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कोरोना कि वजह से हम शादी के बाद घूमने नहीं जा पाएं हैं, हमें क्या करना चाहिए?

सवाल

पिछले महीने अक्तूबर में हमारी शादी हुई है. कोरोनाकाल में शादी तो कर ली लेकिन हनीमून को ले कर हमारे सपने धरे के धरे रह गए. घरवालों का कहना है कि विदेश नहीं जा सकते, तो अपने देश में ही कहीं घूमने चले जाओ. पति को जाने में कोई एतराज नहीं, लेकिन मैं ही हनीमून पर जाने का प्लान करते हुए डर रही हूं. क्या हमें हनीमून के लिए जाना चाहिए?

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जवाब

कोरोना की वजह से जिंदगी में काफी बदलाव आए तो हैं लेकिन कुछ गाइडलाइंस के साथ लोगों को ट्रैवल करने की इजाजत मिल गई है. हालांकि पहले के मुकाबले यात्रा करना मुश्किल हो गया है लेकिन आप की नईनई शादी हुई है, तो हनीमून का प्लान कर सकते हैं, लेकिन कुछ बातों का खास खयाल रखें. फ्लाइट में यात्रा करने के कुछ नियम बदल गए हैं, इसलिए इन नियमों का पता कर लें ताकि सफर में परेशानी न हो. हवाई यात्रा के दौरान सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करें, साथ ही फेस मास्क पहनना और हाथों में दस्ताने पहनना न भूलें. हवाई जहाज में आप को खानेपीने की वस्तुएं नहीं दी जाएंगी. इस कारण आप अपने साथ पीने के लिए पानी जरूर रखें साथ ही हो सके तो टिशू पेपर भी जरूर रखें. साथ में ग्लब्स पहन कर रखें. होटल की बुकिंग करने से पहले फ्लाइट की उपलब्धता की तारीख चैक कर लें. हनीमून पर जाते वक्त अपनी सुरक्षा को ले कर किसी तरह का कोई भी कंप्रोमाइज न करें. आप ने जहां कहीं भी जाने का प्रोग्राम बनाया है उस जगह पर पहुंचने के बाद होटल ढूंढ़ने से बेहतर है कि आप औनलाइन ही बुकिंग कर लें. होटल के मामले में लापरवाह न बनें और रैप्युटेड होटल में ही जाएं.

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प्यार और श्मशान

प्यार और श्मशान : भाग 2

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा 

फिर तो केशव की दुकान से कपड़ा खरीदने का सिलसिला शुरू हो गया, और एक ठाकुर जाति की लड़की और एक डोम जाति के लड़के में अपने धंधे को ले कर एक अच्छी समझ पैदा हो गई थी. केशव अब 30 साल का हो गया था और अपनी पढ़ाई और धंधा जमाने के चक्कर में ब्याह की सुध भी न रही, एकाध बार बाबूजी ने बोला भी तो केशव ने यह कह कर टाल दिया कि थोड़ा धंधापानी जम जाए तो कर लूंगा, पर अब उस के लिए रिश्ते आने बंद हो गए थे, क्योंकि डोम लोगों की प्रथा के मुताबिक उस की शादी करने की उम्र अब निकल चुकी थी.

मालती और केशव भले ही अलगअलग जाति के थे, पर एक  यही बात उन दोनों में समान थी कि  दोनों अभी तक कुंआरे थे. आसमान में कालेकाले बादल घिर आए थे और बहुत तेज बारिश होने की उम्मीद थी. बहुत देर से कोई ग्राहक न आता देख केशव ने दुकान का शटर बंद कर दिया और एक छाता ले कर अपने घर की तरफ चल पड़ा.

बारिश बहुत तेज हो गई थी. सड़कों पर सन्नाटा छा गया था. ऐसे में अचानक केशव की नजर एक कोने में खड़ी मालती पर गई, जो एक कोने में खड़ी हो कर बारिश से बचने की नाकाम कोशिश कर रही थी. ‘‘अरे… मालती… तुम… इतनी तेज बारिश में यहां क्या कर रही हो?’’ अपना छाता केशव ने मालती के सिर के ऊपर लगाते हुए कहा.

‘‘दरअसल, मैं तुम्हारे पास ही आ रही थी… मुझे कल ही इस लाल रंग का कपड़ा चाहिए… सोचा, तुम्हें और्डर दे दूं चल कर… पर रास्ते में ही बारिश आ गई… अब पता नहीं कब तक यह यों ही होती रहेगी,’’ मालती ने ऊंची आवाज में कहा. ‘‘कोई बात नहीं… वह सामने देखो… स्कूल की पुरानी बिल्डिंग है… आओ वहीं चल कर बारिश रुकने का इंतजार करते हैं,’’ केशव ने कहा और कह कर दोनों के कदम उस स्कूल की ओर बढ़ गए.

