आज किशोर गैजेट्स के मोह में इस कदर फंसे हैं कि वे ब्रैंडेड से नीचे बात नहीं करते. इस से उन की लिविंग तो हाई हो रही है, लेकिन थिंकिंग लो होती जा रही है. जरूरत है वक्त के साथ थिंकिंग को भी हाई करने की.

आज का यूथ लग्जरी जीवन जीने में विश्वास रखता है. उसे लगता है कि अगर पैसा है तो हर सुखसुविधा खरीदी जा सकती है, खुद की फ्रैंड्स में पैठ जमाई जा सकती है, समाज में अपनी अलग पहचान बनाई जा सकती है, जब चाहे पैसे फैंक कर कोई भी काम निकलवाया जा सकता है. भले ही उन्हें पैसे कमाने व लग्जरी जीवन जीने के चक्कर में अपनों से दूर होना पड़े, वे इस से भी पीछे नहीं रहते, जबकि असल में उन की ऐसी सोच सही नहीं है. क्योंकि आज भले ही पैसों की इंपौर्टैंस कहीं अधिक बढ़ गई है, लेकिन यह भी सचाई है कि जहां अपने काम आ सकते हैं, वहां पैसा नहीं. इसलिए पैसों की अंधीदौड़ में इस कदर न बह जाएं कि जीवन में कभी अपनों का साथ ही हासिल न हो.

क्यों जीते हैं लग्जरी लाइफ

देखादेखी बढ़ा लग्जरी लाइफ का चलन

आज युवा अधिकांश चीजें देखादेखी ही खरीदते हैं. उन्हें लगता है कि उन के फ्रैंड के पास महंगा मोबाइल फोन है जिस के फीचर्स उन के फोन से कही अधिक हैं तो वे भी बिना सोचेसमझे वैसा ही फोन और कई बार तो उस से भी महंगा फोन खरीद लेते हैं, जबकि वे ऐसा करते वक्त एक बार भी यह नहीं सोचते कि इस की उन्हें जरूरत है भी या नहीं. उन का देखादेखी इस तरह चीजें खरीदना सही नहीं है, क्योंकि वे अपनी ऐसी सोच के कारण भविष्य के लिए कुछ जमा नहीं कर पाते, जिस से भविष्य में पछतावे के सिवा उन के पास कुछ नहीं रहता.

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