पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने लापता कर्जदारों का पता लगाने के लिये जासूसी एजेंसियों को अनुबंधित करने की प्रक्रिया शुरू की है. बैंक ने इसके लिए एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं. अनुबंधित जासूसी एजेंसियों का काम उन कर्जदारों, सह-कर्जदारों और गांरटी देने वालों, उनके कानूनी वारिस का पता लगाना होगा जिनके बारे में कुछ जानकारी नहीं है और उन्होंने जो पता दिया, वहां कोई नहीं रहता.
बता दें कि पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हैं. इस बैंक का फंसा कर्ज दिसंबर 2017 में 57,519 करोड़ रुपये या सकल कर्ज का 12.11 प्रतिशत पहुंच गया था. फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली को लेकर ऐसी खबर है कि पीएनबी ‘गांधीगिरी’ का भी रास्ता अपनाएगा. इसके तहत कर्ज नहीं लौटाने वाले कर्जधारकों के नाम सार्वजनिक किये जाएंगे. बैंक हर महीने 150 करोड़ रुपये तक फंसे कर्ज की वसूली का प्रयास करेगा.
बता दें कि नीरव मोदी और मेहुलुचोकसी की धोखाधड़ी से पंजाब नेशनल बैंक 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का शिकार हुआ है. बैंक ने कहा कि पीएनबी ने जासूसी करने वाली एजेंसियों का पैनल बनाने को लेकर बुधवार (25 अप्रैल) को आवेदन आमंत्रित किये. इसका मकसद फंसे कर्ज की वसूली में तेजी लाना है. ये एजेंसियां क्षेत्र में कर्ज वसूली के लिये काम कर रहे कर्मचारियों की सहायता करेंगी. इसमें रूचि रखने वाले पक्षों से पांच मई तक आवेदन और जरूरी दस्तावेज देने को कहा गया है.
बता दें कि पीएनबी में खरबों रुपये की धोखाधड़ी के बाद इस बैंक के साख को बट्टा लगा है. रेटिंग एजेंसी फिच ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की व्यवहार्यता रेटिंग ‘बीबी’ से घटाकर ‘बीबीमाइनस’ कर दी है और रेटिंग वाच को नकारात्मक (आरडब्ल्यूएन) पर बरकरार रखा है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, इस डाउनग्रेड से बैंक की अन्य रेटिंग अप्रभावित रहेंगी.
बयान में कहा गया है, “डाउनग्रेड इस बात का आकलन करता है कि 2018 के फरवरी में जिस वित्तीय गड़बड़ी का भंडाफोड़ हुआ था, उसके कारण बैंक की वित्तीय स्थिति, उसकी कमाई और मुख्य पूंजीकरण प्रभावित होगी. यह डाउनग्रेड बैंक के जोखिम नियंत्रण को दर्शाता है, जिसके बारे में हमारा मानना है कि पहले जितना भरोसा था, उससे यह कमजोर हुआ है. क्योंकि धोखाधड़ी कई वर्षो से नजर नहीं आ रही थी और बड़े पैमाने पर 2.2 अरब डौलर का घोटाला किया गया था. बैंक ने कहा है कि वह अपने जोखिम नियंत्रण को मजबूत करने की योजना बना रहा है.”
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आईपीएल का 11वां संस्करण इस समय खेला जा रहा है, लेकिन 12वें संस्करण को लेकर अभी से कई सवाल उठने लगे हैं. दरअसल इसके पीछे है वर्ल्डकप 2019 का कार्यक्रम. इंग्लैंड में होने वाला आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप अगले साल 30 मई से शुरू होगा. इस वर्ल्डकप में 10 टीमें हिस्सा लेंगी. वर्ल्डकप करीब डेढ़ महीने 14 जुलाई तक चलेगा. वर्ल्डकप 30 मई से शुरू होगा यानी बीसीसीआई को अगले साल आईपीएल इससे 15 दिन पहले शुरू करना होगा.
अब आपके मन में सवाल आएगा कि इस वर्ल्डकप का आईपीएल से क्या लेना देना. क्योंकि बीसीसीआई ने आईपीएल को मार्च और अप्रैल में कराने की योजना बना ली है. लेकिन पेंच यहीं फंसा है. अगला साल चुनावों के लिहाज से अहम है. बीसीसीआई ने साफ कहा है ‘अगले साल आईपीएल 29 मार्च से 19 मई के बीच खेला जाएगा.’ ऐसे में आईपीएल का 12वां संस्करण भारत में होने वाले लोकसभा चुनावों के कारण संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में स्थानांतरित हो सकता है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी. अपना नाम न जाहिर करने शर्त पर अधिकारी ने कहा, “लोकसभा चुनावों के कारण, अगले साल आईपीएल का आयोजन यूएई में हो सकता है.”
2014 में भी आईपीएल के पहले दो सप्ताह के मैच यूएई में ही खेले गए थे. उस साल भी अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों के कारण बीसीसीआई को लीग को देश से बाहर ले जाना पड़ा था. अधिकारी ने कहा, “ऐसी संभावना है कि आईपीएल के कुछ मैच पिछली बार की तरह इस बार भी स्थानांतरित कर दिए जाएं. यह लोकसभा चुनावों की तारीखों पर निर्भर करेगा.”
अब आया बीसीसीआई का जवाब
इस मुद्दे पर बीसीसीआई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एक मुद्दा है. हम इस पर अभी फैसला नहीं कर सकते. जैसे ही चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा, हम लोग उसके बाद देखेंगे कि देश में आईपीएल मैच हो सकते हैं या इन्हें बाहर ले जाना पड़ेगा.
पहले भी आईपीएल बाहर हुआ था
2009 में सुरक्षा के मुद्दे पर भी आईपीएल को देश में नहीं कराया जा सका था. उस समय आईपीएल को दक्षिण अफ्रीका में कराया गया था. हालांकि ये फ्रेंचाइजी के लिए बहुत फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ था.
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चेन्नई के खिलाफ मिली हार के बाद बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली को दूसरा झटका लगा है. चेन्नई के खिलाफ बुधवार को हुए मैच में धीमी ओवर गति के लिए 12 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. मेजबान टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए आठ विकेट पर 205 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया था लेकिन ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की 34 गेंद में 70 रन की तूफानी पारी की बदौलत दो गेंद शेष रहते लक्ष्य हासिल कर लिया.
आईपीएल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘आईपीएल की आचार संहिता के संदर्भ में न्यूनतम ओवर गति का मौजूदा सत्र का उनकी टीम का यह पहला अपराध है, इसलिए कोहली पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.’ इससे पहले चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आखिरी ओवर में छक्का मारकर अपनी टीम को बेंगलुरु के ऊपर रोमांचक जीत दिला दी.
बेंगलूरू ने चिन्नास्वामी स्टेडियम पर पहले बल्लेबाजी करते हुए एबी डिविलियर्स और क्विंटोन डिकाक के आक्रामक अर्धशतकों की मदद से आठ विकेट पर 205 रन बनाये. जवाब में मैन आफ द मैच धोनी (नाबाद 70) और अंबाती रायुडू (82) ने चेन्नई को मुश्किल लग रही जीत तक पहुंचाया. दोनों ने पांचवें विकेट के लिये 101 रन की साझेदारी की जबकि चेन्नई के चार विकेट नौ ओवर में 74 रन पर गिर चुके थे.
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रायुडू ने 53 गेंद में तीन चौकों और आठ छक्कों की मदद से 82 रन बनाये लेकिन वह 18वें ओवर में रन आउट हो गए. चेन्नई को आखिरी दो ओवर में जीत के लिये 30 रन चाहिये थे. मोहम्मद सिराज के अगले ओवर में धोनी के छक्के समेत 14 रन बने और आखिरी ओवर में 16 रन की जरूरत थी . ड्वेन ब्रावो ने एंडरसन की पहली गेंद पर चौका और दूसरी पर छक्का लगाने के बाद अगली गेंद पर एक रन लिया . धोनी ने चौथी गेंद पर लांग आन में छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई और साबित कर दिया कि उन्हें विश्व के बेहतरीन फिनिशर्स में क्यो शुमार किया जाता है.
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अच्छाई व बुराई की लड़ाई के साथ ही पृथ्वी को बचाने की कवायद की कहानी है हौलीवुड फिल्मकार एंथोनी रोसो और जौय रोसो की रोमांचक एक्शन प्रधान साइंस फिक्शन फिल्म ‘‘एवेंजर्स इन्फीनिटी वार’’. जो कि मार्वेल कामिक्स के सुपर हीरो अवेंजर्स पर आधारित है. एक पंक्ति की कहानी के साथ कई उप कहानियों के साथ साथ तकरीबन 76 किरदारों और एक नहीं कई जगहों से (न्यूयार्क, वकांडा, टाइटन,नोव्हेअर ) युक्त यह फिल्म दर्शकों को बांधकर रखती है.
