हैं, और कोई नहीं.’’

‘‘तब आप उन के पास लौट क्यों नहीं चलती हो? क्यों कमल अंकल के भड़काने में आ रही हो?’’ शिखा ने चुभते लहजे में पूछा.

‘‘बेटी, तेरे पापा के और मेरे बीच में एक औरत के कारण गहरी अनबन चल रही है, उस समस्या के हल होते ही मैं उन के पास लौट जाऊंगी,’’ शिखा को यों स्पष्टीकरण देते हुए अंजलि ने खुद को शर्म के मारे जमीन मेें गड़ता महसूस किया.

‘‘मुझे यह सब बेकार के बहाने लगते हैं. आप कमल अंकल के कारण पापा के पास लौटना नहीं चाहती हो,’’ शिखा अपनी बात पर अड़ी रही.

‘‘तुम जबरदस्त गलतफहमी का शिकार हो, शिखा. वंदना और कमल मेरे शुभचिंतक हैं. उन दोनों का बहुत सहारा है मुझे. दोस्ती के पवित्र संबंध की सीमाएं तोड़ कर कुछ गलत न मैं कर रही हूं न कमल अंकल. मेरे कहे पर विश्वास कर बेटी,’’ अंजलि बहुत भावुक हो उठी.

‘‘मेरे मन की सुखशांति की खातिर आप अंकल से और जरूरी हो तो वंदना आंटी से भी अपने संबंध पूरी तरह तोड़ लो, मम्मी. मुझे डर है कि ऐसा न करने पर आप पापा से सदा के लिए दूर हो जाओगी,’’ शिखा ने आंखों में आंसू ला कर विनती की.

‘‘तुम्हारे नासमझी भरे व्यवहार से मैं बहुत निराश हूं,’’ ऐसा कह कर अंजलि उठ कर अपने कमरे में चली आई.

इस घटना के बाद मांबेटी के संबंधों में बहुत खिंचाव आ गया. आपस में बातचीत बस, बेहद जरूरी बातों को ले कर होती. अपने दिल पर लगे घावों को दोनों नाराजगी भरी खामोशी के साथ एकदूसरे को दिखा रही थीं.

शिखा की चुप्पी व नाराजगी वंदना और कमल ने भी नोट की. अंजलि उन के किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकी. वह कैसे कहती कि शिखा ने कमल और उस के बीच नाजायज संबंध होने का शक अपने मन में बिठा रखा था.

करीब 4 दिन बाद रात को शिखा ने मां के कमरे में आ कर अपने मन की बातें कहीं.

‘‘आप अंदाजा भी नहीं लगा सकतीं कि मेरी सहेली रितु ने अन्य सहेलियों को सब बातें बता कर मेरे लिए इज्जत से सिर उठा कर चलना ही मुश्किल कर दिया है. अपनी ये सब परेशानियां मैं आप के नहीं, तो किस के सामने रखूं?’’

‘‘मुझे तुम्हारी सहेलियों से नहीं सिर्फ तुम से मतलब है, शिखा,’’ अंजलि ने शुष्क स्वर में जवाब दिया, ‘‘तुम ने मुझे चरित्रहीन क्यों मान लिया? मुझ से ज्यादा तुम्हें अपनी सहेली पर विश्वास क्यों है?’’

‘‘मम्मी, बात विश्वास करने या न करने की नहीं है. हमें समाज में मानसम्मान से रहना है तो लोगों को ऊटपटांग बातें करने का मसाला नहीं दिया जा सकता.’’

‘‘तब क्या दूसरों को खुश करने के लिए तुम अपनी मां को चरित्रहीन करार दे दोगी? उन की झूठी बातों पर विश्वास कर के अपनी मां को उस की सब से प्यारी सहेली से दूर करने की जिद पकड़ोगी?’’

‘‘मुझ पर क्या गुजर रही है, इस की आप को भी कहां चिंता है, मम्मी,’’ शिखा चिढ़ कर गुस्सा हो उठी, ‘‘मैं आप की सहेली नहीं बल्कि सहेली के चालाक पति से आप को दूर देखना चाहती हूं. अपनी बेटी की सुखशांति से ज्यादा क्या कमल अंकल के साथ जुडे़ रहना आप के लिए जरूरी है?’’

‘‘कमल अंकल मेरे लिए तुम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कैसे हो सकते हैं, शिखा? मुझे तो अफसोस और दुख इस बात का है कि मेरी बेटी को मुझ पर विश्वास नहीं रहा. मैं पूछती हूं कि तुम ही मुझ पर विश्वास क्यों नहीं कर रही हो?  अपनी सहेलियों की बकवास पर ध्यान न दे कर मेरा साथ क्यों नहीं दे रही हो? मेरे मन में खोट नहीं है, इस बात को मेरे कई बार दोहराने के बावजूद तुम ने उस पर विश्वास न कर के मेरे दिल को जितनी पीड़ा पहुंचाई है, क्या उस का तुम्हें अंदाजा है?’’ बोलते हुए अंजलि का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.

‘‘यों चीखचिल्ला कर आप मुझे चुप नहीं कर सकोगी,’’ गुस्से से भरी शिखा उठ कर खड़ी हो गई, ‘‘चित भी मेरी और पट भी मेरी का चालाकी भरा खेल मेरे साथ न खेलो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ अंजलि फौरन उलझन का शिकार बन गई.

‘‘मतलब यह कि पापा ने अपनी बिजनेस पार्टनर सीमा आंटी को ले कर आप को सफाई दे दी तब तो आप ने उन की एक नहीं सुनी और यहां भाग आईं, और जब मैं आप से कमल अंकल के साथ संबंध तोड़ लेने की मांग कर रही हूं तो किस आधार पर आप मुझे गलत और खुद को सही ठहरा रही हो?’’

अंजलि को बेटी का सवाल सुन कर तेज झटका लगा. उस ने अपना सिर झुका लिया. शिखा आगे एक भी शब्द न बोल कर अपने कमरे में लौट गई. दोनों मांबेटी ने तबीयत खराब होने का बहाना बना कर रात का खाना नहीं खाया. शिखा के नानानानी को उन दोनों के उखडे़ मूड का कारण जरा भी समझ में नहीं आया.