स्कूल की छत के नीचे दोनों खड़े हो गए, दोनों के शरीर गीले हो गए थे. मालती अपनी साड़ी के गीले पल्लू को निचोड़ने लगी और अपने भीगे हुए सिर के बालों को झटका दे कर सुखाने लगी थी कि तभी उस के सीने से उस का आंचल हट गया और उस के गोरे उभार उजागर हो गए.

केशव की नजर अब भी मालती के सीने पर ही लगी हुई थी. उसे अपने सीने को घूरता देख कर मालती ने उन्हें अपनी साड़ी के पल्लू से ढक लिया. मालती और केशव दोनों कुंआरे थे और आज जब दोनों के जिस्म पूरी तरह से पानी में भीग गए थे, तो उन की छुअन ने उन दोनों के अंदर दबी हवस की चिनगारी को भड़का दिया.

चारों तरफ सन्नाटा था. बस बारिश ही बारिश थी. केशव ने मालती का हाथ पकड़ लिया. मालती ने कोई विरोध नहीं किया, तो उस की हिम्मत बढ़ गई और उस ने मालती के गालों को चूम लिया और धीरेधीरे होंठों का रसपान करने लगा. मालती ने अपनी दोनों आंखें बंद कर लीं और कोई विरोध नहीं किया. केशव की हिम्मत बढ़ गई थी. उस ने  मालती को अपनी मजबूत बांहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा.

मालती के जिस्म को भी जैसे किसी की बांहों में आने का ही इंतजार था.  वह भी अब केशव का साथ देने लगी  और दोनों देह मिलन की नौका पर  सवार हो कर किनारे पर लगने का सफर  करने लगे…कुछ देर बाद दोनों हांफते हुए एकदूसरे से अलग हो गए, बाहर अब भी बारिश तेज हो रही थी, पर दोनों जिस्मों के अंदर का तूफान शांत हो चुका था.

आज जातियों के सारे भेद मिट चुके थे, 2 जिस्मों की जरूरत ने आज ऊंचनीच की सभी दीवारें गिरा दी थीं. काम के सिलसिले में उन दोनों का जो एकदूसरे से मिलना शुरू हुआ था, उस ने इन दोनों कुंआरे दिलों को अपनी हवस मिटाने का रास्ता दिखा दिया था. मालती और केशव के बीच एक बार संबंध क्या बने, फिर तो दोनों काम के बहाने कम मिलते और अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए ज्यादा, जिस का नतीजा यह हुआ कि मालती को बच्चा ठहर गया, जिस से वह बहुत घबरा गई थी.

‘‘केशव… हम से बहुत बड़ी भूल हो गई है… जवानी के जोश में हम ने बिना आगापीछा सोचे संबंध बनाए और अब मुझे बच्चा ठहर गया है… अब क्या होगा?’’ मालती घबराई हुई थी. ‘‘अरे, होना क्या है… अब हम और तुम शादी कर लेंगे,’’ केशव ने कहा.

‘‘शादी… पर क्या तुम जानते हो कि मेरी मां के साथ जो हुआ था…? और लोग मुझे रेप से पैदा हुई औलाद समझते हैं, इसीलिए मेरी शादी आज तक नहीं हुई… और फिर हमारी उम्र में भी फर्क है और हमारी जाति में भी,’’ मालती की आंखों में आंसू आ गए थे. ‘‘हां… मैं जानता हूं मालती कि तुम मुझ से पूरे 5 साल बड़ी हो… पर क्या उम्र का ये फैसला हमारे प्यार को कहीं से कम करता है क्या…? और फिर आज इनसान कहां से कहां पहुंच रहा है और हम ये दकियानूसी बातें ले कर कब तक बैठे रहेंगे? या फिर तुम्हारा मन मुझ से भर तो नहीं गया?’’ केशव ने पूछा.

‘ऐसी तो कोई बात नहीं… पर तुम भी जानते हो कि हमारी शादी इतनी आसानी से नहीं होगी.’’‘‘हां, हो सकता है कि राह में कुछ मुश्किलें आएं, पर हम बिना कोशिश करे तो हार नहीं मान सकते न… मेरे विचार में हमें अपने घरों में एक बार बात कर लेनी चाहिए,’’ केशव ने मालती को ढांढस देते हुए कहा.

मालती और केशव ने यही फैसला लिया कि आज वे दोनों अपने घर में बता देंगे कि वे दोनों शादी करना चाहते हैं. ‘‘क्या…? क्या 35 साल तक तुझे इसीलिए घर में बिठाए रखा कि एक दिन तू उस डोम से ब्याह रचा ले… जानती भी है कि उस लड़के के बापदादा क्या काम किया करते थे… लाशें फूंकते थे… लाशें… चिता जलाया करते थे वे सब… और हम लोगों की दी गई जूठन ही उन की रोजीरोटी का जरीया हुआ करती थी.