फिल्म की कहानी का केंद्र असीम शक्तियां रखने वाली छह मणियां हैं. इनके नाम हैं-शक्ति मणि, अंतरिक्ष मणि, समय मणि, स्मृति मणि,वास्तविकता मणि, आत्मा मणि. इनमें से चार मणियां पृथ्वी ही नहीं पूरे ब्रम्हांड को खत्म करने पर उतारू थैनौस के पास हैं और वह अपनीशक्ति के बल पर अन्य दो मणियों को हासिल कर सर्वाधिक ताकतवर बनकर पृथ्वी सहित पूरे ब्रम्हांड को खत्म कर नए सिरे से अपने मनमाफिक नए ब्रम्हांड की रचना करना चाहता है. अपने मकसद में कामयाब होने के लिए थैनौस अपनी सौतली दत्तक पुत्री गमोरा (जौय सल्डाना) की हत्या करने से भी बाज नहीं आता है. जबकि दो मणियों को थैनौस के हाथ न लगने देने के साथ ही थैनौस को खत्म करने के लिए आयरन मैन, थोर, द हल्क व अन्य अवेंजर्स एक साथ आ जाते हैं. इतना ही नही पृथ्वी व ब्रम्हांड को बचाने के लिए ब्लैक विडो, स्पाइडरमैन व ब्लैक पैंथर भी इनके साथ आ जाते हैं. यह सभी थैनौस के पास मौजूद चार मणि भी छीनना चाहते हैं.
फिल्म ‘‘अवेंजर्स इन्फीनिटी वार’’ की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पर मार्वल्स की पिछली फिल्म ‘‘थोरः रगनारोक’’ खत्म हुई थी. इस फिल्म में स्पेस यान से उतरने वाले असगार्डियन भाईयों थोर व लोकी को जहां छोड़ा था. उधर टाइटन ग्रह के निवासी थैनौस (जोश ब्रोलिन) ने सिर्फ अपने काफिले बल्कि अपने शिल्प को भी बर्बाद कर दिया है. वह लोगों पर अत्याचार करने के साथ ही उन्हे मौत के घाट उतार रहा है. अब थैनौस की योजना दो अन्य मणि को हासिल कर पूरे ब्रम्हांड को बर्बाद करने की है. थैनौस की योजना की जानकारी मिलते ही द हल्क वापस धरती पर आते हैं. फिर जबरदस्त एक्शन के अवेंजर्स व उनके साथी थैनौस को रोकने की मुहीम में जुट जाते हैं.
फिल्म की कहानी लार्जर देन लाइफ से भरपूर होते हुए भी काफी दिलचस्प है. अदभुत व अति तेज गति से भागती कहानी व जबरदस्त एक्शनदृश्यों से भरपूर यह एक ‘एपिक’ फिल्म है. पिछली अवेंजर फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म में इंसानी भावनाओं को ज्यादा उकेरा गया है. इतना ही नहीं इस फिल्म में कहानी के साथ ही कुछ दार्शनिक बातें भी की गयी हैं. फिल्म में कई अनुत्तरित सवाल भी हैं. फिल्म का क्लायमेक्सआश्चर्यचकित कर जाता है. फिल्म की पटकथा जबरदस्त है. इस फिल्म को देखने का असली मजा तो बड़े परदे पर ही आएगा और वह भी थ्री डी में.
फिल्म की लोकेशन व संवाद जबरदस्त हैं. हिंदी में अनुवादित फिल्म के संवादो में तो कुछ हिंदी फिल्मों के नाम भी जोड़े गए हैं, जिससे भारतीय दर्शक इस फिल्म के साथ जुड़ सकें. भारत में यह फिल्म अंगेजी व हिंदी के अलावा तमिल, तेलगू, मलयालम में भी प्रदर्शित हो रही है.
जहां तक अभिनय का सवाल है, तो फिल्म के हर कलाकार /किरदार ने बुराई से जीत हासिल करने की जद्दोजेहाद के साथ ही मानवीय जीवन व संवेदना को भी बेहतर तरीके से उकेरा है. कलाकारों की भीड़ में कुछ कलाकार अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर अपना एक अलग वजूद बनाने में कामयाब होते हैं. मसलन – टोनी स्टार्क उफ आयरन मैन के किरदार में राबर्ट डाउनी ज्यूनियर, कैप्टन अमेरिका के किरदार में क्रिस इवान्स, ब्लैक विडो के किरदार में स्करलेट जोहान्सन, थोर के किरदार में क्रिस हैमस्वर्थ आदि. मगर थैनौस के किरदार में जोश ब्रोलिन सर्वाधिक प्रभावित करते हैं. गमोरा जैसे अति भावुक व अति जटिल किरदार को जौय सलडाना ने काफी बेहतरीन तरीके से निभाया है.
दो घंटे 29 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अवेंजर्सःइन्फीनिटी वार’’ का निर्माण: ‘‘मार्वल्र्स स्टूडियो ने किया है. फिल्म के निर्देशक एंथेनी रोसो व जो रोसो, लेखक स्टीफन मैकफिली और क्रिस्टाफर मार्कस हैं. कहानी मार्वेल कामिक्स पर आधारित है. कलाकार हैं- राबर्ट डाउनी ज्यूनियर,क्रिस हैमस्वर्थ, मार्क रफ्लो, क्रिस इवांस, स्कार्लेट जोहान्सन, बेनेडिक्ट कम्बरबैच व अन्य.
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हेमंत कटारे मध्य प्रदेश में भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं. इस सीट से साल 2013 में उन के पिता सत्यदेव कटारे जीते थे जो विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.
पिता की मौत से उपजी हमदर्दी और कांग्रेस के दिग्गज नेता व गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से नजदीकियों का फायदा हेमंत कटारे को उपचुनाव में मिला और उन्होंने भाजपा के वजनदार उम्मीदवार अरविंद भदौरिया को 800 वोटों के अंतर से हरा दिया.
हेमंत कटारे जीत कर भोपाल आए तो उन का स्वागत किसी हीरो की तरह धूमधड़ाके से हुआ. कई पत्रकारों ने उन के इंटरव्यू लिए थे. उन में से एक थी 21 साला खूबसूरत प्रिंशु सिंह जो कुछ करगुजरने की चाह लिए पत्रकारिता की पढ़ाई करने भोपाल आई थी.
प्रिंशु सिंह भोपाल की माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के आखिरी साल में थी और पिछले साल उस ने पढ़ाई में गोल्ड मैडल हासिल किया था.
यह प्यार था या…
हेमंत कटारे और प्रिंशु सिंह की नजर पहली दफा जो मिली तो वे दोनों दोस्त बन गए और फिर आम प्रेमियों की तरह भोपाल में छिप कर इधरउधर मिलने लगे.
हेमंत कटारे इस प्यार को छिपाए रखना चाहते थे क्योंकि उन के राजनीतिक कैरियर की अभी शुरुआत थी. प्यार उजागर होता तो बदनामी भी होती. दो टूक कहा जाए तो वे इश्क की रंगीनियों में तो रहना चाहते थे लेकिन प्रिंशु सिंह से शादी नहीं करना चाहते थे और इस बाबत उन्होंने प्रिंशु सिंह से कोई वादा भी नहीं किया था.
आजकल के ज्यादातर नौजवान प्यार तो किसी और से करते हैं पर शादी किसी और से करते हैं. इसी दौरान दोनों मरजी से हमबिस्तरी का भी लुत्फ उठा लें तो भी बात हैरत की नहीं रह जाती.
प्यार में दिक्कत तब खड़ी होती है जब दोनों में से कोई एक जज्बातों और हमबिस्तरी की कीमत मांगते हुए दूसरे को ब्लैकमेल करने लगे, धमकी देने लगे या फिर डर के मारे किसी तरह का जिस्मानी नुकसान पहुंचाए.
प्यार अगर वक्तीतौर पर जिस्मानी सुख भोगने का जरीया हो और वक्त रहते ही आशिकमाशूक अपने रास्ते अलग न करें तो तय है कि वे किसी हादसे या आफत की गिरफ्त में आने वाले होते हैं. ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ.
जब खुले राज तो
मध्य प्रदेश की सियासत में जनवरी और फरवरी के महीने में हेमंत कटारे और प्रिंशु सिंह की मुहब्बत के चर्चे अलगअलग अंदाज से किसी टैलीविजन सीरियल की तरह होते रहे जिन्हें आम लोगों ने भी चटकारे ले कर दिलचस्पी से सुना.
14 जनवरी, 2018 को प्रिंशु सिंह ने एक वीडियो वायरल करते हुए हेमंत कटारे पर इलजाम लगाए कि वे उस का बलात्कार करते रहे हैं. प्रिंशु सिंह ने यह भी दावा किया कि उस के पास हेमंत कटारे के ऐसे वीडियो और आडियो हैं जिन से यह साबित होता है कि हेमंत कटारे उसे प्यार के झांसे में ले कर धोखा देते रहे हैं और अब उसे डराधमका रहे हैं.
वीडियो वायरल हुआ तो हाहाकार मच गया. वजह, इलजाम पत्रकारिता की एक छात्रा ने विधायक पर लगाया था. शुरुआत में तो लोग इसे प्रिंशु सिंह की सनक और ब्लैकमेलिंग समझते रहे पर दाल में काला है यह खुद हेमंत कटारे ने साबित कर दिखाया.
तीसरे दिन ही हेमंत कटारे ने भी खुद का बनाया एक वीडियो वायरल किया जिस में वे कह रहे हैं कि प्रिंशु सिंह उन्हें ब्लैकमेल कर रही है और 2 करोड़ रुपए न देने पर उन की राजनीतिक और निजी जिंदगी तबाह करने की धमकी दे रही है.
इस वीडियो में हेमंत कटारे ने विक्रमजीत सिंह नाम के एक शख्स का भी जिक्र किया कि उस ने प्रिंशु सिंह की तरफ से पैसे मांगे थे.
