सोने की खरीदारी महंगी होती है. इस में मिलावट कितनी हुई है, इस का अंदाजा लगाना आम आदमी के लिए बेहद कठिन काम होता है. पहले के समय में सोना बेचने वाला, जिस को सामान्य बोली में सुनार कहते थे, ‘कसौटी’ नाम के एक पत्थर पर सोने को रगड़ कर दिखाता था कि सोना कितना खरा यानी शुद्ध है.
इस को ले कर एक कहावत भी कही जाती है कि ‘आदमी परखे बसे और सोना परखे कसे’ इस का मतलब है कि आदमी के अच्छेबुरे की पहचान तब होती है जब उस के साथ रहा जाए और सोने की परख तब होती है जब उस को कसा जाए यानी कसौटी पर घिसा जाए.
सोने से अधिक गड़बड़ी सोने से बनी ज्वैलरी के साथ की जा सकती है. इस को सामान्य ग्राहक कभी सम?ा नहीं सकता. आमतौर पर सोने की सब से ज्यादा खरीदारी ज्वैलरी के रूप में ही होती है. सोने के सिक्के या बिसकुट को वे लोग ही खरीदते हैं जिन को बचत के लिए खरीदना होता है. ज्वैलरी खरीदने वाले के सामने दिक्कत यह होती है कि अगर सोने में मिलावट हुई तो जब वह बेचने जाएगा तो उस की सही कीमत नहीं मिलेगी. ऐसे में सोने की शुद्धता को कैसे परखा जाए?
सरकार ने सोने की शुद्धता के लिए सोने से बनी ज्वैलरी पर हालमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है. इस के बाद भी गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. ज्यादातर सोना बेचने वाले पक्की रसीद नहीं लेने के लिए कहते हैं. उन का तर्क होता है कि पक्की रसीद लेने पर टैक्स जोड़ने के कारण ज्वैलरी की कीमत बढ़ जाएगी. ऐसे में ग्राहक भी उन के तर्क से सहमत हो जाता है, वह दुकानदार के भरोसे पर बिना पक्की रसीद के ज्वैलरी खरीद लेता है. ऐसे में नकली हालमार्क वाली ज्वैलरी भी बेच ली जाती है.
हालमार्क देख कर सोना खरीदें
सोना खरीदते वक्त उस की क्वालिटी जरूर जांच लें. सब से अच्छा है कि हालमार्क देख कर सोना खरीदें. हालमार्क सरकारी गारंटी है. हालमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो औफ इंडियन स्टैंडर्ड करती है.
हालमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है. सब से पहली बात यह कि असली सोना
24 कैरेट का ही होता है, लेकिन इस के आभूषण नहीं बनते क्योंकि वह बेहद मुलायम होता है. आमतौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है जिस में 91.66 फीसदी सोना होता है. हालमार्क पर 5 अंक होते हैं. सभी कैरेट का हालमार्क अलग होता है. मसलन, 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 पर 750 लिखा होता है. इस से शुद्धता में शक नहीं रहता.
अब सवाल उठता है कि हालमार्क असली है या नहीं? उस की पहचान कैसे करें? हालमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में बीआईएस वह संस्था है जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. अगर सोनाचांदी हालमार्क वाला है तो इस का मतलब है कि उस की शुद्धता प्रमाणित है. लेकिन कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रक्रिया पूरी किए ही हालमार्क लगा रहे हैं.
ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हालमार्क ओरिजनल है या नहीं. असली हालमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हौलमार्किंग सैंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है.
शुद्धता को पहचानें
गोल्ड ज्वैलरी खरीदते वक्त सब से पहले उस की शुद्धता का पता लगाएं. 24 कैरेट गोल्ड सब से शुद्ध होता है. गोल्ड ज्वैलरी 22 या 18 कैरेट के सोने से बनती है. मतलब 22 कैरेट गोल्ड के साथ 2 कैरेट कोई और मैटल मिक्स किया जाता है. ज्वैलरी खरीदने से पहले हमेशा ज्वैलर से सोने की शुद्धता जान लें. वाइट गोल्ड ज्वैलरी अगर ले रहे हैं तो निकेल या प्लैटिनम मिक्स के बजाय पैलेडियम मिक्स ज्वैलरी लेना बेहतर होगा. निकेल या प्लैटिनम मिक्स वाइट गोल्ड से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है.
कई सुनार केडीएम को भी शुद्ध बता कर बेचते हैं, लेकिन इस में कैडमियम नामक तत्त्व होता है, जोकि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है. साथ ही, इस में तांबे की मिलावट भी होती है. इस तरह के फ्रौड से बचने के लिए आभूषण या सोने की किसी भी वस्तु पर अंक जरूर देखें. यहां पर सब से अहम बात यह है कि अखबारों में प्रतिदिन छपने वाले या टीवी पर दिखाए जाने वाले सोने के दाम 24 कैरेट गोल्ड के होते हैं. इसलिए अगर आप 23, 22 या कम कैरेट का सोना खरीद रहे हैं तो दाम कम होंगे.
शुद्धता सर्टिफिकेट जरूरी
गोल्ड खरीदते वक्त प्योरिटी सर्टिफिकेट यानी शुद्धता प्रमाणपत्र लेना न भूलें. इस सर्टिफिकेट में गोल्ड की कैरेट क्वालिटी भी जरूर चैक कर लें. साथ ही, गोल्ड ज्वैलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें.