उस रात अंजलि बहुत देर तक नहीं सो सकी. अपने पति के साथ चल रहे मनमुटाव से जुड़ी बहुत सी यादें उस के दिलोदिमाग में हलचल मचा रही थीं. शिखा द्वारा लगाए गए आरोप ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया था.

राजेश ने कभी स्वीकार नहीं किया था कि अपने दोस्त की विधवा के साथ उस के अनैतिक संबंध थे. दूसरी तरफ आफिस में काम करने वाली 2 लड़कियों और राजेश के दोस्तों की पत्नियों ने इस संबंध को समाप्त करवा देने की चेतावनी कई बार उस के कानों में डाली थी.

तब खूबसूरत सीमा को अपने पति के साथ खूब खुल कर हंसतेबोलते देख अंजलि जबरदस्त ईर्ष्या व असुरक्षा की भावना का शिकर रहने लगी.

राजेश ने उसे प्यार से व डांट कर भी खूब समझाया पर अंजलि ने साफ कह दिया, ‘मेरे मन की सुखशांति, मेरे प्यार व खुशियों की खातिर आप को सीमा से हर तरह का संबंध समाप्त कर लेना होगा.’

‘मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिस से अपनी नजरों में गिर जाऊं. मैं कुसूरवार हूं ही नहीं, तो सजा क्यों भोगूं? अपने दिवंगत दोस्त की पत्नी को मैं बेसहारा नहीं छोड़ सकता हूं. तुम्हारे बेबुनियाद शक के कारण मैं अपनी नजरों में खुद को गिराने वाला कोई कदम नहीं उठाऊंगा,’ राजेश के इस फैसले को अंजलि किसी भी तरह से नहीं बदलवा सकी.

पहले अपने पति और अब अपनी बेटी के साथ हुए टकरावों में अंजलि को बड़ी समानता नजर आई. उस ने सीमा को ले कर राजेश पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया था और शिखा ने कमल को ले कर खुद उस पर.

वह अपने को सही मानती थी, जैसे अब शिखा अपने को सही मान रही थी. वहां राजेश अपराधी के कटघरे में खड़ा हो कर सफाई देता था और आज वह अपनी बेटी को सफाई देने के लिए मजबूर थी.

अपने दिल की बात वह अच्छी तरह जानती थी. उस के मन में कमल को ले कर रत्ती भर भी गलत तरह का आकर्षण नहीं था. इस मामले में शिखा पूरी तरह गलत थी.

तब सीमा व राजेश के मामले में क्या वह खुद गलत नहीं हो सकती थी? इस सवाल से जूझते हुए अंजलि ने सारी रात करवटें बदलते हुए गुजार दी.

अगली सुबह शिखा के जागते ही अंजलि ने अपना फैसला उसे सुना दिया, ‘‘अपना सामान बैग में रख लो. नाश्ता करने के बाद हम अपने घर लौट रहे हैं.’’

‘‘ओह, मम्मी. यू आर ग्रेट. मैं बहुत खुश हूं,’’ शिखा भावुक हो कर उस से लिपट गई.

अंजलि ने उस के माथे का चुंबन लिया, पर मुंह से कुछ नहीं बोली. तब शिखा ने धीमे स्वर में उस से कहा, ‘‘गुस्से में आ कर मैं ने जो भी पिछले दिनों आप से उलटासीधा कहा है, उस के लिए मैं बेहद शर्मिंदा हूं. आप का फैसला बता रहा है कि मैं गलत थी. प्लीज मम्मा, मुझे माफ कर दीजिए.’’

अंजलि ने उसे अपने सीने से लगा लिया. मांबेटी दोनों की आंखों में आंसू भर आए. पिछले कई दिनों से बनी मानसिक पीड़ा व तनाव से दोनों पल भर में मुक्त हो गई थीं.

उस के बुलावे पर वंदना उस से मिलने घर आ गई. कमल के आफिस चले जाने के कारण अंजलि के लौटने की खबर कमल तक नहीं पहुंची.

वंदना को अंजलि ने अकेले में अपने वापस लौटने का सही कारण बताया, ‘‘पिछले दिनों अपनी बेटी शिखा के कारण राजेश और सीमा को ले कर मुझे अपनी एक गलती…एक तरह की नासमझी का एहसास हुआ है. उसी भूल को सुधारने को मैं राजेश के पास बेशर्त वापस लौट रही हूं.

‘‘सीमा के साथ उस के अनैतिक संबंध नहीं हैं, मुझे राजेश के इस कथन पर विश्वास करना चाहिए था, पर मैं और लोगों की सुनती रही और हमारे बीच प्रेम व विश्वास का संबंध कमजोर पड़ने लगा.

‘‘अगर राजेश निर्दोष हैं तो मेरा झगड़ालू रवैया उन्हें कितना गलत और दुखदायी लगता होगा. बिना कुछ अपनी आंखों से देखे, पत्नी का पति पर विश्वास न करना क्या एक तरह का विश्वासघात नहीं है?

‘‘मैं राजेश को…उन के पे्रम को खोना नहीं चाहती हूं. हो सकता है कि सीमा और उन के बीच गलत तरह के संबंध बन गए हों, पर इस कारण वह खुद भी मुझे छोड़ना नहीं चाहते. उन के दिल में सिर्फ मैं रहूं, क्या अपने इस लक्ष्य को मैं उन से लड़झगड़ कर कभी पा सकूंगी?

‘‘वापस लौट कर मुझे उन का विश्वास फिर से जीतना है. हमारे बीच प्रेम का मजबूत बंधन फिर से कायम हो कर हम दोनों के दिलों के घावों को भर देगा, इस का मुझे पूरा विश्वास है.’’

अंजलि की आंखों में दृढ़निश्चय के भावों को पढ़ कर वंदना ने उसे बडे़ प्यार से गले लगा लिया.

Potassium & Magnesium : केला, आलू, पालक देखकर मुंह बनाना भूल जाओगे

Potassium & Magnesium

श्रीप्रकाश

शरीर के स्वास्थ्य के लिए कुछ मिनरल्स (Potassium & Magnesium) बहुत जरूरी होते हैं. विटामिन्स और कैल्शियम के बारे में औसतन लोग कुछ न कुछ जानते हैं. पोटैशियम और मैग्नीशियम भी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी हैं और इन के बारे में अकसर लोगों को ज्यादा पता नहीं होता है.