विक्रमजीत सिंह भोपाल के एक कार शोरूम जीवन मोटर्स में काम करता है और भारतीय जनता पार्टी का छोटामोटा नेता भी है इसलिए मामला मुहब्बत का कम सियासत का ज्यादा हो चला.
हेमंत कटारे को विक्रमजीत सिंह और प्रिंशु सिंह मिल कर ब्लैकमेल कर रहे थे या नहीं यह राज अब देर से ही सही पर खुलेगा जरूर लेकिन प्रिंशु सिंह को हेमंत कटारे से इस तरह के सख्त जवाब की उम्मीद नहीं थी.
हेमंत कटारे ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी थी और प्रिंशु सिंह की गिरफ्तारी के बाद वीडियो वायरल किया था.
पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद हेमंत कटारे ने प्रिंशु सिंह को भोपाल के कारोबारी इलाके एमपी नगर के पास चेतक ब्रिज पर बुलाया और उसे एडवांस में 5 लाख रुपए दिए.
इस तयशुदा जगह पर पुलिस वाले सादी वरदी में पहले से ही तैनात थे जिन्होंने प्रिंशु सिंह को नकद 5 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार कर ब्लैकमेलिंग के इलजाम में जेल भेज दिया.
हेमंत कटारे का वीडियो वायरल हुआ तो एक तरह से यह साफ हो गया कि प्रिंशु सिंह उस से सौदेबाजी कर रही थी और उस सौदे की दलाली विक्रमजीत सिंह कर रहा था.
रोजे गले पड़े
प्रिंशु सिंह के जेल चले जाने के बाद हेमंत कटारे ने छुटकारे की मीलों लंबी सांस ली कि चलो पिंड छूटा. पर तब तक राज्य की सियासत में काफी भूचाल आ चुका था. भाजपाई तो खामोश थे लेकिन कांग्रेसी दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हेमंत कटारे को बेगुनाह बताते हुए इस मामले को भाजपा की साजिश बताया.
जेल जा कर प्रिंशु सिंह खामोश नहीं बैठी बल्कि पेशी के दिन उस ने अदालत में पत्रकारिता यूनिवर्सिटी से आए अपने दोस्तों से कहा कि वह बेगुनाह है. हेमंत कटारे और पुलिस वाले मिले हुए हैं.
प्रिंशु सिंह का दूसरा वीडियो उस की गिरफ्तारी के बाद वायरल हुआ था जिस में वह अपने पहले के वीडियो के बाबत बारबार माफी मांगती नजर आ रही थी कि उस ने यों ही मजाक में वीडियो वायरल कर दिया था, क्योंकि हेमंत कटारे ने उस से मिलने की पेशकश बड़ी बेरुखी से ठुकरा दी थी.
यह वीडियो तब वायरल हुआ जब प्रिंशु सिंह जेल में थी और पुलिस उस का मोबाइल फोन जब्त कर चुकी थी. फिर वीडियो कैसे बना और वायरल हुआ इस बाबत प्रिंशु सिंह साफसाफ कुछ नहीं बोली तो अंदाजा यह लगाया गया कि विक्रमजीत सिंह ने बचाव के लिए यह वीडियो पहले से ही तैयार कर रखा था कि अगर हेमंत कटारे झांसे या धमकी में न आए तो मामले पर लीपापोती यों ही हंसीमजाक में की जा सके.
जेल से प्रिंशु सिंह ने हेमंत कटारे पर फिर पुराने इलजाम दोहराए और जमानत की मांग की जो उसे मिल भी गई. बारी अब खुद को सयाना समझ रहे हेमंत कटारे की थी जिन के खिलाफ पुलिस ने प्रिंशु सिंह की शिकायत पर बलात्कार और अपहरण का मामला दर्ज कर लिया.
वारंट जारी होते ही हेमंत कटारे फरार हो गए और खुद की बेगुनाही साबित करने का वीडियो वायरल करते रहे.
इधर विक्रमजीत सिंह ने भी एक वीडियो वायरल कर डाला कि वह तो हेमंत कटारे के कहने पर इन दोनों के बीच बात बनाने की कोशिश कर रहा था.
बकौल विक्रमजीत सिंह, हेमंत कटारे ने एक कांग्रेसी नेता के जरीए उसे कहलवाया था कि मामला रफादफा करवाओ, क्योंकि उन की सगाई हो चुकी है और अप्रैल में शादी होने वाली है.
यानि कुछ ऐसा था जिस से हेमंत कटारे डर रहे थे, लेकिन वह जो भी था इतना नहीं था कि उस की कीमत 2 करोड़ रुपए दी जाए पर सौदा 50 लाख रुपए में तय हुआ था.
पुलिस ने बिगाड़ी बात
देखा जाए तो यह प्यार में सौदेबाजी का मामला था जिस में प्रिंशु सिंह हेमंत कटारे की जिंदगी से हट जाने और राज छिपाए रखने की कीमत मांग रही थी. चूंकि यह काम वह अकेले नहीं कर सकती थी इसलिए उस ने अपने दोस्त विक्रमजीत सिंह को साथ मिला लिया था.
प्रिंशु सिंह को उम्मीद थी कि पहला वीडियो वायरल होते ही हेमंत कटारे डर के मारे उस की मांगें मान लेंगे और उसे तगड़ी रकम मिल जाएगी, लेकिन मामला पुलिस में पहुंचा तो फिर इन दोनों के हाथ में कुछ नहीं रह गया.
पुलिस वालों ने इस मामले में दोनों तरफ से मलाई काटी और चाटी. पहले प्रिंशु सिंह को गिरफ्तार कर हेमंत कटारे को बेफिक्र कर दिया गया और फिर उन्हें ही गिरफ्तार कर हमेशा के लिए उन के दामन पर दाग लगा दिया.
इधर प्रिंशु सिंह की मां भोपाल आईं और उन्होंने भी वीडियो के जरीए कहा कि उन की बेटी बेकुसूर है, उस के साथ कोई गंदा काम नहीं हुआ है. विक्रमजीत सिंह ने प्रिंशु सिंह को बहकाया है.
किस ने किस को कितना बहलाया था यह सब अब अदालत में तय होगा. एक तरफ मां हेमंत कटारे को क्लीन चिट दे रही हैं तो बेटी खुलेआम उन्हें बलात्कारी बता रही है.
हेमंत कटारे को एक लड़की से सैक्सी चैटिंग भारी पड़ गई या सचमुच उन के प्रिंशु सिंह से जिस्मानी रिश्ते थे, ऐसे कई राज अब अदालत में खुलेंगे. जाहिर है कि कई राज दफन भी रहेंगे.
हेमंत कटारे की फरारी ने उन्हें शक के दायरे में ला खड़ा कर दिया. कल तक कंधे से कंधा मिला कर चल रहे कांग्रेसी अब उन से किनारा करने लगे हैं.
महंगा पड़ा नौसिखियापन
हेमंत कटारे की समझ पर जवानी का जोश भारी पड़ा और वे सियासत का पहला सबक भी नहीं समझ पाए कि इस में कोई किसी का सगा नहीं होता. इस नौसिखिएपन और नासमझी की सजा वे भुगत भी रहे हैं. कल तक जिन विधायक के साथ गनमैनों और समर्थकों का कारवां चला करता था, वे अब तनहाई में दिन काट रहे हैं.
मुद्दे की बात प्यार में बेईमानी है जो प्रिंशु सिंह ने भी की थी और हेमंत कटारे ने भी. पर दोनों को बेईमानी का भी सलीका नहीं आता था.
मामूली खातेपीते घर की प्रिंशु सिंह रातोंरात नाम कमा लेना चाहती थी जो उसे मिला तो पर इस तरीके से कि शायद ही कोई मीडिया हाउस अब उसे नौकरी दे. उस के एक दोस्त के मुताबिक प्रिंशु सिंह की शादी 23 फरवरी को होनी थी जो इस मामले की वजह से खटाई में पड़ गई है.
हेमंत कटारे का राजनीतिक कैरियर भी डांवांडोल हो गया है. जो साख उन के पिता ने कमाई थी वह एक नासमझी के चलते धूल में मिल गई है.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक तहसील है मोहनलालगंज, जो लखनऊ से 23 किलोमीटर दूर है. तहसील में कोषागार यानी ट्रेजरी होने की वजह से वहां सिपाहियों की ड्यूटी लगती है. उस रात कोषागार की सुरक्षा के लिए सिपाही रामकिशोर और रामप्रकाश वर्मा की ड्यूटी थी.
रात ढाई बजे के करीब सिपाही रामकिशोर की नींद खुली तो वह लघुशंका के लिए बाहर निकला. उस की नजर तहसील परिसर में बने कुएं की ओर गई तो उस ने देखा कि कुएं के ऊपर लगे लोहे के जाल पर उस का साथी सिपाही रामप्रकाश वर्मा लटक रहा है.
यह देख रामकिशोर स्तब्ध रह गया. उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रामप्रकाश वर्मा बहुत ही खुशदिल युवा सिपाही था. उस से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. रामकिशोर कुएं के नजदीक पहुंचा तो पता चला कि मफलर का फंदा बना कर रामप्रकाश वर्मा ने आत्महत्या कर ली है.
कोतवाली परिसर में सिपाही द्वारा आत्महत्या करने की घटना ने उसे परेशान कर दिया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे. उस ने यह बात कोतवाली जा कर सभी को बताई. घटना के बारे में पता चलते ही इंसपेक्टर धीरेंद्र प्रताप कुशवाहा और सीओ राजकुमार शुक्ला वहां पहुंच गए.
