हर व्यक्ति कहीं न कहीं  का सहारा लेता ही है. ?ाठ एक यूनिवर्सल सच है, लेकिन  बोलने की सीमा क्या हो, किस परिस्थिति में ? बोला गया, यह ज्यादा मैटर करता है. अब सवाल यह कि अगर पार्टनर ही ? निकले तो उसे डील कैसे किया जाए, क्या उसे छोड़ दिया जाए? चंदन छाबड़ा के दोस्त उस की किसी बात को सीरियसली नहीं लेते हैं. उस के मुंह पर ही बोल देते हैं कि ‘यार, तू तो अपनी जबान बंद ही रख.’ दूसरों से भी कहते हैं, ‘छाबड़ा ने बताया है तो ?होगा. वह कभी सच तो बोलता ही नहीं है.’ चंदन छाबड़ा अपने परिवार और पड़ोस से ले कर औफिस तक में ‘लायर’ के नाम से जाना जाता है. जो लोग उस को नहीं जानते हैं वे शुरू में उस की बात पर विश्वास कर बैठते हैं क्योंकि ? वह बड़े सलीके से बोलता है. जहां जरूरत नहीं, वहां भी ?

जैसे उस के खून में घुला हुआ है. बड़ीबड़ी बातें हांकता है. बड़ेबड़े लोगों से अपनी जानपहचान बताता है. रेवती भी उस के इसी ? के जाल में फंस गई और उस के मातापिता ने भी चंदन छाबड़ा की जलेबी जैसी बातों में उल कर बेटी की शादी आननफानन उस से कर दी. शादी के बाद रेवती को पता चला कि वह एक निहायत ही ?ठे आदमी के प्रेम में फंस चुकी है. शादी के 2 महीने बाद रेवती के हाथ चंदन का आईकार्ड लग गया, जिस से उसे पता चला कि वह औफिस में महज एक कंप्यूटर औपरेटर है, न कि कोई अधिकारी.

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