पोटैशियम : पोटैशियम ऐसा मिनरल है जो शरीर की सामान्य क्रिया के लिए जरूरी है. यह मांसपेशियों के सुचारु रूप से कार्य करने में सहायक होता है. यह  सेल्स को पोषक तत्त्व प्राप्त करने में मदद करता है. यह हाई ब्लडप्रैशर यानी हाइपरटैंशन कंट्रोल करता है. शरीर में पोटैशियम लैवल मेंटेन करना हृदय के सेल्स के लिए बहुत जरूरी है.

शरीर में पोटैशियम की कमी को हाइपोक्लेमिया रोग कहते हैं.

हाइपोक्लेमिया के सिम्प्टम्स : पोटैशियम की कमी को हाइपोक्लेमिया  कहते हैं. साधारणतया संतुलित भोजन लेते रहने से पोटैशियम की कमी की संभावना नहीं रहती है. अस्थायी रूप से पोटैशियम  की कमी के चलते हो सकता है आप को कोई सिम्प्टम न दिखे पर लंबे समय तक इस की कमी के लक्षण आप महसूस कर सकते हैं. इस के मुख्य

लक्षण हैं– थकावट  कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, कब्ज और एरिथ्मिया (असामान्य हार्ट बीट).

हाइपोक्लेमिया का कारण : शरीर के पाचनतंत्र से हो कर जब पोटैशियम शरीर से ज्यादा बाहर निकल जाता है तब इस की कमी से  हाइपोक्लेमिया  हो जाता है, जैसे दस्त, उलटी, किडनी या एड्रेनल ग्लैंड्स के ठीक से नहीं काम करने से कुछ दवा लेने पर यूरिन ज्यादा आता हो (डाइयुरेटिक), पसीना ज्यादा आना, फौलिक एसिड की कमी, अस्थमा की दवा, कब्ज की दवा और एंटीबायोटिक के सेवन से खून में कीटोन (एसिड) ज्यादा होने से, मैग्नीशियम की कमी और तंबाकू के सेवन से.

डायग्नोसिस या टैस्ट : शरीर में पोटैशियम के स्तर की जांच के लिए आमतौर पर डाक्टर ब्लड टैस्ट कराते हैं.  ब्लड में सीरम पोटैशियम कौन्सेंट्रेशन
3. 5 mmol/L – 5.1 mmol/L सामान्य माना जाता है. 3. 5 mmol/L से कम होने पर इसे  हाइपोक्लेमिया कहा जाता है और 2.5 mmol/L से कम होना घातक माना जाता है.

डाक्टर यूरिन टैस्ट भी करा सकते हैं ताकि पता लगा सकें कि यूरिन के रास्ते कितना पोटैशियम शरीर से बाहर निकल रहा है. डाक्टर आप की मैडिकल हिस्ट्री पूछेंगे कि कहीं दस्त या उलटी की शिकायत तो नहीं है. पोटैशियम का असर ब्लडप्रैशर पर भी पड़ता है जिस का गंभीर असर हृदय की रिदम पर भी पड़ता है. इसलिए डाक्टर ईसीजी भी करा सकते हैं.

उपचार : हाइपोक्लेमिया के उपचार के लिए डाक्टर पोटैशियम सप्लिमैंट्स, जो आमतौर पर टेबलेट के रूप में आता है, लेने की सलाह देते हैं. पोटैशियम की अत्यधिक कमी की स्थिति में टेबलेट से  हाइपोक्लेमिया में सुधार न होने से या  हाइपोक्लेमिया के कारण असामान्य हृदय रिदम होने की स्थिति में इस का इंजैक्शन लेना पड़ सकता है. डाक्टर ब्लड में पोटैशियम के स्तर पर नजर रखते हैं क्योंकि इस की अधिकता से हाइपोक्लेमिया होता है जो और भी खतरनाक होता है. शरीर में Potassium का एक डेलिकेट (नाजुक) लैवल मेंटेन करना पड़ता है.

कितना POTASSIUM जरूरी

14 साल या उस से बड़ी उम्र वालों को 4,700 एमजी (मिलीग्राम) प्रतिदिन पोटैशियम की आवश्यकता होती है-

6 महीने तक के बच्चे के लिए 400 एमजी.

7-12 महीने तक के बच्चे के लिए 700 एमजी.

1-3 साल तक के बच्चे के लिए  3,000  एमजी.

4-8 साल तक के बच्चे के लिए  3,800 एमजी.

9-13 साल तक के बच्चे के लिए 4,500 एमजी.

ब्रैस्ट फीडिंग महिला के लिए 5,100 एमजी पोटैशियम प्रतिदिन चाहिए. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हाइपोक्लेमिया की संभावना ज्यादा होती है.

पोटैशियम के स्रोत : पोटैशियम प्राकृतिक रूप से हमारे खाद्य पदार्थों में मिलता है, जैसे केला, आलू, एवाकाडो, तरबूज, सनफ्लौवर बीज, पालक, किशमिश, टमाटर, औरेंज जूस आदि में.

हाइपोक्लेमिया में रिस्क : अमेरिका के नैशनल सैंटर फौर बायोटैक्नोलौजी इन्फौर्मेशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. केल्ड केल्डसन के अनुसार, दुनिया में प्रतिवर्ष  करीब 30 लाख लोग दिल की बीमारी से मरते हैं. इन में बहुत लोग तत्काल ट्रिगर के फलस्वरूप मौत के शिकार होते हैं. हृदय के सेल्स में अशांत और असामान्य पोटैशियम लैवल भी इस ट्रिगर का कारण होता है. 7-17 फीसदी दिल के रोगियों में हाइपोक्लेमिया पाया गया है. हृदय और हाइपरटैंशन रोग से अस्पताल में भरती 20 फीसदी रोगियों में और वाटर पिल्स या डाइयुरेटिक (ब्लडप्रैशर की दवा) 3 लेने वाले 40 फीसदी रोगियों में पोटैशियम की कमी पाई गई है. इस से हृदय का रिदम अशांत होता है. हाइपोक्लेमिया में अचानक हार्ट फेल होने की संभावना दस गुना ज्यादा होती है. इस के अतिरिक्त पोटैशियम की कमी से हाइपरटैंशन, बीएमआई में कमी, दस्त, मांसपेशियों में कै्रम्प, अल्कोहल की आदत और किडनी  की बीमारी हो सकती  है.