सिपाही की लाश देख कर हंगामा मच चुका था. तरहतरह की बातें होने लगी थीं. लोगों को लगा कि किसी दुश्मन ने सिपाही को मार कर इस तरह लटका दिया है. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. इस के बाद पुलिस रामप्रकाश के बारे में व्यक्तिगत जानकारी जुटाने में लग गई.
रामप्रकाश वर्मा उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ के भोगापुर गांव का रहने वाला था. वह मध्यमवर्गीय परिवार का था. घर वालों को उस से बहुत उम्मीदें थीं. सन 2015 में 21 साल की उम्र में रामप्रकाश वर्मा की भरती उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के रूप में हुई थी. वह उपासना नाम की एक लड़की (बदला हुआ नाम) से प्यार करता था. उस ने उपासना से वादा किया था कि नौकरी लगते ही वह उस से शादी कर लेगा.
उपासना और रामप्रकाश वर्मा की शादी में परेशानी यह थी कि दोनों अलगअलग जाति के थे, जिस की वजह से उपासना के घर वाले रामप्रकाश वर्मा से उस की शादी के लिए तैयार नहीं थे. शादी को ले कर दोनों के बीच कभीकभी झगड़ा भी हो जाता था.
रामप्रकाश की मौत के बाद आसपास रहने वालों ने बताया कि पिछली रात वह बारबार किसी को फोन कर रहा था और बेचैन सा इधरउधर घूम रहा था. पुलिस ने रामप्रकाश वर्मा का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले कर जांच की तो पता चला कि उपासना के नंबर से शाम 8 बज कर 38 मिनट से ले कर रात 11 बज कर 51 मिनट तक 130 बार काल की गई थीं. मोबाइल से साफ पता चल रहा था कि रामप्रकाश वर्मा ने उस से बात नहीं की थी. उपासना के नंबर से 7 मैसेज भी आए और रामप्रकाश ने भी 17 मैसेज किए.
पुलिस को रामप्रकाश के फोन में एक रिकौर्डिड मैसेज भी मिला. यह रात को 11 बज कर 33 मिनट पर रिकौर्ड हुआ था. मैसेज में कहा गया था, ‘तुम मुझे भूल जाना. हम मर जाएंगे, जो होगा वह तुम्हें सुबह पता चल जाएगा.’
सिपाही रामप्रकाश वर्मा की जेब से पुलिस को एक लवलेटर भी मिला. यह उपासना का लिखा हुआ था, जिस में कहा गया था, ‘तुम मुझे भूल जाना.’ जानकारों के मुताबिक रामप्रकाश वर्मा और उपासना को यह पता चल चुका था कि परिवार वालों की मरजी से उन की शादी नहीं हो सकती. इसलिए वे एकदूसरे को भूल जाने की सलाह दे रहे थे. रामप्रकाश को जब उपासना का पत्र मिला तो वह दुखी हो गया. इस के बाद उस ने तय किया कि अब वह उस से बात नहीं करेगा.
उपासना को लग रहा था कि पत्र पा कर उस को दुख होगा, क्योंकि वह बहुत ही सीधा सरल और भावुक था. ऐसे में वह कोई भी फैसला ले सकता था. इसी डर से वह रामप्रकाश को बारबार फोन कर रही थी. रामप्रकाश को लग रहा था कि अगर अब उस ने बात की तो वह अपने मन के भावों को छिपा नहीं पाएगा. ऐसे में उस के सामने एक ही रास्ता था कि वह आत्महत्या कर ले.
गुस्से में उसे यह भी नहीं सूझ रहा था कि इस बात को कैसे बताए. अंतत: उस ने रिकौर्डिड मैसेज में उपासना को यह बात बताई. अपनी बात कहने के बाद रामप्रकाश ने गले में मफलर का फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली.
रामप्रकाश की मौत की जिम्मेदार जातिवादी सोच है. आज भी समाज में ऊंचीनीची जाति का फर्क बना हुआ है. इस के साथ ही जिन परिवारों के बच्चे सरकारी नौकरी में आ जाते हैं, उन की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है. उन के परिवार वाले दिल में दहेज की चाहत ले कर बैठ जाते हैं. सामाजिक प्रतिष्ठा, दहेज और जातिवाद जैसी सोच हमारे समाज में अभी भी दिलों में गहरे तक बैठी है.
यही वजह है कि युवा अपनी पसंद की शादी नहीं कर पाते. कुछ मामलों में जब लड़के या लड़की की मनपसंद शादी नहीं हो पाती तो वे भावुक हो कर आत्महत्या जैसे फैसले कर लेते हैं. रामप्रकाश वर्मा के सामने यही परेशानी थी. वह योग्य था, उपासना को पसंद था, पर उपासना के घर वाले रुढि़वादी सोच का शिकार थे. ऐसे में वह उस से अपनी लड़की की शादी करने को तैयार नहीं थे.
रामप्रकाश अपनी इस सोच के आगे खुद को मजबूर पा रहा था. ऐसे में वह न तो उपासना को कुछ कह पा रहा था और न ही खुद कुछ कर पा रहा था. आखिर उस ने परेशान हो कर खुद की जान देने का फैसला कर लिया.
रामप्रकाश वर्मा की मौत ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि योग्य लड़के भी मानसिक दबाव का शिकार हो कर मौत को गले लगा रहे हैं. जबकि आमतौर पर यह समझा जाता है कि केवल टीनएज लड़के ही प्रेम संबंधों के दबाव में आ कर आत्महत्या जैसे फैसले कर लेते हैं.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.
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24 वर्षीय प्रमोद यादव उत्तर प्रदेश के जिला संतकबीर नगर के गांव बगहिया का रहने वाला था. 4 भाई और 3 बहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता के पास मात्र 4 बीघा खेती की जमीन थी, उस से बमुश्किल घर का गुजारा हो पाता था.
प्रमोद के गांव के कई लोग दिल्ली में रहते थे, जो उस के दोस्त भी थे. दिल्ली जाने के बाद उन लोगों के घर के आर्थिक हालात सुधर गए थे. इसलिए प्रमोद ने भी सोचा कि वह भी गांव के दोस्तों के साथ दिल्ली जा कर कोई काम देख लेगा.
एक बार होली के त्यौहार पर जब उस के यारदोस्त दिल्ली से गांव लौटे तो प्रमोद ने उन्हें अपने मन की बात बताई और त्यौहार के बाद वह भी उन के साथ दिल्ली चला गया. उस के यारदोस्त पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में रहते थे. वह भी उन के साथ रहने लगा. उन के सहयोग से वह नौकरी तलाशने लगा.
थोड़ी कोशिश के बाद गाजीपुर में ही स्थित अमरनाथ की पशु आहार की दुकान पर उस की नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी वह गांव के 3 दोस्तों के साथ एक ही कमरे में रहता रहा. खानेपीने का खर्चा सभी आपस में मिल कर उठाते थे.
प्रमोद 2-3 महीने बाद 4-5 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव जाता रहता था. गांव में खर्च के बाद जो पैसे बचते, वह अपने मांबाप को दे आता. पास के गांव बगहिया के पड़ोसी रतिपाल से प्रमोद की अच्छी दोस्ती थी. सन 2004 के मई महीने में रतिपाल के भाई की शादी थी. उस ने प्रमोद को भाई की शादी में शामिल होने का निमंत्रण दिया. तब प्रमोद 5 दिन की छुट्टी ले कर शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली से चला गया था.
शादी समारोह में ही प्रमोद की मुलाकात मुन्नी से हुई. मुन्नी संतकबीर नगर के गांव भसेल की रहने वाली थी. मुन्नी 3 बच्चों में मंझले नंबर की थी. पहली ही मुलाकात में प्रमोद मुन्नी का दीवाना हो गया. बातचीत के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए.
शादी कार्यक्रम के बाद प्रमोद अपने गांव चला गया पर मुन्नी 4 दिनों तक रतिपाल के यहां रही. प्रमोद भी जब तक अपने घर रहा, मुन्नी से फोन पर बात करता रहता था. फोन पर ही दोनों ने प्यार का इजहार कर दिया था.
पांचवें दिन मुन्नी अपने परिवार के साथ भसेल चली गई. उसी दिन प्रमोद भी दिल्ली चला आया. दोनों की फोन पर बातचीत होती रहती थी. रात को दोनों काफीकाफी देर तक अपने प्यार की बातें करते रहते थे. यहां तक कि दोनों ने शादी तक करने का वादा भी कर लिया.
मुन्नी की मां रामवती को भी इस बात का शक हो गया कि आखिर मुन्नी घंटोंघंटों तक किस से बातें करती है. एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘बेटी, जब से तुम शादी से लौट कर आई हो, तुम्हारे हावभाव बदल गए हैं. जब देखो कानों में फोन लगाए रहती हो. क्या है यह सब?’’
मुन्नी जानती थी मां की बगैर रजामंदी के प्रमोद का विवाह उस के साथ नहीं हो सकता, इसलिए उस ने मां को अपने प्यार की सच्चाई बताना उचित समझा. इस के बाद उस ने मां को सारी बात बता दी.
बेटी की बात सुन कर रामवती पहले तो नाराज हुई, फिर मुन्नी की बातों से उसे लग रहा था कि वे दोनों एकदूसरे को चाहते हैं और लड़का सजातीय है तो वह मन ही मन खुश हुई.
