रवि का बर्थडे था. क्लास के सभी फ्रैंड्स को उस ने पार्टी देने का प्रौमिस किया था. उस के 5 बैस्ट फ्रैंड थे. उन्हीं दिनों बाहुबली पार्ट-2 रिलीज हुई थी. सब दोस्तों में फिल्म का इतना क्रेज था कि रवि ने सोचा दोस्तों को अपने बर्थडे के दिन यही फिल्म दिखाऊंगा. फिर क्या था, सारे दोस्त रवि के साथ पहुंच गए कनाट प्लेस के ओडियन मल्टीप्लैक्स. जब टिकट विंडो पर रवि ने 6 टिकट मांगे तो उस ने 3 हजार रुपए मांगे. टिकट के इतने महंगे दाम सुन कर रवि सकते में आ गया. कहां तो उस ने सोचा था कि 3 हजार रुपए में वह फिल्म के साथ डिनर पार्टी भी मैनेज कर लेगा.
एक बारगी तो उस का मन हुआ कि वह वापस चला जाए, लेकिन फ्रैंड्स की फिल्म को ले कर ऐक्साइटमैंट देख कर उसे लगा कि उन्हें खराब लगेगा. सो उस ने मन मार कर टिकट खरीद तो लिए लेकिन पूरी फिल्म के दौरान उसे इसी बात की चिंता सताती रही कि पार्टी देने के लिए बाकी पैसे का इंतजाम कहां से होगा.
अकसर किशोर ऐसी समस्या से दोचार होते हैं. उन्हें लगता है कि फिल्म देखना आज की तारीख में सस्ता माध्यम है जबकि ऐसा है नहीं. अब यदि फिल्म देखनी है तो मल्टीप्लैक्स के महंगे टिकट खरीदने पड़ते हैं. इतना ही नहीं जिस मौल में फिल्म देख रहे हैं वहां खानेपीने के सामान के दाम इतने अधिक होते हैं कि किशोरों की महीने की पौकेट मनी एक बार में ही खत्म हो जाती है. इसलिए फिल्म देखने जाने से पहले क बार सोच लें कहीं यह आप की जेब पर रवि की तरह भारी तो नहीं पड़ेगी.
खर्चीले फ्रैंड्स से रहें दूर
किशोरों के बीच दोस्तों को पार्टी देने का चलन कोई बुरी बात नहीं है बस, यह देखना जरूरी है कि कहीं इस चलन और फिल्मी पार्टी के चक्कर में फुजूलखर्ची तो नहीं हो रही है. आज के टीनएजर्स का लाइफस्टाइल और कौन्फिडैंस देख कर अच्छेअच्छों को कौंप्लैक्स हो जाता है. हाथ में हाईटैक गैजेट लिए ये टीनएजर्स मूवी, शौपिंग मौल और रेस्तरां में मीटिंग करते हैं.
कुछ डिस्को बार में जाने से भी गुरेज नहीं करते. फिर चाहे वह न्यू ईयर पार्टी हो, नाइट पार्टी, फेयरवेल पार्टी, ऐग्जाम खत्म होने की खुशी में पार्टी हो या कुछ और इन सब में काफी पैसा खर्च होता है. ऐसे में कई किशोर दोस्तों से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि टशन मारने के चक्कर में वे काफी पैसा खर्च कर बैठेंगे व बाद में जब पैसों की जरूरत पड़ेगी तो पैसे कहां से लाएंगे.
सीमित बजट में फिल्म पार्टी
पार्टी करना बुरा नहीं है. फिल्म भी सब देखते हैं, लेकिन उस के बजट की प्लानिंग पहले से करना बहुत जरूरी है. मान लीजिए आप को अपने दोस्तों को फिल्म दिखानी है तो पहले अपना बजट देखिए, फिर उसी हिसाब से किसी ऐसे सिनेमाघर जो सस्ता हो के टिकट लें या फिर अच्छा है कि कहीं और मौर्निंग शो के टिकट ले कर फिल्म का मजा लीजिए.
जरूरी नहीं कि फिल्म सिनेमाघर में ही देखी जाए. आप अपने दोस्तों के लिए घर में ही मूवी डे की प्लानिंग कर सकते हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ नहीं करना है. बस, अपने दोस्तों से उन की फेवरिट फिल्म का नाम पूछें और मार्केट से उस फिल्म की डीवीडी खरीद लाएं या फिर रैंट पर ले कर दोस्तों के साथ जम कर घर पर ही खाना भी खाएं और मस्ती करें. इस से आप के पैसे तो बचेंगे ही साथ ही घर पर फिल्म देखने के साथसाथ खानाखाने का मजा भी आएगा.
इस तरह से फिल्म की पार्टी आप को महंगी भी नहीं पड़ेगी और दोस्त भी जम कर मजा लेंगे. आजकल तो मोबाइल पर ही फिल्में देखी जाती हैं. दोस्तों में पैनड्राइव में बांटी जाती हैं. ऐसे में फिल्म देखने के लिए हजारों रुपए फूंकने से अच्छा है उन पैसों को अपनी पढ़ाई के काम और उस से संबंधित खर्चे में लगाएं.
जरूरी नहीं कि पार्टी का मजा तभी आए जब आप ढेर सारा पैसा खर्च करें. सीमित बजट में भी बेहतरीन पार्टी मनाई जा सकती है. जरूरी है तो बस, दोस्तों और फैमिली मैंबर्स की सलाह लेना. कोशिश करें कि घर में ही पार्टी और्गेनाइज हो. पार्टी में ढेर सारे दोस्तों को बुलाना भी जरूरी नहीं है. सिर्फ खास दोस्तों के साथ पार्टी मनाने से भी काफी बचत होगी.
दिखावा न करें. महंगे रिटर्न गिफ्ट देना भी जरूरी नहीं है. ऐसे कुछ स्मार्ट तरीकों को अपना कर सीमित बजट में अच्छी बर्थडे पार्टी सैलिब्रेट की जा सकती है. फिल्म के अलावा अन्य खर्चे भी समझदारी से करें. अपनी बर्थडे पार्टी खास अंदाज में मनाने के लिए टीनएजर्स स्पैशल तैयारी करते हैं. शहरों में मौल्स में फूड कोर्ट, फनकोर्ट, रेस्तरां आदि में स्पैशल बर्थडे पैकेज उपलब्ध कराए जाते हैं. पहले से ही बुकिंग कर लें और सजावट से ले कर खानेपीने के इंतजाम जैसे केक, स्नैक्स, लंच या डिनर सब सस्ते में करें.
किशोर बचत करना सीखें
कई बार किशोर पार्टी के चक्कर में अपनी पूरी पौकेट मनी ही खर्च कर देते हैं, जो सही नहीं है. किशोरों को खर्च पर लगाम लगाने के साथ यह भी सीखना चाहिए कि उन के लिए बचत कितनी जरूरी है. किशोरों को पैसे की अहमियत समझने की जरूरत है. बाहर खानेपीने और घूमनेफिरने में बिना वजह होने वाले खर्च के बारे में अच्छी तरह जानें. दिखावे के लिए पैसे उड़ा कर आप को ही पछताना पड़ेगा.
मांबाप किशोरों को पौकेट मनी इसलिए देते हैं कि वे अपने जरूरी खर्च में उस का इस्तेमाल करें. जरा सोचिए, अगर आप पूरी पौकेट मनी दोस्तों को फिल्म दिखाने में ही खर्च कर देंगे तो क्या होगा?