जब शरीर में POTASSIUM अधिक हो

हाइपरक्लेमिया : शरीर में पोटैशियम की अधिकता को हाइपरक्लेमिया कहते हैं. इस के चलते हार्ट के रिदम पर प्रतिकूल असर पड़ता है और यह जानलेवा भी हो सकता है. इस के अलावा मिचली या उलटी, मांसपेशियों में कमजोरी, नसों की बीमारी-   झन  झनाहट, दम फूलने की शिकायत हो सकती है.

कारण : साधारणतया हमारी किडनी यदि सुचारु रूप से काम करती है तब अतिरिक्त पोटैशियम को यह मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकाल फेंकती है पर जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तब ब्लड में पोटैशियम लैवल बढ़ जाता है और  हाइपरक्लेमिया हो जाता है. एड्रेनल गलनाड में एल्डेस्टेरौन नामक एक हार्मोन होता है जो किडनी को पोटैशियम हटाने का संकेत देता है.

इस के अतिरिक्त भोजन में पोटैशियम की मात्रा अधिक होने से  हाइपरक्लेमिया हो सकता है. हाइपरक्लेमिया के अन्य कारण हैं-

हेमोलिसिस- रेड ब्लड सेल्स का ब्रेकडाउन (विघटन).

रैब्डोमायोलिसिस- मसल टिश्यू का ब्रेक डाउन और जलने के कारण टिश्यू की समस्या.

अनियंत्रित डायबिटीज- डायबिटीज का नियंत्रण में न होना.

एचआईवी- एचआईवी बीमारी का होना.

किडनी और ब्लडप्रैशर आदि रोगों की कुछ दवाएं, एनएसएआईडी इन्फ्लेमेशन की दवा, कुछ एंटीबायोटिक्स और  हर्बल सप्लीमैंट्स जेनसिंग आदि के चलते भी पोटैशियम की मात्रा अधिक हो सकती है जिस से हाइपरक्लेमिया हो सकता है.

सिम्प्टम्स : ब्रेन सेल्स को भी पोटैशियम की जरूरत होती है. इस के द्वारा ब्रेन सेल्स आपस में संवाद करते हैं और दूरस्थ सेल्स से भी संवाद करते हैं. पोटैशियम का स्तर अनियंत्रित होने से हार्मोन असंतुलन, लुपस, किडनी की बीमारी होती है.

डायग्नोसिस या टैस्ट : शरीर में पोटैशियम के स्तर की जांच के लिए आमतौर पर डाक्टर ब्लड टैस्ट कराते हैं.  ब्लड में सीरम पोटैशियम कौन्सेंट्रेशन  3. 5 mmol/L – 5.1 mmol/L सामान्य माना जाता है. 5.1 mmol/L से ज्यादा होने पर इसे हाइपरक्लेमिया कहा जाता है  और 6.5 से ज्यादा खतरनाक व जानलेवा हो सकता है.

डाक्टर यूरिन टैस्ट भी करा सकते हैं ताकि पता लगा सकें कि पेशाब के रास्ते पोटैशियम शरीर से बाहर जा रहा है या नहीं. डाक्टर आप की मैडिकल हिस्ट्री पूछेंगे और आप के हृदय की रिदम चैक कर सकते हैं. पोटैशियम का असर ब्लडप्रैशर पर भी पड़ता है जिस का गंभीर असर हृदय पर पड़ता है. इसलिए डाक्टर ईसीजी भी करा सकते हैं हालांकि  हाइपरक्लेमिया के सभी मरीजों में रिदम पर असर होना जरूरी नहीं है.

उपचार : हाइपरक्लेमिया  के उपचार में डाक्टर लो पोटैशियम भोजन की सलाह दे सकते हैं, आप की कोई दवा बंद कर सकते हैं या दवाओं में कुछ बदलाव कर सकते हैं, वाटर पिल्स (डाइयुरेटिक) दे सकते हैं ताकि एक्स्ट्रा पोटैशियम पेशाब से बाहर निकल जाए, किडनी के इलाज की दवा या डायलिसिस की सलाह, पोटैशियम बाइंडर दवाएं दे सकते हैं. पोटैशियम लैवल अत्यधिक होने पर  इमरजैंसी की स्थिति में इंजैक्शन द्वारा दवा दी जा सकती है.

हाइपरक्लेमिया में रिस्क : हाइपरक्लेमिया के चलते हृदय रिदम में गंभीर बदलाव आने से जान का खतरा होता है. इस के चलते अत्यधिक कमजोरी हो सकती है और लकवा मार सकता है.

मैग्नीशियम (Magnesium)

हमारे शरीर को समुचित मात्रा में मैग्नीशियम भी आवश्यक है. यह हमारी हड्डियों को मजबूत बनाता है. इस के अतिरिक्त यह हृदय, मांसपेशियों और नसों के लिए भी जरूरी है. यह शरीर की ऊर्जा को कंट्रोल करता है और साथ में ब्लडशुगर, ब्लडप्रैशर आदि को मेंटेन करने में मदद करता है. मैग्नीशियम शरीर के लिए एक इलैक्ट्रोलाइट है जो खून में रह कर शरीर में बिजली संचालन करता है.

साधारणतया संतुलित भोजन लेते रहने से मैग्नीशियम की कमी की संभावना नहीं रहती है. अस्थायी रूप से मैग्नीशियम की कमी के चलते हो सकता है आप को कोई सिम्प्टम न दिखे पर लंबे समय तक इस की कमी के लक्षण आप महसूस कर सकते हैं. इस का बहुत कम या बहुत ज्यादा होना दोनों हानिकारक है.

Magnesium की कमी का कारण : स्वस्थ मनुष्य के ब्लड में मैग्नीशियम की उचित मात्रा मेंटेन रहती है. हमारे किडनी और पाचनतंत्र दोनों मिल कर खुद निश्चित करते हैं कि भोजन से कितना मैग्नीशियम रखना है और कितना मूत्र से बाहर निकाल फेंकना है. थाइरायड की समस्या, टाइप 2 डायबिटीज, ज्यादा शराब पीने से, किडनी की बीमारी होने से, कब्ज आदि की कुछ दवाओं के असर से और क्रौनिक पाचनतंत्र की बीमारी से शरीर मैग्नीशियम एब्जौर्ब नहीं कर पाता है और इस की कमी हो सकती है.

