प. बंगाल, केरल, असम, तमिलनाडु और पुड्डूचेरी – इन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव के मद्देनजर इन पांचों राज्यों में सबसे संवेदनशील राज्य प. बंगाल है. उस पर भी बंगाल के कई जिले संवेदनशील है. मालदह, बीरभूम, प. मेदिनीपुर उत्तर दिनाजपुर, बांकुड़ा, पुरूलिया में बहुत सारे संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. प. मेदिनीपुर में बेलपहाड़ी समेत जंगलमहल और उत्तर दिनाजपुर में रायगंज, हेमंताबाद, कालियागंज, करदिघि, गोयालपोखर, चाकुलिया, इस्लामपुर विधानसभा संवेदनशील क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा खास कोलकाता में बहुत सारे बूथ संवेदनशील हैं. हालांकि जिलाधिकारियों ने अब तक संवेदनशील बूथों की संख्या का खुलासा नहीं किया है और करना भी नहीं चाहते हैं, लेकिन ऐसे संवेदनशील बूथों की पहचान का काम जोरशोर से शुरू है.

बहरहाल, विधानसभा चुनाव में तमाम पांच राज्यों के संवेदनशील बूथों पर होनेवाले मतदान पर चुनाव आयोग के प्रमुख नसीम जैदी और उनके सहयोगियों की इस बार सीधी नजर होगी मतदान पर और वह भी दिल्ली में चुनाव आयोग के दफ्तर में ही बैठ कर. यही नहीं, केवल चुनाव आयोग के अधिकारी ही नहीं, कोई भी इस सुविधा का लाभ उठा सकता है. लैपटौप, डेस्कटौप की मदद से दुनिया के किसी भी कोने से बैठ कर संवेदनशील बूथों का मतदान देखा जा सकता है. यह सुविधा राजनीतिक दलों के लिए काफी मायने रखता है.

चुनाव आयोग इस बार इसके लिए एक नई तकनीक का सहारा ले रहा है और यह आधुनिक तकनीक है वेब कास्टिंग. इस विशेष तकनीक की मदद से इस बार पांचों राज्यों के अति-संवेदनशील बूथों पर नजर रखने का इंतजाम चुनाव आयोग ने कर रखा है. आयोग ने यह सुविधा मतदाताओं को भी दे दिया है. चुनाव आयोग का कहना है कि तकनीक के विकास का लाभ हर किसीको उठाना चाहिए. इसीलिए आयोग चाहता है कि मतदाता समेत देश की जनता भी अति-संवेदनशील बूथों पर होनेवाले मतदान को देखे. हालांकि माना जा रहा है कि चुनाव आयोग ने यह फैसला केवल विपक्ष को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि चुनाव संपन्न करवाने में आयोग की भूमिका की विश्वसनीयता को स्थापित करने के लिए किया है.

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