इस के बाद भी चाहे सिक्के खरीदें या ज्वैलरी, हमेशा विश्वसनीय दुकान से ही लें. ज्वैलरी हमेशा हालमार्क निशान वाली ही खरीदें. छोटे ज्वैलर्स के पास हालमार्क ज्वैलरी नहीं होती. ऐसे में वहां धोखा होने का डर ज्यादा होगा. सावधानी के लिए गोल्ड की कीमत की जानकारी रखें. बाजार में सोनेचांदी के भाव रोज बढ़तेघटते हैं. ऐसे में सही समय और मूल्य पर सोने की खरीदारी कर सकेंगे.
सिक्का या ज्वैलरी खरीदते वक्त कच्ची पर्चियां लेने का ट्रैंड है. लेकिन यह गलत है. कई बार वापसी के वक्त ज्वैलर्स खुद ही अपनी कच्ची पर्ची नहीं पहचानते, इसलिए पक्का बिल जरूर लें. बिल में सोने का कैरेट, शुद्धता, मेकिंग चार्ज, हालमार्क का जिक्र जरूर हो. इस तरह से सावधानी रखेंगे तो गोल्ड की खरीदारी सही तरह से कर सकेंगे. दुकानदार आप को गलत सोना नहीं दे पाएगा. सोने की खरीदारी पर नुकसान नहीं होगा.
ऐसे पिघलता है सोना
सोने को पिघलाने के लिए काफी ज्यादा हीट की जरूरत होती है, इसलिए इस दौरान हमेशा बहुत सावधानी रखनी पड़ती है.
सोने के पिघलाने के लिए एक क्रूसिबल कंटेनर की जरूरत पड़ती है. क्रूसिबल एक इक्विपमैंट कंटेनर है, यह एक प्रकार का फायरप्रूफ कंटेनर है जो धातु के तरल या पदार्थों की रासायनिक प्रतिक्रिया को पिघलाने व पिघलने के लिए उपयोग किया जाता है. यह बेहद ज्यादा हीट या गरमाहट को भी सहन कर सकता है.
क्रूसिबल को आमतौर पर ग्रेफाइट कार्बन या क्ले से बनाया जाता है. सोने का मेल्ंिटग पौइंट करीब 1943 डिग्री फारेनहाइट (1064 एष्ट) होता है, जिस का मतलब होता है कि आप को इतने टैंपरेचर की जरूरत होगी, जो इसे पिघलाने के हिसाब से हौट हो, इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इस काम के लिए आप क्रूसिबल कंटेनर को ही चुनें.
क्रूसिबल को मूव करने और उसे पकड़ने के लिए चिमटे की भी जरूरत पड़ती है. यह चिमटा हीट रेजिस्टैंट मैटीरियल से बना हुआ होना चाहिए.
इस के बाद गोल्ड से अशुद्धियों को निकालने के लिए फ्लक्स का यूज किया जाता है. फ्लक्स एक पदार्थ है, जिसे गोल्ड को पिघलाने के पहले गोल्ड में मिलाया जाता है. यह अकसर बोरेक्स और सोडियम कार्बोनेट का एक मिक्स्चर होता है.
अगर सोना अशुद्ध हुआ तो आप को और भी फ्लक्स की जरूरत होगी. फ्लक्स महीन सोने के कण को एकसाथ रखने में मदद करता है और यह गरम होने पर सोने में मौजूद अशुद्ध धातु को भी निकालने में मदद करता है.
गोल्ड को पिघलाना खतरनाक होता है, क्योंकि सोने को पिघलाने के लिए बहुत ज्यादा हीट की जरूरत होती है. सोने को पिघलाने के लिए जगह सेफ होनी चाहिए. चेहरे को बचाने के लिए फेसशील्ड और सेफ्टीगौगल्स पहनना बेहद जरूरी है. हाथों को हीट रेजिस्टैंट बनाने के लिए हैवी ग्लव्स होना भी जरूरी है.
इस के अलावा गोल्ड को पिघलाने के लिए हीटिंग किट का भी इस्तेमाल किया जाता है. इस के लिए इलैक्ट्रिक फर्नेन्स खरीदना पड़ता है. यह एक तरह की इलैक्ट्रिक भट्टी है जिसे सोना पिघलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस मशीन में गोल्ड पिघलाने के लिए भी क्रूसिबल और फ्लक्स की जरूरत पड़ती है.
एक अन्य विधि में गोल्ड पिघलाने के लिए पोपेन टौर्च का इस्तेमाल होता है. पोपेन टौर्च एक तरह का लाइटर जैसा होता है, जिस में से बहुत तेजी से हीट निकलती है. विधि वही होती है कि सोने को क्रूसिबल में रख कर टौर्च से क्रूसिबल के अंदर ही सोने पर हीट मारी जाए.
हालांकि हीट करते हुए यह ध्यान रखना जरूरी है कि पोपेन की हीट सोने पर ही पड़े, इस से क्रूसिबल मजबूत होता है लेकिन लगातार हीट उसे नुकसान पहुंचा सकती है. सेफ्टी किया जाना बहुत जरूरी है.