रामवती न तो प्रमोद को जानती थी और न ही उसे उस के घरबार के बारे में जानकारी थी. बिना कोई छानबीन किए बेटी की शादी उस के साथ करना समझदारी वाली बात नहीं थी, इसलिए रामवती ने मुन्नी से कहा, ‘‘बेटा, जब तक हम प्रमोद के बारे में छानबीन न कर लें, तब तक तुम उस से फोन पर ज्यादा बातें न करो.’’
मगर मुन्नी पर तो प्यार का भूत सवार था. उस ने मां की सलाह को गंभीरता से नहीं लिया और वह चोरीछिपे उस से फोन पर बातें करती रही.
एक दिन मुन्नी से रामवती ने कह दिया कि वह फोन कर के प्रमोद को यहां बुला ले, ताकि उस से कुछ बात की जा सके.
मां की यह बात सुन कर मुन्नी मारे खुशी के बल्लियों उछल पड़ी. उस ने प्रमोद को फोन कर के मां से मिलने के लिए अपने गांव बुला लिया. रामवती ने प्रमोद से विस्तार से बात की. उस से की गई बातचीत से रामवती को भरोसा हो गया कि वह मुन्नी को हर तरह से खुश रखेगा. बेटी की खुशी को देखते हुए रामवती ने भी उन के प्यार को हरी झंडी दे दी.
मां से हरी झंडी मिलने के बाद प्रमोद और मुन्नी ने आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली. इस के बाद वह मुन्नी को अपने गांव ले गया. मुन्नी को 2-4 महीने गांव में मांबाप के पास छोड़ने के बाद वह उसे दिल्ली ले आया. और गाजीपुर के ही रामअवतार के मकान में किराए का कमरा ले कर वह रहने लगा.
रामअवतार के उस मकान के भूतल पर कुछ दुकानें बनी थीं और पहली मंजिल पर 4 कमरे बने थे. उन में से एक कमरे में प्रमोद और 3 कमरों में दूसरे किराएदार रहते थे. मुन्नी प्रमोद के साथ पूरी तरह से खुश थी.
समय अपनी गति से गुजरता गया और एकएक कर वह 3 बच्चों की मां बन गई, जिस में 2 बेटे और एक बेटी काजल थी. बच्चे बड़े हुए तो उन का दाखिला पास के ही सरकारी स्कूल में करा दिया.
प्रमोद अपनी दुकान पर सुबह 6 बजे चला जाता और दोपहर के 2 बजे जब दुकान बंद हो जाती तो वह घर आ जाता था. दोपहर 2 बजे के बाद प्रमोद घर पर ही रहता. प्रमोद चाहता था कि उसे ऐसा कोई पार्टटाइम काम मिल जाए, जो वह 2 बजे के बाद कर सके. इस बारे में उस ने अपने दोस्तों के अलावा मकान मालिक से भी कह रखा था.
एक दिन मकान मालिक रामअवतार ने उस से कहा, ‘‘प्रमोद, तुम जो पार्टटाइम काम की बात कह रहे हो, मेरे पास इस का उपाय है. उपाय यह है कि मैं अपनी दुकान में जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दूंगा. 2 बजे से रात 10 बजे तक तुम संभालना. इस के बदले में तुम्हारा मकान का किराया नहीं लिया जाएगा. तुम यहां बिलकुल फ्री में रहना. अगर तुम्हें यह मंजूर है तब तो मैं दुकान में पैसे लगाऊं.’’
दुकान से मिलने वाली सैलरी से प्रमोद का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो रहा था, इसलिए उस ने रामअवतार से हां कह दी. रामअवतार ने अपनी दुकान में अच्छेखासे पैसे लगा कर जनरल स्टोर खुलवा दिया. दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक प्रमोद ही उस जनरल स्टोर को संभालता था.
सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि 13 दिसंबर, 2017 की रात होते ही प्रमोद की 7 साल की बेटी काजल अचानक लापता हो गई. काफी ढूंढने के बाद भी जब काजल नहीं मिली तो प्रमोद ने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के बेटी के गायब होने की सूचना दे दी.
सूचना पा कर पीसीआर वैन प्रमोद के यहां पहुंच गई. मामला गाजीपुर थानाक्षेत्र का था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम की सूचना पा कर एसआई सोनू, एएसआई यशपाल प्रमोद के यहां पहुंच गए. पुलिस ने प्रमोद और उस की पत्नी मुन्नी से बात की. उसी दौरान थानाप्रभारी अमर सिंह भी एसआई नीरज के साथ प्रमोद के कमरे पर पहुंच गए.
प्रमोद की पत्नी मुन्नी ने यही बताया कि शाम के समय वह घर के बाहर ही खेल रही थी, तभी अचानक गायब हो गई. इस के बाद पुलिस ने रात में ही काजल को ढूंढना शुरू कर दिया. टौर्च की रोशनी में पुलिस वाले डीडीए कौंप्लेक्स के नजदीक के खाली पड़े प्लाटों के आसपास के सुनसान वाले इलाकों, गड्ढों, झाडि़यों आदि में काजल को तलाशते रहे, लेकिन वह वहां कहीं नहीं मिली तो थानाप्रभारी वापस प्रमोद के कमरे पर आ गए.
मकान का निरीक्षण करने के दौरान ही प्रमोद से थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘छत पर क्या है?’’
‘‘कुछ नहीं है, खुली छत है. वहां कोई नहीं जाता.’’ प्रमोद ने बताया.
थानाप्रभारी ने पास खड़े एसआई नीरज कुमार से कहा, ‘‘जरा ऊपर छत पर जा कर देखो.’’
एसआई नीरज कुमार ने टौर्च की रोशनी में पूरी छत छान मारी, पर वहां कोई भी संदिग्ध चीज नहीं मिली. पर पड़ोसी की छत पर उन्हें एक लड़की की रक्तरंजित लाश मिली. यह बात उन्होंने थानाप्रभारी को बताई तो वह भी छत पर पहुंच गए.
प्रमोद और उस की पत्नी को ले कर थानाप्रभारी अमर सिंह भी छत पर पहुंच गए. बच्ची की लाश देखते ही मुन्नी जोर से चीखी. इस के बाद वह बेहोश हो गई.
प्रमोद ने लाश की पहचान अपनी 7 वर्षीय बेटी काजल के रूप में की. पुलिस ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. फिर जरूरी काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और प्रमोद की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
पुलिस के पूछने पर प्रमोद ने किसी से दुश्मनी आदि होने की बात भी नकार दी. पुलिस यही मान कर चल रही थी कि किसी ने इस बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उस की हत्या कर दी होगी. पर यह बात डाक्टरी जांच के बाद पता लग सकती थी.
हत्या के इस केस को सुलझाने के लिए डीसीपी रामवीर सिंह ने थानाप्रभारी अमर सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसआई नीरज कुमार, सोनू सिंह, एएसआई यशपाल आदि को शामिल किया गया.
थानाप्रभारी ने पूछताछ के लिए मकान मालिक को भी थाने बुला लिया. उस के यहां रहने वाले सभी किराएदारों को भी बुला कर पूछताछ की लेकिन सभी ने इस मामले में अनभिज्ञता व्यक्त की. पड़ोस में रहने वाला सुधीर नाम का एक किराएदार फरार था. पता चला कि वह बिहार के दरभंगा का रहने वाला है. करीब 2 साल से वह डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर रहा है.
अन्य किराएदारों ने बताया कि काजल के गायब होने के बाद से सुधीर गायब है. इस बात से पुलिस के शक की सुई सुधीर की तरफ मुड़ गई.
सुधीर जिस फैक्ट्री में काम करता था, वहां से पुलिस ने उस का फोटो और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने सुधीर, मुन्नी और प्रमोद के फोन नंबर की कालडिटेल्स निकलवाई तो कालडिटेल्स में चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि मुन्नी और सुधीर की रोजाना ही लंबीलंबी बातें होती थीं. केवल घटना वाली रात 9 बजे के करीब दोनों की बात नाममात्र ही हुई थी.
थानाप्रभारी अमर सिंह ने सुधीर का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. तब उन्होंने उसे सर्विलांस पर लगवा दिया. इस के बाद वह प्रमोद के घर गए. उस समय प्रमोद और उस की पत्नी दोनों ही कमरे पर मिल गए. उन्होंने प्रमोद से पूछा, ‘‘क्या आप सुधीर नाम के किसी आदमी को जानते हैं?’’
‘‘जी, सुधीर को बस इतना ही जानता हूं कि वह पड़ोस में रहता है और मेरे पास दुकान पर वह कुछ सामान खरीदने आता रहता था. उस से ज्यादा मैं उस के बारे में कुछ नहीं जानता.’’ उस ने कहा.
प्रमोद से बात करते हुए थानाप्रभारी मुन्नी पर नजर रखे हुए थे. उन्होंने मुन्नी के चेहरे के भाव पढ़ लिए थे. पर वह उस से कुछ नहीं बोले. प्रमोद से बात कर के वह थाने लौट आए.
कुछ समय के बाद ही थानाप्रभारी अमर सिंह को सर्विलांस सेल से सूचना मिली कि सुधीर के फोन की लोकेशन गाजीपुर थाना क्षेत्र में ही है. थानाप्रभारी ने एसआई नीरज और सोनू को सुधीर को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंप दी.
