‘तू  मेरा भाई मैं तेरी बहन, जब बनी हूं तेरी बहन तो उठा ले मेरे सारे नखरे.’

अकसर जब लड़कियां मुंहबोला भाई बनाती हैं तो उस से यह उम्मीद करती हैं कि वह उन के हर नखरे को सहेगा. शौपिंग करनी हो, घूमने जाना हो, अपना किसी भी तरह का काम निबटाना हो, तो एक फोन कौल पर हाजिर हो जाने वाले मुंहबोले भाई से ही सारी उम्मीदें रहती हैं. यहां तक कि अपने स्कूलकालेज के नोट्स बनवाने हों, किताबें खरीदने तक की जिम्मेदारी भी उसे सौंप देती हैं और यह भूल जाती हैं कि वह आप का मुंहबोला भाई है न कि नौकर. ऐसे में बेचारा भाई बहन के प्यार में चुपचाप हर बात मानता चला जाता है. अगर आप ने भी अपना कोई मुंहबोला भाई बनाया है तो उस के सामने अपनी फरमाइशों की लिस्ट न रखें और न ही उसे नौकर समझें बल्कि जरूरत के समय ही उसे जिम्मेदारी सौंपें ताकि वह इस रिश्ते को मिसाल बनाए न कि बोझ समझ कर ढोए.

भाई पर न डालें फोन रिचार्ज का बोझ

अपनी पौकेट ढीली न हो इसलिए हर बार कोई बहाना बना कर मुंहबोले भाई से फोन रिचार्ज करवा लेना ठीक नहीं है. कभीकभार अगर आप के पास समय नहीं है या आप बाहर नहीं जा सकतीं तो मुंहबोले भाई से फोन रिचार्ज करवाने की रिक्वैस्ट कर सकती हैं लेकिन हमेशा ऐसा न करें.

अपने रिश्तेदारों की जिम्मेदारी खुद उठाएं

अगर आप के घर में आप के रिलेटिव आ रहे हैं और आप उन्हें स्टेशन से पिक करने और घुमानेफिराने की जिम्मेदारी अपने मुंहबोले भाई को सौंप रही हैं तो सही नहीं है. भई, जब रिश्तेदार आप के हैं तो जिम्मेदारी भी आप की ही बनती है ना, उन्हें लाने, ले जाने व घुमाने की. भाई के पास गाड़ी होने का मतलब यह नहीं कि वह आप का ड्राइवर हो गया और आधी रात को भी आप के लिए हाजिर हो जाए.

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