‘‘और हम लोग सुबहसुबह उन का नाम लेना भी अपशकुन समझते हैं… घर का पानी और खाना तो बहुत दूर की बात है,’’ मालती के पिता आपे से बाहर हो रहे थे.

 

बच्चे की सही ग्रोथ और न्यूट्रिशन के लिए हर मां इन बातों पर गौर जरूर करें

हर मां चाहती है कि उस का बच्चा हमेशा हैल्दी व फिट रहे. इस के लिए वह हर प्रयत्न करती है. फिर चाहे बच्चे की डाइट की बात हो या फिर उस के साथ समय व्यतीत करने की. फिर भी कई बार प्रयासों के बावजूद बच्चे की ग्रोथ सही ढंग से नहीं हो पाती है, जिस से मां का परेशान होना स्वाभाविक है. ऐसे में मार्केट में कुछ स्पैशलाइज्ड प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, जो बच्चों को पर्याप्त पोषण देने का काम करते हैं जिस से मां भी रहती है टैंशन फ्री और बच्चा भी रहता है हैल्दी.

आइए जानते हैं कि मांएं अपने बच्चों को किस तरह सेहतमंद बनाए रख सकती हैं:

आउटडोर ऐक्टिविटीज में भागीदारी

आज गैजेट्स आने से बच्चे हरदम खुद को उसी में बिजी रखना पसंद करते हैं, जिस से वे शारीरिक गतिविधियों में ज्यादा शामिल नहीं हो पाते, जो उन्हें बीमारियों की गिरफ्त में ले जाता है. ऐसे में मां उन्हें आउटडोर ऐक्टिविटीज जैसे उन के साथ भागना, फुटबौल खेलना, बैडमिंटन इत्यादि में खुद को शामिल कर इन के प्रति उन की रुचि को बढ़ा सकती हैं ताकि उन का शारीरिक विकास हो सके.

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लाइफस्टाइल को बदलना

मां की नजर अपने बच्चे की ऐक्टिविटीज पर होती है कि वह क्या कर रहा है, कितने बजे सो कर उठ रहा है, कैसे उठबैठ रहा है और उसे जहां भी कोई गड़बड़ लगती है तो वह उसे तुरंत सुधारने का प्रयास करती है.

ईटिंग हैबिट्स में सुधार

अगर देखादेखी बच्चा हरदम फास्टफूड इत्यादि खाने में ही दिलचस्पी लेता है, तो मां उसे मार्केट में मिलने वाले कुछ स्पैशलाइज्ड प्रोडक्ट्स जो न तो टेस्ट के मामले में और न ही पौष्टिकता के मामले में कम होते हैं, को उस की डाइट में शामिल कर उसे भीतर व बाहर दोनों तरफ से स्ट्रौंग बनाने की कोशिश करती है, जिस से उस का संपूर्ण विकास हो सके. साथ ही अपनी हैल्दी रैसिपीज से भी बच्चे को फिट रखने की कोशिश करती है.

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वजन व लंबाई बढ़ाने पर ध्यान

कई बार गलत खानपान या फिर किन्हीं अन्य कारणों से बच्चों की लंबाई व वजन प्रभावित होते हैं और वे उस अनुपात में नहीं बढ़ पाते, जिस अनुपात में उन्हें बढ़ना चाहिए. ऐसे में मांएं उन्हें मार्केट में मिलने वाले कुछ स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स या ड्रिंक्स देती हैं जिस से उन के बच्चों का वजन व हाइट सामान्य बच्चों की तरह बढ़ने लगती है. इस में उतना प्रोटीन होता है जिस की शरीर को जरूरत होती है और यह पचने में भी आसान होता है.

क्यों फैट देने से ज्यादा प्रोटीन है फायदेमंद

भले ही फास्टफूड बच्चों की भूख को तुरंत शांत कर देते हो लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होते हैं क्योंकि इस में ज्यादा कैलोरीज होने के कारण ये वजन तो बढ़ाते ही हैं साथ ही इस से शारीरिक व मानसिक विकास भी प्रभावित होता है. ऐसे में स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स जिस में प्रोटीन उचित अनुपात में मौजूद होता है देने से बच्चे हैल्दी व स्ट्रौंग बनते हैं व मोटापे से ग्रसित बच्चों के वजन को कम करने में भी सहायक है. ये न सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है बल्कि इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रौंग करता है यानी बहुत ज्यादा कैलोरी गए बिना ही इस के माध्यम से बच्चों को प्रोपर न्यूट्रिशन मिल पाता है.

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इस तरह मां अपनी हैल्दी रैसिपीज के साथसाथ कुछ स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ती ताकि बच्चे की सही ग्रोथ हो पाए.

तो फिर अपने बच्चों को पौष्टिक डाइट दे कर बनाएं हैल्दी.

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