एसआई नीरज और सोनू ने प्लाईवुड फैक्ट्री से एक ऐसे कर्मचारी को साथ लिया जो सुधीर को पहचानता था. इस के बाद वह गाजीपुर बसस्टैंड पर पहुंच गए, क्योंकि सुधीर के फोन की लोकेशन वहीं की आ रही थी. साथ गए व्यक्ति की शिनाख्त पर पुलिस ने सुधीर को बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वहां से वह बिहार भागने की फिराक में था.
सुधीर को थाने ला कर पूछताछ की तो वह पहले इधरउधर की बातें करता रहा. फिर सख्ती करने पर उस ने सच्चाई बता दी. उस ने बताया कि काजल की हत्या में उस के साथ काजल की मां मुन्नी भी शामिल थी.
मासूम बेटी की हत्या में मां के शामिल होने की बात सुन कर पुलिस भी चौंक गई. फिर सुधीर ने उस बच्ची की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली-
प्रमोद सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक व्यस्त रहता था. काम के चक्कर में वह पत्नी को भी समय नहीं दे पाता था. लगातार 16 घंटे काम कर के वह थक कर जल्द ही सो जाता था. ऐसे में पड़ोस में रहने वाले सुधीर नाम के युवक से मुन्नी के अवैध संबंध हो गए.
दरअसल, पति की मरजी के बगैर मुन्नी ने डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. उसी प्लाईवुड फैक्ट्री में सुधीर भी नौकरी करता था. साथसाथ काम करने पर उस की सुधीर से दोस्ती हो गई थी. 23 साल का सुधीर अविवाहित था. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. इसी बीच उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए.
मुन्नी के नौकरी पर चले जाने पर घर अस्तव्यस्त रहता था और बच्चों की देखभाल भी ठीक से नहीं हो पाती थी. तब प्रमोद ने दबाव डाल कर पत्नी की नौकरी छुड़वा दी. उस ने वहां 3 माह नौकरी की थी.
नौकरी छूटने के बाद भी मुन्नी के सुधीर से संबंध कायम रहे. उस की फोन पर बातचीत होती रहती थी. पति तो रात 10 बजे तक दुकान पर रहता था, इसलिए जब मुन्नी का मन होता, वह सुधीर को अपने कमरे पर बुला लेती.
10 दिसंबर, 2017 को मुन्नी और सुधीर को आपत्तिजनक स्थिति में उस की बेटी काजल ने देख लिया था. काजल को देख कर दोनों अलग हो गए. दोनों ने काजल को पैसे, कपड़े, खिलौनों आदि का लालच दे कर कहा कि उस ने जो कुछ देखा है, वह किसी को नहीं बताए.
काजल उस समय तो चुप रही, पर उस के बाद उस ने अपनी मम्मी से कह दिया कि उस की गंदी हरकत वह पापा को जरूर बताएगी. काजल के जवाब से मुन्नी घबरा गई. मुन्नी को डर लगने लगा कि काजल की वजह से वह पति की नजरों में गिर जाएगी.
साथ ही बदनामी भी होगी, इसलिए उस ने सुधीर को फोन कर के कह दिया कि काजल बात नहीं मान रही, उसे ठिकाने लगा दो, ऐसा नहीं हुआ तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.
इस के बाद मुन्नी ने काजल की हत्या की योजना तैयार की. 13 दिसंबर, 2017 की रात 8 बजे के करीब पड़ोसी लालमन के कमरे में काजल टीवी देख रही थी. मुन्नी ने इशारे से काजल को बुलाया. उसे कोई अच्छी चीज दिखाने की बात कह कर वह उसे छत पर ले गई.
सुधीर चाकू लिए छत पर पहले से बैठा था. छत के किनारे पर मुन्नी ने काजल का मुंह दबा कर पटका और सुधीर ने चाकू से उस बच्ची का गला रेत दिया. कुछ ही देर में काजल की मौत हो गई.
दोनों ने मिल कर पड़ोस की छत पर लाश फेंक दी और जिस जगह उन्होंने काजल का गला रेता था, वहां पड़े खून के ऊपर उन्होंने बोरी डाल दी, ताकि खून किसी को न दिखे.
उन की योजना रात के अंधेरे में लाश को बोरी में भर कर ठिकाने लगाने की थी. पर वह लाश ठिकाने तो नहीं लगा सके, पुलिस के हत्थे जरूर चढ़ गए. इस के बाद पुलिस ने मुन्नी को भी गिरफ्तार कर लिया. सुधीर की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया.
पुलिस ने 15 दिसंबर को दोनों को कड़कड़डूमा कोर्ट में मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर जेल भेज दिया.
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संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती अब किसी त्योहार से कम नहीं होती जिसे मनाने के लिए देशभर में होड़ सी मची रहती है. हैरत की बात यह है कि दलितों के इस मसीहा की जयंती अब वे लोग ज्यादा समारोहपूर्वक मनाते हैं जिन के मुंह का कौर भी अंबेडकर का स्मरण हो आने पर नीचे उतरने से इनकार कर देता है. पर मजबूरी यह है कि इन सवर्णों ने ही अंबेडकरवाद खत्म करने का टैंडर भर रखा है. अंबेडकर जयंती पर थोक में दलित सम्मेलन होते हैं जिन में यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि वे एक देवता थे.
हाथ में नीले झंडे थामे तालियां पीटती और जय भीम, जय भारत का गगनभेदी नारा लगाती भीड़ समझ ही नहीं पाती कि यह श्रद्धा नहीं, बल्कि सनातनी साजिश है. कभी हिंदू धर्म के पाखंडों, कर्मकांडों और जातिगत भेदभाव व प्रताड़ना से दुखी हो कर बुद्ध ने मनुवाद के चिथड़े उड़ा दिए थे, इसलिए उन्हें अवतार घोषित कर दिया गया था और फिर मनुवाद कायम हो गया था. अब भला यों श्रेष्ठ वर्ग अंबेडकर को यों ही तो महान घोषित नहीं कर रहा.
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जीएसटी यानी वस्तु और सेवाकर से होने वाली परेशानियों को ध्यान में न रखते हुए केंद्र सरकार ने कारोबारियों के लिए नई ई-वे बिल व्यवस्था लागू कर दी है, जिस में बहुत से ऐसे नियम हैं जो व्यापारियों के लिए सुविधाजनक नहीं हैं. व्यापारियों का कहना है कि अभी हम जीएसटी के जंजाल से जूझ ही रहे थे कि ई-वे बिल के रूप में नई मुसीबत सामने खड़ी हो गई है. हालात यह है कि कारोबारी को बजाय कारोबार करने के, औनलाइन खानापूर्ति करने में ही अपना समय लगाना होगा.
वहीं, सरकार का दावा है कि ई-वे बिल से कारोबारियों की मुसीबतें कम होंगी. उन को टैक्स औफिस के चक्कर नहीं लगाने होंगे. वे अपने फोन से ही ई-वे बिल बना सकेंगे. इस से वे पूरे देश में कहीं भी अपना माल भेजने के लिए स्वतंत्र होंगे.
उधर, कारोबारियों की परेशानी यह भी है कि ई-वे बिल के दायरे में अब 20 वस्तुओं को शामिल कर लिया गया है. इस से कारोबारियों के सामने और ज्यादा परेशानियां आई हैं.
जिन वस्तुओं को ई-वे बिल के दायरे में लाया गया है उन में सुपारी, लोहा, इस्पात, सभी प्रकार के खा• तेल, वनस्पति घी, कोलतार, कोल, सभी प्रकार की टाइल्स, अखबारी कागज, सभी तरह के दूसरे कागज, स्टोन, सिगरेट, सिगार, टायरट्यूब, कत्था, खैनी, जरदा, तंबाकू से बने प्रोडक्ट्स, लुंब्रीकेंट्स, स्किम्ड पाउडर, पेंट, वार्निश, सेनिटरी वेयर और फिटिंग, वुड और टिंबर शामिल हैं. ऐसे में करीबकरीब हर कारोबारी इस दायरे में आ गया. ई-वे बिल की परिधि में आई ज्यादातर चीजें रोजमर्रा की हैं. ऐसे में कारोबारियों की मुसीबतें तो बढ़ेंगी ही, ये चीजें महंगी भी हो जाएंगी.
कैसे बनेगा ई-वे बिल
सरकार ने ई-वे बिल के लिए जीएसटीएन पोर्टल से अलग वैबसाइट बनाई है. इस के जरिए देशभर के सभी कारोबारी और ट्रेडर्स इस वैबसाइट पर ई-वे बिल को जनरेट कर सकेंगे. सरकार ने व्यापारियों की सुविधा के लिए एंड्रौएड फोन के लिए ई-वे बिल का ऐप भी लौंच किया है. इस को मोबाइल के प्लेस्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. इस ऐप के जरिए भी कारोबारी ई-वे बिल को जनरेट कर सकते हैं. इस ऐप को डाउनलोड करने पर कारोबारी को अपनी डिटेल और जीएसटीएन नंबर रजिस्टर करना होगा.
इधर, कारोबारी ई-वे बिल की खामियों से खासे परेशान हैं. पोर्टल और इंटरनैट की दिक्कतों के साथ ही साथ उन्हें कई तरह की अव्यावहारिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है.
सरकार कहती है कि ई-वे बिल लागू होने से कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों को किसी भी टैक्स औफिस या चैकपोस्ट पर जाने की जरूरत नहीं होगी. कारोबारी ई-वे बिल को इलैक्ट्रौनिकली स्वयं निकाल पाएंगे. कारोबारी औफलाइन भी एसएमएस के जरिए ई-वे बिल बनवा सकेंगे.