Magnesium टैस्ट: डाक्टर आप के स्वास्थ्य की हिस्ट्री जानना चाहेंगे, जैसे डायबिटीज, थाइरायड या प्रैग्नैंसी की प्रौब्लम आदि लो मैग्नीशियम के संकेत हो सकते हैं. इन के अतिरिक्त हाल में हुई किसी सर्जरी से भी मैग्नीशियम की कमी हो सकती है. मैग्नीशियम का स्तर बढ़ने की संभावना कम होती है. किडनी खराब रहने से और कुछ दवाओं के इस्तेमाल से ऐसा हो सकता है. यह बहुत खतरनाक है और इस से हार्ट फेल्योर हो सकता है.

मैग्नीशियम लैवल की जांच के लिए आमतौर पर ब्लड और यूरिन टैस्ट किए जाते हैं. ब्लड में सीरम मैग्नीशियम कौन्सैन्ट्रेशन लैवल 1.7-2.3 एमजी सामान्य होता है. 1.2 एमजी लैवल बहुत खतरनाक होता है.

ब्लड टैस्ट से मैग्नीशियम की सही जानकारी नहीं भी मिल सकती क्योंकि ज्यादातर मैग्नीशियम हड्डियों में स्टोर रहता है. इस के अलावा रैड ब्लड सैल्स में मैग्नीशियम टैस्ट, सैल्स में मैग्नीशियम लैवल का टैस्ट, ब्लड में मैग्नीशियम दे कर फिर यूरिन टैस्ट करना ताकि यूरिन से निकलने वाले मैग्नीशियम का पता चले.

लो मैग्नीशियम के सिंप्टम्स : पाचन शक्ति में कमी, अनिद्रा, मिचली या उलटी और कमजोरी. इस की ज्यादा कमी से मसल कै्रम्प, सीजर या ट्रेमर (शरीर का अनियंत्रित शेक करना), सिरदर्द, कमजोर हड्डी, औस्टियोपोरोसिस और हृदय गति रुकने से अचानक मौत भी हो सकती है. इस के चलते पोटैशियम और कैल्शियम की कमी भी हो सकती है.

Magnesium की प्रतिदिन जरूरत

1-3 साल  80 एमजी.

4-8  साल  130 एमजी.

9-13 साल 240 एमजी.

महिला

14-18  साल 360 एमजी.

19 साल से ज्यादा 310-320 एमजी.

प्रैग्नैंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को ज्यादा मैग्नीशियम की जरूरत होती है, यह उन की उम्र पर भी निर्भर करता है. प्रैग्नैंसी में 350-400 एमजी और ब्रेस्टफीडिंग में 310-360 एमजी की जरूरत होती है.

पुरुष

14-18  साल 410 एमजी.

19-30 साल से ज्यादा 400 एमजी.

31 साल से ज्यादा – 420 एमजी.

टैस्ट कराने के बाद डाक्टर सही उपचार की सलाह देंगे.

हाइपोमैगनेसेमिया या लो मैग्नीशियम का उपचार : लो मैग्नीशियम में नैचुरल खाद्य सामग्रियों से इस की भरपाई की जा सकती है- केला, आलू, पीनट बटर, बादाम, काजू आदि नट्स, बीन्स, पालक, होल ग्रेन फूड, दूध, बौटल्ड वाटर, मछली, ब्रेकफास्ट सीरियल आदि.

मैग्नीशियम के ओवरडोज से दस्त, मिचली, सिरदर्द, लो ब्लडप्रैशर, मसल्स की कमजोरी, थकावट, पेट फूलना जानलेवा हो सकता है. इस से हार्ट फेल, लकवा या कोमा में जाने की आशंका भी रहती है.

हाइपरमैगनेसेमिया या Magnesium ज्यादा होने से उपचार : 2.6 एमजी या अधिक मैग्नीशियम सीरम कौन्सैन्ट्रेशन होना हाइपरमैगनेसेमिया माना जाता है. इस की संभावना बहुत कम होती है पर कभी  मैग्नीशियम का ओवरडोज लेने से ऐसी स्थिति हो सकती है. 7-12 एमजी या अधिक होना बहुत खतरनाक होता है. इस में हार्ट, लंग्स डैमेज और लकवा हो सकता है. ऐसे में सांस लेने के उपकरण की सहायता लेनी पड़ सकती है, कैल्शियम ग्लुकोनेट या कैल्शियम क्लोराइड का इंजैक्शन, डायलेसिस या स्टमक पंपिंग (गैस्ट्रिक लावेज) किया जा सकता है. मामूली ओवरडोज में कब्ज और एसिडिटी की दवा व मैग्नीशियम सप्लीमैंट, यदि आप ले रहे हैं तो बंद करना पड़ता है.

 

 

Donald Trump : खब्ती के हाथ में अमेरिका

Donald Trump :  अमेरिका में अवैध रूप से घुसे इमीग्रैंट्स का मुद्दा डोनाल्ड ट्रंप ठीक उसी तरह उछाल रहे हैं जैसे भारत में मौजूद बंगलादेशियों के मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी ने उठाया था. ट्रंप मिलिट्री लगा कर, आपात स्थिति घोषित कर साढ़े 4 लाख लोगों को निकालने की घोषणा कर चुके हैं और Donald Trump के मंत्री टौम होमन का कहना है कि अवैध घुसपैठियों के साथ अगर उन के अमेरिका में पैदा हुए नाबालिग बच्चों को भी निकालना पड़ा तो वे हिचकेंगे नहीं चाहे बच्चे अमेरिकी नागरिक क्यों न हों.

 

भारतीय नागरिक संशोधन कानून, नैशनल रजिस्टर फौर सिटिजनशिप जैसी भारतीय घोषणाओं की तरह ट्रंप अमेरिका में गोरों के राज को मजबूत करना चाहते हैं. इस से अर्थव्यवस्था और समाज में खलबली मच सकती है लेकिन इस से उन के कट्टरवादी वोट पक्के होंगे, यह तय है.

