Inner Beauty : “अरे, ये आप की बेटी है? आप का रंग तो बहुत साफ है ! इस के नैननक्श और रंग आप जैसे बिल्कुल नहीं हैं. शायद आपने बचपन में इसे उबटन नहीं लगाया...”

पड़ोस वाली आंटी की बात सुन कर 17 साल की रिया अपनी मौम की तरफ देखने लगी. रिया की मौम और रिया की आंखोंआंखों में बात हुई और दोनों मुसकरा दिए और पड़ोसन को कुछ समझ नहीं आया और वह खिसिया कर वहां से चली गई !

दरअसल, रिया की मौम ने रिया को बचपन से यह बात सिखाई थी कि अगर आप को दुनिया और अपनी नज़रों में खूबसूरत  बनना है तो रंग, नाकनक्श और फिगर से ज्यादा अंदर की खूबसूरती निखारनी चाहिए. अपनी पर्सनालिटी पर ध्यान देना चाहिए और लोगों की बाहरी सुंदरता (inner Beauty) के पैमाने के तराजू में खुद को नहीं तोलना चाहिए. यही कारण था कि रिया को पड़ोस वाली आंटी की बात का कोई फर्क नहीं पड़ा.

आमतौर पर हमारे समाज में जब लड़कियों की खूबसूरती की बात आती है तो लोग रंग, नाकनक्शर और फिगर की बात करते हैं. उन्हें बचपन से ही सिखाया जाता है कि तुम्हारे लिए खूबसूरत दिखना जरूरी है. लोग उन्हें क्यों नहीं सिखाते कि यदि आप शिक्षित नहीं हैं आप में आत्मविश्वास नहीं है आप में इंसानियत नहीं है तो उस सुंदरता का कोई मोल नहीं है.

सुंदरता से जरूरी Inner Beauty 

बाहरी खूबसूरती (inner Beauty) के साथ दिल की खूबसूरती यानी इनर ब्यूरटी बहुत मायने रखती है. कोई भी भले ही दिखने में चाहे कितना ही खूबसूरत हो लेकिन उस के अंदर इंसानियत, आत्मविश्वास, अपने आसपास के लोगों के प्रति प्याोर और दुलार नहीं है वह भरोसेमंद नहीं है तो बाहरी खूबसूरती किसी को अपनी ओर अट्रैक्ट नहीं कर पाएगी.

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