जिन कारोबारियों के पास इंटरनैट की सुविधा नहीं होगी और जिन को एक दिन में ज्यादा ई-वे बिल जनरेट नहीं करने हैं, वे एसएमएस के जरिए ई-वे बिल को जनरेट करवा सकते हैं. इस के लिए कारोबारी को अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर कराना होगा. इसी नंबर से एसएमएस के जरिए ई-वे बिल की रिक्वैस्ट डिटेल दे कर वे ई-वे बिल जनरेट करवा सकते हैं. ई-वे बिल जनरेट करने पर क्यूआर कोड जनरेट होगा. इस कोड के जरिए ही जीएसटी अधिकारी कभी भी व्हीकल की चैकिंग कर सकते हैं. इस के जरिए ही व्हीकल को ट्रैस भी किया जा सकेगा.
कारोबारियों को ई-वे बिल बनाने के लिए वैबसाइट पर जा कर जीएसटी का यूजर पासवर्ड डालना होगा. इस के बाद ही वे अपना ई-वे बिल जनरेट कर सकेंगे. अगर कारोबारी ने अपना ई-वे बिल रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो उन्हें अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इस के बाद ई-वे बिल पर रजिस्ट्रेशन क्लिक करना होगा. यहां पर जीएसटीएन नंबर भरने से पासवर्ड मिल जाएगा. इस से ही वे अपना ई-वे बिल बना सकेंगे.
हड़बड़ी में लिया गया फैसला
ई-वे बिल को ले कर कारोबारियों को पोर्टल के अलावा भी कुछ दिक्कतें हैं. कारोबारी चाहते हैं कि सरकार इस में संशोधन करे. अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष संदीप बंसल कहते हैं, ‘‘ई-वे बिल किसी भी तरह से कारोबार के हित में नहीं है. इस के लागू होने के बाद वे कारोबारी भी जीएसटीएन नंबर लेने के लिए मजबूर हो गए हैं जो जीएसटी के दायरे में नहीं आते. सरकार ने जीएसटी लागू करने में जिस तरह की हड़बड़ी दिखाई, वैसी ही हड़बड़ी उस ने ई-वे बिल के लिए भी दिखाई. बिना पूरी तैयारी के इस को लागू किया गया है. जीएसटी में रोज नए बदलाव हो रहे हैं, जिस से कारोबारी परेशान हो रहे हैं. इस तरह के बदलावों से यह लगता है कि सरकार कारोबारियों के हित के बजाय उन का अहित करने का काम कर रही है.’’
वे कहते हैं, ‘‘आज भी देश में तमाम ऐसे कारोबारी हैं जो इंटरनैट और कंप्यूटर की जटिलताओं से दूर हैं. वे मेहनत और ईमानदारी से कारोबार करते हैं, समय पर टैक्स देते हैं. वे चाहते हैं कि सरकार टैक्स को सरल करे, जिस से उन्हें इस झमेले से मुक्ति मिल सके.
केंद्र की भाजपा सरकार लगातार कारोबारियों को परेशान करने वाले कानून बना रही है. विपक्ष में रहते हुए कभी जिस एफडीआई का वह विरोध करती थी, आज खुद उस ने उसी को लागू कर दिया. महंगाई और पैट्रोलियम पदार्थों के दामों को ले कर वह पहले विरोध करती थी अब उस का समर्थन कर रही है. पूरे देश पर जीएसटी लागू किया पर पैट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी नहीं लगा रही है. अगर पैट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लागू हो जाए तो ये काफी हद तक सस्ते हो जाएंगे.
बदलाव की मांग
कारोबारी ई-वे बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव चाहते हैं.
• 30 किलोमीटर से ज्यादा दूर माल भेजने पर ई-वे बिल बनाना होगा.
— कारोबारी चाहते हैं कि आज शहरों की घटती दूरी को देखते हुए यह कम है. इस में तो एक महल्ले से दूसरे महल्ले के बीच माल भेजने वाले को ई-वे बिल बनाना जरूरी हो जाएगा. ऐसे में ई-वे बिल के लिए कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी का प्रावधान किया जाए.
• 50 हजार रुपए से ज्यादा का माल भेजने के लिए ई-वे बिल बनाना होगा.
— कारोबारी कहते हैं कि इस नियम से सभी के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा. तब जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट की बात बेमानी होगी. इसलिए यह सीमा बढ़ा कर कम से कम 2 लाख रुपए की जाए.
• माल भेजने के लिए ट्रक का नंबर देना होगा.
— कारोबारी कहते हैं कि कई बार ट्रांसपोर्ट वाले माल भेजते समय ट्रक बदल देते हैं. कोई दूसरी परेशानी भी खड़ी हो सकती है. ऐसे में ट्रक का नंबर बाद में बदलने का प्रावधान शामिल किया जाए.
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‘‘यू आर लुकिंग नाइस. वैरी स्मार्ट, बल्कि कहूंगी सैक्सी लग रही हो. एकदम अलग हट कर ड्रैसेस पहनती हो. बंधीबंधाई लीक पर तू कपड़ों के मामले में भी नहीं चलती. लगता है तुझे नितनए प्रयोग करने का शौक है.’’ सान्या ने अपनी फ्रैंड लेखा से कहा तो वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘मैं वही पहनती हूं जो मुझे अच्छा लगता है. किसी दूसरे के स्टाइल या फैशन की मैं नकल नहीं करती. अगर करूंगी तो फिर मनचाहा कभी पहन ही नहीं पाएंगे, लेकिन जो भी पहनती हूं उस में ऐक्सपैरिमैंट करने में पीछे नहीं रहती हूं. कई लोग इसे ले कर मेरा मजाक भी उड़ाते हैं पर किसी को अच्छा लगे या बुरा, मैं तो वही पहनूंगी जो मुझे पसंद है.’’
‘‘ठीक है, पर जो चलन में है वह पहनो तो सही रहता है. फिर बेवजह कोई आप को घूर कर भी नहीं देखता है. प्रयोग करने की क्या जरूरत. मैं तो नहीं करती. जो भी बाजार में उपलब्ध होता है. पहन लेती हूं,’’ सान्या बोली.
‘‘अरे, प्रयोग करने से घबराना कैसा, बल्कि इस से तो पहनने में वैराइटी मिल जाती है. एक ही ड्रैस को अलगअलग कौंबिनेशन के साथ मिक्स ऐंड मैच कर के पहनने का मौका मिल जाता है और साथ ही, बहुत खर्च भी नहीं करना पड़ता.’’ लेखा की बात सान्या को समझ आई कि नहीं, पर यह सही है कि प्रयोग करने से घबराना नहीं चाहिए.
इनोवेटिव होना जरूरी
किसी नए और ट्रैंडी स्टाइल को हम फैशन कहते हैं, पर अगर आप एक ही जैसे ड्रैसिंग सैंस को बारबार दोहराती हैं तो कुछ समय बाद भले ही आप उस स्टाइल में कितनी ही कूल क्यों न लगे, लेकिन आप खुद अपनेआप से बोर होने लगेंगी. इस तरह आप दूसरों को तो अपने ड्रैसिंग सैंस के बारे में बात करने का मौका देती ही हैं, साथ में इस से आप का खुद का कौन्फिडैंस भी डगमगाने लगता है. इसलिए जब भी आप को मौका मिले अपनी अलमारी को अपग्रेड करती रहें.
खुद को हमेशा स्टाइलिश दिखाने के लिए आप को अपने कपड़ों को मिक्समैच कर के पहनना चाहिए. किसी एक स्टाइल में बंध कर न रहें. इस तरह से कपड़ों को मिक्स ऐंड मैच कर के पहनने का असर आप को खुद नजर आएगा और आप काफी आकर्षक दिखेंगी, फैशन ट्रैंड को फौलो करना जैसे आजकल का टशन बन गया है.
टीनऐजर लड़कियां फैशन मैगजींस या सैलिब्रिटीज का स्टाइल कौपी करने की कोशिश करती हैं. उन्हें लगता है कि फैशन मौडल्स की तरह कपड़े पहन या फिल्मी सितारों की तरह दिखने से वे भी स्टाइलिश और टै्रंडी नजर आएंगी. इस नकल के चक्कर में वे मनपसंद कपड़े नहीं पहन पाती हैं और प्रयोग करने के बारे में तो सोचती ही नहीं है. पहनें वही जो मन को भाए और इस के लिए थोड़ा सा इनोवेटिव हो जाएं तो आप की सुंदरता में चारचांद लग जाएंगे.
ट्रैंडी साड़ी आजमाएं
माना जाता है कि साड़ी पहनने से एक टिपिकल लुक आता है और लोग आप को मौडर्न नहीं समझते, पर अगर आप अपनी साड़ी पहनने के ट्रैडिशनल तरीके को छोड़ कुछ नया प्रयोग उस के साथ करेंगी तो वह नया लुक आप को ग्लैमरस लुक देगा.
चाहे कोईर् भी अवसर हो, साड़ी में आप हमेशा ही बेहद खूबसूरत लग सकती हैं. यह बहुत हैरानी की बात है कि कैसे एक भारतीय परिधान होने के बावजूद साड़ी ने फैशन की दुनिया में हुए बदलाव में खुद को अच्छे तरीके से ढाल लिया है.