 

जब भी किसी देश ने ‘हम’ और ‘वे’ की बात करनी शुरू की है, उस का पतन हुआ है. वहां दहशत और लूट का माहौल बना है. वहां ‘हम’ वालों के गैंग बन गए और उन्होंने दूसरों को न केवल खदेड़ना शुरू कर दिया, अपनों को डराना भी शुरू कर दिया कि चाहे अपने कितने ही असहमत हों, मुंह न खोलें क्योंकि विध्वंस करने को तैयार गैंग के 10-20 लोग सीधेसादे हजारदोहजार लोगों की बस्तियों को डराने व धमकाने में सफल रहते हैं.

Donald Trump के गैंग्स के असल निशाने पर वे अवैध घुसपैठिए हैं जिन में ज्यादा दक्षिणी अमेरिका के हैं, काफी भारत के हैं, कुछ मिडिल ईस्ट के हैं, कुछ काले अफ्रीका के हैं. ट्रंप के गैंग्स के निशाने पर वे सभी काले भी हैं जो सदियों पहले अफ्रीका से गुलामों की तरह अमेरिका जबरन लाए गए थे. वे दक्षिणी अमेरिकी मिश्रित खून के लेटिनो हैं जो 200 वर्षों से लगातार अमेरिका आ रहे हैं और पूरी तरह अमेरिकी नागरिकता पा चुके हैं.

 

इन से भी ज्यादा निशाने पर वे औरतें हैं जो इन्हीं कट्टरों के घरों में मांओं, पत्नियों, बहनों, दादियों की तरह रहती हैं. चर्च ने हमेशा औरतों को पुरुषों का सेवक माना है और ट्रंप का व्यक्तिगत व्यवहार हमेशा औरतों को अपना मनोरंजन का खिलौना मानता रहा है. जब अमेरिकी मिलिट्री, पुलिस, अदालतें मनमानी करेंगी तो वे इन औरतों को भी लपेटे में ले लेंगी. अभी से इन्होंने कहना शुरू कर दिया है, यह ‘माई बौडी माई चौइस नहीं चलेगा’, ‘योर बौडी, माई चौइस.’

 

डोमैस्टिक वौयलैंस, वेश्यावृत्ति, गोरी औरतों की खरीदफरोख्त वाइल्ड वैस्ट अमेरिका के काऊ बौयस की निशानी रही है. यह अब फिर उभरेगी. चर्च का नेतृत्व साथ में है ही. बाइबिल के उपदेश भरे पड़े हैं जिन में औरतों की जगह रसोई और बच्चों को पालने की है. ट्रंप के मागा समर्थक गैंग इस विषभरे पानी को हर घर को पिलाएंगे, कम से कम कोशिश तो करेंगे ही, यह पक्का है.

 

अमेरिकी अब भी क्या कमजोर हैं कि एक चुनाव में 2-3 फीसदी वोट ज्यादा पा कर चर्च की चलने लगेगी? इस में शक है. अमेरिका में आजाद विचारों, सब तरह के लोगों के साथ रहना, गन हाथों में होने के बावजूद शब्दों का महत्त्व ज्यादा होना अभी छूमंतर नहीं हुआ है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अमेरिका को पूरी तरह नष्ट कर पाएंगे, ऐसा मुश्किल है, हालांकि, दुनिया में ऐसे उदाहरण हैं जहां एक खब्ती शासक ने लाखों को मरवा दिया, देश को काले अंधकार में अकेले ही धकेल दिया. हैरत यह भी कि जब तक वह खब्ती शासक सत्ता में रहा, ‘महान’ माना गया

Story Telling : गंदी नजर

Story Telling : शाम का समय था. राशि दी का फोन आ रहा था. यह देख कर हिना की खुशी का ठिकाना न रहा. वह समझ गई कि जरूर कोई खास बात होगी, जिस की वजह से उन्होंने इस समय फोन किया वरना वह रोज रात 10 बजे फोन करती है.

‘‘हैलो दी, कैसी हो? आज आप ने इस वक्त फोन कर दिया.’’ ‘‘क्या बताऊं, मुझ से सब्र नहीं हो रहा था.’’ ‘‘ऐसी क्या बात हो गई?’’ ‘‘ईशा का रिश्ता पक्का हो गया है. बस, चट मंगनी पट ब्याह होना है. आज से ठीक 10 दिनों बाद सगाई है और उस के अगले दिन ही शादी है. तुम सब को आना है.’’

‘‘यह भी कोई कहने की बात है, दी. मैं जरूर आऊंगी.’’‘‘मैं तेरी ही बात नहीं कर रही हूं, बल्कि राजीव, अनन्या और विनय को भी आना है.’’‘‘राजीव की मैं कह नहीं सकती. विनय के अगले महीने इम्तिहान हैं. एक को उस के साथ घर पर रहना होगा. मैं और अनन्या जरूर आएंगे, यह तो पक्का है. कुछ दामाद के बारे में भी बताओ,’’ हिना ने कहा तो राशि दी फोन पर उसे सारी बातें विस्तार से बताने लगीं. बातें करते हुए दोनों को एक घंटा हो गया था, तभी अनन्या ने आवाज लगाई,

‘‘मम्मी, बाहर कोई आया है आप से मिलने.’’‘‘अच्छा दी, बाद में बात करती हूं,’’ कह कर उस ने फोन रख दिया. खुशी के मारे उस के पैर धरती पर नहीं पड़ रहे थे.राशि दी ईशा के रिश्ते को ले कर कब से परेशान थीं. इतना पढ़लिखने के बाद भी उस के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. अब ऊपर वाले ने उन की सुन ली थी और ?ाट से उस का रिश्ता तय हो गया था. लड़का मल्टीनैशनल कंपनी में इंजीनियर था. अच्छाखासा परिवार था. वहां कोई कमी नहीं थी.

हिना ने खुशखबरी अनन्या और राजीव को भी सुना दी.‘‘मम्मी, ईशा दी की शादी में मजा आ जाएगा. मैं पूरे एक हफ्ते वहीं रहूंगी,’’ अनन्या बोली.‘‘यह क्या कह रही है? शादी के माहौल में इतने दिन कैसे रहा जा सकता है?’’‘‘मम्मी, यही तो मौका होता है सब से मिलने का. शादी में हमारे सारे कजिन आएंगे. वैसे, उन से व्हाट्सऐप पर चैट हो जाती है लेकिन आमनेसामने बात करने का मजा ही कुछ और है.’’

‘‘यह सब छोड़ो, पहले शादी के लिए ड्रैस तैयार करवानी है. समय बहुत कम है.’’‘‘आप ठीक कह रही हैं मम्मी. हम कल ही बाजार जा कर सब से पहले अपने लिए ड्रैस तैयार करवा लेते हैं, बाकी काम तो होते रहेंगे,’’ अनन्या बोली.मांबेटी दोनों ही शादी की तैयारी में उसी दिन से जुट गई थीं.

हिना को अब इस से आगे कुछ सू?ा ही नहीं रहा था. राजीव बोले, ‘‘हिना, मैं एक दिन के लिए ही शादी में आ सकता हूं, उस से ज्यादा नहीं. बेटे के इम्तिहान सिर पर हैं. मैं इस समय इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकता.’’‘‘जैसा तुम्हें ठीक लगे. मैं तो अनन्या के साथ 2 दिन पहले ही चली जाऊंगी. आप को अभी से बता देती हूं.’’

‘‘तुम्हारी जो मरजी, वह करो. इस मामले में मैं कुछ नहीं बोलूंगा. मैं ने अपनी दिक्कत तुम्हें बता दी है, बाकी उन लोगों से तुम खुद ही निबट लेना.’’एक हफ्ता कब गुजर गया, पता ही नहीं लगा. अब शादी में केवल 3 दिन रह गए थे.

अगले दिन हिना और अनन्या को शादी में राशि दी के घर जाना था. अनन्या बोली, ‘‘मम्मी, आप ने स्कूल से कितने दिन की छुट्टी ली है?’’‘‘3 दिन और क्या…? बीच में एक दिन इतवार है. कुल मिला कर 4 दिन हो जाएंगे.’’‘‘आप चली आना, मैं तो वहीं रुकूंगी,’’ अनन्या बोली, तो हिना ने उसे घूर कर देखा. वह जानती थी कि मम्मी किसी भी कीमत पर उसे अकेले नहीं छोड़ेंगी और अपने साथ ही वापस ले आएंगी.

बचपन से वह यही सब देखती आई थी. मम्मी जहां कहीं भी जाती हैं, उसे अपने साथ ले कर जाती हैं. कहीं छोड़ने की नौबत आती तो बहाना बना कर टाल देतीं.पता नहीं क्यों मम्मी बेटी को किसी के भी घर पर अकेले छोड़ने में बहुत डरती थीं. इतना ही नहीं, घर पर कोई मेहमान आता तो वे उन की हर सुविधा का खयाल रखतीं. रात में कोई प्रोग्राम हो तो वे अनन्या के शामिल होने पर पहले ही एतराज जता देती थीं.

मम्मी का रुख देख कर अनन्या ने अब कुछ कहना ही छोड़ दिया था.अलीगढ़ से आगरा का केवल 2 घंटे का रास्ता था. वे टैक्सी से वहां पहुंच गए थे. उन्हें देख कर राशि दी बहुत खुश हुईं.‘‘हिना, तेरे आ जाने से मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई है, नहीं तो मैं बड़ा नर्वस हो रही थी. घर पर पहलीपहली शादी है, इसीलिए मुझे थोड़ा डर लग रहा है.’’

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है दी. हम मिलजुल कर काम करेंगे तो सबकुछ अच्छे से निबट जाएगा.’’‘‘हां, यह बात तो है. लड़के वालों की कोई डिमांड नहीं है. वे बहुत शरीफ लोग हैं. इसी वजह से मुझे और ज्यादा हिचक हो रही है. हम अपनी बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. भले ही वे अपने मुंह से कुछ नहीं कह रहे.’’काफी देर तक वे बातें करती रहीं. अनन्या ईशा के पास आ गई और बोली, ‘‘कैसे हैं हमारे जीजू?’’

‘‘तुम खुद ही देख लेना.’’‘‘वह तो मैं देख लूंगी. तुम भी तो कुछ बताओ.’’‘‘मुझे तो वे बहुत अच्छे लगे. वे बहुत सुलझे हुए हैं. वे किसी से ज्यादा बात नहीं करते.’’‘‘अभी बात करने में डरते होंगे. धीरेधीरे तुम से और हम से भी उन की खूब बातें होने लगेंगी और कौनकौन आ रहा है?’’ अनन्या ईशा को चिढ़ाते हुए बोली.‘‘सब आ रहे हैं. मामा के दोनों बेटे और बूआ की दोनों लड़कियां कल  तक पहुंच जाएंगे. तुम्हारे आने से घर  में शादी के माहौल की शुरुआत हो  गई है.’’बातें करते हुए रात हो गई थी. हिना ने कहा, ‘‘दी, मेरे लिए अलग कमरे की व्यवस्था कर देना.’’

तुझे कहने की जरूरत नहीं है. मैं जानती हूं कि तू क्या चाहती है? मैं ने तेरे लिए पहले से ही व्यवस्था कर दी है. तुम और अनन्या ऊपर के कमरे में आराम से रहना.’’‘‘थैंक्यू दी,’’ कह कर हिना अनन्या के साथ वहां आ गई. उन्होंने अच्छे से अपना सामान व्यवस्थित कर लिया. हिना ने हमेशा की तरह यहां आ कर अनन्या को ढेर सारी नसीहतें दे डालीं.

तुझे क्या हो गया है हिना? कैसी बातें कर रही है. शेखर सुनेगा तो क्या सोचेगा?’’‘‘सोचता है तो सोचने दो. मुझे किसी की परवा नहीं है,’’ इतना कह कर उस ने बीच के दरवाजे पर कुंडी चढ़ा दी. हिना को आश्चर्य हो रहा था कि इतना कुछ कहने पर भी मम्मी आंखें मूंदें थीं और उस के इशारे नहीं समझ रही थीं. हिना सबकुछ जानते हुए भी चुप थी, इसीलिए उस की हिम्मत ज्यादा बढ़ गई.