शिमर बौर्डर की सिंपल नैट साड़ी क्लासिक औप्शन है. यह आप के लुक में ग्लैमरस लाने का काम करेगी, पर ध्यान रखें कि शिमर के साथ आप कोई भी भारी ज्वैलरी न पहनें. अगर आप इसे ले कर कोई ऐक्सपैरिमैंट नहीं करना चाहतीं तो आप एक प्लेन साड़ी को शिमर ब्लाउज के साथ पहन कर अपने लुक को और शानदार बना सकती हैं. साथ में हील्स पहनें और एक क्लच ले लें.
साड़ी पहनते समय पूरी ड्रैस मैच करने की कोशिश न करें. इस की जगह आप अलगअलग कलर्स और वैरायटी आजमाएं. इंडियन साड़ी पर वैस्टर्न ज्वैलरी पहनें. इंडियन कफ की जगह ज्योमैट्रिक शेप के कफ और नेकपीसेज चुनें. आप चाहें तो गले को खाली भी छोड़ सकती हैं या फिर हलके वजन के पैंडेट पहनें. अगर आप अपने लुक को थोड़ा और इनोवेटिव लुक देना चाहती हैं तो मैनडेरिन कौलर ब्लाउज पहनें. अगर आप की साड़ी प्लेन है तो हलकी जरी वाला ब्लाउज पहनें. आप चाहें तो हौल्टर नेक या स्लीवलैस ब्लाउज भी ट्राय कर सकती हैं.
अगर आप के पास एक अच्छी कुरती और साड़ी है तो दोनों को एकसाथ कैरी करें. कौलर वाली थाईलैंथ कुरती को बौर्डर वाली साड़ी के साथ पहनें.
स्कर्ट स्टाइल है कुछ हट कर
टीनएजर लड़की हो या 30-35 साल की औरत, स्कर्ट हर किसी को पहननी अच्छी लगती है. वजह है कि इस का फेमिनिन और ग्रैसफुल लुक कभी भी ट्रैंड से बाहर नहीं होता. लेकिन एक बनेबनाए स्टाइल से अलग भी आप इसे कई तरह से प्रयोग कर पहन सकती हैं, जैसे इसे ब्लाउज और कुरती के साथ पहना जा सकता है या टक किए हुए शर्ट के साथ भी यह बेहतरीन लुक देती है. जरूरत है बस, आप की एक क्रिएटिव नजर की. और इस में आप अपने लुक से हर किसी को लाजवाब कर सकती हैं. जैसे अगर आप इसे सर्दी में फौर्मल वेयर की तरह पहन रही हैं तो जैकेट, टाइट्स और बूट्स की पेयरिंग खूब जंचेगी, लेकिन अगर गरमी में दोस्तों के साथ बाहर घूमने के लिए इसे पहनती हैं तो क्रौप टौप के साथ पेयर करते हुए इस के साथ स्ट्रैप वाली सैंडिल्स पहनें.
स्कर्ट के साथ सब से अच्छी बात यह है कि यह कई तरह के शेप्स और स्टाइल में मिलती हैं और हर बौडीशेप में कोई न कोई स्कर्ट फिट हो ही जाती है. लैगिंग्स के साथ पहनी गई एक लौंग पैसिंल स्कर्ट या यहां तक कि स्किनी जींस और एक वैस्टकोर्ट भी सर्दी में आप को कमाल का लुक दे सकता है.
डिजाइनर स्कर्ट्स खरीद रही हैं तो उसे थोड़ा और मौडर्न व फैशनेबल बनाने के लिए उस के साथ बैल्ट और हैट पहनें. एसिमिट्रिकल हेमलाइंस आज के लेटैस्ट फैशन ट्रैंड में है. आप भी अपने स्कर्ट के साथ एक एसिमिट्रिकल हेमलाइन यूज करें. साथ में डिजाइनर शर्ट पहनेंगी तो इस स्कर्ट लुक में आप को देख लोग हैरान रह जाएंगे. शौर्ट बटनडाउन शर्ट के साथ घुटनों तक की एलाइन स्कर्ट भी खूब अच्छी व इनोवेटिव लगती है. इस के साथ हील्स और एक स्मार्ट टोटे बैग लेना न भूलें.
आप को लगता है कि इंडियन वेयर पसंद करने वाली महिलाओं की पसंद में स्कर्ट नहीं आ सकती है, तो आप गलत सोचती हैं. हमें नहीं भूलना चाहिए कि परंपरागत भारतीय पहनावे में घाघरा हमेशा ही शौक से पहना जाता रहा है. एसिमिट्रिकल कुरते के साथ आप फिं्रज और फ्लेयर्ड, फ्लोरलैंथ की स्कर्ट पहन कर एक नया प्रयोग कर सकती हैं. यह फ्यूजन लुक आप को एथनिक के साथ ही एक मौडर्न लुक भी देगा.
कुरते के साथ स्कर्ट पहनना भी एक नया प्रयोग हो सकता है. इस के साथ कमर पर बैल्ट पहन सकती हैं. यह ड्रैस पार्टीवेयर होने के साथ ही एक फ्यूजन एलिमैंट के साथ आप को कैजुअल लुक भी देगी. धोतीस्कर्ट नवीनतम ट्रैंड है. इसे क्रौप टौप या फिटेड वैस्ट के साथ पहनें. इस के साथ कोटजैकेट भी पहन सकती हैं.
दोस्तों के साथ शौपिंग पर जा रही हैं या फिर अपने पति के साथ किसी कैजुअल लंच पर, लेदर स्कर्ट एक अच्छा औप्शन हो सकता है. इसे आप लूज टीशर्ट, स्वेटर्स और स्वैट्स के साथ पहनें.
स्कर्ट टाइट फिटिंग के बजाय लूज फिटिंग की ही चुनें ताकि चलने में दिक्कत न आए. अगर नाइट पार्टी में जा रही हैं तो एक ब्लैक या व्हाइट टैंक टौप स्कर्ट के साथ पहन लें. इस के साथ एक सैक्सी स्टेटमैंट इयररिंग्स पहनें. आप चाहें तो एक सैक्सी सा क्रौप टौप भी पहन सकती हैं. थोड़ा पेट दिखाने में हर्ज ही क्या है. जब बात टौप के साथ ऐक्सपैरिमैंट करने की हो तो खुद को किसी सीमा में न बांधे. एक स्लीक लेदर स्कर्ट आप को क्लास देने के लिए काफी है. लेदर स्कर्ट स्लीक व्हाइट शर्ट और ब्लैक जैकेट के साथ बहुत जंचती हैं.
कुछ नया अंदाज
आम ऐक्सपैरिमैंट्स से अलग अगर आप कुछ नया करने की सोच रही हैं, तो क्रौप टौप के साथ शरारे की जोड़ी एक अच्छा आइडिया हो सकता है. पर आप भी यह तो नहीं सोच रही कि साड़ी, सूट या घाघरा से अलग क्या प्रयोग किया जा सकता है? ऐसे में आप हलके रंगों में शरारा के साथ कसीदा किया हुआ क्रौप टौप पहन सकती हैं. स्काई हाई हील और खूबसूरत क्लच बैग इस पर परफैक्ट लगेंगे.
फैशन में घाघरा ड्रैस का चलन कम जरूर हुआ है लेकिन यह पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है. इसलिए आप इसे अलमारी से बाहर का रास्ता न दिखाएं और क्रिएटिव तरीके से ऐक्सपैरिमैंट कर नया अंदाज दें. घाघरे को किसी ट्रैडिशनल साड़ी के साथ पहनें. साड़ी को दुपट्टे की तरह प्लीट्स डाल कर, सीधे पल्ले की तरह पहनें. अनारकली के साथ फ्लेयर्स पहनें और उस पर साड़ी के टुकड़े से बना बड़ी अर्ज का दुपट्टा लें.
ड्रैसेज कलर्स के साथ भी ऐक्सपैरिमैंट करें. अपने कलर पैलेट को सीमा में न बांधें. रंगों से डरें नहीं बल्कि उन्हें एंजौय करें. आप ब्राइट कलर्स से ऐक्सपैरिमैंट कर सकती हैं. दिन की किटी पार्टी में पिंक, औरेंज, रैड, लाइट ग्रीन और यलो आप पर बेहतरीन लगेंगे. आजकल प्रिंट्स काफी ट्रैंड में हैं, इसीलिए आप चाहें तो फ्लोरल प्रिंट्स, ग्राफिक प्रिंट्स, अमेजिंग ज्योमैट्रिक प्रिंट्स, स्ट्राइप्स और डिजिटल प्रिंट्स से ऐक्सपैरिमैंट कर सकती हैं. आप शर्ट्स के रंगों के साथ ऐक्सपैरिमैंट कर सकती हैं, लेकिन इन्हें सिंपल ही रखें या छोटे प्रिंट्स पहनें. इस के साथ फौर्मल हील्स पहनें. स्कर्ट रैड, बेज, ग्रीन जैसे कई शेड्स में मिल जाएंगी. स्कर्ट और टौप के कलर्स मैच न हों. ये आप के लुक को बिगाड़ देगा.
कैजुअल या फौर्मल विअर की डिजाइनिंग के लिए सिल्क, साटन, कौटन या खादी के साथ डिफरैंट प्रिंट्स को ऐक्सपैरिमैंट करें. प्रिंट में साइज मैटर नहीं करता है. फिर भी राइट साइज, कलर व डिजाइन के लिए राइट प्रिंट उपयोग किया जाए तो सुबह हो या शाम, एक वैल ड्रैस्ड एलिगैंट लुक मिल सकता है.
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