बीच का दरवाजा बंद हो जाने से शेखर की उम्मीदों पर पानी फिर गया. एक बच्चे का पिता होने के बावजूद उस की गंदी नजर अपनी बूआ की बेटी हिना पर पता नहीं कब से लगी थी. अकसर वह उस के लिए गिफ्ट ले आता और उस के साथ खुल कर बातें करता. उसे याद आ रहा था कि वे उसे अजीब तरीके से छूते.

‘‘अगर वह उन के बहकावे में आ जाती तो…’’ यह सोच कर वह सिहर गई. लोकलाज के कारण उसे पता नहीं क्या कुछ झेलना पड़ता. मम्मी अपने भतीजे पर कभी शक तक नहीं कर सकीं. अब शेखर को खुद वहां रहना अखरने लगा था. हिना की निगाहों में उठने वाली नफरत को झेलने में वह समर्थ नहीं था. उस ने इस बीच कई बार उस से बात करने की कोशिश की. उस के पास आते ही वह चुपचाप वहां से उठ कर चली जाती.

हफ्तेभर बाद शेखर अपने पापा के घर चला गया था. इस घटना से हिना ने महसूस किया कि बाहर वालों से ज्यादा अपने लोग खतरनाक होते हैं. रिश्तों की आड़ में क्या कुछ कर गुजरते हैं, इस का किसी को एहसास तक नहीं होता. वे जानते हैं कि अपनों को बदनामी से बचाने व झूठी शान के लिए इस समाज में औरत की आवाज हर हाल में दबा दी जाएगी.

हिना की शादी के 2 साल बाद अनन्या पैदा हुई. उस ने सोच लिया था कि वह अपनी बेटी को दुश्मनों से बचा कर रखेगी. वह बचपन से उसे एक रात के लिए भी किसी रिश्तेदार के घर अकेला न छोड़ती. कई बार बड़े भैया ने कहा भी, लेकिन हिना कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाती. अनन्या को यह बात समझ आने लगी थी. वह कई मौकों पर मम्मी का विरोध भी करती. घर पर अकसर मेहमान आते. हिना उन का पूरा खयाल रखती, लेकिन बेटी की सुरक्षा के लिए कोई रिस्क न उठाती.

उस ने गैस्टरूम घर की छत पर अलग से बना रखा था, जिस से उन का वक्तबेवक्त उस के परिवार से कोई संपर्क न रहे. खानापीना खिला कर वह मेहमानों को गैस्टरूम में टिका देती. पता नहीं, उस की अंदर की दहशत ने उसे कितना हिला कर रख दिया था. नजदीकी रिश्तों के प्रति उस की आस्था ही खत्म हो गई थी. उसे लगता, रिश्ते की आड़ में छिपे हुए भेडि़ए कभी भी अपने ऊपर की रिश्ते की चादर सरका कर अपने असल रूप में आ उस की बेटी पर हमला कर सकते हैं.

बहुत देर तक उसे अतीत में तैरते हुए नींद नहीं आ रही थी. अगली सुबह वह समय से उठ गई, लेकिन अनन्या देर तक सोती रही. उस ने उसे उठाना उचित न समझ. शादी की रात भी हिना की नजरें शादी की रस्मों के बीच उस पर ही लगी रहीं. रात के 3 बजे फेरे खत्म हो गए और उस के बाद वह अनन्या के साथ कमरे में आ गई.

विदाई के समय सभी भावुक हो गए थे. 8 बजे ईशा की विदाई हो गई. घर सूना हो गया था. दोपहर तक अधिकांश मेहमान जाने लगे थे. सिद्धार्थ उस से और दी से मिलने आया, ‘‘अच्छा बूआ, चलता हूं.’’  ‘‘इतनी जल्दी क्या है? 1-2 दिन और रुक जाते,’’ राशि बोली. ‘‘जिस काम के लिए आए थे, वह पूरा हो गया. घर जा कर पढ़ाई भी करनी है.’’

अनन्या अभी 1-2 दिन और मौसी के पास रुकना चाहती थी, लेकिन मम्मी की वजह से कहने में हिचक रही थी. राशि दी खुद ही बोली, ‘‘ईशा के जाने के बाद घर खाली हो गया है. हिना, अनन्या को कुछ दिन यहां छोड़ दे.’’  ‘‘नहीं दी, इस के पापा नाराज होंगे. हम फिर आ जाएंगे. यहां से अलीगढ़ है ही कितना दूर. जब तुम कहोगी तभी ईशा और दामादजी से मिलने चले आएंगे.’’अगले दिन वह बेटी के साथ घर वापस जा रही थी. अनन्या के मन में कई सवाल थे, लेकिन वह मम्मी से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.

हिना जानती थी कि अनन्या मम्मी के व्यवहार से नाखुश है, लेकिन वह मजबूर थी. वह अपनी मम्मी की तरह रिश्तों की छांव में आंख मूंद कर निश्चिंत हो कर नहीं रह सकती थी. शुक्र था, जवानी में खुद सचेत रहने के कारण वह अपने को बचा पाई थी, नहीं तो उस के साथ कुछ भी बुरा घट सकता था. वह अपनी बेटी को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना चाहती थी.

बाहर वाला कुछ गलत कर बैठे तो उस के विरुद्ध शोर मचाना आसान होता है, लेकिन अपनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए कितना हौसला चाहिए, इस की अनन्या कल्पना भी नहीं कर सकती. बेटी चाहे लाख नाराज होती रहे, उसे इस की परवा नहीं. उसे तो केवल भेडि़ए को रोकने की परवा है. अपनेपन की आड़ में वे सबकुछ लूट कर ले जाते हैं और लुटने वाला उन के खिलाफ आवाज तक नहीं उठा पाता. खुद घर वाले उस की आवाज को दबा देते हैं.

‘‘अभी उसे कुछ समझना बेकार है. धीरेधीरे अपने अनुभव से उसे बहुतकुछ पता चल जाएगा. तब उसे अपनी मम्मी की यह बात अच्छे से समझ आ जाएगी,’’ यह सोच कर वह थोड़ी आश्वस्त हो गई और अनन्या की नाराजगी को नजरअंदाज कर उस से सहज हो कर बातें करने लगी.

 

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